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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 07 May, 2022
  • 10 min read
प्रारंभिक परीक्षा

विश्व खाद्य पुरस्कार 2022

हाल ही में विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन ने विश्व खाद्य पुरस्कार 2022 की विजेता संयुक्त राज्य अमेरिका की डॉ सिंथिया रोसेनज़विग के नाम की घोषणा की।

  • रोसेनज़विग को उनके शोध ‘जलवायु और खाद्य प्रणालियों के बीच संबंधों को समझने तथा भविष्य में दोनों कैसे बदलेंगे एवं इसका पूर्वानुमान’ के लिये पुरस्कार हेतु चुना गया।
  • वर्ष 2021 में प्रमुख पोषण विशेषज्ञ डॉ. शकुंतला हरक सिंह थिल्स्टेड ने पुरस्कार जीता और वर्ष 2020 में भारतीय अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ. रतन लाल ने पुरस्कार जीता।

World-Food-Prize

विश्व खाद्य पुरस्कार:

  • उद्देश्य:  
    • विश्व खाद्य पुरस्कार विश्व में भोजन की गुणवत्ता, मात्रा या उपलब्धता में सुधार कर उन्नत मानव विकास करने वाले व्यक्तियों की उपलब्धियों को मान्यता देने हेतु प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मान है।
  • शामिल विषय क्षेत्र:
    • यह एक वार्षिक पुरस्कार है जो विश्व खाद्य आपूर्ति में योगदान देने वाले किसी भी क्षेत्र, जैसे- पौधे, पशु और मृदा विज्ञान,खाद्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, पोषण एवं ग्रामीण विकास आदि को मान्यता देता है। 
  • पात्रता:
    • इसकी पात्रता जाति, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक मान्यताओं की परवाह किये बिना सभी व्यक्तियों के लिये खुली है।
  • नकद पुरस्कार:
    • पुरस्कार विजेता को 2,50,000 अमेरिकी डॉलर के नकद पुरस्कार के अलावा प्रसिद्ध कलाकार और डिजाइनर, शाऊल बास द्वारा डिज़ाइन की गई एक मूर्ति प्रदान की जाती है।
  • पुरस्कार की प्रस्तुति:
    • यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष अक्तूबर में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य दिवस (16 अक्तूबर) पर या उसके आसपास प्रस्तुत किया जाता है।
    • इसे विश्व खाद्य पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें 80 से अधिक कंपनियाँ, व्यक्ति आदि दानकर्त्ताओं के रूप में शामिल हैं।
    • वर्ल्ड फूड प्राइज़ फाउंडेशन अमेरिका के डेस मोइनेस (Des Moines) में स्थित है।
  • पृष्ठभूमि:
    • वैश्विक कृषि में अपने काम के लिये वर्ष 1970 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ. नॉर्मन ई. बोरलॉग ने विश्व खाद्य पुरस्कार पुरस्कार की कल्पना की थी।
    • विश्व खाद्य पुरस्कार (जनरल फूड्स कॉरपोरेशन द्वारा प्रायोजित) की शुरुआत वर्ष 1986 में की गई थी।
    • इसे "खाद्य और कृषि के लिये नोबेल पुरस्कार" (Nobel Prize for Food and Agriculture) के रूप में भी जाना जाता है।
    • डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन जिन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है, वर्ष 1987 में इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे।

स्रोत: द हिंदू 


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 07 मई, 2022

सीमा सड़क संगठन 

07 मई, 2022 को सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा अपना 62वाँ स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। सीमा सड़क संगठन (BRO) की स्थापना 7 मई, 1960 को हुई थी और यह रक्षा मंत्रालय के तहत एक प्रमुख सड़क निर्माण संस्था के रूप में कार्य करता है। ध्यातव्य है कि यह संगठन सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है। यह पूर्वी एवं पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण तथा इसके रख-रखाव का कार्य करता है ताकि सेना की रणनीतिक आवश्यकताएँ पूरी की जा सकें। आज़ादी के पश्चात् के शुरूआती वर्षों में भारत के समक्ष लगभग 15000 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा की सुरक्षा तथा अपर्याप्त सड़क साधन वाले उत्तर व उत्तर-पूर्व के आर्थिक रूप से पिछड़े सुदूरवर्ती इलाके को भविष्य में उन्नत व विकसित करने का दायित्व था और BRO इस दायित्व को पूरा करने के लिये काफी तेज़ी से कार्य कर रहा है। इसके अलावा सीमा सड़क संगठन ने भूटान, म्याँमार, अफगानिस्तान आदि मित्र देशों में भी सड़कों का निर्माण किया है।

