फिलिस्तीन-भारत टेक्नो पार्क
प्रीलिम्स के लिये:
फिलिस्तीन-भारत टेक्नो पार्क
मेन्स के लिये:
फिलिस्तीन-भारत संबंध
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने फिलिस्तीन-भारत टेक्नो पार्क (Palestine-India Techno Park) के निर्माण के लिये 3 मिलियन डॉलर की तीसरी किश्त जारी की है।
मुख्य बिंदु:
- भारत ने फिलिस्तीन में बुनियादी ढाँचे से संबंधित क्षमता निर्माण के लिये कुल 12 मिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।
- भारत सरकार इस राशि का अर्द्ध आधार पर भुगतान करेगी।
- वर्ष 2017 में इस पार्क को ‘इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ साइंस पार्क्स एंड एरिया ऑफ इनोवेशन’ (International Association of Science Parks and Areas of Innovation- IASP) के अंतर्गत शामिल कर लिया गया था।
फिलिस्तीन-भारत टेक्नो पार्क के बारे में
(Palestine-India Techno Park):
- टेक्नो पार्क के माध्यम से ज्ञान आधारित और रचनात्मक उद्यमों के साथ-साथ स्थानीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर टेक्नो क्लस्टर्स (Techno Clusters) का निर्माण किया जाता है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर व्यावसायिक वातावरण और संस्कृति का निर्माण होता है।
- टेक्नो पार्क का उद्देश्य उद्योगों के लिये सुलभ वातावरण की स्थापना करना, व्यावसायीकरण और औद्योगीकरण की प्रक्रिया का समर्थन करना तथा निजी क्षेत्र एवं शोध-शिक्षण क्षेत्र में सामंजस्य स्थापित करना है।
- फिलिस्तीन-भारत टेक्नो पार्क का निर्माण फिलिस्तीन स्थित ‘बिर्ज़ित यूनिवर्सिटी’ (Birzeit University) के पास किया जाएगा।
- निर्माण के बाद यह पार्क फिलिस्तीन में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) के एक हब (Information Technology Hub) के रूप में कार्य करेगा। इस हब के माध्यम से IT क्षेत्र से संबंधित सभी सेवाओं का वन स्टॉप समाधान उपलब्ध कराया जाएगा।
भारत-फिलिस्तीन संबंध:
- वर्ष 1938 में महात्मा गांधी ने जर्मनी में यहूदियों के उत्पीड़न के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा था कि “फिलिस्तीन अरबों से उसी अर्थ में संबंधित है जैसे इंग्लैंड अंग्रेज़ों के लिये या फ्राँस फ्रांसीसियों के लिये है।"
- वर्ष 1974 में भारत ‘फिलिस्तीन मुक्ति संगठन’ (Palestine Liberation Organisation) को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब राज्य बन गया।
- वर्ष 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्रीय कॉंन्ग्रेस द्वारा स्वतंत्रता की घोषणा करने के बाद भारत फिलिस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता देने वाले शुरूआती देशों में से एक था।
- उस समय भारत ने एक स्वतंत्र, संप्रभु तथा संगठित फिलिस्तीन के निर्माण के लिये अपना समर्थन बनाए रखा जिसकी राजधानी पूर्वी येरुशलम थी।
- वर्ष 1996 में भारत ने गाज़ा में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला जिसे वर्ष 2003 में रामल्ला (Ramallah) में स्थानांतरित कर दिया गया।
- वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिलिस्तीन की यात्रा की जो कि किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गई प्रथम फिलिस्तीनी यात्रा थी।
- भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और फिलिस्तीन के मध्य लगभग 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है जो कि ऑटोमोटिव स्पेयर पार्ट्स (Automotive Spare Parts), मेडिकल टूरिज़्म (Medical Tourism), कृषि उत्पादों, टेक्सटाइल्स (Textiles), कृषि रसायन तथा फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals) क्षेत्र में संचालित होता है।
स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस
हिंद महासागर रिम कूटनीति
प्रीलिम्स के लिये:
इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन, व्हाइट शिपिंग
मेन्स के लिये:
IORA और भारत के हित
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अबुधाबी में आयोजित 19वें इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association-IORA) के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत ने हिंद महासागर से जुड़े तटीय देशों से समुद्री और क्षेत्रीय सुरक्षा हेतु गहरे संबंधों की मांग की है।
मुख्य बिंदु:
- IORA के इस मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में समुद्री सुरक्षा, व्यापार और निवेश की सुविधा, पर्यटन, सांस्कृतिक आदान -प्रदान, ब्लू इकोनॉमी तथा महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इस सम्मलेन की थीम- “हिंद महासागर में एक साझी नियति और समृद्धि की राह को प्रोत्साहन (Promoting a Shared Destiny and Path to Prosperity in the Indian Ocean)” है।
