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डेली न्यूज़

  • 06 Nov, 2019
  • 45 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

SCO शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक

प्रीलिम्स के लिये

शंघाई सहयोग संगठन क्या है? इसके सदस्य देश

मेन्स के लिये

भारत की विदेश नीति में शंघाई सहयोग संगठन का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) के शासनाध्यक्षों की परिषद (Council of Heads and Governments-CHGs) की 18वीं बैठक हाल ही में उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में आयोजित की गई। भारत के प्रतिनिधि के रूप में केंद्रीय रक्षा मंत्री ने इसमें हिस्सा लिया।

प्रमुख बिंदु

  • इस प्रकार की बैठक में भारत की यह तीसरी भागीदारी थी। पहली बैठक नवंबर-दिसंबर 2017 में रूस के सोची नगर में हुई थी और दूसरी बार की बैठक 2018 में ताजिकिस्तान के दुशांबे शहर में हुई थी।
  • आतंकवाद से निपटने एवं विकास के प्रयासों को मज़बूती देने के लिये SCO देशों के सहयोग पर बल दिया गया। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन, गरीबी और असमानता को कम करने के मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
  • भारत द्वारा कहा गया कि चीन के बाद SCO क्षेत्र में भारत दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत, क्षमता निर्माण और कौशल विकास में अपना अनुभव साझा कर सकता है जिसमें संसाधन मानचित्रण, कृषि शिक्षा, उपग्रहों का प्रक्षेपण, फार्मास्यूटिकल्स, टेलीमेडिसिन, चिकित्सा पर्यटन, आतिथ्य एवं वित्तीय सेवाएँ शामिल हैं।
  • वैश्वीकरण ने SCO सदस्यों के विकास के लिये अपार अवसर खोले हैं। हालाँकि इसने कई चुनौतियाँ भी पैदा की हैं। विशेष रूप से विकसित अर्थव्यवस्थाओं में अलगाववाद और संरक्षणवाद की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इस परिस्थिति में SCO, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ एक पारदर्शी, नियम आधारित, खुला, समावेशी और भेदभाव रहित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली है।
  • SCO में शामिल देश प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय प्रभाव से ग्रस्त हैं। इन समस्याओं को कम करने के उद्देश्य से भारत ने एससीओ सदस्य देशों को कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रेजिलियेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया।

भारत द्वारा सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के एशियाई जलवायु कार्रवाई सम्मेलन में कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रेज़िलियेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) के लिये एक वैश्विक गठबंधन का प्रस्ताव रखा गया था। इसका उद्देश्य देशों को लचीले बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये उनकी क्षमताओं को उन्नत करने में सहायता करना है। यह जलवायु परिवर्तन में योगदान देने के साथ-साथ सेंदाई फ्रेमवर्क के तहत नुकसान में कमी के लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

SCO के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक के अलावा भारत तथा उज़्बेकिस्तान के मध्य द्विपक्षीय वार्ता हुई जिसमें कुछ प्रमुख समझौतों (MOUs) पर हस्ताक्षर किये गए।

  • भारत ने उज़्बेकिस्तान द्वारा भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद के लिये 40 मिलियन डॉलर की रियायती छूट (Line of Credit) दी है।
  • दोनों देशों की सेनाओं के बीच सैन्य चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग के लिये समझौता हुआ।
  • इसके साथ ही दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सैन्य शिक्षा के क्षेत्र में परस्पर आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके लिये दोनों देशों के उच्च सैन्य शिक्षण संस्थानों के मध्य समझौता हुआ जिसमें भारत का कॉलेज ऑफ़ डिफेंस मैनेजमेंट, सिकंदराबाद तथा आर्म्ड फोर्स अकादमी ऑफ़ उज़्बेकिस्तान, ताशकंद शामिल हैं।
  • भारत उज़्बेकिस्तान के मध्य पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक-2019’ (Dustlik-2019) ताशकंद में प्रारंभ किया गया।

शंघाई सहयोग संगठन क्या है?

  • शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है जिसकी स्थापना चीन, कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा 15 जून, 2001 को शंघाई (चीन) में की गई थी।
  • वर्तमान में SCO के आठ सदस्य देश-भारत, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान हैं।
  • वर्ष 2005 में भारत और पाकिस्तान इस संगठन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुए थे और वर्ष 2017 में इन दोनों देशों को इस संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा प्रदान किया गया। इसके चार पर्यवेक्षक और छह संवाद सहयोगी भी हैं।
  • इस मंच का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय ‘शासनाध्यक्ष परिषद’ है। शासनाध्यक्ष परिषद की वार्षिक बैठक में सदस्य देशों के प्रमुख हिस्सा लेते हैं।

स्रोत : द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रधानमंत्री की थाईलैंड यात्रा

प्रीलिम्स के लिये:

आसियान, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, कुआलालंपुर घोषणा, म्याँमार, थाईलैंड एवं इंडोनेशिया की भौगोलिक स्थिति

मेन्स के लिये:

भारत-आसियान से संबंधित मुद्दे, एक्ट ईस्ट पाॅलिसी की आवश्यकता और प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 02-04 नवंबर, 2019 तक थाईलैंड की आधिकारिक यात्रा की।

  • इस यात्रा के दौरान उन्होंने 16वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit- EAS) में भाग लिया, इसके अतिरिक्त म्याँमार, थाईलैंड एवं इंडोनेशिया के राष्ट्रप्रमुखों से द्विपक्षीय वार्ता की

16वाँ भारत-आसियान शिखर सम्मेलन:

  • शिखर सम्मेलन के दौरान समुद्री सुरक्षा (Maritime Security) और नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy), व्यापार एवं निवेश, कनेक्टिविटी, विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के क्षेत्र में सहयोग के साथ-साथ भारत-आसियान रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक मोर्चे पर लोगों के बीच जुड़ाव, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, मानवीय सहायता और पर्यटन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • इस क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने के लिये भारत-प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के मध्य भारत के दृष्टिकोण को समन्वित रखने पर ज़ोर दिया गया, साथ ही दोनों क्षेत्रों में बढ़ती चीन की मुखरता को संतुलित करने की बात की गई।
  • इसके साथ ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में 'सवसदी पीएम मोदी ’ (Sawasdee PM Modi) कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया।
  • थाई भाषा में, 'सवसदी' शब्द का प्रयोग अभिवादन और अलविदा के लिये प्रयोग किया जाता है।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन:

  • पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में आतंकवाद से निपटने हेतु बेहतर तैयारी, कट्टरपंथ और अंतर्राष्ट्रीय अपराध से निपटने के लिये वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) तथा इससे संबंधित अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ समन्वय को बेहतर बनाने की बात कही गई।
  • इस सम्मेलन में एक घोषणापत्र जारी किया गया जिसमें आतंकी वित्तपोषण को रोकने के लिये प्रभावी उपायों को अपनाने का आह्वान किया गया। इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) के साथ FATF के बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन की बात कही गई।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के बारे में:

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 2005 में स्थापित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने मौज़ूद प्रमुख राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर रणनीतिक बातचीत एवं सहयोग के लिये 18 देशों का एक मंच है। इसकी संकल्पना वर्ष 1991 में मलेशिया के तात्कालीन प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद द्वारा की गई थी।
  • इसका पहला शिखर सम्मेलन वर्ष 2005 में मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन के दौरान कुआलालंपुर घोषणा (Kuala Lumpur Declaration) की गई थी।
  • इस घोषणा के अनुसार- यह पूर्वी एशिया में शांति, आर्थिक समृद्धि और क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिये रणनीतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक मुद्दों पर बातचीत के लिये एक खुला मंच है।

सदस्य:

  • इसमें आसियान के 10 देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम), क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) के 6 देश (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया) और रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • भारत इस संगठन का संस्थापक सदस्य है।
  • यह मंच विश्व की जनसंख्या का लगभग 54% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 58% कवर करता है।
  • यह एक आसियान केंद्रित मंच है, इसकी अध्यक्षता केवल आसियान सदस्य ही कर सकते हैं।
  • इस वर्ष इसकी अध्यक्षता थाईलैंड कर रहा है, इसके पहले वर्ष 2018 में इसकी अध्यक्षता सिंगापुर द्वारा की गई थी।

सहयोग के क्षेत्र:

  1. पर्यावरण और ऊर्जा
  2. शिक्षा
  3. वित्त
  4. वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दे और महामारी रोग
  5. प्राकृतिक आपदा प्रबंधन
  6. आसियान कनेक्टिविटी

भारत सभी छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग का समर्थन करता है।

सम्मेलन में अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय बैठक:

1. भारत-म्याँमार:

  • भारत की एक्ट ईस्ट पाॅलिसी (Act East Policy) यानी पूर्व की ओर देखो नीति के तहत म्याँमार की अवस्थिति भारत के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत म्याँमार के माध्यम से सुदूर दक्षिण-पूर्व एशिया तक अपनी पहुँच स्थापित कर सकता है, इसलिये भारत इस क्षेत्र में स्थिरता और शांतिपूर्ण सीमा प्रबंधन पर ज़ोर दे रहा है। इसके अतिरिक्त सड़कों, बंदरगाहों का निर्माण और हवाई संपर्क के विस्तार का भी प्रयास किया जा रहा है।
  • भारत के अनुसार, वह म्याँमार के साथ पुलिस, सैन्य और सिविल सेवकों, साथ ही छात्रों एवं नागरिकों के लिये क्षमता विस्तार कार्यक्रम जैसे समर्थन जारी रखेगा।
  • भारत की योजना है कि नवंबर 2019 के अंत में यंगून में CLMV देशों (कंबोडिया, लाओस, म्याँमार और वियतनाम {Cambodia, Laos, Myanmar, and Vietnam CLMV)} के लिये एक व्यावसायिक कार्यक्रम आयोजित किया जाए।

Myanmar

2. भारत-इंडोनेशिया:

  • भारत और इंडोनेशिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग, शांति एवं सुरक्षा जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करने हेतु सहमति व्यक्त की है।
  • भारत इंडोनेशिया के साथ मिलकर रक्षा, सुरक्षा, संपर्क, व्यापार, निवेश और लोगों के बीच आदान-प्रदान को मज़बूत करने का कार्य कर रहा है।
  • भारत ने इंडोनेशिया के बाज़ार में भारतीय कमोडिटीज, फार्मास्युटिकल, ऑटोमोटिव और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स की ज़्यादा पहुँच की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • 2019 में भारत और इंडोनेशिया बीच वर्ष राजनीतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगाँठ मनाई गई।

Indonesia

भारत-थाईलैंड:

  • भारत एवं थाईलैंड ने व्यापार, संस्कृति एवं रक्षा उद्योग क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में सहयोग हेतु सहमति व्यक्त की। इसके अतिरिक्त दोनों देशों ने भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी को और मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • थाईलैंड 4.0 के माध्यम से स्वयं को मूल्य-आधारित अर्थव्यवस्था (Value-Based Economy) में बदलने की पहल कर रहा है। भारत द्वारा क्रियान्वित की जा रही है डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी और जल जीवन मिशन इत्यादि योजनाओं में दोनों देशों के बीच सहयोग की असीम संभावना है।

Thailand

स्रोत: PIB


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-US आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी

प्रीलिम्स के लिये:

EFP, पेरिस क्लब

मेन्स के लिये:

भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध

चर्चा में क्यों?

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आर्थिक एवं वित्तीय भागीदारी (Economic and Financial Partnership- EFP) हेतु 7वीं बैठक 1 नवंबर, 2019 को नई दिल्ली में संपन्न हुई।

मुद्दे:

  • EFP की बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने विभिन्न वैश्विक मुद्दों, उन मुद्दों पर अमेरिका और भारत का आर्थिक दृष्टिकोण, वैश्विक ऋण स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र में सुधार, पूंजी प्रवाह एवं निवेश जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की।
  • इस बैठक के दौरान डेटा स्थानीयकरण (Data localization), मनी लॉन्ड्रिंग (Money laundering) और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया।

उद्देश्य:

  • आर्थिक और वित्तीय भागीदारी का उद्देश्य दोनों देशों के मध्य स्थापित आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करना है।
  • बदलते वैश्विक भू-राजनीति में आर्थिक व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों के बढ़ते महत्त्व के मद्देनज़र दोनों देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने संबंधी गतिविधियों का संचालन।

भारत-अमेरिका साझेदारी:

  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने बीमा क्षेत्र के विनियमन से संबंधित जानकारी के समन्वय, परामर्श और विनिमय के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
  • भारत की अवसंरचना संबंधी योजनाओं में दोनों पक्ष पूंजी और तकनीक जैसे पहलुओं पर मिल कर कार्य कर रहे हैं।
  • भारत ने अपने बुनियादी ढाँचे में निजी संस्थागत निवेश को उत्प्रेरित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय अवसंरचना और निवेश कोष (National Investment and Infrastructure Fund- NIIF) की स्थापना की है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने सरकार की स्मार्ट शहर परियोजना में स्थानीय बुनियादी ढाँचे की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु वर्ष 2017 में पुणे नगरपालिका को नगरपालिका बाॅण्ड लॉन्च करने में सहायता की।
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ऋण स्थिरता और पारदर्शिता में सुधार के लिये वैश्विक प्रयासों का समर्थन करते हैं, साथ ही इसके लिये G20 अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के प्रयासों को क्रियान्वित करने पर ज़ोर देते हैं। वर्ष 2019 में भारत पेरिस क्लब के साथ स्वेच्छा से जुड़ा एक पर्यवेक्षक देश है।

