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डेली न्यूज़

  • 15 Jun, 2022
  • 57 min read
भारतीय राजनीति

दंड परिहार के नए मानदंड

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रपति की क्षमा शक्ति, अनुच्छेद 72, राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय, अनुच्छेद 161, राज्यपाल। 

मेन्स के लिये:

छूट और संबंधित संवैधानिक प्रावधान। 

चर्चा में क्यों? 

गृह मंत्रालय ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में कैदियों को विशेष छूट देने के लिये राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किये हैं। 

दिशा-निर्देश: 

  • विशेष परिहार: 
    • आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में कैदियों की एक निश्चित श्रेणी को विशेष छूट दी जाएगी। इन कैदियों को तीन चरणों में रिहा किया जाएगा। 
  • पात्रता: 
    • 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएँ और ट्रांसजेंडर कैदी तथा 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष कैदी 
      • इन कैदियों को अर्जित सामान्य छूट की अवधि की गणना किये बिना अपनी कुल सज़ा अवधि का 50% पूरा करना होगा। 
    • 70% या अधिक की विकलांगता  के साथ शारीरिक रूप से अक्षम कैदी जिन्होंने अपनी कुल सज़ा की अवधि का 50% पूरा कर लिया है। 
    • गंभीर रूप से बीमार सज़ायाफ्ता कैदी जिन्होंने अपनी कुल सज़ा का दो-तिहाई (66%) पूरा कर लिया है। 
    • गरीब या निर्धन कैदी जिन्होंने अपनी सज़ा पूरी कर ली है लेकिन उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान न कर पाने के कारण वे अभी भी जेल में हैं। 
    • ऐसे व्यक्ति जिन्होंने कम उम्र (18-21) में अपराध किया हो और उनके खिलाफ कोई अन्य आपराधिक संलिप्तता या मामला नहीं है तथा अपनी सज़ा कीअवधि का 50% पूरा कर लिया है, वे भी पात्र होंगे। 
  • योजना से बाहर रखे गए कैदी: 
    • मौत की सज़ा के साथ दोषी ठहराए गए व्यक्ति या जहांँ मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है या किसी ऐसे अपराध के लिये दोषी ठहराया गया है, जिसके लिये मौत की सज़ा को सज़ा में से एक के रूप में निर्दिष्ट किया गया है। 
    • आजीवन कारावास की सज़ा के साथ दोषी ठहराए गए व्यक्ति। 
    • आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अपराधी या दोषी व्यक्ति- आतंकवादी और विघटनकारी कार्यकलाप (निवारण) अधिनियम, 1985; आतंकवादी रोकथाम अधिनियम, 2002;  गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967; विस्फोटक अधिनियम, 1908; राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1982; आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 और अपहरण विरोधी अधिनियम, 2016। 
    • दहेज हत्या, जाली नोंट, बच्चों के खिलाफ यौन अपराध संबंधी दंड को अधिक कठोर बनाने हेतु बाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012; अनैतिक तस्करी अधिनियम, 1956; धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 आदि के अपराध के लिये दोषी व्यक्तियों के मामले में राज्य के खिलाफ (आईपीसी का अध्याय-VI) अपराध और कोई अन्य कानून जिसे राज्य सरकारें या केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन बाहर करना उचित समझते हैं, विशेष छूट के लिये योग्य नहीं होंगे। 

परिहार: 

  • परिहार के बारे में: 
    • परिहार (Remission) एक बिंदु पर किसी दंड या सज़ा की पूर्ण रूप से समाप्ति है। परिहार फर्लो (Furlough) और पैरोल (Parole) दोनों से इस मायने में अलग है कि यह जेल जीवन से विराम के विपरीत सज़ा में कमी है। 
    • परिहार में दंड की प्रकृति अछूती रहती है, जबकि अवधि कम हो जाती है, यानी शेष दंड को पारित करने की आवश्यकता नहीं होती है। 
    • परिहार का प्रभाव यह है कि कैदी को एक निश्चित तारीख दी जाती है जिस दिन उसे रिहा किया जाएगा और कानून की नज़र में वह एक स्वतंत्र व्यक्ति होगा। 
    • हालांँकि परिहार छूट की किसी भी शर्त के उल्लंघन के मामले में इसे रद्द कर दिया जाएगा और अपराधी को पूरी अवधि करनी होगी जिसके लिये उसे मूल रूप से सज़ा सुनाई गई थी। 
  • पृष्ठभूमि: 
    • परिहार प्रणाली को जेल अधिनियम, 1894 के तहत परिभाषित किया गया है, जो कुछ समय के लिये लागू नियमों का एक समूह है, जो जेल में कैदियों को उनके व्यवहार का आकलन करने और उसके परिणामस्वरूप सज़ा को कम करने के लिये विनियमित करता है। 
    • केहर सिंह बनाम भारत संघ (1989) मामले में यह देखा गया कि न्यायालय किसी कैदी को सज़ा से छूट हेतु विचार किये जाने से इनकार नहीं कर सकता है। 
      • न्यायालय द्वारा इनकार किये जाने से कैदी को अपनी आखिरी साँस तक जेल में ही रहना होगा, उसके मुक्त होने की आशा नहीं की जा सकती। 
      • यह न केवल सुधार के सिद्धांतों के खिलाफ होगा, बल्कि यह अपराधी को जीवन के अंत तक प्रकाश की एक झलक के बिना एक अंधेरे वातावरण में धकेल देगा। 
    • सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य बनाम महेंद्र सिंह (2007) मामले में भी कहा कि भले ही किसी भी दोषी को परिहार देना उसका मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन राज्य को अपनी परिहार संबंधी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करते समय प्रत्येक व्यक्तिगत मामले को ध्यान में रखते हुए एवं प्रासंगिक कारकों को देखते हुए विचार करना चाहिये।  
      • इसके अलावा न्यायालय का यह भी विचार था कि छूट के लिये विचार किये जाने के अधिकार को कानूनी माना जाना चाहिये। 
      • यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 20 और 21 के तहत आने वाले दोषी के लिये संवैधानिक सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। 
  • संवैधानिक प्रावधान: 
    • राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों को संविधान द्वारा क्षमा की संप्रभु शक्ति प्रदान की गई है। 
    • अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति किसी भी व्यक्ति की सज़ा को क्षमा, लघुकरण, विराम या प्रविलंबन कर सकता है या निलंबित या कम कर सकता है। 
      • यह सभी मामलों में किसी भी अपराध के लिये दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति हेतु किया जा सकता है, जहाँ: 
        • सज़ा कोर्ट-मार्शल द्वारा हो, उन सभी मामलों में जहाँ सज़ा केंद्र सरकार की कार्यकारी शक्ति से संबंधित किसी भी कानून के तहत अपराध के संदर्भ में है और मौत की सज़ा के सभी मामलों में। 
    • अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल सज़ा को क्षमा, प्रविलंबन, विराम या परिहार दे सकता है, या सज़ा को निलंबित, हटा या कम कर सकता है। 
      • यह राज्य की कार्यकारी शक्ति के अंतर्गत आने वाले मामले में किसी भी कानून के तहत दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति के लिये किया जा सकता है। 
    • अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का दायरा अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से अधिक व्यापक है। 
  • परिहार की सांविधिक शक्ति: 
    • दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) जेल की सज़ा में छूट का प्रावधान करती है, जिसका अर्थ है कि पूरी सज़ा या उसका एक हिस्सा रद्द किया जा सकता है। 
    • धारा 432 के तहत 'उपयुक्त सरकार' किसी सज़ा को पूरी तरह या आंशिक रूप से, शर्तों के साथ या उसके बिना निलंबित या माफ कर सकती है। 
    • धारा 433 के तहत किसी भी सज़ा को उपयुक्त सरकार द्वारा कम किया जा सकता है। 
    • यह शक्ति राज्य सरकारों को उपलब्ध है ताकि वे जेल की अवधि पूरी करने से पहले कैदियों को रिहा करने का आदेश दे सकें। 

