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एडिटोरियल

  • 11 Sep, 2024
  • 25 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-संयुक्त अरब अमीरात संबंध: परंपरा से परिवर्तन तक

यह एडिटोरियल 09/09/2024 को ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में प्रकाशित “Leverage historical ties for new areas of cooperation” लेख पर आधारित है। इसमें चर्चा की गई है कि हाल के वर्षों में व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ UAE-भारत साझेदारी सुदृढ़ हुई है। व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA) और ‘UAE-भारत स्टार्ट-अप ब्रिज’ जैसी नई पहलें इस रणनीतिक संबंध के लिये एक आशाजनक भविष्य का संकेत देती हैं।

प्रिलिम्स के लिये:

यूएई-भारत द्विपक्षीय संबंध, व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता, कच्चे तेल का आपूर्तिकर्त्ता, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश(FDI), जायद तलवार, अबू धाबी में BAPS हिंदू मंदिर, I2U2, अब्राहम समझौते। 

मेन्स के लिये:

भारत के लिये यूएई का महत्त्व, भारत और यूएई के बीच टकराव के प्रमुख क्षेत्र।

हाल के वर्षों में भारत-UAE द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और ऐतिहासिक बंधन और भी गहरे हुए हैं। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की हाल की भारत यात्रा इस रणनीतिक साझेदारी के महत्त्व को रेखांकित करती है। संबंधों में राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है, जहाँ UAE भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य, तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और चौथा सबसे बड़ा निवेशक बन गया है। मई 2022 में लागू किया गया व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA) एक ‘गेम-चेंजर’ रहा है, जिसने कुल व्यापार को लगभग 15% बढ़ाया है और वर्ष 2023-24 में गैर-तेल व्यापार में 20% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

दोनों देश पारंपरिक शक्ति केंद्रों से आगे बढ़कर भारत के उभरते शहरों तक अपनी साझेदारी का विस्तार करने के लिये प्रतिबद्ध हैं। UAE-भारत सांस्कृतिक परिषद और UAE-भारत स्टार्ट-अप ब्रिज जैसी पहलों का उद्देश्य सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करना तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। यह बहुआयामी दृष्टिकोण UAE-भारत संबंधों के लिये एक उज्ज्वल भविष्य का वादा करता है, जिसमें एक प्रत्यास्थी, समावेशी एवं समृद्ध साझेदारी का निर्माण करने की क्षमता है।

भारत के लिये UAE का क्या महत्त्व है?

