भारतीय अर्थव्यवस्था
क्रिप्टो-करेंसी विनिमय: आवश्यकता और चुनौतियाँ
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में क्रिप्टो-करेंसी विनिमय व उससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।
संदर्भ
कुछ दिन पूर्व ही सर्वोच्च न्यायालय ने 6 अप्रैल, 2018 को जारी किये गए भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्कुलर को रद्द करके देश में क्रिप्टो एक्सचेंजों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। इस सर्कुलर ने व्यापारियों और एक्सचेंजों की बैंकिंग प्रणाली तक पहुँच को बाधित कर दिया था। व्यापार का संचालन करने में असमर्थ कई एक्सचेंज अन्य देशों में स्थानांतरित हो गए या उन्होंने यहाँ अपना कारोबार बंद कर दिया था। परंतु सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय से कुछ एक्सचेंज वापस आ गए है।
विदित है कि मुद्रा के आविष्कार से पहले लोग वस्तु विनिमय प्रणाली के ज़रिये वस्तुओं का लेन-देन किया करते थे लेकिन जैसे-जैसे तकनीक उन्नत होती गई व्यापार के तरीकों में भी बदलाव आता गया। आभासी मुद्रा (virtual currency) का लगातार बढ़ रहा प्रचलन 21वीं सदी के सबसे महत्त्वपूर्ण बदलावों में से एक है, परंतु विकेंद्रीकृत प्रकृति और विनियमन की कमी, उपयोगकर्त्ताओं की गोपनीयता और केंद्रीय प्राधिकरण की कमी आभासी मुद्रा के प्रबंधन को चुनौतीपूर्ण बनाती है।
इस आलेख में क्रिप्टो क्रिप्टो-करेंसी, उसके प्रकार, क्रिप्टो-करेंसी की लोकप्रियता के कारण, क्रिप्टो-करेंसी से लाभ, उसकी चुनौतियाँ तथा क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र के महत्त्व पर विमर्श किया जाएगा।
क्या है क्रिप्टो-करेंसी?
- क्रिप्टो-करेंसी क्रिप्टोग्राफी प्रोग्राम पर आधारित एक वर्चुअल करेंसी या ऑनलाइन मुद्रा है। यह पीयर-टू-पीयर कैश सिस्टम पर आधारित है।
- क्रिप्टो-करेंसी को डिजिटल वालेट में ही रखा जा सकता है। दरअसल, क्रिप्टो-करेंसी के इस्तेमाल के लिये बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्थान की ज़रूरत नहीं होती।
- वर्ष 2009 में किसी समूह या व्यक्ति ने सतोशी नाकामोतो के छद्म नाम से ‘बिटकॉइन’ के नाम से पहली क्रिप्टोकरेंसी बनाई।
क्या है फिएट और नॉन-फिएट क्रिप्टो-करेंसी?
- “नॉन-फिएट” क्रिप्टो-करेंसी (“non-fiat” cryptocurrency) को लेकर भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ-साथ सरकारें भी समय-समय पर एडवाइजरी ज़ारी करती रहती हैं।
- एक ‘नॉन-फिएट’ क्रिप्टो-करेंसी जैसे कि बिटकॉइन, एक निजी क्रिप्टो-करेंसी है। जबकि ‘फिएट क्रिप्टो-करेंसी’ एक डिजिटल मुद्रा है जो देश के केद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है।
- “नॉन-फिएट” क्रिप्टो-करेंसी को लेकर तमाम तरह की आशंकाएँ व्यक्त की जा रही हैं और यह तकनीकी उन्नयन विनाशकारी साबित हो सकता है।
- यदि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कोई आभासी मुद्रा जारी की जाती है, तो उसे फ़िएट क्रिप्टो-करेंसी कहा जाएगा।
ब्लॉकचेन क्या है?
