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डेली न्यूज़

  • 12 Jul, 2022
  • 33 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक

प्रिलिम्स के लिये:

G20, अंतर्राष्ट्रीय संगठन, भारत और अंतर्राष्ट्रीय समूह

मेन्स के लिये:

भारत की विदेश नीति, भारत की विदेश नीति में G-20 का महत्त्व, अंतर्राष्ट्रीय समूहों पर वैश्विक घटनाओं की चुनौतियांँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर इंडोनेशिया के बाली में अमेरिकी विदेश मंत्री और रूसी विदेश मंत्री तथा अन्य समकक्षों से मुलाकात की।

  • बैठक का आयोजन "एक साथ अधिक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध दुनिया का निर्माण" विषय के तहत किया गया था।

 G-20 बैठक के बारे में:

  • भारत और चीन:
    • भारत के विदेश मंत्री ने चीन के स्टेट काउंसलर तथा विदेश मंत्री से मुलाकात की।
      • विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर सभी विवादित मुद्दों के शीघ्र समाधान का आह्वान किया।
        • कुछ टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर ध्यान आकर्षित करते हुए विदेश मंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति बहाल करने के लिये शेष सभी क्षेत्रों से सैनिकों की तेज़ी से वापसी की आवश्यकता को दोहराया।
      • दोनों मंत्रियों ने इस बात की पुष्टि की कि दोनों पक्षों के सैन्य और राजनयिक अधिकारियों को नियमित संपर्क बनाए रखना चाहिये, साथ ही जल्द-से-जल्द वरिष्ठ कमांडरों की बैठक के अगले दौर के आयोजन को लेकर आशा व्यक्त की।
      • चीन ने इस वर्ष ब्रिक्स की अध्यक्षता के दौरान भारत के समर्थन की सराहना की और भारत के आगामी G-20 एवं एससीओ अध्यक्ष पद के लिये चीन के समर्थन का आश्वासन दिया।
  • चर्चा के अन्य क्षेत्र:
    • बैठकों ने G-20 समूह के भीतर उभरते मतभेदों का संकेत दिया क्योंकि रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर यूरोप और बाकी दुनिया को सस्ते ऊर्जा स्रोतों को छोड़ने के लिये मजबूर करने का आरोप लगाया, जबकि अमेरिका ने रूस को "वैश्विक खाद्य असुरक्षा" के लिये दोषी ठहराया
    • G-20 जिसमें दुनिया की 20 सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियांँ शामिल हैं, को वैश्विक आर्थिक मामलों पर चर्चा करने के लिये एक जनादेश प्राप्त है, लेकिन बाली में विदेश मंत्रियों की बैठक में पश्चिमी सदस्यों के बीच रूस की आलोचना का बोलबाला रहा।
    • यूक्रेन युद्ध और उसके आर्थिक नतीजे वैश्विक समूह के रैंकों के भीतर विभाजन की ओर इशारा करते हैं, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांँस एक रूस विरोधी ब्लॉक बना रहे हैं, जबकि बाकी देश यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिये सतर्कतापूर्ण दृष्टिकोण अपना रहे हैं।

G-20 समूह:

  • परिचय:
    • यह 19 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का एक अनौपचारिक समूह है, जिसकी स्थापना वर्ष 1999 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ हुई थी।
      • G-20 के सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
      • नाइजीरिया इसका 20वांँ सदस्य बनने वाला था लेकिन उस समय की राजनीतिक समस्याओं के कारण अंतिम समय में उसे इस विचार को त्यागना पड़ा।
    • G-20 समूह में विश्व की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश शामिल हैं जो दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है।
  • G-20 की कार्यप्रणाली:
    • जी-20 का कोई स्थायी मुख्यालय नहीं है और सचिवालय प्रत्येक वर्ष समूह की मेज़बानी करने वाले या अध्यक्षता करने वाले देशों के बीच रोटेट होता है।
    • सदस्यों को पांँच समूहों में बांँटा गया है (रूस, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की के साथ भारत समूह 2 में है)।
    • G-20 एजेंडा जो अभी भी वित्त मंत्रियों और केंद्रीय राज्यपालों के मार्गदर्शन पर बहुत अधिक निर्भर करता है, को 'शेरपा' की निर्धारित प्रणाली द्वारा अंतिम रूप दिया जाता है, जो G-20 नेताओं के विशेष दूत होते हैं।
      • वर्तमान में वाणिज्य और उद्योग मंत्री भारत के मौजूदा "G20 शेरपा" हैं।
    • G-20 की एक अन्य विशेषता 'ट्रोइका' बैठकें हैं, जिसमें पिछले वर्ष, वर्तमान वर्ष और अगले वर्ष में G-20 की अध्यक्षता करने वाले देश शामिल हैं। वर्तमान में ट्रोइका में इटली, इंडोनेशिया और भारत शामिल हैं।