शब्दावली: 

  • क्षमा (Pardon)- इसमें दंड और बंदीकरण दोनों को हटा दिया जाता है तथा दोषी को दंड, दंडादेशों एवं निर्हर्ताओं से पूर्णतः मुक्त कर दिया जाता है। 
  • लघुकरण (Commutation)- इसका अर्थ है सज़ा की प्रकृति को बदलना जैसे-मृत्युदंड को कठोर कारावास में बदलना। 
  • परिहार (Remission)- सज़ा की अवधि में बदलाव जैसे- 2 वर्ष के कठोर कारावास को 1 वर्ष के कठोर कारावास में बदलना। 
  • विराम (Respite)- विशेष परिस्थितियों की वजह से सज़ा को कम करना। जैसे- शारीरिक अपंगता या महिलाओं की गर्भावस्था के कारण। 
  • प्रविलंबन (Reprieve) - किसी दंड को कुछ समय के लिये टालने की प्रक्रिया। जैसे- फाँसी को कुछ समय के लिये टालना।      

स्रोत: द हिंदू 


सामाजिक न्याय

विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस, एनजीओ, संयुक्त राष्ट्र महासभा, आईपीओपी, राष्ट्रीय वयोश्री योजना (आरवीवाई), पीएमवीवीवाई, वयोश्रेष्ठ सम्मान, सेज पहल। 

मेन्स के लिये:

बुजुर्गों से संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप 

चर्चा में क्यों?    

हाल ही में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (WEAAD - 15 जून) की पूर्व संध्या पर, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भारत में बुजुर्गों की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की है। 

  • यह रिपोर्ट 22 शहरों में एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा किये गए सर्वेक्षण पर आधारित थी। 

प्रमुख बिंदु  

बुजुर्ग दुर्व्यवहार: 

  • बुजुर्ग दुर्व्यवहार को ‘एक एकल’ या ‘बार-बार होने वाली घटना’ या उचित कार्रवाई की कमी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो किसी भी उस रिश्ते में हो सकती है जहांँ विश्वास की उम्मीद होती है और किसी बुजुर्ग व्यक्ति के नुकसान या परेशानी का कारण बनती है"। 
  • यह एक वैश्विक सामाजिक मुद्दा है जो दुनिया भर में लाखों वृद्ध व्यक्तियों के स्वास्थ्य और मानवाधिकारों को प्रभावित करता है तथा एक ऐसा मुद्दा है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करता है। 
  • वृद्ध दुर्व्यवहार एक ऐसी समस्या है जो विकासशील और विकसित दोनों देशों में मौजूद है, फिर भी आमतौर पर विश्व स्तर पर कम रिपोर्ट की जाती है। 
    • प्रसार दर या अनुमान केवल चयनित विकसित देशों में मौजूद हैं- 1% से 10% तक। 
    • यह एक वैश्विक बहुआयामी प्रतिक्रिया की मांग करता है, जो वृद्ध व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा पर केंद्रित है। 

WEAAD से संबंधित प्रमुख बिंदु: 

  • परिचय: 
    • WEAAD का आयोजन हर वर्ष 15 जून को किया जाता है। 
    • इसे वर्ष 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपने संकल्प 66/127 में आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई थी। 
  • थीम 2022: 
    • डिजिटल इक्विटी फॉर आल एजेज़ (Digital Equity for All Ages) 
  • लक्ष्य: 
    • दुर्व्यवहार और नुकसान से ग्रसित बुजुर्ग लोगों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाना। 
      • इसका प्राथमिक लक्ष्य सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर दुर्व्यवहार और उपेक्षा के संबंध में बेहतर समझ विकसित करना है 

रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएंँ: 

