डेली न्यूज़ (12 Apr, 2019)



विश्व जनसंख्या- 2019: UNFPA

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund-UNFPA) द्वारा जारी स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड पॉपुलेशन-2019 रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 और 2019 के बीच भारत की आबादी औसतन 1.2 प्रतिशत बढ़ी है, जो चीन की वार्षिक वृद्धि दर के दोगुने से अधिक है।

  • यह रिपोर्ट प्रजनन क्षमता के स्तर को कम करने में देशों की सहायता करने हेतु स्थापित UNFPA की 50वीं वर्षगाँठ को भी इंगित करती है।
  • यह रिपोर्ट वर्ष 1994 में हुए जनसंख्या और विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICPD) के 25 वर्षों को भी चिह्नित करती है, जहाँ 179 देशों की सरकारों ने जनसंख्या वृद्धि को संबोधित करने हेतु यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकार-आधारित दृष्टिकोण पर सहमत व्यक्त की थी।
  • यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में लैंगिकता (यौनिकता) से संबंधित केवल रोग, प्रक्रिया का सुचारू रूप से कार्य न करना या दुर्बलता (विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार) का अभाव ही शामिल नहीं है, अपितु इसमें शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को भी शामिल किया जाता हैं।

प्रमुख बिंदु

  • वैश्विक जनसंख्या 72 वर्ष की औसत जीवन प्रत्याशा के साथ वर्ष 2018 के 7.633 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2019 में 7.715 बिलियन हो गई।
  • सबसे कम विकसित देशों में सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई, अफ्रीकी देशों में एक वर्ष में औसतन 2.7% वृद्धि दर्ज की गई।
  • वर्ष 2050 तक वैश्विक आबादी में होने वाली समग्र वृद्धि में सर्वाधिक भागीदारी उच्च प्रजननशीलता वाले अफ्रीकी देशों में अथवा बड़ी आबादी वाले देशों जैसे- नाइज़ीरिया एवं भारत में होने का अनुमान है।
  • वर्ष 2010 और 2019 के बीच भारत की जनसंख्या में 1.2% प्रति वर्ष की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में वैश्विक वृद्धि का औसत 1.1% प्रति वर्ष रहा है।
  • देश के 24 राज्यों में रहने वाली भारत की लगभग आधी आबादी में प्रति महिला 2.1 बच्चों की प्रतिस्थापन प्रजनन दर है, जनसंख्या वृद्धि पर रोकथाम लगाने पर वांछित परिवार का आकार यह होगा।

♦ प्रतिस्थापन स्तर, यह एक ऐसी अवस्था होती है जब जितने बूढ़े लोग मरते हैं उनका खाली स्थान भरने के लिये उतने ही नए बच्चे पैदा हो जाते हैं। कभी-कभी कुछ समाजों को ऋणात्मक संवृद्धि दर की स्थिति से भी गुजरना होता है अर्थात् उनका प्रजनन शक्ति स्तर प्रतिस्थापन दर से नीचा रहता है। आज विश्व में कई ऐसे देश और क्षेत्र हैं जहाँ ऐसी स्थिति है जैसे, जापान, रूस, इटली एवं पूर्वी यूरोप। दूसरी ओर, कुछ समाजों में जनसंख्या संवृद्धि दर बहुत ऊँची हो जाती है विशेष रूप से उस स्थिति में, जब वे जनसांख्यिकीय संक्रमण से गुजर रहे होते हैं।
♦ यह दर अधिकतर देशों में प्रति महिला लगभग 2.1 बच्चे है, हालाँकि यह मृत्यु दर के साथ भिन्न हो सकती है।
♦ भारत में, प्रति महिला कुल प्रजनन दर वर्ष 1969 के 5.6 से घटकर वर्ष 1994 में 3.7 और वर्ष 2019 में 2.3 हो गई हैं।

