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हिंदी साहित्य पाठ्यक्रम प्रश्नपत्र-1
खंड : ‘क’ (हिन्दी भाषा और नागरी लिपि का इतिहास)
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अपभ्रंश, अवहट्ट और प्रारंभिक हिन्दी का व्याकरणिक तथा अनुप्रयुक्त स्वरूप।
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मध्यकाल में ब्रज और अवधी का साहित्यिक भाषा के रूप में विकास।
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सिद्ध एवं नाथ साहित्य, खुसरो, संत साहित्य, रहीम आदि कवियों और दक्खिनी हिन्दी में खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप।
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उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली और नागरी लिपि का विकास।
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हिन्दी भाषा और नागरी लिपि का मानकीकरण।
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स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी का विकास।
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भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिन्दी का विकास।
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हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक और तकनीकी विकास।
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हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ और उनका परस्पर संबंध।
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नागरी लिपि की प्रमुख विशेषताएँ और उसके सुधार के प्रयास तथा मानक हिन्दी का स्वरूप।
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मानक हिन्दी की व्याकरणिक संरचना।
खंड : ‘ख’ (हिन्दी साहित्य का इतिहास)
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हिन्दी साहित्य की प्रासंगिकता और महत्त्व तथा हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन की परम्परा।
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हिन्दी साहित्य के इतिहास के निम्नलिखित चार कालों की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ
(क) आदिकालः सिद्ध, नाथ और रासो साहित्य।
प्रमुख कविः चंदबरदाई, खुसरो, हेमचन्द्र, विद्यापति।
(ख) भक्ति कालः संत काव्य धारा, सूफी काव्यधारा, कृष्ण भक्तिधारा और राम भक्तिधारा।
प्रमुख कविः कबीर, जायसी, सूर और तुलसी।
(ग) रीतिकालः रीतिकाव्य, रीतिबद्ध काव्य, रीतिमुक्त काव्य
प्रमुख कविः केशव, बिहारी, पदमाकर और घनानंद।
(घ) आधुनिक कालः नवजागरण, गद्य का विकास, भारतेन्दु मंडल
प्रमुख कविः भारतेन्दु, बाल कृष्ण भट्ट और प्रताप नारायण मिश्र।
(ड.) आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ: छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, नवगीत, समकालीन कविता और जनवादी कविता।
प्रमुख कविः मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, गजानन माधव मुक्तिबोध, नागार्जुन।
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कथा साहित्यः
(क) उपन्यास और यथार्थवाद
(ख) हिन्दी उपन्यासों का उद्भव और विकास
(ग) प्रमुख उपन्यासकार : प्रेमचन्द, जैनेन्द्र, यशपाल, रेणु और भीष्म साहनी।
(घ) हिन्दी कहानी का उद्भव और विकास।
(ड़) प्रमुख कहानीकार : प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, मोहन राकेश और कृष्णा सोबती।
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नाटक और रंगमंच :
(क) हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास
(ख) प्रमुख नाटककार : भारतेन्दु, जयशंकर प्रसाद, जगदीश चंद्र माथुर, रामकुमार वर्मा, मोहन राकेश।
(ग) हिन्दी रंगमंच का विकास।
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आलोचना :
(क) हिन्दी आलोचना का उद्भव और विकास- सैद्धांतिक, व्यावहारिक, प्रगतिवादी, मनोविश्लेषणवादी आलोचना और नई समीक्षा।
(ख) प्रमुख आलोचक - रामचन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा और नगेन्द्र।
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हिन्दी गद्य की अन्य विधाएँ: ललित निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा वृत्तान्त।
हिंदी साहित्य पाठ्यक्रम प्रश्नपत्र-2
इस प्रश्नपत्र में निर्धारित मूल पाठ्यपुस्तकों को पढ़ना अपेक्षित होगा और ऐसे प्रश्न पूछे जाएंगे जिनसे अभ्यर्थी की आलोचनात्मक क्षमता की परीक्षा हो सके।
खंड : ‘क’ (पद्य साहित्य)
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कबीर : कबीर ग्रंथावली (आरंभिक 100 पद) सं. श्याम सुन्दर दास
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सूरदास : भ्रमरगीत सार (आरंभिक 100 पद) सं. रामचंद्र शुक्ल
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तुलसीदास : रामचरित मानस (सुंदर काण्ड), कवितावली (उत्तर काण्ड)
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जायसी : पदमावत (सिंहलद्वीप खंड और नागमती वियोग खंड) सं. श्याम सुन्दर दास
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बिहारी : बिहारी रत्नाकर (आरंभिक 100 दोहे) सं. जगन्नाथ दास रत्नाकर
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मैथिलीशरण गुप्त : भारत भारती
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जयशंकर प्रसाद : कामायनी (चिंता और श्रद्धा सर्ग)
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सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला’ : राग-विराग (राम की शक्ति पूजा और कुकुरमुत्ता) सं. रामविलास शर्मा
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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ : कुरुक्षेत्र
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अज्ञेय : आंगन के पार द्वार (असाध्यवीणा)
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मुक्ति बोध : ब्रह्मराक्षस
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नागार्जुन : बादल को घिरते देखा है, अकाल और उसके बाद, हरिजन गाथा।
खंड : ‘ख’ (गद्य साहित्य)
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भारतेन्दु : भारत दुर्दशा
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मोहन राकेश : आषाढ़ का एक दिन
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रामचंद्र शुक्ल : चिंतामणि (भाग-1), (कविता क्या है, श्रद्धा-भक्ति)।
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निबंध निलय : संपादक : डॉ. सत्येन्द्र। बाल कृष्ण भट्ट, प्रेमचन्द, गुलाब राय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा, अज्ञेय, कुबेरनाथ राय।
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प्रेमचंद: गोदान, ‘प्रेमचंद’ की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (संपादक : अमृत राय)
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प्रसाद : स्कंदगुप्त
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यशपाल : दिव्या
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फणीश्वरनाथ रेणु : मैला आंचल
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मन्नू भण्डारी : महाभोज
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राजेन्द्र यादव (सं.) : एक दुनिया समानान्तर (सभी कहानियाँ)
Previous Year UPSC Questions
PAPER-I
SECTION-A
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निम्नलिखित की सप्रसंग व्याख्या लगभग 150 शब्दों में कीजिये: 10 × 5 = 50
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(a) बिरह अगिनि तनु ठूल समीरा।
स्वास जरइ छन महिं सरीरा।।
नयन स्रवहिं जलु निज हित लागी।
जरें न पाव देह बिरहागी।।
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(b) हा दैव अब वे दिन कहाँ हैं और वे रातें कहाँ?
हैं काल की घातें कि कल की आज हैं बातें कहाँ हैं और वे रातें कहाँ?
