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डेली न्यूज़

  • 11 Dec, 2019
  • 29 min read
शासन व्यवस्था

कालिया योजना की सहायता राशि में कटौती

प्रीलिम्स के लिये:

कालिया योजना

मेन्स के लिये:

कालिया योजना के तहत सहायता राशि में कटौती का कारण तथा अन्य संबंधित तथ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ओडिशा सरकार ने कालिया योजना के तहत प्रदान की जाने वाली सहायता राशि को 10000 रुपए से घटाकर 4000 रुपए कर दिया है।

सहायता राशि घटाने का कारण:

  • ओडिशा सरकार द्वारा कालिया योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि को इसलिये घटाया गया है क्योंकि ओडिशा सरकार ने कालिया (Krushak Assistance for Livelihood and Income Augmentation- KALIA) योजना का फरवरी 2019 में केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में विलय कर दिया है।

अन्य संशोधन:

  • ओडिशा राज्य के कृषि एवं किसान सशक्तीकरण विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, वर्ष 2019-20 के लिये ओडिशा सरकार कालिया योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को 5000 रुपए प्रदान करेगी तथा वर्ष 2020-21 से 4000 रुपए प्रदान करेगी।
  • वहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को 6000 रुपए वार्षिक मिलेंगे, अतः इन दोंनों योजनाओं के विलय से किसानों को वार्षिक रूप से 10000 रुपए वार्षिक रूप से प्राप्त होंगे।
  • वर्ष 2019-20 के दौरान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सहायता राशि प्राप्त कर चुके किसानों को कालिया योजना के अंतर्गत रबी की फसल 2019 के लिये कोई सहायता राशि नहीं मिलेगी।
  • जिन किसानों को अभी तक कालिया योजना के तहत वर्ष 2018-19 के लिये वित्तीय सहायता नहीं मिली है, उन्हें रबी की फसल 2018-19 के लिये भी वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • ऐसे भूमिहीन किसान जो वास्तविक कृषक के रूप में किसी दूसरे की भूमि पर कार्य करते हैं, उन्हें कालिया योजना के अंतर्गत 10000 रुपए वार्षिक सहायता राशि मिलती रहेगी क्योंकि वे किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सहायता राशि पाने के पात्र नहीं हैं।
  • अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि शहरी स्थानीय निकायों में रहने वाले किसानों को दोनों योजनाओं के तहत शामिल नहीं किया जाएगा।
  • सहकारिता विभाग द्वारा सभी किसानों को 1 लाख रुपए तक ब्याज मुक्त ऋण प्रदान प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। अभी तक कालिया योजना के अंतर्गत किसानों को 50000 रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाता है जो अब इस नए नियम के अंतर्गत प्रदान किया जाएगा।
  • हालाँकि कुछ विपक्षी दलों ने चुनाव से पहले किसानों से झूठे वादे करने का आरोप लगाते हुए ओडिशा सरकार की आलोचना की है।

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

भारत में दुर्लभ रोग

प्रीलिम्स के लिये

दुर्लभ रोग, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी-ईआरटी क्या है?

मेन्स के लिये

भारत में दुर्लभ रोगों की समस्या तथा इनके उपचार के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यह बताया गया कि लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (Lysosomal Storage Disorder) नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित अधिकांश रोगियों के आवेदन पिछले कई महीनों से केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के पास इलाज के लिये वित्तीय सहायता की प्रतीक्षा में लंबित हैं।

मुख्य बिंदु:

  • देश भर में दुर्लभ बीमारियों से 2,000 से अधिक बच्चे संक्रमित हैं। उनमें से कई को एंज़ाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी-ईआरटी (Enzyme Replacement Therapy-ERT) की आवश्यकता है।
  • ईआरटी एक चिकित्सीय उपचार है। इसके माध्यम से शरीर में उपस्थित उन एंज़ाइमों को विस्थापित किया जाता है जिनकी मात्रा शरीर में कम है।
  • इन दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये राष्ट्रीय नीति, 2017 (National Policy for Treatment of Rare Diseases, 2017) में भी सुधार की मांग की गई है।

लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर:

  • लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर एक आनुवंशिक मेटाबॉलिक बीमारी (Inherited Metabolic Disease) है। इसमें एंज़ाइम की कमी के परिणामस्वरूप शरीर की कोशिकाओं में विभिन्न विषाक्त पदार्थों का असामान्य रूप से निर्माण होता है।
  • यह कंकाल, मस्तिष्क, त्वचा, हृदय और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र सहित शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकता है।
  • वर्तमान में कई लाइसोसोमल स्टोरेज रोगों के लिये कोई अनुमोदित उपचार उपलब्ध नहीं है परंतु ईआरटी द्वारा इन्हें कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

दुर्लभ रोग (Rare Disease):

  • दुर्लभ बीमारी एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति होती है जिसका प्रचलन लोगों में प्रायः कम पाया जाता है या सामान्य बीमारियों की तुलना में बहुत कम लोग इन बीमारियों से प्रभावित होते हैं।
  • दुर्लभ बीमारियों की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है तथा अलग-अलग देशों में इसकी अलग-अलग परिभाषाएँ हैं।
  • हालाँकि दुर्लभ बीमारियाँ कम लोगों में पाई जाती हैं परंतु सामूहिक रूप से वे जनसंख्या के काफी बड़े अनुपात को प्रभावित करती हैं।
  • 80 प्रतिशत दुर्लभ बीमारियाँ मूल रूप से आनुवंशिक होती हैं, इसलिये बच्चों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • भारत में 56-72 मिलियन लोग दुर्लभ बीमारियों से प्रभावित हैं।

दुर्लभ रोगों के उपचार के लिये राष्ट्रीय नीति, 2017:

  • इस नीति में दुर्लभ बीमारियों से निपटने के लिये सरकार द्वारा किये गए प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है।
  • इसके अंतर्गत दुर्लभ रोगों के लिये विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की पहल को समन्वित और नियंत्रित करने के लिये एक अंतर-मंत्रालयी परामर्श समिति के गठन का विचार रखा गया है।
  • इसमें दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिये केंद्र और राज्य स्तर पर एक वित्तीय कोष के निर्माण का भी उल्लेख किया गया है।
  • इस नीति के तहत दुर्लभ रोग से संबंधित शोध को बढ़ावा देने के लिये भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) में पीड़ित रोगियों के लेखागार (Patient Registry) की व्यवस्था की जाएगी।
  • क्योंकि दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिये उच्च लागत की आवश्यकता होती है। अतः इस नीति के माध्यम से उपचार की सुलभता के साथ ही स्वास्थ्य प्रणाली को वहनीय बनाने की कोशिश की गई है।
  • इसका उद्देश्य चिकित्सकों, रोगी के परिजनों तथा आम लोगों को दुर्लभ बीमारियों के बारे में जागरूक करना है।

स्रोत: द हिन्दू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट

प्रीलिम्स के लिये:

भारत-ऑस्ट्रेलिया म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट

मेन्स के लिये:

भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नई दिल्ली में भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा एवं विदेश सचिवों की बैठक का आयोजन किया गया, इसके चलते दोंनों देश पारस्परिक ‘लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट’ (Logistics Support Agreement- LSA) को क्रियान्वित करने के और करीब आ गए हैं।

मुख्य बिंदु:

  • इस समझौते से संबंधित आगे की वार्ता ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री की आगामी भारत यात्रा (13-16 जनवरी) के दौरान होगी। इस दौरे के अंतर्गत वह मुंबई, नई दिल्ली तथा बंगलुरु शहर का भ्रमण करेंगे।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच इस प्रकार की पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता का आयोजन वर्ष 2017 में हुआ था।
  • इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने अपने रणनीतिक सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य की व्यापक समीक्षा की।

‘लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट’

(Logistics Support Agreement):

  • यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के सैन्य रसद के उपयोग की अनुमति देगा, जिसके अंतर्गत दोंनों देशों के सैनिक आपस में भोजन, पानी और पेट्रोलियम जैसी सुविधाओं का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
  • यह समझौता चीन के सैन्य विस्तार और आर्थिक प्रभाव को देखते हुए दोनों देशों के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगा।

भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा संबंध

(India-Australia Defence Relations):

  • रक्षा क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया की एक साझा चिंता चीन को लेकर है। जहाँ ऑस्ट्रेलिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की उपस्थिति से चिंतित है, तो वहीं भारत हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों से चिंतित है।
  • वर्ष 2019 के प्रारंभ में ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय नौसेनाओं ने दो सप्ताह तक चलने वाले द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास AUSINDEX में भाग लिया था।
  • इस द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास का आयोजन भारतीय नौसेना तथा रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (Royal Australian Navy-RAN) के बीच आपसी सहयोग एवं पारस्परिकता को बढ़ाने के लिये तथा कर्मचारियों को आपस में अपने पेशेवर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करने के लिये किया गया था।
  • वर्ष 2016-18 तक दोंनों देशों की सेनाओं ने संयुक्त सैन्याभ्यास ‘ऑस्ट्रा-हिंद’ (AUSTRA-HIND) संचालित किया था।
  • यह महत्त्वपूर्ण है कि वर्ष 2017 में ऑस्ट्रेलियाई विदेश नीति के श्वेत-पत्र में भारत को अमेरिका, जापान, इंडोनेशिया, चीन के साथ अग्रिम पंक्ति के अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के रूप में पहचाना गया।
  • चीन को प्रतिसंतुलित करने के लिये ‘क्वाड’ (QUAD) की संकल्पना वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे द्वारा की गई थी।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस


सामाजिक न्याय

महिला सुरक्षा के लिये सरकार के प्रयास

प्रीलिम्स के लिये

महिलाओं की सुरक्षा के लिये विभिन्न नीतियाँ

मेन्स के लिये

महिला सुरक्षा तथा सशक्तीकरण के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश में महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा तथा हत्या के बढ़ते मामलों के संदर्भ में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की तरफ से बयान जारी किया गया। इसमें महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद सरकार ने यौन अपराधों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 पारित किया। इस अधिनियम के तहत पहली बार यौन अपराधों की विस्तृत व्याख्या की गई तथा इसके तहत सज़ा के प्रावधानों को कठोर किया गया।
  • वर्ष 2018 में सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित किया। इसके तहत 12 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ बलात्कार करने पर आरोपी के लिये फाँसी का प्रावधान किया गया। इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि ऐसे मामलों से संबंधित जाँच तथा मुकदमे की अधिकतम अवधि 4 महीने हो।
  • इसके अलावा सरकार ने अखिल भारतीय स्तर पर आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (Emergency Response Support System-ERSS) की शुरुआत की है। इसके तहत सभी प्रकार की आपातकालीन स्थितियों में सुरक्षा हेतु एकल, अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हेल्पलाइन नंबर “112” की शुरुआत की गई है।
    • ERSS के तहत कंप्यूटरीकृत तरीके से आपात स्थिति के बारे में वहाँ विद्यमान संसाधनों जैसे- पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, वीमेन हेल्पलाइन आदि तक सूचना प्रेषित की जाएगी तथा उन्हें खतरे के स्थान पर भेजा जाएगा।
  • स्मार्ट पुलिसिंग तथा सुरक्षा प्रबंधन में तकनीकी की मदद से सुरक्षित नगर परियोजना (Safe City Project) को लागू करने की घोषणा की गई है। इसके पहले चरण के लिये देश के आठ शहरों (अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ तथा मुंबई) को शामिल किया गया है।
  • वर्ष 2018 में गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध पोर्टल (Cyber-Crime Portal) लॉन्च किया। इसके माध्यम से कोई भी नागरिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डाले गए अश्लील कंटेंट के खिलाफ शिकायत कर सकता है।
  • वर्ष 2018 में ही गृह मंत्रालय ने यौन अपराधियों की जाँच एवं उन पर नजर रखने के लिये यौन अपराधियों पर राष्ट्रीय डेटाबेस (National Database on Sexual Offenders-NDSO) लॉन्च किया। इसका प्रयोग प्रवर्तन एजेंसियों (Enforcement Agencies) द्वारा किया जाएगा।
  • गृह मंत्रालय ने फरवरी 2019 में यौन अपराधों जाँच ट्रैकिंग प्रणाली (Investigation Tracking System for Sexual Offences-ITSSO) नामक ऑनलाइन टूल लॉन्च किया।
    • इसका उद्देश्य आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में यौन हिंसा से संबंधित मामलों की मॉनीटरिंग तथा समयानुसार जाँच पूरी करने में पुलिस की मदद करना है।
  • हिंसा की शिकार हुई महिलाओं को एक ही छत के नीचे चिकित्सीय तथा पुलिस सहायता, कानूनी एवं मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श देने के अलावा अस्थायी आश्रय प्रदान करने के लिये वर्ष 2015 से वन स्टॉप सेंटर योजना (One Stop Centre scheme-OSC Scheme) चलाई जा रही है।
    • सरकार ने 728 OSC की स्थापना का अनुमोदन किया है, जबकि वर्तमान में 595 OSCs कार्यरत हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पार्कर सोलर प्रोब द्वारा अध्ययन

