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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 04 Jan, 2023
  • 40 min read
प्रारंभिक परीक्षा

चलन में मौजूद मुद्रा

वर्ष 2016 में सरकार द्वारा विमुद्रीकरण की घोषणा के लगभग छह वर्ष और दो महीने बाद चलन में मौजूद मुद्रा एक नई ऊँचाई (विमुद्रीकरण की घोषणा से पहले के दिनों की तुलना में 74% की वृद्धि) पर है।

  • चलन में मौजूद मुद्रा की कुल राशि में से बैंक नकदी घटाने के बाद जनता के पास मुद्रा की मात्रा निर्धारित की जाती है।
  • भले ही सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने "कैशलेस सोसाइटी" के लिये अभियान चलाया, डिजीटल भुगतान एवं विभिन्न लेन-देन में नकदी के उपयोग पर सीमाएँ भी निर्धारित कीं परंतु नकदी की मात्रा में वृद्धि हो ही रही है।

चलन में मुद्रा: 

  • चलन में मौजूद मुद्रा से तात्पर्य एक देश के भीतर उस नकदी या मुद्रा से है जो उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच लेन-देन करने के लिये भौतिक रूप से उपयोग की जाती है।
  • चलन में मौजूद मुद्रा देश की मुद्रा आपूर्ति का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
  • केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक प्राधिकरण चलन में भौतिक मुद्रा (physical currency) की मात्रा पर नज़र रखते हैं क्योंकि यह सबसे अधिक तरल संपत्तियों में से एक का प्रतिनिधित्त्व करती है।
  • चलन में मौजूद मुद्रा के अंतर्गत नोट, रुपए के सिक्के और छोटे सिक्के शामिल हैं।
  • करेंसी नोट जारी करने का एकमात्र अधिकार RBI के पास है। सिक्कों को जारी करने का प्राधिकार भारत सरकार के पास है और मांग के आधार पर यह रिज़र्व बैंक को सिक्कों की आपूर्ति करती है।

मुद्रा आपूर्ति:

  • यह ध्यान देने योग्य है कि मुद्रा का कुल स्टॉक मुद्रा की कुल आपूर्ति से भिन्न होता है।
    • मुद्रा की आपूर्ति मुद्रा के कुल भंडार का केवल वह भाग है जो किसी समय विशेष पर जनता के पास होती है।
  • चलन में जो धन शामिल होता है उसमें मुद्रित नोट, जमा खातों में धन और अन्य तरल संपत्तियाँ होती हैं।
  • आरबीआई मुद्रा आपूर्ति के चार वैकल्पिक उपायों के लिये आँकड़े प्रकाशित करता है, अर्थात् M1, M2, M3 और M4।
    • M1 = CU + DD 
    • M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमा
    • M3 = M1 + वाणिज्यिक बैंकों में शुद्ध सावधि जमा
    • M4 = M3 + डाकघर में कुल जमा (सावधि जमा+आवर्ती जमा) (राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्रों को छोड़कर)
  • CU जनता द्वारा धारित मुद्रा (नोट+सिक्के) है और DD वाणिज्यिक बैंकों द्वारा धारित शुद्ध मांग जमा है।
  • 'नेट' शब्द का तात्पर्य है कि बैंकों द्वारा रखी गई जनता की जमा राशि को ही मुद्रा आपूर्ति में शामिल किया जाना है।
    • जब एक वाणिज्यिक बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों में इंटरबैंक डिपॉज़िट रखता है, तो इसे मुद्रा की आपूर्ति का हिस्सा नहीं माना जाता है।
  • M1 और M2 को संकुचित मनी (नैरो मनी) कहा जाता है। M3 और M4 को विस्तृत मनी (ब्रॉड मनी) के रूप में जाना जाता है।
  • ये श्रेणियाँ तरलता के घटते क्रम में हैं।
    • M1 लेन-देन के लिये सबसे अधिक तरल और आसान है, जबकि M4 सबसे कम तरल है।
    • M3 पैसे की आपूर्ति का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उपाय है। इसे कुल मौद्रिक संसाधनों के रूप में भी जाना जाता है।

प्रश्न. निम्नलिखित उपायों में से किसके/किनके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होगी? (2012)

  1. केंद्रीय बैंक द्वारा लोगों से सरकारी प्रतिभूतियों का क्रय
  2. लोगों द्वारा वाणिज्यिक बैंको में जमा की गई करेंसी
  3. सरकार द्वारा केंद्रीय बैंक से लिया गया ऋण
  4. केंद्रीय बैंक द्वारा लोगों को सरकारी प्रतिभूतियों का विक्रय

