डेली न्यूज़ (16 Jul, 2019)



फसलों के लिये बायोकैप्सूल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केरल के कोझीकोड में स्थित भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Spices Research- IISR) के शोधकर्त्ताओं ने किसानों के लिये एक बायोकैप्सूल (Biocapsules) विकसित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस बायोकैप्सूल में ऐसे बग (Bugs) उपस्थित हैं जो भविष्य में किसानों द्वारा खेत में बायोफर्टिलाइज़र (जैव उर्वरक) के रूप में इस्तेमाल किये जा सकते हैं।
  • वर्तमान में इस तरह की कोई भी तकनीक (दुनिया भर में) व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं है।
  • इस तकनीक का प्रयोग कर किसान भारी मात्रा में उपस्थित बायोफर्टिलाइज़र को सूक्ष्मजीवों के इस कैप्सूल से प्रतिस्थापित कर सकते हैं।
  • कैप्सूल के माध्यम से जीवों को वितरित करने में आसानी होगी। साथ ही यह जीवों की जीवन सक्रियता को भी बढ़ाएगा। क्योंकि कैप्सूल में इन सूक्ष्मजीवों को निष्क्रिय अवस्था में बनाए रखा जाता है, इसलिये कमरे के तापमान में उनकी व्यवहार्यता खोने की कोई चिंता नहीं होती है।
  • उल्लेखनीय है कि तरल-आधारित कई जैव-निरूपण (Bioformulations) सामान्य ताप पर अपनी निष्क्रियता खो देते है।
  • सूक्ष्मजीवों के जैव-निरूपण पर सफलतम जाँच काफी हद तक सिर्फ प्रयोगशाला तक ही सीमित है, अभी तक ऐसा कोई भी वाणिज्यिक उत्पाद बाज़ार में उपलब्ध नहीं हैं। हालाँकि कई देशों में मालिकाना जैव-निरूपण तकनीक के पेटेंट के लिये आवेदन लंबित है।

जैव- उर्वरक

Bio-fertilizer

  • ये जीवित सूक्ष्मजीवों से समृद्ध होते है; बीज, मिट्टी या जीवित पौधों पर इनका छिडकाव किये जाने से मिट्टी के पोषक तत्त्वों में वृद्ध होती है।
  • इसमें विभिन्न प्रकार के कवक, मूल बैक्टीरिया या अन्य सूक्ष्मजीव होते हैं जो मेजबान पौधों के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद या सहजीवी संबंध बनाते हैं क्योंकि इनकी उत्पप्ति मिट्टी में होती हैं।

बायोकैप्सूल (Biocapsules) की विशेषता

  • इस तकनीक से बने बायोकैप्सूल का वज़न सिर्फ एक ग्राम है, जबकि अन्य सूक्ष्मजीवों वाले पाउडर-आधारित बायोफर्टलाइज़र एक किलोग्राम तथा तरल आधारित बायोफर्टलाइज़र एक लीटर की बोतल के पैक में मौजूद होते हैं।
  • इसका उपयोग किसी भी प्रकार के खेत के अनुकूल रोगाणुओं को पैक करने के लिये किया जा सकता है, जिसमें नाइट्रोजन-फिक्सिंग बैक्टीरिया, सोलूबोलिस फॉस्फेट, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और कवक शामिल हैं जो रोगजनकों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • उल्लेखनीय है कि जैविक खेती के लिये पिछले कुछ वर्षों में बायोफर्टिलाइज़र और बायोस्टिमुलेंट लोकप्रिय हो गए हैं।
  • लाभकारी रोगाणुओं के उपयोग से उर्वरक के उपयोग में 25 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
  • कर्नाटक स्थित एक फर्म ने सूक्ष्मजीवों से युक्त बायोकैप्सूल विकसित किये हैं जिनका उपयोग विभिन्न बागवानी, सजावटी और मसालों की फसलों के लिये किया जा सकता है।

भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान

Indian Institute of Spices Research- IISR

  • कोझीकोड (कालीकट) स्थित भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Spices Research- IISR) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research-ICAR) का एक निकाय है।
  • यह मसालों पर शोध के लिये समर्पित एक प्रमुख संस्थान है।
  • वर्ष 1976 में केंद्रीय बागान फसल अनुसंधान संस्थान (CPCRI) के एक क्षेत्रीय स्टेशन के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी।
  • भारत में मसाला अनुसंधान के महत्त्व को देखते हुए इस अनुसंधान केंद्र को 1 जुलाई, 1995 को भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान में अपग्रेड किया गया।
  • इस संस्थान की प्रयोगशाला और प्रशासनिक कार्यालय कोझीकोड ज़िला (केरल) में स्थित हैं।

पृष्ठभूमि

  • मसालों पर निरंतर अनुसंधान की पहल के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा वर्ष 1971 के दौरान केरल के कासरगोड स्थित केंद्रीय वृक्षारोपण फसल अनुसंधान संस्थान (Central Plantation Crops Research Institute- CPCRI) में अखिल भारतीय समन्वित मसालों एवं काजू सुधार परियोजना (All India Coordinated Spices and Cashew Improvement Project- AICSCIP) की शुरुआत की गई थी।
  • वर्ष 1975 के दौरान केरल के कोझीकोड में ICAR द्वारा मसालों पर शोध करने के लिये CPCRI का एक क्षेत्रीय स्टेशन स्थापित किया गया।
  • क्षेत्रीय स्टेशन को वर्ष 1986 में CPCRI के इलायची अनुसंधान केंद्र के साथ विलय करके राष्ट्रीय मसाला अनुसंधान केंद्र (NRCS) के रूप में उन्नत किया गया।
  • NRCS को वर्ष 1995 के दौरान वर्तमान भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR) में और उन्नत किया गया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद

Indian Council of Agricultural Research-ICAR

  • भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एक स्वायत्तशासी संस्था है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • बागवानी, मात्स्यिकी और पशु विज्ञान सहित कृषि के क्षेत्र में समन्वयन, मार्गदर्शन और अनुसंधान प्रबंधन एवं शिक्षा के लिये यह परिषद भारत का एक सर्वोच्च निकाय है।
  • पृष्ठभूमि- कृषि पर रॉयल कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अनुसरण करते हुए सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत इसका पंजीकरण किया गया था, जबकि 16 जुलाई, 1929 को इसकी स्थापना की गई।
  • पहले इसका नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (Imperial Council of Agricultural Research) था।

स्रोत- द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर

संदर्भ

राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, 2012 (National Telecom Policy) के तहत मोबाइल हैंडसेट्स की रीप्रोग्रामिंग (Reprogramming), सुरक्षा, चोरी जैसी अन्य चिंताओं का समाधान करने के लिये एक नेशनल मोबाइल प्रॉपर्टी रजिस्ट्री (National Mobile Property Registry) की स्थापना का प्रावधान किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • इसके आधार पर संचार मंत्रालय (Ministry of Communications) के तहत दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications-DoT) ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं के लिये एक केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (Central Equipment Identity Register-CEIR) की शुरूआत की है।
  • DoT ने जुलाई 2017 में CEIR को एक ज्ञापन के तहत पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जारी किया था जिसका नेतृत्व भारत संचार निगम लिमिटेड (Bharat Sanchar Nigam Limited-BSNL) ने किया था।
  • जनवरी 2018 में इस परियोजना को सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (Centre for Development of Telematics-CDoT) को सौंप दिया गया।

केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (Central Equipment Identity Register-CEIR) क्या है?

  • वर्ष 2008 के DoT के आदेश के आधार पर, भारत में हर मोबाइल नेटवर्क प्रदाता के पास एक उपकरण पहचान रजिस्टर (Equipment Identity Register-EIR) या उसके नेटवर्क से जुड़े फोन का एक डेटाबेस (Database) होता है।
  • अब ये सभी EIR एक केंद्रीय डेटाबेस CEIR के साथ समस्त जानकारियाँ साझा करेंगे। CEIR भारत में सभी नेटवर्कों से जुड़े समस्त मोबाइल फोनों की सूचनाओं का भंडारण केंद्र होगा।
  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India) के आँकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2018 के अंत तक 1,026 मिलियन से अधिक सक्रिय मोबाइल कनेक्शन थे।
  • DoT के वर्ष 2017 के ज्ञापन के अनुसार, CEIR में मोबाइल उपकरण का अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान नंबर (International Mobile Equipment Identity-IMEI), हर फोन या मोबाइल ब्रॉडबैंड डिवाइस में यह विशिष्ट 15 अंकों का कोड होता है जो डिवाइस की सटीक पहचान करता है; मॉडल, संस्करण एवं अन्य जानकारियों को एकत्रित किया जाएगा।
  • इससे यह भी पता चल जाएगा कि फोन को ब्लैकलिस्ट (Blacklist) किया गया है या नहीं।
  • किसी भी फोन की पहचान IMEI नंबर के आधार पर की जाती है, जो मोबाइलों में बैटरी के नीचे या मोबाइल पर ’* # 06 # डायल करके भी ज्ञात किया जा सकता है।
  • सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियाँ ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन (Global System for Mobile Communications Association) द्वारा आवंटित रेंज के आधार पर प्रत्येक मोबाइल फोन को IMEI नंबर प्रदान करती हैं एवं यदि फोन दोहरे सिम का है तो उसमें दो IMEI नंबर होते हैं।

इसका उद्देश्य

  • इस तरह के केंद्रीकृत डेटाबेस उपलब्ध होने पर मोबाइल चोरी या अवैध मोबाइल फोन की पहचान करने तथा उन्हें ब्लॉक करने में मदद मिलेगी।
  • वर्तमान में जब कोई ग्राहक किसी मोबाइल फोन के चोरी होने की सूचना देता है, तो मोबाइल सेवा प्रदाता अपने EIR के आधार पर फोन के IMEI को ब्लैकलिस्ट कर देते हैं जिससे कंपनी के नेटवर्क का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  • लेकिन यदि सिम को बदल दिया जाता है, तो यह उपयोग में जारी रह सकता है। CEIR के माध्यम से सभी नेटवर्क ऑपरेटरों को यह पता चल जाएगा कि फोन को ब्लैकलिस्ट किया गया है।
  • CEIR, GSMA डेटाबेस के IMEI की पहचान कर यह भी जाँच कर सकता है कि फोन प्रामाणिक है या नहीं।
  • कई बार फोन संबंधी ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें एक प्रामाणिक IMEI नंबर के बजाय डुप्लिकेट IMEI नंबर या सभी 15 नंबरों के स्थान पर शून्य के साथ फोन प्रयोग किये जा रहे हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि CEIR ऐसे उपभोक्ताओं की सभी सेवाओं को ब्लॉक कर सकेगा। वर्तमान में यह क्षमता केवल निजी सेवा प्रदाताओं के पास है।
  • ज्ञापन में IMEI-आधारित कानूनी अवरोधन (IMEI-based lawful interception) को मज़बूत बनाने का भी उल्लेख किया गया है, जिससे कानूनी अधिकारियों को CEIR डेटा का उपयोग करने की अनुमति मिल जाएगी।

