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एडिटोरियल

  • 09 Dec, 2023
  • 21 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

बहुआयामी गरीबी सूचकांक: कमियाँ और समाधान

यह एडिटोरियल 07/12/2023 को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित “Multidimensional Poverty Index reduction under the NDA is flawed” लेख पर आधारित है। इसमें MPI और इसकी गणना के लिये उपयोग किये जाने वाले डेटा स्रोतों के साथ संबद्ध विभिन्न प्रणालीगत एवं वैचारिक समस्याओं की चर्चा की गई है।

प्रिलिम्स के लिये:

अमर्त्य सेन का क्षमता दृष्टिकोण, मानव विकास सूचकांक, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI), राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS)

मेन्स के लिये:

बहुआयामी गरीबी सूचकांक: मुद्दे और आगे की राह।

“निर्धनता मानव सुख/खुशहाली की प्रबल शत्रु है; यह निश्चित रूप से स्वतंत्रता को नष्ट करती है और यह कुछ गुणों को अव्यवहारिक जबकि अन्य को अत्यंत कठिन बना देती है।” – सैमुअल जॉनसन 

  • इसके ठीक विपरीत, आय के संदर्भ में गरीबी या निर्धनता के पारंपरिक मापन सीमित हैं और केवल निर्वाह के लिये संसाधनों की कमी पर संकीर्ण रूप से केंद्रित हैं। लेकिन गरीबी मात्र निर्वाह तक ही सीमित विषय नहीं है। 
  • नोबेल पुरस्कृत अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने क्षमता और कार्यप्रणाली पर ध्यान केंद्रित करते हुए—जिसे लोकप्रिय रूप से ‘क्षमता दृष्टिकोण’ (capability approach) के रूप में जाना जाता है, कल्याण (well-being) पर एक समृद्ध, अभिनव एवं व्यापक परिप्रेक्ष्य का नेतृत्व किया है। 

अमर्त्य सेन का क्षमता दृष्टिकोण:

  • अमर्त्य सेन का क्षमता दृष्टिकोण व्यक्तिगत कल्याण और सामाजिक व्यवस्थाओं के मूल्यांकन के लिये एक मानक ढाँचा है। 
    • यह उन वास्तविक अवसरों या स्वतंत्रताओं पर ध्यान केंद्रित करता है जो लोगों के लिये अपनी खुशहाली, पसंदों या संसाधनों के बजाय उस तरह के जीवन को प्राप्त करने के लिये आवश्यक हैं जिन्हें वे महत्त्व देते हैं। 
  • डा. सेन के अनुसार क्षमता दृष्टिकोण के दो मुख्य घटक हैं: कार्यप्रणाली (Functionings) और क्षमता (Capabilities)। 
    • कार्यप्रणाली होने और करने की मूल्यवान स्थितियाँ (valuable states of being and doing) हैं जिन्हें एक व्यक्ति प्राप्त कर सकता है, जैसे स्वस्थ, शिक्षित या सामाजिक रूप से सक्रिय होना। 
    • क्षमताएँ वैकल्पिक कार्यप्रणालियों का वह समूह है जिसे कोई व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत और सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए चुन सकता है। 
      • उदाहरण के लिये, किसी व्यक्ति में सुपोषित होने या अल्पपोषित होने की क्षमता हो सकती है, जो खाद्य तक उनकी पहुँच और उनके आहार विकल्पों पर निर्भर करता है। 
  • अमर्त्य सेन का तर्क है कि क्षमता दृष्टिकोण उपयोगितावाद (utilitarianism) और संसाधनवाद (resourcism) जैसे अन्य दृष्टिकोणों की तुलना में मानव कल्याण का आकलन करने का बेहतर तरीका है । 
    • उनका दावा है कि ये दूसरे दृष्टिकोण मानव जीवन की विविधता और जटिलता के प्रति या तो बहुत संकीर्ण हैं या अत्यंत असंवेदनशील हैं। 
      • उपयोगितावाद उन विकल्पों के चयन से संबंधित है जो अत्यंत प्रसन्नता या इच्छाओं की संतुष्टि की ओर ले जाते हैं। 
      • जबकि संसाधनवाद इस विषय से संबंधित है कि समाज में आय, धन या कल्याण जैसे संसाधनों को किस प्रकार वितरित किया जाता है। 
    • अमर्त्य सेन के लिये विकास का अंतिम लक्ष्य है लोगों की क्षमताओं का विस्तार करना, न कि केवल उनकी आय या उपयोगिताओं का। 
  • सेन के क्षमता दृष्टिकोण ने मानव विकास सूचकांक (Human Development Index- HDI) के सृजन को प्रेरित किया है। 

