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एडिटोरियल

  • 04 Jun, 2024
  • 18 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत हरित ऊर्जा की ओर की अग्रसर

यह एडिटोरियल 03/06/2024 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “Why the old script can’t work for India’s green transition” लेख पर आधारित है। इसमें भारत के हरित ऊर्जा संक्रमण की वर्तमान स्थिति पर विचार किया गया है और इसके प्रति दृष्टिकोण में सुधार का आह्वान किया गया है।

प्रिलिम्स के लिये:

हरित ऊर्जा ,  ग्रीनहाउस गैस, नवीकरणीय ऊर्जा में FDI, प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), हरित ऊर्जा गलियारा (GEC), राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन (NSGM) और राष्ट्रीय स्मार्ट मीटर कार्यक्रम (SMNP), (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों का तेज़ी से अंगीकरण और विनिर्माण (FAME), अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), प्रधानमंत्री-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, महाराष्ट्र में धुंडी सौर परियोजना।

मेन्स के लिये:

भारत के हरित ऊर्जा परिवर्तन में प्रमुख बाधाएँ, हरित ऊर्जा परिवर्तन में तेज़ी लाने के उपाय

भारत अपनी ऊर्जा यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ हरित और अधिक संवहनीय भविष्य की ओर एक महत्त्वपूर्ण संक्रमण की ओर अग्रसर है। भारत आयातित जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम करने और डीकार्बोनाइज़ेशन एवं संवहनीयता के लिये अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के दोहरे उद्देश्यों से प्रेरित होकर स्वच्छ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर अपने संक्रमण को तेज़ कर रहा है।

चूँकि भारत अपने इस आवश्यक संक्रमण की ओर आगे बढ़ रहा है, उसे ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता और पर्यावरणीय संवहनीयता लक्ष्यों के बीच के जटिल अंतर्संबंधों को भी समझना होगा। प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच बढ़ते तनाव और प्रौद्योगिकीय श्रेष्ठता की दौड़ (विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा एवं इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में) के भारत की हरित महत्वाकांक्षाओं (जिसमें आपूर्ति शृंखला प्रत्यास्थता, घरेलू निवेश माहौल एवं राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी विचार शामिल हैं) के लिये महत्त्वपूर्ण परिणाम होंगे।

हरित ऊर्जा (Green Energy) क्या है?

  • हरित ऊर्जा को नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे स्वच्छ, संवहनीय या नवीकरणीय ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है।
  • हरित ऊर्जा उत्पादन से वायुमंडल में कोई खतरनाक  ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जित नहीं होती, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण पर नगण्य या कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  • सौर, पवन, भूताप, बायोगैस, निम्न प्रभावपूर्ण जलविद्युत और कुछ अन्य योग्य बायोमास स्रोत प्रमुख हरित ऊर्जा स्रोत हैं।

हरित ऊर्जा संक्रमण (Green Energy Transition) भारत के लिये महत्त्वपूर्ण क्यों है?

  • जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण से निपटना: चीन और अमेरिका के बाद भारत ग्रीनहाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक देश है।
    • इसके अलावा, वर्ष 2022 की ‘वैश्विक वायु स्थिति रिपोर्ट’ (State of Global Air Report) के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत में अकेले वायु प्रदूषण के कारण ही कम से कम 1.6 मिलियन मौतें हुईं।
    • हरित ऊर्जा अंगीकरण से उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आएगी और वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे जनसंख्या अधिक स्वस्थ बनेगी।
  • ऊर्जा सुरक्षा और आयात निर्भरता: अगले दो दशकों में वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि में भारत की हिस्सेदारी 25% रहने की संभावना है, जहाँ देश को मूल्य में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनावों का सामना करना पड़ेगा।
    • उदाहरण के लिये, जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों में व्यवधान उत्पन्न किया है, जिसके परिणामस्वरूप तेल की कीमतों में उछाल आया है।
    • हरित ऊर्जा स्रोत अधिक ऊर्जा स्वतंत्रता और मूल्य स्थिरता प्रदान करते हैं।
  • निवेश आकर्षित करना और वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करना: संवहनीयता पर वैश्विक ध्यान हरित प्रौद्योगिकियों में महत्त्वपूर्ण निवेश को आकर्षित कर रहा है।
    • हरित ऊर्जा को अपनाकर भारत स्वयं को स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी देश बना सकता है, निवेश आकर्षित कर सकता है और प्रौद्योगिकीय प्रगति को बढ़ावा दे सकता है।
  • नई प्रौद्योगिकियों के लिये अवसर: हरित ऊर्जा संक्रमण भारत के लिये ऊर्जा भंडारण समाधान और स्मार्ट ग्रिड जैसी अत्याधुनिक स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने तथा उनका उपयोग करना।
    • इससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और भारत वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा क्रांति में अग्रणी भूमिका ग्रहण करेगा।

