भारतीय राजव्यवस्था
राज्यसभा सांसद
प्रीलिम्स के लिये:
राज्यसभा
मेन्स के लिये:
राज्यसभा सांसदों की अतिरिक्त समय संबंधी मांग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्यसभा सांसदों ने राज्यसभा में बहस के लिये अतिरिक्त समय की मांग की है।
मुख्य बिंदु:
- राज्यसभा सचिवालय द्वारा सांसदों की अतिरिक्त समय की मांग को पूरा करने के लिये पूर्ववर्ती उदाहरणों का अध्ययन किया जा रहा है।
- कुछ छोटे राज्य भी राज्यसभा में समान प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं।
बहस के लिये समान समय की मांग:
- राज्यसभा के ऐतिहासिक 250वें सत्र के दौरान सदन में ‘भारतीय राजनीति में राज्यसभा की भूमिका तथा आगे की राह’ पर एक बहस का आयोजन किया गया।
- इस बहस में भाग लेने वाले सदस्यों में से एक-चौथाई सदस्यों ने राज्यसभा में होने वाली बहस में सभी सदस्यों के लिये समान समय आवंटित करने का मुद्दा उठाया।
- चूँकि राज्यसभा संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्त्व करने वाला सदन है अतः सदस्यों ने सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्त्व प्रदान करने की मांग करते हुए कहा कि इससे सही अर्थों में संघवाद की प्राप्ति होगी।
- राज्यसभा सदस्यों ने प्रत्येक सदस्य को अपने विचार सार्थक रूप से व्यक्त करने के लिये उसे न्यूनतम पाँच मिनट का समय देने की मांग की। वर्तमान में विभिन्न दलों के सदस्यों को सदन में उनकी सामर्थ्य के अनुसार समय मिलता है जिससे स्वतंत्र, मनोनीत और छोटे दलों से संबंधित सदस्यों को बहस में बहुत कम समय मिल पाता है।
- राज्यसभा सचिवालय के अनुसार, प्रत्येक सदस्य के लिये न्यूनतम समय सीमा तय करना उचित है, लेकिन सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान के लिये कानूनी राय तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
राज्यसभा:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद-80 राज्यसभा के गठन का प्रावधान करता है।
- राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है, परंतु वर्तमान में यह संख्या 245 है।
- इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा से संबंधित क्षेत्र के 12 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है।
- यह एक स्थायी सदन है अर्थात् राज्यसभा का विघटन कभीं नहीं होता है।
- राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है एवं प्रत्येक 2 वर्ष बाद एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
- वर्तमान में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्यों की संख्या सर्वाधिक (31) है।
- राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्त्व पद्धति द्वारा एकल संक्रमणीय मत के आधार पर होता है।
- राज्यसभा में दो पदाधिकारी होते हैं- सभापति (Chairman) और उपसभापति (Deputy Chairman)
- इन दो पदाधिकारियों के अलावा राज्यसभा में एक और अधिकारी होता है जो राज्यसभा महासचिव कहलाता है।
- महासचिव की नियुक्ति राज्यसभा के सभापति द्वारा की जाती है। यह सभापति, सदन एवं सदस्यों के संसदीय कृत्यों और क्रियाकलापों संबंधी मामलों का सलाहकार होता है।
स्रोत- द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
‘इंसटेक्स’ वस्तु-विनिमय प्रणाली
प्रीलिम्स के लिये
‘इंसटेक्स’ वस्तु-विनिमय समझौता
मेन्स के लिये:
‘इंसटेक्स’ के तकनीकी पक्ष
चर्चा में क्यों?