  • वर्ष 2019 तक, भारत की जनसंख्या 1.36 बिलियन तक होने की संभावना है जो वर्ष 1994 में 942.2 मिलियन तथा वर्ष 1969 में 541.5 मिलियन थी।
  • रिपोर्ट के अनुसारर, भारत की 27% जनसंख्या 0-14 वर्ष और 10-24 वर्ष की आयु वर्ग में, जबकि देश की 67% जनसंख्या 15-64 आयु वर्ग में दर्ज की गई। देश की 6% जनसंख्या 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की है।
  • भारत ने जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में सुधार दर्ज किया है। वर्ष 1969 में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 47 वर्ष थी, जो वर्ष 1994 में 60 वर्ष और वर्ष 2019 में बढ़कर 69 वर्ष हो गई है।
  • संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की विश्व जनसंख्या 2019 रिपोर्ट के हिस्से के रूप में पहली बार 15-49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं के परिणाम भी प्रकाशित किये गए। इसमें तीन प्रमुख क्षेत्रों में निर्णय लेने की महिलाओं की क्षमता पर आँकड़ें शामिल किये गए है:

♦ अपने साथी के साथ संभोग करने की क्षमता,
♦ गर्भनिरोधक का उपयोग करना,
♦ स्वास्थ्य देखभाल।

  • रिपोर्ट में शामिल विश्लेषण के अनुसार, प्रजनन और यौन अधिकारों की अनुपस्थिति का महिलाओं की शिक्षा, आय एवं सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे वे अपना स्वयं का भविष्य निर्माण करने में असमर्थ हो जाती है।
  • जल्दी विवाह हो जाना भी महिला सशक्तीकरण और बेहतर प्रजनन अधिकारों के संबंध में एक बाधा बना हुआ है।
  • इस रिपोर्ट में महिलाओं और लड़कियों के संघर्ष एवं जलवायु आपदाओं के कारण होने वाली आपात स्थितियों से उत्पन्न प्रजनन अधिकारों के खतरे पर भी प्रकाश डाला गया है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष
United Nations Population Fund

  • UNFPA संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी है।
  • इसे वर्ष 1967 में ट्रस्ट फंड के रूप में स्थापित किया गया था, इसका परिचालन वर्ष 1969 में शुरू हुआ।
  • वर्ष 1987 में इसे आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष नाम दिया गया।
  • हालाँकि, इसका संक्षिप्त नाम UNFPA (जनसंख्या गतिविधियों के लिये संयुक्त राष्ट्र कोष) को भी बरकरार रखा गया।
  • UNFPA का जनादेश संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic and Social Council- ECOSOC) द्वारा स्थापित किया गया है।
  • यह संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक सहायक अंग है।
  • UNFPA पूरी तरह से अनुदान देने वाली सरकारों, अंतर-सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्रों, संस्थानों और व्यैक्तिक स्वैच्छिक योगदान द्वारा समर्थित है, न कि संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट द्वारा।
  • UNFPA प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य पर सतत् विकास लक्ष्य नंबर 3, शिक्षा पर लक्ष्य 4 और लिंग समानता पर लक्ष्य 5 के संबंध में कार्य करता है।

स्रोत- UNFPA: आधिकारिक वेबसाइट


गिग इकॉनमी: दिल्ली सबसे आगे

चर्चा में क्यों?

स्टार्टअप राजधानी बंगलूरु को दूसरे स्थान पर छोड़ते हुए दिल्ली भारत के तकनीकी सक्षम गिग इकॉनमी (Gig Economy) के शीर्ष गंतव्य के रूप में उभर कर सामने आई है।

प्रमुख बिंदु

  • मानव संसाधन फर्म टीमलीज के आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली ने पिछले छह महीनों (31 मार्च तक) में अपनी विशाल अर्थव्यवस्था में 560,600 लोगों को शामिल किया है। गौरतलब है कि यह आँकड़ा पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 298,000 (88% की छलांग) था।
  • इस बीच, बंगलूरु की गिग इकॉनमी में शामिल होने वाले प्रवासी श्रमिकों की संख्या पिछले छह महीनों में 29% की मामूली बढ़त के साथ 194,400 से 252,300 हो गई है।
  • रोज़गार की तलाश में बढ़ता प्रवास और गिग इकॉनमी को बढ़ावा देने वाली कंपनियों द्वारा प्रशिक्षण देने में तत्परता ने इस क्षेत्र को काफी हद तक बढ़ावा दिया है।
  • एक अनुमान के मुताबिक, भारत में नए रोज़गारों (ब्लू-कॉलर और व्हाइट-कॉलर दोनों) का 56% हिस्सा गीग इकॉनमी कंपनियों द्वारा सृजित हो रहा है।

