भारत का राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज
चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ‘भारत के राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज’ (National Internet Exchange of India- NIXI) की तीन नई पहलों/सेवाओं का उद्घाटन किया है।
- IPv4 से IPv6 तक सुगम संचरण सुनिश्चित करने तथा उसे अपनाने से संबंधित वातावरण के निर्माण के लिये IP गुरु, NIXI अकादमी, NIXI-IP-INDEX शुरू किये गए हैं।
प्रमुख बिंदु:
भारत का राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज:
- NIXI निम्नांकित गतिविधियों के माध्यम से इंटरनेट की बुनियादी अवसंरचना तक भारत के नागरिकों की पहुँच स्थापित करने के लिये वर्ष 2003 से काम कर रही एक गैर-लाभकारी संस्था (कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत) है:
- इंटरनेट एक्सचेंज के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP’s), डेटा केंद्रों और सामग्री वितरण नेटवर्क (CDNs) के बीच इंटरनेट डेटा का आदान-प्रदान करना।
- .IN रजिस्ट्री, .IN कंट्री कोड डोमेन और .BHARAT IDN (अंतर्राष्ट्रीय डोमेन नाम) डोमेन का पंजीकरण, प्रबंधन और संचालन।
- इंटरनेट नाम और संख्या (IRINN) के लिये भारतीय रजिस्ट्री, इंटरनेट प्रोटोकॉल (IPv4/IPv6) का प्रबंधन और संचालन।
तीन नई पहलें:
- IPv6 विशेषज्ञ पैनल (IP गुरु):
- यह उन सभी भारतीय संस्थाओं को समर्थन देने वाला समूह है, जो IPv6 को स्थानांतरित करने और अपनाने के लिये तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है। यह अपनी सेवाएँ नि:शुल्क दे रहा है।
- यह दूरसंचार विभाग (DOT), MeitY और उद्योग का एक संयुक्त प्रयास है।
NIXI अकादमी:
- NIXI अकादमी भारत में लोगों को तकनीकी/गैर-तकनीकी शिक्षा प्रदान करने और IPv6 जैसी तकनीकों को फिर से तैयार करने के लिये बनाई गई है, जो आमतौर पर शैक्षिक संस्थानों में नहीं सिखाई जाती है।
- सफल उम्मीदवार (परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद) NIXI से प्रमाण पत्र ले सकते हैं, जो उद्योगों में नौकरी खोजने के लिये उपयोगी होगा।
NIXI-IP-INDEX :
- NIXI ने इंटरनेट कम्युनिटी के लिये एक IPv6 इंडेक्स पोर्टल विकसित किया है।
- NIXI-IP-INDEX पोर्टल भारत और दुनिया भर में IPv6 को स्वीकार करने की दर को प्रदर्शित करेगा। इसका उपयोग दुनिया में अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में प्रयोग होने वाले IPv6 दर की तुलना करने के लिये किया जा सकता है।
- इसमें IPv6, IPv6 वेब ट्रैफिक आदि को अपनाने के बारे में विवरण भी शामिल होगा।
IPv4 से IPv6 में संचरण:
- IP: 'IP' का मतलब 'इंटरनेट प्रोटोकॉल' है। यह नियमों का एक समूह है जो यह बताता है कि सार्वजनिक नेटवर्क (इंटरनेट) पर डेटा कैसे पहुँचाया जाना चाहिये।
IPv4:
- IPv4, IP का पहला प्रमुख संस्करण था। यह वर्ष 1983 में ARPANET में उत्पादन के लिये तैनात किया गया।
- यह सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला IP संस्करण है। इसका उपयोग एड्रेसिंग सिस्टम का उपयोग करके नेटवर्क पर उपकरणों की पहचान करने के लिये किया जाता है।
- IPv4 एक ‘32-बिट एड्रेस स्कीम’ का उपयोग करता है। अब तक इसे प्राथमिक इंटरनेट प्रोटोकॉल माना जाता है और यह इंटरनेट ट्रैफिक का 94% वहन करता है।
- यह लगभग 4.3 बिलियन एड्रेसेज़ की एड्रेसिंग क्षमता प्रदान करता है।
IPv6:
- यह इंटरनेट प्रोटोकॉल का सबसे नवीनतम संस्करण है। ‘इंटरनेट इंजीनियर टास्क फोर्स’ ने वर्ष 1994 की शुरुआत में इसे शुरू किया था। इसके डिज़ाइन और विकसित अवस्था को अब IPv6 कहा जाता है।
- अधिक इंटरनेट एड्रेस की आवश्यकता को पूरा करने के लिये इस नए आईपी एड्रेस संस्करण का प्रयोग किया जा रहा है।
- IPv6 को IPng (इंटरनेट प्रोटोकॉल की अगली पीढ़ी) भी कहा जाता है।
- इसमें अनंत संख्या में इंटरनेट एड्रेस प्रदान करने की क्षमता है।
- 128-बिट एड्रेस स्पेस के साथ यह 340 अनडीसिलियन (Undecillion) यूनीक एड्रेस स्पेस प्रदान करता है। यह दुनिया भर में नेटवर्क की बढ़ती संख्या को आसानी से समायोजित कर सकता है और ‘आईपी एड्रेस एक्जहोस्ट’ की समस्या को हल करने में मदद करता है।
IPv6 को अपनाने के लाभ:
- IPv6 द्वारा प्रदान किया जाने वाला सबसे प्रमुख लाभ ‘एक्सपोनेंशियल एड्रेस स्पेस’ है जो कि व्यावहारिक रूप से भविष्य के लिये अति महत्त्वपूर्ण है। यह सेवा प्रदाताओं, उद्यमों और अंतिम उपयोगकर्ताओं को सरल, सहज एवं लागत प्रभावी कनेक्टिविटी की अनुमति देता है।
- यह 5G के साथ विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है, जो इंटरनेट से कनेक्ट होने वाले उपकरणों की कुल संख्या में बड़े पैमाने पर वृद्धि करेगा।
- IPv6 ऑपरेटिंग सिस्टम स्वचालित रूप से दो IPv6 एड्रेसेज़ का निर्माण करता है। डिवाइस पहचान को छिपाने के लिये सफिक्स में यादृच्छिक मैक एड्रेसेज़ के साथ एक IPv6 और वास्तविक मैक पते के साथ एक और IPv6 जो केवल एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड अनुप्रयोगों के लिये उपयोग किया जाता है।