भारत और इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन:
- इस सम्मेलन का अध्यक्ष संयुक्त अरब अमीरात एवं उपाध्यक्ष बांग्लादेश है और ये दोनों देश भारत के महत्त्वपूर्ण साझेदारों में हैं जिससे यह सम्मेलन भारत के लिये महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- भारत की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में होर्मुज जलडमरूमध्य एवं फारस की खाड़ी रणनीतिक भूमिका निभाते हैं।
- देश की लगभग 80 % ऊर्जा आवश्यकताओं को समुद्री रास्ते से पूरा किया जाता है और इसमें भी लगभग 55 % फारस की खाड़ी क्षेत्र से पूरी होती हैं।
- वर्ष 2015 में अपनी मॉरीशस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने महत्त्वाकांक्षी नीति ‘सागर’ (Security and Growth for All-SAGAR) की शुरुआत की।
- IORA के उद्देश्य भारत के ‘SAGAR’ (हिंदमहासागरीय क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा एवं संवृद्धि ) नीति के उद्देश्यों के अनुरूप हैं, अतः अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिये भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में और उसके बाहर भी एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में ज़िम्मेदारी मिली हुई है ।
- हिंदमहासागरीय क्षेत्र अवसरों और अमूर्त खतरों का भी एक क्षेत्र है। भारत पहले ही 20 देशों के साथ व्हाइट शिपिंग समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुका है, यह समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- इस क्षेत्र में सुनामी, मानव तस्करी और समुद्रपारीय आतंकवाद जैसे अमूर्त खतरे चिंता का विषय है जिन्हें IORA में शामिल किया गया हैं।
व्हाइट शिपिंग(White Shipping):
- व्हाइट शिपिंग का मतलब गैर-सैन्य वाणिज्यिक जहाज़ों की पहचान और आवाजाही के बारे में अग्रिम सूचनाओं को साझा करना और आदान-प्रदान करना है।
- सफेद रंग का कोड वाणिज्यिक जहाज़ों के लिये है, भूरा रंग कोड सैन्य जहाज़ों के लिये है और अवैध जहाज़ों को काले रंग के कोड से दर्शाया जाता है।
- व्हाइट शिपिंग समझौते के बाद, सफेद जहाज़ों के बारे में आपसी डेटा साझा किया जाता है। भारतीय नौसेना का सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (गुरुग्राम) व्हाइट शिपिंग समझौते के लिये मॉडल केंद्र है।
- भारत इस क्षेत्र में ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिये IORA के सदस्य देशों सहित सोमालिया, ओमान और अन्य वाणिज्यिक मत्स्य क्षेत्र में अपने कौशल को साझा कर रहा है।
- भारत मालदीव, श्रीलंका, सेशेल्स और बांग्लादेश आदि देशों के साथ मज़बूत समुद्री संबंधों को बढ़ावा देकर अपने सूचना तंत्र को विकसित कर रहा है।
- IORA भारत के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है यही वजह है कि न केवल तटीय देशों बल्कि इस क्षेत्र में अन्य देशों के साथ भी भारत अपने संबंधों को मज़बूत करने के लिये प्रयासरत है।
संयुक्त अरब अमीरात और इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन :
- संयुक्त अरब अमीरात वर्ष 2021 तक IORA के अध्यक्ष पद पर बना रहेगा इससे पहले यह पद दक्षिण अफ्रीका के पास था।
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की अध्यक्षता में इस सम्मेलन में सुझाव दिया गया है कि एक IORA विकास कोष (IORA Development Fund) की स्थापना की जाएगी। इसके फंड से हिंद महासागर रिम के कम विकसित देशों की आर्थिक क्षमता को सुधारने में मदद मिलेगी।
- IORA के अनुसार-
- लगभग 2.7 बिलियन लोग हिंद महासागर की सीमा वाले देशों में रहते हैं।
- दुनिया के कंटेनर जहाज़ों का आधा हिस्सा, विश्व के थोक माल यातायात का एक-तिहाई और विश्व तेल यातायात का दो-तिहाई हिस्सा हिंद महासागर में समुद्री व्यापार मार्गों से होकर जाता है।
बांग्लादेश के लिये एक महत्त्वपूर्ण अवसर :
- बांग्लादेश दो साल के लिये इस क्षेत्रीय संगठन के उपाध्यक्ष के पद पर रहेगा और संभवतः 2021 में अध्यक्ष पद भी संभालेगा जिस पर वह 2 साल तक रहेगा इस प्रकार बांग्लादेश को हिंद महासागर क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये लगातार चार वर्ष का समय (2019-23) मिलेगा।
स्रोत- फाइनेंसियल एक्सप्रेस
बलात्कार तथा यौन अपराधों पर कानून
मेन्स के लिये
महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित कानून
चर्चा में क्यों?
