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ईरान द्वारा न्यूक्लियर डील, 2015 का अनुपालन बरकरार : आईएईए (Iran Still in Compliance with 2015 Nuclear Deal : IAEA)

  • 15 Nov 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


वियना की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार ईरान अभी भी परमाणु समझौते की शर्तों के अनुसार ही अपना परमाणु कार्यक्रम चला रहा है और उसने यूरेनियम परमाणु भंडार की न्यून संवर्द्धन की सीमा को भी पार नहीं किया है। ईरान ने मुख्य शक्तियों के साथ हुई न्यूक्लियर डील, 2015 का अनुपालन करते हुए अपने परमाणु कार्यव्रम की सीमा, डील द्वारा अधिरोपित शर्तों की सीमा के अंदर ही बनाए रखी है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यूनाइटेड स्टेट्स (US) द्वारा तेहरान के विरुद्ध पुन: लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान 2015 की न्यूक्लियर डील द्वारा स्थापित न्यूक्लियर प्रतिबंधों का पालन जारी रखे हुए है।
  • ईरान के न्यून-संवर्द्धित यूरेनियम (Low-enriched uraniun) की सीमा अभी भी 149.4 किग्रा. है जो डील द्वारा तय 202.8 किग्रा की सीमा के अंदर ही है।
  • ईरान का भारी-जल (Heavy Water) भंडार अभी भी अपरिवर्तित रहते हुए करीब 122.8 टन है। भारी जल एक कम संवेदनशील पदार्थ माना जाता है जिसे न्यूक्लियर रिएक्टर में मंदक (Moderator) के तौर पर प्रयोग किया जाता है। परंतु यह डील के तहत अभी भी प्रतिबंधित है।
  • हालाँकि वर्तमान में ईरान ने उत्पादन जारी रखा है परंतु इसमें से 1.7 टन इसने विदेशों में भेजा है, जबकि 1.5 टन का प्रयोग मेडिकल कंपाउंड्स बनाने में किया है।

क्या है न्यूक्लीयर डील, 2015?

  • 2015 में बराक ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था।
  • इस डील को ज्वाइंट कांप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) नाम दिया गया।
  • इस डील के अनुसार, ईरान को संबंधित यूरेनियम के भंडार में कमी लाते हुए अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिये खोलना था।
  • इसके बदले ईरान पर आरोपित आर्थिक प्रतिबंधों में रियायत दी गई थी।
  • कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस समझौते से यह कहते हुए अलग हो गए कि ईरान चोरी-छिपे अपने परमाणु कार्यक्रम को अभी भी जारी रखे हुए है। साथ ही उन्होंने ईरान पर तेल एवं बैंकिंग संबंधी प्रतिबंध पुन: आरोपित कर दिये।
  • हालाँकि इस डील के अन्य हस्ताक्षरकर्त्ता देश जैसे- जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन अभी भी इस डील को जारी रखे हुए हैं।
  • वहीं, ईरान अभी भी इस डील से जुड़ा हुआ है क्योंकि यह डील कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों पर रोक लगाती है। लेकिन यह तभी होगा जब तीन यूरोपियन शक्तियाँ, रूस और चीन अपने व्यापार-लाभों को संरक्षित रखने के लिये प्रतिबद्ध होंगी।
  • अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों को पुन: बनाए रखने का मकसद ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को कड़ी सीमाओं के अंतर्गत लाना और इसके द्वारा विकसित किये जा रहे बैलिस्टिक मिसाइल को रोकना तथा मिडल-ईस्ट में होने वाले संघर्षों में प्रॉक्सी बलों को सहायता पहुँचाने से रोकना था।
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