- IPv6 में ‘एंड-यूज़र प्राइवेसी’ की सुरक्षा के लिये एक प्राइवेसी प्रोटोकॉल है। वर्तमान इंटरनेट (v4) में प्रभावी गोपनीयता और प्रभावी प्रमाणीकरण तंत्र का अभाव है।
भारत का महत्त्व:
- वैश्विक साइबर स्पेस और डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये इंटरनेट अवसंरचना का सतत् विकास और उद्भव आवश्यक है और IPv6 रूट सर्वर जो कि इंटरनेट को नियंत्रित एवं प्रबंधित करता है, एक बेहतरीन उपकरण के रूप में काम कर सकता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का निर्माण किया जाना आवश्यक है। एक महत्वपूर्ण इंटरनेट संसाधन के रूप में IPv6 रूट सर्वर सिस्टम इंटरनेट की सुरक्षा और स्थिरता का प्रबंधन करने के लिये ज़रूरी है।
- यह महत्त्वपूर्ण IT अवसंरचना देश में विशेषज्ञता निर्माण में योगदान देगा और साथ ही देश के भीतर एक प्रमुख तकनीकी ज्ञान आधार को बढ़ावा देगी तथा देश के भीतर एक रूट सर्वर होने से भारतीय कानूनी अधिकारियों को निगरानी की सुविधा प्राप्त होगी।
स्रोत-पीआईबी
मंकीडक्टाइल (MONKEYDACTYL) : टेरोसॉरस प्रजातियाँ
चर्चा में क्यों?
चीन के लिओनिंग स्थित तिओजिशन संरचना में नई टेरोसॉरस प्रजाति के एक ऐसे जीवाश्म की खोज की गई है जो लगभग 160 मिलियन वर्ष पुराना है।
- इसे 'कुनपेंगोप्टेरस एंटीपॉलिकैटस' (Kunpengopterus Antipollicatus) नाम दिया गया है, जिसे 'मंकीडक्टाइल' भी कहा जाता है।
तिओजिशन संरचना:
- भौगोलिक रूप से तिओजिशन संरचना व्यापक रूप से चीन के पश्चिमी लिओनिंग प्रांत और उसके सीमावर्ती प्रांत उत्तरी हेबै (Hebei) में विस्तृत है।
- यह स्थलीय संरचना मध्यवर्ती लावा और पाइरोक्लास्टिक चट्टानों से निर्मित है, जो मूलत: ज्वालामुखीय चट्टानों और अवसादी निक्षेपों से मिलकर बनी है।
- यहाँ प्रचुर मात्रा में कुशल विधि द्वारा जीवाश्म पौधों [पत्ते, बीज और फल, अनुमेय राइजोम्स (permineralized rhizomes) तथा लकड़ी सहित] को संरक्षित किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
टेरोसॉरस के बारे में :
- टेरोसॉरस प्रजाति सरीसृप वर्ग के अंतर्गत आती है, जो कि डायनासोर वर्ग से संबंधित है। कीटों के बाद ये पहले ऐसे जानवर हैं जो उड़ने में सक्षम हैं।
- इनकी विभिन्न प्रजातियाँ आकार में अत्यंत बड़े (F-16 जेट विमान के आकार के) तथा अत्यंत छोटे (कागज़ के जहाज के आकार के) भी हो सकते हैं।
- इनकी उत्पत्ति मेसोज़ोइक युग (252.2 मिलियन से 66 मिलियन वर्ष पूर्व) के सभी कालखंडों (ट्रायसिक, जुरासिक और क्रेटेशियस) के दौरान हुई।
मंकीडक्टाइल जीवाश्म (कुनपेंगोप्टेरस एंटीपॉलिकैटस) के बारे में:
- ग्रीक भाषा में 'एंटीपॉलिकैटस'(Antipollicatus) का अर्थ है- 'सम्मुख अँगूठा (Opposable Thumbs)' जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है कि चीन के शोधकर्त्ताओं ने पहली बार जुरासिक युग की टेरोसॉरस प्रजाति के एक ऐसे जीवाश्म की खोज की है, जिसमें सम्मुख अँगूठे (Opposable Thumbs) पाए जाते हैं, यह लक्षण इसे अन्य प्रजातियों से अलग करता है।
- यह संभवतः अंग का सबसे पहला ज्ञात उदाहरण हो सकता है।
- यह 2019 में पहचान की गई प्रजाति की तुलना में बहुत पुराना है।
- पुरातत्व वैज्ञानिकों ने इस प्रजाति की पहचान एक टेरोसॉरस प्रजाति के रूप में की है जो 77 मिलियन वर्ष पहले वर्तमान पश्चिमी कनाडा में रहते थे।
- इसे क्रायोड्राकॉन बोरिया (Cryodrakon boreas) नाम दिया गया और यह माना जाता था कि यह सबसे बड़े उड़ने वाले जानवरों में से एक है, जो डायनासोर के सिर से अधिक ऊँचा उड़ता है, जिसके पंख की लंबाई 10 मीटर से अधिक होती है।
सम्मुख अँगूठे (Opposable Thumbs):
- परिचय:
- अँगूठे की विपरीतता का आशय - अँगूठे के लचीलेपन, मज़बूत पकड़ और अत्यधिक घुमावदार से है, ताकि एक अँगूठे की नोक को दूसरी उंगलियों के बीच मज़बूत पकड़ बनाई जा सके।
- मानव के साथ-साथ कुछ प्राचीन बंदरों और वानरों के भी सम्मुख अँगूठे के साक्ष्य मिले थे।
- हालाँकि, मानव का अँगूठा अपेक्षाकृत लंबा और नियमित दूरी पर होता है और अंगूठे की मांसपेशियाँ बड़ी होती हैं।
- इसका अर्थ है कि छोटी वस्तुओं को धारण करने की मानव की अगुलियों की सटीक पकड़ गैर-मानव प्रजातियों से बेहतर होती है। यही कारण है कि मनुष्य एक कलम पकड़ने में, एक कान की बाली को खोलने में या सुई में धागा डालने में सक्षम है।
- मंकीडक्टाइल और अँगूठे की विपरीतता:
- अनुसंधान दल ने एंटीपॉलिकैटस के जीवाश्म को स्कैन करने के लिये 'सूक्ष्म-गणना टोमोग्राफी' (micro-CT) का उपयोग किया। इस तकनीक में किसी वस्तु का चित्र बनाने के लिये एक्स-रे का उपयोग होता है।
- इसके पूर्वजमीय आकारिकी और मांसलता का अध्ययन करने से पता चला हैं कि एंटीपॉलिकैटस' का प्रयोग पेड़ पर चढ़ने अथवा पेड़ों की डालियों को पकड़ने के लिये किया जाता था, जो कि वृक्षीय जीवन हेतु अनुकूलन को दर्शाता है।