पेरिस क्लब (Paris Club)

  • पेरिस क्लब की स्थापना वर्ष 1956 में विकासशील और उभरते (Emerging) देशों की ऋण समस्याओं के समाधान के लिये की गई थी।
  • इसकी स्थापना के समय विश्व शीत युद्ध, अंतरराष्ट्रीय पूंजी प्रवाह की जटिलता, वैश्विक स्तर पर विनिमय दर के मानकों का अभाव और अफ्रीका के कुछ देशों द्वारा औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता की प्राप्ति जैसी परिस्थितियाँ विद्यमान थी।
  • अर्जेंटीना ने एक बड़ी ऋण धोखाधड़ी के लिये वैश्विक समुदाय से सहायता की अपील की जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1956 में फ्राँस द्वारा पेरिस में एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसे पेरिस क्लब कहा गया।
  • इस समय इसके 22 स्थायी सदस्य हैं, भारत इसका पर्यवेक्षक देश है।
  • इसका सचिवालय पेरिस में स्थित है।
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अंतर-सरकारी समझौते के तहत विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (Foreign Account Tax Compliance Act- FATCA) के अंतर्गत वित्तीय खाता जानकारी साझा की जाती है।

आगे की राह:

  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को और बढ़ावा दिया जाना चाहिये जिससे दोनों देशों के आर्थिक विकास में अधिक प्रगति हो सके।

निष्कर्ष:

  • भारत और अमेरिका तकनीकी सहायता सहित नगरपालिका बाॅण्ड जारी करने, अधिक शहरों को इसके लिये तैयार करने और भारत के बुनियादी ढाँचे में संस्थागत निवेश को लेकर तत्पर हैं।

स्रोत: PIB


आंतरिक सुरक्षा

गुजरात आतंकवादरोधी क़ानून

प्रीलिम्स के लिये -

GCTOC

मेन्स के लिये -

भारत में आंतरिक सुरक्षा संबधी कानून

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रपति ने विवादास्पद आतंकवादरोधी क़ानून से संबंधित ‘गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (Gujarat Control Of Terrorism And Organised Crime Bill) ’ को स्वीकृति दे दी।

प्रमुख बिंदु -

  • गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण क़ानून के तहत जाँच एजेंसियाँ फ़ोन कॉल्स रिकॉर्ड कर सकती हैं और उसे सबूत के तौर पर न्यायालय में पेश भी कर सकती हैं।
  • इस क़ानून के अनुसार, ऐसा कोई भी कृत्य जो कानून व्यवस्था या सार्वजनिक व्यवस्था में विघ्न डालने या राज्य की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने या किसी भी वर्ग के लोगों के मन में आतंक फैलाने के इरादे से किया जाता है,आतंकवाद की श्रेणी में आएगा।
  • GCTOC के अंतर्गत आर्थिक अपराध जैसे पॉन्जी स्कीम (Ponzi Scheme), मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कीम (Multi Level Marketing Scheme) और संगठित सट्टेबाज़ी शामिल हैं।
  • इसके अंतर्गत ज़बरन वसूली, ज़मीन हथियाना, अनुबंध हत्याएँ, साइबर अपराध और मानव तस्करी भी शामिल हैं।
  • इस तरह के किसी भी अपराध में शामिल होने या उसकी योजना बनाने के मामलों में 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक का प्रावधान है।
  • ऐसे अपराधों के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु के संदर्भ में आजीवन कारावास और मृत्युदंड का प्रावधान है।
  • इसके तहत चार्जशीट दाखिल करने की अवधि सामान्य 90 दिनों के बजाय 180 दिन करने का प्रावधान किया गया है।
  • इस कानून में संगठित अपराधों के संदर्भ में विशेष न्यायालय के गठन के साथ-साथ विशेष सरकारी अभियोजकों (Special Public Prosecuter) की नियुक्ति का भी प्रावधान है।
  • इसके तहत संगठित अपराधों के माध्यम से अर्जित संपत्तियों को नीलाम किया जा सकता है साथ ही संपत्तियों के हस्तांतरण को रद्द किया जा सकता है।

