प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 11 अगस्त, 2020
‘गंदगी मुक्त भारत’ अभियान
‘Gandagi Mukt Bharat’ Campaign
8 अगस्त, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री ने 'स्वच्छता' के लिये एक सप्ताह (8 अगस्त से 15 अगस्त) तक चलने वाले ‘गंदगी मुक्त भारत’ (Gandagi Mukt Bharat) अभियान की शुरुआत की।
प्रमुख बिंदु:
- इस सप्ताह के दौरान 15 अगस्त, 2020 तक प्रत्येक दिन शहरी एवं ग्रामीण भारत में 'स्वच्छता' के लिये 'जन-आंदोलन' को फिर से लागू करने के लिये विशेष 'स्वच्छता' कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे।
- भारतीय प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में राजघाट पर गांधी स्मृति और दर्शन समिति में राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र (Rashtriya Swachhata Kendra- RSK) का शुभारंभ किया जो ‘स्वच्छ भारत मिशन’ पर एक संवादात्मक अनुभव केंद्र है।
- केंद्र सरकार द्वारा 'गंदगी मुक्त भारत' अभियान शुरू किये जाने के बाद 9 अगस्त, 2020 को बिहार सरकार ने राज्य के लोगों को स्वच्छता के महत्त्व के बारे में सूचित करने के लिये एक जागरूकता अभियान शुरू किया।
विश्व जैव ईंधन दिवस
World Biofuel Day
परंपरागत जीवाश्म ईंधन के एक विकल्प के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधनों के महत्त्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और जैव ईंधन के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा किये गये विभिन्न प्रयासों को उजागर करने के लिये प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को ‘विश्व जैव ईंधन दिवस’ (World Biofuel Day) मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय था- ‘जैव ईंधन की ओर आत्मनिर्भर भारत’ (Biofuels Towards Atmanirbhar Bharat)।
- केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय वर्ष 2015 से विश्व जैव ईंधन दिवस मना रहा है।
- भारत सरकार का जैव ईंधन कार्यक्रम ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल से संबंधित है और इसके अनुसार ही विश्व जैव ईंधन दिवस-2020 की विषय वस्तु (जैव ईंधन की ओर आत्मनिर्भर भारत) चुनी गई है।
सर रूडोल्फ डीज़ल (Sir Rudolf Diesel):
- 10 अगस्त की तारीख सर रूडोल्फ डीज़ल द्वारा किये गये अनुसंधान प्रयोगों को भी सम्मान प्रदान करती है जिन्होंने वर्ष 1893 में मूंगफली के तेल से मशीन इंजन चलाया था।
- सर रूडोल्फ डीज़ल ने अपने अनुसंधान प्रयोगों के आधार पर कहा था कि वनस्पति तेल अगली शताब्दी में विभिन्न मशीनी इंजनों के ईंधन के लिये जीवाश्म ईंधनों का स्थान लेगा।
जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018
- इस नीति के द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।
- इस नीति में जैव ईंधनों को ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1G) के बायोएथेनॉल और बायोडीज़ल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2G) के एथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (एमएसडब्ल्यू) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3G) के जैव ईंधन, बायो सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है, ताकि प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ाया जा सके।
जैव ईंधन के लाभ:
- खनिज तेल के आयात में कमी।
- स्वच्छ वातावरण।
- किसानों की आय में वृद्धि।
- रोज़गार का सृजन।
तितलियों की 140 दुर्लभ प्रजातियाँ
140 Rare Species of Butterflies
हाल ही में 125 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद वैज्ञानिकों ने मुंबई (महाराष्ट्र) के पास माथेरान हिल स्टेशन (Matheran Hill Station) में 77 नई प्रजातियों सहित तितलियों की 140 दुर्लभ प्रजातियों की खोज की है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्ष 1894 में एक शोधकर्त्ता जे. ए. बेंथम (J.A. Betham) ने इस पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्र (माथेरान हिल स्टेशन) में 78 तितली की प्रजातियों की पहचान करते हुए उन्हें संहिताबद्ध किया था।
- ‘बायोडायवर्सिटी डेटा जर्नल’ (Biodiversity Data Journal) में प्रकाशित बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society- BNHS) और सोमैया विद्या विहार विश्वविद्यालय (Somaiya Vidya Vihar University) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गए एक शोध पत्र ‘फाइंडिंग द फॉरगाटेन जेम्स: रीविज़िटिंग द बटरफ्लाईस ऑफ माथेरान आफ्टर 125 इयर्स’ (Finding the forgotten gems: Revisiting the butterflies of Matheran after 125 years) में माथेरान हिल स्टेशन में दुर्लभ तितलियों के बारे में जानकारी दी गई है।
