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डेली न्यूज़

  • 30 Aug, 2019
  • 31 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

वनीकरण: कैम्पा कोष

चर्चा में क्यों?

29 अगस्त, 2019 को नई दिल्ली में वनीकरण को बढ़ावा देने और देश के हरित उद्देश्यों की प्राप्ति को प्रोत्‍साहन देने की दिशा में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कैम्पा को 47,436 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की।

प्रमुख बिंदु

  • वनों के लिये राज्य का बजट अप्रभावित रहेगा और हस्तांतरित की जा रही धनराशि राज्य के बजट के अतिरिक्त होगी।
  • आशा है कि सभी राज्य इस धनराशि का उपयोग वन और वृक्षों का आवरण बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के उद्देश्‍यों की पूर्ति हेतु वानिकी कार्यकलापों में करेंगे, जिससे वर्ष 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के समान अतिरिक्त कार्बन सिंक (यानी वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण) होगा।
  • कैम्पा कोष का उपयोग वेतन के भुगतान, यात्रा भत्ते, चिकित्सा व्यय आदि के लिए नहीं किया जा सकता है।

इस धन का उपयोग निम्न गतिविधियों पर किया जाएगा:

जिन महत्त्वपूर्ण गतिविधियों पर इस धन का उपयोग किया जाएगा उनमें- क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण क्षेत्र का उपचार, वन्यजीव प्रबंधन, सहायता प्राप्त प्राकृतिक सम्पोषण, वनों में लगने वाली आग की रोकथाम और उस पर नियंत्रण पाने की कार्रवाइयों, वन में मृदा एवं आद्रता संरक्षण कार्य, वन्‍य जीव पर्यावास में सुधार, जैव विविधता एवं जैव संसाधनों का प्रबंधन, वानिकी में अनुसंधान तथा कैम्पा कार्यों की निगरानी आदि शामिल हैं।

कैम्पा की पृष्‍ठभूमि

  • राज्‍यों में क्षतिपूरक वनीकरण के लिये एकत्र धनराशि का राज्‍यों द्वारा अल्‍प उपयोग किये जाने संबंधी शुरूआती अनुभव के साथ माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने वर्ष 2001 में क्षतिपूरक वनीकरण कोष एवं क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (Compensatory Afforestation Fund and Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority-CAMPA) की स्‍थापना का आदेश दिया।
  • वर्ष 2006 में पृथक बैंक खाते खोले गए और क्षतिपूरक लेवी उनमें जमा कराई गई तथा क्षतिपूरक वनीकरण कोष के प्रबंधन के लिये तदर्थ कैम्पा की स्‍थापना की गई।
  • वर्ष 2009 में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने राज्‍यों/संघशासित प्रदेशों को क्षतिपूरक वनीकरण तथा अन्‍य गतिविधियों के लिये प्रति वर्ष 1000 करोड़ रुपए की राशि जारी करने की अनुमति दी।
  • प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAF) नियमों की अधिसूचना जारी होने के बाद 28 जनवरी, 2019 को सर्वोच्‍च न्‍यायालय की मंज़ूरी से तदर्थ कैम्पा से 54,685 करोड़ रुपए की राशि भारत सरकार के नियंत्रण में लाई गई। अभी तक 27 राज्‍य/संघशासित प्रदेश केंद्र सरकार से धनरााशि प्राप्‍त करने के लिये अपने खाते खुलवा चुके हैं और आज उन राज्‍यों को 47,436 करोड़ रुपए की राश‍ि‍ स्‍थानांतरित की गई।
  • इस राशि का उपयोग प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम एवं प्रतिपूरक वनीकरण निधि नियमों के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा।

स्रोत: PIB


जैव विविधता और पर्यावरण

बढ़ता-समुद्री-जलस्तर

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, महासागरों के बढ़ते जलस्तर के कारण वैश्विक स्तर पर वर्ष 2100 तक 250 मिलियन लोगों के विस्थापित होने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु

  • मानव विकास में महासागरों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हैं लेकिन इनका बढ़ता जलस्तर मानव के लिये गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता है। पर्यावरण में कार्बन के बढ़ते स्तर के कारण महासागरों में इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
  • अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change) की क्रायोस्फीयर पर प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, महासागरों में हो रहे इस प्रकार के परिवर्तन से मछलियों के उत्पादन में गिरावट आई है साथ ही बढ़ते जलस्तर से लाखों की संख्या में लोगों के विस्थापित होने की संभावना भी है।
  • मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमंडल में कार्बन की बढ़ती मात्रा से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में मौजूद परमाफ्रॉस्ट सदी के अंत तक कम-से-कम 30% पिघल जाएंगे।
  • संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक वर्ष के भीतर जारी किया गया यह चौथा दस्तावेज़ है, जो ग्लोबल वार्मिंग, जैव विविधता की स्थिति, वनों का प्रबंधन और वैश्विक खाद्य प्रणाली का प्रबंधन करने के लिये 1.5 सेल्सियस कैप (Celsius cap) पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2050 तक विश्व, चरम मौसमी जलवायु का अनुभव करेगा साथ ही इससे सबसे ज़्यादा छोटे द्वीपीय राष्ट्र प्रभावित होंगे। यहाँ तक ​​कि अगर विश्व 2 डिग्री सेल्सियस कैप (Celsius cap) का प्रबंधन करता है, तब भी महासागरों का जलस्तर बढ़ने से विश्व के 250 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हो जाएंगे।

स्रोत: द हिंदू

और पढ़ें

IPCC रिपोर्ट


शासन व्यवस्था

पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो का 50वाँ स्थापना दिवस

चर्चा में क्यों?

पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research and Development-BPR&D) के 50वें स्थापना दिवस के अवसर पर गृह मंत्री ने पुलिस विभाग को आधुनिक बनाने पर ज़ोर दिया और सुरक्षाकर्मियों से ज़िम्मेदारी के साथ अपने कर्त्तव्यों को निभाने का आग्रह किया।

प्रमुख बिंदु:

  • गृह मंत्री द्वारा की गई प्रमुख घोषणाएँ:
    • राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस विश्वविद्यालय (Police University) और फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (Forensic Science University) की स्थापना की जाएगी जिसका उद्देश्य पुलिस और सशस्त्र बल में शामिल होने के इच्छुक विद्यार्थियों को तैयार करना होगा।
    • जेल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि जेल प्रशासन में सुधारवादी दृष्टिकोण अपनाया जा सके और सज़ा के दौरान कैदियों को अच्छा नागरिक बनाया जा सके।
    • भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code-CrPC) की वर्तमान समय की आवश्यकताओं के अनुसार पूर्ण समीक्षा करने और उसमे संशोधन किये जाने की आवश्यकता है।
    • थाना (Thana) स्तर पर खबरी प्रणाली (Khabri System) को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
    • पुलिस तंत्र को थर्ड डिग्री टार्चर (Third-Degree Torture) के स्थान पर वैज्ञानिक जाँच को अपनाना चाहिये।

पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो

(Bureau of Police Research and Development-BPR&D)

  • पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो की स्थापना गृह मंत्रालय के तहत 28 अगस्त, 1970 को भारत सरकार द्वारा की गई थी।
  • इसने पुलिस के आधुनिकीकरण के प्राथमिक उद्देश्य के साथ पुलिस अनुसंधान और सलाहकार परिषद (Police Research and Advisory Council) को प्रतिस्थापित किया था।
  • भारत सरकार ने देश में पुलिस बलों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से BPR&D के तहत राष्ट्रीय पुलिस मिशन (National Police Mission) बनाने का निर्णय लिया है।

स्रोत: द हिंदू


विविध

3.8 मिलियन वर्ष पुरानी मानव खोपड़ी

चर्चा में क्यों?

इथियोपिया (Ethiopia) में वैज्ञानिकों ने मानव की लगभग 3.8 मिलियन वर्ष पुरानी खोपड़ी (Skull) की खोज की है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक अतिमहत्त्वपूर्ण खोज है एवं इसमें मानव विकास की समझ को एक स्तर आगे ले जाने की क्षमता है।

प्रमुख बिंदु:

