प्रौद्योगिकी
'प्रभाव आधारित पूर्वानुमान दृष्टिकोण'
- 24 Nov 2018
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चर्चा में क्यों?
केरल की भीषण बाढ़ के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा वर्षा के कारण नदियों और जलाशयों के जल स्तर में वृद्धि का आकलन करने के लिये 'प्रभाव आधारित पूर्वानुमान दृष्टिकोण' (Impact Based Forecasting Approach) नामक एक नई तकनीक विकसित की गई है, जिससे राज्य सरकारों को वर्षा के प्रभाव की निगरानी करने में मदद मिल सकती है।
तकनीक का लाभ
- 'प्रभाव आधारित पूर्वानुमान दृष्टिकोण' (Impact Based Forecasting Approach) नामक यह तकनीक "प्री-इवेंट परिदृश्य" (pre-event scenario) को दर्शाती है।
- यह तकनीक अधिकारियों को वास्तविक समय में निर्णय लेने में मदद कर सकती है।
- यह तकनीक निर्णय लेने में मददगार है कि जलाशयों या नदियों से कब पानी छोड़ा जाए और कब नहीं।
- यह प्रत्येक राज्य प्राधिकरण को निर्णय लेने में सहायता प्रदान करेगी और हम इस प्रणाली को प्री-इवेंट परिदृश्य के माध्यम से चला सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि पिछले महीने ही केरल में भारी बारिश के कारण लगभग 500 लोगों की मौत हो गई और 40,000 करोड़ रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान भी हुआ।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के बारे में
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रेक्षण, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान का कार्यभार संभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है।
- IMD विश्व मौसम संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
- वर्ष 1864 में चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और 1866 तथा 1871 के अकाल के बाद, मौसम विश्लेषण और डाटा संग्रह कार्य के एक ढाँचे के अंतर्गत आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
- इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD में उप महानिदेशकों द्वारा प्रबंधित कुल 6 क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र आते हैं।
- ये चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली और हैदराबाद में स्थित हैं।
- हेनरी फ्राँसिस ब्लैनफर्ड को विभाग के पहले मौसम विज्ञान संवाददाता के रूप में नियुक्त किया गया था।
- IMD का नेतृत्व मौसम विज्ञान के महानिदेशक द्वारा किया जाता है।
- IMD का मुख्यालय वर्ष 1905 में शिमला, बाद में 1928 में पुणे और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।
- स्वतंत्रता के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग 27 अप्रैल 1949 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य बना।
कार्य
- इसका प्रमुख कार्य उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र, जिसमें मलाका स्ट्रेट्स, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और फारस की खाड़ी भी शामिल है, के लिये उष्णकटिबंधीय चक्रवातों संबंधी चेतावनियों की भविष्यवाणी, उनका नामकरण और वितरण करना है।
- इस विभाग द्वारा भारत से लेकर अंटार्कटिका भर में सैकड़ों प्रक्षेण स्टेशन चलाये जाते हैं।