- शोध पत्र में कहा गया है कि तितलियों की विविधता में एक दृढ़ मौसमी बदलाव को परिलक्षित होते देखा गया है। शीत ऋतु के दौरान तितलियों की अधिकतम विविधता (125) दर्ज की गई जबकि मानसून के दौरान सबसे कम (80) थी।
- इस शोध पत्र में वर्ष 2011 से वर्ष 2019 के बीच सर्वेक्षण की गई तितलियों की प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है।
तितलियों का महत्त्व:
- तितलियाँ केवल सुंदर प्राणी नहीं हैं बल्कि एक स्वस्थ पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र की संकेतक भी हैं।
- तितलियों का एक दीर्घकालिक अध्ययन निश्चित रूप से वैज्ञानिक समुदाय को पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को समझने एवं संरक्षित करने में मदद करेगा।
बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society- BNHS):
- BNHS एक अखिल भारतीय वन्यजीव अनुसंधान संगठन है जो वर्ष 1883 से प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है।
- मिशन: BNHS का मिशन अनुसंधान, शिक्षा एवं सार्वजनिक जागरूकता के आधार पर कार्रवाई के माध्यम से प्रकृति का संरक्षण मुख्य रूप से जैव विविधता का संरक्षण करना है।
के. वी. कामथ
K.V. Kamath
हाल ही में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (All India Bank Employees’ Association- AIBEA) ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा COVID-19 से प्रभावित ऋणों के पुनर्गठन पर विशेषज्ञ समिति के प्रमुख के रूप में के. वी. कामथ (K.V. Kamath) की नियुक्ति का विरोध किया है क्योंकि उनका नाम केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) की प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) में दर्ज है।
प्रमुख बिंदु:
- AIBEA ने आरोप लगाया कि आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व सीईओ एवं गैर-कार्यकारी अध्यक्ष के. वी. कामथ भी उस पैनल के सदस्य थे जब चंदा कोचर (आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी एवं सीईओ) ने वीडियोकॉन समूह को गलत तरीके से ऋण स्वीकृत किया था।
- इन ऋणों की जाँच वर्तमान में CBI द्वारा की जा रही है।
- AIBEA ने कहा है कि वर्ष 1999 के दौरान के. वी. कामथ ने बैंकों के गैर-निष्पादित ऋण पर भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा गठित एक टास्क फोर्स का नेतृत्त्व किया था। इस टास्क फोर्स ने कुछ भारतीय बैंकों को बंद करने और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) जैसे बैंकों के निजीकरण की सिफारिश की थी।
गौरतलब है कि के. वी. कामथ 'न्यू डेवलपमेंट बैंक' (New Development Bank- NDB) के प्रथम अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्तमान में 'न्यू डेवलपमेंट बैंक' के अध्यक्ष ब्राज़ील के मार्कोस ट्रायजो (Marcos Troyjo) हैं।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ
(All India Bank Employees’ Association- AIBEA):
- यह भारत में बैंक कर्मचारियों का सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा राष्ट्रीय व्यापार संघ केंद्र है।
- इसकी स्थापना 20 अप्रैल, 1946 को कोलकाता में की गई थी।
- वेतन और सेवा शर्तों में सुधार के लिये संघर्ष के अतिरिक्त AIBEA ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लिये भी अभियान चलाया था। परिणामतः जुलाई, 1969 में 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 अगस्त, 2020
राजधानी दिल्ली का स्कूल शिक्षा बोर्ड
हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सूचना दी है कि दिल्ली का अपना स्कूल शिक्षा बोर्ड अगले वर्ष से कार्य करना प्रारंभ कर देगा। हालाँकि अन्य राज्यों के विपरीत दिल्ली के अपने स्कूल शिक्षा बोर्ड को दिल्ली के सरकार विद्यालयों पर अनिवार्य रूप से लागू नहीं किया जाएगा अथवा उन्हें इसे अपनाने के लिये मजबूर नहीं किया जाएगा। दिल्ली के स्कूल शिक्षा बोर्ड की स्थापना से संबंधित योजना का विवरण देते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली का नया स्कूल शिक्षा बोर्ड, केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में प्रस्तावित सुधारों के अनुरूप कार्य करेगा और यह बोर्ड केवल वर्ष के अंत में होने वाली परीक्षाओं के विपरीत विद्यार्थियों के सतत् मूल्यांकन पर ध्यान देगा। इस संबंध में सूचना देते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ‘दिल्ली सरकार ने हाल ही में प्रस्तावित बोर्ड के साथ-साथ पाठ्यक्रम सुधारों पर काम करने के लिये दो समितियों का गठन किया है, और सब कुछ सही रहने पर यह बोर्ड अगले वर्ष तक कार्य करना शुरू कर देगा।’ उपमुख्यमंत्री ने बताया कि ‘प्रारंभ में, लगभग 40 विद्यालयों को इस नए बोर्ड से संबद्ध किया जाएगा, जो कि सरकारी या निजी हो सकते हैं, हालाँकि प्रदेश के किसी भी विद्यालय के लिये इसमें शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा। गौरतलब है कि देश भर में अन्य राज्यों में अकसर यह देखा जाता है कि राज्य के निजी विद्यालय अपने लिये किसी भी प्रकार के बोर्ड का चयन करने के लिये स्वतंत्र होते हैं, जबकि राज्य के सरकारी विद्यालयों को अनिवार्य रूप से राज्य सरकार के बोर्ड का पालन करना पड़ता है। इस प्रकार दिल्ली सरकार एक ऐसे समृद्ध और उपयोगी बोर्ड का गठन करना चाहती है, जिसमें विद्यालय अपनी इच्छा से शामिल हों।