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • जनता द्वारा केंद्रीय बैंक में पैसा जमा करने और सरकार द्वारा अपनी प्रतिभूतियों को जनता को बेचने की स्थिति में अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति कम हो जाती है। अतः कथन 2 और 4 सही नहीं हैं।
  • अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति बढ़ाने के तरीके:  
    • अधिक मुद्रा छापना
    • ब्याज़ दरों में कमी
    • केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा की आपूर्ति में नई मुद्रा की शुरुआत
    • ऋण हेतु आरक्षित अनुपात कम करना
    • केंद्रीय बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियाँ खरीदना, अतः कथन 1 सही है।
    • विस्तारक राजकोषीय नीति  
  • केंद्रीय बैंक से सरकार द्वारा ऋण लिये जाने से भी अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में वृद्धि होती है। अत: कथन 3 सही है। 

अतः विकल्प (C) सही है।


प्रश्न. यदि आप अपने बैंक में अपने मांग जमा खाते से 1,00,000 रुपए नकद निकालते हैं, तो अर्थव्यवस्था में कुल धन आपूर्ति पर तत्काल क्या प्रभाव पड़ेगा? (2020)

(a) यह 1,00,000 रुपए से कम होगा
(b) यह 1,00,000 रुपए बढ़ जाएगा
(c) यह 1,00,000 रुपए से अधिक बढ़ेगा
(d) यह अपरिवर्तित रहेगा

उत्तर: (d)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

भित्ति कला

हाल ही में चेरपुलास्सेरी (केरल) में गवर्नमेंट वोकेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल की 700 फीट लंबी दीवार पर आधुनिक भित्ति कला की एक महान कृति ‘वॉल ऑफ पीस’ का उद्घाटन किया गया।

Mural-Art

भित्ति चित्र की विशेषताएँ:

  • भारतीय गुफाओं और महलों की दीवारों पर बने चित्र भित्ति चित्र कहलाते  हैं।
  • भित्ति चित्रों का सबसे पहला प्रमाण अजंता और एलोरा की गुफाओं, बाघ की गुफाओं एवं सित्तनवासल की गुफाओं पर चित्रित सुंदर भित्ति चित्रों से प्राप्त होता हैं।
  • भित्ति चित्रों के सर्वाधिक प्रमाण प्राचीन लिपियों और साहित्य में मिलते हैं।
    • विनय पिटक के अनुसार - वैशाली की प्रसिद्ध गणिका आम्रपाली ने अपने महल की दीवारों पर उस समय के राजाओं और व्यापारियों को चित्रित करने के लिये चित्रकारों को नियुक्त किया था।

भारतीय दीवार चित्रों की तकनीक:

  • भारतीय दीवार चित्रों को बनाने की तकनीक और प्रक्रिया की चर्चा 5वीं/6वीं शताब्दी के एक संस्कृत ग्रंथ विष्णुधर्मोत्तरम में की गई है।
  • सभी प्रारंभिक उदाहरणों में इन चित्रों की प्रक्रिया एक जैसी प्रतीत होती है, अपवाद के रूप में तंजौर के राजराजेश्वर मंदिर जिसे चट्टानों की सतह पर भित्ति चित्र विधि द्वारा किया गया माना जाता है।
  • अधिकांश रंग स्थानीय स्तर पर उपलब्ध थे। 
  • ब्रशों का निर्माण बकरी, ऊँट, नेवला आदि जानवरों के बालों से किया जाता था।
  • ज़मीन को चूने के प्लास्टर की एक अत्यधिक पतली परत के साथ लेपित किया जाता था, जिस पर पानी के रंगों द्वारा चित्रों को बनाया जाता था।
  • वास्तविक भित्ति पद्धति में पेंटिंग तब की जाती है जब सतह की दीवार गीली होती है, ताकि पिगमेंट दीवार की सतह के अंदर गहराई तक जा सके। 
  • भारतीय चित्रकला के अधिकांश मामलों में चित्रकला की जिस अन्य पद्धति का पालन किया गया, उसे टेम्पोरा के रूप में जाना जाता है।
    • यह पेंटिंग की एक ऐसी विधि है जिसमें चूने की प्लास्टर वाली सतह को पहले सूखने दिया जाता है और फिर ताज़े चूने के पानी से भिगोया जाता है।
    • इस प्रकार प्राप्त सतह पर कलाकार रेखाचित्र बनाता है।
    • उपयोग में आने वाले प्रमुख रंग लाल गेरू, विशद लाल (सिंदूर), पीला गेरू, गहरा नीला, लापीस लाजुली, लैम्प ब्लैक (काजल), चाक सफेद, टेरावर्ट और हरा थे।

