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  • 31 Jul 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    आधुनिक भारत के निर्माण में राजा राम मोहन राय के योगदान की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • राजा राम मोहन राय का संक्षिप्त परिचय दीजिये।

    • विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान और इसके कारण लोगों के जीवन में आए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों की व्याख्या कीजिये।

    • उनकी विरासत को जारी रखने के उपायों और वर्तमान सुधार की आवश्यकता को बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    राजा राम मोहन राय, 'भारतीय पुनर्जागरण के पिता', बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति थे। उनके द्वारा स्थापित 'ब्रह्म समाज',जो आधुनिक पश्चिमी विचारों से प्रभावित था, सबसे शुरुआती सुधार आंदोलन था। एक सुधारवादी विचारक के रूप में राय आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवीय गरिमा तथा सामाजिक समानता के सिद्धांतों में विश्वास करते थे।

    स्वरूप/ढाँचा

    उनके विचारों और गतिविधियों का उद्देश्य सामाजिक सुधार के माध्यम से जनता का राजनीतिक उत्थान करना था। उनके प्रमुख योगदानों को निम्नलिखित संदर्भों के अंतर्गत समझा जा सकता है:

    धार्मिक सुधार:

    • वर्ष 1803 मे राय ने अपनी पहली पुस्तक ‘तुहफ़त-उल-मुवाहिदीन’ या ‘गिफ्ट टू मोनोथिस्ट’ प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने एकेश्वरवाद (एकल ईश्वर की अवधारणा) के पक्ष में तर्क दिया है। उन्होंने अपने इस तर्क ‘प्राचीन हिंदू ग्रंथों ने एकेश्वरवाद का समर्थन किया है’, को साबित करने के लिये वेदों और पाँच उपनिषदों का बंगाली में अनुवाद किया।
    • वर्ष 1814 में उन्होंने मूर्तिपूजा, जातिगत रूढ़िवादिता, निरर्थक अनुष्ठानों और अन्य सामाजिक बुराईयों के खिलाफ अभियान चलाने के लिये कलकत्ता में आत्मीय सभा की स्थापना की।
    • उन्होंने ईसाई धर्म के कर्मकांडों की आलोचना की और ईश्वर के अवतार के रूप में ईसा मसीह को खारिज कर दिया। प्रीसेप्ट्स ऑफ जीसस (1820) में उन्होंने न्यू टेस्टामेंट के नैतिक और दार्शनिक संदेश को अलग करने का प्रयास किया, जिसकी उन्होंने इसकी चमत्कारिक कहानियों के लिये प्रशंसा की थी।

    सामाजिक सुधार:

    • राय ने अगस्त 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की, जिसने हिंदू समाज में मौजूद कुप्रथाओं के विरुद्ध संघर्ष किया।
    • राय सती प्रथा के अमानवीय व्यवहार के खिलाफ एक धार्मिक योद्धा थे। उन्होंने वर्ष 1818 में सती-विरोधी संघर्ष शुरू किया और पवित्र ग्रंथों का हवाला देते हुए यह साबित करने का प्रयास किया कि सभी धर्म मानवता, तर्क और करुणा की बात करते है; कोई भी धर्म विधवाओं को जिंदा जलाने का समर्थन नहीं करता है। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 1829 में सरकारी विनियमन द्वारा सती प्रथा को अपराध घोषित कर दिया गया।
    • राय ने बहुविवाह, बाल- विवाह और विधवाओं की अपमानजनक स्थिति पर प्रहार किया और महिलाओं के लिये उत्तराधिकार और संपत्ति के अधिकार की माँग की।
    • उन्होंने जाति व्यवस्था, छुआ-छूत, अंधविश्वास और मादक द्रव्यों के इस्तेमाल के खिलाफ भी अभियान चलाया।

    शैक्षणिक सुधार:

    • राय ने अपने देशवासियों के लिये आधुनिक शिक्षा के लाभों का प्रसार करने हेतु बहुत कुछ किया। उन्होंने वर्ष 1817 में हिंदू कॉलेज की स्थापना के लिये डेविड हेयर के प्रयासों का समर्थन किया। राय के अंग्रेज़ी विद्यालय में मेकैनिक्स और वॉल्टेयर के दर्शन पढ़ाए जाते थे।
    • वर्ष 1825 में उन्होंने वेदांत कॉलेज की स्थापना की, जहाँ भारतीय शिक्षण और पश्चिमी सामाजिक और भौतिक विज्ञान दोनों पाठ्यक्रम उपलब्ध थे ।
    • राय ने बंगाली अखबार "संवाद कौमुदी" (1821) और फारसी अख़बार "मिरात-उल-अखबार" के संपादक के रूप में भी कार्य किया।

    आर्थिक और राजनीतिक सुधार:

    • राय ने बंगाली ज़मींदारों की दमनकारी प्रथाओं की निंदा की और न्यूनतम किराए के निर्धारण की माँग की। उन्होंने कर मुक्त भूमि से करों को समाप्त करने की भी माँग की।
    • उन्होंने विदेशों में भारतीय वस्तुओं पर निर्यात शुल्क घटाने और ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को समाप्त करने का आह्वान किया।
    • उन्होंने उच्च/श्रेष्ठ सेवाओं के भारतीयकरण और कार्यपालिका को न्यायपालिका से पृथक करने की माँग की। उन्होंने भारतीयों और यूरोपीय लोगों के बीच समानता की भी माँग की।

    निष्कर्ष:

    राय अपने समय से बहुत आगे चलने वाले व्यक्ति थे। स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों के अंतर्राष्ट्रीय चरित्र के बारे में उनकी समझ ने आधुनिक युग के महत्त्व को बखूबी समझा। ये सिद्धांत वर्तमान 'न्यू इंडिया' के विचार को प्रेरित करते हैं।

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