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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 13 Mar, 2023
  • 10 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ग्लो स्कोप

मिनेसोटा में विनोना स्टेट यूनिवर्सिटी ने ग्लो स्कोप के लिये एक डिज़ाइन विकसित किया है, जिसे फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोप के रूप में भी जाना जाता है।

  • इस सेटअप के साथ वे प्राणियों के मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, हृदय, सिर और जबड़े की हड्डियों को चित्रित करने में सक्षम थे। 
  • वे स्मार्टफोन कैमरा और क्लिप-ऑन लेंस का उपयोग करके ज़ूम इन और आउट करने में सक्षम थे। 

फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोप: 

  • परिचय: 
    • एक वस्तु किस प्रकार दृश्य प्रकाश को अवशोषित या परावर्तित करती है, प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी के माध्यम से इसका अवलोकन करके देखा जा सकता है।
    • फ्लोरोसेंट माइक्रोस्कोप का उपयोग कर एक वस्तु में यह देखा जाता है कि यह कैसे प्रतिदीप्त होती है, अथवा यह किस प्रकार अवशोषित प्रकाश का उत्सर्जन करती है जो कि  इसका मूल सिद्धांत है।
    • वस्तु एक विशिष्ट तरंग दैर्ध्य के प्रकाश से प्रकाशित होती है। वस्तु के कण इस प्रकाश को अवशोषित करते हैं और इसे पुनः उच्च तरंग दैर्ध्य पर भेजते हैं। इन कणों को फ्लोरोफोरस कहा जाता है; माइक्रोस्कोप के नीचे रखे जाने से पूर्व वस्तु को उसमें रखा जाता है।

Blue-LED

क्या ग्लोस्कोप अभिगम्य है? 

  • एक 'ग्लोस्कोप' का उपयोग करने के लिये अभी भी फ्लोरोफोरस तक अभिगम्यता, उपयुक्त जैविक नमूने, दोनों को मिलाने की जानकारी और भौतिकी के कुछ ज्ञान की आवश्यकता होती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन सी एलईडी फ्लैशलाइट खरीदनी है।
  • फोल्डस्कोप वास्तव में उल्लेखनीय था क्योंकि इसके सभी आवश्यक घटकों को समझना सरल था।
    • वर्ष 2014 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के एक समूह ने फोल्डस्कोप जारी किया, जो एक हस्तचालित माइक्रोस्कोप है, जो लगभग पूरी तरह से कागज़ से बना है, जिसे संकलित करने में 30 मिनट लगते हैं और जो कोशिकाओं की छवियों को प्रग्रहित कर सकता है।
  • हालाँकि तथ्य यह है कि कुछ हज़ार रुपए में एक साधारण फ्लोरोसेंट माइक्रोस्कोप स्थापित किया जा सकता है, इसका अर्थ है कि यह पूरी तरह से अभिगम्य है जिससे शोधकर्त्ता नमूने तैयार कर सकते हैं और उन्हें स्कूलों में ले जा सकते हैं, जहाँ छात्र भी उन्हें देख सकते हैं।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 मार्च, 2023

एयरोसोल्स मिशन हेतु NASA का मल्टी-एंगल इमेजर (MAIA) 

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और इटैलियन स्पेस एजेंसी (Agenzia Spaziale Italiana- ASI) वर्ष 2024 से पहले एयरोसोल्स मिशन हेतु NASA का मल्टी-एंगल इमेजर (MAIA) का निर्माण और इसे लॉन्च करेगी। यह मिशन, जो कि तीन वर्ष तक चलेगा, भारत में नई दिल्ली सहित 11 मुख्य लक्षित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा। MAIA एक उपग्रह उपकरण है जो विभिन्न प्रकार के वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों की जाँच करने हेतु डेटा एकत्र करेगा। यह वायुमंडल में प्रदूषकों की प्रचुरता, आकार, रासायनिक संरचना और ऑप्टिकल गुणों को निर्धारित करने के लिये सूर्य के प्रकाश का उपयोग करेगा। डेटा ज़मीन और वायुमंडलीय मॉडल पर सेंसर से एकत्र किया जाएगा। इसके बाद ये परिणाम श्वसन और हृदय रोगों, प्रतिकूल प्रजनन परिणामों, मानव जन्म, मृत्यु एवं अस्पताल में भर्ती होने के रिकॉर्ड से संबंधित होंगे ताकि दूषित हवा के प्रभावों को समझा जा सके। वेधशाला में प्लैटिनो-2 उपग्रह शामिल होगा, जिसे ASI द्वारा प्रदान किया जाएगा। वेधशाला के वैज्ञानिक उपकरण में एक पॉइंटेबल स्पेक्ट्रोपोलरिमेट्रिक कैमरा होता है, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी, दृश्यमान, निकट-अवरक्त एवं शॉर्टवेव अवरक्त भागों में कई कोणों पर डिजिटल छवियों को कैप्चर करता है।