विवाद के बिंदु

  • इस विधेयक में जाँच एजेंसियों द्वारा फोन कॉल रिकॉर्ड करने और उसे साक्ष्य के रूप में न्यायालय में पेश करने का प्रावधान अनुच्छेद 21 के तहत निजता के मौलिक अधिकार का अतिक्रमण है।
  • पुलिस की हिरासत में अभियुक्त से लिये गए बयान को साक्ष्य के रूप में पेश करने के प्रावधान अनुच्छेद 20 के अभियुक्त के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
  • अनुच्छेद 20(3) के तहत किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति को खुद के खिलाफ गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

पृष्ठभूमि -

  • गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक वर्ष 2003 में गुजरात विधानसभा में पेश किया गया।
  • पूर्व में इस विधेयक को गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (Gujarat Control of Organised Crime Bill -GUJCOC) का नाम दिया गया था।
  • राष्ट्रपति द्वारा यह विधेयक लगातार 3 बार वर्ष 2004, 2008 और 2015 में अस्वीकृत किया जा चुका है।

राष्ट्रपति की सहमति की आवश्यकता क्यों?

राज्यपाल धन विधेयक के अलावा राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख सकता है।चूँकि इस विधेयक के कुछ प्रावधान राष्ट्रीय कानून के प्रावधानों के साथ ओवरलैप कर रहे थे, जैसे साक्ष्य अधिनियम , अतः ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति की स्वीकृति की आवश्यकता होती है।

स्रोत-द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

श्रम उत्पादकता और भारत

प्रीलिम्स के लिये

श्रम उत्पादकता

मेन्स के लिये

श्रम उत्पादकता का महत्त्व और गिरावट का कारण

चर्चा में क्यों?

एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा किये गए विश्लेषण में पाया गया कि विगत आठ वर्षों में भारत की श्रम उत्पादकता में कमी आई है।

  • विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि वर्ष 2004 से 2008 के दौरान भारत की श्रम उत्पादकता में हर साल 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विदित हो कि यह वैश्विक वित्तीय संकट से ठीक पूर्व का समय था।
  • वहीं वर्ष 2011 से 2015 के बीच यह दर घटकर मात्र आधी (7.4 प्रतिशत) रह गई और वर्ष 2016 से 2018 के मध्य यह मात्र 3.7 प्रतिशत ही रह गई।

श्रम उत्पादकता और उसका महत्त्व

  • सामान्यतः उत्पादकता को विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में संसाधनों, श्रम, पूंजी, भूमि, सामग्री, ऊर्जा तथा सूचना के कुशल उपयोग के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • ध्यातव्य है कि भूमि और पूंजी के अलावा श्रम उत्पादकता भी आर्थिक विकास की दर तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • श्रम उत्पादकता देश की अर्थव्यवस्था के प्रति घंटा उत्पादन को मापती है।
  • विदित है कि श्रम उत्पादकता और जीवन स्तर में सुधार के मध्य प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। जैसे-जैसे एक अर्थव्यवस्था की श्रम उत्पादकता बढ़ती है, वह समान समय में अधिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन शुरू कर देती है।
  • रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक स्तर पर वित्त वर्ष 2017 के दौरान श्रम उत्पादकता में वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के लगभग दो-तिहाई हेतु ज़िम्मेदार थी।

श्रम उत्पादकता में कमी के कारण

  • भारत के जटिल श्रम कानूनों को इस गिरावट का एक मुख्य कारण माना जा सकता है। ज्ञातव्य है कि भारत के जटिल श्रम नियमों को तत्काल सरलीकरण की आवश्यकता है।
  • गौरतलब है कि श्रम उत्पादकता मुख्य रूप से नवाचार और ज्ञान पर निवेश तथा सरकार के संरचनात्मक सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि देश में श्रम उत्पादकता में वृद्धि के लिये नीतियों तथा कंपनियों दोनों ही स्तरों पर जल्द-से-जल्द काम किये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि उत्पादकता न सिर्फ देश के विकास की गति को बनाए रखने में मदद करती है बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतियोगिता में बने रहने में भी सहायक होती है।
  • स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रिसर्च (State Bank of India Research) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते कुछ वर्षों में भारत की श्रम उत्पादकता अन्य देशों की तुलना में काफी कम थी। रिपोर्ट के अनुसार, इस अंतर को जल्द-से-जल्द नीतिगत उपायों के मध्य से समाप्त करने की आवश्यकता है।