प्रीलिम्स के लिये:

पार्कर सोलर प्रोब

मेन्स के लिये:

पार्कर सोलर प्रोब द्वारा एकत्रित सूर्य से संबंधित तथ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नासा के पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) मिशन द्वारा सूर्य की बाहरी सतह का अध्ययन करके सौर तूफानों तथा अंतरिक्ष के मौसम संबंधी विभिन्न तथ्यों की जानकारी प्रदान की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • पार्कर सोलर प्रोब मिशन से सूर्य की बाहरी परत से चलने वाले सौर तूफानों के कारण अंतरिक्ष के मौसम में परिवर्तन से संबंधित जानकारी मिलती है तथा उन उग्र सौर तूफानों के बारे में जानकारी मिलती है जो उपग्रह तथा पृथ्वी पर स्थित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संचालन में बाधा पहुँचा सकते हैं।

पार्कर सोलर प्रोब द्वारा किया गया अध्ययन:

  • इस मिशन द्वारा एकत्रित जानकारियों में से कुछ तो अनुमान के अनुरूप थीं लेकिन कुछ जानकारियाँ पूरी तरह से अप्रत्याशित थीं।
  • पृथ्वी सूर्य से लगभग 93 मिलियन मील की दूरी पर स्थित है और पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य के लगभग 15 मिलियन मील नज़दीक तक पहुँच कर इसका अध्ययन किया।
  • पार्कर सोलर प्रोब अंततः सूर्य की सतह से लगभग 4 मिलियन मील के करीब तक पहुँच कर अध्ययन करेगा जो किसी भी पिछले अंतरिक्षयान की तुलना में सात गुना करीब है।
  • पार्कर सोलर प्रोब को सूर्य की सबसे बाहरी परत ‘कोरोना’ (Corona) का अध्ययन करते हुए अत्यधिक उष्मा का सामना करना पड़ा। कोरोना से ही सौर तूफानों की उत्पत्ति होती है, इन तूफानों में गर्म, ऊर्जावान, आवेशित कण सूर्य से बाहर की ओर प्रवाहित होते हैं और सौरमंडल में संचारित होते हैं।
  • प्रोब द्वारा किये गए अध्ययन में पता चला कि जब इन सौर तूफानों की गति में अचानक से वृद्धि होती है तो इन तीव्र सौर तूफानों के कारण इनके आस-पास का चुंबकीय क्षेत्र स्वंय ही समाप्त जाता है। इस घटना को ‘स्विचबैक्स’ (Switchbacks) कहते हैं।

