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  • 01 Nov, 2022
  • 30 min read
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शासन व्यवस्था

भारत में अंधविश्वास विरोधी कानून

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, आईपीसी, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ अधिनियम 1954

मेन्स के लिये:

भारत में अंधविश्वास विरोधी कानून की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

केरल में दो महिलाओं की 'कर्मकांडवादी मानव बलि' के तहत नृशंस हत्याओं ने देश को सदमे में डाल दिया है।

  • इन हत्याओं ने भारत में अंधविश्वास, काला जादू और जादू-टोना की व्यापकता के बारे में एक बहस छेड़ दी है।

अंधविश्वास:

  • यह अज्ञान अथवा भय से संबंधित एक विश्वास है और अलौकिक के प्रति जुनूनी श्रद्धा इसकी विशेषता है।
  • ‘Superstition ' शब्द लैटिन शब्द 'सुपरस्टिटियो' से लिया गया है, जो ईश्वर के अत्यधिक भय को इंगित करता है।
  • अंधविश्वास देश, धर्म, संस्कृति, समुदाय, क्षेत्र, जाति या वर्ग-विशिष्ट नहीं होता हैं, इसका स्तर व्यापक है और यह दुनिया के हर कोने में पाया जाता है।

काला जादू:

  • काला जादू, जिसे जादू-टोना के रूप में भी जाना जाता है, दुष्ट और स्वार्थी उद्देश्यों के लिये अलौकिक शक्ति का उपयोग है तथा किसी को शारीरिक या मानसिक या आर्थिक नुकसांन पहुँचाने के लिये दुर्भावनापूर्ण कार्य करना है।
  • यह कार्य पीड़ित के बाल, कपड़े, फोटो आदि का उपयोग करके किया जा सकता है।

भारत में अंधविश्वास से होने वाली हत्याएँ कितनी व्यापक हैं?

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की रिपोर्ट में भारत में 6 लोगों की मृत्यु का कारण मानव बलि और 68 लोगों की मृत्यु का कारण जादू-टोना बताया गया है।
  • जादू टोना के सबसे अधिक मामले छत्तीसगढ़ (20), उसके बाद मध्य प्रदेश (18) और तेलंगाना (11) में दर्ज किये गए।
  • NCRB की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में भारत में जादू टोना के कारण 88 मौतें और 11 लोगों की मौत 'मानव बलि' के कारण हुई।

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भारत में इससे संबंधित कानून:

  • भारत में जादू टोना और अंधविश्वास से संबंधित अपराधों के लिये कोई समर्पित केंद्रीय कानून नहीं है।
  • वर्ष 2016 में लोकसभा में डायन-शिकार निवारण विधेयक (Prevention of Witch-Hunting Bill) लाया गया था लेकिन यह पारित नहीं हुआ था।
    • मसौदा प्रावधानों में किसी महिला पर डायन का आरोप लगाने या महिला के खिलाफ आपराधिक बल का उपयोग करने या जादू-टोना करने के बहाने यातना देने या अपमान करने के लिये दंड का प्रावधान किया गया।
  • आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 302 (हत्या की सज़ा) के तहत मानव बलि को शामिल किया गया है (लेकिन हत्या होने के बाद ही)। इसी तरह धारा 295A ऐसी प्रथाओं को हतोत्साहित करती है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51A (h) भारतीय नागरिकों के लिये वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद और सुधार की भावना को विकसित करना एक मौलिक कर्त्तव्य बनाता है।
  • ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट, 1954 के तहत अन्य प्रावधानों का भी उद्देश्य भारत में प्रचलित विभिन्न अंधविश्वासी गतिविधियों में कमी लाना है।

राज्य-विशिष्ट कानून:

  • बिहार:
    • बिहार पहला राज्य था जिसने जादू-टोना रोकने, एक महिला को डायन के रूप में चिह्नित करने और अत्याचार, अपमान तथा महिलाओं की हत्या को रोकने हेतु कानून बनाया था।
    • द प्रिवेंशन ऑफ विच (डायन) प्रैक्टिस एक्ट अक्तूबर 1999 में प्रभाव में आया।
  • महाराष्ट्र:
    • वर्ष 2013 में महाराष्ट्र मानव बलि और अन्य अमानवीय कृत्य की रोकथाम एवं उन्मूलन अधिनियम पारित किया ताकि राज्य में अमानवीय प्रथाओं तथा काला जादू आदि को प्रतिबंधित किया जा सके।
    • इस कानून का एक खंड विशेष रूप से 'godman’ (स्वयं को इश्वर के समकक्ष मानने वाले) द्वारा किये गए दावों से संबंधित है जो दावा करते हैं कि उनके पास अलौकिक शक्तियाँ हैं।
  • कर्नाटक:
    • कर्नाटक ने वर्ष 2017 में अंधविश्वास विरोधी कानून को प्रभाव में लाने का कार्य किया, जिसे अमानवीय प्रथाओं और काला जादू रोकथाम एवं उन्मूलन अधिनियम के रूप में जाना जाता है।
    • यह अधिनियम धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी "अमानवीय" प्रथाओं का व्यापक रूप से विरोध करता है।
  • केरल:
    • केरल में काला जादू और अन्य अंधविश्वासों से निपटने के लिये कोई व्यापक अधिनियम नहीं है।

देशव्यापी अंधविश्वास विरोधी अधिनियम की आवश्यकता:

  • इस तरह की प्रथाओं को अबाध रूप से जारी रखने की अनुमति देना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत क्रमशः किसी व्यक्ति की समानता के मौलिक अधिकार और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
  • इस तरह के कृत्य विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय विधानों के कई प्रावधानों का भी उल्लंघन करते हैं, जिनमें भारत एक हस्ताक्षरकर्त्ता है, जैसे 'मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948', 'नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता, 1966' और ''महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के सभी रूपों के उन्मूलन पर अभिसमय, 1979।
  • भारत के केवल आठ राज्यों में अब तक डायन-शिकार निवारण विधेयक कानून हैं।
    • इनमें बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, असम, महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं।
  • अंधविश्वासों से निपटने के उपायों के अभाव में अवैज्ञानिक और तर्कहीन प्रथाओं जैसे उपचार के तरीके पर विश्वास, एवं चिकित्सा प्रक्रियाओं के बारे में गलत जानकारी भी बढ़ सकती है, जो सार्वजनिक व्यवस्था एवं नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है।

आगे की राह

  • यह याद रखना उचित है कि इस सामाजिक मुद्दे से निपटने के लिये कानून लाने का मतलब केवल आधी लड़ाई जीतना होगा।
  • सूचना अभियानों के माध्यम से इस तरह की प्रथाओं से जुड़े मिथकों को दूर करने के लिये समुदाय/धार्मिक विद्वानों को शामिल करके जनता के बीच जागरूकता बढ़ाकर सुधार किये जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

केंद्र ने लगाया ग्लाइफोसेट के उपयोग पर प्रतिबंध

प्रिलिम्स के लिये:

ग्लाइफोसेट, शाकनाशी, कीटनाशक अधिनियम 1968

मेन्स के लिये:

शाकनाशी व कीटनाशकों के उपयोग से संबंधित पर्यावरण और स्वास्थ्य समस्याएँ।

चर्चा में क्यों?

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य संबंधी खतरों का हवाला देते हुए व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले शाकनाशी ग्लाइफोसेट के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है।

  • नई अधिसूचना में कहा गया है कि कंपनियों को इसके निर्माण या बिक्री के लिये प्राप्त होने वाले रसायन के पंजीकरण के सभी प्रमाण पत्र अब पंजीकरण समिति को वापस करने होंगे।
  • ऐसा न करने पर कीटनाशक अधिनियम 1968 के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी।

ग्लाइफोसेट:

  • परिचय:
    • ग्लाइफोसेट एक खरपतवारनाशी है तथा इसका IUPAC नाम N-(phosphonomethyl) Glycine है। इसका सर्वप्रथम प्रयोग 1970 में शुरू किया गया था। फसलों तथा बागानों में उगने वाले अवांछित घास-फूस को नष्ट करने के लिये इसका व्यापक पैमाने पर उपयोग होता है।
  • अनुप्रयोग:
    • खरपतवारों को समाप्त करने के लिये इसका प्रयोग पौधों की पत्तियों पर किया जाता है।
  • भारत में उपयोग:
    • पिछले दो दशकों में चाय बागान मालिकों द्वारा ग्लाइफोसेट को अत्यधिक स्वीकार किया गया था। पश्चिम बंगाल और असम के चाय उत्पादन क्षेत्र में इसका बाज़ार आकार काफी अधिक है।
    • वर्तमान में इसकी खपत महाराष्ट्र में सबसे अधिक है क्योंकि यह गन्ना, मक्का और कई फलों की फसलों में एक प्रमुख शाकनाशी के रुप में प्रयोग होता है।