CEIR संबंधी मुद्दे

  • 2010 के परामर्श पत्र में "खोए हुए/चोरी हुए मोबाइल हैंडसेट के लिए IMEI को अवरुद्ध करने से संबंधित मुद्दों" पर भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) ने CEIR के संदर्भ में एक प्रमुख मुद्दा उठाया है कि ऐसे उच्च-मूल्य वाले डेटाबेस को कौन या किसके समक्ष संग्रहीत रखना चाहिये? क्या यह अधिकार सेवा प्रदाता के पास होना चाहिये, अथवा एक तटस्थ तृतीय पक्ष के पास?
  • परामर्श पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, कई प्रमुख सेवा प्रदाताओं ने BSNL द्वारा सुझाए गए अंतर्राष्ट्रीय निकायों से लेकर ट्राई तक को तीसरे पक्ष के रूप में पसंद किया।
  • मौजूदा वास्तविक IMEI नंबरों के साथ संलग्न करने के लिये चोरी किये गए या अनाधिकृत मोबाइल फोन की क्लोनिंग/प्रतिचित्रण या रिप्रोग्रामिंग करना भी एक अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।
  • क्लोन किये गए IMEI नंबर को ब्लॉक करने से त्रुटिपूर्ण रूप से वैध उपभोक्ताओं को भी ब्लॉक किया जा सकता है। जबकि क्लोन या अवैध IMEI वाले फोन की वास्तविक संख्या को कम करना मुश्किल है। वर्ष 2012 में संसद द्वारा दो मामलों में लगभग 18,000 फोन के समान IMEI नंबर का उपयोग के विषय में जानकारी दी गई थी।
  • वर्ष 2015 में सरकार ने नकली IMEI नंबर वाले मोबाइल फोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • DoT ने मोबाइल उपकरण पहचान संख्या में छेड़छाड़ निरोधक नियम, 2017 के तहत यह प्रावधान है कि यदि कोई उपभोक्ता फोन के IMEI नंबर के साथ छेड़छाड़ करता है या जानबूझकर ऐसे उपकरण का उपयोग करता है तो यह एक दंडनीय अपराध माना जाएगा।

स्रोत: द हिंदू


12 समुद्री तट ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र हेतु चयनित

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाणन (Blue Flag Certification) के लिये भारत में 12 समुद्र तटों का चयन किया है, इन तटों को स्वच्छता और पर्यावरण अनुकूलता के अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया जाएगा।

Sea coast

प्रमुख बिंदु:

  • भारत के निम्नलिखित तटों का चयन किया गया हैं- शिवराजपुर (गुजरात), भोगवे (महाराष्ट्र), घोगला (दीव), मीरामार (गोवा), कासरकोड और पदुबिद्री (कर्नाटक), कप्पड (केरल), इडेन (पुदुचेरी), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), रुशीकोन्डा (आंध्र प्रदेश), गोल्डेन (ओडिशा), और राधानगर (अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह)।
  • उपरोक्त तटों पर ब्लू फ्लैग प्रमाणन के तहत समुद्री तटीय प्रबंधन, बुनियादी ढाँचा विकास, स्वच्छता, सुरक्षा सेवाओं जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों का निर्माण किया जाएगा।
  • ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर इनवॉयरमेंटल एजूकेशन (Foundation for Environmental Education-FEE) द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • भारत सरकार ने चयनित 12 तटों में से शिवराजपुर और घोगला तट के ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र हेतु FEE में आवेदन किया है। FEE से मिलने वाले प्रमाण-पत्र की वैद्यता 1 वर्ष की होती है।

फाउंडेशन फॉर इनवॉयरमेंटल एजूकेशन

Foundation for Environmental Education-FEE

  • FEE की स्थापना वर्ष 1985 में फ्राँस में की गई थी और इसने वर्ष 1987 से यूरोप में अपना कार्य शुरू किया।
  • दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशिया में ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र केवल जापान एवं दक्षिण कोरिया को ही प्राप्त हुआ है।
  • स्पेन, ग्रीस और फ्राँस क्रमशः 566, 515, 395 ब्लू फ्लैग स्थलों के साथ शीर्ष पर हैं।
  • ब्लू फ्लैग प्रमाण-पत्र को प्राप्त करने के लिये पानी की गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा, विकलांगों हेतु अनुकूलता, प्राथमिक चिकित्सा और मुख्य क्षेत्रों में पालतू जानवरों की न पहुँच, जैसे 33 मानकों को पूरा करना होता है। इन मानकों में से कुछ स्वैच्छिक और कुछ बाध्यकारी हैं।

स्रोत : द हिंदू


विश्व विरासत समिति की चिंताएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व विरासत समिति (World Heritage Committee-WHC) ने हंपी के विरासत स्थल और दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (Darjeeling Himalayan Railway-DHR) के संरक्षण से संबंधित कुछ चिंताओं को चिह्नित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • WHC ने हंपी के विश्व विरासत स्थल की विकासात्मक परियोजनाओं के बारे में स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही जैसी चिंताओं पर खेद व्यक्त किया है।
  • भारतीय रेलवे के कई बार अनुरोध के पश्चात्, निगरानी और सामान्य रखरखाव की कमी, एवं पटरियों के किनारे अतिक्रमण तथा कचरे को गिराये जाने (कचरे की डंपिंग) के बारे में वर्ष 2017 से 2019 के बीच कोई जानकारी नहीं दी गई, इसे वैश्विक विरासत संरक्षण मानदंडों का उल्लंघन माना जाता है।

हंपी:

  • हंपी में मुख्य रूप से अंतिम हिंदू साम्राज्य की राजधानी विजयनगर साम्राज्य (14वीं-16वीं शताब्दी) के अवशेष पाए जाते हैं।
  • हंपी के चौंदहवीं शताब्‍दी के भग्‍नावशेष यहाँ लगभग 26 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं।
  • हंपी में मौजूद विठ्ठल मंदिर विजय नगर साम्राज्य की कलात्मक शैली का एक उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है।
  • विजय नगर शहर के स्‍मारक विद्या नारायण संत के सम्‍मान में विद्या सागर के नाम से भी जाने जाते हैं।