G20-members

G-20 का विकास:

  • वैश्विक वित्तीय संकट (2007-08) ने प्रमुख संकट प्रबंधन और समन्वय निकाय के रूप में G-20 की प्रतिष्ठा को मज़बूत किया।
  • अमेरिका, जिसने 2008 में G-20 की अध्यक्षता की थी, ने वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक को राष्ट्राध्यक्षों तक बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप पहला G-20 शिखर सम्मेलन हुआ।
  • वाशिंगटन डीसी, लंदन और पिट्सबर्ग में आयोजित शिखर सम्मेलनॉ ने कुछ सबसे टिकाऊ वैश्विक सुधारों हेतु परिदृश्य तैयार किया:
    • इसमें कर चोरी और परिहार से निपटने के प्रयास में राज्यों को ब्लैक लिस्ट करना, हेज फंड और रेटिंग एजेंसियों पर सख्त नियंत्रण का प्रावधान करना, वित्तीय स्थिरता बोर्ड को वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिये एक प्रभावी पर्यवेक्षी और निगरानी निकाय बनाना, असफल बैंकों के लिये सख्त नियमों का प्रस्ताव करना, सदस्यों को व्यापार आदि में नए अवरोध लगाने से रोकना आदि शामिल हैं।
  • कोविड-19 की दस्तक तक G-20 अपने मूल मिशन से भटक चुका था तथा G-20 के मूल लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाया।
    • G-20 ने जलवायु परिवर्तन, नौकरियों और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों, असमानता, कृषि, प्रवास, भ्रष्टाचार, आतंकवाद के वित्तपोषण, मादक पदार्थों की तस्करी, खाद्य सुरक्षा एवं पोषण, विघटनकारी प्रौद्योगिकियों जैसे मुद्दों को शामिल करने तथा सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिये अपने एजेंडे को विस्तृत कर खुद को फिर से स्थापित किया है।
  • हाल के दिनों में G-20 के सदस्यों ने महामारी के बाद सभी प्रतिबद्धताएँ पूरी की हैं, लेकिन यह बहुत कम है।
    • अक्तूबर 2020 में रियाद शिखर सम्मेलन में उन्होंने चार स्तंभों- महामारी से लड़ना, वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुरक्षा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवधानों को संबोधित करने और वैश्विक सहयोग बढ़ाने को प्राथमिकता दी।
    • वर्ष 2021 में इटली ने कोविड-19 का मुकाबला करने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी को तीव्र करने और अफ्रीका में सतत् विकास को बढ़ावा देने जैसे विषयों के लिये G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की।

G-20 की अध्यक्षता के  लिये भारत की तैयारी:

  • भारत ने G-20 के संस्थापक सदस्य के रूप में दुनिया भर में सबसे कमज़ोर लोगों को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिये इस मंच का उपयोग किया है।
    • लेकिन बेरोज़गारी दर में वृद्धि और गरीबी के कारण इसके लिये प्रभावी ढंग से नेतृत्त्व करना मुश्किल है।
  • समवर्ती रूप से भारत-फ्राँस के नेतृत्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की सफलता को ंलेकर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका अक्षय ऊर्जा में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की दिशा में संसाधन जुटाने में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप के रूप में विश्व स्तर पर प्रशंसित है।
  • इसके अलावा 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के दृष्टिकोण से वैश्विक प्रतिमान में ‘नए भारत’ के लिये एक परिवर्तनकारी भूमिका की उम्मीद है, जो कोवड-19 महामारी के बाद विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक आपूर्ति शृंखला के एक महत्त्वपूर्ण व विश्वसनीय स्तंभ के रूप में उभरेगा।
  • आपदारोधी अवसंरचना के लिये गठबंधन का भारत का प्रयास, जिसमें अन्य देशों के अलावा G-20 देशों में से भी नौ देश शामिल हैं, वैश्विक विकास प्रक्रिया में नेतृत्व के नए आयाम प्रदान करता है।

G-20 के समक्ष चुनौतियांँ:

  • वैश्विक:
    • हितों का ध्रुवीकरण:
      • नवंबर 2022 में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों को आमंत्रित किया गया है।
        • अमेरिका पहले ही रूसी राष्ट्रपति को आमंत्रित न करने की मांग कर चुका है, अन्यथा अमेरिका और यूरोपीय देश उनके अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे।
      • चीन की रणनीतिक वृद्धि, नाटो के विस्तार, जॉर्जिया एवं क्रीमिया में रूस की क्षेत्रीय आक्रामकता और अब 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक प्राथमिकताओं को बदल दिया है।
      • वैश्वीकरण अब आदर्श शब्द (Cool Word) नहीं है और बहुपक्षीय संगठनों के पास विश्वसनीयता का संकट है क्योंकि दुनिया भर के देशों ने G-7, G-20, ब्रिक्स, P-5 (UNSC स्थायी सदस्य) और अन्य पर 'G-zero' (राजनीतिक टिप्पणीकार इयान ब्रेमर द्वारा 'हर राष्ट्र को स्वयं के लिये' को निरूपित करने के लिये गढ़ा गया एक शब्द) चुना है।
    • अन्य चुनौतियांँ:
      • अंतर्राष्ट्रीय वित्त:
        • हाल ही IMF वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार, वर्ष 2021 में औसत उभरते बाज़ार और मध्यम आय वाले देश का ऋण-से-जीडीपी अनुपात लगभग 60% होगा।
      • समष्टि आर्थिक नीति:
        • युद्ध की वजह से आपूर्ति की कमी ने विशेष रूप से ऊर्जा और कृषि क्षेत्रों में मुद्रास्फीति के दबाव को बढ़ा दिया है।
      • वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य सामाग्री:
        • आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक अपर्याप्त पहुंँच के कारण महामारी से उबरना काफी हद तक कठिन रहा है।
      • डिजिटल अर्थव्यवस्था:
        • रूस-यूक्रेन युद्ध ने क्रिप्टो-परिसंपत्तियों के अवैध उपयोग और वैश्विक वित्तीय स्थिरता पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं को फिर से जन्म दिया है।
  • भारत के लिये चुनौतियांँ:
    • भारत के लिये G-20 की चुनौतियांँ ध्रुवीकृत अंतर्राष्ट्रीय सदस्य देशों के साथ कुशलतापूर्वक अगले नवंबर में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन की मेज़बानी के साथ उत्पन्न होंगी।
      • नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत को G-20 शेरपा और पूर्व विदेश सचिव हर्ष शृंगला को G-20  का समन्वयक नियुक्त किया गया है।
      • सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में 100 तैयारी बैठकें आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसके कारण भारत के पड़ोसी देशों के साथ संघर्ष को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में G-20 शिखर सम्मेलन या मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी या नहीं, इस पर विवाद उत्पन्न हो गया।
    • हालाँकि भारत के लिये बड़ी चुनौतियाँ G-20 के विचार की रक्षा के संदर्भ में इंडोनेशिया की सहायता और भू-राजनीतिक मतभेद के कारण इसे विखंडन से बचाने की होंगी, जहाँ एक ही कमरे में एक साथ बैठकर नेता एक-दूसरे की बात सुनने से कतराते हैं।

