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डेली न्यूज़

  • 01 Apr, 2019
  • 22 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

37 गिद्धों की मृत्यु

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पूर्वी असम के शिवसागर जिले में ज़हर मिले हुए मवेशियों के शवों को खाने से तीन लुप्तप्राय प्रजातियों के लगभग 37 गिद्धों की मौत हो गई। इन गिद्धों में से अधिकांश हिमालयन ग्रिफन (Himalayan griffon) हैं।

प्रमुख बिंदु

  • गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र (Vulture Conservation Breeding Centre- VCBC) के वन अधिकारियों और एक वन्यजीव बचाव दल ने लगभग इतने ही गिद्धों को गंभीर हालत में पाया जिन्हें उचित चिकित्सा और देखभाल द्वारा बचा लिया गया है।
  • हालाँकि इस बात की सटीक जानकारी नहीं प्राप्त की जा सकी है कि इन गिद्धों में ज़हर का कितना असर हुआ है।
  • एक जैव वैज्ञानिक के अनुसार, बचाए गए गिद्धों को कम-से-कम 10 दिनों के लिये काजीरंगा के वन्यजीव पुनर्वास और संरक्षण केंद्र में रखकर उपचार और अवलोकन की आवश्यकता है।
  • यह घटना बाम राजाबारी गाँव में हुई थी, जहाँ पिछले साल अप्रैल में 20 गिद्धों की मौत इसी प्रकार ज़हरीले शवों को खाने के कारण हुई थी।
  • ग्रामीणों द्वारा कुत्तों को मारने के लिये मवेशियों के शवों मे ज़हर मिलाया गया था लेकिन इससे गिद्धों की मृत्यु हो गई।
  • 1990 के दशक में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और अन्य संगठनों के एक अध्ययन में पाया गया है कि जिप्स समूह वाले गिद्धों की संख्या में भारत और नेपाल में पिछले दो दशकों में भारी गिरावट आई है।

vulture

स्रोत- द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ईरान-भारत व्यापार संबंधों में सुधार

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ईरान भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में सुधार की संभावनाएँ तलाश रहा है जिसमें बैंकिंग चैनल का विस्तार भी शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • ईरान और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के लिये ईरान का सात सदस्यीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भारत का दौरा कर रहा है।
  • भारत का दौरा कर रहे संसदीय प्रतिनिधिमंडल का कहना है कि दोनों पक्षों को सीमा शुल्क कम करने के लिये मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है ताकि द्विपक्षीय व्यापार में सुधार किया जा सके।
  • ईरान और भारत के बीच लगभग 10-13 बिलियन डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें सुधार की प्रबल संभावना है।
  • ईरान की संसद ने दोहरे कर से बचने के लिये हाल ही में एक समझौते को मंज़ूरी दी है।
  • ईरान के साथ व्यापार संबंधों में केवल यूको बैंक ही संलग्न है जिसे और ज़्यादा विस्तार देने की आवश्यकता है।

अमेरिकी प्रतिबंध पर ईरान का रुख

क्या है न्यूक्लियर डील, 2015?

  • 2015 में बराक ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्राँस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था।
  • इस डील को ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) नाम दिया गया।
  • इस डील के अनुसार, ईरान को संबंधित यूरेनियम के भंडार में कमी लाते हुए अपने परमाणु संयंत्रों की निगरानी के लिये अनुमति प्रदान करनी थी।
  • इसके बदले ईरान पर आरोपित आर्थिक प्रतिबंधों में रियायत दी गई थी।

प्रतिबंध दोबारा क्यों लगे?

  • कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस समझौते से यह कहते हुए अलग हो गए कि ईरान चोरी-छिपे अपने परमाणु कार्यक्रम को अभी भी जारी रखे हुए है।
  • साथ ही उन्होंने ईरान पर तेल एवं बैंकिंग संबंधी प्रतिबंध पुन: आरोपित कर दिये।
  • हालाँकि इस डील के अन्य हस्ताक्षरकर्त्ता देश जैसे- जर्मनी, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन अभी भी इस डील को जारी रखे हुए हैं।
  • वहीं, ईरान अभी भी इस डील से जुड़ा हुआ है क्योंकि यह डील कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों पर रोक लगाती है।
  • लेकिन यह तभी होगा जब तीन यूरोपियन शक्तियों सहित रूस और चीन अपने व्यापार-लाभों को संरक्षित रखने के लिये प्रतिबद्ध होंगे।

