प्रारंभिक परीक्षा
हैज़ा
अफ्रीकी देश हैज़ा रोग के टीके की कमी का सामना कर रहे हैं जिससे हैज़ा के मामलों में वृद्धि के कारण इस क्षेत्र में रोग के प्रकोप का खतरा बढ़ रहा है।
- वर्ष 2023 की शुरुआत से पाँच अफ्रीकी देशों में 687 मौतों सहित हैज़ा के 27,300 नए मामले सामने आए हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनिया भर में हैज़ा महामारी का प्रकोप बढ़ सकता है, क्योंकि बीमारी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया गर्म जल में अधिक तेज़ी से प्रजनन कर सकते हैं।
हैज़ा:
- परिचय:
- यह एक जानलेवा संक्रामक रोग तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा है।
- हैज़ा एक तीव्र, अतिसार की बीमारी है जो विब्रियो कोलेरी जीवाणु से आँत के संक्रमण के कारण होती है।
- संक्रमण अक्सर हल्का या लक्षणों के बिना होता है, हालाँकि कभी-कभी गंभीर हो सकता है।
- लक्षण:
- डायरिया
- उल्टी
- मांशपेशियों में ऐंठन
- संक्रमण:
- दूषित जल पीने या दूषित भोजन खाने से व्यक्ति को हैज़ा हो सकता है।
- सीवेज़ और पीने के जल के अपर्याप्त उपचार वाले क्षेत्रों में रोग तेज़ी से फैल सकता है।
- वैक्सीन:
- वर्तमान में तीन WHO प्री-क्वालिफाइड ओरल हैज़ा वैक्सीन (OCV), डुकोरल, शांचोल और यूविचोल-प्लस हैं।
- रिग से पूर्ण सुरक्षा के लिये तीनों वैक्सीन की दो खुराक की आवश्यकता होती है।
हैज़ा रोग पर अंकुश लगाने हेतु पहल:
- हैज़ा नियंत्रण पर एक वैश्विक रणनीति, एंडिंग हैज़ा: इसे वर्ष 2030 तक के वैश्विक रोडमैप के साथ हैज़ा महामारी से होने वाली मौतों को 90% तक कम करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था।
- हैज़ा नियंत्रण के लिये ग्लोबल टास्क फोर्स (Global Task Force for Cholera Control- GTFCC): WHO ने हैज़ा उन्मूलन में WHO के कार्यों को मज़बूती प्रदान करने के लिये हैज़ा नियंत्रण हेतु ग्लोबल टास्क फोर्स (GTFCC) का पुनरोद्धार किया।
- GTFCC का उद्देश्य हैज़ा नियंत्रण के लिये साक्ष्य-आधारित रणनीतियों के कार्यान्वयन में वृद्धि लाने हेतु सहयोग करना है।
स्रोत: इकोनाॅमिक टाइम
प्रारंभिक परीक्षा
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने 1.5 लाख करोड़ रुपए का ग्रॉस मर्चेंडाइज़ वैल्यू (GMV) हासिल किया।
- GeM "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" की सरकार की प्रतिबद्धता में प्रभावी रूप से योगदान दे रहा है।
ग्रॉस मर्चेंडाइज़ वैल्यू (GMV):
- GMV ‘ग्राहक-से-ग्राहक’ या ई-कॉमर्स प्लेटफाॅर्मों के माध्यम से बेचे जाने वाले सामानों के मूल्य को संदर्भित करता है।
- इसकी गणना किसी भी शुल्क या खर्च की कटौती से पूर्व की जाती है।
- यह व्यवसाय के विकास या खेप (प्रेषित माल) के माध्यम से दूसरों के स्वामित्त्व वाले उत्पादों को फिर से बेचने के लिये साइट के उपयोग का एक उपाय है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM):
- परिचय:
- GeM विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद की सुविधा के लिये वर्ष 2016 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक ऑनलाइन मंच है।
- यह सभी सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, स्वायत्त निकायों और अन्य संगठनों के लिये खुला है।
- वर्तमान में GeM सिंगापुर के GeBIZ के बाद तीसरे स्थान पर है।
- दक्षिण कोरिया का KONEPS दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है
- दक्षिण कोरिया का KONEPS दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है
- महत्त्व:
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा:
- ई-मार्केटप्लेस सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित कर सकता है, जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद करेगा।
- GeM ने पिछले 6.5 वर्षों में प्रौद्योगिकी, प्रक्रिया डिजिटलीकरण, सभी हितधारकों के डिजिटल एकीकरण और विश्लेषण के उपयोग के माध्यम से देश के सार्वजनिक खरीद पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति ला दी है।
- बेहतर विक्रेता भागीदारी:
- GeM छोटे और मध्यम उद्यमों सहित अधिक विक्रेताओं को सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि होगी एवं सरकार के लिये बेहतर मूल्य प्राप्त होगा।
