-
03 Jul 2019
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
स्वतंत्रता संग्राम को लेकर महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक के दृष्टिकोण में अंतर और समानता को उजागर कीजिये।
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
• महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
• भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दोनों के मध्य अंतर और समानताओं को लिखिये।
• स्वतंत्रता संग्राम में उनके महत्त्व को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
गांधी जी व बाल गंगाधर तिलक ने अपने दृष्टिकोण व विचारों से स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जहाँ तिलक ने स्वदेशों व बहिष्कार आंदोलन में योगदान दिया। वहीं गांधी जी ने असहयोग आंदोलन से लेकर पूर्ण स्वराज स्वतंत्रता तक नेतृत्व प्रदान किया।
प्रमुख बिंदु:
समानताएँ:
- स्वदेशी व विदेशी सामानों का बहिष्कार: दोनों नेताओं ने विदेशी सामानों के बहिष्कार व स्वदेशी के उपयोग को प्रोत्साहन प्रदान कर औपनिवेशिक शासन पर प्रहार किया।
- दोनों नेताओं ने निम्न मध्यम वर्ग, किसानों, शिल्पकारों व मज़दूरों की समस्याओं को उजागर किया तथा उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्यधारा में शामिल किया।
- वर्ष 1896-97 में तिलक ने पूना सार्वजनिक सभा की सहायता से महाराष्ट्र में गैर-कर अदायगी अभियान चलाया वहीं गांधी जी ने भी सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान सरकारी कर विशेषकर नमक पर कर अदा न करने का आह्रान किया।
- दोनों नेताओं ने स्वराज को स्वतंत्रता संघर्ष का लक्ष्य बनाया।
- दोनों नेताओं ने प्रेस व समाचार पत्रों को ब्रिटिश शासन के विरूद्ध प्रचार के लिये प्रयोग किया।
विभिन्नताएँ
- तिलक का दृष्टिकोण संघर्ष औपनिवेशिक कानूनों के अंतर्गत रहकर ब्रिटिश शासन के विरूद्ध संघर्ष करना था, जबकि गांधी जी ब्रिटिश शासन के कानूनों को तोड़ने में विश्वास करते थे। दोनों नेताओं को देशद्रोह में गिरफ्तार किया गया, तिलक ने सभी आरोपों को नकार दिया, जबकि गांधी जी ने आरोपो को स्वीकार किया।
- गांधी जी ने पूर्ण रूप से अहिंसा के मार्ग को अपनाया, जबकि तिलक के अनुसार ‘‘निष्क्रिय प्रतिरोध एक अंत का साधन था परंतु यह लक्ष्य नहीं था।’’
- बाल गंगाधर तिलक ने विधानपरिषद के सदस्य के रूप में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विधानपरिषद को एक मंच के रूप में प्रयोग किया, वहीं गांधी जी कभी भी विधानपरिषद के सदस्य नहीं बने तथा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध असहयोगी की भूमिका में रहे।
- तिलक की राजनीतिक विचारधारा उग्रवादी थी तथा वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आक्रामक गतिविधियों के पक्षधर थे, जबकि गांधी जी पूर्णतया अहिंसावादी थे।
निष्कर्ष
दोनों नेताओं के मध्य भिन्नता केवल उनके राजनीतिक काल में अंतर के कारण रही, जबकि उनके बीच समानता ब्रिटिश शासन के विरुद्ध मूलभूत मूल्यों व उद्देश्यों के कारण रही।