प्रीलिम्स फैक्ट्स: 6 मई, 2020
बे ऑफ बंगाल बाउंड्री लेयर एक्सपेरिमेंट
Bay of Bengal Boundary Layer Experiment
हाल ही में बेंगलुरू स्थित ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ (Indian Institute of Science) एवं यूके स्थित ‘यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया’ (University of East Anglia) की एक टीम ने ‘बे ऑफ बंगाल बाउंड्री लेयर एक्सपेरिमेंट’ (Bay of Benga.l Boundary Layer Experiment- BoBBLE) के तहत मानसून, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों एवं मौसम संबंधी अन्य पूर्वानुमानों की सटीक भविष्यवाणी के लिये एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है।
मुख्य बिंदु:
- BoBBLE, भारत एवं यूके की एक संयुक्त परियोजना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य मानसून प्रणाली पर बंगाल की खाड़ी में समुद्री प्रक्रियाओं के प्रभाव की जाँच करना है।
- इस परियोजना को भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) एवं ब्रिटेन के ‘प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद’ (Natural Environment Research Council) द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
- बंगाल की खाड़ी ‘दक्षिण एशियाई ग्रीष्मकालीन मानसून प्रणाली’ को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है।
- विशेष रूप से दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में समुद्री सतह का तापमान निम्न है जिससे समुद्री वातावरण के साथ-साथ मानसून भी प्रभावित होता है।
- दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी की तुलना में दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी अधिक ठंडी है। दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में अधिक लवणता होने से वर्षा की संभावना कम होती है और यह ग्रीष्मकालीन मानसूनी धाराओं (Summer Monsoon Current-SMC) से प्रभावित होती है।
- इस परियोजना के तहत बंगाल की खाड़ी में होने वाले बदलावों का अवलोकन करने के लिये दो जहाज़, छह महासागरीय ग्लाइडर्स एवं आठ नावों को तैनात किया जाएगा।
- ये दोनों जहाज़ बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम एवं दक्षिण-पूर्व में स्थापित किये जायेंगे जिससे इस क्षेत्र में हवाओं एवं समुद्री धाराओं के पूर्व-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण मार्गों का पता लगाते हुए, समुद्री तापमान, लवणता एवं धाराओं का अवलोकन करेंगे।
द लांग मार्च 5बी
The Long March 5B
5 मई, 2020 को चीन ने हैनान (Hainan) प्रांत के दक्षिणी द्वीप से एक अंतरिक्ष रॉकेट ‘द लांग मार्च 5बी’ (The Long March 5B) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
मुख्य बिंदु:
- यह प्रक्षेपण चीन के महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रमों का एक अहम पड़ाव है।
- वर्ष 2022 तक चीन एक स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन करने तथा चंद्रमा पर 6 सदस्यों के एक दल को भेजने की योजना बना रहा है।
- उल्लेखनीय है कि संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जिसने सफलतापूर्वक मानव को चंद्रमा पर भेजा है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का 50वाँ स्थापना दिवस
50th Foundation Day of Department of Science & Technology
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने 3 मई, 2020 को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के 50वें स्थापना दिवस के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी स्वायत्त संस्थानों तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology) के अधीनस्थ कार्यालयों के प्रमुखों से S&T गतिविधियों तथा COVID-19 प्रकोप से निपटने के लिये उठाए गए प्रयासों के संबंध में चर्चा की।
मुख्य बिंदु:
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (Science & Technology-S&T) के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मई 1971 में स्थापित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science & Technology-DST) देश में S&T गतिविधियों के आयोजन, समन्वय और प्रचार के लिये एक नोडल विभाग की भूमिका निभाता है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
- DST के प्रयासों के कारण भारत विज्ञान आधारित पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशनों की संख्या के मामले में चीन और अमेरिका के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुँच गया है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के 50वें स्थापना दिवस के अवसर पर COVID-19 पर एक मल्टीमीडिया गाइड 'COVID कथा' भी लॉन्च की गई।
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण
Central Administrative Tribunal
हाल ही में केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय (Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions) ने कहा है कि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (Central Administrative Tribunal- CAT) की जम्मू एवं कश्मीर खंडपीठ केंद्र सरकार तथा केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के कर्मचारियों से संबंधित सेवा मामलों की सुनवाई करेगी।
- गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की चंडीगढ़ खंडपीठ इन मामलों की सुनवाई करती थी।
मुख्य बिंदु:
- केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323-A के तहत की गई थी।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 323-A संसद को यह अधिकार देता है कि वह केंद्र व राज्य की लोक सेवाओं, स्थानीय निकायों, सार्वजनिक निगमों तथा अन्य सार्वजनिक प्राधिकरणों में नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती व सेवा शर्तों संबंधी विवादों को सुलझाने के लिये प्रशासनिक अधिकरण की स्थापना कर सकती है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323-A का अनुसरण करते हुए संसद ने प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 पारित किया। यह अधिनियम केंद्र सरकार को एक केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण और राज्य प्रशासनिक अधिकरण के गठन का अधिकार देता है।
- वर्ष 2006 में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम, 1985 में संशोधन करके इसके सदस्यों की हैसियत उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बराबर कर दी गई है।
- अधिकरण किसी भी मामले को तय करने के संदर्भ में ‘प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों’ का पालन करता है।
- उल्लेखनीय है कि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, सिविल प्रक्रिया संहिता-1908 की कानूनी प्रक्रियाओं के तहत बाध्य नहीं है।