- पेड़ों पर निर्भर जीवन के परिणामस्वरूप प्रजातियों में इस प्रकार हाथों के विकास हुआ, साथ ही अँगूठे की विपरीतता ने सभी प्रजातियों को पेड़ो की शाखाओं पर निवास करने में सक्षम बना दिया।
स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस
‘ईट-स्मार्ट सिटीज़ चैलेंज’ और ‘ट्रांसपोर्ट 4 ऑल चैलेंज’
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने ‘ईट-स्मार्ट सिटीज़ चैलेंज’ और ‘ट्रांसपोर्ट 4 ऑल चैलेंज’ की शुरुआत की है।
- इन चैलेंज़ का उद्देश्य सही खानपान प्रथाओं और आदतों के परिवेश के साथ सार्वजनिक परिवहन को सुरक्षित, मितव्ययी, आरामदायक और विश्वसनीय बनाना है।
प्रमुख बिंदु
ईट-स्मार्ट सिटीज़ चैलेंज
- ‘ईट-राइट इंडिया’ के तहत विभिन्न पहलों को अपनाने और बढ़ावा देने के लिये राज्यों द्वारा किये गए विभिन्न प्रयासों को मान्यता देने हेतु ‘ईट-स्मार्ट सिटीज़’ चैलेंज को शहरों के बीच एक प्रतिस्पर्द्धा के रूप में शुरू किया गया है।
- इस चैलेंज में सभी स्मार्ट शहर, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानियाँ और 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहर हिस्सा ले सकते हैं।
- उद्देश्य
- इस चैलेंज का उद्देश्य स्मार्ट शहरों को एक ऐसी योजना विकसित करने के लिये प्रेरित करना है जो संस्थागत, भौतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना द्वारा समर्थित स्वस्थ, सुरक्षित एवं स्थायी खाद्य वातावरण का समर्थन करती हो और साथ ही उसमें भोजन से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिये ’स्मार्ट’ समाधान भी शामिल हों।
- महत्त्व
- इसमें खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और पोषण के प्रति सामाजिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन लाने की क्षमता है।
अन्य संबंधित पहलें
- सीमित ट्रांस फैटी एसिड: हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) विनियम, 2011 में संशोधन करते हुए तेल और वसा में ट्रांस फैटी एसिड (TFA) की मात्रा को वर्तमान अनुमन्य मात्रा 5% से वर्ष 2021 के लिये 3% और 2022 के लिये 2% तक सीमित कर दिया है।
- रमन 1.0: यह खाद्य तेलों, वसा और घी आदि में मिलावट का तीव्रता (1 मिनट से कम समय में) से पता लगाने के लिये एक अत्याधुनिक बैटरी संचालित डिवाइस है।
- फूड सेफ्टी मैजिक बॉक्स: यह स्वतः खाद्य परीक्षण किट है, जिसमें खाद्य मिलावट की जाँच करने के लिये एक मैनुअल और विभिन्न उपकरण शामिल हैं, जिनका उपयोग स्कूली बच्चे अपनी कक्षा की प्रयोगशालाओं में कर सकते हैं।
- खाद्य सुरक्षा मित्र योजना: इस योजना का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा कानूनों का पालन सुनिश्चित करने के लिये छोटे और मध्यम स्तर के खाद्य व्यवसायों का समर्थन करना है ताकि उन्हें लाइसेंस और पंजीकरण प्रक्रिया, स्वच्छता रेटिंग एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम की सुविधा प्राप्त हो सके।
- ईट-राइट मेला: यह नागरिकों को सही खानपान के लिये प्रेरित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण गतिविधि है, जो नागरिकों को विभिन्न प्रकार के भोजन के स्वास्थ्य और पोषण संबंधी लाभों से अवगत कराने के लिये आयोजित किया जाता है।
ट्रांसपोर्ट 4 ऑल चैलेंज
- इस पहल को द इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (ITDP) के सहयोग से शुरू किया गया है और इसका उद्देश्य सार्वजनिक परिवहन में सुधार करने वाले समाधान विकसित करने के लिये शहरों, नागरिक समूहों और स्टार्टअप को एक साथ लाना है।
- ITDP एक गैर-सरकारी गैर-लाभकारी संगठन है, जो बस रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम विकसित करने और गैर-मोटर चालित परिवहन को बढ़ावा देने तथा निजी बस ऑपरेटरों के मार्जिन में सुधार करने पर केंद्रित है।
- उद्देश्य
- ‘ट्रांसपोर्ट 4 ऑल चैलेंज’ का उद्देश्य ऐसे डिजिटल समाधान विकसित करना है, जो सार्वजनिक परिवहन को सुरक्षित, मितव्ययी, आरामदायक तथा विश्वसनीय बनाते हों।
- महत्त्व
- कोरोना वायरस महामारी ने संपूर्ण विश्व को ठहराव की स्थिति में ला दिया है, जहाँ ट्रांसपोर्ट सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। ‘ट्रांसपोर्ट 4 ऑल डिजिटल इनोवेशन चैलेंज’ में इस गतिशीलता संकट से उभरने के लिये शहरों का समर्थन करने की क्षमता है।
- यह शहरी गतिशीलता में डिजिटल परिवर्तन को प्रेरित करने के लिये देश भर के शहरों और स्टार्टअप का समर्थन करेगा।
- शहरी परिवहन मुद्दों के समाधान हेतु शुरू की गई पहलें
- राष्ट्रीय विद्युत गतिशीलता मिशन योजना (NEMMP): इस योजना का उद्देश्य देश में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय ईंधन सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक वाहन (फेम-इंडिया): यह योजना हाइब्रिड/इलेक्ट्रिक वाहनों के बाज़ार विकास और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का समर्थन करती है।
