विज्ञप्ति संख्या: 1/2023
तिथि : 2 मार्च, 2023
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ चैनल्स ने ऐसी रिपोर्ट्स प्रकाशित की हैं जिनका दावा है कि दृष्टि संस्थान ने अपने एक कर्मचारी श्री हिमांशु सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार के दबाव में नौकरी से निकाला है। इस संबंध में कुछ चैनल्स ने हमसे संपर्क किया। यह प्रेस विज्ञप्ति उसी के संबंध में है।
श्री हिमांशु सिंह को हटाए जाने के संबंध में जो आक्षेप लगाया गया है, वह पूरी तरह मनगढ़ंत है और हमारी छवि को धूमिल करने का प्रयास है। उन्हें हटाए जाने का निर्णय इसलिये किया गया है कि वे लगातार बिना अनुमति के छुट्टियों पर रह रहे थे और अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति बेहद लापरवाह थे। यह सिर्फ एक संयोग है कि उन्हें हटाए जाने का निर्णय होने के एक दिन बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी पत्नी श्रीमती नेहा सिंह राठौड़ को कानूनी नोटिस दिया।
इस संबंध में विस्तृत तथ्य निम्नलिखित हैं :
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श्री हिमांशु सिंह 23 जून 2015 को दृष्टि में कॉन्टेंट राइटर के पद पर नियुक्त हुए थे। 2 वर्ष बाद वे इस्तीफ़ा देकर 30 सितंबर 2017 को कार्यमुक्त हो गए थे। बाद में, उनके निवेदन पर उन्हें 17 सितंबर, 2018 को पुनः नियुक्त किया गया था। इस दौरान उन्होंने 'डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम' के लिये कार्य किया।
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1 अगस्त 2021 को उन्हें 'हिंदी बुक्स टीम' में स्थानांतरित किया गया था जहाँ वे 19 अक्तूबर 2022 तक कार्यरत रहे। यह टीम नई किताबों के प्रकाशन का कार्य करती है।
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बुक्स टीम में कार्य के दौरान उनका प्रदर्शन कमज़ोर स्तर का था। उनके विभाग प्रमुख ने 2021 और 2022 में कई बार अपने वरिष्ठ अधिकारियों को उनके कमज़ोर प्रदर्शन के संबंध में सूचित किया था। 6 मई 2022 को उन्हें आधिकारिक तौर पर 'कमज़ोर प्रदर्शन रिपोर्ट' (WPR : Weak Performance Report) जारी की गई थी जो किसी कर्मचारी को संस्थान से हटाने का एक आधार होती है। उन्होंने 9 मई को लिखित रूप से अपनी गलती को स्वीकार किया।
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'कमज़ोर प्रदर्शन रिपोर्ट' जारी करने के बाद उन्हें अपना प्रदर्शन सुधारने के लिये कई बार समझाया गया किंतु कोई सुधार न होने के कारण 10 सितंबर 2022 को उनके विभाग प्रमुख ने उनकी सेवा समाप्ति की अनुशंसा शीर्ष प्रबंधन के पास भेजी थी। ये सभी रिपोर्ट्स हमारे पास उपलब्ध हैं।
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शीर्ष प्रबंधन का मत था कि किसी सदस्य को हटाने से पहले सभी संभव अवसर दिये जाने चाहियें, अतः श्री हिमांशु सिंह को पुनः समझाया गया कि वे अपने प्रदर्शन में सुधार करें। इससे भी बात नहीं बनी तो 19 अक्तूबर 2022 को 'हिंदी बुक्स टीम' के प्रमुख ने शीर्ष प्रबंधन से औपचारिक निवेदन किया कि श्री हिमांशु सिंह को मीडिया टीम में स्थानांतरित कर दिया जाए। इस सलाह का आधार यह था कि श्री हिमांशु सिंह ने प्रबंधन से आग्रह किया था कि उन्हें मीडिया टीम में भेज दिया जाए क्योंकि वह उनकी रुचि का क्षेत्र है।
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शीर्ष प्रबंधन के निर्देश पर 19 अक्तूबर 2022 को ही श्री हिमांशु सिंह को प्रायोगिक तौर पर मीडिया डिवीज़न में स्थानांतरित किया गया किंतु वहाँ भी उनका प्रदर्शन जस का तस रहा।
