सनौली में मिला उत्तर-हड़प्पाकालीन सबसे बड़ा कब्रिस्तान
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले में पुरातात्त्विक उत्खनन के दौरान 4,000 साल पुराने चावल, दाल, पवित्र कोठरियाँ और ताबूत पाए गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले में स्थित सनौली में 4,000 साल पुराने शवाधान स्थल का उत्खनन किया है।
- इस शवाधान स्थल में मृत शरीर के साथ पैर वाले ताबूत, चावल एवं दाल से भरे बर्तन और जानवरों की हड्डियाँ भी पाई गई हैं।
- यहाँ तीन रथ, कुछ ताबूत, ढाल, तलवार और साथ ही हेल्मेट भी मिला है जो 2,000 ईसा पूर्व के आसपास इस क्षेत्र में योद्धा वर्ग के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं।
- यह शवाधान स्थल परिपक्व हड़प्पा संस्कृति के अंतिम चरण के समकालीन है। उस कालखंड के दौरान ऊपरी गंगा-यमुना दोआब की संस्कृति के पैटर्न को समझने के लिये इस उत्खनन से ज्ञात निष्कर्ष महत्त्वपूर्ण हैं।
- उपरोक्त वस्तुओं के अलावा उत्खननकर्त्ताओं को शवों के साथ बर्तन, मवेशियों की हड्डियाँ, चावल और उड़द की दाल भी पाई गई है।
- मौजूद कब्रों में से एक कब्र में अर्द्ध-शिला, मिट्टी के बर्तन और सिर के पास एक तलवार भी रखी गई थी।
सनौली
- सनौली, उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले में यमुना नदी के बाएँ किनारे पर स्थित है।
- यह दिल्ली से 68 किमी. दूर उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- ज्ञातव्य है कि बागपत ज़िले में पुरातात्त्विक स्थल का उत्खनन पहली बार 2018 में शुरू हुआ था और इस साल जनवरी में फिर से उत्खननशुरू किया गया है।
- यहाँ उत्तर-हड़प्पाकालीन सबसे बड़ा कब्रिस्तान पाया गया है।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI)
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों के पुरातत्त्वीय अनुसंधान तथा संरक्षण के लिये एक प्रमुख संगठन है।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्त्व के प्राचीन स्मारको तथा पुरातत्त्वीय स्थलों और अवशेषों का रखरखाव करना है ।
- इसके अतिरिक्त प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार, यह देश में सभी पुरातत्त्वीय गतिविधियों को विनियमित करता है।
- यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी विनियमित करता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
स्रोत: द हिंदू
चक्रवाती तूफान ‘फानी’
चर्चा में क्यों?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के आँकड़ों की मानें तो हाल ही में उत्तरी हिंद महासागर में विकसित चक्रवाती तूफान फानी (Cyclonic storm Fani) 1976 के बाद इस क्षेत्र का पहला तीव्र (अप्रैल के महीने में) चक्रवात है।
प्रमुख बिंदु
- भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, चक्रवाती तूफान फानी की उत्पत्ति ग्लोबल वार्मिंग के कारण बंगाल की खाड़ी के बेसिन का तापमान बढ़ने से हुई है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग की चक्रवात-सांख्यिकी के आँकड़ों से पता चलता है कि 1965-2017 के बीच बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों में कुल 46 गंभीर चक्रवाती तूफान विकसित हुए।
- ‘फानी’ एक उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात है।
उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात
- उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात कर्क रेखा तथा मकर रेखा के बीच उत्पन्न होने वाले चक्रवात होते हैं।
- ये साधारणतः अप्रैल से नवंबर के बीच आते हैं।
- वृहद् समुद्री सतह जहाँ तापमान 27°C से अधिक हो, कोरिओलिस बल का होना, उर्ध्वाधर वायु कर्तन (Vertical Wind Shear) का क्षीण होना, समुद्री तल तंत्र का ऊपरी अपसरण आदि इनकी उत्पत्ति एवं विकास के लिये अनुकूल स्थितियाँ हैं।
- अत्यधिक वाष्पीकरण के कारण आर्द्र हवाओं के ऊपर उठने से इनका निर्माण होता है।
