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07 Jul 2019
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
वर्तमान यूरोप की भू-राजनीति को फिर से आकार देने में प्रथम विश्वयुद्ध की भूमिका का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
• अनेक भू-राजनीतिक संस्थाओं के निर्माण में प्रथम विश्वयुद्ध कीजिये।
• युद्धकाल से लेकर यूरोपीय संघ के निर्माण तक के परिवर्तनों को लिखिये।
• प्रथम विश्वयुद्ध के संदर्भ में वर्तमान घटनाओं का उल्लेख कीजिये।
परिचय:
प्रथम विश्वयुद्ध ने यूरोप के राजनीतिक भू-दृश्यों को परिवर्तित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। युद्ध के पश्चात जहाँ एक ओर तीन बड़े साम्राज्यों का पतन हुआ, वहीं दूसरी ओर नए राज्यों का उदय भी हुआ। युद्ध के बाद सीमाओें का पुर्नगठन राष्ट्रीयता, नृजातीयता या आत्मनिर्णय के आधार पर न होकर आर्थिक व्यवहार्यता व भू-राजनीतिक हितों के सिद्धांत पर हुआ। इसलिये 21वीं सदी भी राष्ट्रीय पहचान और राजनीतिक स्वायत्तता से संबंधित संघर्ष की समस्या से ग्रस्त है।
प्रमुख बिंदु:
प्रथम विश्वयुद्ध के परिणाम:
- केंद्रीय शक्तियों के साम्राज्य का विघटन: इस युद्ध ने जर्मनी, ऑस्ट्रिया तथा तुर्की साम्राज्यों का विघटन कर दिया। इसके बाद यूरोप में यूगोस्लाविया, हंगरी व रोमानिया आदि देश अस्तित्व में आए।
- अमेरिका की महत्ता में वृद्धि: प्रथम विश्वयुद्ध के परिणामस्वरूप यूरोपीय देशों का प्रभुत्व समाप्त हो गया। युद्ध में अतिशय धन खर्च होने के कारण यूरोपीय देशों को संयुक्त राज्य अमेरिका से भारी मात्रा में कर्ज़ लेना पड़ा जिसके कारण युद्ध के पश्चात् अमेरिका का प्रभाव बढ़ गया।
- राष्ट्र संघ की स्थापना: युद्ध के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की आवश्यकता महसूस करते हुए अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूप में राष्ट्र संघ की स्थापना हुई।
- आर्थिक परिणाम: युद्धकाल में अनेक उद्योग-धंधे बंद या नष्ट हो गए। युद्धकाल में सैन्य सामग्री के निर्माण के लिये स्थापित उद्योगों को युद्धोपरांत बंद कर दिया गया, परिणामस्वरूप बेरोज़गारी की समस्या उत्पन्न हो गई। साथ ही मुद्रा का अवमूल्य होने के कारण व्यापार के क्षेत्र में असंतुलन एवं अव्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हुई।
- युद्धोत्तर काल में शांति व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से वर्ष 1919 में पेरिस शांति सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन ने जन-आक्षांओं को ध्यान में रखे बिना नई राजनीतिक सीमाओं का गठन किया।
- प्रथम विश्वयुद्ध ने यूरोप के राजनीतिक मानचित्र को परिवर्तित कर दिया जिसने द्वितीय विश्वयुद्ध की नींव रखी।
- दोनों विश्व युद्धों के बीच की अवधि (Intra war period): अपमानजनक ‘वर्साय की संधि’ का बदला लेने हेतु हिटलर के नेतृत्व में नाजी शासन का उदय हुआ। इस संधि ने यूरोप को और अधिक अस्थिर कर दिया।
- शीतयुद्ध काल: इस काल में यूरोपीय राज्य अमेरिका व साम्यवादी रूस के मध्य संघर्ष का क्षेत्र थे। इस काल की महत्त्वपूर्ण घटना जर्मनी का विभाजन व बर्लिन की दीवार का गिराया जाना था।
- यूरोपीय संघ का उदय: दो विश्वयुद्धों के परिणामस्वरूप यूरोप में बड़े स्तर पर पुर्नर्निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई जिसने यूरोपीय देशों को परस्पर सहयोग हेतु विवश किया और यूरोपीय संघ (1957) की स्थापना के लिये प्रेरित किया।
निष्कर्ष:
- प्रथम विश्वयुद्ध ने यूरोप को न सिर्फ तात्कालिक रूप से प्रभावित किया अपितु युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियाँ अभी भी यूरोप के राजनीतिक व आर्थिक निर्णयों को प्रभावित करती दिखाई देती हैं।
- प्रथम विश्वयुद्ध के समय अनेक देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को संरक्षित रखने के लिये सीमा शुल्कों में वृद्धि की यही प्रवृत्ति वर्तमान में व्यापार संरक्षण के रूप में पुन: दिखाई दे रही है।