चेनकुरिंजी
चर्चा में क्यों?
जलवायु परिवर्तन के कारण चेनकुरिंजी प्रभावित हुआ है, इसलिये इसमें विभिन्न संरक्षण उपायों को शामिल किया जा रहा है।
प्रजातियों के बारे में:
- चेनकुरिंजी (ग्लूटा ट्रैवनकोरिका) अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व के लिये एक स्थानिक प्रजाति है, यह शेंतुरुणी वन्यजीव अभयारण्य (Shendurney Wildlife Sanctuary) के नाम से प्रेरित है।
- एनाकार्डियासी (Anacardiaceae) परिवार का यह पेड़ कभी आर्यनकावु दर्रे (Aryankavu Pass) के दक्षिणी हिस्सों की पहाड़ियों में प्रचुर मात्रा में मौजूद था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसकी उपस्थिति तेज़ी से घट रही है।
- ग्लूटा ट्रैवनकोरिका में जनवरी महीने में फूल आते हैं, लेकिन इस प्रजाति ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन के कारण इस प्रक्रिया का विस्तार की प्रवृत्ति प्रदर्शित की है।
- इसका उपयोग निम्न रक्तचाप और गठिया के इलाज के लिये किया जाता है।
अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व:
- अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व भारत के पश्चिमी घाट के सबसे दक्षिणी छोर में स्थित है और इसमें समुद्र तल से 1,868 मीटर ऊँची चोटियाँ शामिल हैं।
- इस रिज़र्व का अधिकांश क्षेत्र उष्णकटिबंधीय जंगल है, यहाँ पौधों की विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो प्रकृति में स्थानिक हैं।
- यह कृषिगत पौधों, विशेष रूप से इलायची, ज़ामुन, ज़ायफल, काली मिर्च और केले के लिये अनूठा आनुवंशिक क्षेत्र है।
- इस बायोस्फीयर रिज़र्व में तीन वन्यजीव अभयारण्य - शेंदुरने, पेप्पारा और नेय्यर, साथ ही कलाकड़ मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व शामिल हैं।
संरक्षण उपाय:
- 'सेव चेनकुरिंजी' एक अभियान है जिसे एचेनकोइल वन प्रभाग के तहत आने वाले विभिन्न क्षेत्रों में लागू किया जाना चाहिये।
- इसका उद्देश्य कोल्लम और पथानामथिट्टा ज़िलों के घाट सेक्टरों में अभियान के तहत हज़ारों पौधे लगाना है।
- क्षेत्र के लगभग 75 स्कूल जहांँ छात्रों की सहायता से चेनकुरिंजी को उगाया जाएगा।
- स्कूलों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर भी पौधे रोपे जाएंगे और वन विभाग पहले ही चेनकुरिंजी को बचाने के लिये हज़ारों पौधे लगा चुका है।
स्रोत: द हिंदू
सिंगल-क्रिस्टेलाइन स्कैंडियम नाइट्राइड
बंगलूरू के जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के शोधकर्त्ताओं ने "सिंगल-क्रिस्टेलाइन स्कैंडियम नाइट्राइड (ScN)" नामक एक नई सामग्री की खोज की है जो अवरक्त प्रकाश को अक्षय ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती है।
- वैज्ञानिकों ने पोलरिटोन उत्तेजन नामक एक वैज्ञानिक विधि का उपयोग किया है, जो अनुरूप सामग्री में होती है इसमें प्रकाश या तो सामूहिक मुक्त इलेक्ट्रॉन दोलनों से या ध्रुवीय जाली कंपन के साथ हल्के रूप में जुड़ जाता है।
- अवरक्त प्रकाश मानव आंँख को दिखाई देने वाली प्रकाश सीमा से परे है और दृश्य प्रकाश तथा माइक्रोवेव क्षेत्र के बीच (तरंग दैर्ध्य दृश्य प्रकाश से अधिक लंबा है) होता है ।