गिग इकॉनमी पर नियंत्रण की आवश्यकता

  • गिग इकॉनमी (स्विगी, ज़ोमैटो, उबर और ओला जैसी कंपनियों की अगुवाई में) काफी हद तक अनियंत्रित है, यहाँ तक कि ड्राइवर और डिलीवरी बॉय को मामूली आय तथा बहुत कम जॉब सिक्यूरिटी पर काम करना पड़ता है।
  • भारत के संदर्भ में गिग इकॉनमी अनौपचारिक श्रम क्षेत्र का ही विस्तार है, जो लंबे समय से प्रचलित और अनियंत्रित है, इसमें श्रमिकों को कोई सामाजिक सुरक्षा, बीमा आदि की सुविधा नहीं मिलती है।
  • कुछ नीति विशेषज्ञ हमेशा से इस बात के पक्षधर रहे हैं कि श्रम कानूनों में आमूल-चूल बदलावों को लागू करने की ज़रूरत है।
  • भारत में गिग इकॉनमी के तहत उभरते स्टार्टअप्स को संतुलित तरीके से विनियमित करने की आवश्यकता है ताकि स्टार्टअप कंपनियों और श्रमिकों दोनों को ही इस क्षेत्र में कुछ सहूलियतें उपलब्ध हो सकें।

गिग इकॉनमी क्या है?

  • आज डिजिटल होती दुनिया में रोज़गार की परिभाषा और कार्य का स्वरूप बदल रहा है। एक नई वैश्विक अर्थव्यवस्था उभर रही है, जिसको नाम दिया जा रहा है 'गिग इकॉनमी’।
  • दरअसल, गिग इकॉनमी में फ्रीलान्स कार्य और एक निश्चित अवधि के लिये प्रोजेक्ट आधारित रोज़गार शामिल हैं।
  • गिग इकॉनमी में किसी व्यक्ति की सफलता उसकी विशिष्ट निपुणता पर निर्भर होती है। असाधारण प्रतिभा, गहरा अनुभव, विशेषज्ञ ज्ञान या प्रचलित कौशल प्राप्त श्रमबल ही गिग इकॉनमी में कार्य कर सकता है।

gig economy

  • आज कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी कर सकता है या किसी प्राइवेट कंपनी का मुलाज़िम बन सकता है या फिर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में रोज़गार ढूंढ सकता है, लेकिन गिग इकॉनमी एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ कोई भी व्यक्ति मनमाफिक काम कर सकता है।
  • अर्थात् गिग इकॉनमी में कंपनी द्वारा तय समय में प्रोजेक्ट पूरा करने के एवज़ में भुगतान किया जाता है, इसके अतिरिक्त किसी भी बात से कंपनी का कोई मतलब नहीं होता।

स्रोत- लाइवमिंट


संरक्षण के लिये नई आनुवंशिक विधि

चर्चा में क्यों?

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और बंगलूरू स्थित नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ के वैज्ञानिकों की एक टीम ने आनुवंशिक जानकारी प्राप्त करने के लिये एक नई विधि विकसित की है।

प्रमुख बिंदु

  • वैज्ञानिकों की इस विधि के अध्ययन संबंधी विवरण को ‘Methods in Ecology and Evolution’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
  • इस विधि के द्वारा एक एकल प्रयोग (एक मल्टीप्लेक्स PCR) में DNA सेगमेंट के कई छोटे हिस्सों की पहचान की जाती है, उसके बाद ‘अगली पीढ़ी का अनुक्रमण’(Next-generation Sequencing) किया जाता है जिसमें DNA के कई युग्मों को एक साथ और एक स्वचालित प्रक्रिया में कई बार डीकोड किया जा सकता है।
  • वैज्ञानिकों की टीम ने कैरिबियन क्वीन घोंघा (Caribbean Queen Conches) और बाघ (दो बेहद अलग प्रजातियों जिनके संरक्षण की ज़रूरत थी) पर अपनी इस विधि का परीक्षण किया।
  • टीम ने 75 जंगली बाघों के मल, बाल और लार से DNA तथा 279 कैरिबियन क्वीन घोघों के नमूनों से RNA प्राप्त किया।
  • तत्पश्चात् उन्होंने इन नमूनों में 60 से 100 एकल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (Single Nucleotide Polymorphisms-SNP) देखा जो कि आनुवंशिक सामग्री में देखे जाने वाले सबसे आम प्रकार के परिवर्तनों में से एक था।
  • वैज्ञानिकों के मुताबिक, पशु निगरानी के लिये इसका उपयोग करने के अलावा यह वन्यजीव व्यापार पर खुफिया जानकारी प्राप्त करने के लिये भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इस विधि से एक साथ कई सौ नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है और प्रति नमूना 1000 SNP तक डिकोडिंग की लागत 5 डॉलर (350 रुपए से कम) आएगी।
  • इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें सिर्फ पाँच दिन का समय लगेगा जबकि पुरानी विधियों में कम-से-कम एक महीना का समय लगता है।