  • शोधकर्त्ताओं ने इसे एमआरडी-वीपी-1/1 (MRD-VP-1/1) नाम दिया है जिसे संक्षिप्त में एमआरडी (MRD) भी कहा जाता है।
  • इथियोपिया में इस खोपड़ी की खोज करने वाले शोधकर्त्ताओं का कहना है कि यह खोपड़ी ऑस्ट्रेलोपिथेकस एनामेंसिस (Australopithecus Anamensis) नामक प्रजाति से संबंधी है।
  • यह ऑस्ट्रेलोपिथेकस समूह (Australopithecus Group) का सबसे पुराना ज्ञात सदस्य है।
    • ऑस्ट्रेलोपिथेकस, प्रारंभिक मानव के पूर्वजों की एक प्रमुख प्रजाति है जो 1.5 से 4 मिलियन साल पहले मौजूद थी।
    • यह ऐसा समय था जब हमारे पूर्वजों ने दो पैरों पर चलना सीख लिया था, परंतु अभी भी उनका चेहरा कुछ-कुछ बंदरों से मिलता था और उनका जबड़ा भी अपेक्षाकृत काफी बड़ा और मज़बूत था।
  • प्रारंभ में शोधकर्त्ताओं का मानना था कि यह खोपड़ी लूसी (आधुनिक मनुष्यों के प्राचीन पूर्वज) की प्रजाति ऑस्ट्रेलोपिथेकस एफरेन्सिस (Australopithecus Afarensis) से संबंधित है, परंतु नवीन शोध से यह मालूम हुआ कि आस्ट्रेलोपिथेकस एफरेन्सिस और ऑस्ट्रेलोपिथेकस एनामेंसिस प्रजातियाँ दोनों ही इथियोपिया में प्रागैतिहासिक काल के दौरान एक साथ कम-से-कम 100,000 सालों तक उपस्थित थीं।
  • यह दर्शाता है कि शुरुआती मानव विकास की घटना जिस रूप में देखी जाती है, वह उससे भी काफी जटिल है। परंतु इस संदर्भ में कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ये सबूत पर्याप्त नहीं हैं और हमें अधिक उपयोगी सबूत खोजने होंगे।

पहले भी हुई हैं कई महत्त्वपूर्ण खोजें

  • वर्ष 2001 में पुरातत्त्वविदों ने मध्य अफ्रीका के एक देश चाड (Chad) में टूमाई (Toumai), जो कि सहेलंथ्रोपस टैक्डेन्सिस (Sahelanthropus Tchadensis) की प्रजाति से संबंधित है, के 7 मिलियन वर्ष पुराने अवशेष प्राप्त किये थे। यह अनुमान था कि टूमाई मानव वंश का पहला प्रतिनिधि था।
  • अर्डी (Ardi) जो कि एक अन्य प्रजाति है, की खोज वर्ष 1994 में इथियोपिया में की गई थी और अनुमान है कि यह लगभग 4.5 मिलियन वर्ष पुरानी है।
  • लुसी (Lucy) जो कि आस्ट्रेलोपिथेकस एफरेन्सिस से संबंधित है, की खोज भी इथियोपिया मे ही वर्ष 1974 में की गई थी और इसके संदर्भ में यह माना जाता है कि यह लगभग 3.2 मिलियन वर्ष पुराना है।
  • आस्ट्रेलोपिथेकस एफरेन्सिस सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाली प्रारंभिक मानव प्रजाति है।

स्रोत: द हिंदू एवं इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

RBI की वार्षिक रिपोर्ट और बैंकिंग धोखाधड़ी

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट 2018-19 में यह बात सामने आई है कि बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

  • वार्षिक रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
  • वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग धोखाधड़ी की राशि में भी 73.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में बैंकिंग धोखाधड़ी की राशि बढ़कर 7,15,429.3 मिलियन रुपए तक पहुँच गई है।
  • इसी अवधि में बैंकिंग धोखाधड़ी संबंधी 6,801 मामले दर्ज किये गए हैं, जबकि वित्तीय वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या 5,916 थी।
  • अर्थव्यवस्था में प्रचलित मुद्रा की मात्रा भी 17 फीसदी बढ़कर 21,109 बिलियन रुपए तक पहुँच गई है। ज्ञातव्य है कि सरकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये काफी प्रयास किये जा रहे हैं, परंतु इसके बावजूद अर्थव्यवस्था में प्रचलित मुद्रा की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है।
  • वर्तमान में नए 500 रुपए के नोट की मांग सबसे ज़्यादा है और वर्तमान में प्रचलित कुल मुद्रा में 500 रुपए के नोट की 51 फीसदी हिस्सेदारी है।
  • यदि बैंकिंग समूहों के आधार पर वित्तीय धोखाधड़ी का विश्लेषण करें तो धोखाधड़ी से संबंधित सबसे अधिक 55.4 प्रतिशत मामले (कुल 3,766 मामले) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ही देखे गए हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 में पकड़े गए कुल जाली नोटों की संख्या 3,17,384 है। ज्ञातव्य है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में नोटबंदी के बाद कुल 7,62,072 जाली नोट पकड़े गए थे।
  • RBI ने रिपोर्ट में कहा है कि घरेलू मांग में कमी से अर्थव्यवस्था की ‘एनिमल स्पिरिट’ (Animal Spirits) कमज़ोर हो रही है। साथ ही वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान घरेलू मांग और निजी निवेश को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।
    • ज्ञातव्य है कि एनिमल स्पिरिट का आशय अर्थव्यवस्था में सुस्ती या मंदी के दौरान निवेश संबंधी निर्णय लेने की क्षमता से है। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स (John Maynard Keynes) द्वारा 1936 में अपनी पुस्तक द जनरल थ्योरी ऑफ एम्प्लॉयमेंट, इंटरेस्ट एंड मनी (The General Theory of Employment, Interest, and Money) में किया गया था।