- उष्ण-कटिबंधीय चक्रवात अपने निम्नदाब के कारण ऊँची सागरीय लहरों का निर्माण करते हैं।
- इन चक्रवातों का मुख्य प्रभाव तटीय भागों में पाया जाता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत यह मौसम विज्ञान प्रेक्षण, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान का कार्यभार संभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- वर्ष 1864 में चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और वर्ष 1866 तथा वर्ष 1871 के अकाल के बाद मौसम विश्लेषण और डाटा संग्रह के कार्य को एक ढाँचे के अंतर्गत किये जाने करने का निर्णय लिया गया।
- इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई।
- हेनरी फ्राँसिस ब्लैनफर्ड को विभाग के पहले मौसम विज्ञान संवाददाता के रूप में नियुक्त किया गया था।
- IMD का मुख्यालय वर्ष 1905 में शिमला, बाद में 1928 में पुणे और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।
भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र
- भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (Indian National Centre for Ocean Information Services- INCOIS) की स्थापना वर्ष 1999 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय के रूप में की गई थी।
- यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (Earth System Science Organization- ESSO) की एक इकाई है।
स्रोत- द हिंदू
अंतरिक्ष उड़ान के खतरे और मानव स्वास्थ्य
चर्चा में क्यों?
महिला अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच फरवरी 2020 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) पर 11 महीने का समय व्यतीत कर पृथ्वी पर वापस लौटेंगी।
- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर व्यतीत किये गये 11 महीने से प्राप्त अनुभवों का चंद्रमा और मंगल पर मानव मिशन भेजने की तैयारी में अहम योगदान हो सकता है।
मिशन की आवश्यकता क्यों?
- इस मिशन की आवश्यकता इसलिये हैं क्योंकि अब तक उपलब्ध अधिकांश डेटा/आँकड़े पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों पर आधारित हैं, जबकि अंतरिक्ष मिशन के दौरान पुरुष और महिला यात्रियों के शरीर पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
- पुरुषों और महिलाओं की शारीरिक संरचना में अंतर होने के कारण क्या अंतरिक्ष प्रवास के दौरान इन पर कोई भिन्न प्रभाव परिलक्षित होता है अथवा नहीं? इस संदर्भ में भविष्य में प्रायोजित लंबी अंतरिक्ष यात्राओं को ध्यान में रखते हुए अध्ययन पर बल दिया जा रहा है।
5 जोखिम/खतरे (5 Hazards)
अंतरिक्ष उड़ान के दौरान मनुष्य के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को नासा द्वारा 5 व्यापक मानदंडों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें ‘5 खतरों’ (5 Hazards) के रूप में जाना जाता है।
- विकिरण (Radiation)
- अलगाव और परिरोध (Isolation and confinement)
- पृथ्वी से दूरी (Distance from Earth)
- गुरुत्वाकर्षण (Gravity)
- प्रतिकूल/बंद वातावरण (Hostile/closed environments)
विकिरण (Radiation)
- अंतरिक्ष उड़ानें पृथ्वी के ‘सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र’ के बाहर होती है, जहाँ विकिरण बहुत अधिक होता है, जिसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को पृथ्वी के सुरक्षात्मक वातावरण के अनुरूप तैयार किया गया है लेकिन फिर भी अंतरिक्ष में विकिरण पृथ्वी की तुलना में 10 गुना अधिक होता है।
- विकिरण के परिणामस्वरुप कैंसर का जोखिम बढ़ता है, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचता है, संज्ञानात्मक कार्य परिवर्तित हो सकता है तथा शरीर के अन्य वाह्य एवं आतंरिक कार्यों में भी परिवर्तन हो सकता है।
अलगाव और परिरोध (Isolation and confinement)