स्रोत : द हिंदू


शुरुआती अवस्था में कैसा था सूर्य का व्यवहार

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उल्कापिंड के एक टुकड़े का विश्लेषण करके शोधकर्त्ताओं ने प्रारंभिक अवस्था में सूर्य के व्यवहार की परिकल्पना की है। गौरतलब है कि 21 किलोग्राम वजन का यह उल्कापिंड 1962 में कज़ाखस्तान में पाया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं ने पाया कि शुरुआती वर्षों के दौरान सूर्य अधिक चमक (Superflares) उत्पन्न करने में सक्षम था जो कि वर्ष 1859 के कैरिंगटन घटना (Carrington event) में दर्ज किये गए सबसे तीव्र सौर चमक की तुलना में एक लाख गुना अधिक था।
  • 1859 का सौर तूफान (जिसे कैरिंगटन इवेंट भी कहा जाता है) सौर चक्र 10 (1855-1867) के दौरान एक शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफान था।
  • सौर चमक सूर्य की अचानक से बढ़ी हुई चमक होती है, जो कभी-कभी एक कोरोनल मास इजेक्शन के साथ भी होती है।
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस तरह के सुपरफ्लेयर 4.5 अरब साल पहले हुए होंगे जब सूर्य का निर्माण हो रहा था।
  • शोधकर्त्ताओं ने यह भी अनुमान लगाया है कि सूर्य के इस तरह के सुपरफ्लेयर द्वारा विकिरण की वज़ह से ही बेरिलियम -7 जैसे तत्त्व उत्त्पन्न होते हैं।
  • कैल्शियम-एल्युमीनियम-समृद्ध समावेश (Calcium-Aluminum-Rich Inclusions- CAI) सौरमंडल के पहले गठित ठोस पदार्थों में से एक था। CAI लगभग 4.5 बिलियन वर्ष पुराना है।

अंतरिक्ष की चट्टानों से संबंधित शब्दावली
Terms Related to Rocks of Space

क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉइड): तारों ग्रहों एवं उपग्रहों के अतिरिक्त असंख्य छोटे पिंड भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इन पिंडों को क्षुद्रग्रह कहते हैं

  • आम तौर पर ये मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं की बीच पाए जाते हैं। जिन्हें क्षुद्रग्रह बेल्ट कहा जाता है
  • आमतौर पर ये किसी ग्रह के टुकड़े होते हैं जो कभी एक साथ नहीं आए थे।

कभी-कभी ये क्षुद्रग्रह मुख्य बेल्ट से निकलकर पृथ्वी की कक्षाओं को काटते हैं।

धूमकेतु (Comet):

धूमकेतु सौरमंडलीय निकाय है जो पत्थर, धूल, बर्फ और गैस के बने हुए छोटे-छोटे खंड होते है। यह ग्रहों के समान सूर्य की परिक्रमा करते हैं। छोटे पथ वाले धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा एक अंडाकार पथ में लगभग 6 से 200 वर्ष में पूरी करते हैं।कुछ धूमकेतु का पथ वलयाकार होता है और वे मात्र एक बार ही दिखाई देते हैं।

  • जब ये धूमकेतु सूर्य के नज़दीक से गुज़रते हैं तो सूर्य के ताप से गर्म होने के कारण इनसे गैस निकलती है।
  • इस समय में कोमा (,) सदृश्य और कभी-कभी एक पूँछ जैसा दिखाई पड़ता है।

उल्कापिंड (Meteoroid): सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने वाले पत्थरों के टुकड़ों को उल्कापिंड कहा जाता है। कभी-कभी ये उल्कापिंड पृथ्वी के इतने पास आ जाते है कि इनकी प्रवृत्ति पृथ्वी पर गिरने की हो जाती है इस प्रक्रिया के दौरान वायु के घर्षण के कारण ये जल उठते हैं। फलस्वरूप चमकदार प्रकाश उत्त्पन्न होता है कभी-कभी कोई उल्का पूरी तरह से जले बिना ही पृथ्वी पर गिर जाता है जिससे पृथ्वी पर गड्ढे बन जाते हैं।