हाल में देश में बढ़ते हुए बलात्कार एवं हत्या के मामलों को देखते हुए इस बात पर बहस तेज़ हो गई है कि महिलाओं तथा बच्चों के साथ यौन अपराध करने वालों के खिलाफ आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक कठोर किया जाए।
बलात्कार से संबंधित कानून की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- भारत में बलात्कार (Rape) को स्पष्ट तौर पर भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) में परिभाषित अपराध की श्रेणी में वर्ष 1960 में शामिल किया गया। उससे पहले इससे संबंधित क़ानून पूरे देश में अलग-अलग तथा विवादास्पद थे।
- वर्ष 1833 के चार्टर एक्ट (Charter Act, 1833) के लागू होने के बाद भारतीय कानूनों के संहिताबद्ध करने का कार्य प्रारंभ किया गया। इसके लिये ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड मैकॉले की अध्यक्षता में पहले विधि आयोग का गठन किया।
- आयोग द्वारा आपराधिक कानूनों को दो भागों में संहिताबद्ध करने का निर्णय लिया गया। इसका पहला भाग भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) तथा दूसरा भाग दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure-CrPC) बना।
- IPC के तहत अपराध से संबंधित नियमों को परिभाषित तथा संकलित किया गया। इसे अक्तूबर 1860 में अधिनियमित किया गया लेकिन 1 जनवरी, 1862 में लागू किया गया।
- CrPC, आपराधिक न्यायालयों की स्थापना तथा किसी अपराध के परीक्षण एवं मुकदमे की प्रक्रिया के बारे में है।
- IPC की धारा 375 में बलात्कार को परिभाषित किया गया तथा इसे एक दंडनीय अपराध की संज्ञा दी गई।
- IPC की धारा 376 के तहत बलात्कार जैसे अपराध के लिये न्यूनतम सात वर्ष तथा अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया।
IPC के तहत बलात्कार की परिभाषा में निम्नलिखित बातें शामिल की गई हैं :
- किसी पुरुष द्वारा किसी महिला की इच्छा (Will) या सहमति (Consent) के विरुद्ध किया गया शारीरिक संबंध।
- जब हत्या या चोट पहुँचाने का भय दिखाकर दबाव में संभोग के लिये किसी महिला की सहमति हासिल की गई हो।
- 18 वर्ष से कम उम्र की किसी महिला के साथ उसकी सहमति या बिना सहमति के किया गया संभोग।
- इसमें अपवाद के तौर पर किसी पुरुष द्वारा उसकी पत्नी के साथ किये गये संभोग, जिसकी उम्र 15 वर्ष से कम न हो, को बलात्कार की श्रेणी में नहीं शामिल किया जाता है।
वर्ष 1972 का मामला:
- वर्ष 1860 के लगभग 100 वर्षों बाद तक बलात्कार तथा यौन हिंसा के कानूनों में कोई बदलाव नहीं हुए लेकिन 26 मार्च, 1972 को महाराष्ट्र के देसाईगंज पुलिस स्टेशन में मथुरा नामक एक आदिवासी महिला के साथ पुलिस कस्टडी में हुए बलात्कार ने इन नियमों पर खासा असर डाला।
- सेशन कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्वीकार करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया कि उस महिला के साथ पुलिस स्टेशन में संभोग हुआ था किंतु बलात्कार होने के कोई प्रमाण नहीं मिले थे और वह महिला यौन संबंधों की आदी थी।
- हालाँकि सेशन कोर्ट के इस फैसले के विपरीत उच्च न्यायालय ने आरोपियों के बरी होने के निर्णय को वापस ले लिया। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने फिर उच्च न्यायालय के फैसले को बदलते हुए यह कहा कि इस मामले में बलात्कार के कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं उपलब्ध है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि महिला के शरीर पर कोई घाव या चोट के निशान मौजूद नहीं है जिसका अर्थ है कि तथाकथित संबंध उसकी मर्ज़ी से स्थापित किये गए थे।
आपराधिक क़ानून में संशोधन:
- मथुरा मामले के बाद देश में बलात्कार से संबंधित कानूनों में तत्काल बदलाव को लेकर मांग तेज़ हो गई। इसके प्रत्युत्तर में आपराधिक कानून (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 1983 [Criminal Law (Second Amendment) Act of 1983] पारित किया गया।
- इसके अलावा IPC में धारा 228A जोड़ी गई जिसमें कहा गया कि बलात्कार जैसे कुछ अपराधों में पीड़ित की पहचान गुप्त रखी जाए तथा ऐसा न करने पर दंड का प्रावधान किया जाए।
वर्तमान में बलात्कार से संबंधित कानूनों की प्रकृति:
- दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए बलात्कार तथा हत्या के मामले के बाद देश में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 पारित किया गया जिसने बलात्कार की परिभाषा को और अधिक व्यापक बनाया तथा इसके अधीन दंड के प्रावधानों को कठोर किया।
- इस अधिनियम में जस्टिस जे. एस. वर्मा समिति के सुझावों को शामिल किया गया जिसे देश में आपराधिक कानूनों में सुधार तथा समीक्षा के लिये बनाया गया था।
- इस अधिनियम ने यौन हिंसा के मामलों में कारावास की अवधि को बढ़ाया तथा उन मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान किया जिसमें पीड़ित की मौत हो या उसकी अवस्था मृतप्राय हो जाए।
- इसके तहत कुछ नए प्रावधान भी शामिल किये गए जिसमें आपराधिक इरादे से बलपूर्वक किसी महिला के कपड़े उतारना, यौन संकेत देना तथा पीछा करना आदि शामिल हैं।
- सामूहिक बलात्कार के मामले में सज़ा को 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष या आजीवन कारावास कर दिया गया।
- इस अधिनियम द्वारा अवांछनीय शारीरिक स्पर्श, शब्द या संकेत तथा यौन अनुग्रह (Sexual Favour) करने की मांग करना आदि को भी यौन अपराध में शामिल किया गया।