भारतीय रिज़र्व बैंक

(Reserve Bank of India-RBI)

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल, 1935 को हुई थी।
  • रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय प्रारंभ में कोलकाता में स्थापित किया गया था जिसे 1937 में स्थायी रूप से मुंबई में स्थानांतरित किया गया।
  • यद्यपि प्रारंभ में यह निजी स्वामित्व वाला था, लेकिन 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व है।
  • वर्तमान में इसके गवर्नर शक्तिकांत दास हैं जिन्होंने उर्जित पटेल का स्थान लिया है।

स्रोत: द हिंदू एवं इकोनॉमिक टाइम्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका की नई आव्रजन नीति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने प्रवासी परिवारों को अनुमति देने संबंधित एक नया विनियमन प्रस्तुत किया है। यह विनियमन दशकों पुराने न्यायालय के एक आदेश का स्थान लेगा जो प्रवासी बच्चों की देखभाल को अनिवार्य करता है, साथ ही सरकार द्वारा उन्हें हिरासत में रखने की सीमा का भी निर्धारण करता है।

प्रवास: मानव प्रवास, एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थायी या अस्थायी रूप से बसने के इरादे से लोगों की आवाजाही है। यह सामान्यतः एक देश से दूसरे देश के बीच होता है, इसके अतिरिक्त देश में आंतरिक प्रवास भी संभव है।

प्रवास का कारण:

  • अमेरिका में ज़्यादातर प्रवास मेक्सिको और मध्य अमेरिकी देशों से होता है। अमेरिका की दक्षिणी सीमाएँ मेक्सिको से स्पर्श करती हैं।
  • अवैध प्रवासियों का प्रवेश इसी सीमा से होता है इसलिये डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही सरकार इस क्षेत्र की सीमा को बंद करने हेतु एक दीवार बनाने का प्रयास कर रही है।
  • ऐतिहासिक काल से मेक्सिको और अमेरिका के बीच मज़दूरों का आदान प्रदान होता रहा है क्योंकि अमेरिका में उद्योग और कृषि हेतु मज़दूरों की सदैव आवश्यकता रही।
  • मध्य अमेरिकी और मेक्सिको की सामाजिक तथा राजनीतिक स्थिति अमेरिका की तुलना में काफी पिछड़ी हुई है, इसलिये लोग बेहतर सामाजिक अवसंरचना के लिये अमेरिका में पलायन करते हैं।
  • आसपास के क्षेत्र होने के बावजूद भी दोनों देशों की मज़दूरी में काफी अंतर होता है, इसलिये मेक्सिको के मज़दूर वीज़ा इत्यादि न मिलने की स्थिति में अवैध रूप से अमेरिका में प्रवास करने का प्रयास करते हैं।
  • अमेरिका और मेक्सिको के सीमावर्ती क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा और खानपान की समानता भी प्रवास को बढ़ावा दे रही है।

प्रवास का प्रभाव:

  • अमेरिकी सरकार के अनुसार आर्थिक मंदी के कारण रोज़गार के कम अवसरों के मद्देनज़र प्रवासियों को प्रवेश की अनुमति देना स्थानीय नागरिकों के अधिकारों के साथ अन्याय है।
  • मेक्सिको की अर्थव्यवस्था के लिये यह प्रवास और भी हानिकारक है क्योंकि अमेरिका में ज़्यादा मज़दूरी के कारण मेक्सिको से प्रतिभा का पलायन हो रहा है।
  • मेक्सिको से पुरुषों के पलायन के कारण वहांँ पर लिंगानुपात असंतुलित हो रहा है।
  • नई सरकार बनने के बाद से ही अमेरिका में संरक्षणवाद और अमेरिका फर्स्ट (America First) जैसी नीतियों का अनुपालन हो रहा है, इसलिये अमेरिकी सरकार संसाधनों और अवसरों पर अमेरिका के लोगों को प्राथमिकता दे रही है।