क्या थे तथा अब क्या हुए हमजानता बस काल है
भगवान् जानेकाल की कैसी निराली चाल है
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(c) महानृत्य का विषम समअरी
अखिल स्पंदनों की तू माप
तेरी ही विभूति बनती है
सृष्टि सदा होकर अभिशाप।
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(d) अति-प्रपुल्लित कंटकित तन-मन वही
करता रहा अनुभव कि नभ ने भी
विनत हो मान ली है श्रेष्ठता उसकी
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(e) छोटे-छोटे मोती जैसी
उसके शीतल तुहिन कणों को
मानसरोवर के उन स्वर्णिम
कमलों पर गिरते देखा है।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
(a) गोस्वामी तुलसीदास रचित 'कवितावली' के उत्तरकांड के आधार पर उनकी भक्ति-भावना का स्वरूप स्पष्ट कीजिये। 20
(b) कबीर वाणी के डिक्टेटर हैं—इस अभिमत के परिप्रेक्ष्य में कबीर की भाषा पर विचार कीजिये। 15
(c) बिहारी के विरह-वर्णन की मार्मिकता पर प्रकाश डालिये। 15
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
(a) निराला रचित 'राम की शक्ति पूजा' के शिल्प-विधान की समीक्षा कीजिये। 20
(b) 'असाध्य वीणा' के परिप्रेक्ष्य में अज्ञेय के काव्यगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिये। 15
(c) नागार्जुन के काव्य-वैविध्य पर सोदाहरण प्रकाश डालिये। 15
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
(a) सूरदास के वाग्वैदग्ध्य की 'भ्रमगीत सार' के आधार पर समीक्षा कीजिये। 20
(b) 'कुरुक्षेत्र' के आधार पर दिनकर की युग-चेतना पर प्रकाश डालिये।
(c) नागार्जुन रचित 'अकाल और उसके बाद' की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिये। 15
SECTION-B
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निम्नलिखित की सप्रसंग व्याख्या लगभग 150 शब्दों में कीजिये: 10 × 5 = 50
(a) विपन्नता के इस अबाह सागर में सोहाग ही वह तुम थाजिसे पकड़े हुए बह सागर को पार कर रही थी। इन असंगत शब्दों ने यथार्थ के निकट होने पर भीमानो झटका देकर उसके हाथ से वह तिनके का सहारा छीन लेना चाहा। बल्कि यथार्थ के निकट होने के कारण ही उनमें इतनी दना-शक्ति आ गई थी। 10
(b) बह संसार के सुख-दु:ख अनुभव करता है। अनुभूति और विचार ही उसकी शुक्ति है। उम अनुभूति का ही आदान-प्रदान बह देवी से कर सकता है। वह संसार के धूल-धूसरित मार्ग का पथिक है। उस मार्ग पर देवी के नारीत्व की कामना में वह अपना पुरुषत्व अर्पण करता है। वह आश्रय का आदान-प्रदान चाहता है।
(c) नीलोत्पल नहीं-नहीं। यह अँधेरा नहीं रहेगा। मानवता के पुजारियों की सम्मिलित वाणी गूँजती है पवित्र वाणी। उन्हें प्रकाश मिल गया है। तेजोमय क्षत-विक्षत पृथ्वी की घाब पर शीतल चंदन लेप रहा है। प्रेम और अहिंसा की साधना हो चुकी है। फिर कैसा भव
(d)आज तक ये भीतरी उबाल और बाहरी दबाव के बीच टुकड़े-टुकड़े होकर हमेशा घुटने ही टेकते आए हैं। हर बार दिनेश को लड़ाई के मैदान में ले तो ज़रूर गए हैंपर जैसे ही गोलियाँ चली हैंउसे बहीं छोड़कर भाग आए हैं अकेलानिहत्था। वह गोलियों की कोनी बौछार से लहूलुहान होता रहा है और ये खुद एक असह्य अपराध-बोध से।
(e)जैसे कहीं बहुत दूर बरफ की चोटियों से परिंदों के झुंड नीचे अनजान देशों की ओर उड़े जा रहे हैं। इन दिनों अक्सर उसने अपने कमरे की खिड़की से उन्हें देखा है- धागे से बँधे चमकीले लट्टुओं की तरह वे एक लंबी टेढ़ी-मेढ़ी कतार में उड़े जाते हैं।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
(a) 'आषाढ़ का एक दिन' के आधार पर मोहन राकेश की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिये। 20
(b) 'मैला आँचल' के आधार पर फणीश्वरनाथ रेणु की कथा-भाषा की समीक्षा कीजिये। 15
(c) 'दिव्या' के आधार पर यशपाल की विचारधारा पर प्रकाश डालिये। 15
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
(a) 'गोदान' के कथा-विधान की समीक्षा कीजिये। 20
(b) 'भारत-दुर्दशा' की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिये। 15
(c) 'स्कंदगुप्त' के आधार पर जयशंकर प्रसाद की राष्ट्रीय चेतना पर प्रकाश डालिये। 15
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निम्नलिखित सभी प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
(a) परिंदे कहानी के आधार प्रर्र निर्मल वर्मा की कहानी _______ की समीक्षा कीजिये। 20
(b) 'श्रद्धा और भक्ति’निबंध के आधार पर रामचंद्र शुक्ल______ शैली की समीक्षा कीजिये। 15
(c) "राजेंद्र यादव एक प्रब्रीगधसी कहानीकार है’’इस कथन___ टूटना’कहानी के आधार पर तर्कसंगत दृष्टि से विचार कीजिये।
प्रश्नपत्र-1
खंड - A
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
a). आरंभिक हिन्दी की प्रमुख विशेषताएँ
b). हिन्दी भाषा के मानकीकरण में द्विवेदी युग का योगदान
c). विज्ञान और तकनीक की भाषा के रूप में हिन्दी का विकास
d). देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता
e). पूर्वी हिन्दी व पश्चिमी हिन्दी के प्रमुख अंतर
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). साहित्यिक भाषा के रूप में ब्रज के विकास में मध्यकालीन कृष्ण-भक्त कवियों के योगदान पर प्रकाश डालिये।
b). स्वाधीनता आंदोलन की संघर्ष भाषा के रूप में हिन्दी की प्रतिष्ठा पर विचार कीजिये।
c). फॉन्ट एवं लिपि के व्यामोह में देवनागरी लिपि के वैशिष्ट्य को निर्धारित कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). 19वीं सदी में खड़ी बोली को साहित्यिक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के दौरान प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
b). अपभ्रंश की व्याकरणिक विशेषताएँ बताइये।
c). देवनागरी लिपि के सुधार हेतु स्वतंत्र भारत में किये गए प्रयत्नों की चर्चा कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). राजस्थानी वर्ग की प्रमुख बोलियों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिये।
b). संत-साहित्य में प्रयुक्त खड़ी बोली के स्वरूप की चर्चा कीजिये।
c). स्वाधीन भारत में हिन्दी-प्रयोग के नवीन आयाम पर प्रकाश डालिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
a). आचार्य रामचंद्र शुक्ल पूर्व हिन्दी साहित्य इतिहास का लेखन
b). हिन्दी रासो काव्यों की प्रमुख विशेषताएँ
c). हिन्दी सूफी कवियों की लोकोन्मुखता
d). हिन्दी के प्रमुख यात्रा-वृत्तांतों का वैशिष्ट्य
e). आचार्य रामचंद्र शुक्ल की सैद्धांतिक आलोचना
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). आदिकालीन साहित्य के अध्ययन की प्रमुख समस्याएँ लिखिये।
b). बालकृष्ण भटे एवं प्रताप नारायण मिश्र के वैशिष्ट्य को निर्धारित कीजिये।
c). प्रेमचंद के उपन्यास लेखन में उनकी यथार्थ दृष्टि का विकास किस रूप में हुआ है? स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘तुलसी का काव्य लोकमंगल की साधना है।’ इस कथन की समीक्षा कीजिये।
b). ‘निराला’ की कविता का मुख्य स्वर स्पष्ट कीजिये।
c). स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी रंगमंच के विकास में लोक-नाट्य की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘जयशंकर प्रसाद के नाटक तत्कालीन राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना की अभिव्यक्ति का समर्थ रूप हैं।’’ समीक्षा कीजिये।
b). घनानंद की ‘भाषा प्रवीणता’ को स्पष्ट कीजिये।
c). ‘अज्ञेय’ की कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिये।
प्रश्नपत्र-2
खंड - A
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
(a). जग हठवाड़ा स्वाद ठग, माया बेसाँ लाई।
रामचरन नीका गही, जिनि जाइ जनम ठगाइ।।
कबीर माया मोहनी, जैसी मीठी खाँड़।
सतगुरु कृपा भई, नहीं तो करती भाँड़।
(b). नटनंदन मोहन सों मधुकर है काहे की प्रीत?
जौ कीजै तो है जल, रवि औ जलधर की सी रीति।।
जैसे मीन, कमल, चातक को ऐसे ही गई बीति।
तलफत, जरत, पुकारत सुनु, सठ। नाहिं न है यह रीति।।
(c). बातन्ह मनहि रिझाई सठ जनि घालसि कुल सीख।
राम बिरोध न उबरसि सरन बिष्नु अज ईस।।
की तजि मान अनुज इव प्रभु पद पंकज भृंग।
होहि कि राम सरानल खल कुल सहित पतंग।।
(d). बुद्धि के पवमान में उड़ता हुआ असहाय
जा रहा तू किस दिशा की ओर को निरुपाय?
लक्ष्य क्या? उद्देश्य क्या? क्या अर्थ?