मानव विकास सूचकांक (HDI):

  • HDI एक समग्र सूचकांक है जो मानव विकास के तीन आयामों को संयुक्त करता है: स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर। 

  • यह 0 से 1 के दायरे में होता है जहाँ उच्च मान उच्च मानव विकास का संकेत देते हैं। 
  • HDI की गणना संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा की जाती है और इसे ‘मानव विकास रिपोर्ट’ में प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है। 
  • HDI अकेले गरीबी के विभिन्न आयामों और जटिलताओं को पूर्णरूपेण प्रकट नहीं कर सकता था, इसलिये HDI को पूरकता प्रदान करने के लिये बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index- MPI) की अवधारणा पेश की गई। 

MPI क्या है और यह HDI से किस प्रकार भिन्न है? 

  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI): 
    • MPI गरीबी का मापन है जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर जैसे विभिन्न आयामों में लोगों के समक्ष विद्यमान विभिन्न अभावों को दर्शाता है। 
    • MPI को ‘ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव’ (OPHI) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा विकसित किया गया और इसे मानव विकास रिपोर्ट में प्रकाशित किया जाता है। 
    • MPI की गणना बहुआयामी रूप से गरीब लोगों के प्रतिशत (incidence or headcount ratio) के साथ उन आयामों की औसत संख्या जिनमें वे वंचित हैं (intensity) के गुणन के माध्यम से की जाती है। अर्थात् MPI = H x A (incidence x intensity) 
      • MPI 0 से 1 के दायरे में होता है, जहाँ उच्च मान बहुआयामी गरीबी के उच्च स्तर का संकेत देते हैं। 

MPI बनाम HDI: 

बहुआयामी गरीबी सूचकांक 

मानव विकास सूचकांक 

  • व्यक्तियों के अभावों/वंचनाओं को तीन आयामों में मापता है: स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर 
  • देश की उपलब्धियों को तीन आयामों में मापता है: जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय 
  • गरीबी की तीव्रता और स्थिति (intensity and incidence) को ग्रहण करने के लिये 10 संकेतकों का उपयोग करता है 
  • मानव विकास के औसत स्तर को ग्रहण करने के लिये 3 संकेतकों का उपयोग करता है 
  • 0 से 1 के दायरे में होता है, जहाँ 0 का अर्थ है गरीबी का नहीं होना और 1 का अर्थ है चरम गरीबी  
  • 0 से 1 के दायरे में होता है, जहाँ 0 का अर्थ है निम्न मानव विकास और 1 का अर्थ है अत्यंत उच्च मानव विकास  
  • इसे UNDP और OPHI द्वारा वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है 
  • इसे UNDP द्वारा वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है 

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु: 

  • MPI बहुआयामी रूप से गरीब लोगों की संख्या एवं प्रतिशत और उनके समक्ष विद्यमान अभावों की औसत संख्या को प्रकट कर यह चिन्हित कर सकता है कि कौन लोग गरीब हैं और वे किस प्रकार गरीब हैं। 
  • विभिन देशों के अंदर असमानताओं एवं गरीबी के पैटर्न को प्रकट करने के लिये MPI को क्षेत्रों, जातीय समूहों या अन्य श्रेणियों के आधार पर भी विभाजित किया जा सकता है। 

भारत में MPI की गणना: 

  • भारत में MPI की गणना नीति आयोग (NITI Aayog) OPHI और UNDP के सहयोग से की जाती है। 
  • नीति आयोग राष्ट्रीय MPI के लिये नोडल एजेंसी है, जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग प्रदान करता है। 
  • आँकड़ों के लिये प्राथमिक डेटा स्रोत के रूप में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) की मदद ली गई थी। 

MPI 2023 के आँकड़े पर सवाल क्यों उठाये जा रहे हैं? 

