प्रिलिम्स फैक्ट: 06 अक्तूबर, 2021
भौतिकी में नोबेल पुरस्कार, 2021
Nobel Prize in Physics, 2021
भौतिकी/फिज़िक्स में वर्ष 2021 के नोबेल पुरस्कार का आधा हिस्सा संयुक्त रूप से ‘स्युकुरो मनाबे’ (Syukuro Manabe) और क्लॉस हेसलमैन (Klaus Hasselmann) जबकि दूसरा आधा हिस्सा ‘जियोर्जियो पैरिसी’ (Giorgio Parisi) को ‘जटिल भौतिक प्रणालियों की समझ में अभूतपूर्व योगदान हेतु’ दिया गया है।
- यह पहली बार है जब जलवायु वैज्ञानिकों (मानेबे और हासेलमैन) को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पिछले वर्ष यह पुरस्कार ‘ब्लैक होल’ में शोध के लिये दिया गया था।
- फिज़ियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार 2021 की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- मनाबे और हेसलमैन:
- इन्हें यह पुरस्कार पृथ्वी की जलवायु की भौतिक मॉडलिंग, परिवर्तनशीलता की मात्रा निर्धारित करने और ग्लोबल वार्मिंग की गंभीरता का सटीक अनुमान लगाने हेतु दिया जा रहा है।
- उन्होंने अपने शोध से दर्शाया है कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि से किस प्रकार वैश्विक तापमान में वृद्धि होगी, जो कि वर्तमान जलवायु मॉडल की नींव रखता है।
- इन्हें यह पुरस्कार पृथ्वी की जलवायु की भौतिक मॉडलिंग, परिवर्तनशीलता की मात्रा निर्धारित करने और ग्लोबल वार्मिंग की गंभीरता का सटीक अनुमान लगाने हेतु दिया जा रहा है।
- जियोर्जियो पैरिसी:
- उन्हें यह पुरस्कार ‘एटॉमिक स्केल से लेकर प्लेनेटरी स्केल तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज’ हेतु दिया गया है।
- उन्होंने ‘एक जटिल भौतिक और गणितीय मॉडल विकसित किया है, जिसने गणित, जीव विज्ञान, न्यूरोसाइंस तथा मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में जटिल प्रणालियों को समझना संभव बना दिया है।
- उन्हें यह पुरस्कार ‘एटॉमिक स्केल से लेकर प्लेनेटरी स्केल तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज’ हेतु दिया गया है।
- मनाबे और हेसलमैन:
- जलवायु विज्ञान और नोबेल पुरस्कार:
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने वर्ष 2007 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता था, जो जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में जागरूकता पैदा करने के प्रयासों को मान्यता देता है।
- वर्ष 1995 में पॉल क्रुटज़ेन को ओज़ोन परत पर उनके शोध के लिये रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, यह पहली बार था जब वायुमंडलीय विज्ञान के लिये नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
जल प्रबंधन के लिये हेली-बोर्न सर्वेक्षण
Heli-Borne Survey for Water Management
हाल ही में जल शक्ति मंत्रालय ने राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में जल प्रबंधन के लिये हेली-बोर्न सर्वे तकनीक शुरू की है।
प्रमुख बिंदु
- हेली-बोर्न सर्वेक्षण के बारे में:
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI ) द्वारा विकसित यह भूजल के स्तर, मात्रा, गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
- यह वर्ष 1961 में NGRI, CSIR के तहत स्थापित एक भू-वैज्ञानिक अनुसंधान संगठन है।
- CSIR-NGRI की हेली-बोर्न भूभौतिकीय मानचित्रण तकनीक जमीन के नीचे 500 मीटर की गहराई तक उपसतह की एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन 3D छवि प्रदान करती है।
- हेली-बोर्न भूभौतिकीय सर्वेक्षण का मुख्य लाभ है कि यह तेज़, अत्यधिक डेटा सघन, सटीक और किफायती है।
- यह सर्वेक्षण दो चरणों में किया जाएगा, जिसमें पहले चरण में 1 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र शामिल है।
- इसमें राजस्थान में 65,000 वर्ग किमी, गुजरात में 32,000 वर्ग किमी और हरियाणा में 2,500 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल है।
- इसे राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण परियोजना के एक भाग के रूप में जल शक्ति मंत्रालय के सहयोग से लागू किया जाना है।
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI ) द्वारा विकसित यह भूजल के स्तर, मात्रा, गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
- महत्त्व:
- इसके माध्यम से भूजल का बेहतर उपयोग करने में मदद मिलेगी क्योंकि इसके माध्यम से अधिक सटीक डेटा प्राप्त करने के लिये बड़े क्षेत्रों को कवर किया जा सकता है।