यह नहीं यदि ज्ञात, तो विज्ञान का श्रम व्यर्थ।
(e). तू गा :
मेरे अँधियारे अंतस् में आलोक जगा
स्मृति का
श्रुति का :
तू गा, तू गा, तू गा, तू गा
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
(a). गोस्वामी तुलसीदास रचित ‘कवितावली’ के उत्तरकांड की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिये।
(b). जायसी के ‘पँावत’ के सिंहलद्वीप खंड की भावभूमि स्पष्ट कीजिये।
(c). ‘‘‘भारत-भारती’ में वर्तमान की त्रासदीपूर्ण स्थिति, वैभवपूर्ण भव्य विरासत एवं उन्नत भविष्य की कामना करते हुए राष्ट्रीयता का स्वर मुखरित हुआ है।’’ इसे उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
(a). जयशंकर प्रसाद रचित ‘कामायनी’ के महाकाव्यत्व का विश्लेषण कीजिये।
(b). ‘भ्रमरगीत सार’ के आधार पर सूरदास की काव्य-चेतना एवं कवित्व की सोदाहरण विवेचना कीजिये।
(c). ‘कुकुरमुत्ता’ की प्रगतिशील चेतना की मूल संवेदना को स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
(a). ‘‘बिहारी की कविता शृंगारी है पर प्रेम की उच्च भूमि पर नहीं पहुँच पाती।’’ इस कथन की सार्थकता पर प्रकाश डालिये।
(b). ‘‘‘असाध्य वीणा’ में अज्ञेय के कवि-कर्म का क्रमिक विकास विभिन्न स्तर पर अभिव्यक्त हुआ है।’’ सम्यक् विवेचना कीजिये।
(c). ‘‘युद्ध की समस्या मनुष्य की सारी समस्याओं की जड़ है।’’ इस कथन के आलोक में दिनकर के ‘कुरुक्षेत्र’ का मूल्यांकन कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
a). ‘‘जब कभी वह अपनी पृथक् सत्ता की धारणा से छुटकर-अपने आपको बिल्कुल भूलकर-विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है, इसी प्रकार हृदय की यह मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है।’’
b). ‘‘मैं फिर काम शुरू करूंगा-यहीं, इसी गाँव में। मैं प्यार की खेती करना चाहता हूँ। आँसू से भीगी हुई धरती पर प्यार के पौधे लहलहाएंगे। मैं साधना करूंगा, ग्रामवासिनी भारत माता के मैले आँचल तले’’
c). ‘‘हाँ, दे दिया। अपनी गाय थी मार डाली, फिर किसी दूसरे के जानवर को तो नहीं मारा? तुम्हारी तहकीकात में यही निकलता है तो यही लिखो। पहना दो मेरे हाथों में हथकड़ियाँ। देख लिया तुम्हारा न्याय और तुम्हारे अक्कल की दौड़। गरीबों का गला काटना दूसरी बात है। दूध का दूध और पानी का पानी करना दूसरी बात है।’’
d). ‘‘वह बहुत अद्भुत अनुभव था माँ, बहुत अद्भुत नीलकमल की तरह कोमल और आर्द्र, वायु की तरह हल्का और स्वप्न की तरह चित्रमय मैं चाहती थी उसे अपने में भर लूँ और आँखें मूंद लूँ।’’
e). ‘‘उनकी बात कुछ समझ में नहीं आती। हमेशा दो बातें एक-दूसरे से उल्टी कहते हैं। कहते थे कि इस बार मुझे छ:-सात महीनों की छुटेी लेकर आराम करना चाहिये, लेकिन अगर मैं ठीक हूँ तो भला इसकी क्या जरूरत है।’’
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). मुंशी प्रेमचंद कृत ‘गोदान’ भारतीय कृषक जीवन के वास्तविक धरातल का सटीक चित्रण प्रस्तुत करता है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये।
b). आंचलिक उपन्यास के तत्त्वों के आलोक में ‘मैला आँचल’ उपन्यास की विवेचना कीजिये।
c). ‘भारत दुर्दशा’ एक प्रतीकात्मक नाटक है। विश्लेषण कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘आषाढ़ का एक दिन’ की नाट्य-वस्तु में मंचनक्षमता की सुरक्षा, भावना और यथार्थ का सामंजस्य, जीवन की कटुता और असफलता का निरूपण पाया जाता है। इसे स्पष्ट कीजिये।
b). ‘‘‘दिव्या’ उपन्यास का मूल प्रतिपाद्य मार्क्सवादी विचारधारा का प्रतिपादन करता है।’’ इस मत के पक्ष-विपक्ष में अपना तर्कयुक्त उत्तर देते हुए ‘दिव्या’ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिये।
c). ‘‘मन्नू भंडारी रचित ‘महाभोज’ उपन्यास राजनीति में पिसते दलित समाज की दास्ताँ का जीवंत दस्तावेज है।’’ इसे स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘‘स्कंदगुप्त’ नाटक राष्ट्रीय उन्नति की संवेदना को प्रकट करता है।’’ विवेचना कीजिये।
b). ‘श्रद्धा-भक्ति’ निबंध के आधार पर प्रेम, श्रद्धा एवं भक्ति का अंत:संबंध स्पष्ट कीजिये।
c). ‘चीप़ की दावत’ कहानी नौकरशाही में मानव-मूल्यों का अध:पतन तथा दो पीढ़ी के अंतराल का सूक्ष्म निरूपण पाया जाता है। सोदाहरण स्पष्ट कीजिये।
प्रश्नपत्र-1
खंड - A
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
a). हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान
b). अमीर खुसरो की काव्य-भाषा का महत्त्व
c). रहीम की कविता की प्रासंगिकता
d). सिद्ध-नाथ साहित्य में प्रयुक्त खड़ी बोली का स्वरूप
e). स्वातंत्र्योत्तर भारत में हिन्दी के विकास में आने वाली चुनौतियाँ
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). पश्चिमी हिन्दी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
b). दक्खिनी हिन्दी की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिये।
c). अवधी की व्याकरणिक विशेषताओं का निरूपण कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हिन्दी में पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण की वर्तमान दशा पर प्रकाश डालिये।
b). पहाड़ी हिन्दी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
c). अवहट्ठ का सामान्य परिचय दीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). देवनागरी लिपि के महत्त्व का आकलन कीजिये।
b). आधुनिक काल में काव्य-भाषा के रूप में खड़ी बोली का विकास ब्रज के स्थान पर क्यों हुआ? इस कथन की तर्कपूर्ण व्याख्या कीजिये।
c). तकनीक की भाषा के रूप में हिन्दी के सामने आने वाली चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
a). रामचंद्र शुक्ल द्वारा किया गया हिन्दी साहित्य का काल-विभाजन
b). कबीर की काव्य-भाषा
c). सूरदास का विरह-वर्णन
d). हिन्दी की प्रगतिवादी समीक्षा
e). हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना में योगदान
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘बिहारी शृंगार रस के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं’ - इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिये।
b). हिन्दी उपन्यास के विकास में प्रेमचंद के योगदान का आकलन कीजिये।
c). भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटकों में चित्रित राष्ट्रीय-चेतना को स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘अज्ञेय’ के काव्य की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिये।
b). मंचन की दृष्टि से जयशंकर ‘प्रसाद’ के नाटकों का मूल्यांकन कीजिये।
c). महादेवी वर्मा के संस्मरणों के महत्त्व का आकलन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘नागार्जुन जनवादी कवि हैं’’ - इस कथन की तर्कसंगत व्याख्या कीजिये।
b). कृष्णा सोबती के उपन्यासों में चित्रित नारी-चेतना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
c). जगदीशचंद्र माथुर की नाट्य-कला का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
प्रश्नपत्र-2
खंड - A
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
(a). हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान
(b). अमीर खुसरो की काव्य-भाषा का महत्त्व
(c). रहीम की कविता की प्रासंगिकता
(d). सिद्ध-नाथ साहित्य में प्रयुक्त खड़ी बोली का स्वरूप
(e). स्वातंत्र्योत्तर भारत में हिन्दी के विकास में आने वाली चुनौतियाँ
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
(a). पश्चिमी हिन्दी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
(b). दक्खिनी हिन्दी की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिये।
(c). अवधी की व्याकरणिक विशेषताओं का निरूपण कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
(a). हिन्दी में पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण की वर्तमान दशा पर प्रकाश डालिये।
(b). पहाड़ी हिन्दी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
(c). अवहट्ठ का सामान्य परिचय दीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
(a). देवनागरी लिपि के महत्त्व का आकलन कीजिये।
(b). ‘आधुनिक काल में काव्य-भाषा के रूप में खड़ी बोली का विकास ब्रज के स्थान पर क्यों हुआ? इस कथन की तर्कपूर्ण व्याख्या कीजिये।
(c). तकनीक की भाषा के रूप में हिन्दी के सामने आने वाली चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणियाँ लिखिये:
a). रामचंद्र शुक्ल द्वारा किया गया हिन्दी साहित्य का काल-विभाजन
b). कबीर की काव्य-भाषा
c). सूरदास का विरह-वर्णन
d). हिन्दी की प्रगतिवादी समीक्षा
e).हजारी प्रसाद द्विवेदी का हिन्दी आलोचना में योगदान
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘बिहारी शृंगार रस के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं’ - इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिये।
b). हिन्दी उपन्यास के विकास में प्रेमचंद के योगदान का आकलन कीजिये।
c). भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटकों में चित्रित राष्ट्रीय-चेतना को स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘अज्ञेय’ के काव्य की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिये।
b). मंचन की दृष्टि से जयशंकर ‘प्रसाद’ के नाटकों का मूल्यांकन कीजिये।
c). महादेवी वर्मा के संस्मरणों के महत्त्व का आकलन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘नागार्जुन जनवादी कवि हैं’’ - इस कथन की तर्कसंगत व्याख्या कीजिये।
b). कृष्णा सोबती के उपन्यासों में चित्रित नारी-चेतना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
c). जगदीशचंद्र माथुर की नाट्य-कला का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
प्रश्नपत्र-1
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). अवहट्ट की व्याकरणिक संरचना का स्वरूप
b). देवनागरी लिपि के प्रमुख गुण
c). रहीम की काव्य-भाषा का महत्त्व
d). दक्खिनी हिंदी का स्वरूप
e). स्वातंत्र्योत्तर भारत में हिंदी की स्थिति
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). पूर्वी हिंदी की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
b). उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ीबोली के विकास पर प्रकाश डालिये।
c). हिंदी में पारिभाषिक शब्दावली निर्माण में आने वाली कठिनाइयों का परिचय दीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). साहित्यिक भाषा के रूप में अवधी के महत्त्व का आकलन कीजिये।
b). ब्रजभाषा की व्याकरणिक विशेषताओं का निरूपण कीजिये।
c). हिंदी और उसकी बोलियों के अंतर्संबंध का विवेचन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). नागरी लिपि के सुधार हेतु किये गए प्रयासों का विवेचन कीजिये।
b). ‘‘हिंदुस्तानी’ एक कृत्रिम भाषा थी’’ - इस कथन की तर्कपूर्ण व्याख्या कीजिये।
c). मानक हिंदी की व्याकरणिक संरचना को स्पष्ट कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). रामचंद्र शुक्ल के साहित्येतिहास लेखन की प्रमुख विशेषताएँ
b). कबीर की प्रासंगिकता
c). बिहारी का काव्य-वैभव
d). प्रेमचंद की कहानियों में चित्रित ‘आदर्शोन्मुख यथार्थवाद’
e). ‘रेणु’ की कथा-भाषा
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). रीतिबद्ध काव्यधारा में केशवदास के कवि-कर्म का मूल्यांकन कीजिये।
b). मुक्तिबोध की काव्य-संवेदना की प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिये।
c). हिंदी उपन्यास के विकास में यशपाल के योगदान पर विचार कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). मोहन राकेश की नाट्य-कला और मंच-सज्जा पर प्रकाश डालिये।
b). रामविलास शर्मा के आलोचना-कर्म के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
c). संस्मरण साहित्य के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हिंदी रंगमंच के विकास की संक्षिप्त रूपरेखा दीजिये।
b). कृष्णा सोबती के कथा-संसार पर प्रकाश डालिये।
c). महादेवी वर्मा के रेखाचित्रों के महत्त्व का आकलन कीजिये।
प्रश्नपत्र-2
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). काहे को रोकत मारग सूधो?