संबंधित  चिंताएँ:

  • स्वास्थ्य प्रभाव:
    • ग्लाइफोसेट के स्वास्थ्य प्रभाव कैंसर, प्रजनन और विकासात्मक विषाक्तता से लेकर न्यूरोटॉक्सिसिटी एवं इम्यूनोटॉक्सिसिटी से संबंधित होते हैं।  
      • इसके लक्षणों में सूजन, त्वचा में जलन, मुँह और नाक में परेशानी, स्वाद में कमी होना और धुँधली दृष्टि होना शामिल हैं।  
    • कुल 35 देशों ने ग्लाइफोसेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है या इसे निषेध कर दिया है।
      • इनमें श्रीलंका, नीदरलैंड, फ्राँस, कोलंबिया, कनाडा, इज़रायल और अर्जेंटीना शामिल हैं।
  • अवैध उपयोग:
    • भारत में ग्लाइफोसेट को केवल चाय के बागानों और चाय की फसल के साथ गैर-रोपण क्षेत्रों में उपयोग के लिये अनुमोदित किया गया है। इसके अतिरिक्त पदार्थ का उपयोग अवैध है।
    • हालाँकि देश में ग्लाइफोसेट के उपयोग की स्थिति पर पेस्टिसाइड एक्शन नेटवर्क (PAN) इंडिया द्वारा वर्ष 2020 के एक अध्ययन में चिंताजनक निष्कर्ष दिये थे, ग्लाइफोसेट का उपयोग 20 से अधिक फसल क्षेत्रों में किया जा रहा था।
    • खरपतवारनाशी का उपयोग करने वालों में से अधिकांश ऐसा करने के लिये प्रशिक्षित नहीं थे और उनके पास उचित सुरक्षा सावधानियाँ नहीं थीं।
  • खेतों की कृषि पारिस्थितिक प्रकृति को खतरा:
    • गैर-निर्दिष्ट क्षेत्रों में ग्लाइफोसेट के बड़े पैमाने पर उपयोग के गंभीर परिणाम हैं।
    • भारत में ग्लाइफोसेट के निरंतर उपयोग की अनुमति देने से शाकनाशी सहिष्णु फसलों में इसका व्यापक उपयोग होगा।
    • यह लोगों जानवरों और पर्यावरण पर विषाक्त प्रभाव फैलाने के अलावा भारतीय खेतों की कृषि संबंधी प्रकृति को खतरे में डालेगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में कार्बोफ्यूरन, मिथाइल पैराथियोन, फोरेट और ट्रायज़ोफोस के उपयोग को आशंका के साथ देखा जाता है। इनका उपयोग किया जाता है: (2019)

(a) कृषि में कीटनाशक
(b) प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में परिरक्षक
(c) फल पकाने वाले कारक
(d) सौंदर्य प्रसाधनों में मॉइस्चराइजिंग कारक

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये कृषि विभाग, केरल ने वर्ष 2011 से लगभग 17 कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
  • प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची:
    • कीटनाशक: कार्बोफ्यूरन, मिथाइल डेमेटन, मिथाइल पैराथियन, मोनोक्रोटोफॉस, फोरेट, मिथाइलमोल, प्रोफेनोफोस, ट्रायजोफोस, एंडोसल्फान
    • कवकनाशक: एमईएमसी, एडिफेनफोस, ट्राईसाइक्लाज़ोल, ऑक्सीथियोक्विनॉक्स
    • खरपतवारनाशक: अनिलोफोस, पैराक्वाट, थियोबेनकार्ब, एट्राजीन

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

DNA टेस्ट की बढ़ती मांग

प्रिलिम्स के लिये:

डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA), DNA परीक्षण, DNA तकनीक।

मेन्स के लिये:

डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA), DNA परीक्षण का महत्त्व और DNA तकनीक।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अदालती मामलों में डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) टेस्ट के बढ़ते उपयोग पर चिंता व्यक्त की है।

शामिल मुद्दे:

  • बड़ी संख्या में की गई शिकायतों में DNA परीक्षण की मांग की गई है। सरकारी प्रयोगशाला के अनुसार ऐसी मांगें सालाना लगभग 20% बढ़ रही हैं।
  • हालाँकि DNA प्रौद्योगिकी पर निर्भर 70 अन्य देशों की तुलना में भारतीय प्रयोगशालाओं द्वारा वार्षिक तौर पर किये जाने वाले 3,000- DNA परीक्षण महत्त्वहीन हैं, मांग में वृद्धि गोपनीयता और संभावित डेटा दुरुपयोग के संबंध में चिंता का विषय है।
  • न्याय के दायरे में DNA परीक्षण हमेशा से संदेहों के दायरे में रहा है, सत्य को उजागर करने के लिये यह एक लोकप्रिय आवश्यकता बना हुआ है चाहे वह किसी आपराधिक मामले के साक्ष्य के रूप में हो, वैवाहिक बेवफाई का दावा हो या पितृत्व को साबित करने और व्यक्तिगत गोपनीयता पर आत्म-अपराध एवं अतिक्रमण के जोखिम के रूप में हो।
  • यह न्याय की प्रक्रिया में सुधार के लिये प्रौद्योगिकी के विस्तार पर ध्यान देता है लेकिन यह लोगों की गोपनीयता का भी उल्लंघन करता है।
    • अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के हिस्से के रूप में सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया कि शारीरिक स्वायत्तता और निजता मौलिक अधिकार का हिस्सा हैं।
  • परिचय:
    • डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) जटिल आणविक संरचना वाला एक कार्बनिक अणु है।
    • DNA अणु की किस्में मोनोमर न्यूक्लियोटाइड्स की एक लंबी शृंखला से बनी होती हैं। यह एक डबल हेलिक्स संरचना में व्यवस्थित है।
    • जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक ने खोजा कि DNA एक डबल-हेलिक्स पॉलीमर है जिसे वर्ष 1953 में बनाया गया था।
    • यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीवों की आनुवंशिक विशेषता के हस्तांतरण के लिये आवश्यक है।
    • DNA का अधिकांश भाग कोशिका के केंद्रक में पाया जाता है इसलिये इसे केंद्रीय DNA कहा जाता है।

DNA

DNA चार नाइट्रोजनी क्षारों से बने कोड के रूप में डेटा को स्टोर करता है।

  • प्यूरीन:
    • एडेनिन (A)
    • गुआनिन (G)
  • पाइरिमिडीन
    • साइटोसिन (C)
    • थाइमिन (T)

DNA परीक्षण का उपयोग

  • परित्यक्त माताओं और बच्चों से जुड़े मामलों की पहचान करने एवं उन्हें न्याय दिलाने के लिये DNA परीक्षण आवश्यक है।
  • यह नागरिक विवादों में भी अत्यधिक प्रभावी तकनीक है जब अदालत को रखरखाव के मुद्दे को निर्धारित करने और बच्चे के माता-पिता की पहचान करने की आवश्यकता होती है।

विगत मामलों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित उदाहरण:

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्षों से स्थापित किये गए उदाहरण बताते हैं कि न्यायाधीश आनुवंशिक परीक्षणों के लिये "रोविंग इंक्वायरी" के रूप में आदेश नहीं दे सकते हैं (भबानी प्रसाद जेना, 2010 मामला)।
  • बनारसी दास वाद, 2005 में, यह माना गया कि DNA परीक्षण को पक्षकारों के हितों को संतुलित करना चाहिये। DNA परीक्षण उस स्थिति में नहीं किया जाना चाहिये यदि मामले को साबित करने के लिये अन्य भौतिक साक्ष्य उपलब्ध हों।
  • न्यायालय ने अशोक कुमार मामला, 2021 में अपने फैसले में कहा कि आनुवंशिक परीक्षण का आदेश देने से पहले अदालतों को "वैध उद्देश्यों की आनुपातिकता" पर विचार करना चाहिये।
  • के.एस. पुट्टस्वामी मामला (2017) में संविधान पीठ के फैसले ने पुष्टि की कि निजता का अधिकार जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का एक बुनियादी पहलू है, इसने निजता के तर्क को सुदृढ़ किया है।
  • एक महिला से जुड़े मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया कि किसी को अपनी मर्जी के खिलाफ DNA टेस्ट कराने के लिये मजबूर करना उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)  