आगे की राह

  • G-20 को अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे-IMF, OECD, WHO, विश्व बैंक और WTO के साथ साझेदारी को मज़बूत करना चाहिये और उन्हें प्रगति की निगरानी का कार्य सौंपना चाहिये।
  • सभी सदस्य देशों के लाभ के लिये व्यक्तिगत हितों पर वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
  • यूक्रेन-रूस संघर्ष और रूस एवं पश्चिम के बीच मतभेदों जैसे मुद्दों को हल करने के लिये संवाद तथा कूटनीति का उपयोग किया जाना चाहिये।
  • भारत को आक्रामक व्यापार बाधाओं/प्रतिबंधों, अंतर्देशीय संघर्षों और वैश्विक शांति एवं सहयोग की वकालत जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिये एक मंच के रूप में G-20 शिखर सम्मेलन, 2023 का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):

प्रश्न: निम्नलिखित में से किस एक समूह में चारों देश G-20 के सदस्य हैं?

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • G-20 अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ 19 देशों तथा यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है।
  • मज़बूत वैश्विक आर्थिक विकास के लिये सदस्य देश जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 80% से अधिक का प्रतिनिधित्व और योगदान करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिये प्रमुख मंच पर आए, जिस पर सितंबर 2009 में पेंसिल्वेनिया (यूएसए) में पिट्सबर्ग शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी।
  • G-20 के सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, फ्रांँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं।

अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत: द हिंदू


सामाजिक न्याय

खिलाड़ियों हेतु नकद पुरस्कार, राष्ट्रीय कल्याण एवं पेंशन योजनाएँ

प्रिलिम्स के लिये:

टारगेट ओलंपिक पोडियम (TOP) योजना, मेधावी खिलाड़ियों को पेंशन के लिये स्पोर्ट्स फंड, अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में पदक विजेताओं और उनके कोच को नकद पुरस्कार की योजना, पंडित दीनदयाल उपाध्याय नेशनल वेलफेयर फंड फॉर स्पोर्ट्सपर्सन (PDUNWFS)।

मेन्स के लिये:

खेल संस्कृति को बढ़ावा देने में सार्वजनिक संस्थान की भूमिका, मानव विकास, अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भारत की भागीदारी।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्री, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार, राष्ट्रीय कल्याण, पेंशन और खेल विभाग (dbtyas-sports.gov.in) की योजनाओं के लिये वेब पोर्टल एवं राष्ट्रीय खेल विकास निधि वेबसाइट (nsdf.yas.gov.in) की संशोधित योजनाओं की शुरुआत की।

योजनाओं में संशोधन:

  • इन योजनाओं हेतु प्रत्यक्ष प्रयोज्यता (Applicability):
    • अब कोई भी व्यक्तिगत खिलाड़ी तीनों योजनाओं के लिये सीधे आवेदन कर सकता है (पहले प्रस्ताव खेल संघों/SAI के माध्यम से प्राप्त होते थे, जिसमें आमतौर पर 1-2 साल से अधिक का समय लगता था)।
      • आवेदकों को अब विशेष आयोजन के समापन की अंतिम तिथि से छह महीने के भीतर नकद पुरस्कार योजना के लिये ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
  • मेधावी खिलाड़ियों को पेंशन:
    • डेफलिम्पिक्स के खिलाड़ियों को भी पेंशन का लाभ दिया गया है।
  • कार्यान्वयन हेतु वेब पोर्टल:
    • इन योजनाओं को लागू करने एवं लाभ प्रदान करने के लिये खेल विभाग (DoS) ने उपरोक्त योजनाओं में आवेदन करने वाले खिलाड़ियों की सुविधा हेतु वेब पोर्टल dbtyas-sports.gov.in विकसित किया है।
    • यह ऑनलाइन पोर्टल खिलाड़ियों के आवेदनों की रीयल टाइम ट्रैकिंग और उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजे गए वन टाइम पासवर्ड (OTP) के माध्यम से प्रमाणीकरण की सुविधा प्रदान करेगा।
      • मंत्रालय को अब आवेदनों को भौतिक रूप से जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
    • पोर्टल खिलाड़ियों की विभिन्न प्रकार की आवश्यक रिपोर्ट तैयार करने के साथ ही डेटा प्रबंधन का कार्य भी करेगा।
  • राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF):
    • DoS ने 'राष्ट्रीय खेल विकास कोष' (NSDF) के लिये समर्पित इंटरैक्टिव वेबसाइट nsdf.yas.gov.in भी विकसित की है।
      • यह फंड देश में खेलों के प्रचार और विकास के लिये केंद्र और राज्य सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU), निजी कंपनियों तथा व्यक्तियों आदि के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व योगदान पर आधारित है।
    • व्यक्तिगत, संस्था और कॉर्पोरेट संगठन अब पोर्टल के माध्यम से खिलाड़ियों, खेल सुविधाओं तथा खेल आयोजनों के लिये सीधे योगदान कर सकते हैं।
      • NSDF कोष का उपयोग ‘लक्ष्य ओलंपिक पोडियम’ (TOP) योजना, प्रख्यात खिलाड़ियों और खेल संगठनों द्वारा बुनियादी ढाँचें के विकास आदि के लिये किया जाता है।