- मास रैपिड ट्रांज़िट/ट्रांसपोर्ट सिस्टम (MRTS): वर्ष 2017 में, सरकार ने नई मेट्रो नीति प्रस्तुत की थी, जिसका उद्देश्य सहयोग बढ़ाना, मानदंडों का मानकीकरण, वित्तपोषण और एक खरीद तंत्र विकसित करना है, ताकि परियोजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
- पर्सनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (PRT): यह एक ट्रांसपोर्ट मोड है, जिसमें छोटे स्वचालित वाहन- ‘पॉड्स’ शामिल हैं, जिन्हें विशेष रूप से निर्मित दिशा-निर्देशों के नेटवर्क पर संचालित किया जाता है।
- ग्रीन अर्बन मोबिलिटी इनिशिएटिव: भारत सरकार ने स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत सतत् विकल्पों को बढ़ावा देने के लिये ग्रीन अर्बन मोबिलिटी इनिशिएटिव (GUMI) की शुरुआत की है।
स्रोत: पी.आई.बी.
विश्व जनसंख्या रिपोर्ट- 2021: यूएनएफपीए
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund- UNFPA) ने ‘माय बॉडी इज़ माय ओन’ (My Body is My Own) शीर्षक से विश्व जनसंख्या रिपोर्ट (World Population Report)- 2021 जारी की।
- यह पहली बार है जब संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की रिपोर्ट ने शारीरिक स्वायत्तता पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसे हिंसा के डर के बिना आपके शरीर के विषय में या किसी और के लिये निर्णय लेने की शक्ति तथा एजेंसी के रूप में परिभाषित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
दैहिक स्वायत्तता का उल्लंघन:
- दैहिक स्वायत्तता के सिद्धांत के विषय में:
- इस सिद्धांत के अनुसार बच्चों सहित प्रत्येक मनुष्य को अपने शरीर पर स्वतंत्र आत्मनिर्णय लेने का अधिकार है। यह एक असंबद्ध शारीरिक घुसपैठ को मानवाधिकार का उल्लंघन मानता है।
- हालाँकि इस सिद्धांत को पारंपरिक रूप से यातना, अमानवीय उपचार और जबरन नज़रबंद करने जैसी प्रथाओं के संबंध में लाया गया है। दैहिक अखंडता में मानव अधिकारों के उल्लंघन की एक विस्तृत शृंखला पर लागू होने की क्षमता है जो बच्चों के नागरिक अधिकारों को भी प्रभावित करती है।
- इसके दायरे में विकलांगों के आत्मनिर्णय का अधिकार, हिंसा से मुक्ति और संतोषजनक यौन जीवन का आनंद शामिल हैं।
- कुछ उदाहरण:
- बाल विवाह।
- महिला जननांग विकृति।
- गर्भ निरोधक विकल्पों का अभाव, अनचाहे गर्भधारण को बढ़ावा देता है।
- घर और भोजन के बदले अवांछित सेक्स।
- असमान यौन झुकाव और लिंग पहचान वाले व्यक्ति हमलों तथा अपमान से डरते हैं।
वैश्विक परिदृश्य:
- स्वयं के शरीर के विषय में निर्णय लेने का अधिकार:
- 57 विकासशील देशों की लगभग आधी महिलाओं को अपने शरीर के विषय में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, जिसमें गर्भनिरोधक का उपयोग करना, स्वास्थ्य देखभाल की माँग करना या यहाँ तक कि अपनी कामवासना के संबंध में स्वयं निर्णय नहीं ले पाना शामिल है।
- केवल 75% देश कानूनी रूप से अपने यहाँ गर्भनिरोधक के लिये पूर्ण और समान पहुँच सुनिश्चित करते हैं।
- कोविड का प्रभाव:
- महिलाओं को पूरे विश्व में शारीरिक स्वायत्तता के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया जाता है, कोविड-19 महामारी ने इसे और बढ़ा दिया है।
भारतीय परिदृश्य:
- भारत में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (National Family Health Survey-4) वर्ष 2015-2016 के अनुसार:
- स्वास्थ्य देखभाल:
- वर्तमान में केवल 12% विवाहित महिलाएँ (15-49 वर्ष की आयु) ही स्वतंत्र रूप से अपनी स्वास्थ्य सेवा के विषय में निर्णय ले पाती हैं।
- 63% विवाहित महिलाएँ अपने जीवनसाथी के साथ परामर्श कर निर्णय लेती हैं।
- 23% महिलाओं के जीवनसाथी, मुख्य रूप से उनकी स्वास्थ्य-देखभाल के विषय में निर्णय लेते हैं।
- गर्भ निरोधक:
- वर्तमान में केवल 8% विवाहित महिलाएँ (15-49 वर्ष) ही स्वतंत्र रूप से गर्भनिरोधक के उपयोग पर निर्णय ले पाती हैं।
- 83% महिलाएँ अपने पति के साथ संयुक्त रूप से निर्णय लेती हैं। महिलाओं को गर्भ निरोधक के उपयोग के विषय में दी गई जानकारी भी सीमित है।
- गर्भनिरोधक का उपयोग करने वाली केवल 47% महिलाओं को इस विधि के दुष्प्रभावों के विषय में जानकारी दी गई है।
- 54% महिलाओं को अन्य गर्भ निरोधकों के विषय में जानकारी प्रदान की गई।
महिलाओं से संबंधित NFHS-5 के कुछ आँकड़े:
- गर्भनिरोधक:
- अंततः गर्भ निरोधक प्रसार दर (Contraceptive Prevalence Rate) अधिकांश राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में बढ़ा है और यह हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल (74%) में सबसे अधिक है।
- घरेलू हिंसा:
- इसमें आमतौर पर अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में गिरावट आई है।
- हालाँकि इसमें पाँच राज्यों (सिक्किम, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, असम और कर्नाटक) में वृद्धि देखी गई है।