  • आर्थिक स्थिति: 
    • भारत में 47% बुजुर्ग आर्थिक रूप से अपने परिवारों पर निर्भर हैं और 34% पेंशन और नकद हस्तांतरण पर निर्भर हैं, जबकि सर्वेक्षण में 40% लोगों ने "यथासंभव " काम करने की इच्छा व्यक्त की है। 
  • काम करने के इच्छुक नागरिक: 
    • सर्वेक्षण के अनुसार, 71% वरिष्ठ नागरिक काम नहीं कर रहे थे, जबकि 36% काम करने को तैयार थे और 40% “यथासंभव” काम करना चाहते थे। 
      • 30% से अधिक बुजुर्ग विभिन्न सामाजिक कार्यों के लिये अपना समय स्वेच्छा से देने को तैयार थे। 
  • स्वास्थ्य सुविधाएंँ: 
    • 87% बुजुर्गों ने बताया कि आस-पास स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता है, हालांँकि 78% बुजुर्गों ने एप-आधारित ऑनलाइन स्वास्थ्य सुविधाओं की अनुपलब्धता का उल्लेख किया और 67% बुजुर्गों ने बताया कि उनके जीवन में इस महत्त्वपूर्ण चरण में कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं है तथा केवल 13% ही सरकारी बीमा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं। 
  • बुजुर्ग दुर्व्यवहार: 
    • 59% बुजुर्गों ने महसूस किया कि समाज में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार "प्रचलित" था, लेकिन 10% ने खुद के पीड़ित होने की सूचना दी। 

संबंधित पहल : 

आगे की राह  

  • देश में वरिष्ठ नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। 
  • केंद्र को एक व्यापक निवारक पैकेज के साथ आगे कदम बढ़ाना चाहिये जो पोषण, व्यायाम और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने पर ध्यान आकर्षित करने के साथ सामान्य जराचिकित्सा समस्याओं के बारे में जागरूकता प्रदान करे। 

स्रोत: द हिंदू 


भारतीय अर्थव्यवस्था

नियोबैंक

प्रिलिम्स के लिये:

नियोबैंक, पारंपरिक बैंक, आरबीआई, डिजिटल बैंक 

मेन्स के लिये:

भारत, बैंकिंग क्षेत्र और एनबीएफसी के समावेशी विकास एवं वित्तीय साक्षरता के क्षेत्र में नई ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली (नियोबैंक) की भूमिका। 

चर्चा में क्यों? 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) नियोबैंक बिज़नेस मॉडल पर कड़ी नज़र रख रहा है, जहाँ फिनटेक एक पारंपरिक बैंक के नेटवर्क से संबंधित हो जाते हैं और ग्राहक उन्मुख बैंकिंग सेवा प्रदाता बन जाते हैं। 

  • चिंता की बात यह है कि डिजिटल मॉडल व्यवसाय बहुत तेज़ी से बढ़ सकता है और ग्राहकों के मामले में अंतर्निहित बैंक से बड़ा हो सकता है। यद्यपि नियोबैंक ग्राहक अंतर्निहित बैंक के खाताधारक बने रहते हैं, तो इन उपयोगकर्त्ताओं के लिये उपलब्ध एकमात्र चैनल फिनटेक के स्वामित्व वाला डिजिटल प्लेटफॉर्म है। 

NeoBank

 नियोबैंक: 

  • नियोबैंक एक तरह का डिजिटल बैंक है जिसकी कोई शाखा नहीं है। किसी विशिष्ट स्थान पर भौतिक रूप से उपस्थित होने के बजाय, नियोबैंकिंग पूरी तरह से ऑनलाइन है। 
  • नियोबैंक वित्तीय संस्थान हैं जो ग्राहकों को पारंपरिक बैंकों का एक सस्ता विकल्प देते हैं।  
  • वे परिचालन लागत को कम करते हुए ग्राहकों को व्यक्तिगत सेवाएँ प्रदान करने के लिये प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाते हैं।  
  • नियोबैंक ने 'चैलेंजर बैंक' के टैग के साथ वित्तीय प्रणाली में प्रवेश किया क्योंकि उन्होंने पारंपरिक बैंकों के जटिल बुनियादी ढाँचे और ‘क्लाइंट ऑनबोर्डिंग’ प्रक्रिया को चुनौती दी थी। 
  • भारत में इन फर्मों के पास स्वयं का कोई बैंक लाइसेंस नहीं है, ये लाइसेंस प्राप्त सेवाएँ प्रदान करने के लिये बैंक भागीदारों पर निर्भर हैं। 
    • ऐसा इसलिये है क्योंकि RBI ने अभी तक बैंकों को 100% डिजिटल करने की अनुमति नहीं दी है। 
    • RBI बैंकों की भौतिक उपस्थिति को प्राथमिकता देने के प्रति दृढ़ है और उसने डिजिटल बैंकिंग सेवा प्रदाताओं के लिये कुछ भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता के बारे में भी बात की है। 
  • रेजरपेएक्स, जुपिटर, नियो, ओपन आदि भारत के शीर्ष नियोबैंक के उदाहरण हैं। 

नियोबैंक के विभिन्न ऑपरेटिंग मॉडल: 

  • गैर-लाइसेंस प्राप्त फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) फर्में, पारंपरिक बैंकों के साथ मिलकर एक मोबाइल/वेब प्लेटफॉर्म और अपने सहयोगी बैंकों के उत्पादों के चारों ओर एक आवरण बनाए रखती हैं। 
  • पारंपरिक बैंक जो डिजिटल पहल कर रहे हैं। 
  • लाइसेंस प्राप्त नियोबैंक (आमतौर पर उन देशों में डिजिटल बैंकिंग लाइसेंस के साथ जो इसे अनुमति देते हैं)। 

पारंपरिक बैंकों और नियोबैंक के बीच अंतर: 

