जन अधिकार बनाम पशु कल्याण
प्रिलिम्स के लिये:DPSP, मौलिक कर्तव्य, अनुच्छेद 48 A मेन्स के लिये:बैलेंसिंग पीपल राइट्स बनाम एनिमल वेलफेयर |
चर्चा में क्यों?
आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि लोगों की सुरक्षा और जानवरों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।
- न्यायालय ने यह भी सुझाव दिया कि जो लोग आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं, उन्हें टीकाकरण के लिये ज़िम्मेदार बनाया जा सकता है साथ ही अगर किसी पर जानवर हमला करता है तो उसे मुआवज़ा वहन करना चाहिये।
जन अधिकार और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता:
- मौलिक मुद्दे को संबोधित करने हेतु:
- यह मुद्दा सामान्य रूप से मनुष्यों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र के भीतर और विशेष रूप से भारत के संविधान के ढाँचे के तहत जंगली ज़ानवरों के अधिकारों के संबंध में मौलिक मुद्दा उठाता है।
- हिंदू ग्रंथों में मान्यता:
- प्राचीन हिंदू ग्रंथों में ज़ानवरों, पक्षियों और प्रत्येक जीवित प्राणी के अधिकारों को मान्यता दी गई है तथा प्रत्येक जीवित प्राणी को मनुष्य के समान एक ही दैवीय शक्ति से उत्पन्न माना गया है, इस प्रकार उन्हें उचित सम्मान, प्रेम और स्नेह के योग्य माना जाता है।
- भारत की संस्कृति सभी जीवों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देती है। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र पशु माना गया है।
- पशुओं को दंडित करना गलत:
- प्राचीन काल में कुछ सभ्यताओं में पशुओं को उनके द्वारा की गई गलतियों के लिये दंडित किया जाता था लेकिन समय के साथ नैतिकता से संबंधित तर्क विकसित हुए और यह महसूस किया गया कि पशुओं को दंडित करना गलत था, क्योंकि उनके पास सही या गलत में अंतर करने की तर्कसंगतता नहीं होती, इस प्रकार सज़ा देने का कोई फायदा नहीं होगा।
- इस संबंध में कानून विकसित हुए और यह माना गया कि पशुओं (अवयस्कों एवं विकृत दिमाग के व्यक्तियों की तरह) के भी अपने हित होते हैं जिन्हें कानून द्वारा संरक्षित करने की आवश्यकता थी यद्यपि इसके लिये किसी भी प्रकार के कर्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों की बाध्यता नहीं थी।
- वर्तमान कानूनी व्यवस्था पालतू जानवरों के कारण हुए किसी भी नुकसान को उनके मालिकों की लापरवाही मानकर दंडित करती है।
संबंधित निर्णय:
- भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम नागराज (2014):
- इस मामले में भारतीय राज्यों तमिलनाडु और महाराष्ट्र में क्रमशः जल्लीकट्टू (बैल-कुश्ती) और बैलगाड़ी दौड़ की प्रथा को समाप्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित गरिमा तथा निष्पक्ष व्यवहार के अधिकार के तहत केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु भी शामिल हैं।
- अन्य निर्णय:
- जुलाई 2018 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय और जून 2019 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजीव शर्मा ने कहा कि जानवरों के पास एक जीवित व्यक्ति के संबंधित अधिकारों, कर्तव्यों और देनदारियों के साथ एक अलग कानूनी इकाई है और जिसने बाद में सभी नागरिकों को लोको पेरेंटिस व्यक्तियों के रूप में जानवरों के कल्याण/संरक्षण के लिये प्रेरित किया।
- उत्तराखंड और हरियाणा के सभी नागरिकों को उनके संबंधित राज्यों के भीतर जानवरों के कल्याण और संरक्षण के लिये माता-पिता के समान कानूनी ज़िम्मेदारियाँ और कार्य करने के लिये प्रेरित किया गया था।
पशु अधिकारों के लिये संवैधानिक संरक्षण क्या है?
- भारतीय संविधान के अनुसार, देश के प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि जंगलों, झीलों, नदियों और जानवरों की देखभाल और संरक्षण करना सभी की ज़िम्मेदारी है।
- हालाँकि इनमें से कई प्रावधान राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) और मौलिक कर्तव्यों के तहत आते हैं, जिन्हें तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि वैधानिक समर्थन न हो।
- अनुच्छेद 48 ए में कहा गया है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और इसमें सुधार करने तथा देश के वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।
- अनुच्छेद 51ए (जी) में कहा गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि "जंगलों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा व उसमे सुधार करे तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया करे।"
- राज्य और समवर्ती सूची को भी निम्नलिखित पशु अधिकार संबंधी विषय प्रदान किया गया है:
- राज्य सूची विषय 14 के अनुसार, राज्यों को "संरक्षण, रखरखाव और पशुधन में सुधार एवं पशु रोगों को रोकने तथा पशु चिकित्सा प्रशिक्षण व अभ्यास को लागू करने" का अधिकार दिया गया है।
- समवर्ती सूची में शामिल वे कानून जिसे केंद्र और राज्य दोनों पारित कर सकते हैं:
- "पशु क्रूरता की रोकथाम", जिसका उल्लेख विषय 17 में किया गया है।
- "जंगली पशुओं और पक्षियों का संरक्षण" जिसका उल्लेख विषय 17बी के रूप में किया गया है।
भारत में जानवरों के संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण कानून:
- भारतीय दंड संहिता (IPC):
- भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 भारत की आधिकारिक आपराधिक संहिता है जो आपराधिक कानून के सभी मूल पहलुओं को शामिल करती है।
- IPC की धारा 428 और 429 क्रूरता के सभी कृत्यों जैसे कि जानवरों की हत्या, जहर देना, अपंग करने या जानवरों को अनुपयोगी बनाने के लिये सजा का प्रावधान करती है।
- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960
- इस अधिनियम का उद्देश्य ‘जानवरों को अनावश्यक दर्द पहुँचाने या पीड़ा देने से रोकना’ है, जिसके लिये अधिनियम में जानवरों के प्रति अनावश्यक क्रूरता और पीड़ा पहुँचाने के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।
- इस अधिनियम में पशु को मनुष्य के अलावा किसी भी जीवित प्राणी के रूप में परिभाषित किया गया है।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
- इस अधिनियम का उद्देश्य पर्यावरण और पारिस्थितिकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये देश में सभी पौधों एवं जानवरों की प्रजातियों की रक्षा करना है।
- यह अधिनियम वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और चिड़ियाघरों की स्थापना का प्रावधान करते हुए लुप्तप्राय जानवरों के शिकार पर रोक लगाता है।
आगे की राह
- हमारे विधायी प्रावधान और न्यायिक घोषणाएँ पशु अधिकारों के प्रभावी होने के लिये आवश्यक हैं, लेकिन कोई भी अधिकार पूर्ण नहीं हो सकता है। मानव अधिकारों की तरह, पशु अधिकारों का विनियमन किया जाना आवश्यक है।
- इंसानों की सुरक्षा से समझौता किये बिना जानवरों के हितों की रक्षा हेतु संतुलन बनाना समय की मांग है। पशुओं का शोषण बंद होना चाहिये।
- मनुष्यों को अन्य प्रजातियों को संरक्षण देने के लिये अपने कृपालु दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।
- मानव जाति की केवल बौद्धिक श्रेष्ठता को किसी अन्य प्रजाति के जीवित अधिकारों को खत्म करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलन को रोकने के लिये सभी जीवों का सह-अस्तित्व नितांत आवश्यक है।
स्रोत: लाइवमिंट
राष्ट्रीय क्रेडिट ढाँचा
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शैक्षणिक क्रेडिट बैंक, नेशनल क्रेडिट ढाँचा। मेन्स के लिये:नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCrF) और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने 'नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क' (National Credit Framework -NCrF) के एक मसौदे का अनावरण किया, जिसका उद्देश्य स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक की पूरी शिक्षा प्रणाली को अकादमिक 'क्रेडिट' शासन के तहत लाना है और इसमें सार्वजनिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करने की मांग की गई है।
राष्ट्रीय क्रेडिट ढाँचा:
- विषय: राष्ट्रीय क्रेडिट ढाँचा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक अंग है।
- ढाँचे के अनुसार, एक शैक्षणिक वर्ष को किसी छात्र द्वारा उपयोग किये गए घंटों की संख्या के आधार पर परिभाषित किया जाएगा। शैक्षणिक वर्ष के अंत में प्रत्येक को तदनुसार क्रेडिट प्रदान किया जाएगा।
- जुलाई 2021 में अधिसूचित विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (उच्च शिक्षा में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स की स्थापना और संचालन) विनियमों के तहत इसकी रूपरेखा तैयार की गई है।
- क्रेडिट सिस्टम: NCrF पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट, जिसे सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है, कक्षा 5 से ही क्रेडिट स्तर का प्रस्ताव करती है जो कि क्रेडिट स्तर 1 होगा, क्रमशः स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट के साथ क्रेडिट स्तर 7 और 8 तक जाएगा।
- सीखने के प्रत्येक वर्ष के साथ क्रेडिट स्तर में 0.5 की वृद्धि होगी।
- क्रेडिट अर्निंग: क्रेडिट के असाइनमेंट के लिये कुल 'नोशनल लर्निंग आवर्स इन ए ईयर' 1200 घंटे होंगे। छह महीने के प्रति सेमेस्टर 20 क्रेडिट के साथ प्रत्येक वर्ष 1200 घंटे सीखने के लिये न्यूनतम 40 क्रेडिट अर्जित किये जा सकते हैं। प्रत्येक क्रेडिट 30 घंटे प्रति क्रेडिट सीखने के 30 घंटे के साथ आएगा।
- NCrF के संदर्भ में सीखने के घंटे का अर्थ न केवल कक्षा में शिक्षण से है, बल्कि सह-पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों में भी बिताया गया समय है। ऐसी गतिविधियों की सूची में खेल, योग, प्रदर्शन कला, संगीत, सामाजिक कार्य, एनसीसी, व्यावसायिक शिक्षा, साथ ही नौकरी पर प्रशिक्षण, इंटर्नशिप शामिल हैं।
- आसान प्रवेश और निकास: क्रेडिट अंतरण तंत्र किसी भी छात्र/शिक्षार्थी को किसी भी समय, सामान्य एवं व्यावसायिक दोनों तरह के शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवेश करने तथा बाहर निकलने में सक्षम बनाएगा। ऐसे मामलों में प्राप्त कार्य अनुभव या शिक्षार्थी द्वारा किये गए किसी अन्य प्रशिक्षण को उचित महत्त्व दिया जाता है।
- सह-पाठयक्रम गतिविधियों पर उचित ध्यान देना: नया क्रेडिट ढाँचा कक्षा शिक्षण, प्रयोगशाला कार्य, कक्षा परियोजनाओं, खेल और अन्य गतिविधियों में प्रदर्शन को ध्यान में रखेगा, साथ ही पाठ्यचर्या एवं सह-पाठयक्रम गतिविधियों या विभिन्न विषयों के बीच अंतर नहीं करेगा।
- आधार-सक्षम छात्र पंजीकरण: आधार-सक्षम छात्र पंजीकरण किया जाएगा। छात्र पंजीकरण के बाद एक शैक्षणिक क्रेडिट बैंक (Academic Credit Banks) खाता खोला जाएगा। उन खातों में डिग्री और क्रेडिट जमा किया जाएगा। डिजिलॉकर जैसा नॉलेज़ लॉकर मौजूद होगा।
- शैक्षणिक क्रेडिट बैंक: उच्च शिक्षा के लिये हाल ही में शुरू किये गए शैक्षणिक क्रेडिट बैंक (Academic Credit Banks) का विस्तार स्कूली शिक्षा से अर्जित क्रेडिट के एंड-टू-एंड प्रबंधन की अनुमति देने के लिये किया जाएगा और इसमें व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण भी शामिल होंगे।
- महत्त्व:
- यह शैक्षिक और कौशल संस्थानों एवं कार्यबल को शामिल करते हुए 'कौशल, पुन: कौशल, अप-स्किलिंग, मान्यता तथा मूल्यांकन के लिये एक छत्र ढाँचे' के रूप में काम करेगा।
- ज्ञान प्राप्ति, व्यावहारिक प्रशिक्षण और सकारात्मक सामाजिक परिणामों का श्रेय अगले 2-3 वर्षों में 100% साक्षरता हासिल करने एवं भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सतत् विकास लक्ष्य-4 (वर्ष 2030) के अनुरूप है। यह भारत में शिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन और पुनर्रचना का इरादा रखती है। कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020) |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सितरंग चक्रवात
प्रिलिम्स के लिये:चक्रवात और इसके प्रकार मेन्स के लिये:चक्रवात और उसका निर्माण, महत्त्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएँ |
चर्चा में क्यों?
चक्रवात सितरंग ने निचले इलाकों, घनी आबादी वाले इलाकों में दस्तक देकर बांग्लादेश में कहर बरपाया।
- थाईलैंड द्वारा नामित, सितरंग वर्ष 2022 के मानसून के बाद के मौसम का पहला उष्णकटिबंधीय चक्रवात है।
- वर्ष 2018 में तितली बंगाल की खाड़ी में आखिरी चक्रवात था।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र गोलाकार तूफान है जो गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होता है और कम वायुमंडलीय दबाव, तेज़ हवाएँ व भारी बारिश इसकी विशेषताएँ हैं।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशिष्ट विशेषताओं में एक चक्रवात की आंँख (Eye) या केंद्र में साफ आसमान, गर्म तापमान और कम वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र होता है।
- इस प्रकार के तूफानों को उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में हरिकेन (Hurricanes) तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन में टाइफून (Typhoons) कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम प्रशांत व हिंद महासागर क्षेत्र में इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) तथा उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ (Willy-Willies) कहा जाता है।
- इन तूफानों या चक्रवातों की गति उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत अर्थात् वामावर्त (Counter Clockwise) और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise) होती है।
- उष्णकटिबंधीय तूफानों के बनने और उनके तीव्र होने हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
- 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाली एक बड़ी समुद्री सतह।
- कोरिओलिस बल की उपस्थिति।
- ऊर्ध्वाधर/लंबवत हवा की गति में छोटे बदलाव।
- पहले से मौजूद कमज़ोर निम्न-दबाव क्षेत्र या निम्न-स्तर-चक्रवात परिसंचरण।
- समुद्र तल प्रणाली के ऊपर विचलन (Divergence)।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के विकास चक्र को तीन चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
- गठन और प्रारंभिक विकास चरण:
- चक्रवाती तूफान का निर्माण और प्रारंभिक विकास मुख्य रूप से समुद्र की सतह से वाष्पीकरण द्वारा गर्म महासागर से ऊपरी हवा में जल वाष्प एवं ऊष्मा के हस्तांतरण पर निर्भर करता है।
- यह समुद्र की सतह से ऊपर उठने वाली हवा के संघनन के कारण बड़े पैमाने पर ऊर्ध्वाधर मेघपुंज के निर्माण को प्रोत्साहित करता है।
- परिपक्व अवस्था:
- जब उष्णकटिबंधीय तूफान तीव्र होता है, तो वायु ज़ोरदार गरज के साथ उठती है और क्षोभमंडल स्तर पर क्षैतिज रूप से फैलने लगती है। एक बार जब हवा फैलती है, तो उच्च स्तर पर सकारात्मक दबाव उत्पन्न होता है, जो संवहन के कारण हवा की नीचे की ओर गति को तेज़ करता है।
- अवतलन के उत्प्रेरण के साथ वायु संपीडन द्वारा गर्म होती है और गर्म 'नेत्र' (निम्न दाब केंद्र) उत्पन्न होता है। हिंद महासागर में परिपक्व उष्णकटिबंधीय चक्रवात की मुख्य भौतिक विशेषता अत्यधिक अशांत विशाल क्यूम्यलस थंडरक्लाउड बैंड का एक संकेंद्रित प्रतिरूप है।
- संशोधन और क्षय:
- एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात अपने केंद्रीय निम्न दबाव, आंतरिक ऊष्मा और अत्यधिक उच्च गति के संदर्भ में कमज़ोर (जैसे ही गर्म नम हवा का स्रोत कम होना शुरू हो जाता है या अचानक कट जाता है) होना शुरू हो जाता है।
- गठन और प्रारंभिक विकास चरण:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रीलिम्सप्रश्न. उष्णकटिबंधीय अक्षांशों में दक्षिण अटलांटिक और दक्षिण-पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में चक्रवात की उत्पत्ति नहीं होती है। क्या कारण है? (2015) (a) समुद्र की सतह का तापमान कम है उत्तर: (b)
प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्पेट वायुविलय अंत:क्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: (d) व्याख्या:
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (A) केवल 1 उत्तर: (C) व्याख्या:
मुख्य परीक्षा:प्रश्न. हाल ही में भारत के पूर्वी तट पर आए चक्रवात को “फैलिन” कहा गया था, दुनिया भर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं? विस्तार में बताइये। (2013) प्रश्न. उष्णकटिबंधीय चक्रवात बड़े पैमाने पर दक्षिण चीन सागर, बंगाल की खाड़ी और मैक्सिको की खाड़ी तक ही सीमित हैं। क्यों? (2014) प्रश्न. भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा चक्रवात संभावित क्षेत्रों के लिये रंग-कोडित मौसम चेतावनियों के अर्थ पर चर्चा कीजिये। (2022) |
स्रोत: द हिंदू
हरित पटाखे
प्रिलिम्स के लिये:हरित पटाखे, SWAS, STAR, SAFAL, PESO मेन्स के लिये:हरित पटाखों का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दिवाली के दौरान देखे गए व्यापक प्रदूषण के लिये पटाखों को जलाना या आतिशबाज़ी को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
हरित पटाखे:
- हरित पटाखों को 'पर्यावरण के अनुकूल' पटाखे कहा जाता है और पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम वायु तथा ध्वनि प्रदूषण पैदा करने के लिये जाना जाता है।
- इन पटाखों को पहली बार वर्ष 2018 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय पर्यावरण एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
- NEERI पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग में अनुसंधान तथा विकासात्मक अध्ययन करने के लिये CSIR का एक घटक है।
- ये पटाखे शोर की तीव्रता और उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से पारंपरिक पटाखों में कुछ खतरनाक कारकों को कम प्रदूषणकारी पदार्थों से बदल देते हैं।
- अधिकांश हरित पटाखों में बेरियम नाइट्रेट नहीं होता है, जो पारंपरिक पटाखों में सबसे खतरनाक घटक है।
- हरित पटाखे मैग्नीशियम और बेरियम के बजाय पोटेशियम नाइट्रेट व एल्युमिनियम जैसे वैकल्पिक रसायनों के साथ-साथ आर्सेनिक एवं अन्य हानिकारक प्रदूषकों के बजाय कार्बन का उपयोग करते हैं।
- नियमित पटाखे भी 160-200 डेसिबल ध्वनि उत्पन्न करते हैं, जबकि हरे पटाखों लगभग 100-130 डेसिबल तक सीमित होते हैं।
हरित पटाखों की पहचान:
- वर्तमान में तीन ब्रांड के हरित पटाखे खरीद के लिये उपलब्ध हैं:
- सेफ वाटर रिलीज़र (SWAS): ये पटाखे सल्फर या पोटेशियम नाइट्रेट का उपयोग नहीं करते हैं और इस प्रकार कुछ प्रमुख प्रदूषकों के बजाय जल वाष्प छोड़ते हैं। यह मंदक के उपयोग को भी लागू करता है तथा इस प्रकार पार्टिकुलेट मैटर (PM) उत्सर्जन को 30% तक नियंत्रित करने में सक्षम है।
- सेफ थर्माइट क्रैकर (STAR): SWAS की तरह STAR में भी सल्फर और पोटेशियम नाइट्रेट नहीं होते हैं तथा कण धूल उत्सर्जन को नियंत्रित करने के अलावा इसमें ध्वनि की तीव्रता भी कम होती है।
- सेफ मिनिमल एल्युमिनियम (SAFAL): यह एल्युमिनियम सामग्री को मैग्नीशियम से बदल देता है और इस प्रकार प्रदूषकों के स्तर को कम करता है।
- हरित पटाखों के सभी तीन ब्रांड वर्तमान में केवल CSIR द्वारा अनुमोदित लाइसेंस प्राप्त निर्माताओं द्वारा ही उत्पादित किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) को यह प्रमाणित करने का काम सौंपा गया है कि पटाखे आर्सेनिक, पारा तथा बेरियम के बिना बनाए जाएँ तथा एक निश्चित सीमा से अधिक आवाज़ न हो।
- इसके अलावा एक त्वरित प्रतिक्रिया (QR) कोडिंग प्रणाली के साथ हरित रंग के पटाखों को उनके बक्से पर मुद्रित हरे रंग के लोगो (Logo) द्वारा खुदरा दुकानों में पारंपरिक पटाखों से अलग किया जा सकता है।
पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन:
- PESO उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन एक कार्यालय है।
- यह 1898 में विस्फोटक, संपीड़ित गैसों और पेट्रोलियम जैसे पदार्थों की सुरक्षा को विनियमित करने के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था।
- इसका प्रधान कार्यालय नागपुर, महाराष्ट्र में स्थित है।
हरित पटाखे के संबंध में क्या चिंताएँ हैं?
- चूँकि हरित पटाखे केवल कानूनी रूप से उन फर्मों द्वारा निर्मित किये जा सकते हैं जिन्होंने CSIR के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, कोई भी लघु-स्तरीय व्यवसाय या कुटीर उद्योग हरित पटाखों का निर्माण नहीं कर सकता है, साथ ही पारंपरिक आतिशबाज़ी पर प्रतिबन्ध लगाने से बहुत से लोग बेरोज़गार हो जाएंगे।
- सही हरे पटाखों की पहचान कैसे करें, इस बारे में सामान्यत: विक्रेताओं और जनता दोनों के बीच जागरूकता की कमी है। वास्तव में विशेषज्ञों ने स्ट्रीट वेंडर्स से हरित पटाखे खरीदने के प्रति आगाह किया है क्योंकि पटाखे से संबंधित सामग्री विश्वसनीय नहीं हो सकती है।
- यह भी पता चला है कि अधिकांश ग्राहक हरित पटाखों की उपलब्धता की कमी या उनकी अधिक कीमतों के कारण 'पारंपरिक' पटाखे खरीदना पसंद करते हैं।
आगे की राह
- सरकार द्वारा हरित पटाखों की उत्पादन गतिविधियों के लिये छोटे निर्माताओं को कानूनी मंज़ूरी देकर उनका उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किये जाने चाहिये। यह हरित पटाखों की कमी की समस्या से निपटने में मदद करेगा।
- हरित पटाखों के फायदे और उनकी प्रामाणिकता की पहचान कैसे की जाए, यह कार्य लोगों को जागरूक किया जा सकता है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन
प्रिलिम्स के लिये:WHO, WMO, Covid-19, जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदुषण, हीट एक्सपोज़र, COP-27। मेन्स के लिये:स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन, पेरिस समझौता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य पर लैंसेट काउंटडाउन (The Lancet Countdown on Health and Climate Change) ने ‘जीवाश्म ईंधन की निर्भरता’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें दिखाया गया था कि वर्ष 2000-2004 से 2017-2021 तक भारत में गर्मी से संबंधित मौतों में 55% की वृद्धि हुई है।
- यह रिपोर्ट इस वर्ष मिस्र के शर्म अल शेख में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP27) से पहले आई है।
- रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) सहित 51 संस्थानों के 99 विशेषज्ञों के काम का प्रतिनिधित्व करती है।
स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट पर लैंसेट काउंटडाउन:
- ‘द लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ का प्रकाशन वार्षिक तौर पर किया जाता है, यह एक अंतर्राष्ट्रीय और बहु-विषयक सहयोग है, जो मुख्य तौर पर जलवायु परिवर्तन की बढ़ती स्वास्थ्य प्रोफाइल की निगरानी करता है, साथ ही यह पेरिस समझौते के तहत विश्व भर में सरकारों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के अनुपालन का स्वतंत्र मूल्यांकन भी प्रदान करता है।
- अध्ययन में बताया गया है कि विश्व की आबादी का 50% और उत्सर्जन का 70% का प्रतिनिधित्व ब्राज़ील, चीन, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, यूके और अमेरिका द्वारा किया जाता है।
- लैंसेट काउंटडाउन रिपोर्ट 2015 के स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट आयोग के बाद स्थापित की गई थी।
- यह पाँच प्रमुख डोमेन में 43 संकेतकों को ट्रैक करती है:
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, जोखिम और सुभेद्यता, स्वास्थ्य के लिये अनुकूलन, योजना एवं लचीलापन; शमन कार्रवाई तथा स्वास्थ्य सह-लाभ, अर्थव्यवस्था वित्त व सार्वजनिक और राजनीतिक जुड़ाव।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- वैश्विक समस्याएँ पैदा करने वाली सब्सिडी:
- कई देशों में जीवाश्म ईंधन की खपत के लिये सब्सिडी वैश्विक समस्याएँ पैदा कर रही है, जिसमें वायु की गुणवत्ता में गिरावट, खाद्य उत्पादन में गिरावट और उच्च कार्बन उत्सर्जन से जुड़े संक्रामक रोग का खतरा बढ़ रहा है।
- वर्ष 2021 में 80% देशों ने कुल 400 बिलियन अमेरिकी डाॅलर की जीवाश्म ईंधन सब्सिडी के रूप में प्रदान किये।
- वर्ष 2019 में भारत ने जीवाश्म ईंधन सब्सिडी पर कुल 34 बिलियन अमेरिकी डाॅलर खर्च किये, जो कुल राष्ट्रीय स्वास्थ्य खर्च का 5% है।
- भारत में वर्ष 2020 में जीवाश्म ईंधन प्रदूषकों के संपर्क में आने के कारण 3,30,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
- कई देशों में जीवाश्म ईंधन की खपत के लिये सब्सिडी वैश्विक समस्याएँ पैदा कर रही है, जिसमें वायु की गुणवत्ता में गिरावट, खाद्य उत्पादन में गिरावट और उच्च कार्बन उत्सर्जन से जुड़े संक्रामक रोग का खतरा बढ़ रहा है।
- आयु समूहों पर बढ़ते तापमान का प्रभाव:
- वर्ष 1985-2005 की तुलना में वर्ष 2012-2021 तक एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं ने प्रति वर्ष औसतन 72 मिलियन से अधिक व्यक्ति हीटवेव का अनुभव किया।
- भारत में 65 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों ने इसी अवधि के दौरान 301 मिलियन अधिक व्यक्ति हीटवेव का अनुभव किया।
- वर्ष 2000-2004 से वर्ष 2017-2021 तक भारत में गर्मी से होने वाली मौतों में 55% की वृद्धि हुई।
- जीडीपी पर प्रभाव:
- 2021 में भारतीयों ने राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 5.4% के बराबर आय के नुकसान के साथ गर्मी के संपर्क में आने के कारण 167.2 बिलियन संभावित श्रम घंटे खो दिये।
- डेंगू संचरण:
- वर्ष 1951-1960 से वर्ष 2012-2021 तक, एडीज एजिप्टी द्वारा डेंगू संचरण के लिये उपयुक्त महीनों की संख्या में 1.69% की वृद्धि हुई, जो प्रत्येक वर्ष 5.6 महीने तक पहुँच गई।
सिफारिशें:
- वायु की गुणवत्ता में सुधार से जीवाश्म ईंधन से निकलने वाले पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में आने से होने वाली मौतों को रोकने में मदद मिलेगी।
- समस्य के समाधान के लिये जलवायु समाधान विकसित करना । जलवायु संकट न केवल ग्रह के स्वास्थ्य के लिये बल्कि हर जगह लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है,इसका कारण है ज़हरीला वायु प्रदूषण, खाद्य सुरक्षा में कमी, संक्रामक रोग के प्रकोप के बढ़ते जोखिम, अत्यधिक गर्मी, सूखा, बाढ़, आदि।
- इसलिये सरकारों को पर्यावरण संरक्षण पर अधिक ध्यान देना चाहिये और अधिक संसाधनों का निवेश करना चाहिये।
- स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने के लिये अस्वच्छ ईंधन के उपयोग को को जल्द से जल्द कम करने की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु सरकार द्वारा की गई पहलें:
- ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’ (SAFAR)
- वायु गुणवत्ता सूचकांक
- दिल्ली के लिये ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान
- BS-VI वाहन
- इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन (EVs)
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए नया आयोग
- पराली जलाना कम करने के लिये टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति 2018
स्रोत: द हिंदू
बायोगैस के लाभ
प्रिलिम्स के लिये:बायोगैस, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स, कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG), लिक्विड बायोगैस (LBG), हाइड्रोजन और मेथनॉल, सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (SATAT)। मेन्स के लिये:बायोगैस का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
दुनिया भर के देश अपनी ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने के लिये बायोगैस और बायोमीथेन की ओर रुख कर रहे हैं।
बायोगैस:
- परिचय:
- बायोगैस, जैविक फीडस्टॉक से अवायवीय पाचन प्रक्रिया का उपयोग करके उत्पादित एक अक्षय ईंधन, मुख्य रूप से मीथेन (50-65%), कार्बन डाइऑक्साइड (30-40%), हाइड्रोजन सल्फाइड (1-2.5%) और नमी के एक छोटे अंश से बनी है।
- यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में से सभी 17 में योगदान देती है और इसे कई टिकाऊ परिवहन ईंधन के उत्पादन के लिये भी परिवर्तित किया जा सकता है।
- प्रकार:
- कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG): उन्नत या उच्च शुद्धता वाली बायोगैस (कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड और नमी जैसे अवांछित घटकों को हटाने के बाद) 250 बार के दबाव पर संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) नामक ईंधन में परिणामित होती है। इसमें संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) के समान गुण होते हैं और इसे सीधे सीएनजी इंजनों को बिजली प्रदान करने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है|
- खामियाँ: यह गैसीय अवस्था में पाया जाता है जिसके कारण परिवहन के दौरान, इसकी अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। इसलिये, भले ही कम दूरी की ड्राइविंग के लिये भारी इंजनों का उपयोग किया गया हो, लेकिन यह छोटे आकार के वाहनों को चलाने के लिये अधिक उपयुक्त मानी जाती है।
- लिक्विफाइड बायोगैस (LBG): जब बायोगैस से व्युत्पन्न मीथेन को -162 डिग्री सेल्सियस पर ठंडा करके द्रवित किया जाता है, तो इस प्रक्रिया से प्राप्त ईंधन तरलीकृत बायोगैस (LBG) होता है। इसमें उच्च ऊर्जा घनत्व होता है जो भंडारण स्थान की आवश्यकताओं को कम करता है।
- वायुमंडलीय दबाव की स्थिति में तरल मीथेन का ऊर्जा घनत्व गैसीय मीथेन की तुलना में लगभग 600 गुना अधिक और मीथेन के 250 बार (bar) की तुलना में 2.5 गुना अधिक होता है।
- लाभ: यह भारी शुल्क वाले सड़क परिवहन के लिये एक व्यवहार्य वैकल्पिक ईंधन बन सकता है क्योंकि इसमें तुलनात्मक रूप से उच्च ऊर्जा घनत्व होता है।
- इसका अपेक्षाकृत उच्च ऊर्जा घनत्व इसे भारी शुल्क वाले सड़क परिवहन के लिये एक संभावित प्रतिस्थापन ईंधन बनाता है।
- लाभ: यह अधिक शुल्क वाले सड़क परिवहन में लागत को कम कर एक व्यवहार्य वैकल्पिक ईंधन बन सकता है क्योंकि इसमें तुलनात्मक रूप से उच्च ऊर्जा घनत्त्व होता है।
- यह भारी शुल्क वाले वाहनों में उपयोग किये जाने के अतिरिक्त शिपिंग उद्योग के लिये भी लाभकारी होता जा रहा है।
- कम्प्रेस्ड बायोगैस (CBG): उन्नत या उच्च शुद्धता वाली बायोगैस (कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड और नमी जैसे अवांछित घटकों को हटाने के बाद) 250 बार के दबाव पर संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) नामक ईंधन में परिणामित होती है। इसमें संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) के समान गुण होते हैं और इसे सीधे सीएनजी इंजनों को बिजली प्रदान करने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है|
- उपयोग:
- बायोगैस को कई टिकाऊ परिवहन ईंधन के उत्पादन के लिये परिवर्तित किया जा सकता है।
- सीधे ईंधन के रूप में उपयोग किये जाने के अलावा बायोमीथेन को अन्य ईंधन जैसे हाइड्रोजन और मेथनॉल में भी परिवर्तित किया जा सकता है। हाइड्रोजन के उत्पादन की प्राथमिक विधि प्रकाश हाइड्रोकार्बन, विशेष रूप से मीथेन के सुधार को प्रोत्साहित करती है, जो बायोगैस को एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनाती है।
- गैसीकरण प्रतिक्रिया में मौजूद ऑक्सीजन एवं भाप की मात्रा को सीमित करके और बायो-मीथेन को उच्च तापमान (आमतौर पर 600 डिग्री सेल्सियस से अधिक) तक गर्म करके प्राप्त किया जाता है।
- इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप सिनगैस, हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड का मिश्रण बनता है। कार्बन मोनोऑक्साइड को हटाने के बाद उत्पादित हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन सेल में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है।
- सिनगैस से मेथनॉल भी उत्पन्न किया जा सकता है। मेथनॉल एक प्रभावी ईंधन है, यह गैसोलीन की तुलना में कम पार्टिकुलेट मैटर और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन करता है। इसका उपयोग गैसोलीन को सम्मिश्रण या पूरी तरह से बदलकर परिवहन ईंधन के रूप में भी किया जा सकता है। यह LNG से ज़्यादा किफायती है।
बायोगैस और मेथनॉल के संबंध में भारतीय परिदृश्य:
- CBG बायोगैस से एकमात्र परिवहन ईंधन है जिसके व्यावसायीकरण के प्रयास किये गए हैं।
- वर्तमान में भारत में बायोगैस से LBG हाइड्रोजन और मेथनॉल का उत्पादन नहीं किया जाता है। मुख्य कारण हैं:
- ऐसे डेरिवेटिव के लिये थोक में बायोगैस की अनुपलब्धता,
- इन ईंधनों के उत्पादन और विपणन के लिये आधारभूत संरचना का अभाव,
- संशोधित ऑटोमोबाइल इंजनों की कमी के साथ-साथ प्रभाविता की कमी। प्रक्रिया अर्तव्यवस्था में सुधार के लिये अनुसंधान और विकास की कमी।
- सरकारी पहल: भारत सरकार वर्ष 2018 में शुरू की गई सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (SATAT) योजना के तहत CBG प्लांट स्थापित करने और तेल विपणन कंपनियों को ऑटोमोटिव और औद्योगिक ईंधन के रूप में बिक्री के लिये CBG प्रदान करने हेतु निजी व्यवसायों को प्रोत्साहित कर रही है।
- इसके अलावा भारत सरकार और नीति आयोग ने हरित ईंधन की ओर हमारे संक्रमण को तेज़ करने तथा LNG, हाइड्रोजन एवं मेथनॉल को बढ़ावा देने के लिये रोडमैप की रूपरेखा तैयार की है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
इथियोपिया
प्रिलिम्स के लिये:हॉर्न ऑफ अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, लाल सागर, ईस्ट अफ्रीका कम्युनिटी मेन्स के लिये:इथियोपिया में संघर्ष और आगे की राह, भारत-इथियोपिया संबंध। |
चर्चा में क्यों?
इथियोपियाई सरकार की एक टीम और टाइग्रे बलों (Tigray Forces) के बीच दक्षिण अफ्रीका में शांति वार्ता होने वाली है।
शांति वार्ता हेतु मार्ग प्रशस्त:
- इथियोपिया और इरिट्रिया का सामना करने वाली राजनीतिक, आर्थिक एवं सुरक्षा समस्याओं के स्पेक्ट्रम ने एक ऐसी रणनीति का मार्ग प्रशस्त किया जिसमें अनिवार्य रूप से सुलह और लोकतंत्रीकरण, सामाजिक तथा आर्थिक विकास और महत्त्वपूर्ण रूप से पश्चिमी दुनिया के साथ संबंध शामिल थे।
- अफ्रीकी संघ के नेतृत्व में दोनों के बीच यह पहली औपचारिक शांति वार्ता है और यह ऐसे समय में हो रहा है जब इथियोपिया की सेना और सहयोगियों को इथियोपिया के उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र में कुछ लाभ हो सकता है।
- इथियोपिया के वर्तमान नेता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता (2019) अबी अहमद वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री बनने तक देश के सत्तारूढ़ गठबंधन में टाइग्रे की एक प्रमुख ताकत थे।
इथियोपिया:
- यह हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थित भूमि से घिरा एक देश है, जिसे आधिकारिक तौर पर इथियोपिया के संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में जाना जाता है।
- देश पूरी तरह से उष्णकटिबंधीय अक्षांशों के भीतर स्थित है और समान उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम आयामों के साथ अपेक्षाकृत कॉम्पैक्ट है।
- इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा (Addis Ababa) है।
- इथियोपिया दुनिया के सबसे पुराने देशों में से एक है, इसकी क्षेत्रीय सीमा इसके अस्तित्व के सहस्राब्दियों से भिन्न है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से यह अफ्रीका का दसवाँ सबसे बड़ा देश है।
- इथियोपिया सूडान के दक्षिण-पूर्व में, इरिट्रिया के दक्षिण में, जिबूती और सोमालिया के पश्चिम में, केन्या के उत्तर में और दक्षिण सूडान के पूर्व में स्थित है।
- यह दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला स्थल-रुद्ध देश है।
इथोपिया में संघर्ष:
- पृष्ठभूमि:
- इथियोपिया एक शाही राज्य था जो क्षेत्रीय और धार्मिक प्रतिद्वंद्विता के उदय के साथ धीरे-धीरे कमज़ोर होता गया।
- वर्तमान में इथियोपिया में 70 से अधिक जातीय समूह हैं। इसमें ओरोमो 34.5%, अमहारा 26.91%, सोमाली 6.20%, टाइग्रे 6.07% हैं।
- 1970 के दशक में एक बड़ा विद्रोह हुआ - टाइग्रे में, जहाँ मेल्स ज़नावी के नेतृत्व वाले टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) ने सैन्य सरकार और उसकी नीतियों के खिलाफ विद्रोह किया।
- इसे तत्कालीन सोवियत संघ और सहयोगियों का समर्थन था जिसने सशस्त्र बलों और मेंगिस्टु सरकार दोनों को आगे बढ़ाया, लेकिन यह समर्थन 1980 के दशक में समाप्त होना शुरू हो गया, जिससे इरिट्रिया तथा टाइग्रे के साथ संघर्ष प्रभावित हुआ।
इरिट्रिया का पृथक्करण:
- इरिट्रिया, पूर्व में इथियोपिया का हिस्सा था, 1991 में इथियोपिया से अलग हो गया था और इरिट्रिया का अधिकांश हिस्सा इरिट्रिया पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (ईपीएलएफ) के हाथों में था, जबकि इथियोपिया में यह टीपीएलएफ के हाथो में था।
- 1998 और 2000 के बीच युद्ध के कारण इरिट्रिया एवं इथियोपिया में सीमा 2018 तक तनावपूर्ण रही।
- जातीय प्रतिद्वंद्विता:
- अबी अहमद 2018 में प्रधानमंत्री पद के लिये चुने गए और इरिट्रिया के साथ सीमा विवाद को समाप्त करने के लिये एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- इस शांति समझौते के लागू होने के बाद अबी अहमद को 2019 के नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया।
- लेकिन फिर संघर्ष तब शुरू हुआ जब अहमद, जो ओरोमा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, पर टाइग्रे समुदाय के स्थानीय नेताओं ने आरोप लगाया कि समुदाय को सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों द्वारा परेशान किया जा रहा था।
- टाइग्रे के मूल निवासियों को इथियोपिया का लड़ाकू समुदाय माना जाता है और 60% वरिष्ठ सैन्य पदों पर टाइग्रे समुदाय का वर्चस्व है।
गृहयुद्ध:
- इसके साथ ही विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने अबी अहमद पर इथियोपिया में प्रेस की स्वतंत्रता को कम करने और व्यक्तिगत अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिये इंटरनेट बंद करने का आरोप लगाया है।
- अबी अहमद की नीतियों के परिणामस्वरूप, टाइग्रे समुदाय में असंतोष बढ़ गया तथा गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई।
- पड़ोसी देश इरिट्रिया, अस्मारा में टाइग्रे सेना द्वारा मिसाइलें दागी गईं, जिसके बाद इथियोपिया की संघीय सरकार ने टाइग्रे आर्मी (टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट) के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की घोषणा की।
इस संघर्ष के निहितार्थ:
- पड़ोसी देशों पर प्रभाव:
- इथियोपिया हॉर्न ऑफ अफ्रीका का क्षेत्र है जिसमें इथियोपिया के अलावा इरिट्रिया, ज़िबूती और सूडान जैसे देश हैं। इथियोपिया के टाइग्रे समुदाय द्वारा इरिट्रिया की राजधानी में मिसाइलों का प्रक्षेपण अन्य देशों को भी संदेह के दायरे में लाता है।
- ब्लू नाइल पर जलविद्युत परियोजना:
- टाइग्रे तनाव ब्लू नाइल पर बड़ी जलविद्युत परियोजना, 6,450 मेगावाट ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां बाँध से भी जुड़ी हुई है, जो अफ्रीका की सबसे बड़ी जलविद्युत व्यवस्था होगी।
- यह तिग्रेयान सीमा से कुछ सौ किलोमीटर दूर और सूडान के साथ सीमा के ऊपर एवं पूर्व में है।
- सूडान और मिस्र, जो नील नदी पर निर्भर हैं, जल प्रतिबंधों की चिंता करते हैं,जो क्षेत्रीय शांति के लिये खतरा हैं।
- वैश्विक प्रभाव:
- वैश्विक संगठन भी इस संघर्ष से प्रभावित हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष ने इथियोपिया में संघर्ष की निंदा की है।
- टाइग्रे के साथ संघर्ष विश्व के लिये चिंता का विषय है क्योंकि इसका प्रभाव सीमाओं को पार कर सकता है और उत्तर-पूर्वी अफ्रीका में संकट की संभावनाओं को जन्म दे सकता है।
- भारत पर प्रभाव:
- भारत वर्तमान में अफ्रीका को अपनी कूटनीति का अहम हिस्सा मानता है। भारत द्वारा अफ्रीकी देशों में विभिन्न प्रकार के कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इथोपिया में शैक्षिक कार्य और औद्योगिक कार्य भारतीयों द्वारा किये जाते हैं।
भारत-इथियोपिया संबंध का इतिहास:
- इथियोपिया अफ्रीका में भारत से दीर्घकालिक रियायती ऋण प्राप्त करने वाले देशों में से एक है।
- इथियोपिया को ग्रामीण विद्युतीकरण, चीनी उद्योग और रेलवे जैसे क्षेत्रों के लिये 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की ऋण सहायता स्वीकृत की गई है।
- पैन अफ्रीकन ई-नेटवर्क प्रोजेक्ट के तहत टेली-एजुकेशन और टेली-मेडिसिन सेवाएँ जुलाई 2007 में अदीस अबाबा में शुरू की गईं।
- इथियोपियाई पक्ष ने टेली-एजुकेशन परियोजना को दोहराया है, और अदीस अबाबा विश्वविद्यालय तथा दिल्ली एवं कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के बीच संबंध स्थापित किये हैं।
- वर्ष 2018-19 में इथियोपिया और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जिसमें से इथियोपिया को भारतीय निर्यात 1.23 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 55.01 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- इथियोपिया में 586 से अधिक भारतीय कंपनियाँ हैं जो 55,000 से अधिक लोगों को रोज़गार देती हैं और 4 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का लाइसेंसशुदा निवेश है।
- भारतीय निवेश का लगभग 58.7% विनिर्माण क्षेत्र में है, इसके बाद कृषि (15.6%) है।
- भारतीय मिशन अदीस अबाबा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है। मिशन ने अदीस अबाबा (अक्तूबर 2020) में गांधी@150 समारोह आयोजित किया।
आगे की राह
- अबी क्षेत्रीय राजनीतिक नेतृत्त्व, विशेष रूप से TPLF तक पहुँच सकता है, सामान्य आधार खोज सकता है और जातीय एवं क्षेत्रों के बीच संतुलन बहाल कर संघीय सरकार को विकेंद्रीकृत करके देश को शांति से चला सकता है।
- नागरिक सुरक्षा और रक्षा आवश्यक है। अफ्रीकी संघ इसमें भूमिका निभा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन से सही सुमेलित है? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (c) व्याख्या:
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