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डेली न्यूज़

  • 14 Feb, 2023
  • 32 min read
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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का कृषि निर्यात

प्रिलिम्स के लिये:

APEDA, चावल और चीनी, कृषि निर्यात नीति, TIES।

मेन्स के लिये:

भारत का कृषि निर्यात और आयात।

चर्चा में क्यों? 

पिछले दो वर्षों में भारत में कृषि क्षेत्र में उत्तरोत्तर विकास हुआ है।

  • 31 मार्च, 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में भारत का कृषि क्षेत्र निर्यात एक नई ऊँचाई पर पहुँच सकता है। परंतु साथ ही आयात में भी उतनी ही वृद्धि हुई है जिससे कुल कृषि व्यापार अधिशेष में गिरावट आई है।

Agricultural-Trade

कृषि-आँकड़े: 

  • अप्रैल-दिसंबर 2022 में कृषि निर्यात मूल्य अप्रैल-दिसंबर 2021 के दौरान 36.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 7.9% अधिक (39 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा।
  • हालाँकि अप्रैल-दिसंबर 2021 के 24.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में अप्रैल-दिसंबर 2022 में आयात 15.4% (27.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) बढ़ा है।
  • नतीजतन, कृषि व्यापार अधिशेष में और कमी आई है।
  • चावल और चीनी भारत के कृषि-निर्यात विकास में दो बड़े योगदानकर्त्ता हैं।
    • चावल: भारत ने वर्ष 2021-2022 में 9.66 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का 21.21 मिलियन टन चावल का रिकॉर्ड निर्यात किया।
      • इसमें 172.6 लाख टन गैर-बासमती और 39.5 लाख टन बासमती चावल शामिल है।
    • चीनी: पिछले वित्त वर्ष की तुलना में वर्ष 2021-22 में चीनी निर्यात 4.60 अरब अमेरिकी डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया।
      • इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल-दिसंबर 2021 के 2.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अप्रैल-दिसंबर 2022 में 3.99 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रूप में 43.6% की वृद्धि देखी गई है।
  • हालाँकि मसाले, गेहूँ, भैंस का मांस आदि जैसी कुछ वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है।

आयात के बारे में:

  • वनस्पति तेल:
    • सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत का कुल खाद्य तेल आयात वर्ष 2020-21 के 13.13 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2021-22 (नवंबर-अक्तूबर) में 14.03 मिलियन टन हो गया तथा नवंबर-दिसंबर 2021 में 2.36 मिलियन टन से 30.9% बढ़कर नवंबर-दिसंबर 2022 में 3.08 मिलियन टन हो गया।
  • कपास: 
    • भारत कपास के शुद्ध निर्यातक से शुद्ध आयातक बन गया है।
    • अप्रैल-दिसंबर 2022 में निर्यात घटकर 51.204 मिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया (अप्रैल-दिसंबर 2021 के 1.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर से) तथा आयात भी इसी अवधि में 41.459 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 1.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।  
  • काजू: 
    • अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान आयात 64.6 प्रतिशत बढ़कर 1.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो अप्रैल-दिसंबर 2021 में 996.49 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि इसी अवधि के लिये काजू उत्पादों का निर्यात 344.61 मिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 259.71 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

संबंधित पहलें:

भारत का कृषि प्रदर्शन तथा अंतर्राष्ट्रीय वस्तुओं की कीमतों में संबंध:

  • संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) का खाद्य मूल्य सूचकांक- जिसका आधार मूल्य वर्ष वर्ष 2014-16 की अवधि के लिये 100 अंक है, वर्ष 2012-13 में औसतन 122.5 अंक और वर्ष 2013-14 में 119.1 अंक था।  
    • ये ऐसे वर्ष थे जब भारत का कृषि निर्यात 42-43 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • वित्त वर्ष 2015-16 और वर्ष 2016-17 में सेंसेक्स में 90-95 अंकों की गिरावट के कारण निर्यात 33-34 अरब डॉलर तक कम हो गया। 