सुनहु मधुप निर्गुन-कंटक तें राजपंथ क्यों रूँधौ?
कै तुम सिखै पठाए कुब्जा, कै कही स्यामघन जू धौं?
बेद पुरान सुमृति सब ढूँढ़ौ जुवतिन जोग कहूँ धौ?
ताको कहा परेखौ कीजै जानत छाछ न दूधौ।
सूर मूर अव्रूर गए लै ब्याज निबेरत ऊधौ।।
b). धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ।
काहू की बेटी सों, बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ।
तुलसी सरनाम गुलामु है राम को, जाको, रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि कै खैबो मसीत को सोईबो, लैबो को, एकु न दैबे को दोऊ।।
c). दु:ख की पिछली रजनी बीच, विकसता सुख का नवल प्रभात।
एक परदा यह झीना नील, छिपाए है जिसमें सुख गात।
जिसे तुम समझे हो अभिशाप, जगत की ज्वालाओं का मूल-
ईश का वह रहस्य वरदान, कभी मत इसको जाओ भूल।।
d). काँपते हुए किसलय,-झरते पराग समुदय,-
गाते खग नव-जीवन-परिचय, तरु मलय-वलय,
ज्योति: प्रपात स्वर्गीय, - ज्ञात छवि प्रथम स्वीय-
जानकी-नयन-कमनीय प्रथम कम्पन तुरीय।
e). दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘कबीर वाणी के डिक्टेटर हैं।’’ इस कथन के आलोक में कबीर की अभिव्यंजना शैली पर विचार कीजिये।
b). ‘‘जायसी ने इतिहास और कल्पना के सुंदर समन्वय से यह अत्यंत उत्कर्ष का महाकाव्य दिया है।’’ इस कथन के आधार पर ‘पद्मावत्’ की समीक्षा कीजिये।
c). ‘‘बिहारी ने अन्योक्तियों व सूक्तियों के माध्यम से जीवन के सत्य का सजीव वर्णन किया है।’’ इस कथन की विवेचना कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). अज्ञेय द्वारा रचित कविता ‘असाध्य वीणा’ की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिये।
b). ‘‘गुप्त जी ने ‘भारत-भारती’ के माध्यम से न सिर्प अतीत के गौरव का गान किया है, बल्कि वर्तमान को भी झकझोरा है।’’ इस कथन की विवेचना कीजिये।
c). ‘‘दिनकर युगचेता कवि हैं।’’ कुरुक्षेत्र से उदाहरण देते हुए इस कथन की सत्यता प्रमाणित कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘कामायनी’ का गौरव उसके युगबोध, परिपुष्ट चिंतन, महत् उद्देश्य और प्रौढ़ शिल्प में निहित है।’’ इस कथन की विवेचना कीजिये।
b). मुक्तिबोध की कविता ‘ब्रह्मराक्षस’ में अंत:स्यूत पैंटेसी को व्याख्यायित कीजिये।
c). ‘हरिजन गाथा’ कविता की मूल संवेदना पर प्रकाश डालिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). अंधकार का आलोक से, असत् का सत् से, जड़ का चेतन से और बाह्य जगत् का अंतर्जगत् से संबंध कौन कराती है? कविता ही न
b).प्रेम में कुछ मान भी होता है, कुछ महत्त्व भी। श्रद्धा तो अपने को मिटा डालती है और अपने मिट जाने को ही अपना इष्ट बना लेती है। प्रेम अधिकार करना चाहता है, जो कुछ देता है, उसके बदले में कुछ चाहता भी है।
c). विधाता की सृष्टि में मानव ही सबसे बड़ा शक्तिशाली है। उसको पराजित करना असंभव है, प्रचण्ड शक्तिशाली बमों से भी नहीं। पागलों आदमी-आदमी है, गिनीपिग नहीं। .... सबारि ऊपर मानुस सत्य
d). साहित्यकार का लक्ष्य केवल महफिल सजाना और मनोरंजन का सामान जुटाना नहीं है- उसका दरजा इतना न गिराइये। वह देश-भक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सचाई भी नहीं, बल्कि उनके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सचाई है।
e). जिसे तुम नाश कहती हो, वह केवल परिवर्तन है। अमरता का अर्थ है- अपरिवर्तन। कल्पना करो, संसार में कोई भी परिवर्तन न हो? उस संसार में क्या सुख और आकर्षण होगा?