- "इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर स्वास्थ्य सेवा, रक्षा और सुरक्षा से ऊर्जा प्रौद्योगिकियों तक इन्फ्रारेड स्रोतों, उत्सर्जक और सेंसरों की बहुत मांग है। स्कैंडियम नाइट्राइड में इंफ्रारेड पोलरिटोन जैसे कई उपकरणों में इसके अनुप्रयोगों को सक्षम बनाएगा।
सिंगल-क्रिस्टलीय स्कैंडियम नाइट्राइड (ScN):
- परिचय:
- इन्फ्रारेड लाइट को उत्सर्जित करने, पता लगाने और संशोधित करने में इसकी उच्च दक्षता है, जो इसे सौर और थर्मल ऊर्जा संचयन के साथ-साथ ऑप्टिकल संचार उपकरणों हेतु उपयोगी बनाती है।
- वैज्ञानिकों ने पोलरिटोन (एक अर्ध-कण) को उत्तेजित करने और इन्फ्रारेड लाइट का उपयोग करके सिंगल-क्रिस्टलीय स्कैंडियम नाइट्राइड (ScN) में मज़बूत प्रकाश-पदार्थ अंतःक्रिया (Light-Matter Interactions) प्राप्त करने के लिये भौतिक गुणों को सावधानीपूर्वक नियंत्रित किया है।
- महत्त्व:
- चूँकि ScN में ये पोलरिटोन आधुनिक कॉम्पलिमेंट्री-मैटल-ऑक्साइड-सेमीकंडक्टर (CMOS) या Si-चिप तकनीक के साथ भी संगत हैं, इसलिये ऑन-चिप ऑप्टिकल संचार उपकरणों के लिये इसे आसानी से एकीकृत किया जा सकता है।
- ScN में इन असाधारण पोलरिटोन का उपयोग सौर और थर्मल ऊर्जा संरक्षण में किया जा सकता है।
स्रोत: पी.आई.बी.
नैरोबी मक्खियाँ
हाल ही में नैरोबी मक्खियों के संपर्क में आने के बाद पूर्वी सिक्किम में लगभग 100 छात्र त्वचा संक्रमण से ग्रसित हो गए।
नैरोबी मक्खियाँ:
- परिचय:
- यह पूर्वी अफ्रीका की स्थानिक कीट प्रजाति है।
- नैरोबी मक्खियाँ जिन्हें केन्याई मक्खियाँ या ड्रैगन बग के रूप में भी जाना जाता है, दो प्रजातियों के छोटे भृंग जैसे कीट हैं:
- पेडरस एक्ज़िमियस।
- पेडरस सबियस।
- हाल में ही इन्हें सिक्किम में देखा गया है, ये नारंगी तथा काले रंग के होते हैं और उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में पनपते हैं।
- अधिकांश कीटों की तरह ये भी तेज़ रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं।
- ऐतिहासिक प्रकोप:
- केन्या और पूर्वी अफ्रीका के अन्य हिस्सों में इसके अधिक प्रकोप देखे गए हैं। वर्ष 1998 में असामान्य रूप से हुई भारी बारिश के कारण इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में कीट देखे गए।
- अतीत में अफ्रीका से बाहर भारत, जापान और पराग्वे जैसे देशों में भी कई प्रकोप देखे गए हैं।
मानव पर प्रभाव:
- ये कीट आमतौर पर काटते नहीं हैं लेकिन वे मानव त्वचा पर रहने के दौरान हानिकारक होते हैं क्योंकि वे शक्तिशाली अम्लीय पदार्थ छोड़ सकते हैं जो मानव त्वचा पर जलन पैदा कर सकता है।
- उत्सर्जित पदार्थ को पेडरिन कहा जाता है और यह त्वचा पर जलन पैदा कर सकता है, जिससे घाव या असामान्य निशान या त्वचा रंगहीन हो जाती है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
ऑस्ट्रेलिया द्वारा लाखों मधुमक्खियों की हत्या
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने वरोआ माइट (Varroa mites) नामक संभावित विनाशकारी परजीवी प्लेग को रोकने के प्रयास में पिछले दो हफ्तों में लाखों मधुमक्खियों को मार डाला है।
- मधुमक्खियों को मारने का निर्णय बादाम, मैकाडामिया नट्स और ब्लूबेरी सहित कई फसलों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है जो परागण के लिये मधुमक्खियोंं पर निर्भर हैं।
- मधुमक्खियांँ सबसे महत्त्वपूर्ण परागणकों में से एक है, जो खाद्य और खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ कृषि और जैवविविधता सुनिश्चित करती हैं।
