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कला की दुनिया से

सत्यजित रे : साहित्यिक गरिमा की फिल्मों के महान सर्जक

02 Aug, 2023 | सुंदरम आनंद

सत्यजित रे पर लिखे अपने एक संस्मरण में हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कुँवर नारायण ने लिखा है- " उनका( रे ) सिनेमा साहित्य के साथ अंतरंग विनिमय का अनोखा दस्तावेज़ है" । उनके इस...



विमर्श

भारतीय सिनेमा में साहित्य की उपयोगिता

25 Jul, 2023 | नेहा चौधरी

भारतीय सिनेमा और हिन्दी साहित्य दो परस्पर अलग-अलग विधाएँ हैं किंतु दोनों में पारस्परिक संबंध काफी गहरा है। अपनी शैशवावस्था से ही भारतीय सिनेमा भाषा के लिहाज से हिन्दी पर...



कानून और समाज

अशांत मणिपुर

07 Jul, 2023 | हर्ष कुमार त्रिपाठी

महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था। सभी कौरव मारे जा चुके थे और युधिष्ठिर को छोड़कर सभी पाण्डव जीत के मद में चूर थे। दुःखी मन से युधिष्ठिर शर-शैय्या पर जीवित भीष्म पितामह से...



कानून और समाज

थैंक यू डॉक्टर

01 Jul, 2023 | राहुल कुमार

“मरीजों का देखकर हाल सबका दिल कांपता है,ये डॉक्टर के बस की बात है जो संभालता है।” मसीहा क्या करते हैं, विकट परिस्थितियों में भी डटकर खड़े रहते हैं, चुनौतियों का सामना करते...



व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

केदारनाथ सिंह : बिम्ब विधान के कवि

30 Jun, 2023 | अनुराग सिंह

भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार ज्ञानपीठ से सम्मानित कवि केदारनाथ सिंह आधुनिक हिंदी कविता में बिम्ब के कवि के रूप में जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद में 7...



ब्रह्मांड और हमारी दुनिया

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के 50 वर्ष - समालोचनात्मक विश्लेषण (भाग-II)

29 Jun, 2023

  आयुष वर्मा    आयुष वर्मा गुजरात कैडर के वर्ष 2018 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी हैं, आपको ऑल-राउंड उत्कृष्ट प्रदर्शन में भारत सरकार के स्वर्ण पदक, मुख्य वानिकी (कोर...



ब्रह्मांड और हमारी दुनिया

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के 50 वर्ष - समालोचनात्मक विश्लेषण (भाग-I)

23 Jun, 2023 | आयुष वर्मा

  आयुष वर्मा    आयुष वर्मा गुजरात कैडर के वर्ष 2018 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी हैं, आपको ऑल-राउंड उत्कृष्ट प्रदर्शन में भारत सरकार के स्वर्ण पदक, मुख्य वानिकी (कोर...



कानून और समाज

पर्यावरण संरक्षण और मानवीय अस्तित्व

21 Jun, 2023 | हर्ष कुमार त्रिपाठी

पिछले कई दिनों से सारे TV चैनल और अखबार 'बिपरजॉय….. बिपरजॉय…' चिल्ला रहे हैं। यह अरब सागर में उठा एक अति विनाशकारी चक्रवातीय तूफान है जिसने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान...



विमर्श

हिंदी साहित्य को वैश्विक साहित्य कहा जा सकता है?

20 Jun, 2023 | वर्षा चौधरी

हिंदी वर्तमान समय में केवल शिक्षा एवं साहित्य की भाषा की परिधि तक सीमित नहीं रह गई है। भूमंडलीकरण अथवा वैश्वीकरण के दौर में हिंदी वैश्विक परिदृश्य में अपना महत्त्वपूर्ण...



कानून और समाज

शिक्षा में साहित्य की प्रासंगिकता

20 Jun, 2023 | डॉ. विवेक कुमार पाण्डेय

साहित्य का शाब्दिक अर्थ सहभाव है। सहभाव शब्द और अर्थ के मध्य विद्यमान होता है। साहित्य की परिभाषा इतनी व्यापकता लिए हुए है कि इसमें संपूर्ण मानव जीवन समाहित किया जा सकता...