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘‘गोदान’ के पात्र व्यष्टिपरक न होकर वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में आते हैं।’’ सिद्ध कीजिये।
b). ‘‘रामचंद्र शुक्ल के निबंधों में बुद्धितत्त्व और हृदय की अनुभूति का सुंदर समन्वय हुआ है।’’ इस कथन की विवेचना कीजिये।
c). ‘महाभोज’ उपन्यास के नामकरण की सार्थकता पर विचार कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘‘भारत-दुर्दशा’ अतीत गौरव की चमकदार स्मृति है, आँसू भरा वर्तमान है और भविष्य-निर्माण की भव्य प्रेरणा है।’’ इस कथन की विवेचना कीजिये।
b). ‘‘प्रसाद जी के नाटक न सुखांत हैं न दु:खांत, बल्कि वे प्रसादांत हैं।’’ इस कथन पर अपनी सहमति-असहमति व्यक्त कीजिये।
c). गांधीवादी विचारधारा के आलोक में बावनदास के चरित्र का विश्लेषण कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘मल्लिका की अनन्यता एवं सात्विक प्रेम ‘आषाढ़ का एक दिन’ की महती उपलब्धि है। उसके चरित्र में भारतीय आदर्श ललना साकार हो उठी है।’’ इस कथन की तर्कसंगत मीमांसा कीजिये।
b). ‘साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है’ निबंध की तात्त्विक समीक्षा कीजिये।
c). ‘‘चीफक़ी दावत’ मध्यवर्गीय अवसरवादिता और मानवीय मूल्यों के विघटन का जीवंत दस्तावेज़ है।’’ इस कथन की विवेचना कीजिये।
प्रश्नपत्र-1
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). अपभ्रंश और प्रारंभिक हिंदी के व्याकरणिक स्वरूप में प्रमुख अंतर
b). खड़ी बोली के विकास में संत साहित्य की भूमिका
c). तकनीक की भाषा के रूप में हिंदी का विकास
d). हिंदी के स्वरूप-निर्धारण में भारतेंदु युग का योगदान
e). देवनागरी लिपि का मानक स्वरूप
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). मानक हिंदी की व्याकरणिक विशेषताएँ बताइये।
b). स्वातंत्र्योत्तर भारत की संवादी भाषा के रूप में हिंदी के प्रयोग की चुनौतियाँ क्या हैं? स्पष्ट कीजिये।
c). सूफक़वियों द्वारा प्रयुक्त अवधी के स्वरूप पर विचार कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली की प्रतिष्ठा के प्रमुख कारण क्या थे? स्पष्ट कीजिये।
b). भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रयोग की प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
c). खुसरो द्वारा प्रयुक्त खड़ी बोली के स्वरूप का विवेचन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिंदी के प्रचार-प्रसार में अहिंदी भाषी व्यक्तित्वों के योगदान की चर्चा कीजिये।
b). ब्रज और खड़ी बोली का अंत:संबंध बताइये।
c). ज्ञान-विज्ञान की हिंदी के विकास में पारिभाषिक शब्दावली क्यों आवश्यक है? समझाइये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हजारीप्रसाद द्विवेदी के साहित्य के इतिहास-लेखन की दृष्टि
b). सिद्ध और नाथ साहित्य का परवर्ती हिंदी साहित्य पर प्रभाव
c). समकालीन चिंतकों की दृष्टि में कबीर का साहित्य
d). भारतेंदु के नाट्य-कर्म की लोकोन्मुखता
e). डॉ. नगेन्द्र का हिंदी आलोचना को योगदान
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). प्रसाद के नाटकों में व्यक्त राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना को स्पष्ट कीजिये।
b). ‘‘भारतीय नवजागरण हिंदी गद्य के विकास की आधार-भूमि है।’’ इस कथन की समीक्षा कीजिये।
c). घनानंद की कविता में व्यक्त स्वानुभूति और स्वच्छंदता का विवेचन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). भीष्म साहनी के उपन्यासों में निहित सामाजिक चेतना पर प्रकाश डालिये।
b). हिंदी रंगमंच के विकास में मोहन राकेश का योगदान बताइये।
c). रामचंद्र शुक्ल की आलोचना-दृष्टि पर स्वाधीनता आंदोलन के प्रभाव की चर्चा कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). कुबेरनाथ राय के ललित निबंधों के सांस्कृतिक पक्ष पर विचार कीजिये।
b). कृष्णा सोबती के कहानी-लेखन में स्त्री-विमर्श का संदर्भ बताइये।
c). हिंदी की व्यावहारिक आलोचना का विवेचन कीजिये।
प्रश्नपत्र-2
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). कबीर प्रेम न चषिया, चषि न लीया साव ।
सूने घर का पाहुणां, ज्यूं आया त्यूं जाव ॥
कबीर चित चमकिया, चहुं दिसि लागी लाइ ।
हरि सुमिरण हाथू घड़ा, बेगे लेहु बुझाइ ॥
b). खेलन सिखए, अलि, भलै चतुर अहेरी मार ।
कानन-चारी नैन-मृग नागर नरनु सिकार ॥
लग्यो सुमनु है है सफलु, आतप-रोसु निवारि ।
बारी, बारी आपनी सींचि सुहृदता-बारि ॥
c). जिसकी प्रभा के सामने रवि-तेज भी फीका पड़ा,
अध्यात्म-विद्या का यहाँ आलोक फैला था बड़ा!
मानस-कमल सबके यहाँ दिन-रात रहते थे खिले,
मानो सभी जन ईश की ज्योतिश्छटा में थे मिले ॥
d). शोषण की शृंखला के हेतु बनती जो शांति,
युद्ध है, यथार्थ में, व' भीषण अशांति है;
सहना उसे हो मौन, हार मनुजत्व की है,
ईश की अवज्ञा घोर, पौरुष की श्रांति है;
पातक मनुष्य का है, मरण मनुष्यता का,
ऐसी शृंखला में धर्म विप्लव है, क्रांति है।
e). अलस अँगड़ाई लेकर मानो जाग उठी थी वीणा :
किलक उठे थे स्वर-शिशु ।
नीरव पद रखता जालिक मायावी
सधे करों से धीरे-धीरे
डाल रहा था जाल हेम तारों का ।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). कवितावली' में निहित युगीन संदर्भो का सोदाहरण विवेचन कीजिए ।
b). “ 'पद्मावत' में आध्यात्मिक प्रेम की झाँकियाँ विद्यमान हैं ।" इस कथन से आप कहां तक सहमत हैं ? सोदाहरण समझाइए ।
c). 'मुक्तिबोध अपनी कविता में एक सच्चा-खरा और संघर्षशील संसार रचते हैं।' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). “ कुरुक्षेत्र' एक साधारण मनुष्य का शंकाकुल हृदय है, जो मस्तिष्क के स्तर पर चढ़कर बोल रहा है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए ।
b). 'प्रसाद मूलतः प्रेम और सौंदर्य के कवि हैं।' इस कथन के आधार पर 'कामायनी' में अभिव्यक्त प्रेम एवं सौंदर्य का स्वरूप स्पष्ट कीजिए ।
c). 'सूरदास में जितनी सहृदयता और भावुकता है, प्रायः उतनी चतुरता और वाग्विदग्धता भी है।' 'भ्रमरगीत-सार' के परिप्रेक्ष्य में विवेचना कीजिए ।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). कबीरदास के रचना-संसार में निहित समाज-चिंता पर प्रकाश डालिए ।
b). 'राम की शक्तिपूजा' एक पराजित मन और दूसरे अपराजित मन के अस्तित्व की अनुभूति है । - इस कथन की व्याख्या करते हुए निराला के काव्य का मूल्यांकन कीजिए ।
c). नागार्जुन की कविता में प्रकृति वर्णन का विवेचन कीजिए ।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). इस गतिशील जगत् में परिवर्तन पर आश्चर्य ! परिवर्तन रुका कि महापरिवर्तन – प्रलय हुआ ! परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है । स्थिर होना मृत्यु है, निश्चेष्ट शांति मरण है। प्रकृति क्रियाशील है । समय पुरुष और स्त्री की गेंद लेकर दोनों हाथ से खेलता है।
b). राजनीति साहित्य नहीं है । उसमें एक एक क्षण का महत्त्व है । कभी एक क्षण भी स्खलित हो जाए, तो बड़ा अनिष्ट हो सकता है। राजनीतिक जीवन की धुरी में बने रहने के लिए व्यक्ति को बहुत जागरूक रहना पड़ता है।
c). यदि प्रेम स्वप्न है, तो श्रद्धा जागरण है। प्रेम प्रिय को अपने लिए और अपने को प्रिय के लिए संसार से अलग करना चाहता है। प्रेम में केवल दो पक्ष होते हैं और श्रद्धा में तीन । प्रेम में कोई मध्यस्थ नहीं पर श्रद्धा में मध्यस्थ अपेक्षित है।
d). मैं प्रेम को संदेह से ऊपर समझती हूँ। वह देह की वस्तु नहीं, आत्मा की वस्तु है । संदेह का वहाँ ज़रा भी स्थान नहीं और हिंसा तो संदेह का ही परिणाम है । वह संपूर्ण आत्म-समर्पण है । उसके मंदिर में तुम परीक्षक बनकर नहीं, उपासक बनकर ही वरदान पा सकते हो।