भित्ति चित्र:  

  • कलाकृति का कोई भी हिस्सा है जिसे चित्रित किया जाता है अथवा सीधे दीवारों पर लगाया जाता है भित्ति चित्र कहलाता है।
  • भित्ति कला छत या किसी अन्य बड़ी स्थायी सतह पर अधिक व्यापक रूप से दिखाई देती है।
  • भित्ति चित्रों में आमतौर पर अंतरिक्ष के वास्तुकला संबंधी चित्रों को सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किये जाने की विशिष्ट विशेषता होती है।
  • भित्ति चित्रों के लिये कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें से भित्ति सिर्फ एक प्रकार है।
  • इसलिये भित्ति दीवार पेंटिंग के लिये एक सामान्य शब्द है, जबकि फ्रेस्को एक विशिष्ट शब्द है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. सुप्रसिद्ध पेंटिंग "बणी ठणी" किस शैली की है? (2018)

(a) बूँदी शैली 
(b) जयपुर शैली 
(c) काँगड़ा शैली 
(d) किशनगढ़ शैली 

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • किशनगढ़ शैली: 
    • बणी ठणी चित्रकला किशनगढ़ शैली की है। भारतीय चित्रकला की किशनगढ़ शैली (18वीं सदी) का उदय किशनगढ़ (मध्य राजस्थान) रियासत में हुआ।
  • काँगड़ा शैली: 
    • लगभग 18वीं शताब्दी के मध्य में नादिर शाह (वर्ष 1739) और अहमद शाह अब्दाली (वर्ष 1744-1773) की सेनाओं ने मुगल राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को लूट लिया। राजा गोवर्द्धन चंद (वर्ष 1744-1773) के संरक्षण में हरिपुर-गुलेर में काँगड़ा चित्रकला शैली का जन्म तब हुआ जब उन्होंने मुगल शैली की पेंटिंग में प्रशिक्षित शरणार्थी कलाकारों को आश्रय प्रदान किया।
  • बूँदी शैली: 
    • बूँदी चित्रकला शैली का विकास 17वीं-19वीं सदी के बीच राजस्थान की बूँदी रियासत और इसके पड़ोसी राज्य कोटाह (अब कोटा) में हुआ।
  • जयपुर शैली:
    • चूँकि जयपुर (आमेर) रियासत के शासकों का मुगलों के साथ घनिष्ठ संबंध था, 16वीं शताब्दी के अंत और 18वीं शताब्दी की शुरुआत के बीच विकसित हुई इस कला में राजस्थानी शैली (जो 16वीं -17वीं शताब्दी के बीच कला शैली पर प्रभावी थी) और मुगल शैली दोनों के समकालिक तत्त्व विद्यमान थे।

प्रश्न. कलमकारी पेंटिंग किसे संदर्भित करती है? (2015)

(a) दक्षिण भारत में सूती वस्त्र में हाथ से की गई चित्रकारी
(b) पूर्वोत्तर भारत में बाँस के हस्तशिल्प पर हाथ से किया गया चित्रांकन
(c) भारत के पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में ऊनी वस्त्र पर ठप्पे (ब्लॉक-पेंट) से की गई चित्रकारी
(d) उत्तर-पश्चिमी भारत में सजावटी रेशमी वस्त्र में हाथ से की गई चित्रकारी

उत्तर: (a)

  • कलमकारी दक्षिण भारतीय राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके इमली की कलम से सूती या रेशमी वस्त्रों पर की जाने वाली हाथ की पेंटिंग की एक प्राचीन शैली है।
  • कलमकारी शब्द फारसी शब्द से लिया गया है जहाँ ‘कलम’ का अर्थ है कलम और 'कारी' शिल्प कौशल को संदर्भित करती है।
  • इस कला में रंगाई, ब्लीचिंग, हैंड पेंटिंग, ठप्पे (ब्लॉक प्रिंटिंग), स्टार्चिंग, सफाई आदि के 23 कठिन चरण शामिल हैं।
  • कलमकारी रूपांकनों में फूल, मोर और पैस्ले से लेकर रामायण एवं महाभारत जैसे पवित्र हिंदू महाकाव्यों के पात्र शामिल हैं।
  • वर्तमान में यह कला मुख्य रूप से कलमकारी साड़ियाँ बनाने के लिये की उपयोग की जाती है। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