  • आर्थिक महाशक्ति – खाड़ी का प्रवेश-द्वार: संयुक्त अरब अमीरात मध्य-पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका (Middle East and North Africa- MENA) क्षेत्र में भारत के आर्थिक आधार या ‘स्प्रिंगबोर्ड’ के रूप में कार्य करता है।
    • UAE भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2022-23 में 84.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
    • मई 2022 में क्रियान्वित व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता CEPA) ‘गेम-चेंजर’ सिद्ध हुआ, जिसने संयुक्त अरब अमीरात के लिये 80% भारतीय निर्यात पर टैरिफ को समाप्त कर दिया है।
      • इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 की पहली छमाही में गैर-तेल व्यापार में 5.8% की वृद्धि हुई और वर्ष 2030 तक इसके 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
    • संयुक्त अरब अमीरात की रणनीतिक अवस्थिति और विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना इसे अफ्रीका एवं यूरोप में भारतीय वस्तुओं के लिये एक आदर्श पुनःनिर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करती है।
  • ऊर्जा सुरक्षा: भारत के चौथे सबसे बड़े कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता के रूप में UAE भारत की ऊर्जा सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • जनवरी 2024 में UAE से तेल आयात में 81% की वृद्धि हुई।
    • पारंपरिक हाइड्रोकार्बन के अलावा, दोनों देश नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर भी सहयोग कर रहे हैं।
    • यह साझेदारी वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने के भारत के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है, जो भारत के ऊर्जा संक्रमण में UAE के महत्त्व को दर्शाता है।
  • निवेश उत्प्रेरक: संयुक्त अरब अमीरात से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) वर्ष 2021-22 में 1.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर से तीन गुना बढ़कर 3.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
    • ‘निवेश पर संयुक्त अरब अमीरात-भारत उच्चस्तरीय संयुक्त कार्यबल’ निवेश को सुविधाजनक बनाने में सहायक रहा है।
    • अबू धाबी इंवेस्टमेंट अथॉरिटी ने रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड में 4,966.80 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
  • रणनीतिक साझेदारी: UAE मध्य-पूर्व में, विशेष रूप से आतंकवाद का मुक़ाबला करने और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में, भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार बन गया है।
    • दोनों देशों ने वर्ष 2021 में द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘ज़ायद तलवार’ का आयोजन किया, जो उनके बीच बढ़ते रक्षा सहयोग को प्रकट करता है।
    • संयुक्त अरब अमीरात के अल धफरा एयर बेस (Al Dhafra air base) तक भारत की पहुँच से उसकी सामरिक पहुँच की वृद्धि हुई है।
  • धन प्रेषण और ‘सॉफ्ट पावर’: संयुक्त अरब अमीरात में 3.5 मिलियन भारतीय प्रवासियों की उपस्थिति भारत के लिये धन प्रेषण (remittances) और ‘सॉफ्ट पावर’ (soft power) का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
    • भारत को वर्ष 2022 में विश्व भर से लगभग 111 बिलियन अमेरिकी डॉलर का धन प्रेषण प्राप्त हुआ, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात धन प्रेषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक था।
    • आर्थिक योगदान के अलावा, प्रवासी समुदाय सांस्कृतिक संबंधों और लोगों के परस्पर (p2p) संपर्क को भी बढ़ाता है।
    • अबू धाबी में BAPS हिंदू मंदिर का निर्माण UAE की धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है और यह द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ करता है।
    • संयुक्त अरब अमीरात गए हुए भारतीय पर्यटक और अमीरात में रहने वाले वे लोग जिनके पास भारत में बैंक खाते हैं, UPI नेटवर्क का उपयोग कर सकते हैं।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार केंद्र: UAE-भारत साझेदारी प्रौद्योगिकी और नवाचार पर अधिकाधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।
    • वर्ष 2021 में गठित I2U2 (भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका) समूह का उद्देश्य विशेष रूप से स्वच्छ ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
    • भारत के विभिन्न भागों में फूड पार्क की स्थापना में UAE का 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश (जिसकी घोषणा 2022 में की गई थी) इस सहयोग की पुष्टि करता है।
    • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया ‘UAE-भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ब्रिज’ AI में ज्ञान के आदान-प्रदान और संयुक्त अनुसंधान की सुविधा प्रदान करता है, जिससे दोनों देश चतुर्थ औद्योगिक क्रांति में अग्रणी देश बन सकेंगे।

भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच टकराव के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?