e). और यह राजधानी ! जहाँ सब अपना है, अपने देश का है ..... पर कुछ भी अपना नहीं है, अपने देश का नहीं है । तमाम सड़कें हैं, जिन पर वह जा सकता है, लेकिन वे सड़कें कहीं नहीं पहुँचाती । उन सड़कों के किनारे घर हैं, बस्तियाँ हैं पर किसी भी घर में वह नहीं जा सकता।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). " 'भारत दुर्दशा' नाटक में व्यंग्य को एक जबरदस्त हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है।" स्पष्ट कीजिए।
b). “ 'दिव्या' ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में व्यक्ति और समाज की प्रवृत्ति और गति का चित्र है।" इस कथन का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए ।
c). आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित निबंध 'कुटज' का तात्त्विक विवेचन कीजिए।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). कविता क्या है' निबंध के आधार पर कविता के संबंध में निबंधकार के विचारों का विवेचन कीजिए।
b). 'प्रसाद के नाटक भारत के इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं।' 'स्कंदगुप्त' नाटक के संदर्भ में इस कथन की व्याख्या कीजिए ।
c). 'मैला आँचल' के आधार पर उपन्यासकार की जीवनदृष्टि का परिचय दीजिए।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). “आषाढ़ का एक दिन' का कालिदास दुर्बल नहीं है; कोमल, अस्थिर और अंतर्द्वद्व से पीड़ित है।" इस कथन की सप्रमाण संपुष्टि कीजिए ।
b). “'गोदान' भारतीय कृषि जीवन का ज्वलंत दस्तावेज़ है।" इस कथन की सोदाहरण समीक्षा कीजिए।
c). 'भोलाराम का जीव' के माध्यम से हरिशंकर परसाई की व्यंग्य चेतना पर प्रकाश डालिए।
प्रश्नपत्र-1
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). आरम्भिक हिंदी की व्याकरणिक विशेषताएँ
b). खड़ी बोली के विकास में सिद्ध-नाथ साहित्य का योगदान
c). दक्खिनी हिंदी का स्वरूप
d). देवनागरी लिपि : सुधार की दिशाएँ
e). राष्ट्रभाषा हिंदी की प्रयोग संबंधी चुनौतियाँ
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). पूर्वी हिंदी की किन्हीं दो बोलियों की प्रमुख व्याकरणिक विशेषताओं की समीक्षा कीजिये।
b). स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रयुक्त होने वाली हिंदी अपनी किन विशेषताओं के साथ राष्ट्रभाषा बनी? स्पष्ट कीजिये।
c). खड़ी बोली की व्याकरणिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). मानक हिंदी को व्यावहारिक बनाने के लिये जिन व्याकरणिक नियमों को संशोधित किया गया है, उससे पढ़ने और लिखने में विसंगतियाँ आ रही हैं। उदाहरण देकर समझाइये।
b). आज हिंदी को वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन के क्षेत्र में विशेष महत्त्व मिला है। इसके कारणों पर प्रकाश डालिये।
c). ‘‘हिंदी और उसकी क्षेत्रीय बोलियों के अंतर्संबंध से जो राष्ट्रीय एकता स्थापित हुई है, वह अद्वितीय है।’’ इस कथन की मीमांसा कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). उन्नीसवीं शताब्दी में नागरी लिपि की स्थिति पर प्रकाश डालिये।
b). हिंदी के विकास में अवधी के योगदान की समीक्षा कीजिये।
c). ब्रजभाषा की व्याकरणिक विशेषताओं का आकलन कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हिंदी में साहित्येतिहास लेखन की परंपरा और महत्त्व
b). तुलसी की लोकमंगल संबंधी अवधारणा
c). रीतिकालीन कविता में प्रकृति
d). छायावादी काव्य की प्रमुख दो विशेषताएँ
e). हिंदी रंगमंच का उद्भव और विकास
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा किया गया हिंदी साहित्य के इतिहास का काल-विभाजन कितना प्रासंगिक है? सप्रमाण उत्तर लिखिये।
b). नाट्य-कला की दृष्टि से भारतेन्दु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटकों का विवेचन कीजिये।
c). नागार्जुन की कविताओं में भारतीय समाज की विसंगतियों और विडम्बनाओं को यथार्थ रूप में उकेरा गया है। स्पष्ट कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘प्रेमचंद के उपन्यास भारतीय कृषक जीवन के सच्चे दस्तावेज़ हैं।’’ इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिये।
b). ‘‘जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ शिल्प का ताजमहल हैं।’’ इस कथन की सत्यता पर प्रकाश डालिये।
c). रंगमंचीयता की दृष्टि से जगदीश चंद्र माथुर के नाटकों का विवेचन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हजारीप्रसाद द्विवेदी के आलोचनात्मक प्रतिमानों पर प्रकाश डालिये।
b). हिंदी के यात्रा-वृत्तांत की विकास-यात्रा पर प्रकाश डालिये।
c). ‘‘विद्यानिवास मिश्र के ललित निबंध भारतीय संस्कृति के आख्यान हैं।’’ इस कथन की समीक्षा कीजिये।
प्रश्नपत्र-2
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). जाका गुर भी अंधला, चेला है जा चंध।
अंधे अंधा ठेलिया, दून्यूं कूप पडंत।।
ना गुर मिल्या न सिष भया, लालचि खेल्या दाव।
दून्यूं बूड़े धार मैं, चढ़ि पाथर की नाव।।
b). नामु लिये पूतको पुनीत कियो पातकीसु,
आरति निवारी ‘प्रभु पाहि’ कहें पीलकी।
छलनिकोे छोंड़ी, सो निगोड़ी छोटी जाति-पांति
कीन्ही लीन आपुमें सुनारी भोंड़े भीलकी।।
c). महत्ता के चरण में था
विषादाकुल मन
मेरा उसी से उन दिनों होता मिलन यदि
तो व्यथा उसकी स्वयं जीकर
बताता मैं उसे उसका स्वयं का मूल्य
उसकी महत्ता
d). आराधन का दृढ़ आराधन से दो उत्तर,
तुम वरो विजय संयत प्राणों से प्राणों पर,
रावण अशुद्ध होकर भी यदि कर सका त्रस्त,
तो निश्चय तुम हो सिद्ध करोगे उसे ध्वस्त,
शक्ति की करो मौलिक कल्पना, करो पूजन
छोड़ दो समर जब तक न सिद्धि हो, रघुनंदन
e). जाने दो, वह कवि-कल्पित था,
मैंने तो भीषण जाड़ों में
नभ-चुंबी कैलास शीर्ष पर,
महामेघ को झंझानिल से
गरज-गरज भिड़ते देखा है।
-
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘भ्रमरगीत’ की अवधारणा पर विचार करते हुए गोपियों की वाग्विदग्धता का परिचय दीजिये।
b). बिहारी की सूक्ष्म सौंदर्य दृष्टि का निरूपण कीजिये।
c). ‘‘राम की शक्ति पूजा’ में निराला के आत्मसंघर्ष की भी व्यथा-कथा है।’’ सोदाहरण स्पष्ट कीजिये।
-
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘ब्रह्मराक्षस के मिथकीय प्रयोग’ की व्याख्या करते हुए मध्यवर्गीय जीवन की त्रासदी पर प्रकाश डालिये।
b). ‘‘कामायनी’ विषम परिस्थितियों में जीवन के सृजन का महाकाव्य है।’’ स्पष्ट कीजिये।
c). ‘अकाल के बाद’ कविता की मूल संवेदना को सोदाहरण विवेचित कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘भारत-भारती’ की राष्ट्रीय चेतना को आज के संदर्भ में समझाइये।
b). ‘कवितावली’ के भाव-सौंदर्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।
c). ‘‘कबीर की भाषा सधुक्कड़ी है।’’ इस कथन पर विचार कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). एक पगली-सी स्मृति, एक उद्भ्रान्त भावना चैपल के शीशों के परे पहाड़ी सूखी हवा में झुकी हुई वीपिंग विलोज की काँपती टहनियाँ, पैरों-तले चीड़ के पत्तों की धीमी-सी चिर-परिचित खड़-खड़ ... वहीं पर गिरीश एक हाथ में मिलिटरी का खाकी हैट लिये खड़ा है ख्र चौड़े, उठे सबल कंधे, अपना सिर वहाँ टिका दो तो जैसे सिमटकर खो जाएगा....।
b). पूट, डाह, लोभ, भय, उपेक्षा, स्वार्थपरता, पक्षपात, हठ, शोक, अश्रुमार्जन और निर्बलता ख्र इन एक दरजन दूती और दूतों को शत्रुओं की फौज में हिला-मिलाकर ऐसा पंचामृत बनाया कि सारे शत्रु बिना मारे घंटा पर के गरुड़ हो गए।