भारत-ईरान: हालिया संबंध

  • पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु ईरान ने भारत के लिये हाल ही में नत्थी (Stapled) वीज़ा और ई-वीज़ा की शुरुआत की है। ईरान ने भारत के लिये वीज़ा ऑन अराइवल की भी शुरुआत की है।
  • भारत ने मई 2016 में ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक त्रिपक्षीय कनेक्टिविटी सौदे पर हस्ताक्षर किये जो उसे पाकिस्तान को बाईपास कर यूरोप तथा मध्य एशिया तक पहुँचने की अनुमति देता है।
  • इस कनेक्टिविटी समझौते का केंद्र चाबहार बंदरगाह है, जिसका प्रबंधन 18 महीने तक भारत को दिया गया था।
  • इसके माध्यम से भारत के लिये समुद्री सड़क मार्ग द्वारा अफगानिस्तान पहुँचने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा और इस स्थान तक पहुँचने के लिये पाकिस्तान के रास्ते की आवश्यकता भी नहीं होगी।
  • चाबहार बंदरगाह ईरान के अर्द्ध-रेगिस्तानी मकरान तट पर स्थित है, जो अफगानिस्तान के लिये समुद्र के सबसे छोटे मार्ग का प्रतिनिधित्त्व करता है।

शासन व्यवस्था

गोवा में नही बनेगा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा गोवा में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिये दी गई पर्यावरणीय स्वीकृति (Eco Clearance) मंजूरी को निलंबित कर दिया गया।

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में शीर्ष अदालत में गोवा राज्य ने यात्रियों की बढ़ती मात्रा को समायोजित करने के लिये नए हवाई अड्डे बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था।
  • नए हवाई अड्डे की स्थापना को ‘नीति का विषय’ बताते हुए पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assessment- EIA) प्रक्रिया में छूट देने के लिये अदालत से पर्यावर्णीय नियमों को नज़रंदाज करने का आग्रह किया गया। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने स्वास्थ्य एवं जीवन के अधिकार को संरक्षित करने के लिये पर्यावरणीय स्वीकृति को निलंबित कर दिया।
  • अदालत ने स्पष्ट किया कि निर्णय लेने वालों की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि पर्यावरण के हर महत्त्वपूर्ण पहलू का पर्याप्त अध्ययन किया जाए और प्रस्तावित गतिविधि के प्रभाव का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाए।
  • पर्यावरण के नियमों को मज़बूती प्रदान करने की आवश्यकता को देखते हुए न्यायाधीशों की एक बेंच ने कहा है कि देश के शासन और संस्थानों की प्रत्येक शाखा को पर्यावरणीय नियम एवं कानून को लागू करने का प्रयास करना चाहिये।

विकास बनाम पर्यावरण

  • पर्यावरण संरक्षण और विकास को अक्सर अलग-अलग, यहाँ तक की कई बार एक-दूसरे का विरोधी भी समझा जाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि इन्हें एक साथ लाए बिना वर्तमान पर्यावरणीय और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना काफी कठिन है। यह बहुत कम बार देखा गया है कि विकासात्मक परियोजनाओं को पारित करने से पहले उसके संभावित पर्यावरणीय पहलुओं पर पर्याप्त संवेदनशीलता से विचार किया गया हो।
  • भारत में वर्ष 2006 में ही पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (Environmental Impact Assesment) को अपनाया गया है। साथ ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) भी अस्तित्व में है। इसके बावजूद विकासात्मक परियोजनाओं को एकांगी दृष्टिकोण से पारित किया जा रहा है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का गठन वर्ष 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत किया गया।
  • बहु-अनुशासनात्मक समस्याओं वाले पर्यावरणीय विवादों को सुलझाने के लिये आवश्यक विशेषज्ञता से सुसज्जित यह एक विशिष्ट निकाय है।
  • यह अधिकरण नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया द्वारा बाध्य नहीं है बल्कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से निर्देशित है।
  • इसकी स्थापना पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन तथा व्यक्तियों एवं संपत्ति के नुकसान के लिये सहायता और क्षतिपूर्ति देने या उससे संबंधित या जुड़े मामलों सहित, पर्यावरण संरक्षण एवं वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और तेज़ी से निपटारे के लिये की गई है।

पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment- EIA)

  • EIA स्थायी विकास के लिये प्राकृतिक संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिये महत्वपूर्ण प्रबंधकीय तकनीक है ।
  • हमारे देश में 1978-79 में नदी घाटी परियोजनाओं के प्रभावपूर्ण मूल्यांकन के साथ इस दिशा में शुरुआत की गई थी और तत्पश्चात् अन्य विकासात्मक क्षेत्रों, जैसे उद्योग, ताप विद्युत परियोजना, खनन स्कीम इत्यादि को शामिल करने के लिये कार्यक्षेत्र का विस्तार किया गया ।
  • पर्यावरण संबंधी आँकड़े एकत्रित करने और प्रबंधन की योजनाएँ तैयार करने की सुविधा प्रदान करने के लिये दिशा-निर्देश तैयार किये गए और उन्हें संबंधित केंद्र एवं राज्य शासन के विभागों में परिचालित किया गया ।
  • EIA को अब पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम,1986 के अंतर्गत विकासात्मक गतिविधियों की उन 29 श्रेणियों के लिये अनिवार्य कर दिया गया है, जिनमें 50 करोड़ रुपए या इससे अधिक का निवेश शामिल हो।

निष्कर्ष

  • मज़बूत कानून होने का प्रत्यक्ष प्रभाव पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित है।
  • पर्यावरण दोहन के खिलाफ एक दृढ़ एवं मज़बूत शासन की बहुत ज़रूरत है क्योंकि एक मज़बूत शासन ही पर्यावरणीय कानून को व्यापक रूप से मज़बूत कर स्थायी, आर्थिक और सामाजिक विकास का समर्थन कर सकेगा फलस्वरूप सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के साथ साथ शांति और सुरक्षा स्थापित की जा सकेगी तथा मानव और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित होगी।
  • उच्चतम न्यायालय के अनुसार, पर्यावरण नियम कानून के मज़बूत प्रवर्तन के लिये पारदर्शिता आवश्यक है। कानून के शासन के लिये एक ऐसे शासन की आवश्यकता होती है जिसमें प्रभावी, जवाबदेह और पारदर्शी संस्थान हों।

स्रोत- द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

नॉर्दन ट्रायंगल की सहायता में कटौती

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी सरकार ने ‘नॉर्दन ट्रायंगल’ के देशों को की जाने वाली सहायता में कटौती करने का निर्णय लिया है।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि अमेरिका ने यह कदम आप्रवासियों को रोकने के लिये उठाया है।
  • अमेरिका ने इन देशों की सहायता में कटौती करने की घोषणा करने के साथ-साथ अमेरिकी-मेक्सिको सीमा को बंद करने की धमकी भी दी है।

नॉर्दन ट्रायंगल

  • अल सल्वाडोर, ग्वाटेमाला और होंडुरास को नॉर्दन ट्रायंगल (विशेष रूप से उनके आर्थिक एकीकरण के संदर्भ में) के रूप में जाना जाता है।
  • वर्तमान में इस क्षेत्र को दुनिया के सबसे घातक क्षेत्रों में से एक माना जाता है, जहाँ हिंसक मौतों की दर कुछ युद्ध क्षेत्रों के मुकाबले बहुत अधिक है।

pacific ocean

  • ये तीनों देश ट्रिफिनियों (Trifinio) बायोस्फीयर रिज़र्व में अपनी सीमा साझा करने के साथ ही संस्कृति, इतिहास, समाज और राजनीति के विभिन्न पहलू भी साझा करते हैं।

विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (01 April)

