रबींद्रनाथ टैगोर
प्रधानमंत्री ने 9 मई, 2022 को गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- बंगाली कैलेंडर के अनुसार, टैगोर जयंती बोइशाख (Boishakh) महीने के 25वें दिन मनाई जाती है।
प्रमुख बिंदु
- जन्म:
- उनका जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता में हुआ था।
- परिचय:
- इन्हें 'गुरुदेव' (Gurudev), 'कबीगुरू' (Kabiguru) और 'बिस्वाकाबी’ (Biswakabi) के नाम से भी जाना जाता है।
- डब्लू.बी. येट्स (W.B Yeats) द्वारा रबींद्रनाथ टैगोर को आधुनिक भारत का एक उत्कृष्ट एवं रचनात्मक कलाकार कहा गया। ये एक बंगाली कवि, उपन्यासकार और चित्रकार थे, जिन्होंने पश्चिम में भारतीय संस्कृति को अत्यधिक प्रभावशाली ढंग से पेश किया।
- वह एक असाधारण और प्रसिद्ध साहित्यकार थे जिन्होंने साहित्य एवं संगीत को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।
- वे महात्मा गांधी के अच्छे मित्र थे और माना जाता है कि उन्होंने ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
- उन्होंने सदैव इस बात पर ज़ोर दिया कि विविधता में एकता भारत के राष्ट्रीय एकीकरण का एकमात्र संभव तरीका है।
- वर्ष 1929 तथा वर्ष 1937 में उन्होंने विश्व धर्म संसद (World Parliament for Religions) में भाषण दिया।
- योगदान:
- माना जाता है कि उन्होंने 2000 से अधिक गीतों की रचना की है और उनके गीतों एवं संगीत को 'रबींद्र संगीत’ (Rabindra Sangeet) कहा जाता है।
- उन्हें बंगाली गद्य और कविता के आधुनिकीकरण हेतु उत्तरदायी माना जाता है।
- उनकी उल्लेखनीय कृतियों में गीतांजलि, घारे-बैर, गोरा, मानसी, बालका, सोनार तोरी आदि शामिल हैं, साथ ही उन्हें उनके गीत 'एकला चलो रे’ (Ekla Chalo Re) के लिये भी याद किया जाता है।
- उन्होंने अपनी पहली कविताएंँ ‘भानुसिम्हा’ (Bhanusimha) उपनाम से 16 वर्ष की आयु में प्रकाशित की थीं।
- उन्होंने न केवल भारत और बांग्लादेश हेतु राष्ट्रगान की रचना की बल्कि श्रीलंका के राष्ट्रगान को कलमबद्ध करने तथा उसकी रचना करने हेतु एक श्रीलंकाई छात्र को प्रेरित किया।
- अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के अलावा वे एक दार्शनिक और शिक्षाविद भी थे, जिन्होंने वर्ष 1921 में विश्व-भारती विश्वविद्यालय (Vishwa-Bharati University) की स्थापना की जिसने पारंपरिक शिक्षा को चुनौती दी।
पुरस्कार:
- रबींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्यरचना गीतांजलि के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
- यह पुरस्कार जीतने वाले वह पहले गैर-यूरोपीय थे।
- वर्ष 1915 में उन्हें ब्रिटिश किंग जॉर्ज पंचम (British King George V) द्वारा नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) के बाद उन्होंने नाइटहुड की उपाधि का त्याग कर दिया।
मृत्य:
- 7 अगस्त, 1941 को कलकत्ता में उनका निधन हो गया।
- उनके द्वारा कहे गए उद्धरण:
- "केवल खड़े होकर और समुद्र को निहारने से आप समुद्र को पार नहीं कर सकते।"
- " एक बच्चे को अपनी शिक्षा तक सीमित न रखें, क्योंकि वह किसी अन्य समय में पैदा हुआ था।"
- “मैं एक आशावादी का अपना संस्करण बन गया हूँ। अगर मैं इसे एक दरवाज़े से नहीं बना सकता, तो मैं दूसरे दरवाज़े से जाऊंगा– या मैं एक दरवाज़ा बना दूँगा। वर्तमान कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, कुछ बहुत अच्छा आएगा।’’
- "तथ्य अनेक हैं, पर सत्य एक है।"
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. आंध्र प्रदेश के मदनपल्ले के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (A) यहांँ पिंगली वेंकैया ने तिरंगे (भारतीय राष्ट्रीय ध्वज) को डिज़ाइन किया था। उत्तर: (C)
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स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 09 मई, 2022
विश्व रेड क्रॉस दिवस
प्रत्येक वर्ष 08 मई को विश्व भर में ‘विश्व रेड क्रॉस दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस, अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट आंदोलन के सिद्धांतों को रेखांकित करता है। यह दिवस आम जनमानस को मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के कार्यों में संलग्न विश्व की महत्त्वपूर्ण एजेंसी (रेड क्रॉस) और समाज में उसके योगदान को जानने का अवसर प्रदान करता है। इस वर्ष विश्व रेड क्रॉस दिवस की थीम ‘बी ह्यूमन काइंड’ है। ‘रेड क्रॉस’ एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो बिना किसी भेदभाव के युद्ध, महामारी एवं प्राकृतिक आपदा की स्थिति में लोगों की रक्षा करती है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य विपरीत परिस्थितियों में लोगों के जीवन की रक्षा करना है। विश्व रेड क्रॉस दिवस, रेड क्रॉस के जनक ‘जीन हेनरी ड्यूनैंट’ के जन्मदिवस को चिह्नित करता है, जिनका जन्म 8 मई, 1828 को जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में हुआ था। ‘जीन हेनरी ड्यूनैंट’ को वर्ष 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था। ‘इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस’ (ICRC) की स्थापना जीन हेनरी ड्यूनैंट द्वारा वर्ष 1863 में की गई थी। भारत में ‘इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी’ का गठन वर्ष 1920 में हुआ था।