भारत के हरित ऊर्जा संक्रमण की राह की प्रमुख बाधाएँ:

  • जीवाश्म ईंधन पर उच्च निर्भरता: भारत का ऊर्जा मिश्रण अभी भी जीवाश्म ईंधन पर भारी निर्भर बना हुआ है, जहाँ विद्युत उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी लगभग 55% है।
    • पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर यह निर्भरता नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण में एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती है।
  • पृथक नीति और शासन: वर्तमान दो-आयामी दृष्टिकोण, जहाँ जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा का प्रबंधन अलग-अलग मंत्रालय करते हैं, में समन्वय का अभाव है।
    • यह खंडित संरचना एकीकृत योजना, संसाधन आवंटन और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करती है।
    • उदाहरण के लिये, कोयला मंत्रालय द्वारा कोयला खनन का विस्तार, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा निर्धारित नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के विपरीत हो सकता है।
  • हरित प्रौद्योगिकी में भेद्यता: आयातित हरित प्रौद्योगिकी पर भारत की निर्भरता, विशेष रूप से सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों और महत्त्वपूर्ण खनिजों में चीन का प्रभुत्व, भेद्यता उत्पन्न करती है।
    • भारत की लगभग 70% सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता चीन द्वारा निर्मित सौर उपकरणों पर आधारित है।
    • यदि भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है तो इस निर्भरता के कारण भारत को आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और मूल्य वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है।
  • ग्रिड एकीकरण की चुनौतियाँ: सौर एवं पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अनिश्चित प्रकृति ग्रिड स्थिरता बनाए रखने और विश्वसनीय एवं निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ पेश करती है।
  • सीमित ऊर्जा भंडारण क्षमता: पंप हाइड्रो और बैटरी भंडारण जैसे ऊर्जा भंडारण समाधान भारत में अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में हैं।
    • इससे बाद में उपयोग के लिये अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा को संग्रहित करने की क्षमता सीमित हो जाती है और अधिकतम मांग की अवधि की आवश्यकताओं की पूर्ति करने की उनकी प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न होती है।
    • भारत को वर्ष 2032 तक 500GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा लक्ष्य की प्राप्ति के लिये उन्नत बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) पारितंत्र की आवश्यकता है।
  • सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों का अपशिष्ट प्रबंधन: सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के बढ़ते उपयोग से उनके जीवन-चक्र अंत प्रबंधन (end-of-life management) के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
    • भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 में लगभग 100 किलोटन (kt) सौर अपशिष्ट उत्पन्न किया और वर्ष 2030 तक इसके 600 kt तक पहुँच जाने का अनुमान है।
  • जल और ऊर्जा के बीच संबंध से जुड़ी चुनौतियाँ: संकेंद्रित सौर ऊर्जा (Concentrated Solar Power- CSP) जैसी कुछ नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की जल-गहन प्रकृति भारत के जल-तनावग्रस्त क्षेत्रों में चुनौतियाँ उत्पन्न करती है।
    • केंद्रीय जल बोर्ड के अनुसार देश के 150 मुख्य जलाशयों में जल स्तर पहले ही 23% तक गिर चुका है, जिससे जल गहन नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के अंगीकरण में चुनौती उत्पन्न हुई है।

भारत हरित ऊर्जा संक्रमण को किस प्रकार गति प्रदान कर सकता है?

