प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 05 अगस्त, 2021
स्विन्होज़ सॉफ्टशेल टर्टल
Swinhoe’s Softshell Turtle
- हाल के वर्षों में दुनिया के सबसे लुप्तप्राय कछुए ‘स्विन्होज़ सॉफ्टशेल टर्टल’ को विलुप्त होने से बचाने के लिये संरक्षणवादियों द्वारा बहुत प्रयास किये गए हैं।
- इस जानवर को ‘होन कीम टर्टल’ (Hoan Kiem Turtle) या ‘यांग्त्ज़ी जिआंट सॉफ्टशेल टर्टल’ (Yangtze Giant Softshell Turtle) के रूप में भी जाना जाता है।
- वियतनाम में इन जानवरों का बहुत अधिक सांस्कृतिक महत्त्व है क्योंकि हनोई में लोग इस प्राणी को एक जीवित देवता के रूप में मानते हैं।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिक नाम: रैफेटस स्विनहोई
- ये कछुए हल्के भूरे या पीले धब्बों के साथ भूरे रंग के होते हैं।
- महत्त्व:
- कुछ शोधकर्त्ताओं ने ‘सीफ्लोर बायोसिस्टम’ के संदर्भ में इनके महत्व पर प्रकाश डाला है, जहाँ ये मिट्टी के पोषक तत्त्वों को समृद्ध करके और बीज प्रकीर्णन को सुविधाजनक बनाकर योगदान करते हैं।
- परिवेश:
- इन कछुओं का प्राकृतिक आवास आर्द्रभूमि और बड़ी झीलें हैं।
- चीन और वियतनाम के मूल निवासी।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट II
- खतरा:
- इसके मांस और अंडों के शिकार के साथ-साथ आवास के विनाश के कारण ये विलुप्ति की कगार पर पहुँच गए है।
उमलिंग-ला दर्रे में दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड
World’s Highest Motorable Road at Umling La
हाल ही में सीमा सड़क संगठन (BRO) ने 19,300 फीट की ऊँचाई पर स्थित पूर्वी लद्दाख के उमलिंग ला दर्रा क्षेत्र में दुनिया की सबसे ऊँची मोटर योग्य सड़क पर ब्लैक टॉपिंग (Black Topping) और निर्माण कार्य को पूरा किया है।
प्रमुख बिंदु
सड़क के बारे में:
- इस सड़क का निर्माण कर BRO ने ऊँचाई पर स्थित सड़कों के निर्माण में कीर्तिमान स्थापित किया है।
- BRO ने बोलीविया में ज्वालामुखी उटुरुंकु से 18,953 फीट की ऊँचाई पर एक सड़क निर्माण के अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा है।
- 'प्रोजेक्ट हिमांक' के तहत बनी रणनीतिक सड़क उमलिंग ला टॉप से होकर गुज़रती है और चिसुमले व डेमचोक गाँवों को जोड़ती है।
- यह सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बढ़ाएगा और लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देगा।
- यह सड़क वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब है और इससे सैनिकों तथा उपकरणों की त्वरित आवाजाही में सुविधा मिलेगी।
सड़क की तुलना:
- इस सड़क का निर्माण माउंट एवरेस्ट बेस कैंप से अधिक ऊँचाई पर किया गया है क्योंकि नेपाल में साउथ बेस कैंप 17,598 फीट की ऊँचाई पर है, जबकि तिब्बत में नॉर्थ बेस कैंप की ऊँचाई 16,900 फीट है।
- सड़क का निर्माण सियाचिन ग्लेशियर से काफी ऊपर किया गया है जो कि 17,700 फीट है।
- लेह में खारदुंग ला दर्रा 17,582 फीट की ऊँचाई पर है।
प्रोजेक्ट ‘हिमांक’:
- प्रोजेक्ट ‘हिमांक’ जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में कार्यान्वित की जा रही BRO की एक परियोजना है।
- यह प्रोजेक्ट वर्ष 1985 में शुरू हुआ था।
- इस परियोजना के तहत BRO दुनिया की सबसे ऊँची मोटर योग्य सड़कों और इनसे संबंधित बुनियादी ढाँचे के निर्माण और रखरखाव के लिये ज़िम्मेदार है।
दर्रा |
किससे-किसको जोड़ता है/विशेषताएँ |
1. बनिहाल दर्रा |
कश्मीर घाटी को बाह्य हिमालय और दक्षिण में मैदानी इलाकों के साथ। |
2. बारा-लाचा-ला दर्रा |
हिमाचल प्रदेश के लाहौल को लेह ज़िले से। |
