प्रिलिम्स फैक्ट्स (10 Aug, 2023)



CBI एकेडमी इंटरपोल ग्लोबल एकेडमी नेटवर्क में शामिल

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) एकेडमी, अपराध जाँच और कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण हेतु इंटरपोल ग्लोबल एकेडमी नेटवर्क में 10वें सदस्य के रूप में शामिल हुई।

  • यह महत्त्वपूर्ण कदम एकेडमी के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाता है, साथ ही प्रभावशाली संयुक्त पहल एवं क्षमता निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

इंटरपोल ग्लोबल एकेडमी नेटवर्क:

  • यह एक परियोजना है जिसे इंटरपोल द्वारा कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण में वैश्विक रणनीति का नेतृत्व करने में सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 2019 में प्रारंभ किया गया।
  • इसका कार्य सहकारी प्रशिक्षण परियोजनाओं तथा अनुसंधान कार्यक्रमों के निर्माण और निष्पादन के साथ सर्वोत्तम प्रथाओं एवं संसाधनों का आदान-प्रदान करना है। ज्ञान एवं कौशल के आदान-प्रदान के साथ नेटवर्क कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण स्कूलों के मध्य एकेडमिक सहयोग को भी बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
  • नेटवर्क गुणवत्ता मानकों, मान्यता प्राप्त  तंत्र और प्रणालियों की स्थापना करके कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण में अकादमिक उत्कृष्टता तथा नवाचार को बढ़ावा देना चाहता है।

CBI एकेडमी:

  • CBI एकेडमी, CBI के लिये एक प्रशिक्षण संस्थान है, जो भारत की प्रमुख जाँच एजेंसी है।
  • CBI एकेडमी की स्थापना वर्ष 1996 में हुई थी और यह गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में स्थित है।
  • इसका उद्देश्य राष्ट्र की सेवा के लिये व्यावसायिकता, निष्पक्षता, ईमानदारी और समर्पण का उच्च स्तर प्राप्त करना है।
  • यह साइबर अपराध, वित्तीय अपराध, आतंकवाद-निरोध, पर्यावरणीय अपराध, भ्रष्टाचार-विरोधी, मानवाधिकार, फोरेंसिक विज्ञान आदि विषयों पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
  • यह संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों और अनुसंधान परियोजना के लिये विदेशी एजेंसियों एवं यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (US Department of Homeland Security), फ्राँसीसी दूतावास तथा इंटरपोल जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता है।
  • इसने अपने प्रशिक्षण बुनियादी ढाँचे और आउटरीच का विस्तार करने के लिये कोलकाता, चेन्नई तथा मुंबई में तीन क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र (Regional Training Centre- RTC) भी स्थापित किये हैं।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो:

  • CBI की स्थापना वर्ष 1963 में गृह मंत्रालय के एक प्रस्ताव द्वारा की गई थी तथा बाद में इसे कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions) में स्थानांतरित कर दिया गया, जो वर्तमान में एक संलग्न कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा है।
  • इसकी स्थापना की सिफारिश भ्रष्टाचार निवारण पर संथानम समिति (Santhanam Committee) ने की थी।
  • CBI दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (Delhi Special Police Establishment- DSPE) अधिनियम, 1946 के तहत कार्य करता है। यह न तो एक संवैधानिक और न ही वैधानिक निकाय है।
  • यह रिश्वतखोरी, सरकारी भ्रष्टाचार, केंद्रीय कानूनों के उल्लंघन, बहु-राज्य संगठित अपराध और मल्टी-एजेंसी या अंतर्राष्ट्रीय मामलों से संबंधित मामलों की जाँच करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


अंतरिक्ष यात्रा के लिये परमाणु रॉकेट

प्रिलिम्स के लिये: 

नासा, एजाइल सिस्लुनर ऑपरेशंस के लिये प्रदर्शन रॉकेट, प्रोजेक्ट ओरियन, परमाणु बम, पेर्सेवेरंस रोवर - नासा, भारत का मार्स ऑर्बिटर मिशन, यूएई का होप मार्स मिशन

मेन्स के लिये:

DRACO, परमाणु प्रणोदन प्रणाली का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राज्य अमेरिका रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी (DARPA) के सहयोग से नासा एक परमाणु प्रणोदन प्रणाली की खोज कर रहा है जो संभावित रूप से मंगल ग्रह की यात्रा के समय को आधा कर सकती है।