हाल ही में छह यूरोपीय देश ईरान के साथ ‘इंसटेक्स’ (Instrument in Support of Trade Exchanges- INSTEX) नामक वस्तु-विनिमय प्रणाली से जुड़ गए हैं।
‘इंसटेक्स’ (INSTEX):
- INSTEX फ्राँस, ब्रिटेन तथा जर्मनी द्वारा ईरान के साथ प्रारंभ की गई एक वस्तु-विनिमय प्रणाली है जिसका उद्देश्य डॉलर का प्रयोग न करते हुए ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंध को दरकिनार कर ईरान के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करना है।
- पेरिस में पंजीकृत INSTEX ईरान को तेल की बिक्री ज़ारी रखने तथा बदले में अन्य सामान तथा सेवाओं के आयात की अनुमति देता है।
- हालाँकि इस प्रणाली के अंतर्गत अभी तक कोई भी विनिमय नहीं हुआ है
पृष्ठभूमि:
- अमेरिका ने ईरान के साथ वर्ष 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अपने को अलग करते हुए वर्ष 2018 में ईरान पर भारी व्यापारिक प्रतिबंध लगाए थे।
- अमेरिका ने दुनिया के सभी देशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वे अमेरिकी प्रतिबंधों से बचना चाहते हैं तो ईरान से कच्चे तेल का आयात बंद कर दें।
मुख्य बिंदु:
- बेल्जियम, डेनमार्क, फ़िनलैंड, नीदरलैंड, नार्वे और स्वीडन ने INSTEX से जुड़ने का निर्णय लिया है।
- इज़रायल ने इन छह यूरोपीय देशों द्वारा इस विनिमय प्रणाली का समर्थन करने के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे ईरान में विरोध प्रदर्शन बढ़ेंगे।
परमाणु समझौता, 2015
- 2015 में बराक ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्राँस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था।
- इस समझौते को ‘ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन’ (Joint Comprehensive Plan of Action- JCPOA) नाम दिया गया।
- इस समझौते के अनुसार, ईरान को संबंधित यूरेनियम के भंडार में कमी करते हुए अपने परमाणु संयंत्रों की निगरानी के लिये अनुमति प्रदान करनी थी। इसके बदले ईरान पर आरोपित आर्थिक प्रतिबंधों में रियायत दी गई थी।
स्रोत- द हिंदू
सामाजिक न्याय
पॉलीडेक्टली क्या है?
प्रीलिम्स के लिये:
पॉलीडेक्टली
मेन्स के लिये:
पॉलीडेक्टली विसंगति तथा उसका सामाजिक संबंध
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ओडिशा के एक गाँव में 63 वर्षीय एक महिला को पॉलीडेक्टली (Polydactyly) विसंगति के कारण समुदाय द्वारा ‘डायन’ बताते हुए बहिष्कृत कर दिया गया।
मुख्य बिंदु:
- महिला के हाथों में जन्म से 12 अँगुलियाँ तथा पैरों में 20 अँगुलियाँ होने के कारण समुदाय द्वारा उसे ‘डायन’ बताते हुए बहिष्कृत कर दिया गया।
- महिला की इस शारीरिक स्थिति को पॉलीडेक्टली (Polydactyly) / पॉलीडेक्टाइलिज़्म (Polydactylism) या हाइपरडेक्टली (Hyperdactyly) नामक जन्म-दोष के रूप में जाना जाता है।
पॉलीडेक्टली
(Polydactyly):
- यह मनुष्यों और जानवरों में एक जन्मजात विसंगति है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के हाथों और पैरों में अतिरिक्त अँगुलियाँ विकसित हो जाती हैं।
- पॉलीडेक्टली से पीड़ित व्यक्ति के हाथ या पैर में पाँच से अधिक अँगुलियाँ होती हैं, वहीं पॉलीडेक्टीली के विपरीत ऑलिगोडैक्टली (Oligodactyly) से पीड़ित व्यक्ति के हाथ या पैर में पाँच से कम अँगुलियाँ होती है।
- प्रति 1000 बच्चों में से एक या दो बच्चों में पॉलीडेक्टाइलिज्म विसंगति हो सकती है।
- यह दुनिया भर में नवजात शिशुओं के विकास की सबसे सामान्य विषमता हो सकती है।
- यह दोष गर्भावस्था के छठे या सातवें सप्ताह के दौरान विकसित होता है जब हाथ या पैर के अँगुलियों के विभाजन में अनियमितता आ जाती है जिससे अतिरिक्त अँगुलियाँ विकसित हो जाती हैं।
- माना जाता है कि कुछ मामलों में यह विसंगति आनुवंशिक भी हो सकती है।
