-
25 Nov 2020
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
भावनात्मक बुद्धिमत्ता से आप क्या समझते हैं? उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये कि बेहतर प्रशासन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग किस प्रकार उपयोगी साबित हो सकता है? (150 शब्द)
उत्तर
दृष्टिकोण:
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence-EI) को परिभाषित कीजिये।
- सिविल सेवकों के आचरण में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के महत्त्व का उल्लेख कीजिये।
- प्रभावी शासन सुनिश्चित करने में सिविल सेवाओं की गतिशील प्रकृति के बारे में उल्लेख करते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता न केवल अपनी भावनाओं को जानने और समझने से संबंधित है, बल्कि सामाजिक एवं वांछनीय तरीके से दूसरों की भावनाओं को समझ कर अपनी भावनाओं तथा व्यवहार को विनियमित करने से भी संबंधित है।
डेनियल गोलमैन द्वारा EI का एक मॉडल दिया गया है जिसमें चार प्रमुख घटक हैं:
स्वयं सामाजिक
आत्म जागरूकता
आत्मविश्वास
भावनात्मक आत्म-जागरूकता
वास्तविक आत्म-जागरूकता
आत्म जागरूकता
परानुभूति
संगठनात्मक जागरूकता
परिवेश के प्रति समझ
स्वत प्रबंधन
आत्म -संयम
विश्वसनीयता
चेतना/अंत: आत्मा की आवाज़
अनुकूलन क्षमता
बल और प्रेरणा
पहल
सामाजिक कौशल
प्रभाव
प्रेरणादायक नेतृत्व
दूसरों को प्रभावित करना
प्रभाव
संबंधों का निर्माण
टीम वर्क और सहयोग
प्रारूप:
प्रशासन और शासन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का अनुप्रयोग:
- चूंँकि प्रशासन का मुख्य कार्य सार्वजनिक नीतियों के क्रियान्वयन से होता है अतः सिविल सेवक सरकार और नागरिकों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं।इसलिये यह दो- तरफा संबंध है।
- सिविल सेवकों के कार्य में भावनाओं की भागीदारी होती है, इसलिये नैतिक आचरण के लिये भावनात्मक प्रबंधन आवश्यक है।
- सिविल सेवकों को अपने संबंधों एवं कार्यों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सिविल सेवकों द्वारा निम्नलिखित पहलुओं में बेहतर प्रशासन के लिये EI का उपयोग किया जा सकता है:
अंतर-संगठन संबंध:
- वरिष्ठों के साथ-साथ अधीनस्थों से उपयुक्त व्यवहार करना।
- गुण और तकनीकी प्राथमिकता योग्यता के साथ स्थानांतरण, पदोन्नति और पुरस्कार मान्यता के समय कर्मियों की वास्तविक चिंताओं पर उचित विचार करना।
- संगठन में अनुकूल कार्य संस्कृति को सुनिश्चित करना।
- उदाहरणत: इसरो को न केवल अपनी तकनीकी क्षमता के लिये बल्कि एक ऐसे संगठन के रूप में भी जाना जाता है जो परिणामोन्मुखी है तथा जिसे राष्ट्र के गौरव के रूप में देखा जाता है।
- इसे गर्भावस्था के दौरान महिला कर्मचारियों के लिये अनुकूल कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिये भी जाना जाता है।
प्रशासन-नागरिक इंटरफेस:
- सार्वजनिक सेवा वितरण में नागरिकों के साथ तटस्थता, दक्षता करुणा, नागरिक-मित्रता, भागीदारी और जुड़ाव को सुनिश्चित करना।
- सिविल सेवकों को आचरण नियमों के अनुसार न केवल अपने कर्तव्य, ज़िम्मेदारी और प्रतिबद्धता का पालन करना होता है बल्कि भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक क्षमता की भी आवश्यकता होती है।
- किसी भी कल्याणकारी योजना में अलग-थलग पड़ी हुई महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता देना, जिससे प्रशासनिक न्याय और सुशासन को सुनिश्चित किया जा सके।
- छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक शिक्षा शहर की स्थापना में पूर्व आईएएस अधिकारी श्री ओ पी चौधरी द्वारा किया गया कार्य आदिवासियों का विश्वास जीतकर ही संभव हुआ।
सामाजिक समस्याओं का समाधान:
- समाज में व्याप्त जातिवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद आदि जैसे विविध चुनौतियों का सामना करने के लिये नेतृत्व और ज़िम्मेदार व्यवहार की आवश्यकता है।
- दंगों, कानून और व्यवस्था की स्थितियों, आपराधिक न्याय प्रणाली, जेल सुधार आदि जैसी परिस्थितियों से निपटने में मानवतावाद, करुणा और तर्कसंगत निर्णय लेने में भावनात्मक बुद्धिमत्ता को महत्त्व दिया जाना चाहिये।
- सेवानिवृत्त आईपीएस सुश्री किरण बेदी द्वारा तिहाड़ जेल की महानिरीक्षक के रूप में जेल को एक मॉडल जेल में तब्दील करने का कार्य किया गया जहाँ कैदियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिये उनमें नए जीवन कौशल को विकसित किया जाता है।
निष्कर्ष:
वर्तमान सिविल सेवाओं में गतिशीलता को बनाए रखने हेतु कुशल नेतृत्व, सौम्य व्यवहार तथा सहानुभूति रखने वाले अधिकारियों की आवश्यकता होती है। प्रभावी शासन को केवल लोगों के सार्थक सहयोग तथा सक्रिय नौकरशाही ’द्वारा ही संभव बनाया जा सकता है। इसलिये भावनात्मक बुद्धिमत्ता सिविल सेवकों को अपने कर्तव्य, ज़िम्मेदारी और प्रतिबद्धता के प्रति समझ विकसित करने में सहायक है।