रवींद्रनाथ टैगोर

07 मई, 2022 को देश भर में विश्व प्रसिद्ध कवि, साहित्यकार और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती मनाई जा रही है। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 07 मई, 1861 को ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रेसीडेंसी के कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। उनके बचपन का नाम रोबिंद्रोनाथ ठाकुर था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर ने बांग्ला साहित्य और संगीत को काफी महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया। इसके अलावा उन्होंने 19वीं सदी के अंत एवं 20वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ भारतीय कला का पुनरुत्थान किया। रवींद्रनाथ टैगोर एक नीतिज्ञ, कवि, संगीतकार, कलाकार एवं आयुर्वेद-शोधकर्त्ता भी थे। उन्होंने मात्र 8 वर्ष की आयु में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था और 16 वर्ष की आयु में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर का मानना ​​था कि उचित शिक्षा तथ्यों की व्याख्या नहीं करती है, बल्कि जिज्ञासा को बढ़ाती है। रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिये वर्ष 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था और इस तरह वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय थे। ‘गीतांजलि’ को मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था तथा बाद में इसका अंग्रेज़ी में अनुवाद किया गया। भारतीय राष्ट्रगान (जन गण मन), बांग्लादेश का राष्ट्रगान (आमार सोनार बांग्ला) भी उनके द्वारा ही रचित है। श्रीलंका के राष्ट्रगान को भी उनकी रचनाओं से प्रेरित माना जाता है। ज्ञात हो कि रवींद्रनाथ टैगोर ने ही महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी। 

भारत गौरव पर्यटक ट्रेन

रेल मंत्रालय की नई नीति के तहत 21 जून, 2022 से इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज़्म कॉरपोरेशन (IRCTC) की पहली ‘भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन’ चलाई जाएगी। यह ट्रेन उन सभी प्रमुख स्थानों को प्रदर्शित करेगी जो भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े हैं तथा इसमें जनकपुर, नेपाल भी शामिल है जो माता सीता का जन्मस्थान है। इस ट्रेन का 18 दिन का पहला सफर दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन से शुरू होगा। यह स्वदेश दर्शन योजना के रामायण सर्किट पर चलेगी। भारतीय रेलवे ने देश के ऐतिहासिक स्थानों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भारत के नागरिकों के साथ-साथ विश्व भर के पर्यटकों को दिखाने के उद्देश्य से भारत गौरव पर्यटक ट्रेनों की शुरुआत की। ये ट्रेनें थीम बेस्ड टूरिस्ट सर्किट ट्रेनें हैं जिन्हें केंद्र सरकार की “देखो अपना देश” पहल के तहत लॉन्च किया गया है। भद्राचलम, तेलंगाना इस ट्रेन का अंतिम ठहराव होगा। इसके बाद ट्रेन वापस दिल्ली के लिये रवाना होगी। इस दौरान यह करीब 8000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।

शुक्र ग्रह के लिये मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) दिसंबर 2024 में शुक्र के लिये एक अंतरिक्षयान लॉन्च करने  की योजना बना रहा है। इसरो के इस मिशन का उद्देश्य शुक्र की सतह के नीचे के रहस्यों और वातावरण का अध्ययन करना है। इसरो द्वारा शुक्र मिशन के तहत निम्नलिखित प्रयोगों की योजना बनाई गई है, जिनमें शामिल हैं- सक्रिय ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट और लावा प्रवाह सहित सतह प्रक्रियाओं एवं उथले उप-सतह स्ट्रैटिग्राफी की जांँच करना, वायुमंडल की संरचना व गतिकी का अध्ययन करना। इस अध्ययन में हाई रेज़ोल्यूशन  सिंथेटिक एपर्चर रडार का उपयोग किया जाएगा, जो ग्रह के चारों ओर बादलों के बावजूद शुक्र की सतह की जांँच करने में सक्षम होगा। शुक्र की उप-सतह (Sub-Surface) का अभी तक किसी भी देश द्वारा कोई अवलोकन नहीं किया गया है। भारत पहली बार उप-सतह पर रडार की साहयता से उड़ाएगा तथा शुक्र की उप-सतह में कुछ सौ मीटर तक प्रवेश करेगा।


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