प्रश्न. निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थानों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. अजंता की गुफाएँ
  2. लेपाक्षी मंदिर
  3. साँची स्तूप

उपर्युक्त स्थानों में से कौन-सा/से भित्ति चित्रों के लिये भी जाना जाता है/जाने जाते हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (b)

व्याख्या:

अजंता की गुफाएँ:  

  • प्रारंभिक भित्ति चित्रों को बौद्ध कला के बाद के काल की नक्काशीदार भूमि पर किये गए चित्रण दीर्घाओं (galleries) के प्रोटोटाइप के रूप में माना जा सकता है, जैसा कि महाराष्ट्र में अजंता के चित्रित गुफा मंदिरों में है।
  • एलोरा की गुफाओं में अजंता, बाग, सित्तनवासल, अर्मामलाई गुफा (तमिलनाडु), रावण छाया शैलाश्रय, कैलाशनाथ मंदिर की गुफाओं में भित्ति चित्र पाए जाते हैं। अत: 1 सही है।

लेपाक्षी मंदिर: 

  • दक्षिणी आंध्र प्रदेश के कुरमासेलम (जो तेलुगू में कछुआ पहाड़ी शब्द का अनुवाद है) नामक एक निचली चट्टानी पहाड़ी पर स्थित लेपाक्षी मंदिर का निर्माण विरुपन्ना और वीरन्ना भाइयों द्वारा करवाया गया था, ये 1583 में विजयनगर शासकों के शासनकाल में सेवा में थे।
  • यह अपने हैंगिंग कॉलम अथवा स्तंभ, एक अखंड नंदी/Monolithic Nandi (4.5 मीटर ऊँचा और 8.23 मीटर लंबा) तथा भित्ति चित्रों के बेहतरीन नमूनों के लिये प्रसिद्ध है।

साँची स्तूप: 

  • इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था, यह चार तोरण (सजावटी द्वार) के साथ बुद्ध के पुरावशेष पर निर्मित ईंट की अर्द्धगोलीय संरचना है।
  • इसमें बुद्ध के जीवन से प्रेरित, पत्थर पर की गई नक्काशियाँ भी हैं और कई रस्सियों, मोतियों एवं रीलों के साथ एक केंद्र में एक पाल्मेट डिज़ाइन भी है। इसमें कोई भित्ति चित्र नहीं है। अतः 3 सही नहीं है। 

प्रश्न. प्राचीन भारत में गुप्त काल के गुफा चित्रों के केवल दो ज्ञात उदाहरण हैं। इन्हीं में से एक है अजंता की गुफाओं के चित्र। गुप्तकालीन चित्रों का अन्य मौजूद उदाहरण कहाँ है?  (2010)  

(a) बाग गुफाएँ  
(b) एलोरा की गुफाएँ  
(c) लोमस ऋषि गुफाएँ  
(d) नासिक की गुफाएँ  

उत्तर: (b)

व्याख्या: 

  • बाग गुफाएँ मध्य प्रदेश की विंध्य पहाड़ियों में स्थित हैं। वे भारत में बौद्ध कला और वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। गुफाओं में चैत्य एवं विहार दोनों हैं। 5वीं-6वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान बाग गुफाओं का उत्खनन किया गया था, जो भारत में बौद्ध धर्म के बाद के चरणों के अनुरूप था।
  • गुप्त काल को भारत में कला और वास्तुकला का स्वर्ण युग माना जाता है। गुप्त शासक कला, साहित्य और विद्वानों के महान संरक्षक थे। गुप्त साम्राज्य के शासनकाल के दौरान अजंता तथा एलोरा की गुफाओं को तराशा गया था। इनमें हिंदू और बौद्ध दोनों विषयों के चित्र हैं।
  • लोमस ऋषि गुफा बिहार के बराबर और नागार्जुनी पहाड़ियों में एक मानव निर्मित गुफा है। इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के अशोक काल के दौरान बनाया गया था।
  • नासिक गुफाएँ 24 गुफाओं का एक समूह है, जो पहली शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी के दौरान बनाई गई हैं। हीनयान बौद्ध धर्म में चल रहे परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने के लिये 6वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान इसमें कुछ बदलाव किये गए थे।
  • गुफाओं पर बने शिलालेख से पता चलता है कि स्थानीय व्यापारियों और सामंतों द्वारा किये गए दान के अतिरिक्त विभिन्न शासक राजवंशों ने गुफाओं के निर्माण में योगदान दिया है। गुफाओं पर वर्णित तीन शासक राजवंश- पश्चिमी क्षत्रप, सातवाहन और आभीर हैं। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। 