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श्री हिमांशु सिंह की सेवाएँ समाप्त करने की तात्कालिक वजह यह थी कि पिछले कुछ महीनों से वे बिना अनुमति के बहुत सारी छुट्टियाँ ले रहे थे जिससे न सिर्फ कार्य की गति प्रभावित हो रही थी अपितु शेष कर्मचारियों के मनोबल व अनुशासन से जुड़ी चिंताएँ भी बढ़ने लगी थीं।
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दिसंबर 2022 में श्री हिमांशु सिंह सिर्फ 15 दिन ऑफिस आए। उन 15 दिनों में भी वे 4 दिन हाफ डे लीव पर रहे, 2 दिन शॉर्ट लीव पर रहे, 1 दिन देरी से आए और 1 दिन बायोमैट्रिक पंचिंग भूल गए। उन्होंने छुट्टियों के लिये अनुमति भी नहीं ली। उन्हें इस संबंध में बार-बार मौखिक चेतावनी दी गई।
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जनवरी 2023 में भी यही स्थिति रही। वे सिर्फ 15 दिन ऑफिस आए, बाकी दिन बिना अनुमति के गायब रहे। जिन 15 दिनों में वे आए, उनमें भी वे 4 दिन हाफ डे लीव पर रहे, 2 दिन शॉर्ट लीव पर रहे और 4 दिन देरी से आए। उन्हें पुनः चेतावनी दी गई।
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फरवरी 2023 में स्थितियाँ और बिगड़ीं। 1 से 9 फरवरी तक वे एक भी दिन सुबह से शाम तक पूरे कार्यदिवस में ऑफिस में नहीं रहे। इन 9 दिनों में वे 1 दिन छुट्टी पर रहे, 2 दिन हाफ डे लीव पर, 3 दिन शॉर्ट लीव पर रहे, 1 दिन देरी से आए और 1 दिन बायोमैट्रिक पंचिंग भूल गए।
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इसके बाद वे पूरी तरह गायब हो गए। 10 से 20 फरवरी तक लगातार 11 दिन वे बिना अनुमति के अनुपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति के सारे आँकड़े हमारे बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में दर्ज हैं।
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स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 20 फरवरी की शाम को मीडिया टीम के प्रमुख ने उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी (डिप्टी सीईओ) से निवेदन किया कि उनकी टीम से श्री हिमांशु सिंह को हटाकर किसी अन्य सदस्य को नियुक्त किया जाए ताकि उनकी टीम तय समय-सीमा में अपने कार्य पूरे कर सके।
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दृष्टि संगठन के कर्मचारियों की नियमावली {Employees Handbook) के नियम संख्या 4.13(e) में वर्णित है कि यदि कोई कर्मचारी बिना अनुमति के लगातार 7 दिनों तक अनुपस्थित रहता है तो उसे तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त किया जा सकता है। 20 फरवरी की शाम को मीडिया टीम के प्रमुख की अनुशंसा के मद्देनज़र यह निर्णय लिया गया कि श्री हिमांशु सिंह को सेवामुक्त किया जाए। यह भी तय हुआ कि उनसे इस्तीफ़ा मांगा जाए ताकि संस्थान को उन्हें हटाने की कार्रवाई न करनी पड़े और उनके सम्मान को ठेस न पहुँचे।
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इस निर्णय के बाद 20 फरवरी को ही उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी (डिप्टी सीईओ) ने शाम 8 बजे श्री हिमांशु सिंह को वाट्सएप मैसेज किया और अगले दिन 12 बजे मिलने के लिये बुलाया। एक मिनट बाद ही श्री हिमांशु सिंह ने जवाब में कहा कि वे अगले दिन आएंगे।