संशोधित योजना:

  • मेधावी खिलाड़ियों की पेंशन के लिये खेल कोष:
    • परिचय:
      • इसका उद्देश्य ओलंपिक खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों, पैरालंपिक खेलों में शामिल विधाओं में पदक विजेताओं को सक्रिय खेलों से उनकी सेवानिवृत्ति के बाद या 30 वर्ष की आयु के बाद आजीवन मासिक पेंशन प्रदान करना है।
      • यह योजना उन खिलाड़ियों पर लागू होगी, जो भारतीय नागरिक हैं और जिन्होंने ओलंपिक और एशियाई खेलों में विश्व कप/विश्व चैंपियनशिप, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण, रजत या कांस्य पदक जीते हैं।
      • खिलाड़ी को पेंशन उसके 30 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर देय होगी और यह उसके जीवनकाल के दौरान जारी रहेगी।
    • दी गई सहायता:
      • ओलंपिक/पैरालंपिक खेलों में पदक विजेता को 20,000 रुपए।
      • विश्व कप/विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता (ओलंपिक/एशियाई खेलों में) को 16,000 रुपए।
      • विश्व कप/विश्व चैंपियनशिप (ओलंपिक/एशियाई खेल) में रजत/कांस्य पदक विजेता और एशियाई खेलों/राष्ट्रमंडल खेलों/पैरा एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता को 14,000 रुपए।
      • एशियाई खेलों/राष्ट्रमंडल खेलों/पैरा एशियाई खेलों में रजत और कांस्य पदक विजेता को 12,000 रुपए।
  • अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में पदक विजेताओं व उनके प्रशिक्षकों हेतु नकद पुरस्कार की योजना:
    • नकद पुरस्कार की योजना वर्ष 1986 में शुरू की गई और वर्ष 2020 में संशोधित की गई थी।
    • उत्कृष्ट खिलाड़ियों की उपलब्धियों को प्रोत्साहित करना, उन्हें उच्च उपलब्धियों के लिये प्रोत्त्साहित और प्रेरित करना तथा युवा पीढ़ी को खेलों के प्रति आकर्षित करने के लिये प्रेरक रोल मॉडल के रूप में कार्य करना।
    • पुरस्कार निम्नलिखित विषयों में दिये जाएंगे:
      • ओलंपिक खेलों/एशियाई खेलों/राष्ट्रमंडल खेलों के संदर्भ में
      • शतरंज
      • बिलियर्ड्स और स्नूकर

नोट:

उत्कृष्ट खिलाड़ी का अर्थ ऐसे खिलाड़ी से है जिसने राष्ट्रीय खेल परिसंघों द्वारा आयोजित मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय चैंपियनशिप (वरिष्ठ श्रेणी) में व्यक्तिगत स्पर्द्धाओं और टीम स्पर्द्धाओं में प्रथम तीन में स्थान हासिल किया है, जिसे युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त है, या भारतीय ओलंपिक संघ के तत्त्वावधान में आयोजित  राष्ट्रीय खेलों, भारतीय विश्वविद्यालय संघ के तत्त्वाधान में आयोजित अंतर-विश्वविद्यालय टूर्नामेंट या जिसने ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल खेल विधाओं में वरिष्ठ श्रेणी में अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भाग लिया है।

खिलाड़ियों के लिये पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कल्याण कोष (PDUNWFS):

  • PDUNWFS की स्थापना वर्ष 1982 में (2016 में संशोधित) की गई थी, जिसका उद्देश्य उन मेधावी खिलाड़ियों की सहायता करना था, जिन्होंने खेल में देश को गौरवान्वित किया था।
    • पेंशन का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है क्योंकि मेधावी खिलाड़ियों के लिये पहले से ही पेंशन की एक योजना है।
  • निधि का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिये किया जाएगा:
    • मेधावी खिलाड़ियों को उपयुक्त सहायता प्रदान करना।
      • गरीबी में रह रहे मेधावी खिलाड़ियों को उपयुक्त सहायता।
      • चोट की प्रकृति के आधार पर प्रतियोगिताओं के लिये अपने प्रशिक्षण की अवधि के दौरान और प्रतियोगिताओं के दौरान भी घायल होने पर।
      • अंतर्राष्ट्रीय खेलों में देश को गौरवान्वित करने वाले मेधावी खिलाड़ियों को कठिन प्रशिक्षण के परिणामस्वरूप या किसी अन्य कारणवश विकलांग होने पर उपयुक्त सहायता प्रदान करना तथा चिकित्सा उपचार में मदद करना है।

स्रोत: पी.आई.बी.


सामाजिक न्याय

विश्व जनसंख्या संभावनाएँ 2022

प्रिलिम्स के लिये:

जनसांख्यिकीय लाभांश, मृत्यु दर, प्रजनन दर, एसडीजी।

मेन्स के लिये:

विश्व जनसंख्या संभावनाएंँ 2022।

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या संभावना (WPP) रिपोर्ट के 2022 संस्करण के अनुसार, भारत के वर्ष 2023 में दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन से आगे निकलने का अनुमान है।

World-Population-Prospects

विश्व जनसंख्या संभावनाएँ:

  • संयुक्त राष्ट्र का जनसंख्या प्रभाग वर्ष 1951 से द्विवार्षिक रूप में WPP प्रकाशित कर रहा है।
  • WPP का प्रत्येक संशोधन वर्ष 1950 से शुरू होने वाले जनसंख्या संकेतकों की एक ऐतिहासिक समय शृंखला प्रदान करता है।
  • यह प्रजनन, मृत्यु दर या अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन में पिछले रुझानों के अनुमानों को संशोधित करने के लिये नए जारी किये गए राष्ट्रीय डेटा को ध्यान में रखते हुए ऐसा करता है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • जनसंख्या वृद्धि: लेकिन वृद्धि दर कम
    • वैश्विक जनसंख्या वर्ष 2030 में लगभग 8.5 बिलियन, वर्ष 2050 में 9.7 बिलियन और वर्ष 2100 में 10.4 बिलियन तक बढ़ने की संभावना है।
    • वर्ष 1950 के बाद पहली बार वर्ष 2020 में वैश्विक विकास दर 1% प्रति वर्ष से कम हुई
  • दरें देशों और क्षेत्रों में बहुत भिन्न हैं:
    • वर्ष 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक केवल आठ देशों में केंद्रित होगा:
      • ये हैं- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और संयुक्त गणराज्य तंजानिया।
    • 46 सबसे कम विकसित देश (LDCs) दुनिया के सबसे तेज़ी से जनसंख्या वृद्धि वाले देशों में से हैं।
  • बुजुर्गों की बढ़ती आबादी:
    • 65 वर्ष या उससे अधिक आयु की वैश्विक आबादी का हिस्सा वर्ष 2022 में 10% से बढ़कर वर्ष 2050 में 16% होने का अनुमान है।
  • जनसांख्यिकीय विभाजन:
    • प्रजनन क्षमता में निरंतर गिरावट के कारण कामकाजी उम्र (25 से 64 वर्ष के बीच) की जनसंख्या में वृद्धि हुई है, जिससे प्रति व्यक्ति त्वरित आर्थिक विकास का अवसर पैदा हुआ है।
    • आयु वितरण में यह बदलाव त्वरित आर्थिक विकास के लिये एक समयबद्ध अवसर प्रदान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन:
    • कुछ देशों की जनसंख्या प्रवृत्तियों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रवास का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है।
    • वर्ष 2000 और वर्ष 2020 के बीच उच्च आय वाले देशों की जनसंख्या वृद्धि में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास का योगदान जन्म-मृत्यु संतुलन से अधिक हो गया।
    • प्रवासअगले कुछ दशकों में उच्च आय वाले देशों में जनसंख्या वृद्धि का एकमात्र चालक होगा।