- यह दोष बिल्ली, कुत्ता, मवेशी, भेड़, सुअर, मुर्गी, गीज़ (Geese) और कभी-कभी घोड़ों में भी देखा जाता है।
- अतिरिक्त अँगुलियाँ शायद बहुत कम मामलों में पूरी तरह क्रियाशील हो पाती हैं।
- सामान्यतः यह नरम ऊतक का एक छोटा सा टुकड़ा होता है, जिसमें कभी-कभी हड्डी भी होती है।
- ज़्यादातर मामलों में अतिरिक्त अँगुलियों को शल्यचिकित्सा (सर्जरी) द्वारा हटाया जा सकता है। यदि त्वचा और ऊतक के साथ हड्डी भी जुड़ी हो तो यह प्रक्रिया अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
सामाजिक नज़रिया:
आधुनिकता के तमाम दावों के बीच देश में अंधविश्वास आज भी अपनी गहरी जड़ें जमाए हुए है। ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी अंचलों में तो अंधविश्वास ने अपनी हदें ही पार कर दी हैं। दिसंबर 2018 में मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में एक आदिवासी महिला ने कथित तौर पर अपने नवजात लड़की के पैर की अतिरिक्त अँगुली हटाने के लिये खुद ही उसे काट दिया जिससे बच्चे की मृत्यु हो गई। महिला को यह डर था कि उस नवजात के बड़े होने पर इस शारीरिक संरचना के कारण उसकी शादी में समस्या उत्पन्न होगी।
स्रोत-द इंडियन एक्सप्रेस
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
G-20 का अगला मेज़बान : सऊदी अरब
प्रीलिम्स के लिये :
G-20, सऊदी अरब की भौगोलिक स्थिति
मेन्स के लिये :
सऊदी अरब और मध्य एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में सऊदी अरब G-20 की अध्यक्षता करने वाला अरब जगत का पहला देश बन गया है। मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर वैश्विक स्तर पर आलोचनाओं का सामना करने के बाद यह देश वैश्विक मंच पर वापसी की तैयारी कर रहा है।
- तेल से समृद्ध इस राष्ट्र ने उदारीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया है जिसमें महिलाओं को ज्यादा अधिकार देना भी शामिल है।
प्रमुख बिंदु
- 15 वें G-20 की अध्यक्षता सऊदी अरब को जापान से प्राप्त हो रही है जो 21-22 नवंबर 2020 को अपनी राजधानी रियाद में वैश्विक शिखर सम्मेलन में विश्व के बड़े नेताओं की मेज़बानी करेगा।
- सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि सऊदी G-20 की अध्यक्षता करते हुए ओसाका सम्मेलन के कार्य को आगे बढ़ाएगा और बहुस्तरीय सम्मति को बढ़ावा देगा।
- युवराज ने अंतर्राष्ट्रीय सहमति को आकार देने के इस “अद्वितीय अवसर” की प्रशंसा की है।
- सऊदी अरब इस शिखर सम्मेलन से पहले 100 से अधिक कार्यक्रमों एवं सम्मेलनों का आयोजन करेगा जिसमें मंत्री स्तरीय बैठक भी शामिल है।
- इस सम्मेलन की अध्यक्षता के दौरान सऊदी अरब को जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय विकास कम जन्म दर, बढ़ती जीवन प्रत्याशा जैसी चुनौतियों से निपटना होगा।
- सऊदी अरब को विरोधी विचारधाराओं को दबाने तथा पत्रकार ज़माल खशोगी की हत्या पर कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
- विरोधियों का ऐसा मानना है कि सऊदी अरब ने लगभग नौ शिक्षाविदों, लेखकों और कार्यकर्ताओं को अवैध तरीके से हिरासत में लिया है।
G-20 समूह
- 1997 के बड़े वित्तीय संकट के पश्चात् यह निर्णय लिया गया था कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर एकत्रित होना चाहिये।
- G-20 समूह की स्थापना 1999 में 7 देशों-अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ़्राँस और इटली के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में की गई थी
- G-20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- G-20 समूह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है। G-20 समूह प्रत्येक महाद्वीप से विकसित और विकासशील दोनों देशों के नेताओं को एक साथ लाता है।