Humpi

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे:

  • भारत के पर्वतीय रेलवे के तीन रेलवे विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल हैं:
    • पश्चिम बंगाल (पूर्वोत्तर भारत) में हिमालय की तलहटी में स्थित दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे।
    • तमिलनाडु (दक्षिण भारत) के नीलगिरि पहाड़ियों में स्थित नीलगिरि पर्वत रेलवे।
    • हिमाचल प्रदेश (उत्तर-पश्चिम भारत) के हिमालय की तलहटी में स्थित कालका शिमला रेलवे।

Himalayan Railway

  • दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, पहाड़ी यात्री रेलवे का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • इसे वर्ष 1881 में शुरू किया गया। यह एक अत्यंत खुबसूरत पहाड़ी क्षेत्र में एक प्रभावी रेल लिंक स्थापित करने की समस्या का निराकरण करने का एक साहसिक इंजीनियरिंग प्रयास है।

क्या हैं विश्व विरासत स्थल?

मानवता के लिये अत्यंत महत्त्व के स्थान, जिन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिये बचाकर रखना आवश्यक समझा जाता है, उन्हें विश्व विरासत के रूप में जाना जाता है। ऐसे महत्त्वपूर्ण स्थलों के संरक्षण की पहल यूनेस्को द्वारा की जाती है। विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय संधि 1972 में लागू की गई।

विश्व विरासत समिति इस संधि के तहत निम्न तीन श्रेणियों में आने वाली संपत्तियों को शामिल करती है:

  1. प्राकृतिक विरासत स्थल: ऐसी विरासत जो भौतिक या भौगोलिक प्राकृतिक निर्माण का परिणाम या भौतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर या वैज्ञानिक महत्त्व की जगह या भौतिक और भौगोलिक महत्त्व वाली जगह या किसी विलुप्ति के कगार पर खड़े जीव या वनस्पति का प्राकृतिक आवास हो सकती है।
  2. सांस्कृतिक विरासत स्थल: इस श्रेणी की विरासतों में स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारी, स्थापत्य की झलक वाले शिलालेख, गुफा आवास और वैश्विक महत्त्व वाले स्थान, इमारतों का समूह, अकेली इमारतें या आपस में संबद्ध इमारतों का समूह, स्थापत्य में किया मानव का काम या प्रकृति और मानव के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल, जो कि ऐतिहासिक, सौंदर्य, जातीय, मानवविज्ञान या वैश्विक दृष्टि से महत्त्व की हो, शामिल की जाती हैं।
  3. मिश्रित विरासत स्थल: इस श्रेणी के अंतर्गत वह विरासत स्थल आते हैं, जो प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों ही रूपों में महत्त्वपूर्ण होते हैं।

यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल

  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) दुनिया भर में उन सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासतों की पहचान और संरक्षण को प्रोत्साहित करता है जो मानवता के लिये उत्कृष्ट मूल्य के रूप में माने जाते हैं।
  • “विश्व के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर सम्मेलन” जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, इसे 1972 में यूनेस्को की सामान्य सभा में स्वीकृति दी गई।
  • विश्व विरासत कोष अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता वाले स्मारकों को संरक्षित करने से संबंधित गतिविधयों के समर्थन के लिये सालाना 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करता है।
  • विश्व विरासत समिति अनुरोधों की ज़रूरत के अनुसार धन आवंटित करती है, सबसे अधिक संकटग्रस्त स्थलों को प्राथमिकता दी जाती है।

स्रोत: द हिंदू


मेघालय का जल नीति मसौदा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मेघालय मंत्रिमंडल ने जल के प्रयोग और राज्य में जल स्रोतों के संरक्षण एवं जल बचाव के मुद्दे का समाधान करने हेतु जल नीति के मसौदे को मंज़ूरी दी है। इस प्रकार मेघालय जल नीति को मंज़ूरी देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस नीति में जल के प्रयोग एवं आजीविका संबंधी तथा जल निकायों के संरक्षण जैसे सभी मुद्दों को रेखांकित किया गया है।
  • साथ ही ग्रामीण स्तर पर जल स्वच्छता ग्राम परिषद का गठन करके इस नीति के कार्यान्वयन में सामुदायिक भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है। इस नीति के माध्यम से भूजल के मुद्दे को भी संबोधित किया गया है। इसके अलावा जल में आयरन की उच्च मात्रा अथवा जल की अम्लीय गुणवत्ता की भी जाँच की जाएगी।
  • यह नीति मेघालय सरकार के राज्य जल संसाधन विभाग (State Water Resources Department) ने जल निकायों के संरक्षण और रक्षा विशेषज्ञों से परामर्श करके तैयार की है।
  • मेघालय एक पर्वतीय राज्य है जहाँ वर्षा तो अधिक होती है लेकिन जल संरक्षण नहीं हो पाता है।
  • हाल ही में मेघालय सरकार ने जल संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु जल शक्ति मिशन भी लॉन्च किया है।

राज्य जल नीति मसौदा (Draft State Water Policy)

मेघालय में स्थित जल निकाय, जल संरक्षण के अभाव और खनन की अवैध गतिविधियों से प्रभावित है। ऐसे में यह जल नीति इस समस्या का प्रभावी समाधान साबित हो सकती है।

लक्ष्य

  • एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन द्वारा वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिये सुशासन का आश्वासन देते हुए, स्वास्थ्य और आजीविका में सुधार लाना तथा इसके लिये सामुदायिक भागीदारी के साथ-साथ मेघालय के जल संसाधनों के सतत् विकास, प्रबंधन एवं उपयोग को बढ़ावा देना है।