- ब्लॉकचेन एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिससे बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो-करेंसी का संचालन होता है। यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो यह एक डिजिटल ‘सार्वजानिक बही खाता’ (public ledger) है, जिसमें प्रत्येक लेन-देन अथवा ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड दर्ज़ किया जाता है।
- ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन को दर्ज करने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।
- इसके अंतर्गत नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (मुख्यतः कंप्यूटर की श्रृंखलाओं, जिन्हें नोड्स कहा जाता है) के द्वारा सत्यापित होने के बाद प्रत्येक लेन-देन के विवरण को खाता बही खाते में रिकॉर्ड किया जाता है।
क्रिप्टो-करेंसी की लोकप्रियता के कारण
- निजता बनाए रखने में सहायक
- क्रिप्टो-करेंसी के ज़रिये लेन-देन के दौरान छद्म नाम एवं पहचान बताए जाते हैं। ऐसे में अपनी निजता को लेकर अत्यधिक संवेदनशील व्यक्तियों को यह माध्यम उपयुक्त जान पड़ता है
- एक लागत-प्रभावी विकल्प
- क्रिप्टो-करेंसी में लेन-देन संबंधी लागत अत्यंत ही कम है। घरेलू हो या अंतर्राष्ट्रीय किसी भी लेन-देन की लागत एक समान ही होती है।
- क्रिप्टो-करेंसी के ज़रिये होने वाले लेन-देन में ‘थर्ड-पार्टी सर्टिफिकेशन’ (third party certification) की आवश्यकता नहीं होती। अतः धन एवं समय दोनों की बचत होती है।
- प्रवेश जनक औपचारिकताएँ कम
- गौरतलब है कि बैंक में अकाउंट खोलने से लेकर लगभग सभी लेन-देन के लिये कई तरह के प्रमाण पत्रों की ज़रूरत होती है, जबकि क्रिप्टो-करेंसी के मामले में ऐसा नहीं है।
- वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेन-देन के लिये भी कई तरह की औपचारिकताओं से गुज़रना होता है जबकि क्रिप्टो-करेंसी से होने वाले लेन-देन में इन बातों का संज्ञान नहीं लिया जाता है।
- पारंपरिक बैकिंग व्यवस्था का विकल्प
- बैंकिंग प्रणालियों तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेन-देन पर सरकार का सख्त नियंत्रण होता है।
- वहीं क्रिप्टो-करेंसी उपयोगकर्त्ताओं को राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम के प्रत्यक्ष नियंत्रण के बाहर धन के आदान-प्रदान का एक विश्वसनीय और सुरक्षित माध्यम प्रदान करता है।
- ओपन सोर्स पद्धति
- गौरतलब है कि अधिकांश क्रिप्टो-करेंसी प्लेटफार्म ओपन सोर्स पद्धति पर आधारित होते हैं। इन प्लेटफॉर्म के सॉफ्टवेयर कोड सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहते हैं।
- इसका प्रभाव यह होता है कि क्रिप्टो-करेंसी प्लेटफार्म में लगातार सुधार की संभावनाएँ बनी रहती हैं।
- वित्तीय दंड से सुरक्षा
- विदित हो कि सरकारों के पास बैंक खाते को फ्रीज या जब्त करने का अधिकार है, लेकिन क्रिप्टो-करेंसी के मामले में वे ऐसा नहीं कर सकती हैं।
- अतः सरकार के नियंत्रण से बचाव के एक प्रभावकारी विकल्प के रूप में भी क्रिप्टो-करेंसी का प्रयोग किया जा रहा है।
क्रिप्टो-करेंसी से लाभ
- भारत में सबसे ज़्यादा नकदी संचालन में है, मार्च 2019 के अंत तक नकदी प्रवाह जीडीपी के 17 प्रतिशत से बढ़कर 21.1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुँच गई है।
- गौरतलब है कि नकद संचालन में भारतीय रिज़र्व बैंक और वाणिज्यिक बैंकों का वार्षिक खर्च 21,000 करोड़ रुपए आता है। ऐसे में क्रिप्टो-करेंसी को बढ़ावा देना कैशलेस अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है।
- क्रिप्टो-करेंसी वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में भी अहम् साबित हो सकता है। विदित हो कि वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी का सबसे बड़ा कारण बैंकों का दिवालिया हो जाना था और भविष्य में भी ऐसा हो सकता है।
- इन परिस्थितियों में यदि बैंकिंग व्यवस्था से अलग लेकिन एक विनियमित मुद्रा जैसे की फिएट क्रिप्टो-करेंसी अहम् साबित हो सकती है।
क्रिप्टो-करेंसी का प्रचलन हानिकारक क्यों?