- इसके तहत किसी लड़की का पीछा (Stalking) करने पर तीन वर्ष की सज़ा तथा एसिड अटैक (Acid Attack) के मामले में सज़ा को दस वर्ष से बढ़ाकर आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
नाबालिगों के मामले में कानून:
- जनवरी 2018 में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक आठ वर्षीय बच्ची के साथ हुए अपहरण, सामूहिक बलात्कार तथा हत्या के मामले के बाद पूरे देश में इसका विरोध हुआ तथा आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की गई।
- इसके बाद आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 [Criminal Law (Amendment) Act, 2018] पारित किया गया जिसमें पहली बार यह प्रावधान किया गया कि 12 वर्ष से कम आयु की किसी बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में न्यूनतम 20 वर्ष के कारावास या मृत्युदंड की सज़ा का प्रावधान होगा।
- इसके तहत IPC में एक नया प्रावधान भी जोड़ा गया जिसके द्वारा 16 वर्ष से कम आयु की किसी लड़की के साथ हुए बलात्कार के लिये न्यूनतम 20 वर्ष का कारावास तथा अधिकतम उम्र कैद की सज़ा हो सकती है।
- IPC, 1860 के तहत बलात्कार के मामले में न्यूनतम सज़ा के प्रावधान को सात वर्ष से बढ़ाकर अब 10 वर्ष कर दिया गया है।
स्रोत: द हिंदू
निर्यात उत्पादों पर शुल्कों तथा करों में छूट
प्रीलिम्स के लिये:
निर्यात किये जाने वाले उत्पादों पर निर्यात शुल्क और कर में छूट
मेन्स के लिये:
निर्यात से संबंधित विभिन्न योजनाएँ तथा उनके प्रभाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के नए निर्यातकों तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम क्षेत्र के उद्यमियों (MSMEs) ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिये नए मानदंडों की मांग की है।
मुख्य बिंदु:
- निर्यातकों को सरकार की नई निर्यात नीति और ‘निर्यात उत्पादों पर शुल्कों तथा करों में छूट’ (Remission of Duties or Taxes on Export Product- RoDTEP) योजना पर स्पष्टता का इंतज़ार है।
- निर्यातकों को उम्मीद है कि RoDTEP मौजूदा MEIS योजना की तुलना में निर्यात को पर्याप्त रूप से प्रोत्साहित करेगी।
निर्यातकों की चिंताएँ:
- प्लास्टिक निर्यातकों ने कुछ उत्पाद श्रेणियों के निर्यात नियमों में स्पष्टता की मांग की है क्योंकि इन उत्पादों से संबंधित निर्यात नियमों में प्लास्टिक तथा टेक्सटाइल क्षेत्र के बीच अधिव्यापन (Overlap) है।
- 2-4 दिसंबर, 2019 तक मुंबई में संपन्न हुई भारत की सबसे बड़ी निर्यात सोर्सिंग (Sourcing) प्रदर्शनी CAPINDIA 2019 आयोजित की गई।
- ‘द प्लास्टिक एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल’ (The Plastic Export Promotion Council- PLEXCONCIL) के अनुसार, टेक्सटाइल उद्योग को MEIS से बाहर किये जाने से ऐसे निर्यातकों जो प्लास्टिक और टेक्सटाइल दोंनों उद्योगों से संबंधित हैं, को रिफंड तथा प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- MSMEs निर्यातकों ने मौजूदा निर्यात प्रोत्साहन तथा हाल में आधारभूत वस्तुओं के निर्यात मानदंडों पर चिंता जताई है।
- ‘केमिकल एंड अलाइड एक्सपोर्ट प्रमोशन ऑफ इंडिया’ (Chemical and Allied Export Promotion of India) के अनुसार, निर्यातकों ने सरकार से विनिर्माण उद्योग के आधारभूत ढाँचे के विकास और मुक्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मानदंडों पर ध्यान केंद्रित करने तथा बुनियादी ढाँचा क्षेत्र एवं स्मार्ट सिटी मिशन को अधिक बजट आवंटित करने के लिये कहा है।
कैप इंडिया, 2019
CAP INDIA, 2019:
- इस प्रदर्शनी का आयोजन केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग द्वारा मुंबई में किया गया।
- इस प्रदर्शनी में अफ्रीका से पर्याप्त प्रतिनिधित्त्व था जो कि प्लास्टिक निर्यात के लिये एक नवोदित गंतव्य बनकर उभरा है।
- इस कार्यक्रम में कंबोडिया ने भी पहली बार अपना प्रतिनिधिमंडल भारत भेजा था।
- PLEXCONCIL के अनुसार, इस वर्ष तमिलनाडु ऐसा अकेला राज्य था जिसने केंद्र सरकार की इस प्रमोशनल (Promotional) पहल का लाभ उठाते हुए अपने सभी MSMEs तथा नए निर्यातकों को एक मंच प्रदान किया जिन्होंने 48 देशों के 400 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों के सामने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया।
- संयुक्त राष्ट्र की सतत् विकास लक्ष्य संख्या- 11 के तहत सभी के लिये आवास की उपलब्धता के अंतर्गत भारत के विनिर्माण क्षेत्र और निर्माण संबंधी सामग्री के उद्योगों में वृद्धि होगी।
- भारत के वन उत्पादों का अब मध्यस्थों की भूमिका के बिना निर्यात किया जा सकेगा।
RoDTEP के बारे में:
- RoDTEP 1 जनवरी, 2020 से ‘मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम’
- (Merchandise Export from India Scheme- MEIS) योजना का स्थान लेगी।
- यह योजना GST में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लिए स्वचालित मार्ग का निर्माण करके भारत के निर्यात को बढ़ाने में सहायता करेगी।
- यह योजना निर्यात पर लगने वाले शुल्क को कम करके निर्यातकों को प्रोत्साहित करेगी।
- साथ ही इसके तहत निर्यातकों के लिये उत्पादन के बाद की लागत को कम करने हेतु विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ समन्वय किया जाएगा।
स्रोत- द हिंदू
महासागरों में घटता ऑक्सीजन स्तर
प्रीलिम्स के लिये
समुद्र में ऑक्सीजन स्तर घटने के कारण, IUCN क्या है?