वी.वी. गिरि
10 अगस्त, 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति वी. वी. गिरी (V. V. Giri) की जयंती पर राष्ट्रपति भवन में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वी.वी. गिरि के नाम से प्रसिद्ध भारत के चौथे राष्ट्रपति वराहगिरि वैंकट गिरि का जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के गंजाम ज़िले के बेरहामपुर में हुआ था। वी.वी. गिरि ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बेरहामपुर से ही प्राप्त की और उसके पश्चात् वे कानून का अध्ययन करने के लिये आयरलैंड चले गए, वहाँ वे भारत और आयरलैंड दोनों देशों की राजनीति में काफी सक्रिय थे, जिसके चलते उन्हें 1 जून, 1916 को आयरलैंड छोड़ना पड़ा। वर्ष 1916 में वे भारत लौटे और मद्रास उच्च न्यायालय में शामिल हो गए। साथ ही वे कांग्रेस में शामिल होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय हो गए। वर्ष 1934 में वे इम्पीरियल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य के तौर पर चुने गए और वर्ष 1937 तक इस पद पर रहे। वर्ष 1951 के आम चुनावों में, वह मद्रास में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पहली लोकसभा के लिये चुने गए थे और वर्ष 1952-54 के बीच केंद्रीय श्रम मंत्री के तौर पर कार्य किया। जिसके बाद वर्ष 1957 से वर्ष 1967 के बीच उन्होंने उत्तर प्रदेश (1957-1960), केरल (1960-1965) और कर्नाटक (1965-1967) के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। 13 मई, 1967 को वी.वी. गिरि भारत के तीसरे उपराष्ट्रपति के तौर पर चुने गए और वे लगभग 2 वर्ष तक इस पद पर रहे, ज्ञात हो कि वे ऐसे पहले उपराष्ट्रपति थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया था। वर्ष 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुए और वी.वी. गिरि को भारत के चौथे राष्ट्रपति के तौर पर चुन लिया गया। वी.वी. गिरि वर्ष 1974 तक भारत के राष्ट्रपति रहे, वर्ष 1975 में उन्हें ‘भारत रत्न' से सम्मानित किया गया और 24 जून, 1980 को उनकी मृत्यु हो गई।
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन डेशबोर्ड
हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन डेशबोर्ड का उद्घाटन किया है। ध्यातव्य है कि यह ऑनलाइन डैशबोर्ड देश भर में 'राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन' (National Infrastructure Pipeline- NIP) से संबंधित जानकारी के लिये सभी हितधारकों हेतु एक-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करेगा। इस डेशबोर्ड का संचालन इंडिया इनवेस्टमेंट ग्रिड (India Investment Grid-IIG) द्वारा किया जा रहा है। वर्ष 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगले 5 वर्षों में आधारभूत अवसंरचना पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। इसी का अनुसरण करते हुए 31 दिसंबर, 2019 को 103 करोड़ रुपए की लागत वाली राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन शुरू की गई। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के अंतर्गत 6500 से अधिक परियोजनाएँ शुरू की जाएगी। अनुमान के अनुसार, भारत को अपनी विकास दर को बनाए रखने के लिये वर्ष 2030 तक बुनियादी ढाँचे पर 4.5 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता होगी।
इंदिरा वन मितान योजना
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वनवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘इंदिरा वन मितान योजना’ (Indira Van Mitan Yojan) शुरू करने की घोषणा की है। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस योजना के तहत, वन आधारित आर्थिक गतिविधियों का प्रबंधन करने के लिये आदिवासी बहुल क्षेत्रों के लगभग 10,000 गाँवों में युवाओं के समर्पित समूह का गठन किया जाएगा। युवाओं के ये समूह अनुसूचित क्षेत्रों में वन उपज की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन का काम देखेंगे। इस संबंध में जारी सूचना के अनुसार, प्रत्येक समूह में 10 से 15 सदस्य शामिल होंगे और इस योजना के तहत राज्य सरकार का लक्ष्य अनुसूचित क्षेत्रों के 19 लाख परिवारों को इसके साथ जोड़ना है।