pslv

  • श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 1 अप्रैल की सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रक्षेपण यान PSLV C-45 ने एमिसैट सैटेलाइट (EMISAT) लॉन्च किया। इसे सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun Synchronous Polar Orbit) में स्थापित किया गया तथा इसके साथ 28 विदेशी नैनो उपग्रहों को अलग-अलग कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।  अमेरिका के 24, लिथुआनिया के दो और स्पेन व स्विट्जरलैंड के एक-एक उपग्रह को तीन अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करने के लिये नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया। इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट (एमिसैट) का प्रक्षेपण DRDO के लिये किया गया है, जिसका उद्देश्य देश की सीमाओं पर इलेक्ट्रॉनिक या अन्य किसी तरह की मानवीय गतिविधियों पर नज़र रखना है। साथ ही यह सीमाओं पर तैनात दुश्मनों के राडार और सेंसर पर भी निगाह रखेगा।
  • दो सरकारी बैंकों- विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय 1 अप्रैल से प्रभावी हो गया है। इन दोनों बैंकों के विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है। विलय के बाद विजया बैंक और देना बैंक की सभी शाखाएं बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखाओं के रूप में काम करने लगी हैं। आपको बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार ने अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिये बैंक ऑफ बड़ौदा को 5042 करोड़ रुपए देने का निर्णय लिया था। विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा का कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपए का होगा और यह भारतीय स्टेट बैंक और ICICI बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। इस विलय के बाद देश में सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 18 रह गई है।
  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आधार संख्या को पैन (PAN) से जोड़ने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 30 सितंबर, 2019 कर दी है। लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि 1 अप्रैल, 2019 से आयकर रिटर्न दाखिल करते समय आधार संख्या का उल्लेख करना अनिवार्य होगा। आपको बता दें कि सरकार ने पिछले साल जून में कहा था कि हर व्यक्ति को 31 मार्च, 2019 तक अपनी बायोमेट्रिक पहचान वाली आधार संख्या को पैन के साथ जोड़ना अनिवार्य है। यह छठा मौका है जब सरकार ने पैन को आधार से जोड़ने की समय-सीमा बढ़ाई है। सरकार ने पिछले साल जून में हर व्यक्ति को 31 मार्च तक अपनी बायोमेट्रिक पहचान वाली आधार संख्या को पैन के साथ जोड़ने का निर्देश दिया था।
  • चुनाव आयोग ने मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी दरों को 1 अप्रैल से संशोधित करने की अनुमति मंत्रालय  मंत्रालय ने चुनाव आयोग से मनरेगा के तहत श्रमिकों को दी जाने वाली मजदूरी की दरें संशोधित करने की अनुमति मांगी थी।गौरतलब है कि मनरेगा के तहत भुगतान की गई मजदूरी को कृषि श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ जोड़ा जाता है और नई मजदूरी दरें 1 अप्रैल को अधिसूचित की जाती हैं, क्योंकि इस दिन से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत होती है।
  • हाल ही में भारतीय नौसेना में यार्ड 2097 (LSU L- 56), लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी (LCU) Mk- IV छठी श्रेणी का जहाज़ शामिल किया गया। यह जहाज़ Garden Reach Shipbuilders & Engineers Ltd. द्वारा तैयार किया गया है। यह कोलकाता में Defence Public Sector Undertaking द्वारा तैयार किया गया 100वाँ जहाज़ है। इस लैंडिंग क्राफ्ट से सैनिकों, टैंकों और उपकरणों के परिवहन सहित भारतीय नौसेना की संचालन क्षमता भी बढ़ेगी, जो अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह से संबंधित होगी।
  • चीन ने दावा किया है कि शंघाई 5G और गीगाबिट नेटवर्क का इस्तेमाल करने वाला दुनिया का पहला ज़िला बन गया है। चीन की सरकारी कंपनी चाइना मोबाइल के सहयोग से यह परीक्षण किया गया। गौरतलब है कि 5G अगली पीढ़ी की सेल्यूलर प्रौद्योगिकी है, जो 4G की तुलना में 10 से 100 गुना तेज़ डाउनलोड स्पीड देता है। इसका आधिकारिक परिचालन शंघाई के हांगकोउ में शुरू किया गया, जहाँ पूरी तरह से कवरेज सुनिश्चित करने के लिये पिछले तीन महीने से 5G बेस-स्टेशन लगाए जा रहे थे।
  • ज़ुज़ाना कापुतोवा (Zuzana Caputova) स्लोवाकिया की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गई हैं। पेशे से वकील ज़ुज़ाना लिबरल प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया पार्टी की सदस्य हैं, जिसका वहाँ की संसद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। आपको बता दें कि स्लोवाकिया एक ऐसा देश है जहाँ समलैंगिक विवाह और गोद लेने को अभी कानूनी मान्यता नहीं मिली है, लेकिन ज़ुज़ाना LGBTQ+ अधिकारों की प्रबल पक्षधर हैं। इस चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी मारोस सेफ्कोविक यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष हैं।

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