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डेली न्यूज़

  • 25 Jan, 2020
  • 36 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सागरमाथा संबाद 

प्रीलिम्स के लिये:

सागरमाथा संवाद।

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में सागरमाथा संबाद का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

नेपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले सागरमाथा संबाद (Sagarmatha Sambaad) फोरम में हिस्सा लेने के लिये आमंत्रित किया है। उल्लेखनीय है कि सागरमाथा संबाद का आयोजन 2 से 4 अप्रैल, 2020 के बीच किया जाएगा। 

प्रमुख बिंदु

  • नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, सागरमाथा संबाद फोरम में वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
  • फोरम की थीम/विषय ‘जलवायु परिवर्तन, पर्वत एवं मानवता का भविष्य’ (Climate Change, Mountains and the Future of the Humanity) होगा।
  • इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान समेत दक्षेस (SAARC) देशों के सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया है।
  • इस ‘संबाद’ का मुख्य उद्देश्य जलवायु संकट और इसके दुष्प्रभाव से निपटने के लिये राजनीतिक नेताओं की दृढ़ इच्छाशक्ति को बढावा देने हेतु आपस में एक आम सहमति बनाना है। दक्षेस (सार्क) देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल है।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC)

  • सार्क (South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है।
  • इस समूह में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं। 2007 से पहले सार्क के सात सदस्य थे, अप्रैल 2007 में सार्क के 14वें शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान इसका आठवाँ सदस्य बन गया था।
  • सार्क की स्थापना 8 दिसंबर, 1985 को हुई थी और इसका मुख्यालय काठमांडू (नेपाल) में है। सार्क का प्रथम सम्मेलन ढाका में दिसंबर 1985 में हुआ था।
  • प्रत्येक वर्ष 8 दिसंबर को सार्क दिवस मनाया जाता है। संगठन का संचालन सदस्य देशों के मंत्रिपरिषद द्वारा नियुक्त महासचिव द्वारा की जाती है, जिसकी नियुक्ति तीन साल के लिये देशों के वर्णमाला क्रम के अनुसार की जाती है।

सागरमाथा संबाद का नामकरण

  • इसका नाम दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) के नाम पर रखा गया है, जो मित्रता का प्रतीक है और इसका उद्देश्य मानवता के हित की धारणा को बढ़ावा देना है।

स्थापना

  • एक स्थायी वैश्विक मंच के रूप में वर्ष 2019 में संबाद की स्थापना हुई थी। इसका मुख्यालय काठमांडू (नेपाल) में है।
  • संबाद नेपाल के विदेश मंत्रालय, विदेशी मामलों के संस्थान (IFA) और नीति अनुसंधान संस्थान (PRI) की एक संयुक्त सहयोगी पहल है।

संबाद की प्रमुख विशेषताएँ

  • सागरमाथा संबाद एक बहु-हितधारक संवाद मंच है जो वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महत्त्व के सबसे प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिये प्रतिबद्ध है। एक मंच के रूप में, यह व्यापक आयामों से जुड़े समाज के ऐसे सभी क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाता है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के साथ-साथ बेहतर प्रभाव और क्षमता रखते हैं।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

नीलगिरी में विदेशी वृक्षों का रोपण

प्रीलिम्स के लिये:

नीलगिरी पहाड़ियाँ

मेन्स के लिये:

नीलगिरी पहाड़ियाँ तथा पर्यावरण पर विदेशी पौधों के रोपण का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

एक स्थानीय गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने नीलगिरी में बड़े पैमाने पर विदेशी वृक्षों के रोपण का प्रस्ताव दिया है।