  • फंडिंग और ग्राहकों का भरोसा: नियोबैंक की तुलना में पारंपरिक बैंकों के कई फायदे हैं, जैसे कि फंडिंग और सबसे महत्त्वपूर्ण ग्राहकों का भरोसा। 
    • हालांँकि विरासत प्रणालियांँ उनका महत्त्व कम कर रही हैं और उन्हें तकनीक-प्रेमी पीढ़ी की बढ़ती ज़रूरतों के अनुकूल होना मुश्किल लगता है। 
  • नवाचार: नियोबैंक के पास पारंपरिक बैंकों को उखाड़ फेंकने के लिये धन या ग्राहक आधार नहीं है, जबकि उनके पास नवाचार है। 
    • वे पारंपरिक बैंकों की तुलना में अपने ग्राहकों को अधिक तेज़ी से सेवा देने के लिये सुविधाओं को लॉन्च कर सकते हैं और साझेदारी विकसित कर सकते हैं। 
  • पारंपरिक बैंकों द्वारा कम सेवा: नियोबैंक खुदरा ग्राहकों, छोटे और मध्यम व्यवसायों कि आवश्यकता को पूरा करता है, आमतौर पर कार्य पारंपरिक बैंकों द्वारा कम किये जाते हैं। 
    • वे अभिनव उत्पादों को पेश कर और बेहतर ग्राहक सेवा प्रदान करके खुद को अलग करने के लिये मोबाइल-फर्स्ट मॉडल का लाभ उठाते हैं। 
  • उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी निवेशक: वे ऐसे बैंकों के लिये बाज़ार के अवसरों पर गहरी नजर रख रहे हैं और उनमें अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं। 
  • स्मार्टफोन का प्रभाव: वर्ष 2020 तक भारत में स्मार्टफोन प्रवेश दर 54% थी, जो वर्ष 2040 तक 96% तक बढ़ने का अनुमान है। 
    • भले ही 80% आबादी की कम-से-कम एक बैंक खाते तक पहुँंच है, लेकिन वित्तीय समावेशन के स्तर में अभी तक सुधार नहीं हुआ है। 

नियोबैंक के समक्ष चुनौतियाँ: 

  • बाज़ार के एक खंड की ज़रूरतों को पूरा करना: उनकी सफलता की कुंजी बाज़ार के एक खंड की ज़रूरतों को पूरा करने और सही तकनीक, व्यापार रणनीति और कार्य संस्कृति को अपनाने में निहित है। 
  • नियामक बाधाएंँ: चूँंकि RBI ने अभी तक नियोबैंक को मान्यता नहीं दी है, इसलिये आधिकारिक तौर पर ग्राहकों के पास कोई कानूनी सहायता या किसी समस्या के मामले में परिभाषित प्रक्रिया नहीं हो सकती है। 
  • अवैयक्तिक: चूंँकि नियोबैंक्स की भौतिक शाखा नहीं होती है, इसलिये ग्राहकों की व्यक्तिगत सहायता तक पहुंँच नहीं होती है। 
  • सीमित सेवाएंँ: नियोबैंक्स आमतौर पर पारंपरिक बैंकों की तुलना में कम सेवाएंँ प्रदान करते हैं। 

नियोबैंक के लाभ: 

  • कम लागत: कम नियम और क्रेडिट जोखिम की अनुपस्थिति नियोबैंक को अपनी लागत कम रखने की अनुमति देते हैं। बिना मासिक रखरखाव शुल्क के उत्पाद आमतौर पर सस्ते होते हैं। 
  • सुविधा: ये बैंक ग्राहकों को एक एप के माध्यम से अधिकांश (यदि सभी नहीं) बैंकिंग सेवाएंँ प्रदान करते हैं। 
  • गति: नियोबैंक ग्राहकों को त्वरित खाता खोलने और अनुरोधों को तेज़ी से संसाधित करने की अनुमति देता है। वे ऋण की पेशकश करते हैं, ऋण के मूल्यांकन के लिये नवीन रणनीतियों  में अधिक समय लेने वाली आवेदन प्रक्रियाओं को सीमित करते हैं। 
  • पारदर्शिता: नियोबैंक पारदर्शी हैं तथा ग्राहकों पर लगाए गए किसी  शुल्क और दंड की रीयल-टाइम सूचनाएंँ और स्पष्टीकरण प्रदान करने का प्रयास करते हैं। 
  • गहरी अंतर्दृष्टि: अधिकांश नियोबैंक अत्यधिक उन्नत इंटरफेस के साथ डैशबोर्ड समाधान प्रदान करते हैं और भुगतान, भुगतान योग्य और प्राप्य, बैंक स्टेटमेंट जैसी सेवाओं को अधिक सुलभ तरीके से प्रदान करते हैं। 

डिजिटल बैंक और नियोबैंक में अंतर: 

  • डिजिटल बैंक और नियोबैंक एक समान बिल्कुल नहीं हैं, भले ही वे प्रथम दृष्टया डिजिटल ऑपरेटिंग मॉडल पर जोर देने पर आधारित प्रतीत होते हैं। 
  • जबकि कभी-कभी इन शब्दों का परस्पर उपयोग किया जाता है, डिजिटल बैंक अक्सर बैंकिंग क्षेत्र में  स्थापित और विनियमित विंडो आधारित ऑनलाइन कंपनी है, दूसरी ओर एक नियोबैंक, बिना किसी भौतिक शाखा के स्वतंत्र रूप से या पारंपरिक साझेदारी में पूरी तरह से ऑनलाइन रूप में मौजूद होता है। 