- लंबे समय तक एक छोटे से अंतरिक्ष स्टेशन में रहने से अंतरिक्ष यात्रियों के बीच व्यवहार में परिवर्तन होना स्वाभाविक है।
- नींद की कमी, शरीर की जैविक गतिविधियों में परिवर्तन, काम का अधिक दबाव एवं प्रदर्शन में कमी, स्वास्थ्य के लिये प्रतिकूल परिणाम प्रदर्शित कर सकते हैं।
पृथ्वी से दूरी (Distance from Earth)
- जैसे-जैसे पृथ्वी से अंतरिक्ष उड़ान की दूरी बढ़ती है, संचार स्थापित करने में देरी होती है।
- उदाहरण के लिये मंगल ग्रह पृथ्वी से इतनी दूर है कि अंतरिक्षयान से रेडियो संकेतों को पृथ्वी पर वापस आने में काफी समय लगता है। यह देरी न्यूनतम 4 मिनट से अधिकतम 24 मिनट की हो सकती है।
गुरुत्वाकर्षण (Gravity)
- अलग-अलग ग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण अलग-अलग होता है जिससे अंतरिक्ष यात्रियों का कार्यक्षेत्र एवं जीवनशैली प्रभावित होती है।
- इसके अतिरिक्त खोजकर्त्ता यात्रा के दौरान भारहीनता का भी अनुभव करते हैं।
- अंतरिक्ष यात्री जब एक गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से दूसरे गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तब यह समस्या और जटिल हो जाती है।
प्रतिकूल/बंद वातावरण (Hostile/closed environments)
- नासा ने अपने अध्ययन में पाया है कि अंतरिक्षयान के अंदर का परिवेश अंतरिक्ष यात्रियों के रोज़मर्रा के जीवन में बड़ी भूमिका निभाता है।
- शरीर में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव अंतरिक्ष में अपनी विशेषताओं/गुणों को परिवर्तित कर सकते हैं।
- सूक्ष्मजीव जो स्वाभाविक रूप से अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर अथवा वस्तुओं के साथ अंतरिक्ष में प्रवेश करते हैं, अंतरिक्ष स्टेशन जैसे बंद आवास में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से स्थानांतरित हो सकते हैं।
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव Impact of Human Health
- वज़नहीनता और ऑस्टियोपोरोसिस
♦ नासा के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण हड्डियों में खनिजों की कमी होने लगती है और हड्डियों का घनत्व 1% प्रतिमाह की दर से कम होने लगता है। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो पृथ्वी पर बुजुर्ग पुरुषों एवं महिलाओं की हड्डियों का घनत्व 1- 1.5 % प्रतिवर्ष की दर से कम होता है।
♦ पृथ्वी पर लौटने के बाद भी अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों में हुए नुकसान को सही नहीं किया जा सकता है, इसलिये एक अंतरिक्ष यात्री को भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर का खतरा हो सकता है।
♦ गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर का तरल पदार्थ उनके सिर की तरफ खिसकने लगता है जो दाब बढ़ाते हुए दृष्टि संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
- सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण और ऑस्टियोपोरोसिस
♦ ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में हड्डियाँ/अस्थियाँ कमज़ोर हो जाती हैं, जिससे इनके नाजुक होने तथा टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
♦ ओस्टियोब्लास्ट और ओस्टियोक्लास्ट (हड्डियों की कोशिका के प्रकार, जो ऊतकों का निर्माण करते हैं) मानव शरीर में हड्डियों के ऊतकों (Bone Tissues) को लगातार पुनर्निर्मित करते रहते हैं।
♦ ऑस्टियोब्लास्ट हड्डियों के निर्माण के लिये ज़िम्मेदार होते हैं, जबकि ऑस्टियोक्लास्ट हड्डियों के टूटने के लिये ज़िम्मेदार होते हैं।
♦ सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण की स्थिति में ऑस्टियोक्लास्ट्स के बनने की दर बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है।
♦ यह अंतरिक्ष यात्रियों में ऑस्टियोपोरोसिस का प्राथमिक कारण है।
- अंतरिक्ष उड़ान के दौरान टेलोमेयर्स की स्थिति
♦ अंतरिक्षयान में प्रवास के दौरान टेलोमेयर्स का आकार बढ़ जाता है।