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

वायरोवोर

शोधकर्त्ताओं ने पहले ज्ञात "वायरोवोर" अथवा एक जीव की खोज की है जो वायरस का भक्षण करता है।  

  • खाद्य शृंखला में वायरस की भूमिका संबंधी नए निष्कर्ष सूक्ष्म स्तर पर हमारी सोच और समझ को बदल सकते हैं। 

वायरोवोर: 

  • इसकी पहचान प्रजीव (Protist) की एक वास्तविक प्रजाति के रूप में की गई है जो वायरस का भक्षण करता है।
  • वायरस का भक्षण करने वाले प्रजीवों की इन प्रजातियों को वायरोवोर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • यह हेल्टेरिया की एक प्रजाति है, ऐसे सूक्ष्म सिलियेट्स जो प्रायः मीठे पानी में रहते हैं।
    • सूक्ष्म जीव हेल्टेरिया प्रजीव का एक सामान्य जीनस है जो अपने बालों जैसी सिलिया के रूप में पानी में चलने के लिये जाना जाता है।
  • वे न्यूक्लिक एसिड, नाइट्रोजन और फास्फोरस से बने होते हैं। ये बड़ी संख्या में उन संक्रामक क्लोरोवायरस का भक्षण कर सकते हैं जो उनके साथ जलीय निवास स्थान को साझा करते हैं।
    • क्लोरोवायरस सूक्ष्म हरे शैवाल को संक्रमित करने के लिये जाने जाते हैं।
  • ये जीव स्वयं को विषाणुओं के साथ बनाए रख सकते हैं, कई का उपभोग कर सकते हैं और आकार में बढ़ सकते हैं।
  • वायरस-केवल आहार, जिसे "विरोवरी" कहा जाता है, शारीरिक विकास और यहाँ तक ​​कि जीव की जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये पर्याप्त है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


प्रारंभिक परीक्षा

फ्लाई ऐश

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने एक नई अधिसूचना में ताप विद्युत संयंत्र (TPP) के लिये फ्लाई ऐश के पूर्ण उपयोग हेतु अनुपालन तिथियों को स्पष्ट किया।

फ्लाई ऐश: 