मेन्स के लिये
समुद्री पारिस्थितिकी पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निकाय IUCN (International Union for the Conservation of Nature) ने अपने अध्ययन में कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण महासागरों में ऑक्सीजन की मात्रा में लगातार कमी हो रही है जिसका महासागरीय जीवों, तथा अन्य तटीय जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु:
- IUCN के अनुसार, वैश्विक स्तर पर लगभग ऐसे 700 समुद्री स्थानों की पहचान की गई है जहाँ ऑक्सीजन का स्तर कम है। वर्ष 1960 में ऐसे स्थानों की संख्या मात्र 45 थी।
- इसी अवधि के दौरान विश्व में एनॉक्सिक वाटर (Anoxic Water) की मात्रा में चार गुना बढ़ोतरी हुई है।
एनॉक्सिक वाटर (Anoxic Water): जिस पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बिलकुल नगण्य हो।
- इस अध्ययन द्वारा बताया गया कि समुद्रों में डीऑक्सीकरण (Deoxygenation) की वजह से उन समुद्री जीवों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
- समुद्री तटों पर पाए जाने वाले बायोम, जहाँ विश्व की सभी मछलियों का पांचवां हिस्सा पाया जाता है, की तरफ आने वाली समुद्री जलधाराओं में ऑक्सीजन की मात्रा में लगातार कमी हुई है।
- IUCN ने इसी वर्ष जारी एक अध्ययन में विश्व के प्राकृतिक अधिवासों के संदर्भ में कहा था कि मानवीय गतिविधियों की वजह से विश्व के 10 लाख जीव-जंतु विलुप्ति के कगार पर हैं।
- इसके अलावा विश्व मौसम संगठन (World Meterological Organization) ने भी अपने हालिया रिपोर्ट में यह कहा है कि मानवजनित कारणों की वजह से समुद्रों की अम्लीयता (Acidification) में पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
प्रभाव:
- जीवाश्म ईंधन जनित विश्व के कुल उत्सर्जन का लगभग एक-चौथाई हिस्सा महासागरों द्वारा अवशोषित किया जाता है लेकिन ईंधन की बढ़ती मांग से यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में विश्व के अधिकांश समुद्र संतृप्त अवस्था (Saturation Point) में पहुँच जाएंगे।
- यदि वर्तमान स्थिति बनी रही तो महासागर वर्ष 2100 तक अपने कुल ऑक्सीजन का 3-4 प्रतिशत ऑक्सीजन खो देंगे। ऑक्सीजन में होने वाली यह कमी मुख्य तौर पर समुद्र की ऊपरी सतह में 1000 मीटर तक होती है जो कि जैव-विविधता के लिहाज़ से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- समुद्री प्रजातियों में शार्क, मर्लिन तथा टूना आदि, जिनका आस्तित्व जोखिम में है, ऑक्सीजन की कमी को लेकर बेहद संवेदनशील हैं। बड़े शरीर तथा अधिक उर्जा की मांग की वजह से इन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता अधिक होती है।
आगे की राह:
- महासागरों में हो रहे ऑक्सीजन की कमी को रोकने के लिये आवश्यक है कि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी की जाए।
- समुद्री तटों पर कृषि एवं अन्य स्रोतों द्वारा होने वाले न्यूट्रियेन्ट पॉल्यूशन (Nutrient Pollution) की रोकथाम के लिये आवश्यक है कि समुद्री जल में मिलने से पूर्व इनका उपचार किया जाए।
न्यूट्रियेन्ट पॉल्यूशन (Nutrient Pollution) या सुपोषण (Eutrophication):
- घरेलू कचरे, औद्योगिक इकाइयों तथा कृषि से उत्सर्जित अपशिष्ट, जिसमें फास्फोरस और नाइट्रोजन उर्वरक मौजूद होते हैं, को नदियों में बहाया जाता है। फास्फोरस व नाइट्रोजन जैसे तत्त्वों के पानी में मौजूद होने के कारण इसकी उर्वरता बढ़ जाती है।
- इससे जल में शैवाल एवं अन्य वनस्पतियों का अत्यधिक विकास हो जाता है तथा इसके प्रत्युत्तर में जल में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी हो जाती है।
- समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिये देशों को वर्तमान में स्पेन की राजधानी मैड्रिड में चल रहे COP25 में एक वृहत रणनीति बनाने की आवश्यकता है जिससे समुद्रों को गर्म तथा अम्लीय होने से बचाया जा सके।
- जून, 2020 में विश्व के प्रतिनिधि IUCN की विश्व संरक्षण कॉन्ग्रेस (World Conservation Congress) के लिये फ्राँस के शहर मर्से (Marseille) में एकत्रित होंगे जहाँ इस समस्या से निपटने के लिये देशों को आपस में व्यापक सहमति बनाने की आवश्यकता है।
