प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 03 अगस्त, 2020
भारत एयरफाइबर
BHARAT AIRFIBER
02 अगस्त, 2020 को केंद्रीय संचार मंत्री ने महाराष्ट्र के अकोला में ‘भारत एयर फाइबर सेवाओं’ (BHARAT AIRFIBER SERVICES) का उद्घाटन किया।
- इन सेवाओं के माध्यम से महाराष्ट्र के अकोला एवं वाशिम ज़िले में वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा पहुँचाई जा सकेगी।
प्रमुख बिंदु:
- भारत एयर फाइबर सेवाएँ भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) द्वारा भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहलों के एक हिस्से के रूप में प्रस्तुत की गई हैं और इनका लक्ष्य BSNL की मौजूदगी वाले स्थान से 20 किमी. के दायरे में वायरलेस इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है।
- गौरतलब है कि BSNL स्थानीय ‘टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर पाटनर्स’ (TIP) की सहायता से सस्ती इंटरनेट सेवाएँ उपलब्ध कराती है।
भारत एयर फाइबर सेवाओं की विशेषता:
- ये सेवाएँ विशिष्ट हैं क्योंकि BSNL इन सेवाओं में असीमित नि:शुल्क वायस कॉलिंग की सुविधा प्रदान कर रही है।
- इन सेवाओं में BSNL, 100 mbps स्पीड तक की भारत एयर फाइबर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराती है।
- उल्लेखनीय है कि COVID-19 के दौरान जुलाई, 2020 में BSNL ने महाराष्ट्र सर्किल में 15000 FTTH कनेक्शन तथा पूरे भारत में 162000 FTTH कनेक्शन उपलब्ध कराए हैं।
मोतियाबिंद
Cataract
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान ‘नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान’ (Nano Science & Technology- INST) के वैज्ञानिकों ने ‘नॉनस्टेरोइडल एंटी-इन्फ्लेमेट्री ड्रग’ (Nonsteroidal Anti-inflammatory Drug-NSAID) ‘एस्पिरिन’ (Aspirin) से नैनोरॉड (Nanorods) विकसित किये हैं।
‘एस्पिरिन’ (Aspirin):
- ‘एस्पिरिन’ दर्द, बुखार या सूजन को कम करने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली एक लोकप्रिय दवा है और इसे मोतियाबिंद के खिलाफ एक प्रभावी गैर-आक्रामक छोटे अणु-आधारित नैनोथेराप्यूटिक्स (Nanotherapeutics) के रूप में पाया जाता है।
‘मोतियाबिंद’ (Cataract):
- मोतियाबिंद अंधापन का एक प्रमुख रूप है, यह तब होता है जब क्रिस्टलीय प्रोटीन की संरचना जो हमारी आँखों में लेंस का निर्माण करती है, खराब हो जाती है जिससे क्षतिग्रस्त या अव्यवस्थित प्रोटीन संगठित होकर एक नीली या भूरी परत बनाता है जो अंततः लेंस की पारदर्शिता को प्रभावित करता है।
‘जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री बी’ (Journal of Materials Chemistry B):
- ‘नैनोरॉड’ (Nanorods) से संबंधित INST के वैज्ञानिकों के इस शोध को ‘जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री बी’ (Journal of Materials Chemistry B) में प्रकाशित किया गया है जो किफायती एवं कम जटिल तरीके से मोतियाबिंद को रोकने में मदद कर सकता है।
‘एस्पिरिन नैनोरॉड’ (Aspirin Nanorods):
- एस्पिरिन नैनोरॉड क्रिस्टलीय प्रोटीन और इसके विखंडन से प्राप्त विभिन्न पेप्टाइड्स के एकत्रीकरण को रोकते हैं जो मोतियाबिंद के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ये जैव आणविक प्रक्रिया के माध्यम से प्रोटीन/पेप्टाइड के एकत्रीकरण को रोकते हैं।
- ‘एस्पिरिन नैनोरॉड’ आणविक स्व-संयुग्मन की प्रक्रिया का उपयोग करके उत्पादित किये जाते हैं जो आम तौर पर नैनोकणों के संश्लेषण के लिये उपयोग की जाने वाली उच्च लागत और श्रमसाध्य भौतिक विधियों की तुलना में एस्पिरिन नैनोरॉड उत्पन्न करने के लिये सस्ती एवं प्रभावी तकनीक है।
महत्त्व:
- आसान और कम लागत वाली इस उपचार पद्धति से विकासशील देशों में उन रोगियों को लाभ होगा जो मोतियाबिंद के महंगे उपचार के कारण अपना इलाज नहीं करा पाते हैं।
SKOCH गोल्ड अवार्ड