3. फोटू-ला दर्रा |
लेह को कारगिल से। |
4. रोहतांग दर्रा |
कुल्लू घाटी को हिमाचल प्रदेश की लाहौल और स्पीति घाटी से। |
5. शिपकी ला दर्रा |
हिमाचल प्रदेश को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। |
6. जेलेप ला दर्रा |
सिक्किम को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। |
7. नाथू ला दर्रा |
सिक्किम को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। |
8. लिपूलेख दर्रा |
भारत की चौड़न घाटी को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। यह उत्तराखंड, चीन और नेपाल के ट्राई-जंक्शन पर स्थित है। |
9. खार्दूंग ला |
लद्दाख को सियाचिन ग्लेशियर से। यह विश्व का सबसे ऊँचा मोटर वाहन योग्य दर्रा है। |
10. बोम-डि-ला दर्रा |
यह अरुणाचल प्रदेश में है। |
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 अगस्त, 2021
नेल्लीयोड वासुदेवन नंबूदिरी
हाल ही में मशहूर कत्थकली कलाकार ‘नेल्लीयोड वासुदेवन नंबूदिरी’ का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। शास्त्रीय नृत्य नाटक में नकारात्मक ‘चुवन्ना थड़ी’ (लाल दाढ़ी) पात्रों के लिये पहचाने जाने वाले नेल्लीयोड ने ‘वट्टमुडी’ और ‘पेनकारी’ की भूमिकाएँ भी निभाईं तथा उसके लिये काफी सराहना भी हासिल की। ‘काली’, ‘दुशासन’ और ‘बकन’ जैसे नकारात्मक पात्रों के अलावा वह ‘कुचेलन’ जैसी सकारात्मक व पवित्र भूमिकाएँ निभाने के लिये भी प्रसिद्ध थे। संस्कृत और हिंदू पुराणों के विद्वान वासुदेवन नंबूदिरी संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, केरल शांति नाटक अकादमी पुरस्कार, केरल राज्य कत्थकली पुरस्कार और इसी प्रकार के अन्य सम्मानों के प्राप्तकर्त्ता थे। गौरतलब है कि केरल कई परंपरागत नृत्यों और नृत्य-नाटक शैलियों के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें से एक ‘कत्थकली’ नृत्य भी है। कत्थकली नृत्य भारत के आठ शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। कत्थकली, संगीत और अभिनय का विशिष्ट मिश्रण है। इसमें अधिकांशतः भारतीय महाकाव्यों से ली गई कथाओं का नाटकीकरण किया जाता है। केरल के सभी प्रारंभिक नृत्य और नाटक जैसे- चकइरकोथू, कोडियाट्टम, मुडियाअट्टू, थियाट्टम, थेयाम, सस्त्राकली, कृष्णाअट्टम तथा रामाअट्टम आदि कत्थकली की ही देन हैं। ‘कत्थकली के अलावा भारतीय शास्त्रीय नृत्य की प्रमुख शैलियों में शामिल हैं- कत्थक (उत्तर प्रदेश, जयपुर), भरतनाट्यम (तमिलनाडु), मणिपुरी (मणिपुर), ओडिसी (ओडिशा), कुचीपुड़ी (आंध्र प्रदेश), सत्रीया (असम) एवं मोहिनीअट्टम (केरल)।
एग्रो-ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने संसद को सूचित किया है कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आम लोगों, विशेषकर किसानों को सटीक मौसम पूर्वानुमान प्रदान करने के लिये 200 स्थानों पर ‘एग्रो-ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन’ (AWS) की स्थापना की है। ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ (ICMR) नेटवर्क के तहत ‘कृषि विज्ञान केंद्रों’ (KVK) में स्थित ज़िला एग्रोमेट यूनिट्स (DAMUs) में 200 ‘एग्रो-ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन’ इंस्टॉल किये गए हैं। इन केंद्रों की स्थापना ‘ग्रामीण कृषि मौसम सेवा’ (GKMS) योजना के तहत ब्लॉक स्तरीय ‘एग्रोमेट एडवाइज़री सर्विसेज़’ (AAS) की सहायता हेतु की गई है। मौसम आधारित परिचालन ‘एग्रोमेट एडवाइज़री सर्विसेज़’ (AAS) को ‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ द्वारा