विश्व थैलेसीमिया दिवस
दुनिया भर में 08 मई को ‘विश्व थैलेसीमिया दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक लक्ष्य थैलेसीमिया जैसे गंभीर आनुवंशिक विकार और इससे पीड़ित रोगियों के संघर्ष के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही यह दिवस पीड़ितों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये समर्पित डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मियों तथा इस रोग के उन्मूलन की दिशा में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों का भी सम्मान करता है। विश्व थैलेसीमिया दिवस (08 मई) की शुरुआत वर्ष 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा की गई थी। थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसका संचरण माता-पिता से बच्चों तक पीढ़ी-दर-पीढ़ी होता है। इस स्थायी रक्त विकार के कारण रोगी के लाल रक्त कणों (RBC) में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है जिसके कारण एनीमिया हो सकता है और रोगियों को जीवित रहने के लिये हर दो से तीन सप्ताह बाद रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। रोग की गंभीरता जीन में शामिल उत्परिवर्तन और उनकी अंतःक्रिया पर निर्भर करती है।
महाराणा प्रताप सिंह की जयंती
महाराणा प्रताप सिंह (Maharana Pratap Singh) की जयंती 9 मई को मनाई जाती है। महाराणा प्रताप मेवाड़ (वर्तमान राजस्थान) के 13वें राजा थे। राणा प्रताप सिंह, जिन्हें महाराणा प्रताप के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 9 मई, 1540 में राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने अपनी राजधानी चित्तौड़ से मेवाड़ राज्य पर शासन किया। उदय सिंह द्वितीय द्वारा उदयपुर (राजस्थान) शहर की स्थापना की गई। वर्ष 1576 में मेवाड़ के महाराणा प्रताप सिंह और मुगल सम्राट अकबर की सेना के मध्य हल्दीघाटी का युद्ध लडा गया था, जिसमें मुगल सेना का नेतृत्त्व आमेर के राजा मान सिंह द्वारा किया गया था। महाराणा प्रताप ने इस युद्ध को वीरतापूर्वक लड़ा, लेकिन मुगल सेना ने उन्हें पराजित कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप को युद्ध के मैदान से बाहर निकालने के दौरान ‘चेतक’ (Chetak) नामक उनके वफादार घोड़े ने अपनी जान दे दी, वर्ष 1579 के बाद मेवाड़ पर मुगलों का प्रभाव कम हो गया और महाराणा प्रताप ने कुंभलगढ़, उदयपुर और गोगुन्दा सहित पश्चिमी मेवाड़ को पुनः प्राप्त कर लिया। इस अवधि के दौरान उन्होंने वर्तमान डूंगरपुर के पास एक नई राजधानी चावंड (Chavand) का निर्माण भी किया। 19 जनवरी, 1597 को महाराणा प्रताप का निधन हो गया। महाराणा प्रताप की मृत्यु के बाद उनके पुत्र राणा अमर सिंह ने उनका स्थान लिया और मुगलों के विरुद्ध वीरतापूर्वक संघर्ष किया, हालाँकि वर्ष 1614 में राणा अमर सिंह ने अकबर के पुत्र सम्राट जहाँगीर के साथ संधि कर ली।
10GW सौर क्षमता को पार करने वाला पहला राज्य
मेरकॉम के इंडिया सोलर प्रोजेक्ट ट्रैकर (India Solar Project Tracker) के अनुसार, राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने बड़े पैमाने पर 10 गीगावाट (GW) के संचयी सौर प्रतिष्ठानों (Cumulative Large-Scale Solar Installations) को पार किया है। राजस्थान में कुल स्थापित विद्युत क्षमता 32.5 GW है। राजस्थान की कुल स्थापित विद्युत क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा (अक्षय ऊर्जा) का योगदान 55% है, जबकि तापीय ऊर्जा का 43% तथा शेष 2% परमाणु ऊर्जा का योगदान है। राजस्थान में सौर प्रमुख ऊर्जा स्रोत है, जो बिजली क्षमता मिश्रण का लगभग 36% और नवीकरणीय ऊर्जा का 64% हिस्सा है। मेरकॉम के इंडिया सोलर प्रोजेक्ट ट्रैकर के अनुसार, वर्तमान में राजस्थान में 16 गीगावाट से अधिक सौर परियोजनाएंँ निर्माणाधीन हैं। राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2019 का उद्देश्य वित्त वर्ष 2024-25 तक 30 गीगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य हासिल करना है जिसमें यूटिलिटी या ग्रिड-स्केल सोलर पार्क की 24 गीगावॉट की बड़ी हिस्सेदारी होगी। दिसंबर 2021 तक भारत की संचयी सौर स्थापित क्षमता 55GW है। मेरकॉम इंडिया अमेरिका स्थित मेरकॉम कैपिटल ग्रुप की सहायक कंपनी है। यह एक स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और संचार फर्म है जो भारतीय क्लीनटेक बाज़ारों में विशेषज्ञता प्रदान करती है।