c). अब भी उत्साह का अनुभव नहीं होता....? विश्वास करो तुम यहाँ से जाकर भी यहाँ से अलग नहीं होओगे। यहाँ की वायु, यहाँ के मेघ और यहाँ के हरिण, इन सबको तुम साथ ले जाओगे ..... । और मैं भी तुम से दूर नहीं होऊँगी। जब भी तुम्हारे निकट होना चाहूँगी, पर्वत-शिखर पर चली जाऊँगी और उड़कर आते मेघों में घिर जाया करूँगी।
d). ‘‘क्या बताऊँ? गरीबी की बीमारी थी। पाँच साल हो गए पेंशन पर बैठे, पर पेंशन अभी तक नहीं मिली। हर दस-पन्द्रह दिन में एक दरख्वास्त देते थे, पर वहाँ से या तो जवाब नहीं आता था और आता तो यही कि तुम्हारी पेंशन के मामले में विचार हो रहा है। इन पाँच सालों में मेरे सब गहने बेचकर हम लोग खा गए। फिर बर्तन बिके। अब कुछ नहीं बचा था। फाके होने लगे थे। चिंता में घुलते-घुलते और भूखे मरते-मरते उन्होंने दम तोड़ दिया।’’
e). मनुष्य के लिये कविता इतनी प्रयोजनीय वस्तु है कि संसार की सभ्य-असभ्य सभी जातियों में, किसी न किसी रूप में पाई जाती है। चाहे इतिहास न हो, विज्ञान न हो, दर्शन न हो, पर कविता का प्रचार अवश्य रहेगा। बात यह है कि मनुष्य अपने ही व्यापारों का ऐसा सघन और जटिल मंडल बाँधता चला आ रहा है। जिसके भीतर बंध-बंध वह शेष सृष्टि के साथ अपने हृदय का संबंध भूला-सा रहता है।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘मैला आँचल’ की राजनीतिक चेतना पर प्रकाश डालिये।
b). ‘‘भारत दुर्दशा’ में अपने समय की विभीषिका का चित्रण हुआ है।’’ स्पष्ट कीजिये।
c). ‘‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के निबंधों में तर्क और विचार के साथ भाव प्रवणता भी है।’ इस कथन की सोदाहरण व्याख्या कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘दिव्या’ स्त्री स्वतंत्रता का उद्घोष है।’’ विवेचन कीजिये।
b). ‘रंगमंच’ की दृष्टि से ‘आषाढ़ का एक दिन’ की विवेचना कीजिये।
c). ‘ज़िंदगी और जोंक’ में रजुआ की जिजीविषा पर प्रकाश डालिये।
-
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘महाभोज’ की मूल संवेदना को स्पष्ट कीजिये।
b). ‘‘गोदान’ की धनिया स्त्री चरित्र का उदात्त रूप है।’’ सोदाहरण प्रकाश डालिये।
c). ‘श्रद्धा और भक्ति’ के अंतर को स्पष्ट करते हुए आचार्य शुक्ल के निबंधों की विशेषता बताइये।
प्रश्नपत्र-1
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). देवनागरी लिपि की विशेषताएँ
b). हिन्दी भाषा का मानक स्वरूप
c). पश्चिमी हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ
d). रहीम की काव्य भाषा और उसकी विशेषताएँ
e). संत साहित्य में अवधी का योगदान
-
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में हिन्दी भाषा के प्रयोग की स्थिति का आकलन कीजिये।
b). आरंभिक हिन्दी के विकास में अपभ्रंश की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
c). हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में नागरी प्रचारिणी सभा, काशी और दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा,चेन्नई (मद्रास) की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). पारिभाषिक शब्दावली से आप क्या समझते हैं? हिन्दी में पारिभाषिक शब्दावली निर्माण के इतिहास का उदाहरण सहित मूल्यांकन कीजिये।
b). खड़ी बोली हिन्दी के साथ उसकी प्रमुख बोलियों के अन्त:संबंध पर प्रकाश डालिये।
c). भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की राष्ट्रीय चेतना की मुखर अभिव्यक्ति हिन्दी साहित्य में हुई है- सोदाहरण समीक्षा कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). राजभाषा के रूप में हिन्दी को सर्वस्वीकार्य बनाने के लिये क्या कदम उठाए जाने चाहिये? सविस्तार उल्लेख कीजिये।
b). दक्खिनी हिन्दी की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
c). मानक हिन्दी की व्याकरणिक संरचना के स्वरूप पर चर्चा कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). सिद्ध-नाथ साहित्य का भाषिक तथा साहित्यिक अवदान
b). कृष्णभक्ति काव्य धारा के विकास में विविध संप्रदायों का योगदान
c). रीतिमुक्त कवियों की प्रणय चेतना
d). भारतेन्दु ने अपने नाटकों में संस्कृत की चरित्र-चित्रण पद्धति का अनुसरण किया है- सोदाहरण समझाइये।
e). प्रेमचंद की कहानियों का मूल स्तर
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). विद्यापति की कविताओं में व्यक्त भक्ति के स्वरूप का सोदाहरण विवेचन कीजिये।
b). भारतीय साहित्य की उपेक्षिता नारी को अपना अधिकार दिलाकर मैथिलीशरण गुप्त ने नारी विमर्श को एक नवीन दिशा दी है- कैसे? समझाकर लिखिये।
c). गोस्वामी तुलसीदास रामराज्य के माध्यम से कल्याणकारी-राज्य का आदर्श उपस्थित करते हैं- मूल्यांकन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हिन्दी साहित्य की आलोचना परंपरा मूलत: आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की मान्यताओं का ही खंडन-मंडन है- युक्तियुक्त विवेचन कीजिये।
b). जयशंकर प्रसाद के नाटकों की ऐतिहासिकता पर विचार कीजिये।
c). हिन्दी क्षेत्र की लोकनाट्य पद्धतियों का परिचय देते हुए हिन्दी रंगमंच की विकास यात्रा का मूल्यांकन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र के इतिहास का परिचय देते हुए महादेवी वर्मा के रेखाचित्रों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
b). जैनेन्द्र कुमार का गद्य-लेखन व्यक्ति की गुम होती पहचान को उभारकर सामने रखता है- विवेचन कीजिये।
c). मोहन राकेश के ऐतिहासिक नाटकों की मंच-सज्जा का विवेचन कीजिये।
प्रश्नपत्र-2
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). प्रकृति जोई जाके अंग परी।
स्वान-पूँछ कोटिक जो लागै सूधि न काहु करी।
जैसे काग भच्छ नहिँ छाँड़ै जनमत जौन घरी।
धोये रंग जात कहु कैसे ज्यों कारी कमरी।
ज्यों अहि डसत उदर नहिँ पूरत ऐसी धरनि धरी।
सूर होउ सो होउ सोच नहिं, तैसे हैं एउ री।।
b). सुनु रावन ब्रह्मांड निकाया। पाइ जासु बल बिरचति माया।
जाके बल बिरंचि हरि ईसा। पालत सृजत हरत दससीसा।
जा बल सीस धरत सहसासन। अंडकोस समेत गिरि कानन।
धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता। तुम्ह से सठन सिखावनु दाता।
हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा। तेहि समेत नृप दल मद गंजा।
c). पावक सो नयननु लगै जावकु लाग्यो भाल।
मुकुरु होहुगे नैंक मैं, मुकुरु बिलोको लाल।।
तखिन-कनकु कपोल-दुति बिच ही बीच बिकान।
लाल लाल चमकतिं चुनीं चौका-चीन्ह-समान।।
d). उषा की पहिली लेखा कांत,
माधुरी से भींगी भर मोद;
मदभरी जैसे उठे सलज्ज
भोर की तारक-द्युति की गोद।
e). अवतरित हुआ संगीत स्वयंभू
जिसमें सोता है अखण्ड
ब्रह्मा का मौन
अशेष प्रभामय।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). नीरस निर्गुण मत में कबीर ने ‘ढाई आखर’ जोड़ने की पहल किससे प्रेरित होकर की और क्यों? अपने कथन की पुष्टि कीजिये।
b). जायसी की सौन्दर्य-संचेतना में उनकी ऊहा शक्ति साधक रही है या बाधक? सोदाहरण समझाइये।
c). ‘‘निराला कृत ‘कुकुरमुत्ता’ में व्यंग्य-विद्रूप के साथ भारतीय अस्मिता का जयघोष है’’- युक्तियुक्त उत्तर दीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘कुरुक्षेत्र में युग प्रबुद्ध उद्विग्न मानस का जो द्वन्द्व चित्रित हुआ है, उससे उसकी प्रबन्धात्मकता भी प्रभावित हुई है।’’ पक्षापक्ष विमर्श कीजिये।
b). ‘‘मुक्तिबोध रचित ‘ब्रह्मराक्षस’ की उपलिब्ध है भयानक अंगीरस, तिलिस्मी ‘वस्तु’ और आवेग-कल्पना-संवेदना का संगम।’’ इस कथन की समीक्षा कीजिये।