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किये जा सकते हैं।
  2.  व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।
  3.  मानव प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्वेशित किया जा सकता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • जर्मलाइन जीन थेरेपी अंडे या शुक्राणु कोशिकाओं में जीन का प्रतिस्थापन है जिसके साथ संतान को एक नया गुण आनुवंशिक आधार पर मिलता है। यह बीमारी पैदा करने वाले जीन वेरिएंट के सुधार की अनुमति देता है जो कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक निश्चित रूप से स्थानांतरित होते रहते हैं। अत: कथन 1 सही है।
  • CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट) तकनीक का उपयोग मानव भ्रूण को महिलाओं के गर्भाशय में स्थानांतरित करने से पहले संशोधित करने के लिये किया जाता है। हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने सफलतापूर्वक दुनिया के पहले आनुवंशिक रूप से संपादित (Genetically Edited) बच्चे को बनाया था। CRISPR तकनीक का उपयोग करके भ्रूण के जीनोम को एक जीन, CCR5 को निष्क्रिय करने के लिये संपादित किया गया, जो HIV को कोशिकाओं को संक्रमित करने की अनुमति देता है। अत: कथन 2 सही है।
  • मनुष्यों के साथ कुछ साझा शारीरिक विशेषताओं के कारण सुअर को मानव रोगों का एक महत्त्वपूर्ण पशु मॉडल माना जाता है, जिसमें सर्जरी और ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन अध्ययन में अद्वितीय लाभ होते हैं। अत: कथन 3 सही है।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

भारत का सबसे बड़ा हाइपरस्केल डेटा सेंटर

प्रिलिम्स के लिये:

5G, Yotta D1, NIC, ई-गवर्नेंस

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय डेटा केंद्र नीति की आवश्यकता, ई-गवर्नेंस में डेटा केंद्रों की भूमिका।

चर्चा में क्यों?

 उत्तर भारत के पहले हाइपरस्केल डेटा सेंटर 'योट्टा D1' का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य ने अपनी डेटा सेंटर नीति शुरू करने के एक साल के भीतर 20,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 250 मेगावाट भंडारण क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य हासिल किया है।

योट्टा D1 (Yotta D1):

  • परिचय:
    • 5,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया Yotta D1, देश का सबसे बड़ा और उत्तर प्रदेश का पहला डेटा सेंटर है।
      • यह डेटा सेंटर पार्क, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में 3 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • महत्त्व:
    • डेटा सेंटर देश की डेटा भंडारण क्षमता को बढ़ाएगा, जो अब तक केवल 2% थी, जबकि इस तथ्य के बावजूद कि दुनिया का 20% डेटा भारतीयों द्वारा उपभोग किया जाता है।
    • निवेश और विशाल रोज़गार के नए अवसर पैदा करते हुए इससे सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) में उल्लेखनीय वृद्धि होने की भी उम्मीद है।
    • Yotta D1 में वैश्विक क्लाउड ऑपरेटरों के लिये इंटरनेट पीयरिंग एक्सचेंज और डायरेक्ट फाइबर कनेक्टिविटी की सुविधा है, जो इसे वैश्विक कनेक्टिविटी के लिये बेहद उपयोगी बनाता है।
      • Yotta D-1 उत्तर भारत की 5G क्रांति का पहला स्तंभ होगा।
    • भारत का डेटा एनालिटिक्स उद्योग वर्ष 2025 तक 16 बिलियन डॉलर से अधिक पहुँचने का अनुमान है। इसलिये डेटा सेंटर इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देना सही दिशा में एक कदम है।
    • डेटा पार्क की मौजूदगी से गूगल और ट्विटर जैसी बड़ी कंपनियों को डेटा को होस्ट करने, संसाधित करने एवं संग्रहीत करने के लिये डेटा केंद्र स्थापित करने की अनुमति मिल जाएगी।
      • इस केंद्र से 5जी और एज़ डेटा सेंटर शुरू होने से उपभोक्ताओं को तेज़ गति से वीडियो और बैंकिंग सुविधाओं तक आसान पहुँच प्राप्त होगी।

भारत के डेटा उद्योग की विकास यात्रा: 