स्रोत: द हिंदू
दवाओं के संयोजन से तपेदिक का उपचार
प्रीलिम्स के लिये:
मलेरिया और तपेदिक से संबंधित सामान्य जानकारी
मेन्स के लिये:
विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में शोध और अनुप्रयोग संबंधी मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शोधकर्त्ताओं द्वारा पाया गया कि मलेरिया की दवाओं के संयोजन के साथ तपेदिक का इलाज़ अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी है।
प्रमुख बिंदु:
- शोध में तपेदिक के जीवाणुओं द्वारा तपेदिक की दवाओं के प्रति प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया गया।
- आम धारणा के अनुसार तपेदिक के गैर-प्रतिकृति (Non Replicating) धीमे चयापचय दर (Metabolism Rate) वाले जीवाणु ही तपेदिक की दवाओं के प्रति सहनशील होते हैं, जबकि शोध में पाया गया कि प्रतिरोधक कोशिकाओं (Macrophages Cells) में सक्रिय रूप से गुणित होने वाले जीवाणुओं का भी एक अंश तपेदिक विरोधी दवाओं को सहन करने में सक्षम था।
- तपेदिक के उपलब्ध उपचार में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इलाज में छह महीने या उससे अधिक समय लगता है, जिससे बैक्टीरिया शरीर में लंबे समय तक बना रहता है और दवा से दृढ़ता से लड़ता है। यह अवधि जीवाणुओं को विविधता, उत्परिवर्तन और अपनी संख्या बढाने का पर्याप्त समय देती है जिससे वे दवाओं के प्रति अनुकूल हो जाते हैं।
- इस समस्या से निपटने के लिये लम्बे समय से दवाओं के संयोजन पर शोध चल रहा था।
- इस प्रयोग में पाया गया गया कि मलेरिया विरोधी दवा क्लोरोक्विन (Chloroquine) और तपेदिक की दवा आइसोनिआज़िड (Isoniazid) का संयोजन चूहों और गिनी पिग के फेफड़ों से तपेदिक के सभी जीवाणुओं को केवल आठ हफ़्तों में खत्म करने में सक्षम है।
- इसके अलावा दवाओं के इस संयोजन से तपेदिक के पुनः होने की संभावना भी कम पाई गई।
- रोगाणुओं से ग्रसित होने पर प्रतिरक्षा तंत्र में उपस्थित प्रतिरोधक कोशिकाएं रोगाणुओं से लड़ने के लिये सबसे पहले अम्लीयता बढ़ाने हेतु ph स्तर को कम कर देती हैं।
- जबकि शोध में पाया गया कि यह अम्लीयता रोगाणुओं को खत्म करने में नहीं बल्कि उनके लगातार संख्या और दवाओं के प्रति उनकी सहनशीलता बढ़ाने में सहायक होती है।
- शोध के अनुसार, दवाओं के प्रति सहनशील जीवाणु ऐसी प्रतिरोधक कोशिकाओं में पाए गए जो अपेक्षाकृत ज़्यादा अम्लीय थे।
- यह शोध बंगलूरू के नेशनल सेंटर फॉर बायोलाॅजिकल साइंस ( National Centre for Biological Sciences ) और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज़ रिसर्च (Foundation for Neglected Disease Research) द्वारा किया गया।
तपेदिक (Tuberculosis):
- इस रोग को ‘क्षय रोग’ या ‘राजयक्ष्मा’ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह ‘माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस’ नामक बैक्टीरिया से फैलने वाला संक्रामक एवं घातक रोग है।
- सामान्य तौर पर तपेदिक केवल फेफड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है, परंतु यह मानव-शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है।
- प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस मनाया जाता है।
- इसी दिन वर्ष 1882 में वैज्ञानिक रोबर्ट कोच ने टीबी की जीवाणु की खोज की थी।
मलेरिया (Maleria):
- यह प्लाज़्मोडियम परजीवियों (Plasmodium Parasites) के कारण होने वाला मच्छर जनित रोग है।
- यह परजीवी संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर (Anopheles Mosquitoes) के काटने से फैलता है।
- मलेरिया मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- वेक्टर नियंत्रण (Vector Control) मलेरिया संचरण को रोकने और कम करने का मुख्य तरीका है।
स्रोत- द हिंदू
सफेद बौना तारा
प्रीलिम्स के लिये:
सफेद बौना तारा
मेन्स के लिये:
अंतरिक्ष संबंधी मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में खगोलविदों को एक विशाल ग्रह द्वारा सफेद बौने तारे (WDJ0914+1914) की परिक्रमा किये जाने का अप्रत्यक्ष प्रमाण मिला है।