Farm-Exports

  • यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के ठीक पश्चात् मार्च 2022 में FAO सूचकांक 159.7 अंक पर पहुँच गया। तब से यह हर माह कम ही हो रहा है, जनवरी 2023 के लिये 131.2 अंकों की नवीनतम रीडिंग सितंबर 2021 के 129.2 अंकों के बाद सबसे कम है।
    • निर्यात में सामान्य मंदी से अधिक, आयात में वृद्धि चिंता का विषय होना चाहिये।
  • पूर्व सहसंबंध के अनुसार, जब सूचकांक उच्च था, तब निर्यात अधिक था और जब यह कम था, तो निर्यात भी कम था। वर्तमान में सूचकांक गिर रहा है, जिससे भारत के कृषि निर्यात में मंदी एवं आयात में वृद्धि हो सकती है।  
  • इस स्थिति में नीति निर्माताओं का ध्यान भी उपभोक्ता समर्थक (निर्यात पर प्रतिबंध लगाने/प्रतिबंधित करने की सीमा तक) से उत्पादक समर्थक (बेलगाम आयात के खिलाफ टैरिफ सुरक्षा प्रदान करना) की तरफ स्थानांतरित करना पड़ सकता है। 

आगे की राह

  • पहली पीढ़ी के बीटी कपास के बाद नई जेनेटिक मॉडिफिकेशन (GM) प्रौद्योगिकियों को अनुमति नहीं देने के परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं और वे निर्यात को प्रभावित भी कर रहे हैं। खाद्य तेल उद्योग को भी एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, जहाँ GM संकर सरसों के रोपण की अनुमति अनिच्छा के साथ प्रदान की गई है और अब यह मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा देश पिछले पाँच वर्षों के दौरान विश्व में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक रहा है? (2019)

(a) चीन
(b) भारत
(c) म्याँमार
(d) वियतनाम

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वर्ष 2011 में भारत सरकार द्वारा चावल की गैर-बासमती किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध हटाए जाने के कारण इस दशक की शुरुआत से भारत दुनिया का शीर्ष चावल निर्यातक रहा है।
  • भारत वर्ष 2011-12 में थाईलैंड को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया।

अतः विकल्प (b) सही है। 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. पिछले पाँच वर्षों में आयातित खाद्य तेलों की मात्रा, खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन से अधिक रही है।
  2. सरकार विशेष स्थिति के तौर पर सभी आयातित खाद्य तेलों पर किसी प्रकार का सीमा शुल्क नहीं लगाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति

प्रिलिम्स के लिये:

प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौता (EPTA), व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA)।

मेन्स के लिये:

भारत-कनाडा संबंध, भारत-कनाडा संबंधों में बाधाएँ, भारत के हितों पर कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और कनाडा ने मार्च में नई दिल्ली में होने वाली G20 विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले एक द्विपक्षीय बैठक आयोजित की जिसे "भारत-कनाडा सामरिक वार्ता" के रूप में जाना जाता है।

  • भारत ने मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत के साझा दृष्टिकोण को देखते हुए कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति की घोषणा का स्वागत किया।

Canada

प्रमुख बिंदु 

  • इन मंत्रियों ने आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करने, सुरक्षा सहयोग बढ़ाने, प्रवास और गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने के साथ ही लोगों से लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा की।
  • कनाडाई विदेश मंत्री ने भारत को हिंद-प्रशांत में कनाडा हेतु एक महत्त्वपूर्ण भागीदार करार दिया, जिसके बदले में कनाडा महत्त्वपूर्ण खनिजों का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्त्ता, हरित संक्रमण में एक मज़बूत भागीदार और प्रमुख निवेशक हो सकता है।

बैठक का महत्त्व: 

  • वर्ष 2020 और 2022 के बीच ठहराव के बाद कनाडा के विदेश मंत्री की यात्रा से भारत-कनाडा संबंधों में स्थायित्त्व की उम्मीद है।
    • हालाँकि कई मुद्दों के कारण संबंधों में रुकावट आई थी, जिसमें खालिस्तानी समूहों द्वारा कनाडा में भारतीय मूल के लोगों और प्रतिष्ठानों पर हमले, भारत के किसानों के विरोध को लेकर कनाडा की टिप्पणी एवं प्रतिक्रिया के चलते भारत द्वारा राजनयिक वार्ता को रद्द करना शामिल है।
    • भारत ने वर्ष 2022 में कनाडा द्वारा खालिस्तानी अलगाववादी "जनमत संग्रह" की अनुमति देने पर आपत्ति जताई, साथ ही कनाडा में घृणा अपराधों के खिलाफ चेतावनी के साथ आगाह किया।
  • कनाडाई निवेश को प्रोत्साहित करने के अलावा दोनों देश 'व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA)' की दिशा में 'प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (Early Progress Trade Agreement- EPTA)' को पहले कदम के रूप में देख रहे हैं।
  • कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों, जिसने कनाडा और भारत के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बनाया, के मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया
  • जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी, इसका सामरिक महत्त्व भी बढ़ता जाएगा, जिससे कनाडा और भारत को अपने संबंधों को सशक्त करने के अधिक अवसर मिलेंगे।
  • दोनों देश चीन को संदेह की नज़र से देखते हैं और व्यापार संबंधों का विस्तार, आपूर्ति शृंखला सुनम्यता में सुधार करने और अपने देशों में लोगों के अधिक-से-अधिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना चाहते हैं।