  • इस महत्त्वाकांक्षी पहल को डिमॉन्स्ट्रेशन रॉकेट फॉर एजाइल सिस्लुनर ऑपरेशंस (DRACO) के रूप में जाना जाता है तथा इसको वर्ष 2025 के अंत या वर्ष 2026 की शुरुआत में लॉन्च करना निर्धारित है। 

 डिमॉन्स्ट्रेशन रॉकेट फॉर एजाइल सिस्लुनर ऑपरेशंस (DRACO): 

  • परिचय: DRACO परियोजना खगोलीय पिंडों के बीच कम यात्रा समय और बेहतर ईंधन दक्षता की संभावना प्रदान करती है। DRACO की दृष्टि का केंद्र एक परमाणु रिएक्टर है जो यूरेनियम परमाणुओं के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग करता है।
  • महत्त्व: DRACO कई तरीकों से अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति लाने की क्षमता रखता है:
    • त्वरण तथा गति: पारंपरिक रॉकेट इंजनों के विपरीत, जो रासायनिक प्रतिक्रियाओं (ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन अथवा मीथेन जैसे ईंधन) पर निर्भर होते हैं, परमाणु प्रतिक्रियाएँ कहीं अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं, जिससे अंतरिक्ष यान अपनी पूरी यात्रा में लगातार तेज़ी लाने में सक्षम होता है।
      • यह त्वरण मंगल जैसे दूर के गंतव्यों तक यात्रा के समय को काफी कम कर सकता है।
    • बढ़ी हुई ईंधन दक्षता: परमाणु प्रणोदन प्रणाली अधिक ईंधन दक्षता उत्पन्न करती है, जिससे अत्यधिक प्रणोदक ले जाने की आवश्यकता कम हो जाती है।
      • यह लाभ अंतरग्रहीय यात्राओं की अवधि को काफी कम कर सकता है।
    • न्यूनतम जोखिम: त्वरित यात्रा समय अंतरिक्ष यात्रियों के लिये गहरे अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में जोखिम को कम करता है।
      • विस्तारित अंतरिक्ष यात्रा से जुड़े संभावित जोखिम, जैसे विकिरण जोखिम और अलगाव को त्वरित यात्राओं के माध्यम से कम किया जा सकता है।
    • सैन्य अनुप्रयोग: अंतरिक्ष अन्वेषण में इसके अनुप्रयोग से परे DARPA की भागीदारी पृथ्वी की कक्षा में सैन्य उपग्रहों के तेज़ी से संचालन की सुविधा के लिये परमाणु प्रणोदन की क्षमता का संकेत देती है।
  • चिंता: 
    • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: अंतरिक्ष में परमाणु ईंधन के उपयोग के साथ प्राथमिक चिंताओं में से एक दुर्घटनाओं या खराबी की संभावना है जो रेडियोधर्मी सामग्री को अंतरिक्ष में या पृथ्वी पर वापस छोड़ सकती है।
      • ऐसी घटनाओं के गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं।
    • लॉन्च करने में जोखिम: परमाणु ईंधन के साथ अंतरिक्ष यान लॉन्च करना जोखिम पैदा करता है, क्योंकि लॉन्च विफलता या विस्फोट की संभावना हमेशा बनी रहती है, जिससे रेडियोधर्मी सामग्री एक विस्तृत क्षेत्र में फैल जाती है।

परमाणु प्रणोदन का ऐतिहासिक संदर्भ और DRACO से इसकी भिन्नता:

  • ओरियन, रोवर और NERVA जैसी परियोजनाओं ने परमाणु-संचालित प्रणोदन प्रणालियों की खोज की, हालाँकि इन पहलों को पूरी तरह से साकार नहीं किया जा सका।
    • यह ध्यान देने योग्य है कि प्रोजेक्ट ओरियन ने त्वरण के लिये परमाणु बम विस्फोटों के उपयोग पर विचार किया था, जबकि प्रोजेक्ट NERVA का लक्ष्य DRACO इंजन जैसा परमाणु-थर्मल इंजन विकसित करना था। 
  • DRACO कई प्रमुख भिन्नताओं के कारण अपने पूर्ववर्तियों से अधिक विकसित है:
    • ईंधन संवर्द्धन: प्रोजेक्ट NERVA के विपरीत, जिसमें वेपन-ग्रेड के यूरेनियम का उपयोग किया जाता है, DRACO यूरेनियम के कम-संवर्द्धित रूप का उपयोग करता है।
    • यह बदलाव रेडियोधर्मी सामग्रियों के उपयोग से जुड़े जोखिमों को कम करता है।
    • अंतरिक्ष में सक्रियण: अंतरिक्ष में पहुँचने तक DRACO इंजन के भीतर का परमाणु रिएक्टर निष्क्रिय रहता है।
    • यह सुरक्षात्मक उपाय प्रक्षेपण के दौरान पृथ्वी पर रेडियोधर्मी दुर्घटनाओं की संभावना को कम करने में मदद करता है।