  • परिचय: 
    • फ्लाई ऐश कोयला ताप विद्युत संयंत्र में कोयले के दहन का एक अवांछित अवशेष है।
    • यह भट्टी में कोयले के जलने के दौरान गैसों के साथ उत्सर्जित होती है और इसे इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर का उपयोग करके एकत्र किया जाता है।
    • ऐश के उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रीसिपिटेटर की मदद से एकत्रित फ्लाई ऐश को गीले घोल में परिवर्तित किया जाता है।
    • फिर इसे स्लरी पाइपलाइनों के माध्यम से वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किये गए राख के गड्ढों में ले जाया जाता है।
  • संघटन:
    • फ्लाई ऐश की संरचना जलाए जाने वाले कोयले की संरचना पर निर्भर करती है। इसमें बेरिलियम, आर्सेनिक, अधज़ला कार्बन, सिलिकॉन ऑक्साइड, डाइऑक्सिन, एल्यूमीनियम ऑक्साइड, फेरिक ऑक्साइड, कैल्शियम ऑक्साइड आदि हो सकते हैं।
      • ये तत्त्व गंभीर पर्यावरण प्रदूषक हैं।
  • गुण:
    • यह पोर्टलैंड सीमेंट जैसी दिखती है लेकिन रासायनिक रूप से अलग है।
      • पोर्टलैंड सीमेंट एक महीन पिसे हुए पाउडर के रूप में एक अनिवार्य सामग्री है जो चूना पत्थर और मिट्टी के मिश्रण को जलाने और पीसने से निर्मित होती है।
      • इसकी रासायनिक संरचना में कैल्शियम सिलिकेट, कैल्शियम एल्युमिनेट और कैल्शियम एल्युमिनोफेराइट शामिल हैं।
    • सीमेंटीय गुणों का प्रदर्शन: 
      • एक सिमेंटिटियस सामग्री वह है जो पानी के साथ मिश्रित होने पर कठोर हो जाती है।
  • उपयोग: इसका उपयोग कंक्रीट और सीमेंट उत्पादों, सड़क के आधार, धातु की पुनः प्राप्ति और खनिज भराव में किया जाता है।
  • हानिकारक प्रभाव: फ्लाई ऐश के कण ज़हरीले वायु प्रदूषक हैं। वे हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग और स्ट्रोक का कारण हो सकते हैं।
    • पानी के साथ मिलकर वे भूजल में भारी धातुओं के निक्षालन का कार्य करते हैं।
    • यह मिट्टी को भी प्रदूषित करने के साथ ही पेड़ों की जड़ विकास प्रणाली को प्रभावित करती है।
    • एनजीटी द्वारा पूर्व में गठित संयुक्त समिति के अनुसार, वर्ष 2020-2021 के दौरान राख उत्पादन और उपयोगिता के सारांश से इस उप-उत्पाद के कम सकल उपयोग के कारण 1,670 मिलियन टन फ्लाई ऐश का संचय हुआ है।
  • संबंधित पहलें: 
    • वर्ष 2021 में ‘नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन’ (NTPC) लिमिटेड ने फ्लाई ऐश की बिक्री के लिये ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ (EOI) आमंत्रित किया था।
    • ‘नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन’ ने फ्लाई ऐश की आपूर्ति के लिये देश भर के सीमेंट निर्माताओं के साथ भी गठजोड़ किया है।
    • प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत नई निर्माण प्रौद्योगिकियों (उदाहरण के लिये फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग) पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जो अभिनव, पर्यावरण के अनुकूल और आपदा के प्रति लचीले हैं।
      • यहाँ तक कि राज्य सरकारों ने भी अपनी फ्लाई ऐश उपयोग नीतियाँ प्रस्तुत की हैं जैसे- इस नीति को अपनाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य था। 
    • सरकार द्वारा फ्लाई ऐश उत्पादन और उपयोग की निगरानी के लिये एक वेब पोर्टल एवं "ऐश ट्रैक (ASHTRACK)" नामक एक मोबाइल आधारित एप लॉन्च किया गया है।
    • फ्लाई ऐश और उसके उत्पादों पर GST की दरों को घटाकर 5% कर दिया गया है। 

  UPSCसिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग करने वाले बिजली संयंत्रों से निष्काषित 'फ्लाई ऐश' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)  

  1. फ्लाई ऐश का उपयोग भवन निर्माण के लिये ईंट बनाने में किया जा सकता है।
  2. फ्लाई ऐश को कंक्रीट की कुछ पोर्टलैंड सीमेंट सामग्री के प्रतिस्थापन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  3. फ्लाई ऐश केवल सिलिकॉन डाइऑक्साइड और कैल्शियम ऑक्साइड से बनी होती है तथा इसमें कोई ज़हरीला तत्त्व नहीं होता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) 1 और 2  
(b) केवल 2  
(c) 1 और 3  
(d) केवल 3  

उत्तर: (a)  


प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2011)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2. नाइट्रोजन के ऑक्साइड
  3. सल्फर के ऑक्साइड 

उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से उत्सर्जन विद्युत् ताप सयंत्रों में कोयला दहन से उत्सर्जित होता है/हैं?

(a) केवल 1   
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3  

उत्तर: (d)

व्याख्या:  

  • कोयला आधारित विद्युत संयंत्र वायुमंडलीय वायु प्रदूषण के प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं और ग्लोबल वार्मिंग एवं प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं जो अंततः फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
  • कोयले के जलने से निकलने वाले ज़हरीले यौगिकों में शामिल हैं:
    • कार्बन के ऑक्साइड (COx): कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड, अतः 1 सही है।
    • नाइट्रोजन के आक्साइड (NOx), अतः 2 सही है।
    • सल्फर के आक्साइड (SOx), अतः 3 सही है।
    • फ्लाई ऐश।
  • मरकरी, कैडमियम और लेड जैसे ट्रेस तत्त्व भी उत्सर्जित होते हैं जो स्वास्थ्य के लिये खतरनाक हैं। अतः विकल्प (d) सही है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 जनवरी, 2023