- सामूहिक रूप से G-20 सदस्य विश्व के आर्थिक उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत, वैश्विक जनसंख्या का दो-तिहाई और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का तीन-चौथाई प्रतिनिधित्व करते हैं।
- G-20 की अध्यक्षता प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों के बीच बदलती रहती है। शिखर सम्मेलन में शामिल सभी नेता बैठक में हुई नीतिगत चर्चा के आधार पर एक घोषणापत्र जारी करते हैं।
- G-20 सम्मेलन को औपचारिक रूप से "वित्तीय बाजारों और विश्व अर्थव्यवस्था पर शिखर सम्मेलन"(Summit on Financial Markets and the World Economy) के रूप में जाना जाता है ।
- 14-15 नवंबर 2008 को G-20 समूह का पहला शिखर सम्मेलन वाशिंगटन डी.सी (संयुक्त राज्य अमेरिका) में आयोजित हुआ था।
- वर्ष 2022 में भारत 17 वें G-20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा।
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय राजव्यवस्था
पत्थलगड़ी अभियान
प्रीलिम्स के लिये:
पत्थलगड़ी अभियान, छोटानागपुर किरायेदारी एक्ट, 1908, संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996
मेन्स के लिये:
अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान, एवं निकाय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने वनों पर जनजातीय समुदायों के अधिकारों को प्रभावित करने वाले वनाधिकार अधिनियम, 2006 (Forest Rights Act, 2006) में किये गए संशोधनों को वापस ले लिया है।
पृष्ठभूमि:
- झारखंड की राज्य सरकार ने छोटानागपुर किरायेदारी एक्ट, 1908 (Chotanagpur Tenancy Act, 1908) और संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876 (Santhal Parganas Tenancy Act, 1876) में संशोधन कर भूमि अधिग्रहण के मानदंडों को आसान बनाने का प्रयास किया, जिससे समस्या और बढ़ गई।
- हालाँकि बाद में इन संसोधनों को वापस ले लिया गया।
- इस फैसले ने आदिवासी क्षेत्रों में पत्थलगड़ी की घटनाओं (Pathalgadi Movement) को जन्म दिया है जो वन अधिकार अधिनियम, 2006 और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 [Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act, 1996- PESA] के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।
छोटानागपुर किरायेदारी एक्ट, 1908
(Chotanagpur Tenancy Act, 1908)
- आदिवासियों के खिलाफ शोषण और भेदभाव के खिलाफ बिरसा मुंडा द्वारा किये गए संघर्ष के फलस्वरूप वर्ष 1908 में छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम पारित हुआ।
- इस अधिनियम ने आदिवासी भूमि को गैर-आदिवासियों के लिये पारित होने को प्रतिबंधित किया।
संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876
(Santhal Parganas Tenancy Act, 1876)
- संथाल परगना किरायेदारी एक्ट, 1876 बंगाल के साथ लगी झारखंड की सीमा में संथाल परगना गैर-आदिवासियों को आदिवासी भूमि की बिक्री पर रोक लगाता है।
पत्थलगड़ी अभियान के बारे में:
- झारखंड के कई गाँवों में गाँव की सीमा को इंगित करने , ग्राम सभा को एकमात्र संप्रभु प्राधिकरण घोषित करने तथा अपने क्षेत्र के बाहरी लोगों पर प्रतिबंध लगाने के लिये पत्थरों की पट्टिकाएं लगाई जाती हैं।
- इन पत्थरों को ही पत्थलगड़ी कहते हैं जो हरे रंग से रंगे होते हैं तथा इन पर संदेश लिखे होते हैं।
- इन संदेशों में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996 के अंश शामिल होते है तथा बाहरी लोगों को गाँव में प्रवेश न करने की चेतावनी होती है
- झारखंड राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों में पत्थलगड़ी एक सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा है।