प्रमुख बिंदु :
- रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के ग्रह के पाए जाने की यह पहली घटना है।
- इस ग्रह को प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा जा सकता, इस ग्रह के प्रमाण इसके वाष्पीकृत वातावरण में उपस्थित गैस की डिस्क (हाइड्रोजन, आक्सीजन, सल्फर) के रूप में मिले हैं।
- यह ग्रह प्रति 10 दिन में सफेद बौने तारे की एक बार परिक्रमा करता है।
- चिली में स्थापित एक विशाल दक्षिणी यूरोपीय वेधशाला द्वारा इन गैसीय डिस्क का पता लगाया गया।
- पिछले दो दशकों से यह शोध किया जा रहा था कि ग्रहीय तंत्र, सफेद बौने तारों में भी संभव है।
- इस दिशा में पहली बार एक वास्तविक ग्रह खोजा गया है।
सफेद बौना तारा :
- किसी तारे के केंद्र में मौजूद मज़बूत गुरुत्व के कारण कोर का तापमान और दबाव बहुत ही ज़्यादा रहता हैं।
- सफेद बौने तारों में उपस्थित हाइड्रोजन नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया में पूरी तरह से खत्म हो जाता है।
- तारों में संलयन की प्रक्रिया ऊष्मा और बाहर की तरफ दबाव उत्पन्न करती है, इस दबाव को तारों के द्रव्यमान से उत्पन्न गुरुत्व बल संतुलित करता है।
- तारे के बाह्य कवच के हाइड्रोजन के हीलियम में परिवर्तित होने से ऊर्जा विकिरण की तीव्रता घट जाती है एवं इसका रंग बदलकर लाल हो जाता है। इस अवस्था के तारे को ‘लाल दानव तारा’ (Red Giant Star) कहा जाता है।
- इस प्रक्रिया में अंततः हीलियम कार्बन में और कार्बन भारी पदार्थ, जैसे- लोहे में परिवर्तित होने लगता है।
- यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से कम या बराबर (चंद्रशेखर सीमा) होता है तो वह लाल दानव से ‘सफेद बौना’ (White Dwarf) और अंततः ‘काला बौना’ (Black Dwarf) में परिवर्तित हो जाता है।
चंद्रशेखर सीमा (Chandrashekhar Limit):
- एस. चंद्रशेखर भारतीय मूल के खगोल भौतिकविद् थे,जिन्होंने सफेद बौने तारों के जीवन अवस्था के विषय में सिद्धांत प्रतिपादित किया।
- इसके अनुसार, सफेद बौने तारों के द्रव्यमान की ऊपरी सीमा सौर द्रव्यमान का 1.44 गुना है, इसको ही चंद्रशेखर सीमा कहते है।
- एस. चंद्रशेखर को वर्ष 1983 में नाभिकीय खगोल भौतिकी में डब्ल्यू. ए. फाउलर के साथ संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (09 दिसंबर)
राष्ट्रीय आयुष ग्रिड
आयुष मंत्रालय ने विभिन्न हितधारकों के परामर्श से आयुष ग्रिड परियोजना के घटकों को अंतिम रूप दे दिया है। आयुष ग्रिड परियोजना के लिये परियोजना प्रबंधन परामर्श की ऑन-बोर्डिंग प्रक्रिया पूरी हो गई है और प्रक्रिया के जरिये योग्य एजेंसी का चयन कर लिया गया है। आयुष ग्रिड की परिकल्पना आयुष क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हुए एक व्यापक आईटी आधार के रूप में की गई है। आयुष मंत्रालय ने आयुष अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली, योगा लोकेटर एप्लीकेशन, टेलिमेडिसिन, योगा पोर्टल, आयुष अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली प्रशिक्षण, आयुष प्रोफेशनल्स के लिये आईटी कोर्स इत्यादि जैसी विभिन्न पायलट परियोजनाओं को आरंभ किया है, पायलट अवधि की पूर्णता के बाद इनका विलय आयुष ग्रिड योजना में कर दिया जाएगा। आयुष मंत्रालय ने आयुष ग्रिड परियोजना में तकनीकी सहायता के लिये इलेक्ट्रोनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किये हैं। विदित हो कि आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी विभाग को संक्षिप्त में आयुष कहा जाता है।
सुपर 30-आनंद कुमार