- यह जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण के लिये भूभौतिकी और रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग करके ट्यूबवेल खोदने जैसे कार्यों हेतु प्रचलित मानकों की तुलना में कम लागत पर नए स्थानों की पहचान करने में मदद करेगा।
- इससे पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल स्तर में सुधार के लिये नई योजनाएँ तैयार करने में मदद मिलेगी।
- अन्य संबंधित पहलें:
राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण परियोजना:
- इसे भूजल प्रबंधन और विनियमन योजना के एक भाग के रूप में शुरू किया गया था ताकि भूजल प्रबंधन की योजना विकसित करने के लिये एक्वीफर्स को चित्रित और चिह्नित किया जा सके।
- इसमें भूजल संसाधनों के सतत् प्रबंधन की सुविधा के लिये जलभृतों का मानचित्रण, उनके लक्षण, वर्णन और जलभृत प्रबंधन योजनाओं के विकास की परिकल्पना की गई है।
नया बायोडिग्रेडेबल बहुलक
New Biodegradable Polymer
हाल ही में वैज्ञानिकों ने ग्वार, गम और चितोसान (Guar, Gum, and Chitosan) का उपयोग करके एक नया बायोडिग्रेडेबल बहुलक विकसित किया है, जिसमें पेकेजिंग सामग्री की उच्च क्षमता मौजूद है।
प्रमुख बिंदु:
- बहुलक के विषय में:
- यह ग्वार,गम और चितोसान संश्लेषित फिल्म एक क्रॉस-लिंक्ड पॉलीसेकेराइड है जिसे सॉल्यूशन कास्टिंग विधि (पॉलीमर फिल्म बनाने की एक सरल तकनीक) की मदद से विकसित किया गया है। यह पॉलीसेकेराइड की चुनौतियों का समाधान करता है।
- पॉलीसेकेराइड, पैकेजिंग सामग्री के संश्लेषण में उपयोग होने वाले उच्च क्षमता वाले बायोपॉलिमर में से एक है।
- हालाँकि पॉलीसेकेराइड का कम यांत्रिक गुण, उच्च जल-घुलनशीलता और कम अवरोध गुण जैसी कुछ कमियों के कारण इसका कम उपयोग किया जाता है।
- ग्वार, गम और चितोसान ग्वार बीन्स और केकड़े तथा झींगा से निकाले गए पॉलीसेकेराइड हैं।
- यह ग्वार,गम और चितोसान संश्लेषित फिल्म एक क्रॉस-लिंक्ड पॉलीसेकेराइड है जिसे सॉल्यूशन कास्टिंग विधि (पॉलीमर फिल्म बनाने की एक सरल तकनीक) की मदद से विकसित किया गया है। यह पॉलीसेकेराइड की चुनौतियों का समाधान करता है।
- फिल्म के गुण:
- उच्च जल स्थिरता, उच्च यांत्रिक शक्ति के साथ-साथ कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति उत्कृष्ट प्रतिरोध।
- क्रॉस-लिंक्ड निर्मित फिल्म पानी में आसानी से घुलनशील नहीं होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार 240 घंटे बाद भी यह नहीं घुलता।
- 92.8º के उच्च संपर्क कोण के कारण यह अत्यधिक जलरोधी या हाइड्रोफोबिक है।
- केवल चितोसान से बनी फिल्म की तुलना में जल वाष्प की पारगम्यता कम होती है।
- वाष्प पारगम्यता किसी एक प्रकार के वाष्प (जैसे जलवाष्प) की इसके माध्यम से गुज़रने वाली एक सामग्री की क्षमता है।
- उच्च जल स्थिरता, उच्च यांत्रिक शक्ति के साथ-साथ कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति उत्कृष्ट प्रतिरोध।
- महत्त्व:
- यह पानी और सोडा की बोतलों सहित गैर-बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री को जमा करने के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने में मददगार हो सकती है।
- आमतौर पर पॉलिमर, औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग हेतु महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन यह बायोडिग्रेडेबल नहीं है और इसलिये यह पर्यावरण तथा पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक बड़ी चुनौती है।
- यह पानी और सोडा की बोतलों सहित गैर-बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री को जमा करने के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने में मददगार हो सकती है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 अक्तूबर, 2021
‘ज़िरकॉन’ हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल
हाल ही में रूस ने पहली बार पनडुब्बी के माध्यम से ‘ज़िरकॉन’ हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण ‘सेवेरोडविंस्क पनडुब्बी’ के माध्यम से ‘बैरेंट्स सागर’ में किया गया था। इससे पूर्व ‘ज़िरकॉन’ हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण नौसेना के युद्धपोत पर किया जा चुका है और यह पहली बार है जब इसका परीक्षण पनडुब्बी के माध्यम से किया गया है। इस संबंध में रूस द्वारा जारी अधिकारिक सूचना के मुताबिक, ‘ज़िरकॉन’ हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से नौ गुना तेज़ उड़ान भरने में सक्षम है और इसकी रेंज 1,000 किलोमीटर (620 मील) तक है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल की तैनाती रूस की सैन्य क्षमता में महत्त्वपूर्ण वृद्धि करती है। रूस के मुताबिक, ‘ज़िरकॉन’ मिसाइल प्रणाली के सभी परीक्षण इस वर्ष के अंत तक पूरे हो जाएंगे और इसे वर्ष 2022 तक रूसी नौसेना में कमीशन कर दिया जाएगा। ‘ज़िरकॉन’ मिसाइल का उद्देश्य रूसी क्रूज़र, फ्रिगेट और पनडुब्बियों के बेड़ों को सशक्त बनाना है। यह रूस में विकसित की जा रहीं कई हाइपरसोनिक मिसाइलों में से एक है।
व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना
वस्त्र मंत्रालय ने 160 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ ‘व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना’ (CHCDS) को जारी रखने की मंज़ूरी दी है। यह योजना मार्च 2026 तक जारी रहेगी। इस योजना के तहत हस्तशिल्प कारीगरों को बुनियादी ढाँचागत सहायता, बाज़ार तक पहुँच, डिज़ाइन एवं प्रौद्योगिकी उन्नयन से जुड़ी सहायता आदि प्रदान की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य ऐसा विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा तैयार करना है, जो उत्पादन एवं निर्यात को बढ़ावा देने हेतु स्थानीय कारीगरों व लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) की व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा करता हो। संक्षेप में इन समूहों को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य कारीगरों और उद्यमियों को आधुनिक बुनियादी ढाँचे, नवीनतम प्रौद्योगिकी व पर्याप्त प्रशिक्षण तथा मानव संसाधन विकास इनपुट, मार्केट लिंकेज एवं उत्पादन संबंधी विविधीकरण के साथ जुड़ाव युक्त विश्वस्तरीय इकाइयाँ स्थापित करने में सहायता करना है। इसके तहत लागत में कमी सुनिश्चित करने के लिये अलग-अलग जगहों के कारीगरों के बीच समन्वय और उन्हें हस्तशिल्प क्षेत्र के लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) से जोड़ने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस योजना के तहत समग्र विकास के लिये 10,000 से अधिक कारीगरों वाले बड़े हस्तशिल्प समूहों का चयन किया जाएगा।
करंट लगने से हाथियों की मृत्यु रोकने हेतु पहल
ओडिशा सरकार ने विद्युत नेटवर्क की ग्राउंड क्लीयरेंस बढ़ाने और हाथी गलियारों तथा उनके आवाजाही क्षेत्रों में तारों को बदलने के लिये वितरण कंपनियों को 445.75 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं। इस परियोजना का उद्देश्य बिजली के झटकों के कारण होने वाली हाथियों की मृत्यु को रोकना है। राज्य के ऊर्जा विभाग के मुताबिक, राज्य में 79,000 इंटरपोज़िंग पोल लगाए गए हैं और 2,300 से अधिक सर्किट कंडक्टरों को कवर किया गया है। हाथियों के संरक्षण की दिशा में काम कर रहे पर्यावरण समूह- ‘वाइल्डलाइफ सोसाइटी ऑफ ओडिशा’ (WSO) के मुताबिक, अप्रैल 2010 से अगस्त 2021 के बीच 862 हाथियों की मृत्यु हुई थी, जिसमें से तकरीबन 135 (16%) हाथियों की मौत बिजली के झटकों के कारण हुई थी। जानकारों के मुताबिक, यदि बिजली वितरण कंपनियों द्वारा आवश्यक सुरक्षा उपकरण इनस्टॉल किये जाते हैं तो हाथियों को बिजली के झटकों से बचाया जा सकता था।
विश्व शिक्षक दिवस
दुनिया भर में शिक्षकों और उनके अधिकारों तथा दायित्त्वों को रेखांकित करने हेतु प्रतिवर्ष 5 अक्तूबर को ‘विश्व शिक्षक दिवस’ का आयोजन किया जाता है। ‘विश्व शिक्षक दिवस’ का उद्देश्य दुनिया भर में शिक्षकों की सराहना करना उनके महत्त्व के बारे में लोगों को जागरूक करना है। यूनेस्को द्वारा इस दिवस को शिक्षकों एवं शिक्षण से संबंधित मुद्दों पर विचार करने और उन्हें संबोधित करने के अवसर के रूप में देखा जाता है। विश्व शिक्षक दिवस-2021 की थीम है- 'शिक्षा सुधार के केंद्र में शिक्षक'। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने वर्ष 1994 में 5 अक्तूबर को ‘विश्व शिक्षक दिवस’ के रूप में घोषित किया और तब से यह दिन प्रतिवर्ष 5 अक्तूबर को वैश्विक स्तर पर आयोजित किया जाता है। ध्यातव्य है कि बच्चों को उनकी सीखने की प्रक्रिया में सहायता करने हेतु पूरे देश में शिक्षकों ने महामारी के दौरान महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।