वरोआ माइट:
- इसका परजीवी कीट मधुमक्खियों को संक्रमित करता है और खाता है, जिसे अक्सर वेरोआ विनाशक के रूप में जाना जाता है। ये छोटे कीट जो लाल-भूरे रंग के होते हैं मधुमक्खियों की पूरी कॉलोनियों को खत्म करने में सक्षम हैं।
- वे अक्सर मधुमक्खी से मधुमक्खी तक और मधुमक्खी पालन के उपकरण (जैसे रिमूव कोंब) के माध्यम से पहुँचते हैं।
- हालांँकि वरोआ माइट्स वयस्क मधुमक्खियों को खा सकते हैं और जीवित रह सकते हैं, वे मुख्य रूप से लार्वा और प्यूपा को खाते हैं और प्रजनन करते हैं, जिससे विकृति और कमज़ोर होने के साथ-साथ वायरस का संचरण भी होता है।
- जैसे-जैसे मधुमक्खी कालोनियों में माइट्स की आबादी बढ़ती है, लक्षण अधिक गंभीर होते जाते हैं। आमतौर पर भारी संक्रमण के परिणामस्वरूप मधुमक्खियाँ अपंग हो जाती हैं, उनकी उड़ान क्षमता प्रभावित होती है तथा भोजन एकत्रित कर कॉलोनी में वापस आने की दर कम हो जाती है और अंततः कॉलोनी की उत्पादकता कम होती है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
तिहान: पहली स्वायत्त नेविगेशन सुविधा
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने IIT हैदराबाद में "स्वायत्त नेविगेशन पर प्रौद्योगिकी नवाचार हब" या TiHAN का उद्घाटन किया है, जो पहली "स्वायत्त नेविगेशन" सुविधा है।
- इसे 'आत्मनिर्भर भारत', 'स्किलिंग इंडिया' और 'Error! Hyperlink reference not valid.' के भारत के दृष्टिकोण की ओर एक कदम के रूप में देखा जाता है।
तिहान क्या है?
- यह एक बहु-विषयक पहल है, जिसका उद्देश्य भारत को भविष्य और अगली पीढ़ी की "स्मार्ट मोबिलिटी" तकनीक में एक वैश्विक अभिकर्त्ता बनाना है।
- बहु-विभागीय पहल में विद्युत, कंप्यूटर विज्ञान, यांत्रिक और एयरोस्पेस, नागरिक, गणित के शोधकर्त्ता शामिल हैं।
- वर्तमान में वाहनों के स्वायत्त नेविगेशन का मूल्यांकन करने के लिये भारत में ऐसी कोई परीक्षण सुविधा नहीं है। अतः कनेक्टेड ऑटोनॉमस व्हीकल्स (CAV) पर आधारित एक पूरी तरह कार्यात्मक और अनुकरणीय परीक्षण सुविधा विकसित करके इस अंतर को दूर करने की कल्पना की गई है।
- कनेक्टेड वाहन एक-दूसरे से सूचना-संचार करने, ट्रैफिक सिग्नल, संकेतों और अन्य सड़क संबंधी मदों से जुड़ने या क्लाउड से डेटा प्राप्त करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। यह सूचना-संचार सुरक्षा में मदद करता है और यातायात को सुविधाजनक बनता है।
महत्त्व:
- यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर अकादमिक, उद्योग और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के बीच उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान के लिये एक अनूठा मंच प्रदान करेगा, इस प्रकार भारत को स्वायत्त नेविगेशन प्रौद्योगिकियों में वैश्विक रूप से अग्रणी बना देगा।
- भारत का मोबिलिटी सेक्टर दुनिया के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है और TiHAN - IITH स्वचालित वाहनों के लिये भविष्य की तकनीक ।
- स्वायत्त नेविगेशन (एरियल और टेरेस्ट्रियल) पर परीक्षण किये गए TiHAN-IITH हमें अगली पीढ़ी की स्वायत्त नेविगेशन तकनीकों का सटीक परीक्षण करने और तेज़ी से प्रौद्योगिकी विकास एवं वैश्विक बाज़ार में प्रवेश की अनुमति देगा।
स्रोत: मिंट
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 जुलाई, 2022
अग्रदूत समाचार पत्र
अग्रदूत भारत में प्रकाशित होने वाला असमिया भाषा का एक समाचार पत्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 06 जुलाई, 2022 को वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से अग्रदूत समाचार पत्र समूह के स्वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ करेंगे। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिश्व शर्मा अग्रदूत के स्वर्ण जयंती समारोह समिति के मुख्य सरंक्षक हैं। अग्रदूत की शुरुआत असमिया पाक्षिक के रूप में हुई थी। इसकी स्थापना असम के वरिष्ठ पत्रकार कनक सेन डेका ने की थी। वर्ष 1995 में इसका नियमित दैनिक समाचार पत्र के रूप में प्रकाशन शुरू हुआ और जल्दी ही यह असम का विश्वस्त और प्रभावशाली स्वर बन गया।
'मोदी एट ट्वेंटी: ड्रीम्स मीट डिलीवरी' पुस्तक
दिल्ली विश्वविद्यालय में 05 जुलाई, 2022 को 'मोदी एट ट्वेंटी: ड्रीम्स मीट डिलीवरी' पुस्तक पर विशेष चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह पुस्तक मौजूदा प्रधानमंत्री की जीवनी नहीं है बल्कि एक ऐसी असाधारण किताब है, जिसे वर्तमान कैबिनेट के मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा कई क्षेत्रों के लोगों ने मिलकर लिखा है। ड्रीम्स मीट डिलीवरी पुस्तक ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित और रूपा द्वारा प्रकाशित है। यह अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, एन.एस.ए. अजीत डोभाल, इंफोसिस के नंदन नीलेकणी व सुधा मूर्ति, कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक तथा शटलर पीवी सिंधु सहित अन्य प्रतिष्ठित लोगों द्वारा लिखे गए 21 लेखों का संकलन है।
जूनियर फर्डिनेंड मार्कोस
जूनियर फर्डिनेंड मार्कोस ने मनीला में फिलीपींस के 17वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्होंने राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते का स्थान लिया। रोड्रिगो दुतेर्ते की पुत्री सारा दुतेर्ते ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। 64 वर्षीय मार्कोस को देश में महामारी, अत्यधिक महंगाई और बढ़ते कर्ज के बोझ जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। फर्डिनेंड ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले संबोधन में फिलीपींस में लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुमत से मिली जीत के लिये आभार व्यक्त किया। फिलीपींस के संविधान में राष्ट्रपति का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। भारत और फिलीपींस दोनों देशों ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद 1949 में औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित किये। भारत ने 1992 में लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत करते हुए आसियान के साथ साझेदारी में वृद्धि की जिसके फलस्वरूप फिलीपींस के साथ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय संबंधों में भी तेज़ी आई। एक्ट ईस्ट पॉलिसी (Act East Policy) के तहत भारत-फिलीपींस संबंधों में अधिक विविधता देखने को मिली है। भारत का फिलीपींस के साथ एक सकारात्मक व्यापार संतुलन है।