  • श्रम अधिकार संबंधी कठिनाइयाँ: सुधारों के बावजूद, संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय कर्मकारों के लिये श्रम अधिकारों के मुद्दे अभी भी बने हुए हैं।
    • पासपोर्ट जब्त करने, पूर्ण वेतन भुगतान नहीं करने और खराब जीवन स्थितियों की ख़बरें लगातार सामने आती रहती हैं।
    • खाड़ी देशों में भारतीय कर्मकार औसतन प्रतिदिन एक श्रम शिकायत दर्ज कराते हैं। जबकि UAE ने वेतन संरक्षण प्रणाली जैसे सुधारों को लागू किया है, लेकिन इनका क्रियान्वयन एक चुनौती बना हुआ है।
    • भारत के लिये अपने नागरिकों की सुरक्षा और संयुक्त अरब अमीरात के साथ सुदृढ़ आर्थिक संबंध बनाए रखने के बीच का नाजुक संतुलन द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा करता है।
  • भू-राजनीतिक जोड़-तोड़: इज़रायल के साथ भारत के गहरे होते संबंध और अब्राहम समझौते के माध्यम से UAE का इज़रायल के साथ संबंध सामान्यीकरण एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य का निर्माण करता है।
    • यद्यपि इससे त्रिपक्षीय सहयोग के अवसर खुलते हैं (जैसा कि I2U2 पहल में देखा गया है), लेकिन इससे भारत के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता में उलझने, विशेष रूप से ईरान के साथ, का भी खतरा है।
    • चीन के साथ UAE के बढ़ते संबंध, जिसका पुष्टि चीन के L-15 विमान के लिये संपन्न सौदे से होती है, भारत के लिये संभावित रणनीतिक चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहे हैं।
    • अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए इन संबंधों में संतुलन बनाए रखना भारतीय कूटनीति के लिये एक संवेदनशील या नाजुक कार्य बना हुआ है, जहाँ भारत को विशेष सतर्कता रखनी होगी।
  • ऊर्जा संक्रमण संबंधी चुनौती: चूँकि भारत और UAE दोनों ही शुद्ध-शून्य लक्ष्य (क्रमशः वर्ष 2070 और वर्ष 2050 तक) के लिये प्रतिबद्ध हैं, इसलिये उनके पारंपरिक हाइड्रोकार्बन-आधारित संबंधों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • भारत द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा पर बल दिया जाना, जहाँ वर्ष 2030 तक अपने ऊर्जा मिश्रण में 50% नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य रखा गया है, संयुक्त अरब अमीरात के तेल निर्यात हितों के साथ संभावित रूप से टकराव पैदा करता है।
    • ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक संबंधों को बनाए रखते हुए इस ऊर्जा संक्रमण को आगे बढ़ाने के लिये सतर्क संतुलन की आवश्यकता है।
  • व्यापार असंतुलन संबंधी उलझन: व्यापार की बढ़ती मात्रा के बावजूद भारत-UAE व्यापार संबंधों में गंभीर असंतुलन बना हुआ है।
    • वित्त वर्ष 2022-23 में UAE के साथ भारत का व्यापार घाटा 16.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। यह असंतुलन, जो मुख्य रूप से तेल आयात के कारण है, भारत के लिये आर्थिक कमज़ोरियाँ पैदा करता है।
    • CEPA भारतीय निर्यात को बढ़ावा देकर इस समस्या का समाधान करने पर लक्षित है, फिर भी हाइड्रोकार्बन के अलावा अन्य वस्तुओं के व्यापार में विविधता लाने की चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
  • समुद्री सुरक्षा रणनीति: भारत और संयुक्त अरब अमीरात अरब सागर में समुद्री सुरक्षा को लेकर साझा चिंता रखते हैं, जो उनके व्यापार और ऊर्जा प्रवाह के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • हालाँकि, एक-दूसरे की रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान करते हुए समुद्री डकैती (पाइरेसी) और आतंकवाद जैसे खतरों के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वयन करना एक चुनौती है।
    • संयुक्त अरब अमीरात की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति (जिसकी पुष्टि सोमालीलैंड में उसके नौसैनिक आधार से होती है) और क्षेत्र में भारत की बढ़ती समुद्री उपस्थिति के कारण संभावित हितों के टकराव से बचने तथा प्रतिस्पर्द्धी रणनीतियों के बजाय पूरक रणनीतियों को सुनिश्चित करने के लिये सतर्क समन्वयन की आवश्यकता है।

संयुक्त अरब अमीरात के साथ अपने संबंधों को उन्नत बनाने के लिये भारत कौन-से उपाय कर सकता है?