पटना स्थित सुपर 30 के जाने-माने गणितज्ञ आनंद कुमार को जनवरी में अमेरिका के न्यूयॉर्क में आयोजित किये जाने वाले भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह के लिये आमंत्रित किया गया है। यह कार्यक्रम अप्रवासी भारतीयों का एक संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन (FIA) आयोजित कर रहा है, जो वर्ष 2020 में अपनी स्थापना के 50 साल पूरे कर रहा है। हाल ही में सुपर 30 फिल्म अमेरिका में रिलीज़ हुई और लोग उनसे मिलना चाहते हैं। यह फिल्म जुलाई 2019 में रिलीज़ हुई थी, जिसमें उनकी जिंदगी के उतार-चढ़ाव से लेकर उनकी उपलब्धियों तक को दिखाया गया था। ध्यातव्य है कि आनंद कुमार सुपर 30 की अवधारणा के तहत समाज के वंचित वर्ग के 30 छात्रों को सालाना मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं ताकि इया प्रतिष्ठित IIT की प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल कर सकें। उन्होंने बिहार की राजधानी पटना में वर्ष 2002 में सुपर 30 की शुरुआत की थी। 2018 तक उनके द्वारा पढ़ाए गए 481 में से 422 विद्यार्थियों ने IIT की प्रवेश परीक्षा पास की थी। डिस्कवरी चैनल ने उन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई है।
एशियाई अकादमी क्रिएटिव अवार्ड्स
ज़ोया अख्तर के निर्देशन में बनी फिल्म 'गली बॅाय' को एशियाई अकादमी क्रिएटिव अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इससे पहले फिल्म को 92वें ऑस्कर अकादमी अवार्ड्स के लिये भी नामांकन किया गया है। इसमें अभिनेता रणवीर सिंह और आलिया भट्ट ने प्रमुख भूमिकाएँ अदा की हैं। स्लम रैपर्स की कहानी पर आधारित यह फिल्म इस साल की क्लासिक फिल्मों में से एक बन गई है। यह फिल्म इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न में 'बेस्ट फिल्म' का पुरस्कार भी जीत चुकी है और जल्द ही इसे जापान में रिलीज़ किया जाएगा। गौरतलब है कि 'गली बॉय' देश में 14 फरवरी, 2019 को रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म के अलावा नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ 'दिल्ली क्राइम' को एशियाई अकादमी क्रिएटिव अवार्ड्स में बेस्ट ड्रामा सीरीज़ का खिताब मिला है।
हैंड-इन-हैंड सैन्याभ्यास
भारत और चीन के बीच हैंड-इन-हैंड नामक वार्षिक संयुक्त सैन्याभ्यास का आयोजन मेघालय के शिलॉन्ग में उमरोई में 7 दिसंबर को शुरू हुआ जो 20 दिसंबर तक चलेगा। इस युद्ध अभ्यास में दोनों देशों से 130 से अधिक सैनिक हिस्सा ले रहे हैं। इस अभ्यास से दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी समन्वय में वृद्धि होगी। इस दौरान आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के लिये भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
गौरतलब है कि इस अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2007 में चीन के कुनमिंग में हुई थी। इसके दूसरे संस्करण का आयोजन भारत में कर्नाटक के बेलगाम में किया गया था, लेकिन उसके बाद इस अभ्यास का आयोजन बंद कर दिया गया। पाँच साल बाद वर्ष 2013 में इसका आयोजन पुनः आरंभ हुआ। हैंड-इन-हैंड संयुक्त सैन्य अभ्यास, 2019 इस अभ्यास का आठवाँ संस्करण है। डोकलाम विवाद के चलते वर्ष 2017 में इसका आयोजन नहीं हुआ था था। वर्ष 2018 में इस अभ्यास का आयोजन चीन के चेंगदू में किया गया था।
गोल्डन टारगेट अवॉर्ड
भारत की युवा निशानेबाज़ एलावेनिल वालारिवान (Elavenil Valrivan) को अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ी महासंघ (ISSF) ने वर्ष 2019 में 10 मीटर एयर राइफल महिला स्पर्द्धा में उनके शानदार प्रदर्शन के लिये गोल्डन टारगेट अवॉर्ड से नवाज़ा है। उन्होंने वर्ष 2019 सत्र में विश्वकप में दो स्वर्ण पदक जीते और नंबर-1 बनने वाली एकमात्र भारतीय रहीं। उन्होंने चीन में ISSF विश्वकप फाइनल्स और रियो में ISSF विश्वकप में स्वर्ण पदक जीते। उन्हें म्यूनिख ISSF विश्वकप में चौथा स्थान मिला। उनके अलावा जयपुर के राइफल शूटर दिव्यांश सिंह पंवार को भी गोल्डन टारगेट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। दुनिया का नंबर-1 निशानेबाज़ बनने पर उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया। उल्लेखनीय है कि दिव्यांश ने हाल ही में वर्ल्ड कप फाइनल में दो स्वर्ण पदक जीते थे। पहला 10 मीटर एयर राइफल इंडीविज़ुअल में और दूसरा, मिक्स्ड इवेंट में। इन दोनों के साथ सौरभ चौधरी (10 मीटर एयर पिस्टल) भी दुनिया में नंबर-1 निशानेबाज़ बन गए हैं। पिछले 10 महीने में सौरभ ने 8 स्वर्ण पदक जीते हैं। इन्हें भी गोल्डन टारगेट अवॉर्ड से नवाज़ा गया। यह सम्मान समारोह जर्मनी के म्युनिख में आयोजित किया गया था।