SKOCH Gold Award
हाल ही में भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) को ‘मंत्रालय के छात्रवृत्ति प्रभाग की IT सक्षम छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से आदिवासियों के सशक्तीकरण’ के लिये ‘SKOCH गोल्ड अवॉर्ड’ (SKOCH Gold Award) प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- यह पुरस्कार नई दिल्ली में आयोजित 66वीं SKOCH 2020 प्रतियोगिता का एक भाग है जिसका शीर्षक 'डिजिटल गवर्नेंस के माध्यम से COVID-19 का मुकाबला कर रहा भारत' था और जनजातीय कार्य मंत्रालय ने ‘डिजिटल इंडिया एंड ई-गवर्नेंस-2020’ प्रतियोगिता में भाग लिया था।
- 'डिजिटल इंडिया' को बढ़ावा देने और ई-गवर्नेंस के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मिशन के अंतर्गत सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं को ‘DBT पोर्टल’ के साथ एकीकृत किया है।
- वर्ष 2019-20 के दौरान, सभी 5 छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत 31 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 30 लाख छात्रों के बैंक खातों में लगभग 2500 करोड़ रुपए DBT के माध्यम से भेजे गये थे।
‘SKOCH गोल्ड अवॉर्ड’ (SKOCH Gold Award):
- SKOCH अवार्ड की शुरुआत वर्ष 2003 में की गई थी।
- यह पुरस्कार भारत को बेहतर राष्ट्र बनाने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने वाले व्यक्तियों, परियोजनाओं तथा संस्थानों को प्रदान किया जाता है।
- यह किसी स्वतंत्र संगठन (SKOCH फाउंडेशन) द्वारा प्रदान किया जाने वाला देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
- यह पुरस्कार डिजिटल, वित्तीय एवं सामाजिक समावेशन के क्षेत्र में किये गए सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के लिये प्रदान किया जाता है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 अगस्त, 2020
महात्मा गांधी के सम्मान में सिक्का
ब्रिटेन, भारत के राष्ट्रपिता और स्वतंत्रता संग्राम के नायक महात्मा गांधी के सम्मान में एक सिक्का जारी करने पर विचार कर रहा है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया जा रहा है जब लगभग संपूर्ण विश्व अश्वेत, एशियाई और अन्य अल्पसंख्यक जातीय समुदायों के लोगों के योगदान को पहचानने पर नए सिरे से विचार-विमर्श कर रहा है। इस संबंध में सुझाव देते हुए ब्रिटेन के वित्तीय मंत्री और भारतीय मूल के राजनेता ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने रॉयल मिंट एडवाइजरी कमेटी (RMAC) को पत्र लिखते हुए कहा है कि ‘अश्वेत, एशियाई और अन्य अल्पसंख्यक जातीय समुदायों ने समाज के निर्णय में अतुलनीय योगदान दिया है और अब यह समय उनके योगदान को पहचान देने का है।’ रॉयल मिंट एडवाइजरी कमेटी (RMAC) एक स्वतंत्र समिति है, जो ब्रिटेन में सिक्कों के लिये थीम एवं डिज़ाइन संबंधी सलाह देती है। महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर की रियासत में 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ था। 1893 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका रवाना हो गए और दक्षिण अफ्रीका के इस अध्याय ने उनके राजनीतिक जीवन को खासा प्रभावित किया। जीवनपर्यंत अहिंसा की वकालत करने वाले गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिये भारत के संघर्ष में अहम भूमिका निभाई थी। उल्लेखनीय है कि 2 अक्तूबर यानी गांधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय की आज़ादी के कुछ ही महीनों बाद 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। ब्रिटेन सरकार की यह पहल वैश्विक स्तर पर महात्मा गांधी के विचार को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
पिंगाली वेंकैया