- स्वास्थ्य, प्रमुख घरेलू खरीद और आने वाले रिश्तेदारों से संबंधित निर्णय:
- बिहार में NFHS-4 (2015-2016) के 75.2% की तुलना में NFHS-5 (2019-2020) में 86.5% की अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई है।
- नगालैंड में लगभग 99% और मिज़ोरम में 98.8% महिलाएँ घरेलू निर्णय लेने में भाग लेती हैं।
- निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी में 7-5% की गिरावट के साथ लद्दाख और सिक्किम में सबसे अधिक कमी दर्ज की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय के संबंधित निर्णय:
- न्यायमूर्ति के. एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ 2017:
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक महिला के प्रजनन अधिकारों में गर्भ धारण करने, बच्चे को जन्म देने और बाद में बच्चे को पालने का अधिकार शामिल है तथा यह अधिकार महिलाओं की निजता, उनके सम्मान एवं दैहिक अखंडता के अधिकार का हिस्सा है।
- इस निर्णय ने गर्भपात और सरोगेसी के लिये संभावित संवैधानिक चुनौतियों को हल करने हेतु आवश्यक प्रोत्साहन दिया।
- चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक [Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill], 2021 गर्भावस्था की अवधि को 20 सप्ताह से 24 सप्ताह तक बढ़ाने का प्रावधान करता है, जिससे महिलाओं के लिये सुरक्षित और कानूनी रूप से अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करना आसान हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के विषय में:
- यह संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) का एक सहायक अंग है जो इसके यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी के रूप में काम करता है।
- UNFPA का जनादेश संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council- ECOSOC) द्वारा स्थापित किया गया है।
स्थापना:
- इसे वर्ष 1967 में ट्रस्ट फंड के रूप में स्थापित किया गया था, इसका परिचालन वर्ष 1969 में शुरू हुआ।
- इसे वर्ष 1987 में आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष नाम दिया गया, लेकिन इसका संक्षिप्त नाम UNFPA (जनसंख्या गतिविधियों के लिये संयुक्त राष्ट्र कोष) को भी बरकरार रखा गया।
उद्देश्य:
- UNFPA प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य पर सतत् विकास लक्ष्य नंबर 3, शिक्षा पर लक्ष्य 4 और लिंग समानता पर लक्ष्य 5 के संबंध में कार्य करता है।
निधि:
- UNFPA पूरी तरह से अनुदान देने वाली सरकारों, अंतर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्रों, संस्थानों और वैयक्तिक स्वैच्छिक योगदान द्वारा समर्थित है, न कि संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट द्वारा।
आगे की राह
- वास्तविक निरंतर प्रगति काफी हद तक लैंगिक असमानता और सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने तथा उन्हें बनाए रखने वाली सामाजिक एवं आर्थिक संरचनाओं को बदलने पर निर्भर करती है।
- इसमें पुरुषों को सहयोगी बनना होगा और उन लोगों को अपने विशेषाधिकार तथा प्रभुत्व को छोड़ना होगा जो अधिक दैहिक स्वायत्तता का उपयोग करते हैं।
- UNFPA के लक्ष्यों जैसे- गर्भ निरोधक, मातृ मृत्यु, लिंग आधारित हिंसा आदि अन्य हानिकारक प्रथाओं को वर्ष 2030 तक रोकने के लिये दैहिक स्वायत्तता को समझना आवश्यक है।
स्रोत: द हिंदू
ओडिशा में डॉल्फिन आबादी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा सरकार द्वारा डॉल्फिन जनगणना (Dolphin Census) से संबंधित अंतिम आँकड़े प्रकाशित किये गए हैं जिसके अनुसार, डॉल्फिन की संख्या में शानदार वृद्धि दर्ज हुई है।
प्रमुख बिंदु:
जनगणना डेटा:
- चिल्का, ओडिशा तट पर भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है डेटा के अनुसार चिल्का झील (Chilika Lake) में डॉल्फिन की आबादी पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष (2021) दोगुनी हो गई है।
- डॉल्फ़िन गणना के दौरान इसकी तीन प्रजातियों, इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphin), बॉटलनोज़ डॉल्फिन (Bottlenose Dolphin) तथा हंपबैक डॉल्फिन (Humpback Dolphin) की कुल संख्या 544 दर्ज की गई है, जबकि वर्ष 2019- 2020 में इनकी कुल संख्या 233 थी।
- इरावदी डॉल्फिन की संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण अवैध रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियों पर अंकुश लगाना है।
इरावदी डॉल्फिन के बारे में:
- निवास स्थान: इरावदी डॉल्फिन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में तटीय क्षेत्रों तथा तीन प्रमुख नदियों- अय्यारवाडी (म्याँमार), महाकाम (इंडोनेशियाई बोर्नियो) और मेकांग में पाई जाती है।
- मेकांग नदी में पाई जाने वाली इरावदी डॉल्फिन कंबोडिया और लाओस लोकतांत्रिक गणराज्य के मध्य मेकांग नदी में 118 मील तक पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- CITES: परिशिष्ट-I
