नन्ही परी कार्यक्रम
हाल ही में उत्तर-पश्चिमी दिल्ली ज़िला प्रशासन द्वारा 'नन्ही परी' (Nanhi Pari) कार्यक्रम शुरू किया गया।
कार्यक्रम के बारे में:
- परिचय:
- 'नन्ही परी' कार्यक्रम माता-पिता को दस्तावेज़ प्राप्त करने के लिये विभिन्न कार्यालयों में जाने की आवश्यकता को समाप्त करते हुए एक स्थान पर समाधान प्रदान करने की एक योजना है।
- उद्देश्य:
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य माँ और बच्ची को अस्पताल से छुट्टी देने से पहले जन्म प्रमाण पत्र प्रदान करना, आधार कार्ड पंजीकरण कराना तथा ज़िले के सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाली लड़कियों के मामले में खाता खोलने जैसी आवश्यक सेवाओं को पूरा करना है।
- इसके अन्य उद्देश्यों में बालिकाओं और माताओं के लिये सुकन्या समृद्धि खाता योजना, लाडली योजना और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जैसी योजनाओं के लिये अस्पताल में ही पंजीकरण करवाना भी शामिल है।
- इनमें से अधिकांश योजनाओं का मूल उद्देश्य बालिकाओं के जीवन की रक्षा करना और उनके लिये एक सुरक्षित वातावरण तथा शिक्षा की सुविधा प्रदान करना है।
- योजनाएँ लक्षित लाभार्थियों तक पहुँचें और बालिकाओं के हितों की रक्षा करें यह सुनिश्चित करने के अलावा कार्यक्रम का उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना भी है।
- महत्त्व:
- यह सभी बच्चों और माताओं के लिये योजनाओं की प्रक्रिया को यथासंभव सरल बनाता है।
- इससे माता-पिता को आवश्यक योजनाओं का लाभ उठाने के लिये परेशान नहीं होना पड़ेगा।
संस्थागत प्रसव:
- इसका अर्थ है प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्यकर्मियों की समग्र देख-रेख में एक चिकित्सा संस्थान में बच्चे को जन्म देना।
- यह स्थिति को संभालने एवं माँ और बच्चे के जीवन को बचाने के लिये सुविधाओं की उपलब्धता का भी प्रतीक है।
अन्य संबंधित पहलें:
- जननी सुरक्षा योजना (JSY)
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK)
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA)
- लक्ष्य (प्रसूति कक्ष गुणवत्ता सुधार पहल)
- पोषण अभियान
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 जून, 2022
गौरव अभियान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 जून, 2022 को गुजरात में नवसारी के जनजातीय क्षेत्र खुदवेल में गुजरात गौरव अभियान के तहत 3,050 करोड़ रुपए लागत की कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास और भूमिपूजन किया। इनमें 7 परियोजनाओं का लोकार्पण, 12 परियोजनाओं की आधारशिला और 14 परियोजनाओं का भूमि पूजन शामिल है। इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से दक्षिणी गुजरात के सूरत, नवसारी, वलसाड़ और तापी ज़िलों के लोगों का जीवन सुगम बनेगा। इन परियोजनाओं से क्षेत्र की जलापूर्ति में सुधार होगा, सड़क संपर्क बढ़ेगा। जनजातीय समुदायों के बच्चों को हरसंभव अवसर प्राप्त होगा, साथ ही मातृभाषा में शिक्षा, यहांँ तक कि मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिये भी अन्य पिछड़ा वर्ग एवं जनजातीय विद्यार्थियों के लिये अवसर खुलेंगे। पहली बार गुजरात के इस जनजातीय क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर कई विकास परियोजनाएंँ एक साथ शुरू की जा रही हैं।
संपदा सृजन
‘आाजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग- दीपम ने देश के 75 शहरों में विशेष कार्यक्रम संपदा सृजन विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री ने भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलूरू में इस सम्मेलन का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। इस दौरान सभी शहर वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे। वित्त मंत्री के अनुसार, 1994 के बाद नीतिगत निवेश की योजना शुरू की गई और अब ये कंपनियांँ बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं तथा FPO के साथ समान प्रतिस्पर्द्धा कर रही हैं। भारत में नीतिगत विनिवेश के माध्यम से निवेश के लिये अधिक अवसर उपलब्ध कराए गए हैं और बड़ी संख्या में लोग इसमें हिस्सा ले रहे हैं। दीपम से प्रधानमंत्री की परिकल्पना साकार हो रही है और देश को विकास के रास्ते पर ले जाने में मदद मिल रही है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe)
प्रधानमंत्री ने 10 जून को अहमदाबाद के बोपल में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) के मुख्यालय का उद्घाटन किया। इसे जून 2020 में केंद्रीय कैबिनेट से मंज़ूरी प्राप्त हुई थी। IN-SPACe एक नोडल एजेंसी होगी, जो अंतरिक्ष गतिविधियों और गैर-सरकारी निजी संस्थाओं को अंतरिक्ष से जुड़ी सुविधाओं के उपयोग की अनुमति देगी। इस निकाय के गठन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपनी आवश्यक गतिविधियों जैसे- अनुसंधान एवं विकास, ग्रहों के अन्वेषण और अंतरिक्ष के रणनीतिक उपयोग आदि पर ध्यान केंद्रित कर सके तथा अन्य सहायक कार्यों को निजी क्षेत्र को हस्तांतरित कर दिया जाए। इसके अतिरिक्त यह निकाय छात्रों और शोधकर्त्ताओं आदि को भारत की अंतरिक्ष परिसंपत्तियों तक अधिक पहुँच प्रदान करेगा, जिससे भारत के अंतरिक्ष संसाधनों एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। ये सुधार ISRO को अनुसंधान व विकास गतिविधियों, नई प्रौद्योगिकियों, खोज मिशनों तथा मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रमों पर अधिक ध्यान देने में सक्षम बनाएंगे।