कनाडा की हिंद-प्रशांत नीति:

  • परिचय: 
    • कनाडा ने चार क्षेत्रों: चीन, भारत, उत्तरी प्रशांत (जापान एवं कोरिया) और आसियान पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक नई हिंद-प्रशांत रणनीति जारी की है।
      • कनाडा में बड़ी संख्या में प्रवासी हिंद-प्रशांत मूल के हैं। इसमें 5 में से 1 कनाडाई का इस क्षेत्र से पारिवारिक संबंध है और कनाडा में पढ़ने के लिये आए 60% अंतर्राष्ट्रीय छात्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित हैं।
    • लोकतंत्र और बहुलवाद की भारत की साझी विरासत के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए मानवाधिकारों एवं कानूनों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के लिये चीन के खतरों के संबंध में यह रणनीति महत्त्वपूर्ण है।
    • हालाँकि कनाडा अपने मुख्य निर्यात गंतव्य के रूप में चीन पर निर्भरता को भी स्वीकार करता है और जलवायु परिवर्तन तथा स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर चीन के साथ सहयोग की आवश्यकता को स्वीकार करता है।
  • वित्तपोषण: 
    • कनाडा की रणनीति में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं, सैन्य उपस्थिति में वृद्धि और क्षेत्रीय सैन्य अभ्यासों में विस्तारित भागीदारी सहित पाँच वर्षों में 1.7 बिलियन डॉलर की वित्तपोषण प्रतिबद्धता शामिल है।
  • उद्देश्य: 
    • शांति, सुनम्यता और सुरक्षा को बढ़ावा देना।
    • व्यापार, निवेश और आपूर्ति शृंखला के सुनम्यता का विस्तार करना।
    • लोगों में निवेश करना और उन्हें एकजुट करना।
    • एक स्थायी और हरित भविष्य का निर्माण करना।
    • हिंद-प्रशांत के लिये एक सक्रिय भागीदार बनना।

भारत-कनाडा संबंध: 