प्रमुख बिंदु

  • एक विदेशी पौधा (Exotic Plant) एक ऐसा पौधा होता है, जिसे उद्देश्यपूर्ण या आकस्मिक रूप से, अपनी मूल सीमा के बाहरी क्षेत्र में प्रवेश कराया जाता है।
  • संरक्षण वादियों का तर्क है कि विदेशी वृक्षों के रोपण से मिट्टी की रासायनिक संरचना एवं वन्यजीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और दीर्घकालिक रूप से यह पर्यावरण के लिये भी हानिकारक साबित होगा।
  • जब किसी क्षेत्र विशेष में विदेशी पौधों को रोपित किया जाता हैं, तो इससे उस क्षेत्र में पानी की मांग बढ़ जाती है, जिससे न केवल नीलगिरी बल्कि अन्य ज़िले भी प्रभावित होंगे जो मूलतः उस क्षेत्र विशेष पहाड़ियों से निकलने वाली नदियों पर निर्भर हैं। इस प्रकार इस क्षेत्र के वन्यजीवों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • विदेशी वृक्षों के रोपण के संबंध में यह तर्क दिया जा रहा है कि यदि इन्हें पहाड़ी ढलानों पर रोपित किया जाता है तो ये ढलानों की मिट्टी की स्थिरता में वृद्धि करेंगे।
  • हालाँकि संरक्षणवादियों का तर्क है कि विदेशी वृक्षों की जड़ें बहुत उथली होती हैं, अक्सर इस प्रकार के वृक्ष उच्च-वेग वाली हवाओं और भारी बारिश में उखड़ जाते हैं, जबकि इस प्रकार का मौसम नीलगिरी के मानसून की प्रमुख विशेषता है।
  • अतः इस विषय में सरकार को एक ऐसी नीति बनानी चाहिये जो यह तय कर सकें कि नीलगिरि में सार्वजनिक स्थानों पर केवल पारिस्थितिक महत्त्व वाले (इस क्षेत्र की भौगोलिक विशेषता एवं जैव-विविधता को ध्यान में रखते हुए) वृक्षों को ही रोपित किया जाना चाहिये।

नीलगिरि पहाड़ियाँ

  • पश्चिमी घाट को स्थानीय रूप से महाराष्ट्र में सह्याद्री, कर्नाटक और तमिलनाडु में नीलगिरि और केरल में अन्नामलाई और इलायची/कार्डामम पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है।
  • नीलगिरी, अनामलाई और पलानी पहाड़ियों में समशीतोष्ण वनों को ‘शोला’ कहा जाता है।

शोला वन

  • नीलगिरी, अन्नामलाई और पालनी पहाड़ियों पर पाए जाने वाले शीतोष्ण कटिबंधीय वनों को स्थानीय रूप से ‘शोलास’ के नाम से जाना जाता है। 
  • 'शोला' (shola) शब्द तमिल शब्द 'कोलाइ' (cholai) का अपभ्रंश रूप है, जिसका अर्थ होता है- ठंडा स्थान या जंगल।
  • इन वनों में पाए जाने वाले वृक्षों में मगनोलिया, लैरेल, सिनकोना और वैटल का आर्थिक महत्त्व है।
  • पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचाई बढ़ने के साथ तापमान में कमी आने के कारण प्राकृतिक वनस्पति में भी बदलाव आता है। यहाँ ऊँचाई वाले क्षेत्रों में शीतोष्ण कटिबंधीय और निचले क्षेत्रों में उपोष्ण कटिबंधीय प्राकृतिक वनस्पतियाँ पाई जाती है। 
  • तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक प्रांत की पर्वत श्रृंखलाएँ उष्णकटिबंध क्षेत्र में पड़ती हैं और इनकी समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 1500 मीटर है।

स्रोत: द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक-2020

प्रीलिम्स के लिये:

वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक-2020

मेन्स के लिये:

AI क्षेत्र के परिप्रेक्ष्य में वैश्विक प्रतिभा सूचकांक में आए परिवर्तन 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक-2020 (Global Talent Competitive Index-2020) को इनसीड (INSEAD) बिज़नेस स्कूल द्वारा गूगल (Google) और एडिको समूह (Adecco Group) के सहयोग से जारी किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2020 के वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक की थीम ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में वैश्विक प्रतिभा’ (Global Talent in the Age of Artificial Intelligence) है।
  • वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक- 2020 (Global Talent Competitive Index 2020) में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले 20 देशों में 13 यूरोपीय देश शामिल हैं। यह सूचकांक प्रतिस्पर्द्धा में यूरोपीय देशों की प्रतिभा के वर्चस्व को प्रदर्शित करता है।
  • इस सूचकांक को 132 देशों की रैंकिंग के आधार पर जारी किया गया है।

सूचकांक में भारत की स्थिति:

global-talent

  • इस सूचकांक में भारत को 40.42 के स्कोर के साथ 72वाँ स्थान प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में जारी इस सूचकांक में भारत को 80वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
  • भारत में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के प्रति बढ़ती असहिष्णुता के संबंध में आंतरिक स्तर पर सुधार किये जाने की आवश्यकता है।