और पढ़ें… एयरोसोल

इंडोनेशिया में मेरापी ज्वालामुखी विस्फोट 

मेरापी (अग्नि पर्वत) इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में सबसे अधिक सक्रिय है और हाल ही में इसमें कई बार विस्फोट हुआ है। इस ज्वालामुखी का उद्गार 2,911 मीटर तक होता है और इसके निम्न भाग में सघन वनस्पतियों के साथ खड़ी ढलानें हैं। यह जावा द्वीप और इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी याग्याकार्टा के केंद्र के पास स्थित है। वर्ष 2010 में इसके अंतिम बड़े विस्फोट में 347 लोग मारे गए और 20,000 ग्रामीण विस्थापित हुए। इंडोनेशिया, 270 मिलियन लोगों का एक द्वीप समूह, भूकंप और ज्वालामुखीय गतिविधियों के लिये प्रवण है क्योंकि यह "अग्नि वलय (Ring of Fire)" के पास स्थित है, जो प्रशांत महासागर के चारों ओर भूकंपीय भ्रंश रेखाओं की शृंखला के आसपास एक घोड़े की नाल के आकार के रूप में स्थित है। जावा द्वीप के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी सेमेरू पर्वत में दिसंबर 2021 में हुए विस्फोट में 48 लोगों की मौत हो गई थी और 36 लोग लापता हो गए थे।

विश्व का सबसे तेज़ सिंगल-शॉट लेज़र कैमरा

जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों ने विश्व का सबसे तेज़ एकल-शॉट लेज़र कैमरा बनाया है, जो बेहद संक्षिप्त घटनाओं को कैप्चर करने में अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में 1,000 गुना तेज़ है। उन्होंने अभी तक का सबसे सटीक दृश्य प्रदान करने के लिये कैमरे का उपयोग किया कि कैसे हाइड्रोकार्बन फ्लेम सूत (Soot) उत्पन्न करती है। डिवाइस की तकनीक को लेज़र-शीट कंप्रेस्ड अल्ट्राफास्ट फोटोग्राफी (LS-CUP) कहा जाता है, जो एक मानक स्ट्रीक कैमरा सिस्टम पर कंप्रेस्ड सेंसिंग के साथ लेज़र शीट इमेजिंग का संयोजन करती है। यह "लौ या स्प्रे अथवा किसी भी टर्बिड मीडिया जैसे त्रि-आयामी वस्तु को एक आयाम में ला सकता है और अंतरिक्ष भौतिकी या रासायनिक प्रक्रियाओं को हल करने में सक्षम है। यह 12.5 बिलियन फ्रेम प्रति सेकंड (fps) तस्वीरें ले सकता है। इन उपकरणों का उपयोग परमाणु रिएक्टरों में शॉकवेव्स, बारीक स्प्रे के दहन तथा सोनोल्यूमिनेसेंस नामक एक रहस्यमय प्रक्रिया (कभी-कभी ध्वनि से उत्तेजित होने पर एक तरल अंतःस्फोट में बुलबुले और ~ 10,000 K के तापमान पर प्रकाश छोड़ने) के लिये भी किया जा सकता है। जिनमें से कुछ नैनो सेकंड में होने वाली प्रक्रियाएँ भी शामिल हैं। हालाँकि प्रौद्योगिकी लागत बहुत अधिक हो सकती है।

और पढ़ें… सूत (ब्लैक कार्बन)

फ्राँसीसी नौसेना के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX)

भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, INS सह्याद्रि ने मार्च 2023 में अरब सागर में फ्राँसीसी नौसेना (FN) के जहाज़ों के साथ एक समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX) में भाग लिया। अभ्यास के दौरान क्रॉस-डेक लैंडिंग, बोर्डिंग ड्रिल और सीमैनशिप इवोल्यूशन जैसे विभिन्न प्रकार के विकास हुए। अभ्यास के निर्बाध संचालन ने दोनों नौसेनाओं के मध्य पारस्परिकता और उच्च स्तर के सहयोग की पुष्टि की। INS सह्याद्रि अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर युक्त है, जो इसे हवा, सतह और उप-सतह के खतरों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम बनाता है। यह जहाज़ विशाखापत्तनम स्थित भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का हिस्सा है। इसके अतिरिक्त हाल ही में फ्राँस और भारत के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास FRINJEX-2023 केरल में संपन्न हुआ। FRINJEX की थीम 'विवादित वातावरण में मानवीय सहायता के लिये आपदा राहत अभियान' थी। वरुण (एक नौसैनिक अभ्यास), गरुड़ (एक वायु अभ्यास), शक्ति (एक सेना अभ्यास), और डेजर्ट नाइट-21 (वायु अभ्यास) अन्य भारत-फ्राँस अभ्यास हैं।


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