- मुंडा जनजाति परंपरा के अनुसार एक विशाल पत्थर को जमीन में गाढ़ना एक व्यक्ति की मृत्यु का प्रतीक होता है।
- पत्थलगड़ी आंदोलन आदिवासी समुदाय के पूर्वजों को सम्मानित करने की परंपरा पर आधारित है।
- यह मुख्य रूप से राज्य के चार जिलों खूंटी, गुमला, सिमडेगा और पश्चिम सिंहभूम में केंद्रित है।
स्रोत: द हिंदू
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
जेलीफ़िश आकाशगंगा
प्रीलिम्स के लिये:
जेलीफिश आकाशगंगा
मेन्स के लिये:
जेलीफिश आकाशगंगा JW100 की अन्य आकाशगंगाओं से विविधता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एस्ट्रोसैट (Astrosat) द्वारा ‘अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT) का उपयोग करके JW100 नामक जेलीफ़िश आकाशगंगा (Jellyfish Galaxies) का अवलोकन किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- जेलीफ़िश एक प्रकार की आकाशगंगा है जो आकाशगंगा के समूहों में पाई जाती है।
- JW100 आकाशगंगाओं के समूह ‘क्लस्टर एबेल’ (Cluster Abell) 2626’ में स्थित है।
जेली फिश गैलेक्सी क्या है
- जेलीफिश समुद्र का एक जिलेटिनयुक्त जीव है। जेलीफ़िश को यह नाम इसलिये दिया गया है क्योंकि यह डिस्क के आकार की होती है तथा इसमें से कई भुजानुमा तंतु बाहर की ओर निकले होते हैं।
- इसका डिस्क जैसा आकार विभिन्न आकाशगंगाओं के एक घने क्षेत्र में भ्रमण करने तथा टकराने से हुआ है।
- गुरुत्वाकर्षण बल के कारण जब एक आकाशगंगा, आकाशगंगा समूह में भ्रमण करती है तो डिस्क के अंदर की ठंडी गैस क्लस्टर के गर्म प्लाज़्मा के साथ संपर्क में आती है तब प्लाज़्मा एक मज़बूत हवा के रूप में डिस्क की ठंडी गैस को अपनी तरफ खींचता है। इस क्रिया के परिणामस्वरूप आकाशगंगा के तंतुओं का निर्माण होता है।
- सामान्यतः तारों का निर्माण आकाशगंगा के डिस्क में होता है परंतु जेलीफिश आकाशगंगाओं में तारों का निर्माण इसकी तंतुनुमा भुजाओं में भी होता है।
बहु-तरंग आयाम पर आधारित शोध
- जेलीफ़िश आकाशगंगाओं का अवलोकन विभिन्न दूरबीनों द्वारा किया जा रहा है जो प्रत्येक विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम/वर्णक्रम के विभिन्न भागों के प्रति संवेदनशील हैं।
- JW100 आकाशगंगा में तारों के निर्माण का अवलोकन चिली में स्थित ‘म्यूस इंटीग्रल फील्ड स्पेक्टोग्राफ’ (MUSE Integral Field Spectrograph) तथा एस्ट्रोसैट के UVIT का उपयोग करके किया गया है।
रहस्यमयी व्यवहार
- जेलीफ़िश आकाशगंगा अपने अभिविन्यास के कारण भिन्न होती हैं हम इन्हें किनारे से देखते हैं ताकि इसके गैस तंतु हमारे दृश्य क्षेत्र के लंबवत रहें।
- यह अन्य जेलीफ़िश आकाशगंगाओं से इसलिये भी अलग है क्योंकि अन्य जेलीफिश आकाशगंगाओं की अपेक्षा इसके तंतुओं का अवलोकन पराबैंगनी किरणों के आधार पर किया जाता है।
- जेलिफ़िश आकाशगंगा में एक ही समय में कई क्रियाएँ होती रहती हैं। इनमें से कई विभिन्न घटनाओं के साथ संबंधित होती हैं।
- इस अवलोकन में JW100 में होने वाली क्रियाओं में से कुछ क्रियाओं पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है, जिससे विभिन्न घटकों का पता लगता है।
स्रोत: द हिंदू
भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक समावेशी समृद्धि सूचकांक
प्रीलिम्स के लिये:
वैश्विक समावेशी समृद्धि सूचकांक, PICSA
मेन्स के लिये:
आर्थिक और सामाजिक समावेश संबंधी मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तरी स्पेन के बिलबाओ में पहली बार ‘प्रॉस्पेरिटी एंड इन्क्लूजन सिटी सील एंड अवार्ड्स’ (Prosperity and Inclusion City Seal and Awards- PICSA) सूचकांक जारी किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- सूचकांक में वैश्विक आर्थिक और सामाजिक समावेश के मामले में विश्व के शीर्ष 113 शहरों में 3 भारतीय शहरों को स्थान दिया गया है।