  • हरित सामाजिक उद्यमिता और ज़मीनी स्तर पर नवाचार: हरित सामाजिक उद्यमों के लिये एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा तक पहुँच के लिये नवीन समाधान विकसित करने वाले स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिये प्रारंभिक वित्तपोषण, इनक्यूबेशन सहायता और नियामक ढाँचा प्रदान करना।
    • इन समाधानों में सूक्ष्म जल विद्युत संयंत्रों से लेकर सामुदायिक स्वामित्व वाले सौर फार्म तक शामिल हो सकते हैं।
  • ऊर्जा लोकतंत्र को बढ़ावा देना: वितरित उत्पादन, ऊर्जा सहकारी समितियों और समुदाय-स्वामित्व वाली नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर ऊर्जा संक्रमण में सक्रिय भागीदार बनने के लिये समुदायों एवं व्यक्तियों को सशक्त बनाना।
    • महाराष्ट्र में धुंडी सौर परियोजना (Dhundi Solar Project) जैसी पहल, जहाँ एक गाँव सामूहिक रूप से सौर ऊर्जा संयंत्र का स्वामित्व रखता है और उसका संचालन करता है, को पूरे देश में दोहराया जा सकता है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा को ज़मीनी स्तर पर अपनाया जा सके।
  • चक्रीय ऊर्जा अर्थव्यवस्था (Circular Energy Economy) को अपनाना: सौर पैनलों, पवन टर्बाइनों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों में प्रयुक्त घटकों एवं सामग्रियों के पुनः उपयोग, पुनः प्रयोजन एवं पुनर्चक्रण को बढ़ावा देकर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को शामिल करना।
    • एटेरो (Attero) और सिग्नी एनर्जी (Cygni Energy) जैसी कंपनियाँ लिथियम बैटरियों के पुनर्चक्रण में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं, जो एक आदर्श मॉडल बन सकता है।
  • कृषि के साथ हरित ऊर्जा का एकीकरण: एग्रीवोल्टेइक (agrivoltaics) जैसे अभिनव समाधानों की खोज करना, जहाँ कृषि भूमि पर सौर पैनल स्थापित किये जाते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन और फसल की खेती एक साथ संभव हो पाती है।
    • जोधपुर (राजस्थान) में पायलट एग्रीवोल्टेइक परियोजना ने सौर ऊर्जा उत्पादन को सतत् कृषि पद्धतियों के साथ संयोजित करने की क्षमता को प्रदर्शित किया है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण पार्क: ग्रिड स्थिरता को बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा के उच्च प्रवेश को सक्षम करने के लिये बैटरी, पंप हाइड्रो एवं थर्मल भंडारण जैसी विभिन्न भंडारण प्रौद्योगिकियों को संयुक्त कर बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण पार्कों (Renewable Energy Storage Parks) की स्थापना करना।
  • हरित गिग अर्थव्यवस्था और कौशल विकास: नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में रोज़गार सृजन के लिये मौजूदा कार्यबल को उन्नत और पुनः कुशल बनाकर एक जीवंत ‘हरित गिग अर्थव्यवस्था’ (Green Gig Economy) का निर्माण करना।
    • सौर पैनल स्थापना, पवन टर्बाइन रखरखाव और इलेक्ट्रिक वाहन मरम्मत में फ्रीलांस कार्य के लिये कुशल व्यक्तियों को शामिल करने के लिये स्किल इंडिया डिजिटल हब (SIDH) जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों का उपयोग करना।
    • इससे उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा और व्यक्तियों को हरित संक्रमण में योगदान करने के लिये सशक्त बनाया जा सकेगा।
  • कोयला मंत्रालय और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के विलय पर विचार करना: जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित मंत्रालयों को एक ही ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत लाने से समन्वय, एकीकृत योजना-निर्माण एवं कुशल संसाधन आवंटन में वृद्धि होगी।
    • इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि कोयला खनन विस्तार और नवीकरणीय लक्ष्यों जैसे नीतिगत निर्णय दीर्घकालिक ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये संरेखित हों।

अभ्यास प्रश्न: हरित ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार द्वारा हाल ही में कौन-सी पहलें की गई हैं? इन पहलों को लागू करने की राह की संभावित बाधाओं पर चर्चा कीजिये और उन्हें दूर करने के उपाय सुझाइये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रारंभिक परीक्षा

प्रश्न. इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)

  1. यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है। 
  2. यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

 (A) केवल 1
 (B) केवल 2
 (C) 1 और 2 दोनों
 (D) न तो 1 और न ही 2

 उत्तर: (C)


मुख्य परीक्षा

प्रश्न. "सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिये सस्ती, भरोसेमंद, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (वर्ष 2018)


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