आगे की राह 

  • नियोबैंकिंग वित्तीय समावेशन की चुनौतियों को हल करने और अन्य वित्तीय सेवाओं के साथ बैंकिंग सेवाओं को जोड़ने के लिये किये गए उपायों के विस्तार हेतु कार्य कर सकती है, उदाहरण के लिये अप्रवासियों के लिये बैंक खाते खोलने जैसी सेवाएंँ, पहचान के पारंपरिक दस्तावेज़ीकरण पर आधारित नई ऑनबोर्डिंग प्रक्रियाओं के माध्यम से सुविधा प्रदान करना। शुरुआत में छोटे लक्ष्यों के साथ समय पर और अधिक कार्यक्षमताओं एवं सेवाओं को जोड़कर नियोबैंक का विस्तार हो सकता है। 
  • हालाँकि डिजिटल और नियोबैंक गति पकड़ रहे हैं, लेकिन अधिकांश ने अभी तक निरंतर लाभप्रदता की स्थिति नहीं प्रदर्शित की है। इसके बावजूद उनके द्वारा बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न करने की काफी संभावनाएंँ हैं  पारंपरिक बैंकों को और अधिक लाभदायक संस्था में परिवर्तित होने तथा आधुनिक समय की तकनीक में निवेश कर  ग्राहकों को सहज और तीव्र ग्राहक सेवा प्रदान करने हेतु पुन: तकनीकी प्रक्रियाओं को अपनाना होगा। 

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया  


शासन व्यवस्था

अग्निपथ योजना

प्रिलिम्स के लिये:

अग्निपथ योजना और सैनिकों को लाभ, अग्निवीर सेना, नौसेना और वायु सेना। 

मेन्स के लिये:

अग्निपथ योजना का महत्त्व, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप। 

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में सरकार ने तीनों सेवाओं (सेना, नौसेना और वायु सेना) में सैनिकों की भर्ती के लिये अग्निपथ योजना का अनावरण किया है। 

Agnipath-Scheme

अग्निपथ योजना: 

  • परिचय: 
    • यह देशभक्त और प्रेरित युवाओं को चार साल की अवधि के लिये सशस्त्र बलों में सेवा करने की अनुमति देता है। 
    • इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा और युवा कुछ समय के लिये सेना में भर्ती हो सकेंगे। 
    • नई योजना के तहत लगभग 45,000 से 50,000 सैनिकों की सालाना भर्ती की जाएगी और अधिकांश केवल चार वर्षों में सेवा छोड़ देंगे। 
    • हालांँकि चार साल के बाद बैच के केवल 25% को ही 15 साल की अवधि के लिये उनकी संबंधित सेवाओं में वापस भर्ती किया जाएगा। 
  • पात्रता मापदंड: 
    • यह केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों के लिये है (जो कमीशन अधिकारी के रूप में सेना में शामिल नहीं होते हैं)। 
      • कमीशन अधिकारी सेना के उच्चतम रैंक के अधिकारी हैं।   
      • कमीशन अधिकारी भारतीय सशस्त्र बलों में एक विशेष रैंक रखते हैं। वे अक्सर राष्ट्रपति की संप्रभु शक्ति के तहत कमीशन किये जाते हैं और उन्हें आधिकारिक तौर पर देश की रक्षा करने का निर्देश होता है। 
    • 17.5 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के बीच के उम्मीदवार आवेदन करने के लिये पात्र होंगे। 
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य देशभक्त और प्रेरित युवाओं को 'जोश' और 'जज्बे' के साथ सशस्त्र बलों में शामिल होने का अवसर प्रदान करना है। 
    • इससे भारतीय सशस्त्र बलों की औसत आयु प्रोफाइल में लगभग 4 से 5 वर्ष की कमी आने की उम्मीद है। 
    • इस योजना में यह परिकल्पना की गई है कि सशस्त्र बलों में वर्तमान में औसत आयु 32 वर्ष है, जो 6-7 वर्ष घटकर 26 वर्ष हो जाएगी। 
  • अग्निवीरों को लाभ: 
    • सेवा के 4 वर्ष पूरे होने पर अग्निवीरों को 11.71 लाख रुपए का एकमुश्त 'सेवा निधि' पैकेज का भुगतान किया जाएगा जिसमें उनका अर्जित ब्याज शामिल होगा। 
    • उन्हें चार साल के लिये 48 लाख रुपए का जीवन बीमा कवर भी मिलेगा। 
    • मृत्यु के मामले में भुगतान न किये गए कार्यकाल के लिये वेतन सहित 1 करोड़ रुपए से अधिक की राशि होगी। 
    • सरकार चार साल बाद सेवा छोड़ने वाले सैनिकों के पुनर्वास में मदद करेगी। उन्हें स्किल सर्टिफिकेट और ब्रिज कोर्स (Bridge Courses) प्रदान किये जाएंँगे। 

संबंधित चिंताएंँ: 

  • दूसरी नौकरी ढूँढना मुश्किल: 
    • 'अग्निपथ' योजना से पहले साल में थल सेना, नौसेना और वायु सेना में लगभग 45,000 सैनिकों की भर्ती चार साल के अल्पकालिक अनुबंध पर कि जाएगी। अनुबंध पूरा होने के बाद उनमें से 25% के अलावा बाकी को सेन्य सेवा से मुक्त करना होगा। 
    • चार साल के सेवा काल का मतलब होगा कि उसके बाद अन्य नौकरियांँ उनकी पहुंँच से बाहर होंगी और चार साल की अवधि पूरा करने वाले सैेनिक पुन: सेवा के लिये पात्र नहीं होगे। 
  • कोई पेंशन लाभ नहीं: 
    • अग्निपथ योजना के तहत नियुक्त किये गए जवानों को उनके चार साल का कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपए से थोड़ा अधिक की एकमुश्त राशि दी जाएगी। 
    • हालांकि उन्हें कोई पेंशन लाभ प्राप्त नहीं होगा, अत: ऐसी स्थिति में अधिकांश के लिये अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने हेतु दूसरी नौकरी की तलाश करना ज़रूरी होगा।  
  • प्रशिक्षण अप्रयुक्त रहना: 
    • सेना अनुभवी सैनिकों को खो देगी। 
    • थल सेना, नौसेना और वायु सेना में शामिल होने वाले जवानों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे चल रहे अभियानों में सहयोग कर सकें लेकिन ये पुरुष और महिलाएँ चार साल बाद सेवा से बाहर हो जाएंगे, जो एक शून्य कि स्थिति पैदा कर सकता है। 