प्रवासियों हेतु नई नीति

  • व्हाइट हाउस के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने प्रवासियों हेतु फ्लोर्स सेटलमेंट (Flores settlement) व्यवस्था को समाप्त करने को कहा है। फ्लोर्स सेटलमेंट के तहत परिवारों को हिरासत में रखने और अन्य सुविधाओं हेतु न्यूनतम मानक स्थापित किया जाता था। विभाग का मानना है कि इसकी समाप्ति से दक्षिण-पश्चिमी सीमा से प्रवासियों के प्रवाह को रोकने में मदद मिलेगी।
  • नई व्यवस्था के तहत विशेष रूप से आव्रजन जेलों में बंद परिवारों को 20 दिनों के भीतर न्यायालय में पेश करने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।
  • नए नियम के लागू होने के पश्चात् अमेरिकी प्रशासन उन प्रवासी परिवारों को वापस भेजने के लिये स्वतंत्र होगा जो अवैध रूप से सीमा पार करते हुए पकड़े गए हैं और आवासीय केंद्रों में रह रहे हैं।
  • नए नियमों के तहत बच्चों को स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग की हिरासत में भेज दिया जाएगा जबकि वयस्कों को आव्रजन कानूनों के उल्लंघन पर मुकदमे की प्रतीक्षा करते हुए कैद कर लिया जाएगा।

स्रोत: न्यूयार्क टाइम्स


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (30 August)

  • केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने 50 करोड़ रुपए से अधिक की बैंक धोखाधड़ी की जाँच एवं कार्रवाई के विषय में सिफारिश के लिये बैंकिंग धोखाधड़ी से संबंधित सलाहकार बोर्ड (Advisory Board for Banking Frauds-ABBF) का गठन किया है। विदित हो कि पहले इस समिति को बैंक, वाणिज्यिक और वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित सलाहकार बोर्ड कहा जाता था। CVC ने एक आदेश में कहा है कि रिज़र्व बैंक के परामर्श से गठित ABBF धोखाधड़ी के सभी बड़े मामलों की प्राथमिक स्तर पर जाँच करेगा। चार सदस्यीय बोर्ड सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी में महाप्रबंधक और ऊपर के स्तर के अधिकारियों की संलिप्तता वाले मामलों की जाँचकरेगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 50 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी के मामले बोर्ड को भेजेंगे। बोर्ड की सिफारिश या सुझाव के बाद संबंधित बैंक मामले में आगे की कार्रवाई करेंगे। पूर्व सतर्कता आयुक्त टी.एम. भसीन की अध्यक्षता वाले इस बोर्ड में पूर्व शहरी विकास सचिव मधुसूदन प्रसाद, सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक डी.के. पाठक और आंध्र बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं CEO सुरेश एन. पटेल को सदस्य बनाया गया है।
  • 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद जयंती के दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में वर्ष 2019 के लिये राष्ट्रीय खेल और साहसिक पुरस्कार प्रदान किये। इन पुरस्कारों के तहत राजीव गांधी खेल रत्न, द्रोणाचार्य (नियमित और लाइफटाइम), अर्जुन पुरस्कार, ध्यानचंद अवॉर्ड, राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार, तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार और मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी दी गई।

