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डेली न्यूज़

  • 29 May, 2019
  • 43 min read
भारतीय विरासत और संस्कृति

ओरछा की स्थापत्य विरासत

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूनेस्को (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) ने ओरछा शहर की स्थापत्य विरासत को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया है।

  • उल्लेखनीय है कि किसी ऐतिहासिक विरासत या स्थल को विश्व धरोहर स्थलों की सूची में स्थान मिलने से पहले अस्थायी सूची में शामिल होना आवश्यक है। अस्थायी सूची में शामिल होने के बाद ही नियमानुसार विभिन्न प्रक्रियाएँ पूरी कर एक मुख्य प्रस्ताव यूनेस्को को भेजा जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के निवारी ज़िले में स्थित ओरछा शहर की स्थापत्य शैली बुंदेल राजवंश (Bundela Dynasty) द्वारा अपनाई गई वास्तुकला की एक विशिष्ट शैली है।
  • मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ ज़िले से लगभग 80 किमी. और उत्तरप्रदेश के झांसी ज़िले से लगभग 15 किमी. की दूरी पर बेतवा नदी के किनारे बसे इस शहर का निर्माण 16 वीं शताब्दी में बुंदेल वंश के राजा रुद्र प्रताप सिंह द्वारा कराया गया था।
  • यदि यह स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अंतिम सूची में शामिल हो जाता है, तो यह यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल होने वाला भारत का 38वाँ स्थल होगा।
  • यूनेस्को की सूची में शामिल 37 भारतीय विरासत स्थलों में मध्य प्रदेश के तीन प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल- भीमबेटका के शैलाश्रय (Rock Shelters of Bhimbhetka) , सांची का बौद्ध स्मारक (Buddhist Monuments at Sanchi) और खजुराहो के स्मारकों का समूह (Khajuraho Group of Monuments) शामिल हैं।

ओरछा स्थापत्य (Orchha Architecture)

  • बुंदेल शासकों के शासनकाल के दौरान ओरछा में बुंदेली स्थापत्य कला का विकास हुआ। ओरछा वास्तुकला में बुंदेलखंडी और मुगल प्रभावों का मिश्रण है। इन संरचनाओं की सराहना न केवल सुंदरता के लिये बल्कि कुशल वास्तुविद्या के लिये भी की जाती हैं।
  • सभी शानदार परिवेशों में ओरछा का किला परिसर (Orchha’s Fort complex) सबसे आकर्षक है। यह अपने चतुर्भुज मंदिर (Chaturbhuj Temple) के लिये जाना जाता है।
  • ओरछा का भव्य परिसर (Orchha Complex) तीन वर्गों- जहाँगीर महल (Jahangir Mahal), राज महल (Raj Mahal) और शीश महल (Sheesh Mahal) में विभाजित है। राज महल कभी बुंदेल राजाओं और उनकी रानियों का प्रमुख निवास स्थान हुआ करता था।
  • इनके अलावा ओरछा में दो ऊँची मीनारें (वायु यंत्र) भी लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं जिन्हें ‘सावन और भादों’ कहा जाता है।
  • गुप्त गलियाँ, खड़ी सीढ़ियाँ और भगवान विष्णु के अवतारों को दर्शाते अति सुंदर भित्ति चित्र जिनकी पूजा बुंदेलखंड के सबसे धार्मिक राजा मधुकर शाह द्वारा की जाती थी, एक शक्तिशाली युग के बारे में बताते हैं।

यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची
UNESCO’s World Heritage Site List

  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) मानवता के लिये महत्त्वपूर्ण मानी जाने वाली दुनिया भर की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासतों की पहचान, सुरक्षा एवं संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिये जाना जाता है।
  • यह वर्ष 1972 में यूनेस्को द्वारा अपनाई गई एक अंतर्राष्ट्रीय संधि में सन्निहित है जिसे विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से संबंधित संधि/अभिसमय (Convention concerning the Protection of the World Cultural and Natural Heritage) के नाम से जाना जाता है।
  • विश्व विरासत स्थल ऐसे स्थान होते हैं जिन्हें यूनेस्को द्वारा इनके विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्त्व के लिये सूचीबद्ध किया जाता है। विश्व धरोहर स्थलों की सूची का प्रबंधन अंतर्राष्ट्रीय 'विश्व धरोहर कार्यक्रम’ (World Heritage Programme) के तहत किया जाता है, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति (UNESCO World Heritage Committee) द्वारा प्रशासित किया गया है।