विमर्श

पिता होने का अर्थ

20 Jun, 2023 | श्रुति गौतम

भगवान स्वरूप कटियार की कविता की एक पंक्ति है “पिता के पास लोरियाँ नहीं होतीं”। असल में पिताओं के पास होती हैं थपकियाँ, जिससे बच्चा मीठी नींद में सोता है। ये थपकियाँ ही...



कानून और समाज

भारत में बाल श्रम की रोकथाम कैसे हो?

12 Jun, 2023 | शालिनी बाजपेयी

बीते दिनों की बात है मैं सुबह-सुबह बस स्टेशन पर बैठकर अपनी बस के आने का इंतज़ार कर रही थी। उसी बीच मेरे पास दो छोटे बच्चे आए, जिनमें एक की उम्र करीब 5 साल और दूसरे की 6 साल के...



कानून और समाज

एक आदर्श पंचायती राज व्यवस्था कैसे स्थापित हो सकती है?

30 May, 2023 | संकर्षण शुक्ला

भारत मे स्थानीय स्वशासन का इतिहास सदियों पुराना है। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध चोल साम्राज्य के शासन के दौरान ऐसी संस्थाएं अनिवार्य रूप से उनके प्रशासन का हिस्सा थी। चोल...



व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

खड़ी बोली की विकास यात्रा में हरिऔध का योगदान

19 May, 2023 | अनुराग सिंह

हिंदी साहित्य का एक समृद्ध इतिहास रहा है। इसे हम आदिकाल, मध्यकाल एवं आधुनिक काल के रूप में देखते आए हैं। आदिकाल में भाषा का जो स्वरूप था वह अभी प्रारम्भिक हिंदी को गढ़ने का...



कानून और समाज

थैंक्यू माँ

17 May, 2023 | शालिनी बाजपेयी

वह कबूतर क्या उड़ा छप्पर अकेला हो गया माँ के आँखें मूँदते ही घर अकेला हो गया हृदय को भेदने वाली मुनव्वर राना की ये पंक्तियाँ इस धरती पर माँ के दर्जे को बखूबी बयां कर रही...



समाचारों में-आओ बात करें

खेलों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी

11 May, 2023 | शालिनी बाजपेयी

''मैं हमेशा ये सोच के रोता रहा कि छोरा होता तो देश के लिये गोल्ड लाता। ये बात मेरे समझ में न आई कि गोल्ड तो गोल्ड होता है, छोरा लावे या छोरी।'' साल 2016 में आई आमिर खान की फिल्म 'दंगल'...



कानून और समाज

समलैंगिक विवाह एवं विभिन्न अधिकार

09 May, 2023 | नेहा चौधरी

वर्ष 2010-12 का समय था। पहली बार घर से लगभग 400 किलोमीटर दूर रहकर पढ़ने आई थी शहर। हॉस्टल ही नया घर हुआ उसपर भी ये कि हॉस्टल में 2 सबसे जूनियर लड़कियों में थी एक मैं और दूसरी मेरी...



दर्शन और सभ्यताएँ

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में धर्म समाज को जोड़ने में कितना कारगर?

29 Apr, 2023 | संकर्षण शुक्ला

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में धर्म समाज को जोड़ने में कितना कारगर? "यतो ऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः।"अर्थात धर्म वह अनुशासित जीवन क्रम है, जिसमें लौकिक उन्नति (अविद्या)...



मोटिवेशन

मानव जीवन में पुस्तकों का महत्व

28 Apr, 2023 | सचिन समर

अब्राहम लिंकन ने कहा है कि “किताबें आदमी को ये बताने के काम आती हैं कि उसके मूल विचार आखिरकार इतने नये भी नहीं हैं।” सच में किताबों से गुजरना दुनिया के श्रेष्ठ अनुभवों...



विमर्श

युवा और कृषि

27 Apr, 2023 | राहुल कुमार

एक कहावत है- “उत्तम खेती, मध्यम बान : अधम चाकरी, भीख निदान।” अर्थात् खेती करना सबसे अच्छा कार्य है। खेती के बाद व्यापार करना अच्छा कार्य है। इसके बाद चाकरी यानी नौकरी को...




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