- CMS (माइग्रेटरी प्रजाति पर सम्मेलन): परिशिष्ट- I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
इंडो-पैसिफिक बॉटलनोज़ डॉल्फिन के बारे में:
- निवास स्थान: इंडो-पैसिफिक बॉटलनोज़ डॉल्फिन सामान्यत हिंद महासागर, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उथले तटीय जल में पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: निकट संकटापन्न (Near Threatened)
- CITES: परिशिष्ट-II
हिंद महासागर हंपबैक डॉल्फिन के बारे में:
- निवास-स्थान: हिंद महासागर हंपबैक डॉल्फिन हिंद महासागर में दक्षिण अफ्रीका से भारत तक पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered)
- CITES: परिशिष्ट-I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
चिल्का झील:
- ओडिशा की चिल्का झील एशिया की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है।
- यह ओडिशा राज्य में भारत के पूर्वी तट पर स्थित है, जो बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) से रेत की एक छोटी सी पट्टी से अलग होती है।
- यह भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा के पुरी, खुर्दा और गंजम ज़िलों में फैली है तथा दया नदी (Daya River) के मुहाने से बंगाल की खाड़ी तक 1,100 वर्ग किलोमीटर तक का क्षेत्र कवर करती है
- शीतकाल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने वाला सबसे बड़ा मैदान होने के साथ ही यह पौधों और जानवरों की कई संकटग्रस्त प्रजातियों का निवास स्थान है।
- वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का पहला भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
- चिल्का में प्रमुख आकर्षण इरावदी डॉलफिन (Irrawaddy Dolphins) हैं जिन्हें अक्सर सातपाड़ा द्वीप के पास देखा जाता है।
- लैगून क्षेत्र में लगभग 16 वर्ग किमी. में फैला नलबाना द्वीप (फारेस्ट ऑफ रीडस) को वर्ष 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।
- कालिजई मंदिर- यह मंदिर चिल्का झील में एक द्वीप पर स्थित है।
स्रोत: द हिंदू
भारत के लिये क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का पुनर्मूल्यांकन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सिंगापुर के विदेश मंत्री ने रायसीना डायलॉग के 6वें संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी’ (RCEP) और वृहद एवं प्रगतिशील ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी (CPTPP) जैसे क्षेत्रीय व्यापारिक समझौतों (RTA) पर अपने दृष्टिकोण का ‘पुनर्मूल्यांकन’ करेगा।
- रायसीना डायलॉग भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक वार्षिक सम्मेलन है जिसका आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय और ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation- ORF) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP)
- परिचय:
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापारिक समझौता है, जिसमें चीन, जापान ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड और आसियान (ASEAN) के दस देश, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्रुनेई, लाओस, म्याॅमार और फिलीपींस शामिल है। यह नवंबर 2020 में RCEP के चौथे सम्मेलन में लागू हुआ था तथा इसमें भारत शामिल नहीं है।
- RCEP के अंतर्गत किसी भी देश को लाभ देने से पहले कुछ अवधि की पुष्टि करनी होगी तथा RCEP को पहले कम-से-कम छह आसियान और तीन गैर-आसियान सदस्य राज्यों द्वारा प्रभावी होना चाहिये।
- देशों के बीच व्यापार विरोधी और चीन विरोधी भावनाओं के कारण राष्ट्रीय संसदों में अनुसमर्थन मुश्किल हो जाएगा।
- हाल ही में आधिकारिक अनुसमर्थन प्रक्रिया को पूरा करने और अपने अनुसमर्थन उपकरण को मज़बूत करने वाला सिंगापुर पहला RCEP में भाग लेने वाला देश (RPC) है।
- महत्त्व:
- शुल्क समाप्त करना:
- उम्मीद के अनुसार क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) आगामी 20 वर्ष के भीतर आयात पर लगने वाले शुल्क को पूर्णतः समाप्त कर देगी। इस समझौते में बौद्धिक संपदा, दूरसंचार, वित्तीय सेवाओं, ई-कॉमर्स और पेशेवर सेवाओं से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं।
- समानता :
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) के तहत सभी सदस्य राष्ट्रों के साथ एक समान व्यवहार किया जाएगाजो RCEP में शामिल देशों में कंपनियों को आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये व्यापार क्षेत्र की ओर उन्मुख होने के लिये प्रोत्साहन दे सकता है।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला वाले व्यवसायों को एक FTA के साथ-साथ शुल्क का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उनके उत्पादों में ऐसे घटक शामिल होते हैं जो कहीं और बनाए जाते हैं।
