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एडिटोरियल

  • 13 Feb, 2023
  • 15 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-फ्राँस संबंधों में विस्तार

यह एडिटोरियल 10/02/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Exploring the blue in the India-France partnership” लेख पर आधारित है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में भारत-फ्राँस साझेदारी के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

जब वर्ष 2023 को भारत और फ्राँस द्वारा रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने के रूप में मनाया जा रहा है, तब यह आत्मनिरीक्षण का एक अनूठा अवसर भी प्रदान कर रहा है। वर्ष 1998 में हस्ताक्षरित, समय के मानकों पर खड़ी उतरी इस रणनीतिक साझेदारी ने साझा मूल्यों और शांति, स्थिरता की आकांक्षाओं तथा सबसे महत्त्वपूर्ण, रणनीतिक स्वायत्तता की उनकी इच्छा के विषय में गति प्राप्त करना जारी रखा है।

  • पिछले ढाई दशकों में भारत और फ्राँस ने साझा मूल्यों और शांति, सुरक्षा एवं सतत विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता पर आधारित घनिष्ठ और गतिशील संबंध का विकास किया है।
  • यह रणनीतिक साझेदारी रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उनके परस्पर सहयोग के पीछे एक प्रमुख प्रेरक शक्ति रही है। अभी जब दोनों राष्ट्र इस मील के पत्थर का उत्सव मना रहे हैं, इस विशेष संबंध की सफलताओं एवं उपलब्धियों पर विचार करने तथा उज्ज्वल एवं समृद्ध भविष्य की ओर देखने का यह उपयुक्त समय है।

दोनों देशों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?

  • रक्षा:
    • फ्राँस भारत के लिये एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में उभरा है, जो वर्ष 2017-2021 में भारत के लिये दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता रहा।
    • महत्त्वपूर्ण रक्षा सौदों और परस्पर सैन्य संलग्नता में वृद्धि के साथ फ्राँस भारत के लिये एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार के रूप में उभरा है।
    • उदाहरण:
      • भारतीय नौसेना के लिये फ्राँसीसी स्कॉर्पीन पारंपरिक पनडुब्बियाँ (जिन्हें वर्ष 2005 के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के तहत भारत में बनाया जा रहा है) और भारतीय वायु सेना के लिये 36 राफेल लड़ाकू जेट की आपूर्ति।
      • भारत के टाटा समूह ने वड़ोदरा, गुजरात में सी-295 सामरिक परिवहन विमान के विनिर्माण के लिये फ्राँस के एयरबस के साथ समझौता किया है।
      • सैन्य वार्ता और नियमित रूप से आयोजित संयुक्त अभ्यास:
  • आर्थिक सहयोग:
    • वर्ष 2021-22 में 12.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक व्यापार के साथ फ्राँस भारत के एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है।
    • अप्रैल 2000 से जून 2022 के बीच 10.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश (भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह का 1.70%) के साथ यह भारत का 11वाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक रहा।
  • असैन्य परमाणु सहयोग:
    • फ्राँस उन आरंभिक देशों में एक था जिनके साथ भारत ने असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
    • वर्ष 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद अप्रसार व्यवस्था (Non-proliferation Order) में भारत के अलगाव को सीमित करने में भी पेरिस ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग:
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में प्रवेश के भारत के दावे का फ्राँस समर्थन करता है।
  • जलवायु सहयोग:
    • दोनों देश जलवायु परिवर्तन को लेकर साझा चिंता रखते हैं, जहाँ भारत ने पेरिस समझौते में फ्राँस का समर्थन करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के प्रति अपनी प्रबल प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
    • दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन पर अपने संयुक्त प्रयासों के तहत वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की शुरुआत की।
  • समुद्री संबंध:
    • हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्राँस सहयोग की संयुक्त सामरिक दृष्टि संबंधों को मज़बूत करने के लिये एक खाका प्रस्तुत करती है।
    • हिंद महासागर में फ्राँस-भारत संयुक्त गश्त समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ जुड़कर हिंद महासागर में अपने पदचिह्न का विस्तार करने के भारत के इरादे का संकेत देती है।
    • दोनों देशों ने एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और खुले हिंद-प्रशांत के प्रति साझा विज़न प्रकट किया है जिससे समुद्री सुरक्षा के लिये सहयोग को और बल मिला है।
    • सितंबर 2022 में भारत और फ्राँस एक हिंद-प्रशांत त्रिपक्षीय विकास सहयोग कोष (Indo-Pacific Trilateral Development Cooperation Fund) स्थापित करने पर सहमत हुए जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिये सतत अभिनव समाधानों का समर्थन करेगा।
    • भारत, फ्राँस, संयुक्त अरब अमीरात त्रिपक्षीय पहल का उद्देश्य अफ्रीका के पूर्वी तट से सुदूर प्रशांत तक समुद्री क्षेत्र जागरूकता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • अंतरिक्ष सहयोग:
    • भारत और फ्राँस ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में परस्पर सहयोग को मज़बूत करना जारी रखा है। अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके परस्पर सहयोग के हाल के कुछ घटनाक्रमों में शामिल हैं:
      • ISRO-CNES संयुक्त कार्य समूह: वर्ष 2020 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और फ्रेंच नेशनल सेंटर फॉर स्पेस स्टडीज (CNES) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने सहयोग को और बढ़ाने के लिये एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की।
      • संयुक्त मंगल मिशन: वर्ष 2020 में ISRO और CNES ने निकट भविष्य में एक संयुक्त मंगल मिशन पर सहयोग करने की योजना की घोषणा की।
      • अंतरिक्ष मलबे पर सहयोग: भारत और फ्राँस अंतरिक्ष मलबे की समस्या को हल करने के लिये भी मिलकर कार्य कर रहे हैं।
      • संयुक्त पृथ्वी अवलोकन मिशन: वर्ष 2021 में ISRO और CNES ने एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन मिशन (Earth observation mission) पर सहयोग करने की योजना की घोषणा की, जिसमें पृथ्वी के वातावरण एवं जलवायु का अध्ययन करने के लिये एक उपग्रह का विकास करना भी शामिल होगा।

भारत-फ्राँस संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ

  • मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की अनुपस्थिति:
    • परस्पर अच्छे संबंधों के बावजूद, भारत और फ्राँस के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) संपन्न हुआ है।
    • इसके अलावा, भारत-यूरोपीय संघ व्यापक व्यापार एवं निवेश समझौते (Broad based Trade and Investment agreement- BTIA) की दिशा में भी कोई प्रगति नहीं हो रही है।
  • रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग:
    • एक मज़बूत रक्षा साझेदारी के बावजूद, दोनों देश रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग की दिशा में अलग-अलग प्राथमिकताएँ और दृष्टिकोण रखते हैं।
    • पड़ोसी देशों पर भारत के मुख्य ध्यान और इसकी ‘गुट-निरपेक्ष’ नीति का कभी-कभी फ्राँस की वैश्विक महत्त्वाकांक्षाओं एवं हितों से टकराव भी हो सकता है।
  • व्यापार असंतुलन:
    • महत्त्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार होने के बावजूद, भारत और फ्राँस के बीच व्यापार असंतुलन की स्थिति मौजूद है, जहाँ फ्राँस भारत को अधिक निर्यात करता है।
    • यह असंतुलन भारत के लिये चिंता का विषय रहा है और दोनों देश इससे निपटने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं।
  • बौद्धिक संपदा अधिकार:
    • बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights- IPR) की पर्याप्त रूप से रक्षा नहीं करने के लिये फ्राँस द्वारा भारत की आलोचना की गई है, क्योंकि इसने भारत में संचालित फ्राँसीसी व्यवसायों को प्रभावित किया है।
  • ‘चाइना फैक्टर’:
    • हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभुत्व भारत और फ्राँस दोनों के लिये चिंता का विषय है, क्योंकि इसमें क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को भंग करने और क्षेत्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा को कमज़ोर करने की क्षमता है।

आगे की राह

  • व्यापार और निवेश में वृद्धि लाना:
    • दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।
    • संयुक्त उद्यम स्थापित करने, व्यापार समझौतों का विस्तार करने और सीमा-पार निवेश को बढ़ावा देने जैसे उपायों के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।
  • रक्षा सहयोग:
    • भारत और फ्राँस के बीच एक सुदृढ़ रक्षा संबंध कायम है, जिसे संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा रक्षा उत्पादन में साझेदारी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाकर और सुदृढ़ किया जा सकता है।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान:
    • छात्रों के आदान-प्रदान, कला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और भाषा कार्यक्रमों जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने से संबंधों को गहरा करने तथा आपसी समझ को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
  • जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा:
    • भारत और फ्राँस जलवायु परिवर्तन एवं ऊर्जा सुरक्षा की वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिये मिलकर कार्य कर सकते हैं। स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान एवं विकास पर सहयोग, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है।
  • वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय सहयोग:
    • दोनों देश अनुसंधान एवं विकास, नवाचार तथा प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण सहित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं। यह उनकी अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाने और विकास के नए अवसर पैदा करने में मदद कर सकता है।

अभ्यास प्रश्न: भारत और फ्राँस अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिये कौन-से कदम उठा रहे हैं और दोनों देशों के लिये इनके संभावित लाभ क्या हैं?

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक परीक्षा

प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में लॉन्च किया गया था।
  2. गठबंधन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

 (A) केवल 1
 (B) केवल 2
 (C) 1 और 2 दोनों
 (D) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (A)

  • विकासशील देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये भारत और फ्राँस ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) लॉन्च किया।
  • इसे भारतीय प्रधान मंत्री और फ्राँसीसी राष्ट्रपति द्वारा नवंबर 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में लॉन्च किया गया था। इसका सचिवालय भारत के गुरुग्राम में स्थित है।  अतः कथन 1 सही है।
  • प्रारंभिक चरण में आईएसए को पूरी तरह या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा (उष्णकटिबंधीय क्षेत्र) के बीच स्थित देशों की सदस्यता के लिये खोला गया था।
  • वर्ष 2018 में, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिये ISA की सदस्यता खोली गई थी। हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश इसके सदस्य नहीं हैं।  अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • वर्तमान में 80 देशों ने आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं और इसकी पुष्टि की है, जबकि 98 देशों ने आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

अतः विकल्प (A) सही उत्तर है।


मुख्य परीक्षा

प्र. I2U2 (भारत, इज़राइल, यूएई और यूएसए) समूहीकरण वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति को कैसे परिवर्तित करेगा?  (वर्ष 2022)


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