♦ टेलोमेयर्स वे कैप सदृश संरचनाएँ हैं जो हमारे गुणसूत्रों के सिरों की सुरक्षा करती हैं, जिससे डीएनए नुकसान से रक्षा होती है। अनुसंधान से पता चला है कि टेलोमेयर्स का आकार बढ़ने पर बढ़ती उम्र से संबंधित समस्या कम हो जाती है।
- शरीर के द्रव्यमान में कमी और फोलेट का बढ़ना
♦ अंतरिक्षयान में प्रवास के दौरान शरीर के द्रव्यमान में परिवर्तन होता है
♦ ‘फोलेट’ बी-विटामिन में से एक है और अस्थि-मज्जा में लाल तथा श्वेत रक्त कोशिकाओं को बनाने, कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने और डीएनए एवं आरएनए का उत्पादन करने के लिये आवश्यक है।
- जीन उत्परिवर्तन
♦ अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उत्पन्न तनाव कोशिकाओं के भीतर जैविक मार्गों को बदल सकता है, और डीएनए एवं आरएनए के निष्कासन की वज़ह बन सकता है, जिसके परिणामस्वरुप मानव शरीर में जीन-उत्परिवर्तन की शुरुआत हो सकती है।
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स्रोत- द हिंदू
भारत और अमेरिका के बीच अंतर-सरकारी समझौता
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने सीमा पार से होने वाली कर चोरी को रोकने के लिये अमेरिका के साथ एक अंतर-सरकारी समझौता किया है।
- दोनों देशों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अलग-अलग देशों में आय आवंटन तथा कर भुगतान से जुड़ी रिपोर्ट के आदान-प्रदान के लिये यह समझौता किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस समझौते के पश्चात दोनों देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मूल संस्थाओं द्वारा एक दूसरे देशों से संबंधित क्षेत्रों में जमा की गई देश-दर-देश (country-by-country- CbC) रिपोर्ट का आदान प्रदान स्वयं कर सकेंगे।
- यह 1 जनवरी, 2016 या उसके बाद शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष से जुड़ी रिपोर्ट पर लागू होगा।
- ऐसी कंपनियाँ जिनका मुख्यालय अमेरिका में है लेकिन परिचालन और कर देयता भारत में है, उन्हें अब भारत में देश-दर-देश (CbC) रिपोर्ट दाखिल करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि इस समझौते के बाद वे अब यह रिपोर्ट अमेरिका में ही दाखिल कर सकती हैं।
- इस प्रकार इन देशों से बाहर चल रही उनकी सहायक कंपनियों पर ऐसे कार्य का बोझ कम होगा।
पृष्ठभूमि
- आयकर अधिनियम में वर्णित बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सहायक भारतीय कंपनियों को अन्य क्षेत्राधिकारों से सम्बद्ध महत्वपूर्ण वित्तीय विवरणों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होती है जहां (ऐसे क्षेत्राधिकार) वे संचालित होती हैं।
- यह ऐसी कंपनियों के बेहतर परिचालन के साथ राजस्व और आयकर के भुगतान के संबंध में आईटी विभाग को बेहतर दृष्टिकोण उपलब्ध कराता है।
- यह प्रावधान ‘आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण कार्य योजना’ का एक हिस्सा था, जिसे बाद में आईटी अधिनियम में भी शामिल किया गया।
आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण
Base Erosion and Profit Shifting
- आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण (BEPS) का तात्पर्य टैक्स प्लानिंग रणनीतियों से है जिसके तहत टैक्स नियमों में अंतर और विसंगतियों का लाभ उठाया जाता है तथा मुनाफे को कृत्रिम तरीके से कम कर अथवा बिना कर वाले क्षेत्राधिकारों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।
- इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ या तो नहीं होती हैं या मामूली आर्थिक गतिविधियाँ होती हैं। ऐसे में संबंधित कंपनी द्वारा या तो कोई भी कॉरपोरेट टैक्स अदा नहीं किया जाता है अथवा मामूली कॉरपोरेट टैक्स का ही भुगतान किया जाता है।
बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNEs) से प्राप्त होने वाले कॉर्पोरेट आयकर पर विकासशील देशों की भारी निर्भरता के कारण BEPS का महत्त्व बढ़ जाता है। - BEPS पहल आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development- OECD) की एक पहल है। वैश्विक स्तर पर अधिक मानकीकृत कर नियमों को उपलब्ध कराने संबंधी तरीकों की पहचान करने के लिये G20 द्वारा इसे अनुमोदित किया गया है।
आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन
(Organisation for Economic Co-operation and Development- OECD)
- इसकी स्थापना 1961 में हुई थी।
- वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 36 है।
- इसका मुख्यालय पेरिस (फ़्राँस) में है।
- दुनिया भर में लोगों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण में सुधार लाने वाली नीतियों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना OECD का प्रमुख उद्देश्य है।
- इसके सदस्य देश इस प्रकार हैं- ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चिली, चेक गणतंत्र, डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इज़राइल, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, लक्ज़मबर्ग, लातविया, लिथुआनिया, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड्स, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
स्रोत- द इकोनॉमिक टाइम्स
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (01 May)
- 28 अप्रैल को दुनिया भर में विश्व पशु चिकित्सा दिवस का आयोजन किया गया। वर्ष 2000 से विश्व पशु चिकित्सा संघ द्वारा इस दिवस का आयोजन किया जाता है। विश्व पशु चिकित्सा दिवस के अवसर पर पशु चिकित्सालयों में पशुओं में पाए जाने वाले जीवाणुओं का दवाओं के प्रति प्रतिरोध विषय पर चर्चा की गई और लोगों को इस बारे में जागरूक किया गया। इस वर्ष इस दिवस की थीम Value of Vaccination रखी गई है। यह विषय इसलिये चुना गया है क्योंकि पशु चिकित्सा के लिये टीकाकरण बेहद आवश्यक है, इससे पशु स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा मिलता है तथा यह कई जूनोटिक रोगकारकों के प्रति मनुष्यों को होने वाले जोखिम को कम करता है।
- 29 अप्रैल को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस का आयोजन किया गया। इस दिवस को मानाने की शुरुआत 1982 से हुई, जब यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय थिएटर इंस्टीट्यूट की अंतर्राष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य जनसाधारण को नृत्य की महत्ता से परिचित कराना है। यह आधुनिक बैले नृत्य के प्रणेता ज्यां-जॉर्जेस नोवरे का जन्मदिन भी है और यह भी एक बड़ा कारण है कि 29 अप्रैल को इस दिवस का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस की थीम Dance and Spirituality रखी गई है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 28 अप्रैल को देश के पहले ग्रीन कार लोन की शुरुआत की। बैंक ने इसकी दरें सामान्य ऑटो लोन के मुकाबले 0.20% कम रखी हैं। ग्रीन कार लोन के लिये कुछ शर्तें तय की गई हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद लोन जारी होगा। फिलहाल इस लोन के लिये अप्लाई करने वालों से कोई प्रोसेसिंग चार्ज नहीं वसूला जाएगा। यह इलेक्ट्रिक कार की खरीदारी के लिये लॉन्च हुआ भारत का पहला ग्रीन कार लोन है। इस पहल का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी को बढ़ावा देना है। सामान्य कार लोन में 7 साल का रिपेमेंट पीरियड होता है, जबकि ग्रीन कार लोन में रिपेमेंट पीरियड 8 साल का होगा।