आगे की राह

  • विशेषज्ञों के अनुसार, देश में श्रम उत्पादकता बढ़ाने हेतु भारत में श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा और महिला श्रमिकों की कम भागीदारी जैसे मुद्दों को भी संबोधित किया जाना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


आपदा प्रबंधन

रेड एटलस एक्शन प्लान मैप

प्रीलिम्स के लिये:

रेड एटलस एक्शन प्लान मैप, NIOT

मेन्स के लिये:

बाढ़ प्रबंधन से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों

हाल ही में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने तटीय बाढ़ चेतावनी प्रणाली हेतु रेड एटलस एक्शन प्लान मैप का अनावरण किया।

रेड एटलस एक्शन प्लान मैप

(Red Atlas Action Plan Map):

  • इसका उद्देश्य बाढ़ शमन, प्रबंधन, तैयारियों और संचालन संबंधी पहलुओं को सुलभ बनाना है। इसको पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसका अनौपचारिक प्रयोग तमिलनाडु की सरकार द्वारा चेन्नई में प्रभावी बाढ़ शमन में मदद करने के लिये तैयार किया गया था।

राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान

National Institute of Ocean Technology- NIOT

  • NIOT को नवंबर, 1993 में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त सोसायटी के रूप में स्थापित किया गया था।
  • NIOT को शासन परिषद द्वारा प्रबंधित किया जाता है और जिसका प्रमुख संस्थान का निदेशक होता है।
  • NIOT का मुख्य उद्देश्य भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (Exclusiv Economic Zone- EEZ) में संसाधनों के समुचित दोहन के लिये स्वदेशी तकनीक विकसित करना है।
  • मिशन:
    • महासागर संसाधनों के सतत् उपयोग हेतु विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकियॉं विकसित करना और उनका अनुप्रयोग ।
    • महासागरों के लिये कार्य करने वाले संगठनों के लिये तकनीकी सेवाओं और समाधानों को समन्वित करना।
    • समुद्री संसाधनों और पर्यावरण के प्रबंधन हेतु भारत में संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

बढ़ता हुआ समुद्र जल स्तर

प्रीलिम्स के लिये:

शटल रडार टोपोग्राफी मिशन

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्र जल स्तर से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ (Climate Central) नामक संगठन द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्र जल स्तर से भविष्य में तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 36 मिलियन व्यक्तियों के प्रभावित होने की आशंका है।

मुख्य बिंदु:

  • इस नए शोध के अनुसार, भारत में तटीय क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति जो कि पहले के अनुमानों से लगभग सात गुना अधिक हैं, बढ़ते हुए समुद्र स्तर के कारण खतरे की चपेट में हैं।
  • इस शोध के अनुसार, भारत में लगभग 36 मिलियन लोग तटीय क्षेत्रों में रहते हैं, ये तटीय क्षेत्र वर्ष 2050 तक वार्षिक बाढ़ तट रेखा से नीचे आ जाएंगे, इससे इन क्षेत्रों में बाढ़ का जोखिम, बुनियादी ढाँचे तथा आजीविका के नुकसान सहित स्थायी विस्थापन जैसी समस्याएँ सामने आ सकती हैं।

शोध की प्रक्रिया:

  • ‘क्लाइमेट सेंट्रल’ के वैज्ञानिकों के अनुसार, उन्होंने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो पहले की तुलना में अधिक सटीकता के साथ समुद्र स्तर से भूमि तल की ऊँचाई (भूमि उत्थान स्तर) मापता है।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया तथा विश्व के अन्य भागों में पहले किये गए भूमि उत्थान मापन में काफी त्रुटियाँ थीं।
  • इनमें से अधिकांश भूमि उत्थान के आँकड़े नासा (NASA) के शटल रडार टोपोग्राफी मिशन (Shuttle Radar Topography Mission- SRTM) के तहत उपग्रह द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं।
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि उपग्रह से प्राप्त भूमि उत्थान के आँकड़ों में पृथ्वी पर स्थित पेड़ों और इमारतों के शीर्ष को भी भूमि तल के विस्तार के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, इस प्रकार SRTM द्वारा अमेरिका के तटीय शहरों में किये गए भूमि उत्थान मापन में भूमि उत्थान स्तर को औसतन 15.5 फीट अधिक मापा गया।
  • क्लाइमेट सेंट्रल के वैज्ञानिकों द्वारा इस कमी को दूर करने के लिये विकसित उपकरण का नाम ‘कोस्टलडैम’ (CoastalDEM- Coastal Digital Elevation Model) है। यह उपकरण 51 मिलियन आँकड़ों के आधार पर कृत्रिम बुद्धिमता और मशीन लर्निंग प्रक्रिया का प्रयोग करता है।
  • इस उपकरण के माध्यम से भूमि उत्थान मापन प्रक्रिया में केवल 2.5 इंच से कम की त्रुटि आती है।
  • इस शोध के अनुसार, 300 मिलियन व्यक्ति में से 80 मिलियन व्यक्ति जिन्हें पहले के अनुमानों में शामिल नहीं किया गया था, तटीय क्षेत्रों में वार्षिक बाढ़ तट रेखा से नीचे रहते हैं।
  • इस सदी के अंत तक तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 200 मिलियन व्यक्तियों के घर स्थायी रूप से उच्च ज्वार रेखा से नीचे होंगे।
  • वार्षिक बाढ़ तटीय रेखा से नीचे रहने वाले 300 मिलियन व्यक्तियों में से 80% चीन, भारत, इंडोनेशिया, थाईलैंड में रहते हैं, इनमें से 43 मिलियन व्यक्ति केवल चीन में रहते हैं।

भारत के सुभेद्य क्षेत्र:

Mumbai

  • इस नए उपकरण की सहायता से यह पता चला है कि भारत में पश्चिमी तट रेखा पर स्थित भुज, जामनगर, सूरत, पोरबंदर, भरूच और मुंबई बढ़ते हुए समुद्र जल स्तर के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
  • पूर्वी तटीय क्षेत्र में पश्चिम बंगाल और ओडिशा की संपूर्ण तटीय सीमा तथा कलकत्ता भी विशेष रूप से संवेदनशील स्थिति में है।
  • नए मापन के अनुसार, काकीनाडा के आस-पास के क्षेत्रों को छोड़कर दक्षिणी राज्यों को खतरे से बाहर बताया गया है।
  • इस शोध के अनुसार, भारत में वर्ष 2050 तक वार्षिक बाढ़ तटीय रेखा की ऊँचाई में वृद्धि होगी जिससे भारत के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 36 मिलियन लोग प्रभावित होंगे।

शटल रडार टोपोग्राफी मिशन:

(Shuttle Radar Topography Mission- SRTM)

  • SRTM को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा 11 फरवरी, 2000 को अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था।
  • SRTM द्वारा पृथ्वी की लगभग 80% भूमि के स्थलाकृतिक आँकड़े एकत्रित किये गए हैं।
  • SRTM ने पहली बार भूमि उत्थान स्तर के बारे में वैश्विक आँकड़े एकत्रित किये थे।

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस


जैव विविधता और पर्यावरण

तीव्र श्वसन संक्रमण (ARI)

प्रीलिम्स के लिये

Acute Respiratory Infection-ARI क्या है?

मेन्स के लिये

वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय स्वास्थ्य रिपोर्ट-2019 में फेफड़े के संक्रमण संबंधी बीमारियों के बढ़ते प्रभावों पर चिंता जाहिर की गई है।

मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में केवल तीव्र श्वसन संक्रमण (Acute Respiratory Infection-ARI), कुल संक्रामक बीमारियों का लगभग 69 प्रतिशत था तथा ARI से संक्रमित 27 प्रतिशत लोग मौत के शिकार हुए।
  • ARI के सर्वाधिक मामले आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में दर्ज किये गए।
  • WHO के अनुसार, ARI एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसकी वजह से पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 26 लाख मौतें होती हैं।

ARI क्या है?