  • डिजिटल कूटनीति अभियान: भारत-UAE सहयोग के लिये एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिये भारत अपनी IT क्षमता का उपयोग कर सकता है।
    • इसमें एक रियल-टाइम व्यापार पोर्टल, एक संयुक्त नवाचार केंद्र और एक डिजिटल कौशल विनिमय कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं।
    • भारत अन्य खाड़ी देशों में अपनी सीमा-पार डिजिटल भुगतान प्रणाली का विस्तार करने के लिये संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर कार्य कर सकता है।
    • इस पहल से लेन-देन की लागत कम हो सकती है, वित्तीय समावेशन बढ़ सकता है और धन प्रेषण सुगम हो सकता है।
  • हरित ऊर्जा गलियारा (Green Energy Corridor): भारत को दोनों देशों के जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप एक व्यापक ‘भारत-UAE हरित ऊर्जा गलियारे’ का प्रस्ताव करना चाहिये।
    • इसमें नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में संयुक्त निवेश, हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संवहनीय विलवणीकरण तकनीकों पर सहयोगात्मक अनुसंधान शामिल हो सकता है।
    • इस पहल में भारत की वैज्ञानिक विशेषज्ञता और UAE के वित्तीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एक संयुक्त जलवायु परिवर्तन अनुसंधान केंद्र की स्थापना करना और मरुस्थल पारिस्थितिकी एवं सतत शहरी विकास पर ध्यान केंद्रित करना भी शामिल हो सकता है।
  • ‘स्किल ब्रिज प्रोग्राम’: संयुक्त अरब अमीरात के रोज़गार बाज़ार के लिये भारतीय कर्मकारों को कुशल बनाने हेतु एक लक्षित ‘कौशल सेतु कार्यक्रम’ (Skill Bridge Program) क्रियान्वित किया जाए, जहाँ AI और संवहनीय प्रौद्योगिकियों जैसे उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
    • उदाहरण के लिये, भारत संयुक्त अरब अमीरात के नेशनल प्रोग्राम फॉर कोडर्सके साथ साझेदारी कर ब्लॉकचेन और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में विशेष पाठ्यक्रम प्रदान कर सकता है।
    • यह पहल न केवल भारतीय कर्मकारों की रोज़गार क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि UAE के ज्ञान अर्थव्यवस्था लक्ष्यों में भी योगदान देगी।
  • स्टार्ट-अप सिनर्जी योजना: भारत और UAE के स्टार्ट-अप्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिये ‘स्टार्टअप सिनर्जी योजना’ (StartUp Synergy Scheme) का विकास किया जाए।
    • इसमें संयुक्त इन्क्यूबेशन कार्यक्रम, द्विपक्षीय स्टार्ट-अप फंड और पारस्परिक बाज़ार पहुँच सुविधा शामिल हो सकती है।
    • उदाहरण के लिये, भारत के जीवंत स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र और UAE की वित्तीय शक्ति का लाभ उठाते हुए यह योजना भारत-UAE संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देने पर लक्षित हो सकती है।
    • विशिष्ट फोकस क्षेत्रों में फिनटेक, हेल्थटेक और एग्रीटेक शामिल हो सकते हैं, जो दोनों देशों की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप होंगे।
    • इस योजना में ‘स्टार्ट-अप वीज़ा’ कार्यक्रम भी शामिल किया जा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच उद्यमियों की आवाजाही आसान हो जाएगी।
  • ‘समुद्री सहयोग ब्लूप्रिंट’: समुद्री सुरक्षा, नीली अर्थव्यवस्था संबंधी पहलों और बंदरगाह विकास में सहयोग बढ़ाने के लिये एक व्यापक ‘भारत-UAE समुद्री सहयोग ब्लूप्रिंट’ तैयार किया जाए।
    • इसमें साझा समुद्री डोमेन जागरूकता प्रणालियाँ और सहयोगात्मक समुद्री अनुसंधान परियोजनाएँ शामिल हो सकती हैं।
    • उदाहरण के लिये, भारत और UAE द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘ज़ायद तलवार’ की सफलता पर आगे बढ़ते हुए अरब सागर में भी संयुक्त गश्त करने का लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं।
    • इस ब्लूप्रिंट में हिंद महासागर क्षेत्र में व्यापारिक संपर्क एवं समुद्री उपस्थिति बढ़ाने के लिये भारत और संयुक्त अरब अमीरात में दो संयुक्त गहन समुद्री बंदरगाहों का विकास करना भी शामिल हो सकता है।

मध्य-पूर्व के साथ भारत के संबंधों को उन्नत बनाने में UAE किस प्रकार मदद कर सकता है?

