प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट: 04 जनवरी, 2021
नेंद्रन केला
Nendran Banana
हाल ही में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific & Industrial Research- CSIR)- अंतःविषय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिये राष्ट्रीय संस्थान (National Institute for Interdisciplinary Science and Technology- NIIST) के वैज्ञानिकों ने नेंद्रन केला से एक नया उत्पाद केला ग्रिट/ग्रैन्यूल्स (Banana Grit/Granules) विकसित किया है।
केला ग्रिट के संबंध में:
- केला ग्रिट और इससे संबंधित उत्पाद पेट संबंधी रोगों के उपचार में सहायक हो सकते हैं तथा एक स्वस्थ आहार के आदर्श घटक हैं। यह अवधारणा केले में प्रतिरोधी स्टार्च की उपस्थिति का उपयोग करने के लिये प्रस्तुत की गई थी।
- स्टार्च एक सफेद, दानेदार, कार्बनिक रसायन है जिसका निर्माण सभी प्रकार के हरे पौधों द्वारा होता है। यह एक नरम, स्वादहीन पाउडर है जो ठंडे पानी, एल्कोहल या अन्य विलायकों में अघुलनशील होता है।
- मनुष्यों और अन्य जानवरों द्वारा पौधों से प्राप्त स्टार्च अपने घटक शुक्रोज अणुओं में टूट जाता है तथा उसके बाद ऊतकों को ऊर्जा की आपूर्ति करता है।
लाभ:
- केले के उत्पादों में विविधता लाकर किसान अपनी फसल की बेहतर कीमत प्राप्त कर सकते हैं।
- यह लोगों को स्वस्थ बनाए रखने और उनके कल्याण में मदद करेगा।
नेंद्रन केला (Nendran Bananas):
- चेंगाज़िकोडन नेंद्रन केला, जिसे चेंगाज़िकोडे केला के रूप में भी जाना जाता है, केरल के त्रिशूर जिले में सबसे लोकप्रिय पारंपरिक फलों में से एक है।
- नेंद्रन केले की यह किस्म इसके विशिष्ट स्वाद, गुच्छे के आकार और रंग के लिये प्रसिद्ध है।
- इस फसल की खेती मुख्य रूप से जैविक तरीके से की जाती है और फसल की अवधि 13-14 माह है।
- केरल में उगाए जाने वाले चेंगाज़िकोडे नेंद्रन केले को वर्ष 2014 में भौगोलिक संकेत टैग (Geographical indication- GI) प्राप्त हुआ।
- ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण’ (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority- APEDA) के अनुसार, जीआई टैग को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में एक ट्रेडमार्क की तरह देखा जाता है।
- जीआई टैग ऐसे कृषि, प्राकृतिक या एक निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है और जिसके कारण इसमें अद्वितीय विशेषताओं और गुणों का समावेश होता है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 जनवरी, 2021
राष्ट्रीय माप पद्धति सम्मेलन
04 जनवरी, 2021 को प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय माप पद्धति सम्मेलन का उद्घाटन किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने ‘नेशनल एटॉमिक टाइमस्केल’ और ‘भारतीय निर्देशक द्रव्य’ राष्ट्र को समर्पित किया तथा ‘नेशनल एन्वायरनमेंटल स्टैंडर्ड लेबोरेट्री’ की आधारशिला भी रखी। ‘नेशनल एटॉमिक टाइमस्केल’ 2.8 नैनो सेकंड की सटीकता के साथ भारतीय मानक समय (IST) प्रदान करता है। ‘भारतीय निर्देशक द्रव्य’ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये प्रयोगशालाओं में जाँच और मापांकन में सहयोग कर रहा है। इसके अलावा राष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी मानक प्रयोगशाला नज़दीकी परिवेश की वायु और औद्योगिक उत्सर्जन निगरानी उपकरणों के प्रमाणीकरण में आत्मनिर्भरता प्रदान करने में सहायता करेगी। ‘राष्ट्रीय माप पद्धति सम्मेलन-2020’ का आयोजन ‘वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR-NPL) द्वारा किया जा रहा है, जो अपनी स्थापना के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। सम्मेलन का विषय है- ‘मेट्रोलॉजी फॉर द इन्क्लूसिव ग्रोथ ऑफ द नेशन’। राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला भारत का एक राष्ट्रीय मापिकी संस्थान है और भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख अनुसंधान प्रयोगशाला है।