देश के लिये ऐसे कदम का महत्त्व: 

  • भविष्य के लिये तैयार सैनिक:  
    • यह "भविष्य के लिये तैयार" सैनिकों का निर्माण करेगा। 
  • रोज़गार के अधिक अवसर:  
    • इससे रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और चार साल की सेवा के दौरान प्राप्त कौशल और अनुभव के कारण ऐसे सैनिकों को विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार मिलेगा। 
  • उच्च कुशल कार्यबल:  
    • इससे अर्थव्यवस्था के लिये एक उच्च-कुशल कार्यबल की उपलब्धता भी होगी जो उत्पादकता लाभ और समग्र सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि में सहायक होगा। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

शंघाई सहयोग संगठन (SCO)

प्रिलिम्स के लिये:

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य, इसकी आधिकारिक भाषा, उद्देश्य और पहल। 

मेन्स के लिये:

SCO के मुद्दे और चुनौतियांँ। 

चर्चा में क्यों? 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के अधिकृत निकायों के बीच युवा कार्य के क्षेत्र में सहयोग पर समझौते को मंजूरी दी है। 

  • युवा कार्य के क्षेत्र में सहयोग पर SCO के सदस्य देशों द्वारा 17 सितंबर, 2021 को समझौते को अपनाने के परिणामस्वरूप इस समझौते पर युवा मामले और खेल मंत्री द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे। 

समझौते की मुख्य विशेषताएंँ: 

  • उद्देश्य: 
    • SCO के सदस्य देशों के युवाओं के बीच आपसी विश्वास, मैत्रीपूर्ण संबंधों और सहयोग को मज़बूत करना। 
    • SCO सदस्य देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को सुदृढ़ कर युवा सहयोग के विकास को सुनिश्चित करना।  
    • अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के आधार पर युवा सहयोग की स्थितियों में और अधिक सुधार  की मांग करना। 
  • सहयोग के क्षेत्र: 
    • राज्य युवा नीति को लागू करना, सार्वजनिक युवा संगठनों (संघों) के साथ कार्य क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत करना। 
    • अंतर्राष्ट्रीय युवा सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से पहलों का समर्थन करना 
    • युवाओं के साथ कार्य क्षेत्र में पेशेवर कर्मचारियों का प्रशिक्षण 
    • इसमें शामिल हैं- वैज्ञानिक, संदर्भ और पद्धतिगत सामग्रियों का आदान-प्रदान, राज्य निकायों, युवा सार्वजनिक संगठनों, अन्य संगठनों व संघों के कार्य अनुभव, राज्य युवा नीति के कार्यान्वयन एवं युवा पहलों का समर्थन  
    • विभिन्न युवा नीति मुद्दों और युवा सहयोग पर संयुक्त अनुसंधा नव गतिविधियों को अंजाम देना 
    • वैज्ञानिक प्रकाशनों का आदान-प्रदान, ध्वंसात्मक संरचनाओं में युवाओं की भागीदारी को रोकने के सामयिक मुद्दों पर शोध कार्य 
    • युवाओं को उद्यमिता और नवीन परियोजनाओं में शामिल करने के उद्देश्य से उनके रोज़गार एवं कल्याण को बढ़ाने के उद्देश्य से संयुक्त आर्थिक व मानवीय पहल को बढ़ावा देना 
    • SCO युवा परिषद की गतिविधियों का समर्थन करना। 
      • SCO युवा परिषद का गठन वर्ष 2009 में SCO सदस्य देशों के युवा संगठनों की पहल पर किया गया था। 

शंघाई सहयोग संगठन (SCO): 

  • SCO के बारे में: 
    • SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। 
    • यह एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका लक्ष्य इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखना है। 
    • इसका गठन वर्ष 2001 में किया गया था। 
    • SCO चार्टर वर्ष 2002 में हस्ताक्षरित किया गया था और यह वर्ष 2003 में लागू हुआ। 
  • उत्पत्ति: 
    • वर्ष 2001 में SCO के गठन से पहले कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिज़स्तान, रूस और ताजिकिस्तान शंघाई फाइव (Shanghai Five) के सदस्य थे। 
  • शंघाई फाइव (1996) का उद्भव सीमा सीमांकन और विसैन्यीकरण वार्ता की एक शृंखला के रूप में हुआ, जिसे चार पूर्व सोवियत गणराज्यों द्वारा चीन के साथ सीमाओं पर स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु आयोजित किया गया था। 
  • वर्ष 2001 में संगठन में उज़्बेकिस्तान के शामिल होने के बाद शंघाई फाइव का नाम बदलकर SCO कर दिया गया। 
  • वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके सदस्य बने। 
  • 17 सितंबर, 2021 को यह घोषणा की गई कि ईरान द्वारा SCO की पूर्णकालिक सदस्यता ग्रहण की जाएगी। 
  • उद्देश्य: 
    • सदस्य देशों के मध्य परस्पर विश्वास तथा सद्भाव को मज़बूत करना। 
    • राजनैतिक, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था, अनुसंधान व प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना। 
    • शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण, इत्यादि क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ाना। 
    • संबंधित क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखना तथा सुनिश्चितता प्रदान करना। 
    • एक लोकतांत्रिक, निष्पक्ष एवं तर्कसंगत नव-अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना। 
  • सदस्यता:  
    • वर्तमान में इसके सदस्य देशों में कज़ाखस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं। 
  • संरचना: 
    • राष्ट्र प्रमुखों की परिषद: यह SCO का सर्वोच्च निकाय है जो अन्य राष्ट्रों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अपनी आंतरिक गतिविधियों के माध्यम से बातचीत कर अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करती है। 
    • शासन प्रमुखों की परिषद: SCO के अंतर्गत आर्थिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर वार्ता कर निर्णय लेती है तथा संगठन के बजट को मंज़ूरी देती है। 
    • विदेश मंत्रियों की परिषद: यह दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से संबंधित मुद्दों पर विचार करती है। 
    • क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS.): आतंकवाद, अलगाववाद, पृथकतावाद, उग्रवाद तथा चरमपंथ से निपटने के मामले देखता है। 
    • शंघाई सहयोग संगठन सचिवालय: यह सूचनात्मक, विश्लेषणात्मक तथा संगठनात्मक सहायता प्रदान करने हेतु बीजिंग में अवस्थित है। 