उल्का: एक अंतरिक्ष चट्टान जिसे क्षुद्रग्रह या धूमकेतु भी कहा जाता है, जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती है तो वायु के घर्षण के कारण जलने लगती है। इस चमकदार प्रकाश को उल्का कहा जाता है।

बोलाइड (Bolide): खगोलविद अक्सर उल्कापात में दिखाई देने वाला आग का गोला जो आकर पृथ्वी से टकराता है, के लिये इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं।

कोरोनल मास इजेक्शन
Coronal Mass Ejection

  • सूरज के कोरोना से प्लाज़्मा और उस से संबंधित चुंबकीय क्षेत्र को अंतरिक्ष में निष्कासित किये जाने की परिघटना को कोरोनल मास इजेक्शन (coronal mass ejection) कहते हैं।
  • यह अक्सर सोलर फ्लेयर्स (Solar Flares) के बाद होता है और सौर उभार (Solar Prominence) के साथ देखा जाता है। इसमें निष्कासित प्लाज़्मा सौर वायु का भाग बन जाती है और इसे कोरोनोग्राफी में देखा जा सकता है।

Solar Flares

कोरोना (Corona):

  • सूर्य के वर्णमंडल के वाह्य भाग को किरीट/कोरोना (Corona) कहते हैं।
  • पूर्ण सूर्यग्रहण के समय यह श्वेत वर्ण का होता है।
  • किरीट अत्यंत विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है।

Corona

स्रोत- द हिंदू


सौर ई-कचरा

चर्चा में क्यों?

एनर्जी कंसल्टेंसी फर्म ब्रिज टू इंडिया (BTI) लिमिटेड द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन के अनुसार भारत के PV (फोटोवोल्टिक) अपशिष्ट की मात्रा 2030 तक 2,00,000 टन और 2050 तक लगभग 1.8 मिलियन टन बढ़ने का अनुमान है।

पीवी मॉड्यूल

  • एक पीवी मॉड्यूल आवश्यक रूप से काँच, धातु, सिलिकॉन और बहुलक अंशों से बना होता है।
  • इसमें ग्लास और एल्युमीनियम का हिस्सा कुल वज़न का लगभग 80% होता है जो खतरनाक नहीं होता है।
  • लेकिन कुछ अन्य पदार्थ जैसे-पॉलिमर, धातु, धातु यौगिक और मिश्र धातुओं को खतरनाक पदार्थों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • उदाहरण के लिये सीसा के निक्षालन (leaching) से जैव विविधता में नुकसान, पौधों और जीवों में वृद्धि तथा प्रजनन दर में कमी सहित भारी पर्यावरणीय प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा कई अन्य स्वास्थ्य संबंधी खतरे जैसे-किडनी की कार्यप्रणाली, तंत्रिका तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली, प्रजनन और हृदय संबंधी प्रणालियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

पीवी अपशिष्ट पुनर्चक्रण

  • तकनीकी मानकों और भौतिक अवसंरचना के संदर्भ में पीवी अपशिष्ट रीसाइक्लिंग अभी भी विश्व स्तर पर शुरुआती अवस्था में है। ये कचरे आमतौर पर काँच के टुकड़े तथा धातु के रूप में होते हैं।
  • पीवी मॉड्यूल रीसाइक्लिंग अभी भी व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं है क्योंकि परिवहन सहित कुल अनुमानित लागत 400 से 600 डॉलर प्रति टन के बीच हो सकती है जो प्राप्त की गई सामग्री के मूल्य से अधिक है।

भारत में स्थिति

  • भारत सरकार ने 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई है साथ ही भारत दुनिया में सौर सेल के लिये अग्रणी बाज़ारों में से एक है।
  • अब तक भारत ने लगभग 28 GW के लिये सौर सेल स्थापित किये हैं और यह काफी हद तक आयातित सौर पीवी सेल्स (solar PV cells) पर आधारित है।
  • वर्तमान में भारत के ई-कचरे के नियमों में सौर सेल निर्माताओं को कचरे को रीसाइकल करने या इस क्षेत्र के अपशिष्ट का निपटान करने के लिये कोई कानून नहीं है।
  • अधिकांश केंद्रीय बोली-प्रक्रिया ई-कचरा (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2011 के अनुसार होती है। इसमें ई-कचरा नियम सौर पीवी कचरे का कोई उल्लेख नहीं है।
  • काँच के टुकड़े और ई-कचरे के लिये बुनियादी रीसाइक्लिंग सुविधाओं का अभाव है।
  • सात वर्षों से अधिक समय से ई-कचरा विनियमन के बावजूद, अनुमानित ई-कचरे को केवल 4% से कम का संगठित क्षेत्र में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है।