संविधान उद्यान का उद्घाटन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 3 जनवरी, 2023 को राजभवन, जयपुर में संविधान उद्यान, मयूर स्तंभ, राष्ट्रीय ध्वज पोस्‍ट का उदघाटन किया तथा महात्मा गांधी और महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया। संविधान पार्क में संविधान निर्माण में योगदान देने वाले विभूतियों की प्रतिमाओ को स्थापित किया गया है। आमजन में संविधान के प्रति जागरूकता लाने हेतु राजस्थान इस तरह का निर्णय लेने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इस अवसर पर उन्होंने वर्चुअल रूप से राजस्थान में सौर ऊर्जा क्षेत्रों के लिये ट्रांसमिशन प्रणाली का उद्घाटन किया और SJVN लिमिटेड की 1000 मेगावाट की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी।

विश्व ब्रेल दिवस 

संपूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन ब्रेल लिपि का आविष्कार करने वाले फ्रांँसीसी शिक्षक लुई ब्रेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसके लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 नवंबर, 2018 को प्रस्ताव पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व भर में लगभग 39 मिलियन लोग देख नहीं सकते, जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई-न-कोई दृष्टि विकार है। विश्व ब्रेल दिवस का उद्देश्य दृष्टि-बाधित लोगों को उनके अधिकार प्रदान करना तथा ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है। लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्राँस के कूपवरे में हुआ था। वर्ष 1824 तक लुइस ब्रेल ने इस लिपि को लगभग तैयार कर लिया था, उस समय वे 15 वर्ष के थे। लुइस ब्रेल की लिपि काफी सरल थी। ब्रेल लिपि उन लोगों के लिये वरदान बन गई जो आँखों से देख नहीं सकते। ब्रेल लिपि नेत्रहीनों के पढ़ने और लिखने का एक स्पर्शनीय कोड है। इसमें विशेष प्रकार के उभरे कागज़ का इस्तेमाल होता है, जिस पर उभरे हुए बिंदुओं को छूकर पढ़ा जा सकता है। टाइपराइटर की तरह ही एक मशीन 'ब्रेलराइटर' के माध्यम से ब्रेल लिपि को लिखा जा सकता है। इसके अलावा इसे स्टायलस और ब्रेल स्लेट के ज़रिये भी लिख सकते हैं। ब्रेल में उभरे हुए बिंदुओं को 'सेल' कहा जाता है।

PNG नेटवर्क में पहली हरित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना 

सूरत के आदित्यनगर में कवास टाउनशिप के घरों में H2-NG (प्राकृतिक गैस) की सप्‍लाई करने की व्‍यवस्‍था की गई हैयह परियोजना एनटीपीसी तथा गुजरात गैस लिमिटेड (GGL) का संयुक्त प्रयास है। कवास में ग्रीन हाइड्रोजन पहले से स्थापित एक मेगावाट फ्लोटिंग सौर परियोजना से बिजली का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा बनाया गया है। नियामक निकाय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (PNGRB) ने पीएनजी के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के 5 प्रतिशत वॉल्यूम मिश्रण के लिये मंज़ूरी दे दी है और मिश्रण स्‍तर को चरणबद्ध तरीके से 20 प्रतिशत तक पहुँचाया जाएगा। प्राकृतिक गैस के साथ मिलाए जाने पर ग्रीन हाइड्रोजन शुद्ध हीटिंग सामग्री को समान रखते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करता है। यह उपलब्धि केवल ब्रिटेन, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों द्वारा प्राप्‍त की गई है। यह भारत को वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के केंद्र में लाएगा। इसके परिणामस्वरूप भारत न केवल अपने हाइड्रोकार्बन आयात बिल को कम करेगा बल्कि विश्‍व में हरित हाइड्रोजन और हरित रसायन निर्यातक बनकर विदेशी मुद्रा अर्जित करेगा।