- क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) के तहत सभी सदस्य राष्ट्रों के साथ एक समान व्यवहार किया जाएगाजो RCEP में शामिल देशों में कंपनियों को आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये व्यापार क्षेत्र की ओर उन्मुख होने के लिये प्रोत्साहन दे सकता है।
- बढ़ी हुई वैश्विक आय:
- इस समझौते के कारण वर्ष 2030 तक वैश्विक आय में 186 बिलियन डॉलर तक की बढ़ोतरी हो सकती है, साथ ही यह समझौता सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था में 0.2% की बढ़ोतरी कर सकता है।
- हालाँकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस समझौते से चीन, जापान और दक्षिण कोरिया को अन्य सदस्य देशों की तुलना में अधिक लाभ होने की संभावना है।
- शुल्क समाप्त करना:
- भारत का रुख:
- भारत, ‘क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी’ (RCEP) से मुख्यतः चीन द्वारा उत्पादित सस्ते सामान के देश में प्रवेश करने संबंधी चिंताओं के कारण अलग हो गया था। चीन के साथ भारत का व्यापार असंतुलन पहले से काफी अधिक है। इसके अलावा यह समझौता सेवाओं को पर्याप्त रूप से खुला रखने में विफल रहा था।
वृहद एवं प्रगतिशील ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी समझौता (CPTPP):
- परिचय:
- CPTPP प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के चारों ओर अवस्थित 11 राष्ट्रों का एक मुक्त व्यापार समझौता है जिनमें शामिल है:
- कनाडा, मैक्सिको, पेरू, चिली, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और जापान।
- ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TTP) से अमेरिका के हटने के बाद शेष 11 प्रतिभागियों ने समझौते में संशोधन करने की मांग की और बाकी देशों ने मार्च 2018 में ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप के लिये एक नए व्यापक और प्रगतिशील समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
- यह दिसंबर 2018 में लागू हुआ।
- महत्त्व :
- शुल्क समाप्त :
- मूल TPP के समान CPTPP भी वस्तु और सेवाओं पर 99% प्रशुल्क समाप्त करता है।
- व्यापक विस्तार:
- CPTPP वस्तु और सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। इनमें वित्तीय सेवाएँ, दूरसंचार और खाद्य सुरक्षा मानक शामिल हैं।
- पर्यावरणीय दुर्व्यवहार को कम करना:
- सभी देशों ने वन्यजीवों की तस्करी को कम करने के लिये समझौता किया है। इससे हाथियों, गैंडों और समुद्री प्रजातियों को सर्वाधिक संरक्षण प्राप्त होगा।
- यह पर्यावरणीय दुर्व्यवहारों जैसे-अस्थिर लॉगिंग ( unsustainable logging) और मछली पकड़ना आदि को प्रतिबंधित करता है। इस प्रावधान का अनुपालन न करने वाले देशों को व्यापार दंड का सामना करना पड़ेगा।
- शुल्क समाप्त :
- भारत का रुख:
- भारत CPTPP में शामिल नहीं हुआ क्योंकि वह अपने अन्य भागीदारों की अपेक्षा अधिक श्रम और पर्यावरणीय मानकों को स्थान देना चाहता हैI इसके CPTPP के मसौदे में निवेश संरक्षण के लिये मानकों पर आधारित विस्तृत योग्यताएँ, मेज़बान देश के विनियमन के अधिकार की रक्षा करने के प्रावधान और विस्तृत पारदर्शिता आवश्यकताओं को लागू करना शामिल है।
भारत को RCEP और CPTPP के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता:
- विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये:
- RCEP और CPTPP क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनके द्वारा भारत को शुल्क मुक्त, कोटा मुक्त व्यापार तक पहुँच स्थापित करने के साथ प्रशांत क्षेत्र के लिये विनिर्माण केंद्र (HUB) और निर्यात मंच प्रदान करने की संभावना है ।
- व्यक्तिगत संबंधों को मज़बूत करने के लिये:
- भारत के पास पहले से ही स्थिर व्यापार संबंध हैं या वह कनाडा, मैक्सिको और चिली जैसे विभिन्न RCEP और CPTPP देशों के साथ नए समझौतों पर बातचीत कर रहा है।
- क्षेत्रीय विकास में भूमिका:
- बढ़ती वैश्विक अस्थिरता के समय इस क्षेत्र में भारत की एक महत्वपूर्ण भूमिका है ।
- इसके अतिरिक्त महामारी के साथ अमेरिका-चीन के मध्य बढ़ते तनाव इस क्षेत्र के लिये "गहरी चिंता" है, जिसके परिणामस्वरूप "तनाव अधिक बढ़ गया" है।
- भारतीय कंपनियों को बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराना:
- इस तरह के व्यापार समझौते भारतीय कंपनियों को बड़े बाजारों में भी अपनी क्षमता स्थापित करने के लिये एक मंच प्रदान करेंगे ।
आगे की राह:
- एक बाज़ार के रूप में भारत की आर्थिक स्थिति और महत्त्व को स्वीकार करते हुए RCEP और CPTPP सदस्यों ने भारत के लिये रास्ते खोल रखे है। वर्तमान समय और निकट भविष्य में वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए RCEP और CPTPP पर अपनी स्थिति की विवादास्पद रूप से समीक्षा करना और संरचनात्मक सुधार करना भारत के हित में होगा , जो RCEP और CPTPP से उत्पन्न होने वाले कुछ नतीजों को कम करने में भारत की मदद करेंगे।
स्रोत-द हिंदू
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना
चर्चा में क्यों:
हाल ही में, स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दीन दयाल उपाध्याय कौशल्य योजना (DDU-GKY) के तहत देश भर में पूर्व छात्रों की बैठकें आयोजित की गईं।
प्रमुख बिंदु:
- ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने वर्ष 2014 में अंत्योदय दिवस पर इसकी घोषणा की।
- यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत मांग-संचालित नियोजन से जुड़ी कौशल प्रशिक्षण पहल है।
- यह श्रम रोज़गार में कौशल प्रशिक्षण और नियोजन का उपयोग आय में विविधता लाने और गरीबी से बाहर निकलने में सक्षम करने के लिये एक उपकरण के रूप में करता है।
लाभार्थी:
- DDU-GKY गरीब परिवारों के 15 से 35 वर्ष के बीच के ग्रामीण युवाओं पर विशिष्ट रूप से केंद्रित है।
उद्देश्य:
- ग्रामीण गरीब परिवारों की आय में विविधता लाना।
- रोज़गार के अवसर की तलाश करने वाले ग्रामीण युवाओं को जुटाना।
पूर्व छात्र बैठकें:
- पूर्व छात्र बैठकें योजना का एक महत्त्वपूर्ण घटक हैं।
- यह कार्यक्रम पूर्व छात्रों को पूर्व प्रशिक्षुओं द्वारा प्लेसमेंट, करियर गोल, प्रशिक्षण लेने से पहले रोज़गार खोजने में आने वाली चुनौतियों और उनके बाद मिलने वाले लाभों के संबंध में अनुभव साझा करने के लिये स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है।
- पूर्व प्रशिक्षुओं में से कुछ को उनके कार्यस्थलों पर अनुकरणीय प्रदर्शन के लिये आयोजनों में सम्मानित किया जाता है।
कवरेज:
- यह कार्यक्रम वर्तमान में 27 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जा रहा है और 1822 परियोजनाओं में 2198 प्रशिक्षण केंद्र हैं, जिसमें 839 परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियाँ हैं, जो 56 क्षेत्रों में प्रशिक्षण आयोजित कर रही हैं और 600 से अधिक भूमिकाओं में कार्यान्वित हैं।
उपलब्धियाँ:
- योजना की शुरुआत के बाद से कुल 10.81 लाख उम्मीदवारों को 56 क्षेत्रों और 600 ट्रेडस में प्रशिक्षित किया गया तथा 6.92 लाख उम्मीदवारों को रोज़गार प्रदान किया गया।
महत्त्व:
- देश भर में ग्रामीण विकास के लिये DDU-GKY और एकीकृत कृषि पहल ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान करने और उन्हें सफल बनाने के लिये महत्वपूर्ण हैं।
- DDU-GKY ने कौशल निर्माण के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- कौशल भारत अभियान के एक भाग के रूप में यह सामाजिक और आर्थिक कार्यक्रमों के समर्थन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कौशल विकास से संबंधित कुछ अन्य पहलें:
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0:
- इसे वर्ष 2021 में भारत के युवाओं को रोज़गारपरक कौशल प्रदान करने के साथ सशक्त बनाने के लिये 300 कौशल पाठ्यक्रमों को उपलब्ध कराने हेतु शुरू किया गया था।
- इसे कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा लॉन्च किया गया था।
- आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी नियोक्ता मानचित्रण (ASEEM):
- वर्ष 2020 में इसे MSDE द्वारा लॉन्च किया गया, यह कुशल लोगों को स्थायी आजीविका के अवसर खोजने में मदद करने के लिये लॉन्च किया गया एक पोर्टल है।
- प्रशिक्षुता और कौशल में उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के लिये योजना (SHREYAS):
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (National Apprenticeship Promotional Scheme-NAPS) के माध्यम से आगामी सत्र के सामान्य स्नातकों को उद्योग शिक्षुता अवसर प्रदान करने के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं के लिये प्रशिक्षण और कौशल (SHREYAS) योजना शुरू की गई है।
कौशल आचार्य पुरस्कार:
- कौशल प्रशिक्षकों द्वारा दिये गए योगदान को मान्यता देने और कौशल भारत मिशन में अधिक प्रशिक्षकों को शामिल होने के लिये प्रेरित करने हेतु MSDE द्वारा लॉन्च किया गया।
प्रधानमंत्री युवा योजना (युवा उद्यमिता विकास अभियान):
- इसे वर्ष 2016 में MSDE द्वारा लॉन्च किया गया था, इसका उद्देश्य उद्यमिता शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से उद्यमिता विकास के लिये एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना, समावेशी विकास के लिये उद्यमशीलता संबंधी नेटवर्क और सामाजिक उद्यमों को बढ़ावा देने के लिये वकालत और आसान पहुँच स्थापित करना है।
अंत्योदय दिवस:
- हर वर्ष 25 सितंबर को देश के राष्ट्रवादी आंदोलन के महान विचारकों और दार्शनिकों में से एक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती को चिह्नित करने के लिये अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- भारत सरकार ने वर्ष 2014 में पहली बार दीनदयाल अंत्योदय योजना के साथ इसकी घोषणा की।
- अंत्योदय का अर्थ है "गरीब से गरीब व्यक्ति का उत्थान" और इस दिन का उद्देश्य अंतिम पायदान पर स्थित व्यक्ति तक पहुँच स्थापित करना है।