मन्नथू पद्मनाभन
02 जनवरी, 2021 को प्रधानमंत्री ने समाज सुधारक और भारत केसरी मन्नथू पद्मनाभन को सामुदायिक सेवा, सामाजिक न्याय तथा सांस्कृतिक उत्थान के प्रति उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। मन्नथू पद्मनाभन का जन्म 02 जनवरी, 1878 को केरल के पेरुन्ना (कोट्टायम ज़िले) में हुआ था। उन्होंने अपने संपूर्ण जीवनकाल में सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाई और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। नायर समुदाय के उत्थान के लिये उन्होंने 31 अक्तूबर, 1914 को नायर सेवा समाज (NSS) की स्थापना की। वर्ष 1924 में पिछड़े समुदायों को प्रसिद्ध वाईकॉम महादेव मंदिर से सटे रास्तों का उपयोग करने की अनुमति देने के लिये उन्होंने सक्रिय रूप से वायकोम सत्याग्रह में हिस्सा लिया। वर्ष 1959 में उन्हें ‘भारत केसरी’ का खिताब दिया गया था। उन्हें वर्ष 1966 में पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।उनका निधन 25 फरवरी, 1970 को हुआ था।
सावित्रीबाई फुले
03 जनवरी, 2021 को प्रख्यात समाजसेवी और भारत में महिला शिक्षा की प्रबल समर्थक सावित्रीबाई फुले को देश भर में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र स्थित नायगाँव (सतारा ज़िला) में हुआ था और उन्हें भारत की प्रारंभिक आधुनिक नारीवादियों में से एक माना जाता है। वर्ष 2021 में सावित्रीबाई फुले की 190वीं जयंती है और महाराष्ट्र में इस दिवस को ‘बालिका दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1848 में उन्होंने देश में लड़कियों के लिये पुणे के भिडेवाडा में पहला विद्यालय शुरू किया था। महिला शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने के उनके प्रयासों के कारण उन्हें पुरुष प्रधान समाज से बहिष्कार और अपमान का सामना करना पड़ा। मात्र 9 वर्ष की उम्र में सामाजिक कार्यकर्त्ता और समाज सुधारक, ज्योतिराव फुले के साथ उनका बाल विवाह कर दिया गया, और महिला शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में सावित्रीबाई फुले के संघर्ष में ज्योतिराव फुले ने उनका पूरा समर्थन किया तथा उन्हीं की सहायता से सावित्रीबाई फुले पढ़ना और लिखना सीख सकीं। उस समय लड़कियों को पढ़ाना एक कट्टरपंथी विचार माना जाता था। जब वह स्कूल जाती थीं तो लोग अक्सर उन पर गोबर और पत्थर फेंकते थे लेकिन फिर भी वह अपने कर्त्तव्य पथ से विमुख नहीं हुईं। वह एक कवयित्री भी थीं, उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 10 मार्च, 1897 को प्लेग के कारण सावित्रीबाई फुले का निधन हो गया।
किसान कल्याण मिशन
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिये जल्द ही ‘किसान कल्याण मिशन’ लॉन्च करेगी। इस मिशन का उद्देश्य संतुलित तरीके से उर्वरकों का उपयोग कर कृषि लागत को कम करने के बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करना है। तकरीबन तीन सप्ताह लंबे इस अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के 350 ब्लॉक्स को कवर किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य कृषि को लाभदायक बनाना है और इसका सबसे प्रभावी तरीका कृषि विविधीकरण है। इस कार्य के लिये राज्य में कृषि से संबंधित सभी विभागों को अभियान में शामिल किया गया है। इस अभियान के तहत किसानों के साथ प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।