SCO

  • आधिकारिक भाषाएँ : 
    • रूसी और चीनी SCO की आधिकारिक भाषाएँ हैं। 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न: 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022) 

  1. एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक) 
  2. प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (मिसाइल टेक्नोलॉजी कन्ट्रोल रिजीम)  
  3. शंघाई सहयोग संगठन (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाईज़ेशन) 

भारत उपर्युक्त में से किसका सदस्य है? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3 
(c) केवल 2 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन प्रौद्योगिकी (जो 300 किमी से अधिक दूरी  के लिये 500 किलोग्राम से अधिक पेलोड ले जाने में सक्षम) के प्रसार को रोकने के लिये 35 देशों के बीच एक अनौपचारिक और स्वैच्छिक साझेदारी है। 
    • भारत को वर्ष 2016 में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था में 35वें सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। 
  • AIIB एक बहुपक्षीय विकास बैंक है जिसका मिशन एशिया में सामाजिक और आर्थिक परिणामों में सुधार लाना है। 
    • AIIB की सदस्यता विश्व बैंक या एशियाई विकास बैंक के सभी सदस्यों के लिये खुली है और इसे क्षेत्रीय व गैर-क्षेत्रीय सदस्यों में विभाजित किया गया है। 
    • भारत इसमें दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है, जिसने 8.4 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का योगदान दिया है। 
  • SCO एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका लक्ष्य इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखना है। 
    • भारत और पाकिस्तान 9 जून, 2017 को पूर्ण सदस्य के रूप में SCO में शामिल हुए। 

अतः विकल्प (d) सही है। 

स्रोत: पी.आई.बी. 


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

संवाद अनुप्रयोगों के लिये भाषा मॉडल

प्रिलिम्स के लिये:

डायलॉग एप्लीकेशन, चैटबॉट और प्रकार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये भाषा मॉडल। 

मेन्स के लिये:

आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता। 

चर्चा में क्यों? 

गूगल के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने दावा किया कि कंपनी का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चैटबॉट लैं'ग्वेज मॉडल फॉर डायलॉग एप्लीकेशन (LaMDA) "भावुक" हो गया था।  

LaMDA: 

  • परिचय: 
    • गूगल ने सबसे पहले वर्ष 2021 में अपने प्रमुख डेवलपर सम्मेलन (इनपुट/आउटपुट 2022) में संवाद अनुप्रयोगों के लिये जनरेटिव भाषा मॉडल के रूप में LaMDA की घोषणा की थी जो यह आश्वस्त कर सकता है कि एप्लीकेशन किसी भी विषय पर बातचीत करने में सक्षम होगा। 
    • LaMDA विषयों की एक अंतहीन संख्या के बारे में एक मुक्त-प्रवाह तरीके से संलग्न हो सकता है, यह एक ऐसी क्षमता है जो प्रौद्योगिकी के साथ बातचीत करने के अधिक प्राकृतिक तरीकों और सहायक अनुप्रयोगों की पूरी तरह से नई श्रेणियों को अनलॉक कर सकती है। 
    • LaMDA उपयोगकर्त्ता के इनपुट के आधार पर चर्चा कर सकता है, इसके भाषा प्रसंस्करण मॉडल को पूरी तरह से बड़ी मात्रा में संवाद द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। 
  • LaMDA 2.O: 
    • I/O 2022 में गूगल ने LaMDA 2.0 की घोषणा की जो इन क्षमताओं का और निर्माण करेगा।  
    • नया मॉडल संभवतः एक विचारयुक्त, कल्पनाशील और प्रासंगिक विवरण उत्पन्न करेगा, यह एक विशेष विषय पर बना रह सकता है, भले ही कोई उपयोगकर्त्ता विषय से हट जाए , उन चीजों की एक सूची भी उपलब्ध करा सकता है जो एक निर्दिष्ट गतिविधि के लियेआवश्यक हैं।

अन्य भाषा-आधारित AI उपकरण क्या करने में सक्षम है? 

  • जेनरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफार्मर-3 (GPT-3): 
    • स्वत: प्रतिगामी भाषा मॉडल जो मानव की तरह सीखने के लिये गहन शिक्षण का उपयोग करता है। 
    • वर्ष 2020 में एक लेख प्रकाशित किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि यह पूरी तरह से एक AI टेक्स्ट जनरेटर द्वारा लिखा गया था जिसे जनरेटिव प्री- ट्रेंड ट्रांसफॉर्र- 3 (GPT-3) के रूप में जाना जाता है। 