  • ARI एक गंभीर संक्रमण है जो सामान्य श्वास क्रिया को रोक देता है। यह आमतौर पर नाक, श्वासनली (Trachea) या फेफड़ों में वायरल संक्रमण के रूप में शुरू होता है तथा एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है।

वायु प्रदूषण: ARI का प्रमुख कारक

  • हवा में बढ़ता प्रदूषण गर्भवती महिलाओं तथा नवजात शिशुओं के लिये नुकसानदायक होता है। भ्रूण को ऑक्सीजन की प्राप्ति माँ से होती है, यदि माँ प्रदूषित हवा में साँस लेती है तो यह भ्रूण के स्वास्थ्य को खतरा पहुँचा सकता है।
  • भ्रूण में जन्म से पहले प्रदूषकों की उपस्थिति के कारण समय से पूर्व प्रसव, जन्म के समय कम वज़न तथा बच्चे के विकास में बाधा पहुँचती है।
  • छोटी उम्र के बच्चों में यह समस्या अधिक होती है क्योंकि अधिकांश बच्चे मुँह से साँस लेते हैं जिसकी वजह से नाक की नली द्वारा होने वाला निस्पंदन (Filteration) नहीं हो पाता है तथा हवा में मौजूद प्रदूषक फेफड़ों में गहराई तक समाहित हो जाते हैं।
  • भारतीयों में यह समस्या बढ़ाने में वायु प्रदूषण दोहरी भूमिका निभाता है। प्रदूषित हवा में साँस लेने से वायु में उपस्थित सूक्ष्म कण व अन्य प्रदूषक फेफड़े व श्वासनलियों को छिद्रित तथा संक्रमित करते हैं। यह कई बीमारियों को जन्म देता है। जैसे- वायुस्फिती (Emphysema), अस्थमा, श्वासनली का संक्रमण, ह्रदय रोग, खाँसी, गले में जलन या साँस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

स्रोत : द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (06 November)

  • भारत-रूस उच्च स्तरीय परामर्श: हाल ही में नई दिल्ली में आतंकवाद से निपटने के लिये भारत-रूस संयुक्त कार्यदल की 11वीं बैठक आयोजित की गई। बैठक में दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की एवं इसका व्यापक और सतत् रूप से मुकाबला करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • अभिनेता रजनीकांत: भारत सरकार ने प्रथम बार 'भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की स्वर्ण जयंती के प्रतीक' के रूप में एक विशेष पुरस्कार का गठन किया है, इस पुरस्कार को प्रख्यात फिल्म अभिनेता एस. रजनीकांत को प्रदान किया जाएगा। उनका जन्म 12 दिसंबर, 1950 को कर्नाटक के एक मराठी भाषी परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण (वर्ष 2000) और पद्म विभूषण (वर्ष 2016) से सम्मानित किया है। 45वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (वर्ष 2014) में उन्हें "भारतीय फिल्म अभिनेता के तौर पर शताब्दी पुरस्कार" से सम्मानित किया गया।
  • अभिनेत्री इसाबेल हूपर्ट: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) 2019 के स्वर्ण जयंती समारोह में अपनी पीढ़ी की फ्राँस की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेत्री इसाबेल ऐनी मैडेलिन हूपर्ट को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, IFFI समारोह का सर्वोच्च सम्मान और सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। इस पुरस्कार के अंतर्गत रुपए 10,000,00/- का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है। फ्राँसीसी अभिनेत्री को उनके उल्लेखनीय कलात्मक कौशल और सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
  • वर्ल्‍ड ट्रैवल मार्केट 2019: केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय 4 से 6 नवंबर, 2019 के दौरान लंदन (ब्रिटेन) में आयोजित तीन दिवसीय वर्ल्‍ड ट्रैवल मार्केट (WTM) में भाग ले रहा है। WTM 2019 में इंडिया पवेलियन की थीम ‘अतुल्‍य भारत – अतुल्‍य भारत को जानें’ है। भारत के विभिन्‍न पर्यटन अवयवों को प्रदर्शित करने के अलावा इस वर्ष महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती और स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी का भी प्रचार-प्रसार WTM 2019 के इंडिया पवेलियन में किया जा रहा है। WTM विश्‍वभर के यात्रा एवं पर्यटन उद्योग के लिये एक ऐसी अनूठी प्रदर्शनी है। यह कारोबारियों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने एवं इनके पारस्‍परिक संवाद वाली प्रदर्शनी है।
  • व्यास सम्मान: वर्ष 2019 के व्यास सम्मान के लिये हिंदी की उत्कृष्ट साहित्यकार नासिरा शर्मा को चुना गया है। नासिरा शर्मा को यह पुरस्कार उनके उपन्यास कागज की नाव के लिये चुना गया है। यह पुरस्कार केके बिरला फाउंडेशन की ओर से 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ हिंदी की साहित्यिक कृति को दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1991 में की गई थी तथा इसमें 4 लाख रुपए, प्रशस्ति पत्र और एक प्रतीक चिह्न प्रदान किया जाता है।

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