02 अगस्त, 2020 को उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के डिज़ाइनर पिंगाली वेंकैया (Pingali Venkayya) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। पिंगाली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त, 1876 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू और मछलीपट्टनम से ही प्राप्त की। एक गांधीवादी विचारक होने के साथ-साथ वे एक भूविज्ञानी, लेखक और भाषाविद भी थे, भाषा पर उनकी पकड़ इतनी अच्छी थी कि उन्होंने वर्ष 1913 में जापानी भाषा में एक संपूर्ण भाषण तक दिया था। पिंगाली वेंकैया ने 19 वर्ष की उम्र में अफ्रीका में एंग्लो-बोआर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में एक सैनिक के तौर पर कार्य किया और इसी दौरान वे महात्मा गांधी से मिले और उनके विचार से काफी प्रभावित हुए। वर्ष 1916 में उन्होंने एक पुस्तक प्रकाशित की जिसमें भारतीय ध्वज को बनाने के लिये तीस डिज़ाइन प्रस्तुत किये गए थे। वर्ष 1918 और 1921 के बीच पिंगाली वेंकैया ने काॅन्ग्रेस के लगभग सभी सत्रों में भारत के स्वयं के ध्वज के विचार को आगे बढ़ाया। वर्ष 1931 में काॅन्ग्रेस ने कराची के सम्मेलन में पिंगाली वेंकैया द्वारा डिज़ाइन किया गया केसरिया, सफेद और हरे रंग से बना राष्ट्रीय ध्वज सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया, जिसमें केंद्र में गांधी जी का चरखा भी था।
'संजीवन' एप
बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने ‘संजीवन’ (Sanjivan) नाम से एक मोबाइल एप लॉन्च किया है, जो राज्य के आम नागरिकों को कोरोना वायरस (COVID-19) के प्रबंधन से संबंधित नियमित अपडेट प्रदान करने के साथ-साथ COVID-19 परीक्षणों के लिये पंजीकरण करने में मदद करेगा। यह एप नागरिकों को निकटतम COVID-19 परीक्षण केंद्रों, COVID-19 देखभाल केंद्रों, अस्पतालों में बेड की उपलब्धता, आदि का विवरण प्राप्त करने में भी मदद करेगा। इसके अलावा 'संजीवन' मोबाइल एप को ज़िलेवार आपातकालीन हेल्पलाइन नंबरों के साथ अपडेट किया जाएगा, वहीं इस एप के माध्यम से कोरोना वायरस से संबंधित आम जानकारी प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। ज्ञात हो कि राज्य का स्वास्थ्य विभाग वर्तमान में निजी प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग करके डोरस्टेप COVID-19 परीक्षण सुविधाएँ प्रदान करने की दिशा में कार्य कर रहा है। राज्य में निजी प्रयोगशालों में COVID-19 के परीक्षण की लागत को 2500 रुपए तक सीमित कर दिया गया है।
खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन
हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिये खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा प्रस्तावित एक विशिष्ट रोज़गार सृजन कार्यक्रम को मंज़ूरी दी है। खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन (KAAM) के रूप में नामित इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूरे देश में बेरोज़गार और प्रवासी श्रमिकों के लिये रोज़गार पैदा करना है, साथ ही इससे घरेलू अगरबत्ती उत्पादन में काफी वृद्धि होगी। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन (KAAM) कार्यक्रम को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत डिज़ाइन किया है। इस योजना के तहत स्थायी रोज़गार बनाने के लिये कम निवेश की आवश्यकता होगी। यह योजना निजी अगरबत्ती निर्माताओं को उनके द्वारा किसी भी पूंजी निवेश के बिना अगरबत्ती उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेगी। इस योजना के हिस्से के रूप में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) निजी अगरबत्ती निर्माताओं के माध्यम से कारीगरों को स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन और पाउडर मिक्सिंग मशीन उपलब्ध कराएगा। खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन (KAAM) मशीनों की लागत पर 25 प्रतिशत छूट प्रदान करेगा और शेष 75 प्रतिशत लागत प्रत्येक माह आसान किस्तों में कारीगरों से वसूला जाएगा।