नोट:

  • परमाणु बम विस्फोट: यह परमाणु विखंडन की शृंखलाबद्ध अभिक्रिया के माध्यम से परमाणु ऊर्जा का तीव्र और अनियंत्रित उत्सर्जन है।
  • परमाणु बम के केंद्र में यूरेनियम-235 अथवा प्लूटोनियम-239 जैसे विखंडनीय पदार्थ होते हैं।
  • परमाणु-थर्मल इंजन: परमाणु-थर्मल इंजन एक प्रणोदन प्रणाली है जो एक प्रणोदक, आमतौर पर हाइड्रोजन को उच्च तापमान तक गर्म करने के लिये परमाणु रिएक्टर का उपयोग करता है।
  • गर्म प्रणोदक को फिर उच्च वेग पर एक नोज़ल/छिद्र के माध्यम से निष्कासित किया जाता है, जिससे न्यूटन द्वारा प्रतिपादित गति के तीसरे नियम के अनुसार प्रणोद (Thrust) उत्पन्न होता है।

मगल ग्रह:

  • परिचय: मंगल हमारे सौरमंडल में सूर्य की ओर से चौथा ग्रह है। इसकी सतह पर आयरन ऑक्साइड (जंग) के कारण लाल रंग के दिखने की वजह से इसे अक्सर "रेड प्लेनेट" कहा जाता है।
  • वायुमंडल: मंगल ग्रह का वातावरण मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (95.3%) से बना है, जिसमें नाइट्रोजन और आर्गन के अंश भी हैं।
  • सतह की प्रमुख विशेषताएँ:
    • ओलंपस मॉन्स: सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्ञात ज्वालामुखी।
    • वैलेस मैरिनेरिस: एक विशाल घाटी प्रणाली।
    • ध्रुवीय बर्फ आवरण: ध्रुवों पर पानी और जमी हुई कार्बन डाइऑक्साइड (सूखी बर्फ) से बना बर्फ का आवरण।
    • धूल भरी सतह: सतह महीन धूल और चट्टानों से ढकी हुई है।
    • तरल जल: तरल जल दुर्लभ है, लेकिन साक्ष्य पिछले तरल प्रवाह का सुझाव देते हैं।

प्रमुख मंगल मिशन:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये

 ISRO द्वारा प्रमोचित मंगलयान:

1- को मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
2- ने भारत को USA के बाद मंगल के चारों ओर अंतरिक्ष यान को चक्रमण कराने वाला दूसरा देश बना दिया है।
3- ने भारत को एकमात्र ऐसा देश बना दिया है, जिसने अपने अंतरिक्ष यान को मंगल के चारों ओर चक्रमण कराने में पहली बार में ही सफलता प्राप्त कर ली।

उपुर्यक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विश्व शेर दिवस

शेरों और उनके आवासों के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को विश्व शेर दिवस (World Lion Day) मनाया जाता है। इसे पहली बार वर्ष 2013 में बिग कैट रेस्क्यू (Big Cat Rescue) द्वारा आयोजित किया गया था। उल्लेखनीय है कि बिग कैट रेस्क्यू शेरों को समर्पित विश्व की सबसे बड़ी मान्यता प्राप्त सैंक्चुअरी है।

  • हाल के अध्ययनों से पता चला है कि शेर कभी अरब प्रायद्वीप में मौजूद थे तथा अरब संस्कृति को व्यापक रूप से प्रभावित करते थे।
  • ध्यातव्य है कि अरबी कहावतों और साहित्य में शेर का संदर्भ प्रदान करने वाली लगभग 700 विशिष्ट नामों या अभिव्यक्तियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।

हालिया शोध के निष्कर्ष:

  • शेर, प्राय: पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के विशाल सवाना और भारत के काठियावाड़ में गिर वन से संबद्ध रहे हैं लेकिन एक समय ऐसा भी था जब वे अरब प्रायद्वीप के रेगिस्तान का अभिन्न अंग थे।
    • यद्यपि अब इन स्थानों पर शेर विलुप्त हो चुके हैं फिर इनकी उपस्थिति के प्रमाण ऐतिहासिक वृत्तांतों, पुरातात्त्विक खोजों और भाषाई अध्ययनों में पाए जाते हैं।
  • अनुसंधान से पता चलता है कि अरब प्रायद्वीप, उत्तरी अफ्रीका, यूरेशिया और भारत के कुछ हिस्सों में फैले एक विशाल और विविध क्षेत्र पर  शेरों की उपस्थिति थी।
    • शेर का निवास स्थान दक्षिण में 15°उत्तर (यमन) से 18°उत्तर (माली, चाड) तक और उत्तर में 45-48°उत्तर (बुल्गारिया, यूक्रेन, हंगरी) तक विस्तारित था।
    • उल्लेखनीय है कि शेर विभिन्न वातावरणों में विकसित होते हैं, जिनमें रेगिस्तान, मैदानी इलाके और समुद्री तट शामिल हैं।
  • सिनाई, सहारा और यमन सहित अरब प्रायद्वीप के शुष्क रेगिस्तानों में रहते हुए, शेरों ने उल्लेखनीय अनुकूलन क्षमता का प्रदर्शन किया।
    • यह उपस्थिति सऊदी अरब और ओमान में पाए गए नवपाषाणकालीन शैल उत्कीर्णन द्वारा समर्थित है।
    • 20वीं सदी की शुरुआत तक, शेरों के अस्तित्त्व को लेकर संशय होने लगे थे। वर्ष 1920 में किये गये अवलोकनों से अफगानिस्तान, बलूचिस्तान अथवा दक्षिणी अरब में शेरों के विषय में कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया।

शेरों से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य


  • वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा लियो (Panthera leo)
    • शेर को दो उप-प्रजातियों में विभाजित किया गया है: अफ्रीकी शेर (Panthera leo leo) और एशियाई शेर (Panthera leo persica)
  • विशेषताएँ
    • शेर अपने विशेष रूप-रंग के लिये जाने जाते हैं, जिसमें गहरे पीले रंग का आवरण, गुच्छेदार पूंछ और विशेष रूप से नर शेरों में पाया जाने वाला अयाल (Mane) (गर्दन पर पाए जाने वाले बाल) शामिल हैं।
    • वे सामाजिक प्राणी हैं और समूहों में रहते हैं जिन्हें प्राइड्स कहा जाता है। एक प्राइड में आमतौर पर कई मादाएँ, उनकी संतानें तथा कुछ वयस्क नर शामिल होते हैं।
  • आवास का वितरण:
    • शेर उप-सहारा अफ्रीका में पाए जाते हैं और भारतीय राज्य गुजरात के गिर वन राष्ट्रीय उद्यान में भी इनकी एक छोटी आबादी मौजूद है।
  • संरक्षण स्थिति:
  • भारत में संरक्षण हेतु प्रयास: 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

1. एशियाई शेर प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।
2. दो-कूबड़ वाला ऊँट प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।
3. एक-सींग वाला गैंडा प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1         
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 अगस्त, 2023

अमेज़न सहयोग संधि संगठन द्वारा अमेज़न शिखर सम्मेलन का आयोजन

  • अमेज़न सहयोग संधि संगठन (Amazon Cooperation Treaty Organization- ACTO) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य "अमेज़न बेसिन के धारणीय विकास को बढ़ावा देना" है।
  • अमेज़न शिखर सम्मेलन में कोलंबिया ने प्रस्ताव पेश किया कि वर्ष 2025 तक अमेज़न के 80% हिस्से को वनों की कटाई और क्षरण से बचाए जाने की आवश्यकता है, लेकिन उसे सभी सदस्यों का समर्थन नहीं मिला।
    • वैज्ञानिक काफी समय से चेतावनी देते आए हैं कि यदि वनों की संयुक्त कटाई और अमेज़न का निम्नीकरण 20-25% की सीमा को पार कर जाता है, तो यह इसे एक अपरिवर्तनीय बिंदु तक पहुँचा सकता है जिसका पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • अमेज़न शिखर सम्मेलन के दौरान जारी किया गया बेलेम घोषणापत्र जैव विविधता संरक्षण के लिये स्थानीय क्षेत्र के ज्ञान होने के महत्त्व को मान्यता देता है। साथ ही यह निर्णय लेने और सार्वजनिक नीति निर्माण प्रक्रियाओं में स्वदेशी लोगों की पूर्ण और प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान करता है।