इस नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है:

A. संसाधन आधारित उद्देश्य

  • जल के समान, सतत्, किफायती और कुशल आवंटन के लिये जल से जुड़े प्रावधानों को लागू करना।
  • झरनों एवं जल संग्रहण निकायों को संरक्षित करना।
  • आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने का प्रयास करना।
  • सभी जल स्रोतों की मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रखने हेतु 3R- रिड्यूस, रीसाइकल और रीयूज़ (पुन: उपयोग) के सिद्धांत को बढ़ावा देना जिससे इनका बचाव एवं संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

B. प्रबंधन व क्रियांवयन आधारित उद्देश्य

  • राज्य के सभी निवासियों हेतु पीने, घरेलू और स्वच्छता एवं आजीविका चलाने के लिये सुरक्षित तथा स्वच्छ जल की पहुँच सुनिश्चित करना; जल संसाधनों को एक सामान्य पूल संसाधन के रूप में पहचान दिलाना।
  • जल क्षेत्र हेतु पानी के आर्थिक मूल्य को ध्यान में रखते हुए एक कुशल और प्रभावी नियामक ढाँचे की स्थापना करना।
  • जल संसाधनों के विकास और प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना और समर्थन करना।
  • नवीनतम उपकरणों, प्रौद्योगिकियों, गतिशील और सुलभ डेटा और जानकारियों का समुदाय और अन्य हितधारकों द्वारा उपयोग हेतु बढ़ावा देना।
  • जल संबंधी हस्तक्षेप और गतिविधियों का अभिसरण सुनिश्चित करना।

मसौदा नीति के तहत अन्य प्रावधान

  • जल आवंटन प्राथमिकता (Water Allocation Priority)
  • परियोजना की प्लानिंग और क्रियान्वयन (Project Planning and Implementation)
  • भागीदारी जल संसाधन प्रबंधन (Participatory Water Resource Management)
  • जल संसाधनों के संरक्षण, दोहन और कुशल उपयोग को प्रोत्साहित करना (Conserving, Harnessing and Promoting Efficient Use Of Water Resources)
  • जलवायु परिवर्तन के लिये अनुकूलन (Adaptation To Climate Change)
  • जल आपूर्ति और स्वच्छता (Water Supply & Sanitation)
  • बाढ़ और सूखे का प्रबंधन (Management of Flood & Drought)
  • पानी की गुणवत्ता (Water Quality)
  • जल शुल्क (Water Tariffs)
  • अनुसंधान और क्षमता निर्माण (Research and Capacity Building)
  • डाटा प्रबंधन और सूचना प्रणाली (Data Management and Information System)
  • ट्रांस-बाउंड्री नदियाँ (Trans-Boundary Rivers)
  • संस्थागत व्यवस्था (Institutional Arrangements)
  • राज्य जल नीति हेतु कार्यान्वयन रणनीति (Implementation Strategy for The State Water Policy)

स्रोत: द हिंदू


राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण बिल (संशोधन), 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोक सभा में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण बिल (संशोधन), 2019 [National Investigation Agency (Amendment) Bill, 2019] पारित किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • यह विधेयक राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) अधिनियम, 2008 में संशोधन करता है।
  • यह विधेयक राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी (NIA) को अनुसूची के तहत सूचीबद्ध अपराधों की जाँच करने एवं उन पर मुकदमा चलाने की शक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा यह संशोधन विधेयक अनुसूचित अपराधों की सुनवाई हेतु विशेष न्यायालयों की स्थापना की भी अनुमति देता है।
  • NIA की स्थापना वर्ष 2009 में मुंबई आतंकवादी हमले के बाद की गई थी जिसमें 166 लोगों की मृत्यु हो गई थी।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण बिल (संशोधन), 2019 के अंतर्गत किये गए प्रावधान

1. सूचीबद्ध अपराध (Scheduled offences)

  • इस अधिनियम के अंतर्गत अपराधों की एक सूची बनाई गई है जिन पर NIA जाँच कर सकती है और मुकदमा चला सकती है। इस सूची में परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 (Atomic Energy Act) और गैर-कानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम, 1967 (Unlawful Activities Prevention Act) जैसे अधिनियमों के तहत सूचीबद्ध अपराध शामिल हैं।
  • यह अधिनियम NIA को निम्नलिखित अपराधों की जाँच करने की अनुमति देता है:

(i) मानव तस्करी,

(ii) जाली मुद्रा या बैंक नोटों से संबंधित अपराध,

(iii) प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री,

(iv) साइबर आतंकवाद ,

(v) विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 (Explosive Substances Act) के तहत अपराध।

2. NIA का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of the NIA)

  • NIA के अधिकारियों के पास पूरे भारतवर्ष में उपरोक्त अपराधों की जाँच करने के संबंध में अन्य पुलिस अधिकारियों के समान ही शक्तियाँ प्राप्त हैं।
  • NIA के पास भारत के बाहर घटित ऐसे अनुसूचित अपराधों, जो अंतर्राष्ट्रीय संधियों और अन्य देशों के घरेलू कानूनों के अधीन है, की जाँच करने की शक्ति होगी।
  • केंद्र सरकार, NIA को भारत में घटित सूचीबद्ध अपराध के मामलों की जाँच के सीधे निर्देश दे सकती है।
  • सूचीबद्ध अपराधों के मामले नई दिल्ली की विशेष अदालत के अधिकार क्षेत्र में आ जाएंगे।

3. विशेष न्यायालय (Special Courts)