भारत से संबंधित निष्कर्ष:

  • वर्ष 1972 में भारत की विकास दर 2.3% थी, जो अब घटकर 1% से भी कम हो गई है।
    • इस अवधि में प्रत्येक भारतीय महिला के अपने जीवनकाल में बच्चों की संख्या लगभग 5.4 से घटकर अब 2.1 से भी कम हो गई है।
    • इसका मतलब यह है कि भारत ने प्रतिस्थापन प्रजनन दर प्राप्त कर ली है, जिस पर एक आबादी अपने आपको एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बदल देती है।
  • प्रजनन दर में गिरावट आ रही है और साथ ही स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा में प्रगति के चलते मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की गई है।
    • 0-14 वर्ष और 15-24 वर्ष की जनसंख्या में गिरावट जारी रहेगी, जबकि आने वाले दशकों में 25-64 और 65+ की जनसंख्या में वृद्धि जारी रहेगी।
  • उत्तरोत्तर पीढ़ियों के लिये समय से पहले मृत्यु दर में यह कमी, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के बढ़े हुए स्तरों में परिलक्षित होती है, यह भारत में जनसंख्या वृद्धि का कारक रहा है।

पहल:

  • वृद्ध आबादी वाले देशों को सामाजिक सुरक्षा और पेंशन प्रणालियों की स्थिरता में सुधार एवं सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल तथा दीर्घकालिक देखभाल प्रणालियों की स्थापना सहित वृद्ध व्यक्तियों के बढ़ते अनुपात में सार्वजनिक कार्यक्रमों को अनुकूलित करने के लिये कदम उठाने चाहिये।
  • अनुकूल आयु वितरण के संभावित लाभों को अधिकतम करने के लिये देशों को सभी उम्र में स्वास्थ्य देखभाल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंँच सुनिश्चित करके एवं उत्पादक रोज़गार तथा अच्छे काम के अवसरों को बढ़ावा देकर अपनी मानव पूंजी के विकास में निवेश करने की आवश्यकता है।
  • पहले से ही 25-64 आयु वर्ग के लोगों को कौशल की आवश्यकता है, जो यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि वे अधिक उत्पादक हों और बेहतर आय अर्जित करें।
  • 65+ आयु श्रेणी काफी तेज़ी से बढ़ने वाली है और इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह भविष्य की सरकारों के समक्ष संसाधनों पर दबाव को बढ़ाएगा। यदि वृद्ध परिवार के ढांँचे के भीतर रहते हैं, तो सरकार पर बोझ कम हो सकता है। "अगर हम अपनी जड़ों या परंपराओं की ओर वापस जाते हैं तथा परिवार के रूप में रहते हैं (जैसा कि पश्चिमी प्रवृत्ति के व्यक्तिवाद के खिलाफ है), तो चुनौतियांँ कम होंगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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