भारत के लिये सुझाव

  • मॉड्यूल निर्माताओं के लिये पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ डिज़ाइन और सामग्रियों को ध्यान में रखते हुए एंड-ऑफ-लाइफ (ईयू की ईको-डिज़ाइन पहल के समान) का उपयोग करना अनिवार्य किया जाना चाहिये।
  • अपशिष्ट प्रबंधन और उपचार के लिये प्रत्येक हितधारक की देयता और ज़िम्मेदारी निर्दिष्ट की जानी चाहिये।
  • पीवी अपशिष्ट संग्रह, उपचार और निपटान के लिये मानक निर्धारित किया जाना चाहिये।
  • मॉड्यूल आपूर्तिकर्त्ताओं, परियोजना डेवलपर्स और बिजली खरीदारों के बीच आपसी रीसाइक्लिंग ज़िम्मेदारी समझौतों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • प्रौद्योगिकी और क्षमता स्तर को समझने के लिये पुनर्चक्रण सुविधाओं के नियमित सर्वेक्षणों को समझना।
  • समर्पित पीवी रीसाइक्लिंग सुविधाओं के लिये निवेश और तकनीकी आवश्यकताओं की पहचान करना।

स्रोत : द हिंदू


Rapid Fire करेंट अफेयर्स (12 April)