चैटबॉट

  • परिचय: 
    • चैटबॉट्स, जिसे चैटरबॉट्स भी कहा जाता है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एक रूप है जिसका उपयोग मैसेजिंग एप में किया जाता है। 
    • यह टूल ग्राहकों को सुविधा प्रदान करने मदद करता है, ये स्वचालित प्रोग्राम हैं जो ग्राहकों के साथ मानव की तरह बातचीत करते हैं और इसमें संलग्न होने के लिये बहुत कम या कुछ भी खर्च नहीं करना होता है। 
      • फेसबुक मैसेंजर में व्यवसायों द्वारा या अमेज़ॅन के एलेक्सा जैसे आभासी सहायकों के रूप में उपयोग किये जाने वाले चैटबॉट प्रमुख उदाहरण हैं। 
    • चैटबॉट दो तरीकों में से एक में काम करते हैं- मशीन लर्निंग के माध्यम से या निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ। 
    • हालाँकि AI तकनीक में प्रगति के कारण निर्धारित दिशा-निर्देशों का उपयोग करने वाले चैटबॉट एक ऐतिहासिक पदचिह्न बन रहे हैं। 
  • प्रकार: 
    • निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ चैटबॉट: 
      • यह केवल अनुरोधों और शब्दावली की एक निर्धारित संख्या का जवाब दे सकता है क्योंकि यह प्रोग्रामिंग कोड जितना ही बुद्धिमान है। 
      • सीमित बॉट का एक उदाहरण स्वचालित बैंकिंग बॉट है जो कॉल करने वाले से यह समझने के लिये कुछ प्रश्न पूछता है कि कॉलर क्या करना चाहता है। 
    • मशीन लर्निंग चैटबॉट: 
      • चैटबॉट जो मशीन लर्निंग के माध्यम से कार्य करता है, उसमें कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क होता है जो मानव मस्तिष्क के तंत्रिका नोड्स से प्रेरित होता है। 
      • बॉट को स्वतः-सीखने के लिये प्रोग्राम किया गया है क्योंकि इसे नए संवादों और शब्दों से परिचित कराया जाता है। 
      • वास्तव में जैसे ही चैटबॉट को नई आवाज़ या टेक्स्ट संवाद प्राप्त होते हैं, पूछताछ की संख्या जिसका वह उत्तर दे सकता है, की सटीकता बढ़ जाती है। 
        • मेटा (जैसा कि अब फेसबुक की मूल कंपनी के रूप में जाना जाता है) में एक मशीन लर्निंग चैटबॉट है जो कंपनियों को मैसेंजर ए के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं के साथ बातचीत करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।  
    • लाभ: 
      • चैटबॉट ग्राहक सेवा प्रदान करने और सप्ताह में 7 दिन 24 घंटे समर्थन करने के लिये सुविधाजनक हैं। 
      • वे फोन लाइनों को भी मुफ्त करते हैं तथा लंबे समय में समर्थन करने के लिये लोगों को काम पर रखने की तुलना में बहुत कम खर्चीले होते हैं। 
      • AI और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण का उपयोग करते हुए चैटबॉट यह समझने में बेहतर हो रहे हैं कि ग्राहक क्या चाहते हैं तथा उन्हें वह सहायता प्रदान कर रहे हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता है। 
      • कंपनियांँ भी चैटबॉट को पसंद करती हैं क्योंकि वे ग्राहकों के प्रश्नों, प्रतिक्रिया समय, संतुष्टि आदि के बारे में डेटा एकत्र कर सकती हैं। 
    • हानि: 
      • यहांँ तक कि प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के साथ वे ग्राहक के इनपुट को पूरी तरह से नहीं समझ सकते हैं और असंगत उत्तर प्रदान कर सकते हैं। 
      • कई चैटबॉट्स उन प्रश्नों के दायरे में भी सीमित हैं जिनका वे जवाब देने में सक्षम हैं। 
      • चैटबॉट लागू करने और बनाए रखने के मामले में महंगे हो सकते हैं, खासकर उन्हें अनुकूलित एवं लगातार अपडेट करना होता है। 
      • AI में भावनाओं का समावेशन अभी चुनौतीपूर्ण है, हालांँकि AI द्वारा अनैतिक और हेट स्पीच के खतरे बने हुए हैं।   

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निम्नलिखित में से क्या प्रभावी ढंग से कर सकता है? (2020) 

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना
  2. सार्थक लघु कथाएँ और गीत बनाना
  3. रोग निदान
  4. टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण
  5. विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1, 2, 3 और 5  
(b) केवल 1, 3 और 4 
(c) केवल 2, 4 और 5  
(d) 1, 2, 3, 4 और 5 

उत्तर: (b) 


्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. बेले II प्रयोग           - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
  2. ब्लॉकचेन तकनीक     - डिजिटल/क्रिप्टोकरेंसी
  3. सीआरआईएसपीआर   - कैस 9 - कण भौतिकी

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? 

(a) केवल 1और 3   
(b) केवल 2  
(c) केवल 2 और 3   
(d) केवल 1, 2 और 3 

उत्तर: (b)  

  • बेले II प्रयोग एक कण भौतिकी प्रयोग है जिसे बी मेसन ( क्वार्क युक्त भारी कण) के गुणों का अध्ययन करने हेतु डिज़ाइन किया गया है। बेले II बेले प्रयोग का अग्रिम कदम है और वर्तमान में जापान के इबाराकी प्रांत के सुकुबा में KEK में सुपरकेईकेबी (SuperKEKB) परिसर में कमीशन किया जा रहा है। अत: युग्म 1 सुमेलित नहीं है। 
  • CRISPR-Cas-9 जेनेटिक इंजीनियरिंग से संबंधित है। यह एक अनूठी तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों और चिकित्सा शोधकर्त्ताओं को डीएनए अनुक्रमों को हटाने, जोड़ने या परिवर्तित कर जीनोम के कुछ हिस्सों को संपादित करने में सक्षम बनाती है। अत: युग्म 3 सुमेलित नहीं है। 
  • सरल शब्दों में ब्लॉकचेन डेटा अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड की एक समय-मुद्रित शृंखला है जिसे किसी एकल इकाई के स्वामित्व वाले कंप्यूटरों के समूह द्वारा प्रबंधित किया जाता है। डेटा के इन ब्लॉकों में से प्रत्येक (यानी ब्लॉक) क्रिप्टोग्राफिक सिद्धांतों (यानी शृंखला) का उपयोग करके सुरक्षित और एक-दूसरे से बंधे हैं। ब्लॉकचेन तकनीक बाज़ार सहभागियों को केंद्रीय रिकॉर्ड कीपिंग के बिना डिजिटल मुद्रा लेन-देन की निगरानी करने   की अनुमति देती है। अत: युग्म 2 सही सुमेलित है। 
  • अतः विकल्प (B) सही उत्तर है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  


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