- इस सूची में बंगलुरु 83वें, दिल्ली 101वें और मुंबई 107वें स्थान पर हैं।
- समावेशी समृद्धि सूचकांक में शीर्ष तीन स्थानों पर क्रमशः ज्यूरिख, वियना और कोपेनहेगन है।
- इस सूची में बिलबाओ को 20वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
- शीर्ष 20 शहरों को समावेशी समृद्धि के निर्माण के लिये PICSA सील से सम्मानित किया गया।
- चीनी गणराज्य का ताइपे शहर (6) एकमात्र एशियाई शहर है जो शीर्ष 20 शहरों में स्थान बना सका है।
- दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल लंदन और न्यूयॉर्क क्रमशः 33वें और 38वें स्थान पर रहे।
- सूची में सबसे निचले पायदान पर मिस्र की राजधानी काहिरा (113) है।
वैश्विक समावेशी समृद्धि सूचकांक:
- यह सूचकांक बास्क संस्था की ओर से डी एंड एल पार्टनर्स (D&L Partners) ने तैयार किया है।
- यह सूचकांक किसी शहर का केवल आर्थिक विकास ही नहीं , बल्कि विकास की गुणवत्ता और जनसंख्या के बीच इसके वितरण को भी दर्शाता है।
- इसके तहत अर्थव्यवस्था में लोगों की स्थिति का समग्र रूप से अध्ययन किया गया।
- इस सूचकांक में अध्ययन को 3 पिलर्स के अंतर्गत श्रेणीबद्ध किया गया है।
- पिलर 1 के अंतर्गत आय, आय का वितरण, शिक्षा और नौकरी संबंधी अवसरों की उपलब्धि शामिल है।
- पिलर 2 में अलग अलग सामजिक समूहों की समाज में भागीदारी को शामिल किया गया है।
- पिलर 3 लोगों के जीवन की गुणवत्ता, आवासीय सामर्थ्य और शहरों के आधारभूत ढाँचे से संबंधित है।
स्रोत-द हिंदू
जैव विविधता और पर्यावरण
ऑपरेशन ‘क्लीन आर्ट’
प्रीलिम्स के लिये:
ऑपरेशन क्लीन आर्ट
मेन्स के लिये:
वन्यजीव संरक्षण संबंधी मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ऑपरेशन क्लीन आर्ट के तहत देश भर में नेवले के बालों से पेंट ब्रश बनाने वाले कई कारखानों को बंद कर दिया गया।
प्रमुख बिंदु:
- नेवले के बालों के गैरकानूनी व्यापार को रोकने के लिये वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau- WCCB) द्वारा ऑपरेशन क्लीन आर्ट (Operation Clean Art) चलाया गया।
- इस अभियान के तहत विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में नेवले के बालों से बने ब्रश बरामद किये गए।
- नेवले के बालों से ब्रश बनाना संगठित अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, नेवले के बालों की तस्करी में कोरियर कंपनियों की सेवाएं प्रयोग की जाती है।
- पूरे देश में नेवलों की कुल 6 प्रजातियाँ पाई जाती हैं. जिनमें- इंडियन ग्रे, स्माॅल इंडियन, रूडी, केकड़ा खाने वाले, धारीदार गर्दन वाले और भूरे नेवले शामिल हैं।
- भारत में सबसे अधिक संख्या में इंडियन ग्रे नेवले पाए जाते हैं, इनका शिकार भी सबसे अधिक संख्या में किया जाता है।
- अधिकांश ब्रशों का निर्माण उत्तर प्रदेश के शेरकोट में किया जाता है, इसे ब्रश उत्पादन की राजधानी कहते हैं।
- नेवलों को भारत के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के भाग 2 के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
- इसके अंतर्गत नेवले पालने, शिकार करने और इनका व्यापार करने के लिये सात साल तक के कारावास का प्रावधान है।
- यह लुप्तप्राय प्रजाति की वनस्पतियों और वन्य जीवों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी अभिसमय (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) द्वारा भी संरक्षित हैं।
- पारंपरिक शिकारी समुदाय नेवले के बालों के मुख्य आपूर्तिकर्त्ता हैं।
- इनमें तमिलनाडु के नारिकुरुवास, कर्नाटक के हक्की पक्की, आंध्र के गोंड , मध्य और उत्तरी भारत के गुलिअस, सेपरस और नाथ समुदाय शामिल हैं।
स्रोत- द हिंदू
विविध