जीवन प्रमाण

  • पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) ने डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र (DLC), जिसे जीवन प्रमाण के नाम से जाना जाता है, के व्यापक प्रचार के माध्यम से केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिये जीवनयापन को आसान बनाने हेतु सक्रिय कदम उठाए हैं। 
    • निरंतर पेंशन वितरण सुनिश्चित करने के लिये पेंशनभोगियों को हर नवंबर (अक्तूबर में 80 वर्ष और उससे अधिक आयु वालों के लिये प्रावधान के साथ) DLC जमा करना होगा।
  • प्रारंभ में DLC जमा करने में बायोमेट्रिक तरीके शामिल थे। इसके बाद MeitY के सहयोग से विभाग ने आधार डेटाबेस से जुड़ी एक अग्रणी फेस ऑथेंटिकेशन प्रौद्योगिकी प्रणाली शुरू की।
    • यह नवाचार पेंशनभोगियों को किसी भी एंड्रॉइड-आधारित स्मार्टफोन के माध्यम से अपना जीवन प्रमाण पत्र बनाने में सक्षम बनाता है। इससे बाहरी बायोमेट्रिक उपकरणों पर निर्भरता कम होगी, जिससे प्रक्रिया विशेष रूप से व्यापक आबादी के लिये अधिक सुलभ और किफायती होगी।
  • अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिये विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं, इन दिशा-निर्देशों में शामिल हैं:
    • अभियान हेतु नामित किये गए नोडल अधिकारी।
    • बैनर, पोस्टर और ATM के माध्यम से जागरूकता।
    • डोरस्टेप बैंकिंग और शाखा के दौरे के दौरान प्रौद्योगिकी का उपयोग।
    • आसानी से जमा करने के लिये शिविर और शय्याग्रस्त (वृद्ध या बीमार व्यक्ति)  व्यक्तियों हेतु घर पर सुविधा।

GeM: भारत के सार्वजनिक खरीद परिदृश्य को बदलना

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने अपने 7वें स्थापना दिवस को भारत के खरीद परिदृश्य में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में मनाया।

  • GeM विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों द्वारा वस्तुओं व सेवाओं की खरीद की सुविधा के लिये वर्ष 2016 में भारत सरकार के वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रारंभ किया गया एक ऑनलाइन मंच है।
    • GeM ने वर्ष 2016 से ₹45,000 करोड़ से अधिक की बचत की है।
  • यह सभी सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, स्वायत्त निकायों और अन्य संगठनों के लिये भी खुला है।
    • GeM ने दक्षिण कोरिया के KONEPS और सिंगापुर के GeBIZ जैसे प्रसिद्ध सार्वजनिक खरीद प्लेटफाॅर्मों की उपलब्धियों को पीछे छोड़ दिया है।

और पढ़ें…गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM)

कंजंक्टिवाइटिस

भारत में मानसून के मौसम के दौरान कंजंक्टिवाइटिस के मामले बढ़ रहे हैं, क्योंकि उच्च आर्द्रता और वर्षा संक्रमण के संचरण के लिये अनुकूल वातावरण बनाती है।

  • इसे "गुलाबी आँख (Pink Eye)" के रूप में भी जाना जाता है, कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) एक आँख की बीमारी है जो कंजक्टिवा (पतली झिल्ली जो आँख के सफेद भाग को कवर करती है और आंतरिक पलकों को ढक देती है) की परत की जलन या सूजन है
    • इससे प्रभावित आँख में लालिमा, खुजली, स्राव और दर्द होता है।
  • यह वायरस, बैक्टीरिया, एलर्जी या अन्य कारकों के कारण हो सकता है।
    • वायरल और बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस दूषित हाथों या सतहों के सीधे संपर्क से फैल सकता है।
    • एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस संक्रामक नहीं है और एलर्जी के संपर्क में आने से होता है।
  • कंजंक्टिवाइटिस को रोकने के लिये व्यक्ति को बार-बार हाथ धोना चाहिये, आँखों को छूने या रगड़ने से बचना चाहिये, व्यक्तिगत वस्तुओं को दूसरों के साथ साझा नहीं करना चाहिये, धूप का चश्मा या सुरक्षात्मक आईवियर पहनना चाहिये तथा उन लोगों से दूर रहना चाहिये जिन्हें कंजंक्टिवाइटिस है।