- पारदर्शिता और दक्षता:
- गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस भ्रष्टाचार और मानवीय त्रुटि की गुंजाइश को कम करके प्रक्रियाओं को मानकीकृत एवं स्वचालित कर खरीद प्रक्रियाओं की पारदर्शिता तथा दक्षता में सुधार कर सकता है।
- लास्ट माइल आउटरीच: GeM ने 1.5 लाख से अधिक भारतीय डाकघरों और 5.2 लाख से अधिक ग्रामीण स्तर के उद्यमियों (Village Level Entrepreneurs- VLEs) को कॉमन सर्विस सेंटर्स के माध्यम से लास्ट-माइल आउटरीच और सर्विस डिलीवरी के लिये एकीकृत किया है।
- ई-मार्केटप्लेस सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित कर सकता है, जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद करेगा।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा:
- बदलाव:
- उत्पत्ति का देश सूचित करना अनिवार्य: हर बार जब कोई नया उत्पाद GeM पर पंजीकृत होता है, तो विक्रेताओं को मूल देश को सूचीबद्ध करने की आवश्यकता होती है।
- बंबू मार्केट विंडो: राष्ट्रीय बाँस मिशन और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) ने बाँस के सामान (बाँस आधारित उत्पादों और गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री) के विपणन के लिये GeM पोर्टल पर एक समर्पित विंडो बनाने हेतु सहयोग किया है।
स्रोत: पी.आई.बी.
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 फरवरी, 2023
फेरी रोबोट (FAIRY Robot)
हाल ही में टाम्परे विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने सिंहपर्णी बीज (Dandelion Seed) से प्रेरित एक छोटा उड़ने वाला रोबोट विकसित किया है, जो वायु से संचालित होता है तथा प्रकाश का उपयोग करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह संभावित रूप से परागणकों की जगह ले सकता है। लाइट रेस्पॉन्सिव मैटेरियल्स असेंबली (Light Responsive Materials Assembly) पर आधारित यह फेरी रोबोट (FAIRY Robot) वायु में उड़ने वाला एक छोटा व हल्का रोबोट है। रोबोट को लेज़र बीम या एलईडी जैसे प्रकाश स्रोत से नियंत्रित किया जा सकता है यानी शोधकर्त्ता रोबोट के आकार को परिवर्तित करने के लिये प्रकाश का उपयोग कर सकते हैं, जिससे वह हवा की दिशा के अनुकूल हो सके। इस लाइट बीम का उपयोग टेक-ऑफ और लैंडिंग को नियंत्रित करने के लिये भी किया जा सकता है। सिंहपर्णी बीजों से प्रेरित पॉलिमर असेंबली रोबोट प्रकाश-नियंत्रित तरल क्रिस्टलीय इलास्टोमर से बने नरम प्रवर्तक (Actuator) से लैस है। परिणामस्वरूप शोधकर्त्ता दृश्य प्रकाश का उपयोग करके प्रवर्तक के ब्रिसल्स (Actuator's Bristles) को खोलने या बंद करने में सक्षम हैं। यह रोबोट के यथार्थवादी अनुप्रयोग की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो परागणकों (Pollinators) के रूप में कार्य कर सकता है।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस
प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को पूरे विश्व में ”विश्व आर्द्रभूमि दिवस” यानी ”वर्ल्ड वेटलैंड डे” मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1971 में ईरान के शहर रामसर में कैस्पियन सागर के तट पर आर्द्रभूमि पर अभिसमय (Convention on Wetlands) को अपनाया गया था। विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 2 फरवरी, 1997 को रामसर सम्मलेन के 16 वर्ष पूरे होने पर मनाया गया था। आर्द्रभूमि विश्व के कुछ सबसे नाजुक और संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र हैं जो पौधों एवं पशुओं के लिये अद्वितीय आवास हैं तथा विश्व भर में लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं। इस दिवस का आयोजन लोगों और हमारे ग्रह हेतु आर्द्रभूमि की महत्त्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिये किया जाता है। वर्तमान में भारत में कुल 75 वेटलैंड्स साइट्स ऐसी हैं जो रामसर साइट्स में शामिल हैं। विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2023 की थीम ‘इट्स टाइम फॉर वेटलैंड्स रिस्टोरेशन’ है।
महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र
