प्रीलिम्स फैक्ट्स: 13 अप्रैल, 2020
मेरु जात्रा
Meru Jatra
COVID-19 के मद्देनज़र जारी राष्ट्रव्यापी लाकडाउन के कारण ओडिशा के गंजम ज़िला प्रशासन ने 13 अप्रैल, 2020 को महाविशूब संक्रांति (Mahavishub Sankranti) के अवसर पर मंदिरों में मेरु जात्रा (Meru Jatra) उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया।
मुख्य बिंदु:
- मेरु जात्रा 21 दिन तक चलने वाली तपस्या के अंत का प्रतीक है जिसे 'दंड नाता' (Danda Nata) के नाम से जाना जाता है।
दंड नाता (Danda Nata) उत्सव:
- यह 21 दिनों तक चलने वाला एक मौसमी लोक नृत्य उत्सव है जो दक्षिणी ओडिशा में 'चैत्र' महीने में मनाया जाता है।
- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ‘दंड’ एक प्रकार की स्व-पीड़ा है, जिसे दांडू (त्योहार में भाग लेने वाले लोग) देवी काली को अपनी श्रद्धांजलि देने के लिये करते हैं। यह भगवान शिव एवं देवी पार्वती की पूजा करने का भी एक रूप है।
- इस उत्सव के अवसर पर लोग गर्मियों की दोपहर में धूल तथा शाम को तालाब में नृत्य करते हैं। इसके अलावा मध्यरात्रि में 'दांडू' लोग आग पर चलते हैं।
- इस त्योहार की उत्पत्ति ओडिशा में बौद्ध धर्म के पतन के बाद 8वीं से 9वीं ईस्वी के बीच मानी जाती है।
- ओडिशा प्रशासन ने मार्च, 2020 में ही ‘दंड नाता’ पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि मंदिर के चारों ओर घूमने वाली मंडली COVID-19 से संक्रमित हो सकती थी। जिससे अन्य लोगों में भी संक्रमण फैल सकता था।
- महाविशूब संक्रांति को ओडिया नव वर्ष की शुरुआत के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन ओडिशा के तारा तारिणी पहाड़ी मंदिर (Tara Tarini Hill Shrine) एवं अन्य मंदिरों में विशाल उत्सव का आयोजन होता है।
- महाविशूब संक्रांति को पाना संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है। यह भारत में बौद्धों एवं हिंदुओं का पारंपरिक नववर्ष उत्सव है।
- इस उत्सव की तारीख लुनिसोलर (lunisolar) कैलेंडर के सौर चक्र से निर्धारित की जाती है जो मेष (Mesha) के पारंपरिक सौर मास के पहले दिन के रूप में होता है। यह चंद्र मास बैसाख की पूर्णिमांता प्रणाली (Purnimanta System) के समान है।
- महाविशूब संक्रांति हिंदुओं द्वारा वैशाखी (उत्तर एवं मध्य भारत), बोहाग बिहू (असम एवं पूर्वोत्तर भारत), पोहेला बोइशाख (पश्चिम बंगाल), विशु (केरल) एवं पुथंडु (तमिलनाडु) जैसे अन्य स्थानों पर मनाए जाने वाले नये वर्ष के त्योहारों के समान है।
पट्टचित्र
Pattachitra
COVID-19 के कारण ओडिशा के रघुराजपुर गाँव में पट्टचित्र (Pattachitra) चित्रकारी पर आधारित लोगों की आजीविका को नुकसान हो रहा है।
मुख्य बिंदु:
- चित्रकला की पट्टचित्र शैली ओडिशा के सबसे पुराने एवं लोकप्रिय कला रूपों में से एक है।
- पट्टचित्र का नाम संस्कृत शब्दों ‘पट्ट’ (कैनवास/कपड़ा) और ‘चित्र’ (चित्रण करना) से लिया गया है। पट्टचित्र कैनवास पर की जाने वाली एक ऐसी चित्रकला है जिसमें समृद्ध रंगों का प्रयोग, रचनात्मक रूपांकन और डिज़ाइनों तथा सरल विषयों का चित्रण किया जाता है।
इस चित्रकला में शामिल कुछ प्रमुख विषय:
- इस कला के माध्यम से प्रस्तुत कुछ लोकप्रिय विषय हैं- थिया बधिया - जगन्नाथ मंदिर का चित्रण; कृष्ण लीला - भगवान कृष्ण के रूप में जगन्नाथ का एक बच्चे के रूप में अपनी शक्तियों का प्रदर्शन; दासबतारा पट्टी - भगवान विष्णु के दस अवतार; पंचमुखी - भगवान गणेश का पाँच मुख वाले देवता के रूप में चित्रण।
- पट्टचित्र को कपड़े पर चित्रित करते समय कैनवास को पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाता है। इसके आधार (बेस) को नरम, सफेद, चाक पाउडर और इमली के बीज से बने गोंद के साथ लेपन करके तैयार किया जाता है।
- इस चित्रकला में सबसे पहले पेंटिंग के किनारे को तैयार किया जाता है फिर हल्के लाल एवं पीले रंग का उपयोग करके स्केच बनाया जाता है। इसमें आमतौर पर सफेद, लाल, पीले और काले रंग इस्तेमाल किये जाते हैं।
- पेंटिंग को जलप्रतिरोधी, टिकाऊ एवं चमकदार बनाने के लिये इसे चारकोल की जलती आग के ऊपर रखा जाता है और सतह पर लाह/लाख (lacquer) लगाया जाता है।
