प्रारंभिक परीक्षा
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम
हाल ही में विज्ञान ज्योति कार्यक्रम का दूसरा चरण शुरू किया गया है जो 100 ज़िलों को कवर करेगा। विज्ञान ज्योति कार्यक्रम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था।
इसके अलावा डीएसटी (DST) विभिन्न महिला केंद्रित कार्यक्रमों के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) में लैंगिक समानता लाने के लिये सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
विज्ञान ज्योति कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ:
- इसका उद्देश्य देश में विज्ञान-प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के कम-प्रतिनिधित्व को संबोधित करना है।
- पहले कदम के रूप में ‘विज्ञान ज्योति’ को वर्ष 2019-20 में स्कूल स्तर पर शुरू किया गया था, जिसमें कक्षा 9-12 की मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा में STEM पाट्यक्रमों को और इसमें करियर बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
- विज्ञान ज्योति द्वारा स्कूल स्तर यानी कक्षा IX से ही मेधावी लड़कियों को प्रोत्साहित करने की परिकल्पना की गई है जो पीएचडी स्तर तक जारी रहेगा ताकि लड़कियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) जैसे उनके कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों में कॅरियर बनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा सके।
- नवोदय विद्यालय समिति (NVS), शिक्षा मंत्रालय का एक स्वायत्त संगठन है जो विज्ञान ज्योति का कार्यान्वयन भागीदार है। NVS का भारत के 600 से अधिक ज़िलों में जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNV) का नेटवर्क है।
अन्य संबंधित सरकारी पहलें:
- महिला वैज्ञानिक योजना: कॅरियर में ब्रेक वाली महिलाओं की मदद करना।
- STEM कार्यक्रम में महिलाओं के लिये इंडो-यूएस फेलोशिप: इसके तहत महिला वैज्ञानिक अमेरिका में अनुसंधान प्रयोगशालाओं में काम कर सकती हैं।
- महिला विश्वविद्यालयों में नवाचार और उत्कृष्टता के लिये विश्वविद्यालय अनुसंधान का समेकन (क्यूरी) कार्यक्रम: अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना में सुधार और महिला विश्वविद्यालयों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता हेतु अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना करना।
- जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI) कार्यक्रम: जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस (GATI) STEM में लिंग समानता का आकलन करने के लिये एक समग्र चार्टर और रूपरेखा तैयार करेगा।
- नई शिक्षा नीति एवं विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग कम समय में तीव्र प्रगति के लिये कर सकती है ताकि STEM क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ाने में मदद मिल सके।
- इसके अलावा DST ने AI नवाचारों को बढ़ावा देने और भविष्य में एआई-आधारित नौकरियों के लिये कुशल जनशक्ति तैयार करने के लक्ष्य के साथ महिला विश्वविद्यालयों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रयोगशालाएँ भी स्थापित की हैं।
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 फरवरी, 2022
विज्ञान में महिलाओं व बालिकाओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस
प्रतिवर्ष 11 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘विज्ञान में महिलाओं व बालिकाओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day of Women and Girls in Science) मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं एवं बालिकाओं की समान पहुँच एवं भागीदारी सुनिश्चित करना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसंबर, 2015 को एक संकल्प पारित कर विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की पहुँच से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दिवस का शुभारंभ किया गया था। यह दिवस विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की भूमिका का मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करता है। इसका क्रियान्वयन यूनेस्को और ‘यूएन वुमेन’ के सहयोग से कई अन्य अंतर-सरकारी संगठनों एवं संस्थाओं द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह लैंगिक अंतराल को कम करने तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी कार्य करेगा। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व के महान वैज्ञानिक एवं गणितज्ञों की सूची में महिलाओं का नाम प्रमुखता से लिया जाता है, परंतु उन्हें विज्ञान से जुड़े उच्च अध्ययन क्षेत्रों में शीर्ष वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल करने वाले अपने पुरुष समकक्षों के सापेक्ष कम प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है। आँकड़ों की मानें तो भारत के संदर्भ में शोध के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की भागीदारी गिरकर 13.9% पर पहुँच गई है।
विश्व यूनानी दिवस
महान यूनानी शोधकर्त्ता हकीम अज़मल खान के जन्म दिवस को प्रत्येक वर्ष 11 फरवरी को यूनानी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हकीम अज़मल खान एक प्रतिष्ठित भारतीय यूनानी चिकित्सक थे जो एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और यूनानी चिकित्सा में वैज्ञानिक अनुसंधान के संस्थापक भी थे। हकीम अज़मल खान ने वर्ष 1921 में कॉन्ग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी। सर्वप्रथम वर्ष 2017 में केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (CRIUM), हैदराबाद में विश्व यूनानी दिवस का आयोजन किया गया था। यूनानी चिकित्सा पद्धति का उद्भव व विकास यूनान में हुआ। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति अरब के लोगों के माध्यम से पहुँची और यहाँ के प्राकृतिक वातावरण एवं अनुकूल परिस्थितियों की वजह से इस पद्धति का बहुत विकास हुआ। भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति के महान चिकित्सक और समर्थक हकीम अज़मल खान (1868-1927) ने इस पद्धति के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस पद्धति के मूल सिद्धांतों के अनुसार, रोग शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। शरीर में रोग उत्पन्न होने पर रोग के लक्षण शरीर की प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
‘PSLV-C52’ लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) वर्ष 2022 का अपना पहला प्रक्षेपण मिशन-PSLV-C52’ लॉन्च करेगा, जिसके माध्यम से एक ‘पृथ्वी अवलोकन उपग्रह’ (EOS-04) को अंतरिक्ष में स्थापित किया जाएगा। इस संबंध में इसरो द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, ‘PSLV-C52’ मिशन के माध्यम से 1710 किलोग्राम वज़न वाले ‘EOS-04’ उपग्रह को 529 किलोमीटर की सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा ‘PSLV-C52’ मिशन में दो छोटे उपग्रहों को भी शामिल किया जाएगा। EOS-04 एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसे कृषि, वानिकी एवं वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों के लिये सभी प्रकार की मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है।
भारत में ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध
भारत सरकार ने हाल ही में ड्रोन के आयात पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है, सरकार के इस कदम का प्राथमिक उद्देश्य चीन की कंपनी ‘एसजेड डीजेआई टेक्नोलॉजी’ को भारत में प्रवेश करने से रोकना है, जो कि दुनिया के शीर्ष ड्रोन निर्माताओं में से है। साथ ही यह कदम भारत के स्थानीय ड्रोन उद्योग को उत्पादन बढ़ाने के लिये भी प्रोत्साहित करेगा। हालाँकि सरकार के इस नए नियम के तहत ड्रोन के कुछ घटकों की बिना किसी मंज़ूरी के आयात की अनुमति दी जाएगी। साथ ही अनुसंधान एवं विकास और रक्षा व सुरक्षा उद्देश्यों के लिये प्रयोग होने वाले ड्रोन को इस प्रतिबंध से छूट दी जाएगी। भारत दुनिया भर के उन कई देशों में से एक है, जो उत्पादों एवं घटकों के लिये चीन के विकल्प की तलाश कर रहे हैं, क्योंकि कोरोना महामारी और वैश्विक व्यापार तनाव ने आपूर्ति शृंखला में विविधता लाने तथा जोखिम को सीमित करने की आवश्यकता को बढ़ावा दिया है।