वित्त मंत्री ने हाल ही में केंद्रीय बजट में महिलाओं और लड़कियों के लिये एक नई बचत योजना 'महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र' की घोषणा की। इस योजना में जमाराशि पर दो वर्ष के लिये 7.5 प्रतिशत की निश्चित दर से ब्याज मिलेगा। योजना के तहत किसी महिला या बालिका के नाम पर धनराशि जमा की जा सकती है। इसके तहत अधिकतम जमाराशि दो लाख रुपए रखी गई है तथा इसमें कोई कर लाभ नहीं है, लेकिन इस योजना में आंशिक निकासी की अनुमति है। बजट 2023 में घोषित यह योजना दो वर्ष की अवधि के लिये यानी मार्च 2025 तक उपलब्ध रहेगी। यह अधिक-से-अधिक महिलाओं को औपचारिक वित्तीय बचत साधनों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
APEDA ने UAE के साथ वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन
मोटा अनाज के निर्यात को बढ़ावा देने के हिस्से के रूप में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में निर्यात के अवसरों का पूर्ण लाभ उठाने के लिये एक वर्चुअल-क्रेता-विक्रेता बैठक का आयोजन किया। APEDA ने दक्षिण अफ्रीका, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम तथा संयुक्त राष्ट्र में मोटा अनाज के प्रचार करने की भी योजना बनाई है। भारत के प्रमुख मोटा अनाज निर्यातक देश UAE, नेपाल, साऊदी अरब, लीबिया, ओमान, मिस्र, ट्यूनीशिया, यमन, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राष्ट्र हैं जिनमें प्रमुख किस्मों के अंतर्गत बाजरा, रागी, कैनरी, ज्वार और बकवीट हैं।
और पढ़ें… APEDA, भारत का मोटा अनाज क्रांति, भारत-यूएई संबंध
मिशन डीप ओशन
केंद्रीय बजट 2023-24 में संसाधनों के सतत् उपयोग से समुद्री जैवविविधता का पता लगाने को डीप ओशन मिशन हेतु 600 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। इस मिशन के तहत मध्य हिंद महासागर में खनिज अन्वेषण को सुगम बनाने के लिये तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने वाली एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। वर्ष 2016 में भारत को मध्य हिंद महासागर बेसिन से 5,000-6,000 मीटर की गहराई पर पॉलीमेटैलिक नोड्यूल के खनन के लिये 75,000 किमी. वर्ग क्षेत्र का पता लगाने के लिये 15 वर्ष का अनुबंध दिया गया था।
और पढ़ें… मिशन डीप ओशन , मिशन समुद्रयान
मैंग्रोव के लिये मिष्टी पहल
केंद्रीय बजट 2023-24 में समुद्र तट के किनारे और लवणीय भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण के लिये “तटीय पर्यावास एवं ठोस आमदनी हेतु मैंग्रोव पहल” (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats & Tangible Incomes- MISHTI) की घोषणा की गई है। इससे पहले भारत UNFCCC COP27 के दौरान लॉन्च किये गए ‘जलवायु के लिये मैंग्रोव गठबंधन’ में शामिल हुआ था। यद्यपि मैंग्रोव ग्रह की सतह के केवल 0.1% हिस्से को कवर करते हैं, वे संभावित रूप से स्थलीय वनों की तुलना में प्रति हेक्टेयर 10 गुना अधिक कार्बन स्टोर कर सकते हैं। वे तूफान के खिलाफ एक प्राकृतिक बाधा के रूप में कार्य कर तटीय समुदायों की रक्षा करते हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 के अनुसार, भारत का कुल मैंग्रोव कवर क्षेत्र 4,992 वर्ग किमी.(कुल भौगोलिक क्षेत्र का 0.15%) है। भारत ने पिछली शताब्दी के दौरान अपने मैंग्रोव कवर का 40% हिस्सा खो दिया, केरल ने पिछले 3 दशकों में अपने मैंग्रोव का 95% हिस्सा खो दिया।
और पढ़ें… मैंग्रोव वन, ‘जलवायु के लिये मैंग्रोव गठबंधन’
त्रिशक्ति प्रहार अभ्यास
हाल ही में भारतीय सेना ने त्रिशक्ति प्रहार अभ्यास, उत्तर बंगाल में एक संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास (रणनीतिक 'सिलीगुड़ी' गलियारे के करीब) का समापन किया। इस अभ्यास का उद्देश्य सेना, भारतीय वायुसेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) को शामिल कर एकीकृत रूप से नवीनतम हथियारों एवं उपकरणों का उपयोग करते हुए सुरक्षा बलों द्वारा युद्ध की तैयारी का अभ्यास करना था। इस अभ्यास का समापन तीस्ता फील्ड फायरिंग रेंज में एकीकृत अग्नि शक्ति अभ्यास के साथ हुआ। इसमें सेना, भारतीय वायु सेना और सीएपीएफ के सभी हथियार और सेवाएँ शामिल थीं। सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक (पश्चिम बंगाल) बांग्लादेश, भूटान और नेपाल की सीमा से लगी भूमि का एक हिस्सा है, जो लगभग 170x60 किमी. है, सबसे संकीर्ण स्थान पर यह लगभग 20-22 किमी. चौड़ा है।