ICMR और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ संयुक्त रूप से शुरू किया गया है। यह देश में कृषक समुदाय के लाभ के लिये मौसम आधारित फसल एवं पशुधन प्रबंधन रणनीतियों एवं उनके संचालन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत ज़िला और ब्लॉक स्तर पर मध्यम-श्रेणी का मौसम पूर्वानुमान प्रस्तुत किया जाता है तथा पूर्वानुमान के आधार पर राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ एडवाइज़री जारी की जाती है। यह एडवाइज़री किसानों को दिन-प्रतिदिन के कृषि कार्यों पर निर्णय लेने में मदद करती है, जो कि कम वर्षा की स्थिति व चरम मौसम की घटनाओं के दौरान मौद्रिक नुकसान को कम करने और फसल की उपज को अधिकतम करने में महत्त्वपूर्ण हो सकती है।
‘हार्पून’ ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट
अमेरिका ने ‘हार्पून’ ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट (JCTS) और संबंधित उपकरणों को भारत को 82 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर बेचने की मंज़ूरी दे दी है। यह निर्णय भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करने व भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख रक्षात्मक भागीदार के रूप में भारत की स्थिति में सुधार करने में मदद करेगा। ‘हार्पून’ मिसाइल प्रणाली को सर्वप्रथम वर्ष 1977 में तैनात किया गया था और यह एक ऑल-वेदर, ओवर-द-होराइज़न, एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम है। इसमें सक्रिय रडार गाइडेंस के साथ एक समुद्र-स्किमिंग क्रूज़ प्रक्षेपवक्र भी मौजूद है। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत का यह मिलियन डॉलर का सौदा दोनों देशों के बीच संबंधों में विकास का परिणाम है, जिसकी नींव वर्ष 2016 में तब पड़ी थी, जब अमेरिका ने भारत को एक ‘प्रमुख रक्षा भागीदार’ के रूप में मान्यता दी थी। 82 मिलियन डॉलर की खरीद के हिस्से के रूप में भारत को एक हार्पून ज्वाइंट कॉमन टेस्ट सेट, एक रखरखाव स्टेशन; स्पेयर और मरम्मत संबंधी हिस्से, समर्थन एवं परीक्षण उपकरण; प्रकाशन व तकनीकी दस्तावेज़; कर्मियों का प्रशिक्षण आदि की सुविधा प्राप्त होगी।
आईएनएस ‘विक्रांत’
भारतीय नौसेना ने स्वदेशी विमान वाहक आईएनएस ‘विक्रांत’ का समुद्री परीक्षण किया है। आईएनएस ‘विक्रांत’ भारत में डिज़ाइन और निर्मित पहला विमानवाहक पोत है। यह विमानवाहक पोत भारत के लिये सबसे शक्तिशाली समुद्री संपत्तियों में से एक है, जो घरेलू तटों से दूर यात्रा करने की नौसेना की क्षमता में बढ़ोतरी करता है। इसमें 30 विमानों का एक वायु घटक शामिल है, जिसमें स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टरों के अलावा मिग-29K लड़ाकू जेट, कामोव-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर तथा जल्द ही नौसेना में शामिल होने वाले MH-60R मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर होंगे। इसकी अधिकतम गति तकरीबन 30 समुद्री मील (लगभग 55 किमी. प्रति घंटा) है और इसे चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित किया जाएगा। स्वदेशी विमान वाहक एक बार में 18 समुद्री मील (32 किमी. प्रति घंटे) की गति से 7,500 समुद्री मील की दूरी तय करने में सक्षम है। इस विमान वाहक पर हथियारों के रूप में बराक एलआर एसएएम और एके-630 शामिल हैं, साथ ही इसमें सेंसर के रूप में एमएफएसटीएआर एवं आरएएन-40 एल 3डी रडार शामिल हैं। इस पोत में ‘शक्ति’ नाम का इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट भी मौजूद है।