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21 फरवरी को दोपहर 12 बजे के आसपास श्री हिमांशु सिंह ऑफिस आकर उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी (डिप्टी सीईओ) से मिले। उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि वे निजी व्यस्तताओं के कारण ऑफिस को समय नहीं दे पा रहे हैं। उनसे आग्रह किया गया कि वे स्वयं इस्तीफ़ा दे दें। उन्होंने पूरी सहजता के साथ इस विकल्प को स्वीकार किया और अगले दिन तक इस्तीफ़ा सौंपने का समय मांगा।
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21 फरवरी को ही संयोग से उत्तर प्रदेश पुलिस ने श्री हिमांशु सिंह की पत्नी श्रीमती नेहा सिंह राठौर को कानूनी नोटिस दिया। इस प्रकरण की जानकारी उस समय तक दृष्टि संस्थान में किसी को नहीं थी। बाद में इन दोनों घटनाओं को गलत मंशा से जान-बूझकर जोड़ा गया।
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23 फरवरी को श्री हिमांशु सिंह ने इस्तीफ़ा सौंपा जिसे स्वीकार कर लिया गया।
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दृष्टि संस्थान के कर्मचारियों के लिये एक घोषित सोशल मीडिया पॉलिसी है जो 27 मई, 2022 को संस्थान के मैनेजमेंट ग्रुप (वाट्सएप) पर जारी की गई थी। इसके तहत प्रत्येक कर्मी अपनी निजी हैसियत से सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति के लिये स्वतंत्र है। उनसे सिर्फ यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने प्रोफाइल पर स्पष्ट कर दें कि उनके द्वारा अभिव्यक्त विचार निजी हैं, उनका दृष्टि संस्थान की विचारधारा से कोई संबंध नहीं है। साथ ही, यह अपेक्षा की जाती है कि अभिव्यक्ति में भाषा की मर्यादा का ध्यान रखें। हमें गर्व है कि हमारी टीम में कई विरोधी विचारधाराओं के सदस्य एक साथ कार्य करते हैं। आज तक किसी भी सदस्य को उसकी विचारधारा के कारण कोई पुरस्कार या दंड नहीं दिया गया है।
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किसी कर्मचारी का पति या पत्नी सोशल मीडिया पर क्या विचारधारा रखता है, यह हमारी मैनेजमेंट के लिये विचार का विषय भी नहीं है। इस आधार पर निर्णय करना तो कल्पना के भी परे है।
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दृष्टि संस्थान राजनीतिक तटस्थता के साथ कार्य करता है। प्रत्येक कर्मचारी की अपनी विचारधारा हो सकती है, किंतु संस्थान किसी राजनीतिक विचारधारा के साथ नहीं जुड़ा है।
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हमारी मैनेजमेंट पर आज तक किसी भी राजनीतिक दल या सरकार ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऐसा दबाव नहीं बनाया है कि हम किसी कर्मचारी को संस्थान में रखें या नहीं। इसलिये हम इस आरोप का कड़े शब्दों में विरोध व भर्त्सना करते हैं।
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ऊपर दी गई सभी जानकारियों के पुख्ता प्रमाण हमारे पास मौजूद हैं। यदि हमें यह विषय किसी अदालत में ले जाने की ज़रूरत महसूस होती है (या कोई अन्य पक्ष न्यायालय जाता है) तो हम बिना देरी के सभी प्रमाण उपलब्ध कराएंगे। यदि उपरोक्त जानकारियों में से एक भी बात गलत प्रमाणित हुई तो हम उपयुक्त कानूनी कार्रवाई को सहर्ष स्वीकार करेंगे।
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दृष्टि संस्थान अपने भूतपूर्व कर्मचारी श्री हिमांशु सिंह को भावी जीवन के लिये शुभकामनाएँ देता है। आशा है कि वे जहाँ भी रहेंगे, ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ कार्य करते हुए सफलताएँ अर्जित करेंगे।
धन्यवाद,
दृष्टि प्रबंधन
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