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02 Dec 2020
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर पड़ने वाली वैश्विक घटनाक्रमों के प्रभावों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
दृष्टिकोण:
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सामान्यीकृत स्वरूप को संक्षेप में लिखित रूप में प्रस्तुत कीजिये।
- उन वैश्विक घटनाक्रमों के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिये जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक निश्चित आकार प्रदान किया।
- चर्चा कीजिये कि किस प्रकार भारत की स्वतंत्रता एवं आदर्शों ने अन्य देशों को अपनी स्वतंत्रता और अन्याय हेतु लड़ने के लिये प्रेरित किया गया।
परिचय:
- ब्रिटिश राज में भारतीय स्वतंत्रता को आधुनिक इतिहास में सबसे महत्त्वपूर्ण आंदोलन कहा जा सकता है।
प्रारूप
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन पर प्रभाव:
- भारतीयों में आक्रोश: प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों का सहयोग पाने के लिये भारतीयों की सहमति के बिना इन्हें युद्ध में शामिल कर लिया गया तथा इस युद्ध में भारतीय लोगों एवं संसाधनों का इस्तेमाल किया गया। भारतीयों को बिना परामर्श के युद्ध में शामिल करने के कारण उनके मन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक प्रकार का आक्रोश उत्पन्न हो गया।
- मुस्लिम वर्ग की चिंता: अंग्रेज़, सत्ता तुर्की साम्राज्य के खिलाफ लड़ रही थी।जिस पर खलीफा का शासन था। मुसलमानों में खलीफा के प्रति बहुत सम्मान था। अत: तुर्की की रक्षा के लिये खिलाफत आंदोलन में भारतीय मुस्लिम वर्ग ने ब्रिटिशों के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लिया।
- होम रूल आंदोलन: वर्ष 1914 में एनी बेसेंट काॅन्ग्रेस में शामिल हुईं।वर्ष 1916 में उन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर होमरूल आंदोलन की शुरुआत की एवं भारतीयों के लिये स्वशासन की मांग की।
द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन :
- विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में लेबर पार्टी सत्ता में आई जिसने काॅन्ग्रेस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया तथा भारत में चुनाव घोषित किये गए। इससे शक्तिशाली भारतीय नेताओं का राजनीति में वापस आने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- युद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हो चुकी थी। ब्रिटेन अपने कारखानों में भोज्य पदार्थों एवं कच्चे माल की आपूर्ति के लिये दूसरे देशों पर निर्भर था। ऐसी गंभीर समस्याओं का सामना कर रही ब्रिटिश सरकार भारत को अपने अधीन रखने के पक्ष में नहीं थी और वहीं दूसरी तरफ उत्साही भारतीय लोग स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिये दृढ़ संकल्पित थे।
- अमेरिकी सरकार द्वारा ब्रिटेन पर भारत को स्वतंत्रत करने ले लिये दबाव डाला गया क्योंकि मित्र राष्ट्र स्वतंत्रता और लोकतंत्र के पक्षधर थे।
- द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटेन संयुक्त राज्य अमेरिका के समर्थन में शीत युद्ध में शामिल हो गया। वहीं यदि ब्रिटेन द्वारा भारत को स्वतंत्र नहीं किया जाता, तो उस स्थिति में रूस द्वारा मित्र राष्ट्रों पर आडंबर करने का आक्षेप लगाया जाता।
- द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद वैश्विक स्तर पर लोगों में साम्राज्यवाद और युद्धों के प्रति कड़वाहट देखी गई। वे अधिकारों, समानता और मानवता के लिये पहले से कहीं अधिक सशक्त होकर खड़े थे। उनका विश्वास था कि भारत एवं उपनिवेश देशों के स्वतंत्र होने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तथा सभी का कल्याण सुनिश्चित होगा।
रूसी क्रांति का प्रभाव: मार्क्सवाद और समाजवाद जैसी नई विचारधाराओं ने कई समाजवादी और कम्युनिस्ट समूहों को प्रेरित किया जिन्होंने किसानों तथा श्रमिकों को आकर्षित कर उन्हें राष्ट्रीय आंदोलन का एक अभिन्न अंग बना दिया।
भारत की स्वतंत्रता का अन्य देशों पर प्रभाव:
- वर्ष 1947 में भारत को मिली स्वतंत्रता ने राष्ट्रवादी आंदोलनों को प्रेरित किया तथा संपूर्ण विश्व के समक्ष विघटन और स्वतंत्रता का मॉडल प्रस्तुत किया। वर्ष 1950 तक उपनिवेश का पुराना क्रम अपनी ताकत एवं ऐतिहासिक प्रासंगिकता को खो चुका था।
- भारत की स्वतंत्रता ने अन्य देशों की स्वतंत्रता की मांग के लिये एक उत्प्रेरक का कार्य किया।
- अफ्रीका में सबसे अधिक परिवर्तन देखने को मिला। फ्रांँस द्वारा वर्ष 1960 में लगभग सभी अफ्रीकी उपनिवेशों को स्वतंत्रता प्रदान कर दी गई थी। ब्रिटेन ने धीरे-धीरे वर्ष 1957 से 1965 के मध्य तक लीबिया (1951), घाना (1957), मोरक्को (1956), नाइजीरिया (1960) को स्वतंत्र कर दिया।
- इसका प्रभाव दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों पर भी देखा गया जहाँ म्यांँमार को वर्ष 1948 में तथा इंडोनेशिया को वर्ष 1949 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने विश्व में अहिंसा के आदर्शों को अपनाने के लिये कई और वैश्विक नेताओं को प्रेरित किया जिनमें मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला प्रमुख थे।
निष्कर्ष:
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी के योगदान को शब्दों में नहीं मापा जा सकता है। उन्होंने अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर अंग्रेज़ों को भारत से जाने के लिये मजबूर क्र दिया। उनकी नीतियांँ और एजेंडा अहिंसक थे तथा उनके शब्द लाखों लोगों के लिये प्रेरणा स्रोत थे।
- विश्व में शांतिपूर्ण स्वतंत्रता की लड़ाई के लिये भारतीय स्वतंत्रता एक प्रकाश-स्तंभ बन गई।