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विक्रम नाथ को नवगठित आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का पहला चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ के नाम की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के संयुक्त उच्च न्यायालय के विभाजन के बाद इस साल 1 जनवरी, 2019 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी। कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश एस. रविन्द्र भट्ट को राजस्थान हाई कोर्ट, केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीश पी.आर. रामचंद्र मेनन को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायाधीश ए.के. मित्तल को मेघालय हाई कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश ए.एस. ओका को कर्नाटक हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की सिफारिश भी की है।
  • उत्तर प्रदेश में झांसी के निकट बबीना कैंट में 8 से 11 अप्रैल तक भारत और सिंगापुर के सैन्य बलों ने बोल्ड कुरुक्षेत्र-2019 नामक द्विपक्षीय सैन्याभ्यास में हिस्सा लिया। भारत और सिंगापुर के बीच यह 12वाँ इस प्रकार का अभ्यास है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य प्रौद्योगिकी विकसित करने, समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को बढ़ावा देना है।
  • कुछ समय पूर्व क्राइस्टचर्च की दो मस्ज़िदों पर हुए हमले के बाद न्यूज़ीलैंड की संसद ने हथियार कानून में संशोधन कर सैन्य शैली के सभी तरह के स्वचालित और अर्द्ध-स्वचालित (Automatic & Semi-Automatic) हथियार रखने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया है। न्यूज़ीलैंड की संसद ने विधेयक को एक के मुकाबले 119 मतों से पारित कर दिया। न्यूज़ीलैंड के गवर्नर जनरल की मंज़ूरी के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा और इसके बाद अगर किसी के पास ऐसे हथियार पाए गए तो उसे पाँच साल तक की सज़ा हो सकती है।
  • ऑस्ट्रेलिया में ड्रोन से कुछ सामानों की डिलिवरी सर्विस शुरू करने के लिये आधिकारिक मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहाँ ड्रोन से खाद्य पदार्थों की डिलीवरी की मंज़ूरी मिली है। ऑस्ट्रेलिया के विमानन नियामक नागर विमानन सुरक्षा प्राधिकरण ने विंग एविएशन प्राइवेट लिमिटेड को उत्तरी कैनबरा में ड्रोन से डिलीवरीकी अनुमति दी है। पि इन सप्लाई ड्रोन्स को मुख्य सड़क के ऊपर उड़ने की अनुमति नहीं है। पिछले 18 महीने से ड्रोन से आपूर्ति का परीक्षण करने वाली कंपनी विंग एविएशन गूगल की मूल कंपनी एल्फाबेट का ही एक हिस्स्सा है। फिलहाल केवल रिमोट संचालित ड्रोन से खाने के सामान, दवाओं और स्थानीय स्तर पर बनी कॉफी और चॉकलेट की डिलीवरी की जा रही है।
  • विज़डन क्रिकेटर्स एल्मनैक ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को 2018 का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर चुना है। यह लगातार तीसरी बार है जब विज़डन ने उन्हें लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना है। उनके साथ टैमी बियुमोंट, जोस बटलर, सैम करन और रोरी बर्न्स को भी क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की बल्लेबाज स्मृति मंधाना वुमन्स लीडिंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुनी गई हैं। अफगानिस्तान के राशिद खान लीडिंग टी-20 क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुने गए हैं। 2019 में विज़डन क्रिकेटर्स एल्मनैक का 156वाँ संस्करण होगा तथा यह 1889 से वर्ष के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों की सूची जारी करता रहा है और इसे क्रिकेट के प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माना जाता है।
  • अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत यूट्यूब का सबसे बड़ा और सबसे तेज़ी से बढ़ रहा बाज़ार बन गया है। इसकी सबसे बड़ी वज़ह सस्ता मोबाइल डेटा और कम कीमत पर स्मार्टफोन की उपलब्धता है। भारत में 95% वीडियोज़ की खपत छोटे शहरों में स्थानीय भाषा में हो रही है तथा यूट्यूब के देश में 26.5 करोड़ सब्सक्राइबर हैं। भारत में लर्निंग और एजुकेशन, म्यूज़िक, हेल्थ और कुकिंग जैसे विविध विषयों पर स्थानीय भाषाओं में सामग्री से यूट्यूब का इस्तेमाल काफी बढ़ा है। देश में पिछले एक साल में मोबाइल पर यूट्यूब का प्रसार 85% बढ़ा है और इसमें से 60% देश के 6 सबसे बड़े मेट्रो शहरों के बाहर हुआ है।
  • ऑनलाइन सनसनीखेज़ खुलासे करने वाली विकिलीक्स के सह-संस्थापक जूलियन असांज को ब्रिटेन में गिरफ्तार कर लिया गया। ऑस्ट्रेलियाई जूलियन असांज पर स्वीडन में बलात्कार के आरोप लगे थे जिसके बाद गिरफ़्तारी और प्रत्यर्पण से बचने के लिए उन्होंने ने 2012 से लंदन में इक्वाडोर के दूतावास में शरण ले रखी थी। तब से वह लंदन में शरणार्थी के तौर पर रह रहे थे और बाद में उन्होंने इक्वाडोर की नागरिकता ले ली थी। गौरतलब है कि विकिलीक्स को बड़ी संख्या में विभिन्न देशों की गुप्त सूचनाओं को ऑनलाइन पब्लिश करने के लिये जाना जाता है। 2010 में विकिलीक्स ने अमेरिकी सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को पब्लिश कर दिया तथा अफगानिस्तान और इराक युद्ध से जुड़े दस्तावेजों को भी सार्वजनिक कर दिया। इसके बाद अमेरिका ने असांज को बहिष्कृत घोषित कर दिया गया था।
  • अफ्रीकी देश सूडान में वहाँ की सेना ने तख्तापलट करते हुए राष्ट्रपति उमर-अल-बशीर को पद से हटाकर हिरासत में ले लिया। रक्षा मंत्री अवद इब्ने औफ ने सरकार के गिरने का एलान करते हुए बताया कि उनके स्थान पर अंतरिम सैन्य परिषद 2 साल के लिए शासन करेगी। तीन महीने के लिये देश में आपातकाल लगा दिया गया है तथा 2005 के संविधान को निलंबित कर दिया है। साथ ही, अगले आदेश तक देश की सीमाएं एवं हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया गया है। सैन्य परिषद ने देश में संघर्षविराम भी घोषित कर दिया है, जो युद्धग्रस्त दारफर, ब्लू नील और दक्षिण कुर्दफान में भी लागू होगा। सूडान में बशीर सरकार लंबे समय से जातीय विद्रोहियों से लड़ रही थी। बशीर भी 1989 में हुए तख्तापलट के बाद सत्ता में आए थे और वह अफ्रीका में सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति रहने वालों में शामिल हैं। वह नरसंहार और युद्ध अपराध के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में भी वांछित हैं।