  • यह अधिनियम सूचीबद्ध अपराधों की सुनवाई हेतु केंद्र सरकार को विशेष न्यायालयों का गठन करने की अनुमति देता है।
  • साथ ही इस विधेयक में यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार सूचीबद्ध अपराधों के संबंध में मुकदमा चलाने के लिये सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालयों के रूप में नामित कर सकती है।
  • यदि केंद्र सरकार किसी सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में नामित करना चाहती है तो पहले उसे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श लेना आवश्यक है, जिसके तहत सत्र न्यायालय कार्यरत होता है।
  • यदि किसी क्षेत्र के लिये एक से अधिक विशेष न्यायालय नामित किये जाते हैं, तो वरिष्ठतम न्यायाधीश इन न्यायालयों के मध्य मामलों का वितरण करेगा।
  • इसके अलावा राज्य सरकारें भी सूचीबद्ध अपराधों की सुनवाई हेतु विशेष न्यायालयों के रूप में सत्र न्यायालयों को भी नामित कर सकती हैं।

स्रोत: PRS


बाघों में बढ़ता मानसिक तनाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि बांधवगढ़, कान्हा और सरिस्का राष्ट्रीय उद्यानों के बाघ (Tigers) पर्यटन के कारण मानसिक तनाव से ग्रसित हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • यह अध्ययन हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (The Centre for Cellular & Molecular Biology-CCMB) द्वारा किया गया।
  • अध्ययन में यह भी सामने आया कि बाघों के मध्य बढ़ रहा यह तनाव उनकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है।
  • अध्ययन के अंतर्गत शोधकर्त्ताओं ने वहाँ मौजूद सभी बाघों के पर्यटन सीज़न और गैर-पर्यटन सीज़न के नमूने एकत्रित किये और उनकी अलग-अलग जाँच की। जाँच के नतीज़ों से यह स्पष्ट हुआ कि 8-9 महीने की पर्यटन अवधि के दौरान बाघों का तनाव स्तर बहुत अधिक था।
  • अध्ययन से जुड़े एक शोधकर्त्ता के अनुसार, उन्होंने राष्ट्रीय उद्यानों में प्रवेश करने वाली गाड़ियों और बाघों के मध्य बढ़ रहे तनाव में सह-संबंध स्थापित किया, जिससे यह सामने आया कि इसका प्रमुख कारण राष्ट्रीय उद्यानों का पर्यावरण ही है।

कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र:

  • सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलिक्यूलर बॉयोलॉजी (The Centre for Cellular & Molecular Biology-CCMB) आधुनिक जीव विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रमुख अनुसंधान संगठन है।
  • CCMB की शुरुआत 1 अप्रैल, 1977 को एक अर्ध-स्वायत्त संस्थान के रूप में की गई थी।
  • CCMB के प्रमुख उद्देश्य:
    • आधुनिक जीव विज्ञान के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान का संचालन करना।
    • जीव विज्ञान के अंतर-अनुशासनात्मक क्षेत्रों में नई और आधुनिक तकनीकों के लिये केंद्रीकृत राष्ट्रीय सुविधाओं को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

  • CCMB द्वारा किया गया यह अध्ययन देश के राष्ट्रीय उद्यानों को वाहनों के आवागमन और अन्य मानवीय बाधाओं से बचाने के लिये सख्त नियमों के निर्माण की सिफारिश करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


संबंधित पार्टी लेन-देन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंडिगो एयरलाइंस के एक प्रमोटर ने अन्य प्रमोटर पर संबंधित पार्टी लेन-देन (Related Party Transactions-RPT) की अनियमितता का आरोप लगाया है। उल्लेखनीय है कि RPT से संबंधित विवाद भारत के उद्यम क्षेत्र में अक्सर सामने आते रहते हैं।

क्या होता है संबंधित पार्टी लेन-देन या रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन?

  • संबंधित पार्टी लेन-देन (Related Party Transactions-RPT) का अभिप्राय उन लेन-देनों से होता है जो कंपनी द्वारा स्वयं से ही संबंधित किसी पार्टी के साथ किये जाते हैं।
  • उदाहरण के लिये, यदि कोई कंपनी A अपने निदेशक Mr. X से कुछ सामान या सेवाएँ खरीदती है तो इसे हम RPT या रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन कहेंगे।
  • इसी प्रकार यदि कंपनी A, Mr. Y (जोकि Mr. X के संबंधी हैं) से कोई सामान या सेवा खरीदती है या उधार लेती है तो भी इसे RPT ही कहा जाएगा।

संबंधित पार्टी/पक्ष (Related Party) का अर्थ:

  • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(76) के अनुसार संबंधित पार्टी में कंपनी के निम्न पक्षों को शामिल किया जाता है:
    • कंपनी का निदेशक या उसके रिश्तेदार
    • मुख्य प्रबंधक या उसके रिश्तेदार
    • ऐसी फर्म जिसमें निदेशक या मुख्य प्रबंधक सदस्य हो
    • ऐसा व्यक्ति जो कंपनी के प्रबंधन को प्रभावित करने की क्षमता रखता हो

RPT से संबंधित जोखिम

  • RPT से जुड़ा एक बड़ा जोखिम यह है कि इसका प्रयोग रिलेटेड पार्टी को अनुचित फायदा पहुँचाने के लिये किया जा सकता है, जिससे कंपनी के शेयरधारकों के हितों को नुकसान पहुँच सकता है।
  • उदाहरण के लिये, यदि कंपनी A, Mr. Y (जोकि कंपनी के निदेशक Mr. X के रिश्तेदार हैं) से कार्यालय परिसर को उधार पर लेती है और Mr. X के कहने पर इस परिसर के लिये Mr. Y को बाज़ार मूल्य से अधिक का भुगतान किया जाता है, जिससे Mr. Y का फायदा होता है तो यह अप्रत्यक्ष रूप से कंपनी का नुकसान होगा तथा Mr. X यानि कंपनी के निदेशक का फायदा।
  • परंतु, यह आवश्यक नहीं है कि सभी मामलों में RPT जोखिमयुक्त ही हो। कभी-कभी RPT कंपनी की लेन-देन लागतों को सुरक्षित रखने और उसकी परिचालन दक्षता में सुधार करने में भी लाभकारी भूमिका निभाता है। इसी कारणवश कंपनी अधिनियम में इसे प्रतिबंधित नहीं किया गया है। हालाँकि कंपनी अधिनियम में इसके लिये कुछ सुरक्षा उपायों का निर्धारण किया गया है।