- एक असुरक्षित मुद्रा
- क्रिप्टो-करेंसी की संपूर्ण व्यवस्था के ऑनलाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा कमज़ोर हो जाती है और इसके हैक होने का खतरा बना रहता है।
- क्रिप्टो-करेंसी की सबसे बड़ी समस्या है इसका ऑनलाइन होना और यही कारण है कि क्रिप्टो-करेंसी को एक असुरक्षित मुद्रा माना जा रहा है।
- देश की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
- यह ‘मुख्य वित्तीय सिस्टम’ और ‘बैंकिंग प्रणाली’ से बाहर रहकर काम करती है। यही कारण है कि इसके स्रोत और सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रश्न उठते रहते हैं।
- इस डिजिटल मुद्रा को फ्रॉड, हवाला और आतंकी गतिविधियों को पोषित करने वाली मुद्रा के रूप में संबोधित किया जाता रहा है।
- नियंत्रण एवं प्रबंधन की समस्या
- क्रिप्टो-करेंसी से संबंधित एक बड़ी समस्या इसके नियंत्रण एवं प्रबंधन की भी है। भारत जैसे कई देशों ने अभी तक इसे मुद्रा के रूप में स्वीकृति प्रदान नहीं की है, ऐसे में इसका प्रबंधन एक बड़ी समस्या है।
- आर्थिक जानकारों का भी मानना है कि इसकी तकनीकी जानकारी रखे बिना इसमें निवेश करने के भारी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
- पर्यावरणीय चिंताएँ
- गौरतलब है कि प्रत्येक बिटकॉइन लेन-देन के लिये लगभग 237 किलोवाट बिजली की खपत होती है और इससे प्रतिघंटा लगभग 92 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है।
क्या है वर्तमान स्थिति?
- इन तमाम चिंताओं के बावजूद बिटकॉइन और इथेरियम जैसी क्रिप्टो-करेंसियाँ लगातार लोकप्रिय होती जा रही हैं और सरकारें चाह कर भी इन पर नियंत्रण नहीं कर पा रही हैं।
- विश्व के शीर्ष केंद्रीय बैंकों को यह महसूस होने लगा है कि क्रिप्टो-करेंसी को नियंत्रित करने की कोशिश निरर्थक है और वे स्वयं के क्रिप्टो-करेंसी जारी करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
- भारत की अपनी क्रिप्टो-करेंसी फिएट क्रिप्टो-करेंसी के नाम से जानी जाएगी।
क्रिप्टो-करेंसी का विनियमन
- यदि क्रिप्टो-करेंसी को एक इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के रूप में अधिकृत कर वैधानिकता प्रदान की गई तो इसके विनियमन का दायित्व आरबीआई को निभाना होगा।
- पूंजी लाभ (capital gains) और व्यापारिक लेन-देन (business transaction) पर टैक्स की व्यवस्था करनी होगी।
- साथ ही, विदेशों में होने वाले भुगतान को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (Foreign Exchange Management Act) के दायरे में लाना होगा।
- क्रिप्टो-करेंसी का विनियमन उपभोक्ता संरक्षण को मज़बूती प्रदान करेगा।
क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र का महत्त्व
- स्टॉक एक्सचेंजों के समान, क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र क्रिप्टो-करेंसी के व्यापार के लिये एक ऑनलाइन मंच या बाज़ार प्रदान करते हैं।
- क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र फिएट क्रिप्टो-करेंसी के व्यापार या विनिमय को भी सक्षम करते हैं, वे क्रिप्टो-करेंसी और पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों को जोड़ते हैं।
- क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र परियोजना की विश्वसनीयता, मध्यस्थों का आकलन और जारीकर्त्ताओं की पृष्ठभूमि की भी जाँच करते हैं।
- लाइसेंस प्राप्त क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र के माध्यम से एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण कानून के कार्यान्वयन में भी मदद मिल सकती है।
आगे की राह
- पात्रता आवश्यकताओं के अनुपालन और आंतरिक शासन, जोखिम प्रबंधन और वित्तीय संसाधनों पर परिचालन नीतियों और प्रक्रियाओं की विस्तृत जांच के आधार पर लाइसेंस जारी किये जा सकते हैं।
- निवेशकों के निवेश से पहले क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र द्वारा निवेशकों की केवाईसी का स्वतंत्र सत्यापन करने की आवश्यकता है।
- पारदर्शिता, सूचना उपलब्धता और उपभोक्ता संरक्षण के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिये आँकड़ों का संग्रहण, निरीक्षण, स्वतंत्र ऑडिट, निवेशक शिकायत निवारण और विवाद समाधान पर भी विचार किया जा सकता है।
प्रश्न- क्रिप्टो-करेंसी से आप क्या समझते हैं? क्रिप्टो-करेंसी से जुड़ी चिंताओं का उल्लेख करते हुए क्रिप्टो-करेंसी विनिमय केंद्र के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये।