प्रारंभिक परीक्षा
ग्रे स्लेंडर लोरिस
हाल ही में कोयंबटूर में सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON) के वैज्ञानिकों ने तमिलनाडु के डिंडीगुल वन प्रभाग में ग्रे स्लेंडर लोरिस की एक आबादी का सर्वेक्षण किया।
ग्रे स्लेंडर लोरिस:
- परिचय:
- ग्रे स्लेंडर लोरिस, लोरिडे (Loridae) परिवार से संबंधित प्राइमेट की एक प्रजाति है।
- लंबे और पतले अंगों, बड़े कान, नुकीले थूथन व आँखों वाले काले या गहरे भूरे रंग के एक दुबले-पतले रूप में दिखाई देता है।
- इसके बाल नरम और ऊनी होते है। यह गहरे भूरे से लेकर धूसर जैसे विभिन्न रंगों में पाया जाता है।
- स्लेंडर लोरिस एक रात्रिचर जानवर हैं जो अपना अधिकांश जीवन वृक्षों पर व्यतीत करता है। ये धीमी और सटीक गति के साथ शाखाओं के शीर्ष पर घूमते रहते हैं। यह धीमी गति से चलने वाला जानवर भी है। यह भोजन करने के लिये झाड़ियों में उतरता है और ज़मीन के खुले हिस्सों को पार करके एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक जाता है।
- हालांँकि यह कीटभक्षी के साथ जामुन का भी शौकीन है।
- आवास:
- ये उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, झाड़ीदार जंगलों, अर्द्ध-पर्णपाती वनों और दलदली भूमि पर पाए जाते हैं।
- ग्रे स्लेंडर लोरिस तमिलनाडु के डिंडीगुल ज़िले के सूखे और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में रहते हैं।
- यह बबूल और इमली के झाड़ीदार जंगलों में पाया जाता है।
- यह प्रज़ाति दक्षिणी और पूर्वी भारत (आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु) तथा श्रीलंका में पाई जाती है।
प्रकार:
- स्लेंडर लोरिस की दो प्रजातियाँ हैं, जो 'लोरिस' जीनस (वर्ग) के सदस्य हैं:
- रेड स्लेंडर लोरिस (लोरिस टार्डिग्रैडस)
- ग्रे स्लेंडर लोरिस (लोरिस लिडेकेरियानस)
- संकट:
- मुख्य रूप से निवास स्थान के नष्ट होने के कारण लोरिय के लिये संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- बबूल के पेड़ (Acacia Tree) का विलुप्त होना जो कि लोरिस के एक पसंदीदा पेड़ की प्रजाति है, पालतू व्यापार और उनके मांस के लिये शिकार, सड़क दुर्घटना, अंधविश्वासी प्रथाओं के कारण इनकी हत्या, पारंपरिक चिकित्सा व आवास का विनाश इस प्राइमेट के लिये गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON):
- SACON वर्ष 1990 में अनाइकट्टी, कोयंबटूर (तमिलनाडु) में स्थापित, भारत में पक्षीविज्ञान और प्राकृतिक इतिहास में सूचना, शिक्षा और अनुसंधान के लिये एक राष्ट्रीय केंद्र है।
- भारत में पक्षियों की प्रजातियों और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु उनकी आजीवन सेवाओं की सराहना में डॉ. सलीम अली के नाम पर इसका नाम रखा गया था।
- यह जैव विविधता और प्राकृतिक इतिहास के सभी पहलुओं को शामिल करते हुए पक्षीविज्ञान में अनुसंधान को डिज़ाइन और संचालित करता है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
प्रारंभिक परीक्षा
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
हाल ही में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये शेष पाँच महीनों (मई से सितंबर 2022 तक) हेतु चावल और गेहूँ के आवंटन को संशोधित किया है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना:
- परिचय:
- ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में गरीब और संवेदनशील वर्ग की सहायता करने के लिये ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ (PMGKP) के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
- वित्त मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय है।
- प्रारंभ में इस योजना की शुरुआत तीन माह (अप्रैल, मई और जून 2020) की अवधि के लिये की गई थी, जिसमें कुल 80 करोड़ राशन कार्डधारक शामिल थे। बाद में इसे नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था।
- इस योजना के चरण- I और चरण- II क्रमशः अप्रैल से जून, 2020 तथा जुलाई से नवंबर, 2020 तक संचालित थे।
- योजना का तीसरा चरण मई से जून 2021 तक संचालित था।
- योजना का चौथा चरण जुलाई-नवंबर 2021 के दौरान संचालित किया गया।
- समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों के प्रति चिंता और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएम-जीकेएवाई योजना को और छह महीने अर्थात् सितंबर 2022 (चरण VI) तक बढ़ा दिया है।
- इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से ही प्रदान किये गए 5 किलोग्राम अनुदानित खाद्यान्न के अलावा प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूँ या चावल) मुफ्त में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- PMGKAY के इस नए संस्करण में इसके महत्त्वपूर्ण घटकों में से एक का अभाव है जो कि वर्ष 2020 के PMGKAY में उपस्थित था: NFSA के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार के लिये प्रतिमाह 1 किलोग्राम मुफ्त दाल।
- ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में गरीब और संवेदनशील वर्ग की सहायता करने के लिये ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ (PMGKP) के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
- व्यय:
- PMGKAY चरण I-V में सरकार लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी।
- PMGKAY-V में 53344.52 करोड़ रुपए की अनुमानित अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी होगी।
महत्त्व और उससे संबंधित चुनौतियाँ:
- महत्त्व:
- यह उन दैनिक श्रमिकों और अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमियों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, जिन्होंने कोविड-19 प्रेरित लॉकडाउन के मद्देनज़र अपनी नौकरी खो दी।
- चुनौतियाँ:
- एक प्रमुख मुद्दा यह है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थी अंतिम जनगणना (2011) पर आधारित हैं, हालाँकि तब से खाद्य-असुरक्षा से जुड़े लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो कि अब इस योजना के तहत शामिल नहीं हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 मई, 2022
महाराष्ट्र जिवहाला योजना
महाराष्ट्र के जेल विभाग द्वारा महाराष्ट्र की विभिन्न जेलों में सज़ा काट रहे कैदियों के लिये जिवहाला नामक एक ऋण योजना शुरू की गई है। यह भारत में कैदियों के लिये शुरू की गई अपनी तरह की पहली योजना है। यह योजना मुख्य रूप से उन सभी सज़ायाफ्ता कैदियों के लिये शुरू की गई है, जो तीन साल से अधिक की सज़ा काट रहे हैं। ऐसे अधिकांश कैदी अपने परिवार के अकेले कमाने वाले हैं और उन्हें कैद में रखने के कारण उनके परिवारों के पास आय का कोई स्रोत नहीं है। इसलिये यह ऋण ऐसे कैदियों के परिवार के सदस्यों को कैदियों के नाम पर जारी किया जाएगा। इस योजना के शुरुआती चरण में 50,000 रुपए का ऋण प्रदान किया जाएगा। इस पर 7% ब्याज दर लागू होगी। बैंक द्वारा अर्जित किये जाने वाले ब्याज में से 1% का योगदान बैंक द्वारा कैदी कल्याण कोष में किया जाएगा। इस ऋण को जारी करने के लिये किसी गारंटर या गिरवी की आवश्यकता नहीं है। कैदी इस ऋण का उपयोग अपने परिवार के सदस्यों के चिकित्सा उपचार, अपने बच्चों की शिक्षा, कानूनी शुल्क आदि के लिये कर सकेंगे। इस योजना को यरवदा सेंट्रल जेल, पुणे में पायलट योजना के रूप में शुरू किया गया है। यह योजना महाराष्ट्र की लगभग 60 जेलों में लागू की जाएगी।
भारत का पहला ग्रीनफील्ड ग्रेन आधारित इथेनॉल संयंत्र
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा बिहार में भारत के पहले ग्रीनफील्ड ग्रेन (अनाज) आधारित इथेनॉल संयंत्र का उद्घाटन किया गया। इस प्लांट की स्थापना ईस्टर्न इंडिया बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई है, जो एक शून्य-तरल निर्वहन (ZLD) संयंत्र है। शून्य तरल निर्वहन (ZLD) एक अपशिष्ट जल प्रबंधन रणनीति है जो तरल अपशिष्ट को समाप्त कर जल उपयोग दक्षता मे वृद्धि करती है। यह संयंत्र 15 एकड़ भूमि पर बनाया गया है जो प्रतिदिन 150 टन मक्का और चावल का उपयोग करके प्रतिदिन 65,000 लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने में सक्षम है। यह उप-उत्पाद (by-product) के रूप में DDGS (Distiller’s Dried Grains with Solubles) का भी उत्पादन करेगा, जिसे जानवरों के चारे के लिये बेचा जाएगा। यह संयंत्र ईंधन की ज़रूरत को पूरा करने के लिये गन्ना, मक्का और चावल का उपयोग कर इथेनॉल उत्पादन करने में बिहार की मदद करेगा। इथेनॉल एक स्पष्ट, रंगहीन कार्बनिक एक तरह का अल्कोहल है जिसका उपयोग वैकल्पिक ईंधन स्रोत के अलावा रासायनिक विलायक के रूप में और कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण में किया जाता है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल का मिश्रण करना है।
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिये परिसीमन आदेश
परिसीमन आयोग ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिये परिसीमन आदेश को अंतिम रूप दे दिया है। क्षेत्र के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 43 जम्मू के लिये और 47 कश्मीर क्षेत्र के लिये होंगे। एसोसिएट सदस्यों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिकों, सिविल सोसाइटी समूहों के साथ विचार-विमर्श के बाद नौ विधानसभा क्षेत्रों को अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित किया गया है। इनमें से 6 जम्मू क्षेत्र में और 3 कश्मीर घाटी में हैं। वर्ष 1995 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का आखिरी बार परिसीमन वर्ष 1981 की जनगणना के आधार पर किया गया था। इस पुनर्गठन से प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में समान संख्या में 18 विधानसभा क्षेत्र होंगे। स्थानीय प्रतिनिधियों की मांग को ध्यान में रखते हुए कुछ विधानसभा क्षेत्रों के नाम भी बदले गए हैं। परिसीमन से तात्पर्य किसी राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिये निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण करना है। अनुच्छेद 82 के तहत संसद प्रत्येक जनगणना के बाद एक परिसीमन अधिनियम लागू करती है। अधिनियम लागू होने के बाद परिसीमन आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा यह आयोग निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर कार्य करता है।