  • MPI मूल्यों में तेज़ी से कमी: वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच भारत के राष्ट्रीय MPI मूल्य के 24.85% से घटकर 14.96% होने को इसकी वैधता के लिये प्रश्नगत किया जा रहा है। 9.89% की यह कमी गरीबी के स्तर में पर्याप्त सुधार का संकेत देती है, जो इंगित करती है कि इस अवधि के दौरान लगभग 135.5 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। लेकिन इन अनुमानों को भ्रामक और गलत सूचना से युक्त माना जा रहा है। 
  • कोविड-19 महामारी के प्रभाव को नजरअंदाज करना: MPI मूल्यों में भारी कमी वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक एवं सामाजिक व्यवधानों को परिलक्षित नहीं कर पा रही है। 
    • MPI अनुमानों में भारतीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक आघातों और उसके बाद के संघर्षों पर पर्याप्त रूप से विचार नहीं किया गया है, जिससे गरीबी स्तर में कथित सुधारों की सटीकता पर सवाल उठते हैं। 

भारत में MPI की गणना से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ: 

  • एकसमान भार के साथ एकत्रीकरण: UNDP के मानव विकास सूचकांक के ही समान MPI में भी उपयोग की जाने वाली पद्धति में एकसमान भार (uniform weighting) के साथ एकत्रीकरण शामिल है। इसका अर्थ यह है कि समग्र सूचकांक की गणना में सभी आयामों को एकसमान महत्त्व दिया जाता है। यह दृष्टिकोण विभिन्न अभावों के अलग-अलग महत्त्व को ध्यान में न रखते हुए गरीबी की जटिलताओं को अतिसरलीकृत कर सकता है। 
    • राष्ट्रीय MPI राज्यों और ज़िलों में भी सभी संकेतकों के लिये समान भार और कट-ऑफ का उपयोग करता है, जो देश की विविधता एवं विषमता के प्रतिबिंबन में चूक सकता है। 
      • उदाहरण के लिये, बिजली के लिये वंचना कटौती (deprivation cut-off) का अर्थ है दिन में कम से कम चार घंटे बिजली तक पहुँच, जो कुछ क्षेत्रों या खंडों के लिये उपयुक्त नहीं भी हो सकता है। 
  • डेटा स्रोत संबंधी समस्याएँ: MPI राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 और 5 के डेटा पर निर्भर करता है। आलोचकों का तर्क है कि ये सर्वेक्षण सटीक अनुमान के लिये पर्याप्त विस्तृत नहीं हैं और NFHS-5 की विश्वसनीयता के बारे में पहले से चिंताएँ मौजूद हैं जहाँ खुले में शौच के संबंध में सरकारी दावों से इसका विरोधाभास नज़र आया था। MPI इन समस्याओं के बावजूद NFHS आँकड़ों की सीमितता को उपयुक्त रूप से संबोधित किये बिना इनका उपयोग करता है। 
    • NFHS को प्रत्येक पाँच वर्ष पर किया जाता है, जिसका अर्थ यह निकलता है कि MPI देश में गरीबी की स्थिति में नवीनतम परिवर्तनों को चिह्नित कर सकने में सक्षम नहीं हो सकता। 
  • प्रासंगिक डेटा स्रोतों का उपयोग नहीं करना: MPI घरेलू उपभोग व्यय पर राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के 75वें दौर के डेटा को शामिल नहीं करता है। 
    • NFHS डेटा को NSS डेटा के साथ संयुक्त करने से बहुआयामी गरीबी की अधिक व्यापक एवं सटीक तस्वीर मिल सकती है। लेकिन इस प्रासंगिक डेटा स्रोत को आकलन प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। 
  • लुप्त आयाम: राष्ट्रीय MPI में गरीबी के कुछ महत्त्वपूर्ण आयाम शामिल नहीं हैं, जैसे सामाजिक अपवर्जन, भेदभाव, हिंसा, असुरक्षा और पर्यावरणीय गिरावट, जो गरीबों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। 
    • इसके अलावा, कुछ संकेतक, जैसे कि पोषण और शिक्षा, इन आयामों के बहुआयामी पहलुओं (जैसे भोजन की गुणवत्ता और अधिगम प्रतिफल) को दायरे में ले सकते हैं। 
  • अंतरा-घरेलू अंतर (Intra-household Differences): राष्ट्रीय MPI गरीबी में विद्यमान अंतरा-घरेलू अंतर, विशेष रूप से लिंग एवं आयु असमानताओं को दायरे में ले सकने में अक्षम सिद्ध हो सकता है, क्योंकि यह विश्लेषण की इकाई के रूप में परिवार या घर का उपयोग करता है। 
    • यह घर के विभिन्न सदस्यों—जैसे महिलाओं, बच्चों, वृद्धजनों और दिव्यांगजनों द्वारा सामना किये जाने वाले अभावों में भिन्नता की अनदेखी कर सकता है। 

MPI में सुधार के लिये उपाय:

  • आय में उतार-चढ़ाव के लिये समायोजन: राज्य की प्रति व्यक्ति आय में भारी कमी के कारण MPI में बढ़ोतरी को देखते हुए, आय में उतार-चढ़ाव के लिये एक तंत्र लागू करने पर विचार किया जाना चाहिये। इसमें समय के साथ आर्थिक प्रभावों को पकड़ने के लिये तकनीकों को सुचारू करना या विलंबित आय चर (lagged income variable) को शामिल करना शामिल हो सकता है। 
  • गतिशील शहरी-ग्रामीण प्रवासन प्रभाव: शहरी स्थानों पर गतिशील कारकों के प्रभाव को, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान ‘रिवर्स माइग्रेशन’ पर विचार करते हुए, स्वीकार करें। एक ऐसा मॉडल विकसित करें जो ग्रामीण-शहरी प्रवास के बदलते पैटर्न और जीवन स्थितियों एवं MPI पर इसके प्रभावों को दर्शाता हो। 
  • शिक्षा पर व्यय पर बल देना: स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा व्यय दोनों ही निम्न MPI से जुड़े हैं, जहाँ शिक्षा की लोच अधिक है (पूर्ण मूल्य में), जिसका अर्थ यह है कि शिक्षा में 1% की वृद्धि स्वास्थ्य देखभाल में समान वृद्धि की तुलना में MPI को अधिक कम कर देती है। चूँकि राज्य-स्तरीय अनुमान शैक्षिक व्यय में गिरावट का संकेत देते हैं, MPI में वृद्धि की संभावना है। 
  • अपराधी सांसदों के प्रभाव को कम करना: आपराधिक मामलों से संबद्ध सांसदों की हिस्सेदारी और उच्च MPI के बीच के संबंध को देखते हुए, इस प्रभाव को कम करने के लिये रणनीतियाँ तलाशी जाएँ। इसमें भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, पारदर्शिता बढ़ाना और विधायी निकायों के भीतर आपराधिक तत्वों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिये नीतिगत पहलें करना शामिल हो सकता है। 
    • एक अध्ययन के अनुसार, यदि राज्य के कुल सांसदों में आपराधिक मामलों से संबद्ध सांसदों की हिस्सेदारी 20% से अधिक हुई तो MPI भी उतना ही उच्च हुआ। 
  • संवेदनशीलता विश्लेषण: MPI मॉडल की सुदृढ़ता का परीक्षण करने के लिये संवेदनशीलता विश्लेषण (Sensitivity Analysis) करें। इसमें यह समझने के लिये अलग-अलग प्रमुख पैरामीटर शामिल हैं कि इनपुट में परिवर्तन परिणामों को कैसे प्रभावित करते हैं; इस प्रकार, ये MPI गणना की स्थिरता एवं विश्वसनीयता के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। 
  • नीति अनुशंसाएँ: गरीबी के चिह्नित चालकों को संबोधित करने पर लक्षित नीति अनुशंसाओं को सूचना-संपन्न करने के लिये निष्कर्षों का उपयोग करें। इसमें उन नीतियों की वकालत करना शामिल हो सकता है जो आय स्थिरता, शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल में लक्षित निवेश और विधायी निकायों में भ्रष्टाचार एवं आपराधिकता से निपटने के उपायों को बढ़ावा देती हैं। 

अभ्यास प्रश्न: बहुआयामी गरीबी सूचकांक एवं मानव विकास सूचकांक के बीच तुलना कीजिये और अंतर बताइये। इसके साथ ही भारत में MPI की गणना में निहित चुनौतियों की चर्चा कीजिये तथा MPI की गणना में सुधार हेतु कुछ उपाय सुझाइये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. UNDP के समर्थन से ‘ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास नेतृत्व’ द्वारा विकसित ‘बहुआयामी निर्धनता सूचकांक’ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से सम्मिलित है/हैं? (2012)

  1. पारिवारिक स्तर पर शिक्षा, स्वास्थ्य, संपत्ति और सेवाओं से वंचन
  2.   राष्ट्रीय स्तर पर क्रय शक्ति समता
  3.   राष्ट्रीय स्तर पर बजट घाटे की मात्रा और GDP की विकास दर 

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न: लगातार उच्च विकास के बावजूद भारत अभी भी मानव विकास के निम्नतम संकेतकों पर है। उन मुद्दों की जाँच करें जो संतुलित और समावेशी विकास को दुशप्राप्य बनाते हैं। (2016)

प्र. प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने प्राथमिक शिक्षा तथा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में प्रमुख सुधारों पर बल दिया है। इन क्षेत्रों की स्थिति तथा प्रदर्शन में सुधार हेतु आपके क्या सुझाव हैं? (2016)


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