कला संस्कृति विकास योजना
हाल ही में संस्कृति मंत्रालय ने "कला संस्कृति विकास योजना (KSVY)" के तहत बौद्ध/तिब्बती संस्कृति और कला के विकास के लिये वित्तीय सहायता हेतु एक योजना शुरू की है।
- इस योजना के तहत देश के किसी भी हिस्से में स्थित बौद्ध/तिब्बती संस्कृति एवं परंपरा के प्रचार और विकास में लगे मठों सहित स्वैच्छिक बौद्ध तथा तिब्बती संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। एक संगठन के लिये वित्तपोषण की राशि प्रतिवर्ष 30 लाख रुपए है।
प्रमुख बिंदु
- KSVY देश में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये संस्कृति मंत्रालय के तहत एक अंब्रेला योजना है। यह एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
- मंत्रालय KSVY के तहत कई योजनाएँ लागू करता है, जहाँ कार्यक्रमों/गतिविधियों के आयोजन के लिये अनुदान स्वीकृत/अनुमोदित किया जाता है।
- कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता योजना।
- सांस्कृतिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये वित्तीय सहायता योजना।
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये योजना, जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा मान्यता प्राप्त भारत की 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 दिसंबर, 2021
सेंट फ्राँसिस जेवियर
‘सेंट फ्राँसिस जेवियर’ की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को गोवा में ‘सेंट फ्राँसिस जेवियर फीस्ट’ का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन गोवा स्थित ‘बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस’ में किया जाता है, जो यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है।‘सेंट फ्राँसिस जेवियर’ आधुनिक समय के सबसे महान रोमन कैथोलिक मिशनरी थे, जिन्होंने भारत में ईसाई धर्म की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ‘सेंट फ्राँसिस जेवियर’ का जन्म 3 दिसंबर, 1552 को स्पेन में हुआ था। स्पेन में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1525 में 19 वर्ष की आयु में पेरिस की यात्रा की। वर्ष 1534 में पेरिस में उन्होंने लोयोला के सेंट इग्नाटियस के नेतृत्व में ‘सोसाइटी ऑफ जीसस’ या ‘जेसुइट्स’ के पहले सात सदस्यों में से एक के रूप में प्रतिज्ञा ली। पुर्तगाल के राजा ‘जॉन-III’ द्वारा सेंट जेवियर को ईस्ट इंडीज़ के लोगों के बीच प्रचार करने के लिये नियुक्त किया गया। इसी अभियान के हिस्से के तौर पर वे मई 1542 में गोवा आए. जहाँ उन्होंने पहले पाँच महीने बीमारों का उपचार करने और उनकी सेवा करने में बिताए। इसके पश्चात् वे जापान गए, वहाँ उन्होंने मिशनरी गतिविधियों को आगे बढाया। वे तकरीबन 10 वर्षों (मई 1542 से दिसंबर 1552) तक मिशनरी गतिविधियों में संलग्न रहे और उनके इस कार्य के लिये उन्हें ‘अपोस्टल ऑफ इंडीज़’ तथा ‘अपोस्टल ऑफ जापान’ के नाम से भी जाना जाता है।
अंजू बॉबी जॉर्ज
प्रसिद्ध भारतीय ‘लॉन्ग जम्पर’ अंजू बॉबी जॉर्ज को देश में खेल को बढ़ावा देने और लैंगिक समानता की वकालत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय एथलीट निकाय ‘वर्ल्ड एथलेटिक्स’ द्वारा ‘वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है। 44 वर्षीय अंजू बॉबी जॉर्ज वर्ष 2003 के संस्करण में लंबी कूद में कांस्य के साथ विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय हैं। यह पुरस्कार उन महिलाओं को सम्मानित करने हेतु प्रदान किया जाता है, जिन्होंने अपने जीवनकाल में एथलेटिक्स को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इस पुरस्कार को वर्ष 2019 में शुरू किया गया था और ‘अंजू बॉबी जॉर्ज‘ इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की दूसरी प्राप्तकर्त्ता हैं, पहली बार यह पुरस्कार इथियोपिया के डबल ओलंपिक चैंपियन ‘डेरार्टू तुलु’ को प्रदान किया गया था। इससे पूर्व वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच वीमेन इन एथलेटिक अवार्ड’' नामक एक पुरस्कार प्रदान किया जाता था, जिसका उद्देश्य खेल के सभी स्तरों पर महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने, उन्हें प्रोत्साहित और मज़बूत करने हेतु उत्कृष्ट उपलब्धियों एवं योगदान को मान्यता प्रदान करना था।
गीता गोपीनाथ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री, भारतीय-अमेरिकी गीता गोपीनाथ जल्द ही संगठन की पहली उप-प्रबंध निदेशक का पद संभालेंगी। नई नियुक्ति में गीता गोपीनाथ निगरानी और संबंधित नीतियों का नेतृत्व करेंगी तथा अनुसंधान एवं प्रमुख प्रकाशनों की देख-रेख करेंगी। विदित हो कि गीता गोपीनाथ ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री और रघुराम राजन के बाद यह प्रतिष्ठित पद संभालने वाली दूसरी भारतीय थीं। वह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की 11वीं मुख्य अर्थशास्त्री बनी थीं। ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् युद्ध प्रभावित देशों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिये विश्व बैंक के साथ की गई थी। इन दोनों संगठनों की स्थापना के लिये अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन में सहमति बनी। इसलिये इन्हें ‘ब्रेटन वुड्स ट्विन्स’ (Bretton Woods Twins) के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1945 में स्थापित IMF विश्व के 190 देशों द्वारा शासित है तथा यह अपने निर्णयों के लिये इन देशों के प्रति उत्तरदायी है। भारत 27 दिसंबर, 1945 को IMF में शामिल हुआ था। ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है।