कंपनी अधिनियम द्वारा निर्धारित सुरक्षा उपाय:

  • किसी भी रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन को पूरा करने के लिये कंपनी के निदेशक मंडल (Board of Directors) और अंकेक्षक समिति (Audit Committee) से मंज़ूरी लेना आवश्यक होता है।
  • यदि इस प्रकार के ट्रांजेक्शन का मूल्य एक निर्धारित सीमा से अधिक होता है तो इसके लिये कंपनी के शेयरधारकों द्वारा कंपनी की आम सभा में बहुमत से एक विशेष प्रस्ताव पारित किया जाता है।
  • यदि कंपनी अधिनियम के उपरोक्त नियमों का उल्लंघन होता है तो उस ट्रांजेक्शन को अवैद्य करार दिया जा सकता है और उल्लंघनकर्त्ता को दंडित भी किया जा सकता है।

RPT का महत्त्व

  • एक कंपनी में कंपनी के प्रवर्तक, निदेशक और अन्य कर्मचारियों के अतिरिक्त कई शेयरधारक शामिल होते हैं जिन्होंने अपना-अपना पैसा कंपनी में निवेश किया होता है और उनके हितों की रक्षा करना कंपनी का दायित्व होता है। परंतु, इस प्रकार के ट्रांजेक्शन से मुख्यतः कंपनी के शेयरधारियों को अप्रत्यक्ष हानि होती है और इसलिये ये ट्रांजेक्शन काफी महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


वॉश कार्यक्रम

संदर्भ

स्वास्थ्य सुविधाओं की बढ़ती संख्या के बावजूद स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार न होना अत्यधिक चिंताजनक है। इसका एक प्रमुख कारण स्वास्थ्य केंद्रों के आसपास अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरण को स्वच्छ रखने वाली सेवाओं सहित वॉश (Wate adequate, Sanitation and Hygiene-WASH) सुविधाओं का अभाव होना है। 2016 के आँकड़ो के अनुसार, 1.5 बिलियन लोगों के पास कोई सफाई सुविधा उपलब्ध नहीं है। यही स्थिति कमोबेश स्वास्थ्य केंद्रों की भी है। इसी चिंता के मद्देनज़र विश्व स्वास्थ संगठन और यूनिसेफ द्वारा वैश्विक स्तर पर वॉश कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • मार्च 2019 में नई दिल्ली में संपन्न WHO की एक बैठक में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (Universal Health Coverage) के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये वॉश कार्यक्रम में सुधार की आवश्यकता की बात की गई। साथ ही दक्षिण एशिया में सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु इस कार्यक्रम के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला गया।
  • वॉश कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थ्य केंद्रों की गुणवत्ता में आवश्यक सुधार किया जा सकता है। साथ ही सफाई के ग्रामीण शहरी विभाजन के आँकड़ों को भी कम किया जा सकता है।
  • वॉश कार्यक्रम के लिये WHO और यूनिसेफ द्वारा निर्धारित मानकों को लागू किया जाना चाहिये। साथ ही इन मानकों के समान ही राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसे मानकों का निर्धारण किया जाना चाहिये।
  • इन मानकों को लागू करने के लिये स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों, नर्सों और सफाईकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिये जिससे इन क्षेत्रों में सफाई की एक संस्कृति को विकसित किया जा सके।\

WASH रणनीति

WASH ‘जल, सफाई एवं स्वच्छता’ का संक्षिप्त रूप है। WASH तक सार्वभौमिक, सस्ती एवं स्थायी पहुँच अंतर्राष्ट्रीय विकास हेतु एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है तथा सतत् विकास लक्ष्य 6 का केंद्रबिंदु है।

  • स्वास्थ्य क्षेत्रों के सभी कामगारों को सूचना अभियानों के साथ-साथ संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण प्रक्रियाओं (Infection Prevention and Control Procedures-IPC) की जानकारी प्रदान की जानी चाहिये।
  • वॉश संकेतकों से संबंधित डेटा को नियमित रूप से अद्यतित किया जाना चाहिये जिससे कार्यक्रम में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। साथ ही WHO देशों के बीच डेटा साझा करके प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र की नीतियों और परिणामों के मध्य अंतर को कम किया जा सके।
  • इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य असेम्बली में वॉश कार्यक्रम हेतु घरेलू और बाह्य निवेश को आकर्षित करने के लिये एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को बढ़ावा देना है।
  • इसकी स्थापना 7 अप्रैल, 1948 में हुई थी। इसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है।
  • WHO संयुक्त राष्ट्र विकास समूह (United Nations Development Group) का सदस्य है।

यूनिसेफ:

  • यूनिसेफ का गठन वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र के एक अंग के रूप में किया गया था।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में है। ध्यातव्य है कि वर्तमान में 190 देश इसके सदस्य हैं।
  • वस्तुतः इसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध से प्रभावित हुए बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने तथा उन तक खाना और दवाएँ पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया था।

स्रोत: द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (16 July)

  • भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 15 जुलाई को तड़के 2:51 पर होने वाली चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग तकनीकी कारणों से 56:24 मिनट पहले रोक दी। इसरो के वैज्ञानिक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि लॉन्च से पहले यह तकनीकी खामी कैसे आई। इसरो की ओर से कहा गया कि GSLV-Mk3 लॉन्च व्हीकल (रॉकेट) में खामी आने की वज़ह से लॉन्चिंग टाली गई है। अपने दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 के साथ ISRO अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने की तैयारी कर रहा है, क्योंकि अभी तक दुनिया के पाँच देश ही चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करा पाए हैं। ये देश हैं- अमेरिका, रूस, यूरोप, चीन और जापान, इनके बाद भारत ऐसा करने वाला छठा देश होगा। हालाँकि रोवर उतारने के मामले में भारत चौथा देश होगा क्योंकि इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर लैंडर और रोवर उतार चुके हैं। चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा, जहाँ अभी तक कोई देश नहीं पहुँचा है।
  • दुनियाभर में प्रदूषण की बड़ी वजहों में से एक विमानन उद्योग पर फ्राँस ने अपने यहाँ से उड़ान भरने वाली सभी विदेशी उड़ानों पर 18 यूरो (लगभग 1385 रुपए) का टैक्स लगाने का ऐलान किया है। इसे इको टैक्स नाम दिया गया है। इसमें फ्राँस या यूरोप के भीतर इकोनॉमी क्लॉस के टिकट पर 1.5 यूरो (115 रुपए), बिजनेस क्लास पर 900 रुपये का शुल्क लगेगा। जबकि विदेशी उड़ानों के बिज़नेस क्लॉस के टिकट पर सबसे अधिक 18 यूरो का शुल्क लगेगा। यह टैक्स जनवरी 2020 से लागू हो जाएगा और इससे एकत्र धन से कम प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की मदद की जाएगी। इससे फ्राँस को हर साल 1400 करोड़ रुपए की आय होगी, जो इलेक्ट्रिक और स्वच्छ ऊर्जा के नए उद्योगों का बुनियादी ढाँचा तैयार करने में खर्च की जाएगी। फ्राँस आने वाली उड़ानों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। ज्ञातव्य है कि इसी तरह के ग्रीन टैक्स की शुरुआत स्वीडन ने अप्रैल 2018 में की थी। स्वीडन सरकार हर हवाई टिकट पर लगभग 40 यूरो टैक्स वसूलती है। यह धन हवाई यात्रा से जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में खर्च किया जाता है।
  • दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपना घर छोड़कर दिल्ली के रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और कई सार्वजनिक जगहों पर लावारिस घूम रहे 333 बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने के लिये ऑपरेशन मिलाप चलाया। क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट दिल्ली पुलिस के सभी ज़िलों में चल रही यूनिट की नोडल एजेंसी है। इसका उद्देश्य परिवार से बिछड़े हुए बच्चों को उनके माता-पिता और परिवार से मिलाना है। इसके लिये हर पखवाड़े राजधानी के रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और अन्य जगहों में चेकिंग ड्राइव चलाई जाती है। इस दौरान लावारिस और आवारा घूम रहे बच्चों को तलाशा जाता है। इस काम के लिये NGOs की मदद भी ली जाती है। यहाँ से रेस्क्यू किये बच्चों की काउंसलिंग की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर मेडिकल हेल्प भी उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा यूनिट की टीम राजधानी के चिल्ड्रेंस होम में घूमकर वहाँ रह रहे बच्चों के बारे में जानकारी हासिल करती है और उनके परिजनों को खोजने में मदद करती है। क्राइम ब्रांच ने इसके लिये एक डेटाबेस भी बनाया है।
  • 11 से 14 जुलाई तक मेघालय की राजधानी शिलांग से 64 किमी. दूर जोवाई में बेहदीनखलम (Behdeinkhlam) महोत्सव का आयोजन किया गया। वार्षिक तौर पर होने वाला यह उत्सव मेघालय की जयंतिया जनजाति का सबसे लोकप्रिय त्योहार है। इस उत्सव में बाँस और कागज़ से लंबी संरचनाएँ बनाई जाती हैं, जिन्हें रॉट (Rot) कहते हैं। बेहदीनखलम का शाब्दिक अर्थ ‘लकड़ी की छड़ियों से शैतान (प्लेग या कॉलरा) को भगाना’ है। विदित हो कि मेघालय का गठन असम के अंतर्गत 2 अप्रैल, 1970 को एक स्वायत्तशासी राज्य के रूप में किया गया था। एक पूर्ण राज्य के रूप में मेघालय 21 जनवरी, 1972 को अस्तित्व में आया। इसकी उत्तरी और पूर्वी सीमाएँ असम से और दक्षिणी तथा पश्चिमी सीमाएँ बांग्लादेश से मिलती हैं।
  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की प्रबंध निदेशक अंशुला कांत को विश्व बैंक का प्रबंध निदेशक एवं मुख्य वित्त अधिकारी नियुक्त किया गया है। विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मल्पास के अनुसार, अंशुला विश्व बैंक समूह में वित्तीय जोखिम प्रबंधन का दायित्व संभालेंगी और अध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगी। अंशुला को वित्त, बैंकिंग का 35 वर्ष का अनुभव है तथा अन्य प्रमुख प्रबंधन कामों में वह वित्तीय रिपोर्टिंग, रिस्क मैनेजमेंट और अन्य वित्तीय संसाधनों को एकत्र करने पर विश्व बैंक के CEO के साथ मिलकर काम करेंगी। आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक को ही विश्व बैंक कहा जाता है। इसका मुख्यालय अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन DC में है। विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एक अहम संस्था है और यह कई संस्थाओं का समूह है, इसीलिये इसे विश्व बैंक समूह (World Bank Group) भी कहा जाता है। वर्तमान में विश्व बैंक में 189 देश सदस्य हैं।