  • राजनीतिक: 
    • भारत और कनाडा की संसदीय संरचना और प्रक्रिया कई मामलों में समान है। अक्तूबर 2019 में हुए आम चुनाव के बाद हाउस ऑफ कॉमन के सांसद राज सैनी को कनाडा-भारत संसदीय संघ के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।
    • भारत में कनाडा का प्रतिनिधित्त्व नई दिल्ली में कनाडा के उच्चायोग द्वारा किया जाता है।
    • कनाडा में भारत का प्रतिनिधित्त्व ओटावा में एक उच्चायोग और टोरंटो तथा वैंकूवर में वाणिज्य दूतावासों द्वारा किया जाता है।
  • आर्थिक: 
    • वर्ष 2020 में भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार 6.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। भारत वर्ष 2021 में कनाडा का 14वाँ सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार और कुल मिलाकर 13वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
    • कनाडा की 400 से अधिक कंपनियों की भारत में उपस्थिति है तथा 1,000 से अधिक कंपनियाँ सक्रिय रूप से भारतीय बाज़ार में कारोबार कर रही हैं।
    • कनाडा में भारतीय कंपनियाँ सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर, इस्पात, प्राकृतिक संसाधन और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
    • कनाडा को होने वाले भारत के निर्यात में फार्मा, लौह एवं इस्पात, रसायन, रत्न एवं गहने, परमाणु रिएक्टर तथा बॉयलर शामिल हैं।
    • कनाडा के पास यूरेनियम, प्राकृतिक गैस, तेल, कोयला, खनिज और जल विद्युत, खनन, नवीकरणीय ऊर्जा तथा परमाणु ऊर्जा में उन्नत प्रौद्योगिकियों के दुनिया के सबसे बड़े संसाधन हैं।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
    • प्राथमिक फोकस औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) को बढ़ावा देने और नए बौद्धिक संपदा (IP) प्रक्रियाओं, प्रोटोटाइप या उत्पादों के विकास पर रहा है।
    • IC-IMPACTS कार्यक्रम के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग स्वास्थ्य देखभाल, कृषि-बायोटेक और अपशिष्ट प्रबंधन में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को लागू करता है।
      • IC-IMPACTS (भारत-कनाडा सेंटर फॉर इनोवेटिव मल्टीडिसिप्लिनरी पार्टनरशिप्स टू एक्सीलरेट कम्युनिटी ट्रांसफॉर्मेशन एंड सस्टेनेबिलिटी) पहला और एकमात्र, कनाडा-इंडिया रिसर्च सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है।
    • पृथ्वी विज्ञान विभाग और ध्रुवीय कनाडा ने शीत जलवायु (आर्कटिक) अध्ययन पर ज्ञान एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के आदान-प्रदान के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया है।
  • अंतरिक्ष: 
    • इसरो (ISRO) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी ने बाह्य अंतरिक्ष की खोज एवं उपयोग के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • ISRO की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स की सहायता से कनाडा के कई नैनो उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया है।
    • इसरो ने वर्ष 2018 में लॉन्च किये गए अपने 100वें सैटेलाइट पीएसएलवी में श्रीहरिकोटा से कनाडा का पहला LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) सैटेलाइट भी लॉन्च किया।
  • रक्षा क्षेत्र: 
    • भारत और कनाडा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, राष्ट्रमंडल और जी-20 के माध्यम से घनिष्ठ सहयोग करते हैं।
    • वर्ष 2015 में डीआरडीओ और कनाडा की रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद के बीच सहयोग पर एक आशय के वक्तव्य पर हस्ताक्षर किये गए।
    • वर्ष 2018 में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये भारत और कनाडा के बीच सहयोग की रूपरेखा के साथ सुरक्षा सहयोग को और बढ़ाया गया।
    • विशेष रूप से काउंटर टेररिज़्म पर संयुक्त कार्य समूह (JWG) के माध्यम से आतंकवाद के मुद्दों पर पर्याप्त भागीदारी रही है।

कनाडा के बारे में मुख्य तथ्य:

  • क्षेत्रफल के हिसाब से (रूस के बाद) कनाडा विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है, जिसका उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के लगभग 2/5 हिस्से पर नियंत्रण है।
  • कनाडा में संवैधानिक राजतंत्र और संसदीय लोकतंत्र है।
    • संवैधानिक राजतंत्र का अर्थ है कि ब्रिटिश सम्राट राज्य का प्रमुख होता है लेकिन उसकी भूमिका मुख्य रूप से प्रतीकात्मक और औपचारिक होती है, जबकि देश का वास्तविक शासन निर्वाचित प्रतिनिधियों एवं सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाता है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के बीच की सीमा को मुख्य रूप से 49वें पैरेलल नार्थ द्वारा परिभाषित किया गया है।
  • कनाडा में ग्रेट बियर झील, ग्रेट स्लेव झील, विन्निपेग झील और USA सीमा पर 5 महान झीलों सहित कई झीलें हैं: सुपीरियर, मिशिगन, ह्यूरन, एरी और ओंटारियो।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. विश्व में यूरेनियम का सबसे बड़ा भंडार निम्नलिखित में से किस देश के पास है? (2009)

(a) ऑस्ट्रेलिया
(b) कनाडा
(c) रूसी संघ
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • OECD-NEA (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन- परमाणु ऊर्जा एजेंसी)/IAEA (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के नवीनतम उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, विश्व परमाणु संघ में सम्मिलित देशों के पास यूरेनियम की उपलब्धता इस प्रकार है- ऑस्ट्रेलिया (30%), कज़ाखस्तान (14%), कनाडा ( 8%), रूस (8%) और संयुक्त राज्य अमेरिका (1%)। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

बाज़ार अस्थिरता से निवेशकों की सुरक्षा

प्रिलिम्स के लिये:

बाज़ार अस्थिरता, सेबी, सर्वोच्च न्यायालय, आरबीआई।

मेन्स के लिये:

बाज़ार अस्थिरता से निवेशकों की सुरक्षा।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) तथा सरकार से भारतीय मध्यम वर्ग के निवेशकों की सुरक्षा के लिये मौजूदा नियामक ढाँचे के बारे में पूछा।

  • अडानी समूह पर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा स्टॉक में हेर-फेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है।
  • इससे पहले अडानी समूह के शेयरों के मूल्य में गिरावट के बाद तेज़ी से बाज़ार में अस्थिरता  के कारण कई छोटे निवेशकों को लाखों करोड़ का नुकसान हुआ था।

सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी:

  • शेयर बाज़ार केवल "उच्च मूल्य निवेशकों" के लिये नहीं है, बल्कि यह अब एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ वित्तीय और कर व्यवस्थाओं में बदलाव के कारण मध्यम वर्ग का एक बड़ा समूह निवेश कर रहा है।
  • इसलिये अन्य क्षेत्रों की तरह यहाँ भी सर्किट ब्रेकर की आवश्यकता है, ताकि बाज़ार में अस्थिरता के कारण अधिक नुकसान न हो।
  • शेयर बाज़ार पूरी तरह से विश्वास पर चलता है, पूंजी में निर्बाध रूप से वृद्धि देखी जा रही है, भारत में और भारत से बाहर धन का प्रवाह हो रहा है, जिससे भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के लिये मज़बूत तंत्र बनाना अनिवार्य हो गया है।

बाज़ार अस्थिरता: 

  • परिचय: 
    • शेयर बाज़ार कभी-कभी तेज़ और अप्रत्याशित मूल्य संचलन का अनुभव करते हैं, जो नीचे या ऊपर हो सकता है। इस प्रवृत्ति को अक्सर "अस्थिर बाज़ार" के रूप में जाना जाता है और यह दिनों, हफ्तों या महीनों की अवधि में हो सकता है।
  • कारण: 
    • चौंकाने वाली आर्थिक खबर जो निवेशकों की अपेक्षाओं से भिन्न है। 
    • मौद्रिक नीति में अचानक बदलाव, जैसे कि फेडरल रिज़र्व ने योजनाओं की घोषणा की।  
    • अप्रत्याशित चुनाव परिणामों सहित राजनीतिक घटनाक्रम, एक घटना जैसे कि सरकारी शटडाउन या अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये बनाए गए प्रमुख कानून का पारित होना। 
    • भू-राजनीतिक घटनाएँ जैसे कि सैन्य संघर्ष का प्रारंभ या शक्तिशाली देशों के बीच तनाव बढ़ना जिसके आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं।  
    • बाज़ार से संबंधित विशिष्ट घटनाएँ, जैसे कि स्टॉक का ओवरवैल्यूड होना।
      • ऐसा वर्ष 2000 में हुआ था जब ओवरवैल्यूड "डॉट-कॉम" शेयरों को अचानक बिकवाली का सामना करना पड़ा जिससे निवेशक चिंतित हो गए क्योंकि कीमतें कंपनी के आधारभूत सिद्धांतों से आगे निकल गई थीं। 

बाज़ार की अस्थिरता से कैसे निपटा जा सकता है?

  • मौद्रिक नीति: 
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) अर्थव्यवस्था में मुद्रा और ऋण की आपूर्ति को प्रभावित करने के लिये ब्याज दरों को समायोजित कर सकता है, जिसका बाज़ार की धारणा और स्थिरता पर असर पड़ता है। शेयर बाज़ार तथा ब्याज दरों के बीच बिपरीत संबंध है। 
    • उदाहरण के लिये दर में कटौती से निवेशकों की चिंताओं का समाधान और बाज़ार के प्रति विश्वास बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
  • राजकोषीय नीति:
    • सरकारें आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और प्रभावित उद्योगों और व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने के लिये कर कटौती, खर्च में वृद्धि तथा लक्षित सब्सिडी जैसे राजकोषीय उपायों का उपयोग कर सकती हैं।
  • नियामक उपाय:
    • सरकारें और नियामक प्राधिकरण वित्तीय बाज़ारों में पारदर्शिता एवं स्थिरता बढ़ाने के उपाय पेश कर सकते हैं।
    • कंपनियों के लिये प्रकटीकरण (Disclosure) आवश्यकताएँ, वित्तीय संस्थानों के लिये सख्त मानक और हेज फंड तथा अन्य सट्टा निवेशकों की अधिक निगरानी इसमें शामिल हो सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • एक वैश्वीकृत वित्तीय प्रणाली में अचानक बाज़ार की अस्थिरता सीमाओं के पार तेज़ी से फैल सकती है।  
    • केंद्रीय बैंकों और नियामक प्राधिकरणों के मध्य समन्वय, बाज़ार की अस्थिरता के प्रभाव को कम करने और वित्तीय संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है। 
  • वित्तीय शिक्षा और साक्षरता: 
    • जनता के बीच वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को प्रोत्साहित करने से बाज़ार की अटकलों, जोखिम को कम करने और समग्र वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
  • विविधता: 
    • विभिन्न संपत्तियों और बाज़ारों में निवेश कर निवेशक अपने पोर्टफोलियो पर बाज़ार की अस्थिरता के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