ब्रिक्स देशों में भारत की स्थिति:

  • अगर भारत के स्थान की ब्रिक्स (BRICS) देशों से तुलना की जाए तो निम्नलिखित तीन देशों ने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है-
    • चीन- 42वाँ स्थान
    • रूस- 48वाँ स्थान
    • दक्षिण अफ्रीका- 70वाँ स्थान
  • वहीं भारत ने ब्राज़ील (80वाँ स्थान) से बेहतर प्रदर्शन किया है।

वैश्विक परिदृश्य:

  • इस सूचकांक में शीर्ष 5 स्थान प्राप्त करने वाले देश क्रमशः स्विट्ज़रलैंड, अमेरिका, सिंगापुर, स्वीडन तथा डेनमार्क हैं।
  • इस सूचकांक में शीर्ष 25 देश उच्च आय समूह से संबंधित हैं, जिनमें से 17 यूरोपीय देश हैं।
  • इस सूचकांक में अंतिम स्थान यमन (Yemen) को प्राप्त हुआ है 
  • लगभग सभी उच्च आय वाले देशों और विश्व के बाकी हिस्सों के बीच प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा के अंतर में वृद्धि हो रही है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) संबंधी दृष्टिकोण:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संबंध में भी विश्व के विभिन्न देशों तथा क्षेत्रों के बीच अंतर देखा जा सकता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिये एक सक्रिय सहकारी दृष्टिकोण संबंधी सोच विकसित करनी होगी।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता संबंधी प्रतिभा को उद्योगों, क्षेत्रों और राष्ट्रों में समान रूप से वितरित किया जाना चाहिये।
  • विकासशील देशों की आधी से अधिक जनसंख्या अभी भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता संबंधी आधारभूत डिजिटल कौशल से वंचित है तथा विभिन्न देशों के बीच डिजिटल कौशल संबंधी योग्यता के अंतर में वृद्धि हुई है।
  • कुछ विकासशील देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं परंतु अभी भी बहुत से विकासशील देश इस क्षेत्र में काफी पिछड़े हुए हैं। 
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता संबंधी नकारात्मक प्रभावों को कम करने तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक तक सभी की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण करना होगा।

वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक के बारे में:

  • वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक को नवंबर 2013 से इनसीड (INSEAD) बिज़नेस स्कूल द्वारा जारी किया जाता है।
  • इस सूचकांक के मापन के मुख्य पैमाने प्रतिभा विकास और प्रबंधन को केंद्रीय प्राथमिकता के रूप में शामिल करना, उद्यमी प्रतिभा के लिये खुलापन, खुली सामाजिक-आर्थिक नीतियाँ साथ ही नवाचार के लिये मज़बूत और जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र आदि होते हैं।

स्रोत- बिज़नेस टुडे


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ब्लू कॉर्नर नोटिस 

प्रीलिम्स के लिये:

इंटरपोल, CBI, ब्लू कॉर्नर नोटिस, इंटरपोल द्वारा जारी नोटिस  

मेन्स के लिये:

इंटरपोल का अंतर्राष्ट्रीय पुलिस व्यवस्था में योगदान

चर्चा में क्यों?

22 जनवरी, 2019 को इंटरपोल (Interpol) ने भगोड़े नित्यानंद का पता लगाने में मदद करने के लिये एक ब्लू कॉर्नर नोटिस (Blue Corner Notice) जारी किया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु 

  • गुजरात पुलिस द्वारा इंटरपोल से इस संदर्भ में हस्तक्षेप किये जाने की मांग के बाद इस संस्था ने भगोड़े नित्यानंद का पता लगाने में मदद करने हेतु एक ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया है।
  • ध्यातव्य है कि नित्यानंद बलात्कार और यौन शोषण का आरोपी है तथा उसने भारत से भाग कर कथित तौर पर ‘कैलासा’ नामक एक नए देश का गठन किया है।
  • भविष्य में इसके खिलाफ गिरफ्तारी से संबंधित रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया जा सकता है।

इंटरपोल द्वारा जारी नोटिस:

इंटरपोल द्वारा जारी किया जाने वाला नोटिस सदस्य देशों में पुलिस को अपराध से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा करने में सहयोग या अलर्ट (Alert) के लिये अंतर्राष्ट्रीय अनुरोध होता है।