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (02 दिसंबर)
विश्व एड्स दिवस
दुनियाभर में जानलेवा रोग एड्स (AIDS-Acquire Immuno Deficiency Syndrome) के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिये प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस का आयोजन किया जाता है। यह HIV (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण से होने वाला रोग है। विश्व एड्स दिवस 2019 की थीम- कम्युनिटीज़ मेक द डिफरेंस (Communities Make the Difference) है। सरकार इसकी रोकथाम के लिये राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत रोकथाम, परीक्षण और उपचार की त्रिस्तरीय रणनीति अपनाई जाती है। वर्ष 2030 तक एड्स के खात्मे का सतत् विकास लक्ष्य हासिल करने के लिये सरकार ने वर्ष 2017 से वर्ष 2024 तक सात वर्षीय राष्ट्रीय कार्य नीति योजना भी तैयार की है। इसके अलावा सरकार ने नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) भी बनाया है।
विदित है कि भारत में वर्ष 1986 में एड्स का पहला मामला सामने आया था। सभी के संगठित प्रयासों का ही नतीजा है कि देश में HIV/AIDS के नए मामलों में लगभग 90 प्रतिशत तक की कमी आई है। वर्ष 2017 के आँकड़ों के अनुसार देश में 21 लाख 40 हज़ार लोग एड्स के ग्रस्त हैं।
सीमा सुरक्षा बल स्थापना दिवस
प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को सीमा सुरक्षा बल (BSF-Border Security Force) अपना स्थापना दिवस मनाता है। इस वर्ष BSF अपना 55वाँ स्थापना दिवस मना रहा है। घुसपैठ, तस्करी और सैन्य हमलों के खिलाफ फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस के तौर पर भारतीय सीमाओं की रक्षा करने के विशेष उद्देश्य के मद्देनज़र वर्ष 1965 में BSF की स्थापना की गई थी। BSF भारत का सबसे प्रमुख अर्द्धसैनिक बल है। इस समय BSF की 188 बटालियन में लगभग 2.57 लाख से ज्यादा कर्मी तैनात है, जिनका मुख्य उद्देश्य देश की 6,385 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करना हैं। इधर BSF का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है, सीमाओं की सुरक्षा के अलावा देश की आंतरिक समस्याओं से निपटने में भी इस बल का इस्तेमाल होता रहा है; नक्सल विरोधी अभियानों में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा BSF प्राकृतिक आपदाओं और संकट की स्थिति के दौरान नागरिकों की सहायता करता है। BSF गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
उ.प्र. का जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
राज्य के गौतमबुद्ध नगर जनपद में बनने वाले देश के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे जेवर को बनाने का ठेका ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी को मिला है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूसरा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा। अभी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से विमानों का संचालन हो रहा है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से प्रस्तावित जेवर हवाई अड्डे की दूरी 80 किलोमीटर है। यह एयरपोर्ट यमुना एक्सप्रेस-वे के जेवर टोल प्लाजा से काफी नज़दीक होगा। इस एयरपोर्ट के निर्माण से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों और विमानों की संख्या का दबाव कम होगा। इस हवाई अड्डे को बनाने के लिये चार कंपनियों ने बोली लगाई थी, जिसमें अडानी समूह, एनकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट होल्डिंग लिमिटेड और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) शामिल थे। जेवर हवाई अड्डे का नाम नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट होगा। जेवर हवाई अड्डों का क्षेत्रफल लगभग 5,000 हेक्टेयर होगा। इसके निर्माण में 29,560 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है। पूरी तरह बन जाने के बाद यह भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा। इस पर छह से आठ रनवे होंगे जो भारत में स्थित सभी हवाई अड्डों में सबसे ज्यादा होंगे। हवाई अड्डे का पहला चरण 1,334 हेक्टेयर में फैला होगा और इस पर 4,588 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका पहला चरण वर्ष 2023 में पूरा होने की उम्मीद है।