शासन व्यवस्था

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण का कर्नाटक को निर्देश

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority-CWMA) ने जून माह के लिये कर्नाटक को बिलिगुंडलू जलाशय (Biligundlu Reservoir) से तमिलनाडु के लिये जल छोड़ने का आदेश दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • प्राधिकरण की बैठक में एक मत से यह निर्णय लिया गया।
  • जून 2018 में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के गठन के बाद यह तीसरी बैठक थी। इस प्राधिकरण की पहली बैठक 2 जुलाई 2018 को हुई थी जिसमें कर्नाटक से जुलाई माह में 31.24 tmcft (हज़ार मिलियन घन फीट) जल छोड़ने को कहा गया था।
  • हालिया आदेश में प्राधिकरण ने कर्नाटक से 9.19 हज़ार मिलियन क्यूबिक फीट (Thousand Million Cubic Feet-TMCF) जल छोड़ने के लिये कहा गया है।
  • छोड़े जाने वाले जल की मात्रा 16 फरवरी, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए आदेश के अनुरूप है।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए फैसले में कर्नाटक को 284.75 tmcft, तमिलनाडु को 404.25 tmcft तथा केरल और पुद्दुचेरी को क्रमशः 30 और 7 tmcft जल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (Cauvery Water Management Authority-CWMA)

  • तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल एवं पुद्दुचेरी के बीच जल के बँटवारे संबंधी विवाद को निपटाने हेतु 1 जून, 2018 को केंद्र सरकार ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) का गठन किया।
  • इस प्राधिकरण के गठन का निर्देश सर्वोच्च न्यायालय ने 16 फरवरी, 2018 को दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, केंद्र सरकार को 6 सप्ताह के भीतर इस प्राधिकरण का गठन करना था।

प्राधिकरण की संरचना

  • इस प्राधिकरण में एक अध्यक्ष तथा 8 सदस्यों के अलावा एक सचिव शामिल है।
  • 8 सदस्यों में से दो पूर्णकालिक और छह अंशकालिक सदस्य हैं।
  • अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। वर्तमान में इसके अध्यक्ष एस. मसूद हुसैन हैं।
  • प्राधिकरण के अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष या आयु के 65 वर्ष पूरे होने तक निर्धारित किया गया है। अन्य सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष निर्धारित किया गया है और इसे पाँच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

जैव विविधता और पर्यावरण

ओज़ोन प्रदूषण (Ozone pollution)

चर्चा में क्यों?

वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (System of Air Quality and Weather Forecasting And Research-SAFAR) के पूर्वानुमान के अनुसार, बढ़ते तापमान के साथ दिल्ली में सतही ओज़ोन (Surface Ozone) जिसे क्षोभमंडलीय ओज़ोन (Tropospheric Ozone) भी कहा जाता है, के प्रदूषण में वृद्धि होने की संभावना है। 

सतही ओज़ोन या क्षोभमंडलीय ओज़ोन

  • सतही ओज़ोन एक प्राथमिक प्रदूषक नहीं है बल्कि यह सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड), CO (कार्बन मोनोऑक्साइड) की रासायनिक अभिक्रियाओं के कारण उत्पन्न होता है। “जब तापमान में वृद्धि होती है, तो ओज़ोन के उत्पादन की दर भी बढ़ जाती है।
  • वायुमंडल के निम्नतम स्तर में पाई जाने वाली अर्थात् क्षोभमंडलीय ओज़ोन को ‘बुरी ओज़ोन’ (Bad Ozone) भी कहा जाता है।
  • यह ओज़ोन मानव निर्मित कारकों जैसे आंतरिक दहन इंजनों, औद्योगिक उत्सर्जन और बिजली संयंत्रों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण का परिणाम है।

ओज़ोन प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

ozone

  • ओज़ोन के अंत:श्वसन पर सीने में दर्द, खाँसी और गले में दर्द सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • यह ब्रोन्काइटिस (Bronchitis), वातस्फीति (Emphysema) और अस्थमा की स्थिति को और बद्दतर सकता है।
  • इससे फेफड़ों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और ओज़ोन के बार-बार संपर्क में आने से फेफड़ों के ऊतक स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते है।
  • सतही ओज़ोन वनस्पति और पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुँचाती है।

वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR)

  • वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली की शुरुआत जून 2015 में दिल्ली और मुंबई के लिये की गई थी।
  • इस प्रणाली के ज़रिये अग्रिम तीन दिनों के लिये वायु प्रदूषण (स्थान-विशेष) का अनुमान लगाने के साथ ही लोगों को आवश्यक परामर्श देना संभव हो पाया है।
  • यह प्रणाली लोगों को उनके पास के निगरानी स्टेशन पर हवा की गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उसके अनुसार उपाय अपनाने का फैसला लेने में मदद करती है।
  • 'सफर' (SAFAR) के माध्यम से लोगों को वर्तमान हवा की गुणवत्ता, भविष्य में मौसम की स्थिति, खराब मौसम की सूचना और संबद्ध स्वास्थ्य परामर्श के लिये जानकारी तो मिलती ही है, साथ ही पराबैंगनी/अल्ट्रा वायलेट सूचकांक (Ultraviolet Index) के संबंध में हानिकारक सौर विकिरण (Solar Radiation) के तीव्रता की जानकारी भी मिलती है।

निष्कर्ष: ओज़ोन हमारे स्वास्थ्य के लिये काफी खतरनाक हैं। दिल्ली और आसपास रहने वाले, चाहे अमीर हों या गरीब, यहाँ तक कि खुले में रहने वालों पर भी खतरा है। दिल्ली और एनसीआर में इस समय स्वास्थ्य के सुरक्षा की बहुत सख्त जरूरत है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों, बाहर काम करने वाले मजूदरों, अस्थमा और फेफेड़ों के रोग से प्रभावित लोगों को इस समय खास ध्यान रखना चाहिये।


कृषि

भारत के कॉफी किसानों पर मौसम की मार

चर्चा में क्यों ?

इस वर्ष अप्रैल में हुई कम बारिश के कारण कॉफी की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना व्यक्त की गई है। भारत के कॉफी बोर्ड (Coffee Board of India) के आकलन के अनुसार, इस वर्ष कॉफी की पैदावार सामान्य वर्ष की तुलना में लगभग आधी (40-50 % कम) रहने की संभावना है। भारत का कॉफी बोर्ड आमतौर पर एक वर्ष में दो प्रकार की फसलों के मूल्य का आकलन करता है- एक मानसून के पहले वाली फसल और दूसरा मानसून के बाद वाली फसल।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • वर्तमान में भारत में लघु (Small-Scale) एवं मध्यम श्रेणी (Medium-Scale) के लगभग 3 लाख कॉफी किसान हैं।
  • भारत के कुल कॉफ़ी उत्पादन का तकरीबन 80% केवल कर्नाटक से आता है।
  • उपासी के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015-2016 में कॉफी का कुल निर्यात 3.16 लाख टन था, जबकि वर्ष 2017-2018 में यह निर्यात बढ़कर 3.92 लाख टन हो गया।
  • इस वर्ष अप्रैल में कम वर्षा के कारण कॉफी की फसल में नए फूल या नई बौर के आगमन में विलंब हुआ जिसके कारण कॉफी की गुणवत्ता दुष्प्रभावित हुई। यह स्थिति कॉफी की पैदावार में तकरीबन 40-50% की गिरावट ला सकती है।
  • कॉफी की फसल को सिंचाई की आवश्यकता अप्रैल महीने में थी लेकिन इस वर्ष मई महीने में बारिश हुई।
  • इस गंभीर स्थिति के कारण घरेलू कॉफी उद्योग सबसे ज़्यादा नुकसान की स्थिति में हैं। गत वर्ष भी बाढ़ के कारण कॉफी किसानों को नुकसान की स्थिति का सामना करना पड़ा था।
  • लगातार दूसरे वर्ष भी नुकसान की स्थिति बनते देख कॉफी किसान परेशान हैं। कुर्ग के मादापुर और सोमावारपत में अप्रत्याशित रूप से कॉफी की पैदावार कम होने की संभावना है। कॉफी के हृदय-स्थल माने जाने वाले चिकमंगलूर में भी किसान बहुत तनाव में हैं।
  • कॉफी उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान रखने वाले भारत के लिये यह स्थिति चिंताजनक है। केंद्र एवं राज्य सरकारों को मिलकर इस दिशा में तेज़ी से प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लाखों लोगों के भविष्य को अधर में जाने से बचाया जा सके।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

घरेलू हिंसा अधिनियम 2005

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act, 2005) की पुनः व्याख्या की जिसके तहत घरेलू कलह के किसी भी मामले में समानता एवं जीवन के अधिकार की रक्षा की बात कही गई।

प्रमुख बिंदु

  • न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ (D.Y. Chandrachud) एवं हेमंत गुप्ता (Hemant Gupta) की पीठ ने पानीपत सत्र न्यायाधीश के निर्णय की पुष्टि करते हुए घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की पुनः व्याख्या की है।
  • इस वाद के अनुसार दो भाई अपने पैतृक घर में संयुक्त परिवार के रूप में अलग-अलग मंजिलों पर रहते थे। लेकिन बड़े भाई की मृत्यु के बाद मृतक का छोटा भाई अपनी भाभी को घर में नहीं रहने दे रहा था। सत्र न्यायाधीश ने मृतक के भाई को मृतक की विधवा पत्नी और पुत्र के लिये सहायता राशि प्रदान करने का आदेश दिया।

नया प्रावधान क्या है?