  • कोविड-19 का प्रभाव:
    • भारतीय डेटा सेंटर बाज़ार वर्तमान में 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और कोविड -19 संकट ने डेटा सेंटर व्यवसाय को एक अप्रत्याशित गति और विस्तार प्रदान किया।
    • विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी अपनाने के साथ ही डिजिटलीकरण को विश्व स्तर पर तेज़ी से विस्तारित किया गया और भारत ने भी विगत कुछ वर्षों में कम-से-कम एक दशक की छलाँग लगाई है।
    • लॉकडाउन और उसके बाद के प्रतिबंध बैंकिंग, शिक्षा एवं खरीदारी आदि जैसे क्षेत्रों में डिजिटलीकरण हेतु काफी सहायक बने।
      • इससे देश भर में डेटा खपत और इंटरनेट बैंडविड्थ का उपयोग बढ़ गया।
  • NIC डेटा सेंटर:
    • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने दिल्ली, पुणे, हैदराबाद और भुवनेश्वर में NIC मुख्यालयों एवं विभिन्न राज्यों की राजधानियों में 37 छोटे डेटा केंद्रों में अत्याधुनिक राष्ट्रीय डेटा केंद्र (NDC) स्थापित किये हैं।
      • पहला डेटा सेंटर 2008 में हैदराबाद में शुरू किया गया था।
    • ये NDC भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न ई-गवर्नेंस पहलों के तहत सेवाएँ प्रदान करने भारत में ई-गवर्नेंस अवसंरचना की मूल हैं।
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र (NEDC) के लिये पहले NDC की आधारशिला फरवरी 2021 में गुवाहाटी, असम में रखी गई थी।
  • वर्तमान और आगामी डेटा केंद्र:
    • वर्तमान में भारत में लगभग 138 डेटा केंद्र हैं, जिनमें वर्तमान आईटी क्षमता का 57% मुंबई और चेन्नई में है।
      • मुंबई भारत का प्रमुख कॉलोकेशन डेटा सेंटर क्षेत्र है, जो पश्चिमी तट पर अवस्थित है, यह जल के नीचे वहाँ पहुँचने वाले विभिन्न केबलों के माध्यम से मध्य-पूर्व और यूरोप से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
    • भारतीय डेटा सेंटर उद्योग की क्षमता में पाँच गुना वृद्धि होने की उम्मीद है जिसमें आने वाले पाँच वर्षों में 1.05-1.20 लाख करोड़ रुपए का निवेश शामिल है।
      • वर्ष 2025 के अंत तक भारत में 45 से अधिक डेटा केंद्र स्थापित करने की योजना है।
      • अनुमानित नई आईटी क्षमता (लगभग 1,015 मेगावाट) का 69% से अधिक केवल मुंबई में 51% के साथ मुंबई और चेन्नई में बनाया जाएगा।
      • इससे भारत में लगभग 2,688 मेगावाट अप्रत्याशित भावी आपूर्ति की अतिरिक्त संभावना है।
  • डेटा केंद्रों के लिये कानूनी प्रावधान:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जल्द ही डेटा सेंटर के लिये एक राष्ट्रीय नीतिगत ढाँचा तैयार करने की योजना बनाई है, जिसके तहत 15,000 करोड़ रुपए तक के प्रोत्साहन की भी योजना है।
      • वर्ष 2020 में एक मसौदा डेटा केंद्र नीति भी लाई गई थी।
    • हालाँकि तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों की अपनी डेटा केंद्र नीतियाँ हैं।

आगे की राह

  • वर्ष 2025 तक भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार $ 1 ट्रिलियन तक होने का अनुमान है और उत्तर भारत पहले से ही फॉर्च्यून 500 कंपनियों के लिये एक पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है।
    • इस क्षेत्र की क्षमता और डेटा सेंटर की मांग को स्वीकार करते हुए डेटा केंद्रों में निरंतर निवेश, डिजिटल इंडिया के लिये एक मज़बूत नींव का निर्माण करेगा।
  • दुनिया भर में कंपनियाँ इस बात पर फिर से विचार कर रही हैं कि वे अपने डेटाबेस और प्रौद्योगिकी सुविधाओं का निर्माण, वितरण आदि कहाँ करना चाहती हैं।
    • डेटा केंद्र वर्तमान में बहुत सारे निर्णय लेने का आधार हैं (विशेष रूप से एशिया प्रशांत और भारत में)।
    • भारत में नई परियोजनाएँ स्थापित करने की क्षमता है, हालाँकि मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करते हुए इस क्षमता का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग होना चाहिये।
  • भारत को डेटा केंद्रों में अग्रणी बनाने के लिये बिजली की लागत को कम करने की आवश्यकता है क्योंकि डेटा केंद्र के संचालन में यह प्रमुख लागतों में से एक है।  
    • यह सुनिश्चित करना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है कि इसमें यथासंभव नवीकरणीय ऊर्जा का भी उपयोग किया जाए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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