हरित फिल्मोत्सव
हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण पर लघु फिल्म प्रतियोगिता के पुरस्कार प्रदान किये। नई दिल्ली में आयोजित समारोह में विद्यार्थियों और पेशेवर फिल्मकारों को उनकी फिल्मों और वृत्तचित्रों के लिये पुरस्कार दिये गए। चार दिन के हरित फिल्मोत्सव में चुनिंदा फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। 10वें सीएमएस वातावरण फिल्म महोत्सव में 90 फिल्मों को निर्णायक समिति के समक्ष स्क्रीनिंग के लिये चयनित किया गया था। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से आयोजित इस ‘हरित फिल्म महोत्सव’ में भारत के साथ-साथ स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, कनाडा, नेपाल, अर्जेंटीना, अमेरिका, नीदरलैंड, ईरान, इज़रायल, नॉर्वे, जर्मनी और न्यूजीलैंड शामिल हैं। गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस वर्ष जून में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हरित फिल्मोत्सव की घोषणा की थी।
सैयद मोदी अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट
लखनऊ में खेले गए सैयद मोदी अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन टूर्नामेंट के फाइनल में भारत के सौरभ शर्मा को विश्व के 22वें नंबर के चीनी खिलाड़ी ताइपे के वांग जु वेई ने 21-15, 21-17 से हराकर पुरुष एकल वर्ग का खिताब जीत लिया। सौरभ शर्मा को विश्व में 36वीं वरीयता प्राप्त है। सौरभ शर्मा ने इस साल बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए तीन खिताब जीते हैं। इनमें स्लोवेनिया इंटरनेशनल चैलेंजर, हैदराबाद ओपन सुपर 100 और वियतनाम ओपन शामिल हैं। महिला वर्ग में रियो ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता स्पेन कैरोलिना मारिन ने चौथी वरीयता प्राप्त थाइलैंड की फितायापोन चाइवान को हराकर चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
ध्यातव्य है कि सैयद मोदी 1980 में भारतीय बैडमिंटन जगत के प्रमुख खिलाड़ी रहे। वर्ष 1980 से 1987 तक वे नेशनल चैंपियन रहे तथा कई अंतर्राष्ट्रीय खिताबों के अलावा वर्ष 1982 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने एकल खिताब जीता। 28 जुलाई 1988 को लखनऊ में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।
मुश्ताक अली क्रिकेट ट्रॉफी
कर्नाटक ने बेहद रोमांचक फाइनल मुकाबले में तमिलनाडु को एक रन से मात देकर लगातार दूसरी बार सैयद मुश्ताक टी-20 टूर्नामेंट ट्रॉफी जीत ली है। कर्नाटक ने पहले पाँच विकेट पर 180 रन बनाए और फिर तमिलनाडु को छह विकेट पर 179 रन पर रोक दिया। विदित है कि इससे पहले इसी वर्ष अक्तूबर में कर्नाटक ने तमिलनाडु को 60 रन से हराकर विजय हजारे ट्रॉफी पर भी कब्जा किया था। भारतीय घरेलू क्रिकेट में यह पहला मौका था जब विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल में खेलने वाले दोनों टीमें सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी आमने-सामने थीं।
मुश्ताक अली 1930-40 के दशक में भारतीय टीम के सदस्य थे। वे पहले भारतीय क्रिकेटर थे जिन्होंने विदेशी धरती (1936 में इंग्लैंड के ओल्ड ट्रैफर्ड में 112 रन) पर शतक जमाया था।