  • सर्वोच्च न्यायालय ने हिंदू अविभाजित परिवार (Hindu Undivided Family-HUF) के संदर्भ में ‘संबंध’ को निम्नलिखित आधार पर परिभाषित किया है-
  1. जब दो व्यक्ति विवाह करके साथ रहे चुके हों या फिर साथ रह रहे हों;
  2. जब दो व्यक्तियों के संबंध की प्रकृति विवाह की तरह हो और वे एक ही घर में रह रहे हों;
  3. कोई दत्तक सदस्य या अन्य सदस्य जो संयुक्त परिवार की भाँति रह रहा हो; उक्त लोगों के बीच जो आपसी सहयोग और तालमेल स्थापित होता है उसे ही संबंध कहते हैं।
  • न्यायालय ने साझा घर को भी परिभाषित करते हुए कहा कि जहाँ संयुक्त परिवार निवास करता है, प्रतिवादी (विधवा स्त्री) भी उस परिवार का सदस्य है, भले ही उसके पास घर में कोई अधिकार, उपनाम हो या न हो, वह साझा/संयुक्त परिवार का हिस्सा है।

domestic violence

घरेलू हिंसा क्या है?

  • घरेलू हिंसा अर्थात् कोई भी ऐसा कार्य जो किसी महिला एवं बच्चे (18 वर्ष से कम आयु के बालक एवं बालिका) के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन के संकट, आर्थिक क्षति और  ऐसी क्षति जो असहनीय हो तथा जिससे महिला व बच्चे को दुःख एवं अपमान सहना पड़े, इन सभी को घरेलू हिंसा के दायरे में शामिल किया जाता है।

घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005

  • इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण का अधिनियम, 2005 है।
  • यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होता है।
  • इस कानून में निहित सभी प्रावधानों का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये यह समझना ज़रूरी है कि पीड़ित कौन होता है। यदि आप एक महिला हैं और रिश्तेदारों में कोई व्यक्ति आपके प्रति दुर्व्यवहार करता है तो आप इस अधिनियम के तहत पीड़ित हैंl
  • चूँकि इस कानून का उद्देश्य महिलाओं को रिश्तदारों के दुर्व्यवहार से संरक्षित करना है, इसलिये यह समझना भी ज़रूरी है कि घरेलू रिश्तेदारी या संबंध क्या है? ‘घरेलू रिश्तेदारी’ का आशय किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच के उन संबंधों से है, जिसमें वे या तो साझी गृहस्थी में एक साथ रहते हैं या पहले कभी रह चुके होते हैं।

पृष्ठभूमि

घरेलू हिंसा अधिनियम से पहले विवाहित महिला के पास परिवार द्वारा मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताडि़त किये जाने की दशा में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498-क के तहत शिकायत करने का प्रावधान था। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 में वर्ष 1983 में हुए संशोधन के बाद धारा 498-क को जोड़ा गया। यह एक गैर-जमानती धारा है, जिसके अंतर्गत प्रतिवादियाें की गिरफ्तारी तो हो सकती है पर पीडि़त महिला को भरण-पोषण अथवा निवास जैसी सुविधा दिये जाने का प्रावधान शामिल नहीं है। जबकि घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत प्रतिवादियाें की गिरफ्तारी नही होती है लेकिन इसके अंतर्गत पीडि़त महिला को भरण-पोषण, निवास एवं बच्चाें के लिये अस्थायी संरक्षण की सुविधा का प्रावधान किया गया है।

स्रोत: द हिंदू


भूगोल

एंथ्रोपोसीन कार्यकारी समूह

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एंथ्रोपोसीन कार्यकारी समूह (Anthropocene Working Group- AWG) के 34-सदस्यीय पैनल ने नए भौगोलिक युग को ‘एंथ्रोपोसीन युग’ के रूप नामित करने के पक्ष में मतदान किया। गौरतलब है कि 90% से ज़्यादा सदस्यों ने वर्तमान युग का नाम बदलने के पक्ष में मतदान किया है।

प्रमुख बिंदु

  • यह मतदान 11,700 साल पहले शुरू हुए होलोसीन युग (Holocene Epoch) के अंत का संकेत है।
  • नेचर (Nature) पत्रिका के अनुसार, उक्त पैनल ने वर्ष 2021 तक ‘इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्ट्रेटीग्राफी’ (International Commission on Stratigraphy) के समक्ष नए युग के प्रारंभ के संदर्भ में एक औपचारिक प्रस्ताव प्रस्तुत करने की योजना बनाई है। इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्ट्रेटीग्राफी भूगर्भिक घटनाओं का अध्ययन करता है।
  • एंथ्रोपोसीन कार्यकारी समूह (AWG) के अनुसार, एंथ्रोपोसीन से जुड़ी घटनाओं में शहरीकरण और उन्नत कृषि के उद्देश्य से परिवहन और क्षरण में होने वाली वृद्धि है। इन क्रियाओं से उत्पन्न कार्बन जैसे तत्त्वों ने वातावरण में होने वाले चक्रीय आदान-प्रदान को गंभीर रूप से प्रभावित किया है जिसके फलस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग, समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी , समुद्री अम्लीकरण जैसी घटनाएँ बढ़ रही हैं।

एंथ्रोपोसीन कार्यकारी समूह (Anthropocene Working Group- AWG) का मुख्य उद्देश्य ऐसे चिह्नों की पहचान करना है जो यह संकेत करते हैं कि एंथ्रोपोसीन युग की शुरुआत हो चुकी है।

  • वैश्विक स्तर पर जैवमंडल में कई प्रकार के खनिजों और चट्टानों के कण जिसमें कंक्रीट, राख ,प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक कचरा शामिल है, के फैलने से प्रदूषण बहुत तीव्र गति से बढ़ गया है जो जैवमंडल के लिये हानिकारक है।
  • एंथ्रोपोसीन कार्यकारी समूह (AWG) में कुछ लोगों का मानना है कि वर्ष 1950 के प्रारंभ में परमाणु बमों का परीक्षण किया गया था जिसके परिणामस्वरुप वैश्विक स्तर पर कृत्रिम रेडियोधर्मी पदार्थ फ़ैल गए। रेडियोधर्मी पदार्थ समुद्र से बर्फीले स्थानों तक तथा भूतल से आकाश तक पाए जाने लगे। कई विशेषज्ञ ऐसी घटनाओं को युग परिवर्तन के द्योतक के रूप में देखते हैं।

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  • AWG के औपचारिक प्रस्ताव के पश्चात् ‘इंटरनेशनल कमीशन ऑन स्ट्रेटीग्राफी’ के कई अन्य समूहों द्वारा भी इस पर विचार किया जाएगा।
  • इस प्रस्ताव के सुझावों का अंतिम अनुमोदन इंटरनेशनल यूनियन ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज़ की कार्यकारी समिति द्वारा किया जाएगा।

एंथ्रोपोसीन

  • हम पृथ्वी पर एक नए युग में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसे एंथ्रोपोसीन कहा जा रहा है।
  • एंथ्रोपोसीन (Anthropocene) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 2000 में नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल कर्टज़न (Paul Crutzen) एवं यूजीन स्ट्रोर्मेर (Eugene Stroermer) द्वारा किया गया।
  • यह शब्द वर्तमान समय अंतराल में मानव गतिविधियों द्वारा पृथ्वी पर हुए गंभीर प्रभाव को निरुपित करता है।

एंथ्रोपोसीन के पक्ष में प्रभाव: 1950 के दशक के बाद से मानव गतिविधियों ने पृथ्वी और वातावरण को स्थायी रूप से बदलना प्रारंभ कर दिया, जिसके पक्ष में निम्नलिखित प्रमाण दिये जा सकते हैं-

  • मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी की अनेक प्रजातियों के विलुप्त होने की दर में काफी तेज़ी आई है।
  • मानवीय गतिविधियों के कारण 1950 के दशक के पश्चात् वायुमंडल में CO2 की मात्रा, सतही तापमान, समुद्री अम्लीकरण आदि में तीव्र वृद्धि दर्ज़ की गई है।
  • मानव जनित गतिविधियों जैसे ईंधन के जलाए जाने से उत्पन्न ब्लैक कार्बन आदि के कारण तलछट और हिमनदों में वायुवाहित कणों की एक स्थायी परत बन गई है।
  • उर्वरकों के अति उपयोग ने पिछली शताब्दी में मृदा में नाइट्रोजन और फस्फोरस की मात्रा को दोगुना कर दिया है, जो संभवतः पिछले 2.5 अरब वर्षों में नाइट्रोजन चक्र पर पड़ने वाला सबसे बड़ा प्रभाव है।
  • महत्त्वपूर्ण भूवैज्ञानिक परिवर्तन, जो आमतौर पर हज़ारों वर्षों में होते हैं, पिछली आधी शताब्दी में घटित हुए हैं।

एंथ्रोपोसीन को पृथक युग के रूप में घोषित करने के मार्ग में बाधाएँ-

  • यह समय का एक बहुत छोटा पैमाना है और किसी भी निर्णय तक पहुँचने के लिये इस तीव्र परिवर्तन के होने की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है।
  • एंथ्रोपोसीन विभिन्न कारणों से पूर्ववर्ती भू-वैज्ञानिक इकाइयों से अलग है। अतः परंपरागत मानकों के आधार पर इसे युग घोषित नहीं किया जा सकता।
  • यद्यपि यह नाम घोषित करने के लिये तकनीकी प्रक्रिया का अनुसरण करना आवश्यक है, लेकिन यदि यह स्वीकार किया जाता है तो पृथ्वी के प्रबंधक के रूप में यह मानव पर उसके उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिये अवश्य दबाव डालेगा।

इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ जियोलॉजिकल साइंसेज़ (International Union of Geological Sciences)

  • इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ जियोलॉजिकल साइंसेज़ (IUGS) दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सक्रिय गैर-सरकारी वैज्ञानिक संगठनों में से एक है। इसकी स्थापना वर्ष 1961 में हुई।
  • IUGS अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान परिषद का सदस्य है।
  • IUGS भू-वैज्ञानिक समस्याओं (विशेष रूप से ऐसी समस्याएँ जिनका व्यापक महत्त्व हो) के अध्ययन को बढ़ावा देता है और यह पृथ्वी विज्ञान में अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतःविषयक सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था

सिंगापुर: भारत का शीर्ष FDI स्रोत

चर्चा में क्यों?

पिछले वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च, 2019) के दौरान सिंगापुर (Singapore) से होने वाला विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign direct investment-FDI) मॉरीशस (Mauritius) की तुलना में दोगुना रहा। दोनों देशों के बीच कर संधि को पुन: लागू करने के बाद विदेशी प्रवाह के लिये यह अभी तक का सबसे पसंदीदा मार्ग रहा।

  • देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पिछले छह सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया है। भारत में निवेश करने वाले अन्य प्रमुख देशों में जापान, नीदरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, साइप्रस, संयुक्त अरब अमीरात और फ्राँस शामिल हैं।
  • वर्ष 2018-19 में मॉरीशस के 8.1 अरब डॉलर के मुकाबले सिंगापुर से अनुमानत: 16.2 बिलियन डॉलर के FDI का प्रवाह हुआ। यह केवल तीसरी बार है कि सिंगापुर से होने वाले निवेश प्रवाह में मॉरीशस की तुलना में इतना अधिक उछाल आया है, इस संबंध में निवेश सलाहकारों द्वारा कर संधि में बदलाव के कारण टैक्स ट्रीटमेंट (Tax Treatment) में आई अनुरूपता को मुख्य कारक बताया जा रहा है।
  • इसके अलावा, सिंगापुर ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (ease of doing business) के मोर्चे पर बहुत-से अन्य लाभ भी उपलब्ध करा रहा हैं जैसे- विदेशी स्रोतों से प्राप्त पूंजीगत लाभ पर शून्य कर (zero tax), आदि। संभवतः FDI के प्रवाह में आए बदलाव का एक कारण यह भी है।

दोहरा कराधान क्या है?

  • दोहरे कराधान (Double Taxation) का तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जिसमें एक ही कंपनी या व्यक्ति (करदाता) की एकल आय एक से अधिक देशों में कर योग्य हो जाती है। ऐसी स्थिति विभिन्न देशों में आय पर कराधान के भिन्न नियमों के कारण उत्पन्न होती है।

दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA)

  • दोहरे कराधान से मुक्ति के लिये दो देशों की सरकारें 'दोहरा कराधान अपवंचन समझौता' (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) निष्पादित करती हैं जिसका उपयोग परस्पर दोहरे कराधान की समस्या से राहत प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है।
  • भारत में आयकर अधिनियम की धारा 90 द्विपक्षीय राहत से संबंधित है। इसके अंतर्गत भारत की केंद्रीय सरकार ने दूसरे देशों की सरकारों के साथ दोहरे कराधान की समस्या से निपटने के लिये समझौते किये हैं इन समझौतों को ‘दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA)’ कहा जाता है।

कर संधि (Tax Treaty)

  • एक द्विपक्षीय कर समझौता (bilateral tax agreement), जिसे कर संधि भी कहा जाता है, दो अधिकार क्षेत्रों (उदाहरण के लिये, दो देशों) के बीच होने वाला एक समझौता है जो कराधान के मुद्दों के बारे में संघर्ष या दोहराव को संबोधित करता है।
  • इस प्रकार के कर समझौते आमतौर पर दोहरे कराधान की समस्या के संदर्भ में अस्तित्व में लाए जाते हैं जब एक व्यक्ति या कंपनी एक से अधिक क्षेत्राधिकार में कार्य करती है। इसका कारण यह है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि दो देशों के बीच प्रवाहित आय (Income Flow) पर दो बार करारोपण हो जाए।
  • इस समझौते के तहत कर संग्रह के लिये सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा आपसी सहयोग भी शामिल होता है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign direct investment-FDI)

  • यह एक समूह द्वारा किसी एक देश के व्यवसाय या निगम में स्थायी हितों को स्थापित करने के इरादे से किया गया निवेश होता है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक और देश में आर्थिक विकास के लिये गैर-ऋण वित्त का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

भारत और सिंगापुर के बीच समझौता

  • सिंगापुर और भारत के बीच DTAA (Avoidance of Double Taxation Agreement) को वर्ष 1994 में लागू किया गया था। इस समझौते के प्रावधानों पर 29 जून, 2005 को एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर कर इन्हें संशोधित किया गया था।
  • इसके दूसरे प्रोटोकॉल पर 24 जून, 2011 को हस्ताक्षर किये गए, जो 1 सितंबर, 2011 को लागू हुआ। इस समझौते से सिंगापुर और भारत के बीच आय के दोहरे कराधान को समाप्त किया गया तथा दोनों देशों के निवासियों पर पड़ने वाले समग्र कर बोझ को कम किया गया।
  • मौजूदा भारत-सिंगापुर DTAA में संशोधन करने वाला तीसरा प्रोटोकॉल 27 फरवरी, 2017 को लागू हुआ।
  • तीसरा प्रोटोकॉल 1 अप्रैल, 2017 से लागू होने वाले DTAA को संशोधित करता है, ताकि कंपनी में शेयरों की बिक्री पर होने वाले पूंजीगत लाभ के स्रोत आधारित कराधान हेतु लाभ प्रदान किये जा सकें। यह राजस्व हानि पर अंकुश लगाता है, दोहरे गैर-कराधान को प्रतिबंधित करता है और निवेश के प्रवाह को सुव्यवस्थित करता है।
  • इसके साथ यह उम्मीद की जा रही है कि अब भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कर चोरी के ज़रिये अवैध धन का दुरुपयोग करने में सक्षम नहीं होंगी।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (29 May)

  • अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित करने के सरकार के अध्यादेश पर लगी रोक पिछले सप्ताह दिल्ली उच्च न्यायालय ने हटा दी। सरकार ने मार्च में इस संबंध में मध्यस्थता अध्यादेश जारी किया था, जिसे इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑल्टरनेटिव डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन (ICADR) ने चुनौती दी थी। इस केंद्र की स्थापना संस्थागत मध्यस्थता के लिये स्वायत्त व्यवस्था बनाने और ICADR की ज़िम्मेदारियों के अधिग्रहण के लिये की गई थी, जो नई दिल्ली मध्यस्थता केंद्र में निहित थे। इस केंद्र को स्थापित करने के संबंध में एक विधेयकर लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन फरवरी में संसद की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित होने के कारण इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका। ज्ञातव्य है कि वैकल्पिक विवाद समाधान के लिये एक केंद्र स्थापित करना सरकार के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों में शामिल है। बी.एन. श्रीकृष्ण आयोग और 84वीं संसदीय समिति ने इस तरह का केंद्र स्थापित करने की सिफारिश की थी। ICADR की स्थापना 1995 में की गई थी और इसका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं था, इसमें मध्यस्थता के मामले नहीं आ रहे थे। इसीलिये अध्यादेश जारी किया गया था।
  • 17वीं लोकसभा के लिये हाल ही में हुए चुनावों में 78 महिला सांसद चुनकर आई हैं, जो अब तक की सर्वाधिक संख्या है। अब तक की इस सर्वाधिक भागीदारी के साथ ही नई लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या कुल सदस्य संख्या का 17 प्रतिशत हो जाएगी। सर्वाधिक 40 महिला उम्मीदवार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती हैं। इस लोकसभा चुनाव में कुल 8049 उम्मीदवार मैदान में थे और इनमें 724 महिला उम्मीदवार थीं। 16वीं लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 64 थी। ज्ञातव्य है कि महिला सांसदों की सबसे कम संख्या 9वीं लोकसभा में 28 थी।

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महिला सांसदों के प्रतिशत के मामले में भारत विश्व में 193 देशों में 153वें स्थान पर है। Inter-Parliamentary Union की एक रिपोर्ट के अनुसार, रवांडा के निचले सदन (The Chamber of Deputies) में 61 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है। रवांडा दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसकी संसद में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है।

  • भारतीय वायुसेना की फ्लाइट लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज (कैप्टन), फ्लाइंग ऑफिसर अमन निधि (को-पायलट) और फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल (फ्लाइट इंजीनियर) मीडियम लिफ्ट हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली देश की पहली 'आल वीमेन क्रू' बन गईं। 27 मई को उन्होंने दक्षिण पश्चिमी वायु कमान में एयरबेस पर बैटल इनोक्यूलेशन ट्रेनिंग मिशन के लिये Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर उड़ाया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज Mi-17 V5 उड़ाने वाली पहली महिला पायलट हैं। फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल भारतीय वायुसेना की पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर हैं।
  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने शहरों में ड्रोन के लिये नेशनल ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम बनाने के अपने चार साल के प्रयासों का अंतिम चरण शुरू कर दिया है। इसके तहत नासा पहली बार शहरों में ड्रोन का परीक्षण कर रहा है। ज्ञातव्य है कि शहरों की बड़ी बिल्डिंगों और व्यस्त सड़कों में ड्रोन चलाने के लिये एक कुशल और प्रभावी तंत्र की ज़रूरत होती है। सिम्युलेशन टेस्टिंग के दौरान नासा ने अमेरिका के नेवादा राज्य के शहर रेनो के ऊपर एक साथ एक ही समय में कई ड्रोन उड़ाए। नासा की इस तकनीक के इस्तेमाल से आने वाले समय में हज़ारों छोटे मानवरहित ड्रोन एक ही समय में उड़ाए जा सकेंगे। इनके ज़रिये खाद्य सामग्री, दवाओं आदि की डिलीवरी आसानी से की जा सकेगी। नासा ने इस तरह के परीक्षण दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में भी किये हैं।
  • भारत की अपूर्वी चंदेला ने म्यूनिख में तीसरे ISSF वर्ल्ड कप में एक बार फिर स्वर्ण पदक जीता है। इस वर्ष में यह उनका दूसरा वर्ल्ड कप स्वर्ण पदक है। इससे पहले उन्होंने फरवरी में दिल्ली वर्ल्ड कप में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता था। अपूर्वी ने 10 मीटर एयर राइफल का स्वर्ण पदक 0.1 पॉइंट से अपने नाम किया। अपूर्वी ने फाइनल में कुल 251 अंक हासिल किये, जबकि चीन की वांग लुयाओ ने 250.8 अंक हासिल कर रजत पदक जीता। तीसरे नंबर पर रही चीन की झू होंग ने 229.4 अंकों के साथ कांस्य पदक जीता। भारत की एलावेनिल वलारिवान फाइनल में चौथे नंबर पर रहीं। यह अपूर्वी के करियर में चौथा ISSF पदक है। इसके अलावा, राही सरनोबत ने 25 मीटर पिस्टल का स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक कोटा हासिल किया। सौरभ चौधरी ने भी 10 मीटर एयर पिस्टल में नया विश्व रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने इसी वर्ष दिल्ली में बनाए अपने ही विश्व रिकॉर्ड में सुधार किया।
  • पाकिस्तान में इस्लामी त्योहारों को मनाने के लिये चाँद देखने को लेकर होने वाले विवादों को खत्म करने के उद्देश्य से एक कैलेंडर तैयार किया गया है। सरकार की ओर से वैज्ञानिक चंद्र कैलेंडर बनाने के लिये गठित विशेषज्ञों के पैनल ने इसे तैयार किया है। अब इस वैज्ञानिक कैलेंडर को ‘इस्लामी विचारधारा परिषद’ के पास भेजा जाएगा। यह कैलेंडर अंतरिक्ष एवं ऊपरी वातावरण अनुसंधान आयोग, अंतरिक्ष विशेषज्ञों और मौसम विशेषज्ञों के सहयोग से तैयार किया गया है। कुछ महत्त्वपूर्ण धार्मिक संस्थाओं को कैलेंडर देखने के लिये आमंत्रित किया गया है ताकि वे इसको संकलित करने में की गई कड़ी मेहनत को समझ सकें। यह कैलेंडर पाँच साल के लिये तैयार किया गया है और हर पाँच साल में इसकी समीक्षा की जाएगी।

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