- ओडिशा और पश्चिम बंगाल की पट्टचित्र चित्रकारी में अधिक अंतर होने के कारण इन्हें अलग-अलग भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) प्रदान किया गया है। ओडिशा के पट्टचित्र को उड़ीसा पट्टचित्र (Orissa Pattachitra) के रूप में पंजीकृत किया गया है। जबकि पश्चिम बंगाल के पट्टचित्र को बंगाल पट्टचित्र (Bengal Patachitra) के रूप में पंजीकृत किया गया है।
यानोमामी जनजाति
Yanomami Tribe
हाल ही में COVID-19 से ब्राज़ील की यानोमामी जनजाति (Yanomami Tribe) के एक 15 वर्षीय लड़के की मौत हो जाने के कारण इस जनजाति में COVID-19 संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ गई है।
मुख्य बिंदु:
- ब्राज़ील 300 से अधिक नृजातीय समूहों के अनुमानित 8,00,000 जनजाति लोगों का निवास स्थान है। जिनमें यानोमामी जनजाति की संख्या 27,000 के आसपास है।
- यानोमामी जिसे योनामोमो या यानोमामा भी कहा जाता है, दक्षिण अमेरिका के वेनेज़ुएला एवं ब्राज़ील की सीमा पर अमेज़न वर्षावन में निवास करते हैं।
- यानोमामी जनजाति अपने परिवारों के साथ गाँवों में निवास करते हैं। इनके गाँवों का आकार भिन्न-भिन्न होता है किंतु आमतौर पर इन गाँवों में 50 से 400 लोग होते हैं।
- इस बड़े पैमाने पर सामूहिक व्यवस्था में पूरा गाँव एक ही छत के नीचे निवास करता है जिसे शाबोनोस (Shabonos) कहा जाता है। जो एक विशिष्ट अंडाकार आकृति होती है। शाबोनोस गाँव की परिधि का निर्माण करता है।
- यानोमामी जनजाति अमेज़न वर्षावन आधारित संसाधनों पर अधिक निर्भर है, इन्हें बागवानी करने वाले समूहों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। वे स्लैश एंड बर्न कृषि/बागवानी के तहत केले एवं अन्य फल उगाते हैं और जानवरों एवं मछलियों का शिकार करते हैं।
- इस जनजाति में बहुपतित्त्व प्रथा प्रचलित है हालाँकि यहाँ की अन्य जनजातियों में बहुपत्नी प्रथा भी देखने को मिलती है।
- इन्हें शिकारी, मछली पकड़ने वाले एवं बागवानी विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। जबकि महिलाएँ अपनी मुख्य फसल के रूप में बगीचों में कसावा की खेती करती हैं।
- 1980 के दशक के दौरान, स्वर्ण खनिकों द्वारा इनकी भूमि पर कब्ज़ा करने के कारण यानोमामी जनजाति को नुकसान उठाना पड़ा। जिससे कई जनजातीय लोगों की मृत्यु हो गई, कई गाँवों को नष्ट कर दिया गया और उन्हें उन बीमारियों से अवगत कराया जिनके पास कोई प्रतिरक्षा प्रणाली नहीं थी।
युक्ति पोर्टल
YUKTI Portal
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Union Human Resource Development Ministry) ने 12 अप्रैल, 2020 को ज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के साथ COVID-19 का मुकाबला करने के लिये एक युक्ति (YUKTI) वेब पोर्टल लॉन्च किया।
युक्ति (YUKTI):
- युक्ति (YUKTI) का पूर्ण रूप ‘Young India combating Covid-19 with Knowledge, Technology and Innovation’ (युवा भारत ज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के साथ COVID-19 का मुकाबला करें) है।
उद्देश्य:
- इस पोर्टल के माध्यम से भारत सरकार का प्राथमिक उद्देश्य शारीरिक एवं मानसिक दोनों तरह से देश के अकादमिक समुदाय को स्वस्थ रखना है और छात्रों के लिये उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षण वातावरण को निर्मित करना है।
मुख्य बिंदु:
- युक्ति भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रयासों एवं पहलों की निगरानी व रिकॉर्ड करने के लिये एक यूनीक पोर्टल तथा डैशबोर्ड है। यह पोर्टल COVID-19 से संबंधित विभिन्न चुनौतियों को व्यापक तरीके से कवर करेगा।
- यह पोर्टल बड़े पैमाने पर शैक्षणिक समुदाय को सेवाओं के प्रभावी वितरण के लिये गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों मापदंडों को कवर करेगा।
- यह पोर्टल मानव संसाधन विकास मंत्रालय और देश के विभिन्न संस्थानों के बीच दो तरफा संचार चैनल (Two-way Communication Channel) भी स्थापित करेगा ताकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षण संस्थानों को आवश्यक सहायता प्रणाली प्रदान कर सके।