पार्कर सोलर प्रोब

(Parker Solar Probe):

  • इस मिशन को फ्लोरिडा स्थित नासा के केप केनेडी स्पेस सेंटर- काम्प्लेक्स37 (Complex37) से डेल्टा-4 रॉकेट द्वारा वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था।
  • नासा ने पार्कर सोलर प्रोब का नाम प्रख्यात खगोल भौतिकीविद् यूज़ीन पार्कर के सम्मान में रखा है।
  • पहले इसका नाम सोलर प्रोब प्लस था।
  • यूज़ीन पार्कर ने ही सबसे पहले वर्ष 1958 में अंतरिक्ष के सौर तूफानों के बारे में भी बताया था।
  • पार्कर सोलर प्रोब की लंबाई 1 मीटर, ऊँचाई 2.5 मीटर तथा चौड़ाई 3 मीटर है।
  • इस मिशन के माध्यम से सौर पवन के स्रोतों और चुंबकीय क्षेत्र की बनावट तथा उनके डायनामिक्स की जाँच की जा रही है।
  • यह मिशन सूर्य की सतह से इसके कोरोना के ज़्यादा तापमान होने के कारणों का भी अध्यययन करेगा।

कोरोना (Corona):

  • सूर्य के वर्णमंडल के वाह्य भाग को किरीट/कोरोना (Corona) कहते हैं।
  • सूर्य का कोरोना बाहरी अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर तक फैला है और इसे सूर्य ग्रहण के दौरान आसानी से देखा जाता है, किरीट अत्यंत विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है।

स्रोत- द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

स्किल बिल्ड प्लेटफॉर्म

प्रीलिम्स के लिये

स्किल बिल्ड प्लेटफॉर्म, लागू करने वाली संस्था

मेन्स के लिये

भारत में युवाओं को रोज़गारपरक शिक्षा प्रदान करने में स्किल बिल्ड प्लेटफॉर्म की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने कौशल विकास तथा उद्दयमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development & Entrepreneurship-MSDE) एवं अमेरिकी आईटी कंपनी आईबीएम (IBM) के सहयोग से स्किल बिल्ड प्लेटफॉर्म (Skill Build Platform) लॉन्च किया है।

मुख्य बिंदु:

  • स्किल बिल्ड प्लेटफॉर्म एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे IBM द्वारा विकसित किया गया है। इसके तहत युवाओं में तकनीकी कौशल तथा उद्द्यमशीलता को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • यू.के., जर्मनी तथा फ्राँस के बाद स्किल बिल्ड प्लेटफॉर्म लागू करने वाला भारत चौथा देश होगा।
  • इसके तहत देश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (Industrial Training Institutes-ITIs) तथा राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (National Skill Training Institutes-NSTIs) में आईटी (IT), नेटवर्किंग एवं क्लाउड कंप्यूटिंग में दो वर्षीय डिप्लोमा कार्यक्रम चलाया जाएगा।
  • इस प्लेटफॉर्म द्वारा ITIs तथा NSITs के शिक्षकों को बुनियादी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) में प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से दो वर्षीय डिप्लोमा पूरा करने वाले विद्यार्थियों को IBM द्वारा प्लेसमेंट में सहयोग दिया जाएगा।
  • इस कार्यक्रम के संचालन में देश के प्रमुख गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) जैसे- उन्नति (Unnati) तथा एडुनेट (Edunet) आदि की मदद ली गई है।

महत्त्व:

  • विद्यार्थी इसके द्वारा डिजिटल तकनीकी का बुनियादी ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा रिज्यूम लेखन (Resume Writing), प्रॉब्लम सॉल्विंग तथा संवाद (Communication) संबंधी पेशेवर गुणों में भी पारंगत हो सकेंगे।
  • यह डिजिटल प्लेटफॉर्म, माई इनर जीनियस (MyInnerGenius) के माध्यम से विद्यार्थियों की व्यक्तिगत ज्ञान संबंधी क्षमता तथा व्यक्तित्व का मूल्यांकन करेगा।
  • इसके तहत विद्यार्थियों को किसी नौकरी में उनके कार्य के अनुसार प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • इस प्लेटफॉर्म द्वारा व्यक्तिगत कोचिंग तथा प्रयोगात्मक अधिगम (Experiential Learning) पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके माध्यम से युवाओं में क्षमता का निर्माण होगा तथा वे रोज़गार के नए अवसरों को प्राप्त कर सकेंगे।
  • जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा कमज़ोर पृष्ठभूमि, ज्ञान की कमी, कौशल तथा अनुभव की कमी के कारण श्रम बाज़ार से बाहर हो जाता है। इस कार्यक्रम द्वारा इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

स्रोत: पी.आई.बी.


विविध

RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (11 दिसंबर, 2019)

अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस

9 दिसंबर को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। 31 अक्तूबर, 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया गया, इसके बाद से हर साल 9 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष इसकी थीम यूनाइटेड अगेंस्ट करप्शन रखी गई है। ध्यातव्य है कि अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स-2018 के अनुसार, भ्रष्टाचार के क्षेत्र में भारत की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी काफी कुछ किया जाना शेष है। भारत भ्रष्टाचार के मामले में 180 देशों की सूची में 78वें स्थान पर है। वर्ष 2017 में भारत इस सूचकांक में 81वें स्‍थान पर था।


म्याँमार को INS सिंधुवीर पनडुब्बी

हाल ही में भारत और म्याँमार के बीच विदेश कार्यालय परामर्श का 18वें दौर का आयोजन नई दिल्ली में किया गया। बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के समस्त पहलुओं, म्याँमार में भारत की चल रही परियोजनाओं की स्थिति, क्षमता निर्माण की पहल, द्विपक्षीय व्यापार संबंधों, सीमा सहयोग और द्विपक्षीय समझौतों के कार्यान्वयन को बढ़ाने की योजनाओं की समीक्षा की।

म्याँमार के साथ द्विपक्षीय संबंध मज़बूत बनाने के पीछे भारत की योजना एशिया में चीन की चुनौती से निपटना है। म्याँमार में चीन के दखल को रोकने के लिये भारत अपनी रणनीति पर काम कर रहा है। इसी के तहत एक नवीनतम घटनाक्रम में भारत ने INS सिंधुवीर नामक पनडुब्बी म्याँमार को देने का फैसला किया है और उसके नाविकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। रूस निर्मित ‘सिंधुवीर’ 31 साल पुरानी है, लेकिन नई तकनीक से लैस है और इसकी उपयोगिता बनी हुई है।


गिरीश चंद्र चतुर्वेदी

प्रमुख शेयर बाज़ार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने सेवानिवृत्त IAS अधिकारी और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय में पूर्व सचिव गिरीश चंद्र चतुर्वेदी को NSE के संचालन मंडल का चेयरमैन नियुक्त किया है। NSE ने पूंजी बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI-सेबी) की मंज़ूरी के बाद यह नियुक्ति की है। यह पद अशोक चावला द्वारा जनवरी में NSE के चेयरमैन पद से इस्तीफे के बाद से खाली था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है। वर्ष 1992 में स्थापित एनएसई एक परिष्कृत, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से व्यापार करने वाला स्टॉक एक्सचेंज है। वर्ष 2015 में इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम के अनुसार यह दुनिया में चौथे स्थान पर रहा। आज यह एक्सचेंज थोक ऋण, इक्विटी और डेरिवेटिव मार्केट में लेनदेन करता है। इसका लोकप्रिय बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स है, जो भारतीय इक्विटी बाज़ार में सबसे बड़ी संपत्तियों को ट्रैक करता है। वर्ष 2000 में इंटरनेट ट्रेडिंग शुरू करने वाला यह भारत में अपनी तरह का पहला एक्सचेंज था।


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