वन्यजीव संरक्षण बाॅण्ड

विश्व बैंक (अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक/International Bank for Reconstruction and Development- IBRD) ने ब्लैक राइनो की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण हेतु दक्षिण अफ्रीका के प्रयासों का समर्थन करने के लिये वन्यजीव संरक्षण बाॅण्ड (Wildlife Conservation Bond- WCB) जारी किया है। WCB को “राइनो बाॅण्ड के रूप में भी जाना जाता है। यह पाँच वर्ष का 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सतत् विकास बाॅण्ड है। इस बाॅण्ड के तहत पाँच वर्ष बाद ब्लैक राइनो की आबादी बढ़ने पर निवेशकों को 3.7 से 9.2% तक का रिटर्न प्रदान किया जाएगा, हालाँकि आबादी न बढ़ने की स्थिति में  भुगतान राशि शून्य हो जाएगी। इसमें वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility- GEF) से संभावित प्रदर्शन भुगतान शामिल है। यह बाॅण्ड दक्षिण अफ्रीका में दो संरक्षित क्षेत्रों में ब्लैक राइनो की आबादी को बचाने और बढ़ाने में योगदान देगा, ये दो संरक्षित क्षेत्र- एडो एलीफेंट नेशनल पार्क (AENP) और ग्रेट फिश रिवर नेचर रिज़र्व (GFRNR) है। ब्लैक राइनो केन्या, तंजानिया, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका एवं जिम्बाब्वे सहित पूरे दक्षिणी तथा पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम डायसेरोस बिकोर्निस है। ब्लैक राइनो ब्राउज़र होते हैं जिसका अर्थ है कि वे भोजन के रूप में टहनियों, शाखाओं, पत्तियों और झाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। ब्लैक राइनो IUCN की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के तौर पर सूचीबद्ध है।

सावित्रीबाई फुले की जयंती  

हाल ही में भारत के प्रधान मंत्री ने सावित्रीबाई फुले (1831-97) की 191वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। महिला शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली सावित्रीबाई फुले 19वीं सदी की समाज सुधारक थीं

अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ, उन्होंने पूना (1848) में बालिकाओं, शूद्रों और अति-शूद्रों के लिये एक विद्यालय की स्थापना की और अपने घर में बालहत्या प्रतिबन्धक गृह - शिशुहत्या की रोकथाम हेतु गृह की शुरुआत की। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिये वर्ष 1852 में महिला सेवा मंडल की भी स्थापना की।

उन्होंने वर्ष 1854 में काव्या फुले और वर्ष 1892 में बावन काशी सुबोध रत्नाकर का प्रकाशन किया। वर्ष 1873 में, फुले ने सामाजिक समता के लिये सत्यशोधक समाज की स्थापना की। फुले परिवार के सदस्यों का भारत के सामाजिक और शैक्षिक इतिहास में एक असाधारण योगदान रहा। 

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रानी वेलु नचियार 

भारत के प्रधानमंत्री ने रानी वेलु नचियार (3 जनवरी 1730 - 25 दिसंबर 1796) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। वह वर्ष 1780 के दशक में भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता (और आर्कोट के नवाब के बेटे) के खिलाफ लड़ने वाली पहली रानी थीं। रानी वेलु नचियार, जिसे तमिल लोग वीरमंगई के नाम से जानते हैं, रामनाथपुरम (तमिलनाडु) के रामनाद साम्राज्य की राजकुमारी थीं। फ्रेंच, अंग्रेज़ी और उर्दू जैसी भाषाओं में दक्षता के साथ-साथ उन्हें वल्लारी, सिलंबम, घुड़सवारी और तीरंदाज़ी जैसी मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित किया गया था। वह पति मुथुवदुगनाथपेरिया उदययथेवर की मृत्यु के बाद वर्ष 1780 में शिवगंगई (तमिलनाडु) की रानी के रूप में उत्तराधिकारी बनी। 

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एशिया प्रशांत पोस्टल यूनियन

भारत एशिया प्रशांत पोस्टल यूनियन (APPU) का नेतृत्त्व संभालने के लिये पूरी तरह तैयार हैविनय प्रकाश सिंह को 4 वर्ष के कार्यकाल (जनवरी 2023 से) के लिये APPU के महासचिव के रूप में चुना गया है। यह पहली बार है जब कोई भारतीय पोस्टल क्षेत्र में किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन का नेतृत्त्व कर रहा है।

APPU जिसका मुख्यालय बैंकॉक (थाईलैंड) में है, एशियाई-प्रशांत क्षेत्र के 32 सदस्य देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है। यह इस क्षेत्र में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) (संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी) का एकमात्र प्रतिबंधित संघ है। APPU का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पोस्टल संबंधों का विस्तार, सुविधा और सुधार करना तथा पोस्टल सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है।

एशिया प्रशांत क्षेत्र वैश्विक मेल की कुल मात्रा का लगभग आधा उत्पन्न करता है और वैश्विक पोस्टल मानव संसाधन का लगभग एक तिहाई हिस्सा है।

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