निवेशकों की सुरक्षा हेतु उपाय:

  • निवेशक सुरक्षा कानून सेबी अधिनियम की धारा 11(2) के तहत लागू किया गया है। उपाय इस प्रकार हैं:
    • स्टॉक एक्सचेंज और अन्य प्रतिभूति बाज़ार व्यापार विनियमन।  
    • म्यूचुअल फंड और वेंचर कैपिटल फंड जैसी निवेश योजनाओं को पंजीकृत करना तथा उनके कामकाज़ को विनियमित करना।  
    • स्व-नियामक कंपनियों का संवर्द्धन और नियंत्रण। 
  • निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष (IEPF): 
    • भारत सरकार ने 1956 के कंपनी अधिनियम के तहत निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष की स्थापना की।
    • इस अधिनियम के अनुसार, जिस कंपनी ने व्यवसाय क्षेत्र में सात वर्ष पूरे कर लिये हैं, उसे IEPF के माध्यम से सभी लावारिस फंड लाभांश (Unclaimed Fund Dividends), परिपक्व जमा (Matured Deposits) और डिबेंचर, शेयर आवेदन धनराशि (Share Application Money) आदि को सरकार को सौंप देना चाहिये।
  • निवेशक सुरक्षा कोष: 
    • वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किये गए निवेशक सुरक्षा के नियमों के अनुपालन में इंटरकनेक्टेड स्टॉक एक्सचेंज (ISE) ने एक्सचेंज सदस्यों (मध्यस्थों), जिन्होंने भुगतान करने में चूक की अथवा भुगतान करने में विफल रहे, से निवेशक दावों को कवर करने के लिये निवेशक सुरक्षा कोष (IPF) की स्थापना की।

पूंजी बाज़ार:

  • पूंजी बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ स्टॉक और बॉण्ड जैसी प्रतिभूतियाँ खरीदी तथा बेची जाती हैं।
  • यह कंपनियों, सरकारों और अन्य संस्थाओं को प्रतिभूतियों को जारी करके पूंजी जुटाने के लिये तथा निवेशकों को रिटर्न प्राप्त करने की उम्मीद के साथ इन प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
  • पूंजी बाज़ार को दो मुख्य खंडों में विभाजित किया जा सकता है, प्राथमिक बाज़ार और द्वितीयक बाज़ार।
    • प्राथमिक बाज़ार वह है जहाँ नई प्रतिभूतियाँ जारी की जाती हैं और सीधे निवेशकों को बेची जाती हैं।
    • द्वितीयक बाज़ार वह है जहाँ पहले से जारी की गई प्रतिभूतियों को निवेशकों के बीच खरीदा तथा बेचा जाता है।
  • बचतकर्त्ताओं और उधारकर्त्ताओं में सामंजस्य स्थापित कर तथा पूंजी के प्रवाह को उसके सबसे अधिक उत्पादक उपयोग की सुविधा देकर पूंजी बाज़ार अर्थव्यवस्था के कामकाज़ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पूंजी बाज़ार भी निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने, जोखिम का प्रबंधन करने तथा संभावित रूप से उच्च रिटर्न अर्जित करने का अवसर प्रदान करते हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों, जो स्वयं को सीधे पंजीकृत कराए बिना भारतीय स्टॉक बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं, निम्नलिखित में से क्या जारी किया जाता है? (2019)

(a) जमा प्रमाण पत्र 
(b) वाणिज्यिक पत्र 
(c) वचन-पत्र (प्राॅमिसरी नोट) 
(d) सहभागिता पत्र (पार्टिसिपेटरी नोट) 

उत्तर: (d) 

स्रोत: द हिंदू


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