नोटिस के प्रकार: इंटरपोल द्वारा मुख्यतः 7 प्रकार के नोटिस जारी किये जाते हैं-

  • रेड नोटिस (Red Notice): यह नोटिस सभी इंटरपोल सदस्य देशों में संदिग्धों को ट्रैक करने और गिरफ्तार करने के लिये सुरक्षा एजेंसियों को अनुमति देता है ताकि उनके खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू की जा सके।
  • येलो नोटिस (Yellow Notice): लापता नाबालिगों को खोजने या उन व्यक्तियों की पहचान करने (जो स्वयं को पहचानने में असमर्थ हैं) में मदद के लिये।
  • ब्लैक नोटिस (Black Notice): अज्ञात शवों की जानकारी लेने के लिये।
  • ग्रीन नोटिस (Green Notice): किसी ऐसे व्यक्ति की आपराधिक गतिविधियों के बारे में चेतावनी जारी करना, जिसे सार्वजनिक सुरक्षा के लिये संभावित खतरा माना जाता है।
  • ऑरेंज नोटिस (Orange Notice): किसी घटना, व्यक्ति, वस्तु या प्रक्रिया को सार्वजनिक सुरक्षा के लिये एक गंभीर और आसन्न खतरा मानकर चेतावनी देने के लिये।
  • पर्पल नोटिस (Purple Notice): अपराधियों द्वारा उपयोग किये जाने वाले स्थानों, प्रक्रियाओं, वस्तुओं, उपकरणों, या उनके छिपने के स्थानों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिये।
  • ब्लू नोटिस (Blue Notice): यह नोटिस किसी अपराध के संबंध में व्यक्ति की पहचान, स्थान या गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी एकत्र करने के लिये जारी किया जाता है।
  • इंटरपोल-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विशेष नोटिस: उन समूहों और व्यक्तियों के लिये जारी किया जाता है जो समूह और व्यक्ति UNSC (United Nation Security Council) प्रतिबंधों के अधीन हैं।

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क्या है ब्लू कॉर्नर नोटिस? 

  • यह नोटिस किसी अपराध के संबंध में व्यक्ति की पहचान, स्थान या गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त जानकारी एकत्र करने के लिये जारी किया जाता है।
  • ध्यातव्य है कि केंद्रीय जाँच ब्यूरो () की वेबसाइट पर ब्लू नोटिस को 'B सीरीज़ (ब्लू) नोटिस' के रूप में संदर्भित किया गया है। 'बी' शृंखला नोटिस को 'जाँच नोटिस' भी कहा जाता है और इसे किसी की पहचान सत्यापित करने, किसी व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड का विवरण प्राप्त करने या किसी ऐसे व्यक्ति जो लापता या अज्ञात अंतर्राष्ट्रीय अपराधी है या सामान्य आपराधिक कानून के उल्लंघन के लिये दोषी है,  का पता लगाने या प्रत्यर्पण के अनुरोध के लिये जारी किया जा सकता है।

इंटरपोल के बारे में

  • इंटरपोल (Interpol) का पूरा नाम अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संस्था (International Criminal Police Organization) है।
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो विभिन्न देशों की पुलिस के बीच सहयोग कर अंतर्राष्ट्रीय अपराधियों को पकड़ती है। 
  • इसका मुख्यालय फ्राँस  के लियोन (Lyon) शहर में है।

स्रोत: द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस 


विश्व इतिहास

विश्वविद्यालयों में महिला पीठों की स्थापना

प्रीलिम्स के लिये:

पीठों के लिये प्रस्तावित नाम

मेन्स के लिये:

सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण हेतु उठाए गए कदम

संदर्भ

24 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी 10 पीठों के गठन की घोषणा की गई। 

उद्देश्य:

इसका उद्देश्य अनुसंधान गतिविधियों में महिलाओं को प्रोत्साहित करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस पहल को ‘विश्वविद्यालयों में पीठों की स्थापना’ का नाम दिया गया है।
  • इसके तहत प्रशासन, कला, विज्ञान और सामाजिक सुधार के क्षेत्रों में प्रसिद्ध महिलाओं के नाम पर पीठों की स्थापना की जाएगी।
  • इसके अलावा इस पहल का उद्देश्य देश की बालिकाओं और महिलाओं को उच्च शिक्षा की प्राप्ति के लिये  प्रेरित करना है।
  • इसके लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) वित्तीय  सहायता प्रदान करेगा।
  • इसके तहत प्रति पीठ के लिये प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए का वित्तीय प्रस्ताव रखा गया है।
  • UGC के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आरंभ में 5 वर्षों के लिये पीठों की स्थापना की जाएगी।