- भारत और चीन वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ‘अनौपचारिक बैठक’ का एक साल पूरा होने पर इस मध्य चीनी शहर में सप्ताह भर चलने वाले भारत महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं । इस मौके पर भारत ने वुहान में कलर्स ऑफ इंडिया सप्ताह की शुरुआत की है। इस दौरान नृत्य प्रस्तुति, सिनेमा प्रदर्शनी, फोटो प्रदर्शनी और व्यापार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी और वुहान के डिप्टी मेयर चेन शीजिन ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की। बीजिंग में भारतीय दूतावास और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद हुबेई प्रांतीय सरकार और वुहान नगर प्रशासन के सहयोग से इसका आयोजन कर रहे हैं। चाइना आर्ट एसोसिएशन ने भी इस कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग दिया है।
- भारत और अमेरिका ने कर चोरी (Tax Evasion) पर रिपोर्ट साझा करने का फैसला किया है। भारत सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अलग-अलग देश में दिखाई आय और उस पर कर के भुगतान की रिपोर्ट को आपस में साझा करने को लेकर अमेरिका के साथ हुए समझौते को अधिसूचित कर दिया है। इस अंतर- सरकारी समझौते से दोनों देशों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर चोरी के मामलों पर नज़र रखने में मदद मिलेगी। इस CBC समझौते के बाद अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भारत में काम करने वाली इकाई को भी अलग-अलग देशों की रिपोर्ट को स्थानीय स्तर पर जमा कराना होगा। इससे कंपनियों का अनुपालन बोझ कम होगा। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की विभिन्न देशों के कारोबार की रिपोर्ट में उनकी अलग अलग देशों में होने वाली आय, भुगतान किये गए कर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बारे में मिलने वाले दूसरे संकेतेकों के बारे में जानकारी उपलब्ध होगी। ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ जिनका सालभर में कुल एकीकृत राजस्व 75 करोड़ यूरो अथवा इससे अधिक होता है, उन्हें देशवार रिपोर्ट मूल कंपनी वाले देश में जमा करानी होती है। 75 करोड़ यूरो को भारतीय नियमों के तहत 5,500 करोड़ रुपए के बराबर रखा गया है।
- राणा दासगुप्ता को उनके 2010 के उपन्यास सोलो: ए टेल ऑफ एस्ट्रेंजेंट एंड द अल्टीमेट फेलियर ऑफ मटेरियल एक्जिस्टेंस के लिये रबींद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार 2019 दिया गया। यह इस पुरस्कार का दूसरा संस्करण है और इसका उद्देश्य जीवन को परिवर्तित कर देने वाली कविताओं तथा पुस्तकों को पुनर्जीवित करना है। इस पुरस्कार के तहत विजेता को 10 हज़ार डॉलर, टैगोर की छोटी प्रतिमा तथा साहित्य में योगदान के लिये एक प्रमाणपत्र दिया जाता है। इस पुरस्कार की स्थापना विश्व शांति को बढ़ावा देने, साहित्य, कला तथा शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है।
- जापान के शकुबासी शिमोडा मरीन रिसर्च सेंटर और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ प्लाईमाउथ के वैज्ञानिकों ने एक शोध के ज़रिये पता लगाया है कि जीवाश्म ईंधनों की वज़ह से समुद्रों में अम्लीय तत्त्वों की मात्रा तेज़ी से बढ़ रही है। इससे समुद्र में रहने वाले जीवों और समुद्र की मदद से जीवन यापन करने वाले करोड़ों लोगों पर खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा ज्वालामुखियों से निकलने वाले लावे से भी समुद्रों में अम्लीकरण की मात्रा बढ़ रही है। वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को Acidification नाम दिया है।
- लंबे समय से हिममानव की मौजूदगी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाते रहे हैं। कई बार लोगों द्वारा दुनिया भर में हिममानव येति को देखे जाने की घटनाएँ सामने आती रही हैं लेकिन इसकी मौजूदगी को लेकर कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया था। अब पहली बार भारतीय सेना ने 'येति' की मौजूदगी को लेकर बड़ा दावा किया है। येति की मौजूदगी का अनुमान लगा रही भारतीय सेना ने माउंट मकालू से कुछ तस्वीरें ट्विटर पर साझा की हैं, जिनमें रहस्यमय पैरों के निशान दिखाई दे रहे हैं।