  • ‘डिप्लोमेटिक ब्रिज-बिल्डर’: अपनी रणनीतिक अवस्थिति और कूटनीतिक शक्ति के कारण UAE भारत और अन्य मध्य-पूर्वी देशों के बीच सेतु का कार्य कर सकता है।
    • वर्ष 2021 में भारत और पाकिस्तान के बीच गुप्त वार्ता को सुगम बनाने में UAE की भूमिका इस क्षमता को प्रदर्शित करती है।
    • संयुक्त अरब अमीरात भारत को शामिल करते हुए एक क्षेत्रीय शिखर सम्मेलन के आयोजन में मदद कर सकता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा जैसी साझा चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
    • यह I2U2 समूह जैसे ढाँचे पर आधारित हो सकता है और इसमें खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के अन्य देशों को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया जा सकता है, जिससे संभवतः क्षेत्रीय सहयोग के लिये एक ‘विस्तारित I2U2’ मंच का निर्माण हो सकता है।
  • आर्थिक एकीकरण उत्प्रेरक: भारत-UAE व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) की सफलता पर आगे बढ़ते हुए, UAE द्वारा भारत और अन्य GCC देशों के बीच भी इसी तरह के समझौतों का पक्षसमर्थन किया जा सकता है।
    • पुनः निर्यात केंद्र (re-export hub) के रूप में UAE की स्थिति व्यापक मध्य-पूर्व के साथ भारत के आर्थिक एकीकरण में सहायक सिद्ध हो सकती है।
    • यह GCC के साथ भारत का व्यापार बढ़ाने पर लक्षित हो सकता है।
  • ऊर्जा सुरक्षा के लिए सुविधा-प्रदाता: UAE इस क्षेत्र में व्यापक ऊर्जा साझेदारी को सुविधाजनक बनाकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    • इसमें तेल क्षेत्रों में संयुक्त निवेश, नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोगात्मक अनुसंधान और क्षेत्रीय ऊर्जा ग्रिडों का निर्माण करना शामिल हो सकता है।
    • उदाहरण के लिये, संयुक्त अरब अमीरात मध्य-पूर्व को भारत से जोड़ने वाली समुद्री पाइपलाइन परियोजना पर चर्चा को गति प्रदान कर सकता है, जिसमें संभवतः ओमान जैसे देश भी शामिल हो सकते हैं।
  • सांस्कृतिक कूटनीति केंद्र: UAE अपने बहुसांस्कृतिक समाज और भारत के विशाल प्रवासी समुदाय का लाभ उठाते हुए भारत-अरब सांस्कृतिक आदान-प्रदान के केंद्र के रूप में कार्य कर सकता है।
    • इसमें भारतीय और मध्य-पूर्वी कला, साहित्य एवं व्यंजनों को प्रदर्शित करने वाले वार्षिक सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन शामिल हो सकता है।
    • UAE अबू धाबी के BAPS हिंदू मंदिर की तरह मध्य-पूर्व में भी भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना में मदद कर सकता है।

निष्कर्ष

भारत-UAE साझेदारी व्यापक रूप से विकसित हुई है, जहाँ ऐतिहासिक संबंधों का आधुनिक रणनीतिक सहयोग के साथ मेल हुआ है। व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) और ऊर्जा, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विभिन्न पहलों ने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ किया है। दोनों देश एक प्रत्यास्थी एवं समृद्ध भविष्य के लिये साझा सांस्कृतिक संबंधों और उभरते वैश्विक अवसरों का लाभ उठाते हुए निरंतर विकास के लिये तैयार हैं।

अभ्यास प्रश्न: पिछले एक दशक में व्यापार, निवेश, रक्षा, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संबंधों को सुदृढ़ करने के साथ UAE भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में उभरा है। आर्थिक, रणनीतिक और भू-राजनीतिक हितों के संदर्भ में भारत के लिये UAE के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन 'खाड़ी सहयोग परिषद' (गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल) का सदस्य नहीं है? (2016)

(a) ईरान
(b) ओमान
(c) सऊदी अरब
(d) कुवैत

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारत की ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न भारत की आर्थिक प्रगति का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग है। पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत के ऊर्जा नीति सहयोग का विश्लेषण कीजिये। (2017)


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