UGC द्वारा प्रस्तावित और मंत्रालय द्वारा स्वीकृत पीठों का विवरण इस प्रकार है:

क्र.सं. विषय पीठ का प्रस्तावित नाम
1. प्रशासन देवी अहिल्याबाई होल्कर (अहिल्याबाई को एक दार्शनिक रानी के रूप में जाना जाता है।)
2. साहित्य महादेवी वर्मा (हिंदी भाषा की प्रख्यात कवयित्री)
3. स्वतंत्रता सेनानी (पूर्वोत्तर) रानी गैडिनल्यु (स्वतंत्रता सेनानी)
4. औषधि एवं स्वास्थ्य आनंदीबाई गोपालराव जोशी (पहली भारतीय महिला चिकित्सक)
5. मंचकला एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी ( भारत की पहली गायिका जिन्हें सर्वोच्च नागरिक अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित किया गया)
6. वन/वन्यजीव संरक्षण अमृता देवी बेनीवाल (चिपको आंदोलन से संबंधित) 
7. गणित लीलावती (प्राचीन काल की गणितज्ञ)
8. विज्ञान कमला सोहोनी (विज्ञान के क्षेत्र में पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला)
9. कविता एवं रहस्यवाद लल्ल-दय्द (लल्लेश्वरी, 14वीं सदी की प्रसिद्ध कवयित्री)
10. शैक्षिक सुधार हंसा मेहता (भारत में एक सह-शिक्षा विश्वविद्यालय की कुलपति नियुक्त होने वाली पहली महिला)

 कार्य:

  • पीठों का मुख्य कार्य अकादमिक गतिविधियों में अनुसंधान को शामिल करना तथा जन-नीति बनाने में विश्वविद्यालय/अकादमिक संस्थानों की भूमिका को मज़बूत करना।
  • उच्च शिक्षा में अध्यापकों के लिये अल्पकालीन क्षमता निर्माण कार्यक्रम (Short-term Capacity Building Programme) तैयार करना और इसको क्रियान्वित करना।

मूल्यांकन: 

  • विश्वविद्यालय वार्षिक स्तर पर पीठ की प्रगति की समीक्षा करेंगे और 5 वर्षों के बाद UGC को पीठ की गतिविधियों तथा परिणाम के बारे में अंतिम रिपोर्ट सौंपेंगे।
  • इसके अतिरिक्त UGC किसी भी स्तर पर पीठ को कायम रखने के विषय में समीक्षा कर सकता है।

स्रोत: PIB


भारतीय अर्थव्यवस्था

विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक का विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग

मेन्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग का निर्माण करने का कारण

चर्चा मे क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने अपने ‘विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग’ (Specialised Supervisory and Regulatory Cadre-SSRC) में नियुक्ति संबंधी कुछ दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

मुख्य बिंदु:

  • RBI ने विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग के 35% पदों को खुली भर्ती के माध्यम से भरने का निर्णय लिया है, जबकि शेष 65% पद आंतरिक पदोन्नति के माध्यम से भरे जाएंगे।
  • RBI के केंद्रीय बोर्ड ने 21 मई 2019 को एक बैठक के दौरान वाणिज्यिक, शहरी सहकारी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के पर्यवेक्षण एवं विनियमन को मज़बूती प्रदान करने के लिये RBI के अंतर्गत एक विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग बनाने का निर्णय लिया था।

पृष्ठभूमि:

  • 1 नवंबर, 2019 को RBI ने अपने विनियमन और पर्यवेक्षण विभागों के पुनर्गठन का निर्णय लिया था।
  • इसके माध्यम से बैंकिंग, गैर-बैंकिंग और सहकारी बैंक के नियामक विभागों का आपस में विलय कर दिया गया।
  • इसके परिणामस्वरूप SRCC केवल एक पर्यवेक्षी विभाग है जो बैंकों, NBFC और सहकारी बैंकों की देखरेख करता है तथा इन तीनों के लिये विनियामक का कार्य करता है।
  • क्या हैं RBI के वर्तमान दिशा-निर्देश?
  • RBI द्वारा जारी एक आंतरिक परिपत्र के अनुसार,  SSRC में सीधी भर्ती ग्रेड-B स्तर पर की जाएगी।
  • RBI द्वारा जारी इस परिपत्र के अनुसार, SSRC में ग्रेड-B के तहत कार्यकारी निदेशक स्तर तक के अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, अनुसंधान, डेटा विश्लेषण, मॉडल विकास, तनाव परीक्षण और विशेषज्ञ समूहों में रिक्ति को पूर्ण करने के लिये इस संवर्ग का सहारा लिया जाएगा।

SSRC के निर्माण का उद्देश्य:

  • SSRC का निर्माण संस्थाओं के पर्यवेक्षण और विनियमन हेतु एक समग्र दृष्टिकोण बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया है। 
  • इसका एक अन्य उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती जटिलता, इनका आकार और अंतर-संबद्धता को बढ़ाने के साथ-साथ संभावित प्रणालीगत जोखिम से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिये किया गया है।
  • बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non Banking Financial Companies-NBFCs) जैसी विनियमित संस्थाओं में बढ़ती जटिलता को देखते हुए RBI द्वारा एक विशेष पर्यवेक्षी और नियामक कैडर बनाने का निर्णय लिया जाना उचित है।

और पढ़ें….

वित्तीय संस्थानों के लिये नई नियामक संरचना

स्रोत- द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

समायोजित सकल राजस्व

प्रीलिम्स के लिये:

समायोजित सकल राजस्व, दूरसंचार विभाग, लाइसेंसिंग फाइनेंस पॉलिसी विंग, उच्चतम न्यायालय 

मेन्स के लिये:

भारत की प्रगति में दूरसंचार क्षेत्र का योगदान, दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ और मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue- AGR) भुगतान के संदर्भ में समयसीमा में छूट प्रदान की है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunication- DoT) की लाइसेंसिंग फाइनेंस पॉलिसी विंग (The Licensing Finance Policy Wing) ने सभी विभागों को समायोजित सकल राजस्व (AGR) से संबंधित बकाया राशि के भुगतान में विफल रहे दूरसंचार ऑपरेटरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है।
  • इस आदेश में दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि में कोई बदलाव नहीं किया गया है अपितु भुगतान की समयसीमा में वृद्धि की गई है।
  • ध्यातव्य है कि केंद्र सरकार ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को लगभग 92,000 करोड़ रुपए के बकाया समायोजित सकल राजस्व का भुगतान करने का आदेश दिया था जिसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने चुनौती संबंधी याचिका को खारिज करते हुए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को भुगतान करने के लिये एक समयसीमा निर्धारित की थी। इस समयसीमा में भुगतान न कर पाने वाले सेवा प्रदाताओं को सुरक्षा प्रदान करने हेतु सरकार ने यह निर्देश दिया है।

सरकार द्वारा भुगतान समयसीमा में वृद्धि से विभिन्न वर्गों पर प्रभाव

सेवा प्रदाताओं पर प्रभाव

यह आदेश दूरसंचार सेवा प्रदाताओं मुख्य रूप से भारती एयरटेल एवं वोडाफोन आईडिया के संचालकों के लिये एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है, अन्यथा इन सेवा प्रदाताओं को 23 जनवरी तक भुगतान न करने पर संभावित अवमानना कार्रवाई का सामना करना पड़ता।

ध्यातव्य है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पर दूरसंचार विभाग का लगभग 88,624 करोड़ रुपए बकाया है। जबकि रिलायंस जियो ने 23 जनवरी को 195 करोड़ रुपए का बकाया चुका दिया है।