पुरस्कार विजेताओं की सूची

  • राजीव गांधी खेल रत्न: बजरंग पूनिया (कुश्ती) और दीपा मलिक (पैरा एथलेटिक्स)
  • द्रोणाचार्य अवॉर्ड (नियमित): विमल कुमार (बैडमिंटन), संदीप गुप्ता (टेबल टेनिस) और मोहिंदर सिंह ढिल्लों (एथलेटिक्स)
  • द्रोणाचार्य अवॉर्ड (लाइफटाइम अचीवमेंट): मरजबान पटेल (हॉकी), रामबीर सिंह खोखर (कबड्डी) और संजय भारद्वाज (क्रिकेट)
  • अर्जुन पुरस्कार: तजिंदर पाल सिंह तूर (एथलेटिक्स), मोहम्मद अनस यहिया (एथलेटिक्स), एस. भास्करन (बॉडी बिल्डिंग), सोनिया लाठर (मुक्केबाजी), रवींद्र जडेजा (क्रिकेट), पूनम यादव (क्रिकेट), चिंगलेनसाना सिंह कंगुजम (हॉकी), अजय ठाकुर (कबड्डी), गौरव सिंह गिल (मोटर स्पोर्ट्स), प्रमोद भगत (पैरा स्पोर्ट्स- बैडमिंटन), अंजुम मुद्गिल (निशानेबाजी), हरमीत राजुल देसाई (टेबल टेनिस), पूजा ढांडा (कुश्ती), फवाद मिर्जा (घुड़सवारी), गुरप्रीत सिंह संधू (फुटबॉल), स्वप्ना बर्मन (एथलेटिक्स), सुंदर सिंह गुर्जर (पैरा स्पोर्ट्स- एथलेटिक्स), बी. साई प्रणीत (बैडमिंटन) और सिमरन सिंह शेरगिल (पोलो)
  • ध्यानचंद अवॉर्ड: मैनुअल फ्रेडरिक्स (हॉकी), अरूप बसाक (टेबल टेनिस), मनोज कुमार (कुश्ती), नितिन कीर्तने (टेनिस) और सी. लालरेमसांगा (तीरंदाजी)
  • राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार: गगन नारंग स्पोर्ट्स प्रमोशन फाउंडेशन और गो स्पोर्ट्स और रॉयलसीमा विकास ट्रस्ट
  • मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी: पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़
  • तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार: अपर्णा कुमार (भू-साहस), स्वगीर्य दीपांकर घोष (भू- साहस), मणिकंदन के (भू-साहस), प्रभात राजू कोली (जल साहस), रामेश्वर जांगड़ा (वायु साहस), वांगचुक शेरपा (लाइफटाइम अचीवमेंट)

गौरतलब है कि राष्ट्रीय खेल पुरस्कार हर साल दिये जाते हैं। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार चार वर्ष की अवधि के दौरान खेलों के क्षेत्र में सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को दिया जाता है। अर्जुन पुरस्कार 4 वर्षों के दौरान लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए दिया जाता है। द्रोर्णाचार्य पुरस्कार प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पदक विजेता तैयार करने वाले कोच को प्रदान किया जाता है। खेलों के विकास में जीवनपर्यन्त योगदान देने के लिए ध्यानचंद पुरस्कार दिया जाता है। कॉरपोरेट संस्थाओं (निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में) और उन व्यक्तियों को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार दिया जाता है जिन्होंने खेलों के प्रोत्साहन और विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में कुल मिलाकर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय को मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी प्रदान की जाती है। राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेताओं को पदक, प्रशस्तिपत्र के अलावा साढ़े सात लाख रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है। अर्जुन, द्रोणाचार्य और ध्यानचंद पुरस्कार विजेताओं को लघु प्रतिमा, प्रमाणपत्र और 5-5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है। राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार में संस्था को एक ट्रॉफी और प्रमाणपत्र दिया जाता है। राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार विजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाणपत्र दिया जाता है। अंतर-विश्वविद्यालय प्रतियोगिताओं में कुल मिलाकर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय को मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी, 10 लाख रुपए की पुरस्कार राशि और प्रमाणपत्र दिया जाता है।

  • वी केयर फिल्म फेस्टिवल ऑन डिसेबिलिटी इश्यूज़ के 14वें संस्करण में भारतीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म I,m Jeeja को अंडर-30 मिनट श्रेणी कें पुरस्कृत किया गया है। स्वाति चक्रवर्ती द्वारा निर्देशित इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में विकलांग लोगों के जीवन और संघर्ष का चित्रण किया गया है। इसकी कहानी विकलांगता से ग्रस्त कार्यकर्ता जीजा घोष पर आधारित है जो सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है। 46 वर्षीय जीजा घोष पहली बार वर्ष 2012 में तब चर्चा में आई थीं जब उन्हें उनकी शारीरिक स्थिति के मद्द्देनज़र विमान से उतरने के लिये कहा गया था। ये पुरस्कार फिल्मों की अवधि के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में दिये जाते हैं- 5 मिनट, 30 मिनट और 90 मिनट। यूनेस्को, भारत और भूटान के लिये संयुक्त राष्ट्र सूचना केंद्र और नई दिल्ली स्थित NGO ब्रदरहुड इस फिल्म समारोह के सह-संस्थापक हैं।

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