उपभोक्ताओं पर प्रभाव

  • हाल के कुछ वर्षों में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बीच में अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा के कारण दूरसंचार सेवाओं के मूल्य में काफी कमी आ गई थी किंतु सरकार के समायोजित सकल राजस्व के भुगतान संबंधी आदेश के बाद भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसे सेवा प्रदाताओं पर अत्यधिक राजस्व भार पड़ने से सेवाओं के मूल्यों में वृद्धि हो गई है।
  • सरकार के इस आदेश से इन सेवा प्रदाताओं को भुगतान के लिये और समय प्राप्त होने से दूरसंचार सेवा बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा में पुनः वृद्धि हो सकती है जिसका लाभ उपभोक्ताओं को प्राप्त होगा।
  • ध्यातव्य है कि हाल के कुछ समय में वोडाफोन जैसी सेवा प्रदाता कंपनी देश से अपने व्यापार को समेटने का संकेत दे रही थी किंतु सरकार के इस आदेश से इस क्षेत्र में स्थायित्व की उम्मीद की जा सकती है। साथ ही उपभोक्ताओं को कम दाम में निरंतर सेवा प्राप्त हो सकेगी।

म्यूचुअल फंड एवं बैंकों पर प्रभाव

  • समायोजित सकल राजस्व संबंधी मुद्दे ने म्यूचुअल फंड और बैंकिंग क्षेत्र को चिंता में डाल दिया था क्योंकि दूरसंचार क्षेत्र अत्यधिक लाभान्वित क्षेत्र है और इस क्षेत्र का संकट बैंकिंग क्षेत्र को भी प्रभावित करता है।
  • ध्यातव्य है कि अकेले वोडाफोन-आइडिया पर 2.2 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, जिसका उपयोग उसने पिछले कुछ वर्षों में बुनियादी ढाँचे और फंड स्पेक्ट्रम भुगतान का विस्तार करने के लिये किया है। इससे इन सेवा प्रदाताओं को समायोजित सकल राजस्व भुगतान के लिये समय मिल जाएगा जिससे वे अपनी बाज़ार क्षमता का विस्तार और बैंक का भुगतान आसानी से कर सकेंगे।

इस संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के निर्णय

  • 24 अक्तूबर, 2019 को न्यायालय ने DoT की AGR की परिभाषा से सहमति व्यक्त की और कहा कि कंपनियों को ब्याज एवं जुर्माने के साथ सभी बकाया राशि का भुगतान करना होगा।
  • ध्यातव्य है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने DoT को समयसीमा में ढील देने के लिये मनाने की कोशिश की और असफल होने के बाद फैसले की समीक्षा के लिये न्यायालय का रुख किया था।
  • न्यायालय ने पिछले हफ्ते समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है और साथ ही AGR शेष के भुगतान की समयसीमा भी नहीं बढ़ाई है।
  • हालाँकि उच्चतम न्यायालय ने कंपनियों में संशोधन की याचिका (Companies Modification Plea) को सुनने के लिये सहमति व्यक्त की है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire: 25 जनवरी, 2020

दक्षिण एशिया के चुनाव प्रबंधन निकाय का नया अध्यक्ष

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को वर्ष 2020 के लिये दक्षिण एशिया के चुनाव प्रबंधन निकाय के अध्यक्ष के रूप चुना गया है। आयोग के अनुसार, बैठक में पाकिस्तान ने शिरकत नहीं की। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद द्विपक्षीय तनाव के कारण पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया था। निकाय में अरोड़ा निवर्तमान अध्यक्ष बांग्लादेश के निर्वाचन अधिकारी के.एम. नुरुल हुडा का स्थान लेंगे। उल्लेखनीय है कि सार्क देशों के निर्वाचन निकायों की मई 2012 में आयोजित बैठक के दौरान इस फोरम का गठन किया गया था। 

के-4 मिसाइल का सफल परीक्षण

हाल ही में भारत ने बैलिस्टिक मिसाइल के-4 का सफल परीक्षण किया है। पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली इस मिसाइल का परीक्षण आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम तट से किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे नौसेना की ताकत बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। DRDO द्वारा विकसित यह मिसाइल 3500 किलोमीटर तक हमला कर सकती है। इस मिसाइल को भारत की अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों पर तैनात किया जाएगा।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी हालिया आँकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 17 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 94.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 462.16 अरब डॉलर की अब तक की नई रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया है। ज्ञात हो कि इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 5.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 461.21 अरब डॉलर हो गया था। किसी देश में समय विशेष में कुल विदेशी मुद्रा को विदेशी मुद्रा भंडार कहते हैं। किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी परिसंपत्तियाँ, स्वर्ण भंडार, IMF के पास रिज़र्व कोष और विशेष आहरण अधिकार (SDR) को शामिल किया जाता है।


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