c). ‘असाध्य वीणा’ के किरीटी तरु में जो ध्वनियाँ समाहित हुईं और वीणा वादन के बीच जो ध्वनियाँ झंकृत हुईं उनके साम्य वैषम्य पर विचार प्रस्तुत कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘सुन्दर’ शब्द पर विचार करते हुए ‘सुन्दरकांड’ के वस्तु-शिल्प-सौंदर्य की विवेचना कीजिये।
b). हिन्दी भ्रमरगीत-परंपरा में सूरदास कृत भ्रमरगीत का वैशिष्ट्य निरूपित कीजिये।
c). ‘‘कामायनी’’ को ‘चेतना का सुन्दर इतिहास’ और ‘अखिल मानव-भावों का सत्य - शोधक काव्य’ क्यों कहा गया है? अपने विचार प्रस्तुत कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). भगवान सोम की मैं कन्या हूँ। प्रथम वेदों ने मधु नाम से मुझे आदर दिया। फिर देवताओं की प्रिया होने से मैं सुरा कहलाई और मेरे प्रचार के हेतु श्रौत्रामणि यज्ञ की सृष्टि हुई। स्मृति और पुराणों में भी प्रवृत्ति मेरी नित्य कही गई। तंत्र केवल मेरी ही हेतु बने। संसार में चार मत बहुत प्रबल हैं। इन चारों में मेरी चार पवित्र प्रेम मूर्ति विराजमान हैं।
b). श्रद्धा और प्रेम के योग का नाम भक्ति है। जब पूज्य भाव की वृद्धि के साथ श्रद्धा भाजन के सामीप्य-लाभ की प्रवृत्ति हो, उसकी सत्ता के कई रूपों के साक्षात्कार की वासना हो, तब हृदय में भक्ति का प्रादुर्भाव समझना चाहिये।
c). उस हिमालय के ऊपर प्रभात-सूर्य की सुनहरी प्रभा से आलोकित प्रभा का, पीले पोखराज का सा, एक महल था। उसी से नवनीत की पुतली झाँक कर विश्व को देखती थी। वह हिम की शीतलता से सुसंगठित थी। सुनहरी किरणों को जलन हुई। तप्त हो कर महल को गला दिया। पुतली उसका मंगल हो, हमारे अश्रु की शीतलता उसे सुरक्षित रखे। कल्पना की भाषा के पंख गिर जाते हैं, मौन-नीड़ में निवास करने दो। छेड़ो मत मित्र
d). संस्कृति में सदैव आदान-प्रदान होता आया है, लेकिन अंधी नकल तो मानसिक दुर्बलता का ही लक्षण है। पश्चिम की स्त्री आज गृह स्वामिनी नहीं रहना चाहती। भोग की विदग्ध लालसा ने उसे उच्छृंखल बना दिया है। लज्जा और गरिमा को, जो उसकी सबसे बड़ी विभूति थी, चंचलता और आमोद-प्रमोद पर वह होम कर रही है।
e). सौन्दर्य का ऐसा साक्षात्कार मैंने कभी नहीं किया। जैसे वह सौन्दर्य अस्पृश्य होते हुए भी मांसल हो। तभी मुझे अनुभव हुआ कि वह क्या है, जो भावना को कविता का रूप देता है। मैं जीवन में पहली बार समझ पाई कि क्यों कोई पर्वत-शिखरों को सहलाती हुई मेघ-मालाओं में खो जाता है, क्यों किसी को अपने तन-मन की अपेक्षा आकाश से बनते-मिटते चित्रों का इतना मोह हो रहता है।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘गोदान न केवल ग्रामीण जीवन का, बल्कि समूचे भारतीय जीवन की समस्याओं तथा यत्ंिकचित् सम्भावनाओं का आख्यान है।’’ इस स्थापना का वस्तुनिष्ठ विश्लेषण कीजिये।
b). ‘मैला आँचल’ ‘ग्राम कथा’ की कलात्मक परिणति है या ‘आंचलिकता’ की स्वतंत्र संरचना? भारतीय आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिये।
c). ‘महाभोज’ में समसामयिक अव्यवस्था का मात्र निदान है अथवा विधेयात्मक समाधान भी? तर्कपूर्वक समझाइये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘गुप्त-कालीन प्रामाणिक इतिहास का अनुलेखन एवं कल्पनाधारित वस्तु-संयोजन ‘स्कंदगुप्त’ में परिलक्षित होते हैं।’’ इस कथन की सप्रमाण संपुष्टि कीजिये।
b). ‘नाट्यरासक’ या ‘लास्यरूपक’ की शिल्प-विधि की दृष्टि से ‘भारत दुर्दशा’ का तात्त्विक मूल्यांकन कीजिये।
c). ‘चीफ की दावत’ में नौकरशाही में व्याप्त स्वार्थ-लिप्सा के मनोविज्ञान का उद्घाटन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). आचार्य शुक्ल के निबन्धों की विभिन्न कोटियों का परिचय देते हुए मनोभावों से संबंधित निबंधों का वैशिष्ट्य प्रतिपादित कीजिये।
b). ‘दिव्या’ में लेखक की यथार्थभेदी दृष्टि से भारत के स्वर्णकाल का इतिहास विरूपित हुआ है या अभिमण्डित? युक्तियुक्त उत्तर दीजिये।
c). उपन्यास की भाषा को कथ्य का अनुसरण करना क्या श्रेयस्कर माना जाएगा? ‘मैला आँचल’ के संदर्भ में तर्क प्रस्तुत कीजिये।
प्रश्नपत्र-1
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता
b). मध्यकाल में काव्य-भाषा के रूप में प्रयुक्त ब्रज की विशेषताएँ
c). उन्नीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली की स्थिति
d). खुसरो की काव्य-भाषा की मुख्य विशेषताएँ
e). अपभ्रंश की व्याकरणिक विशेषताएँ
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). रहीम की कविता की मार्मिकता पर प्रकाश डालिये।
b). हिन्दी के प्रचार-प्रसार के आन्दोलन में किन्हीं दो प्रमुख संस्थाओं के योगदान पर प्रकाश डालिये।
c). पश्चिमी हिन्दी की किन्हीं दो बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘हिन्दी में वैज्ञानिक लेखन की स्थिति अभी भी संतोषप्रद नहीं है’’- इस कथन का सोदाहरण उत्तर दीजिये।
b). दक्खिनी हिन्दी का परिचय दीजिये।
c). हिन्दी की तकनीकी शब्दावली के निर्माण में आने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). राजभाषा के रूप में हिन्दी के प्रयोग की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालिये।
b). विश्व हिन्दी-सम्मेलनों की सार्थकता पर अपना मत व्यक्त कीजिये।
c). ‘हिन्दुस्तानी’ की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). तुलसीदास की प्रासंगिकता
b). केशव की संवाद-योजना की विशेषताएँ
c). ‘ब्राह्मण’ पत्र के माध्यम से प्रताप नारायण मिश्र का हिन्दी-पत्रकारिता को प्रदत्त योगदान
d). हिन्दी रंगमंच : दशा, दिशा, सम्भावना
e). कृष्णा सोबती की कहानियाँ : कथ्य का वैविध्य
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘कामायनी’ के आधार पर जयशंकर प्रसाद की सौन्दर्य-चेतना पर प्रकाश डालिये।
b). यशपाल की विचारधारा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
c). ‘मैला आँचल’ के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). रामविलास शर्मा के आलोचना-कर्म की सीमाओं का वर्णन कीजिये।
b). मोहन राकेश के नाट्य-शिल्प की ‘आधे अधूरे’ नाटक के आधार पर समीक्षा कीजिये।
c). ‘‘तारसप्तक’ का प्रकाशन हिन्दी कविता के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ था’’- इस कथन का तर्कसंगत उत्तर दीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘ललित निबंधकार’ के रूप में हजारीप्रसाद द्विवेदी की निबंध-कला का विवेचन कीजिये।
b). कांतिकुमार जैन के संस्मरणों के वैशिष्ट्य का निरूपण कीजिये।
c). ‘‘अज्ञेय’ के यात्रा-वर्णन उनके व्यक्तित्व का दर्पण हैं’’- इस कथन का सोदाहरण विवेचन कीजिये।
प्रश्नपत्र-2
खंड - A
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). जीवन मुँहचाही को नीको,
दरस परस दिन रात करति है कान्ह पियारे पी को।
नयनन मूँदि-मूँदि किन देखौ बँध्यो ज्ञान पोथी को।
आछे सुन्दर स्याम मनोहर और जगत सब फीको।
‘सुनौ जोग को का लै कीजै जहाँ ज्यान ही जी को?’
खाटी मही नही रचि मानै सूर खवैया घी को।।
b). ऋषिनारि उधारि कियो सठ केवट मीत पुनीत सुकीर्ति लही।
निजलोक दियो सबरी खग को कपि थाप्यो सो मालुम है सबही।
दससीस विरोध सभीत विभीषण भूप कियो जग लीक रही।
करुणानिधि को भजु रे तुलसी रघुनाथ अनाथ के नाथ सही।
c). (i) सायक सम मायक नयन रंगे त्रिविध रंग गात।
झखौ बिलखि दुरि जात जल लखि जलजात लजात।।
(ii) सब ही त्यौं समुहाति छिनु, चलति सबनु दै पीठि।
वाही त्यौं ठहराति यह, कविलनवी लौं दीठि।।
d). अंधकार के अट्टहास सी मुखरित सतत चिरंतन सत्य,
छिपी सृष्टि के कण-कण में तू यह सुंदर रहस्य है नित्य।
जीवन तेरा क्षुद्र अंश है व्यक्त नील घनमाला में,
सौदामिनी संधि या सुंदर क्षण भर रहा उजाला में।
e). पिस गया वह भीतरी
औ’ बाहरी दो कठिन पाटों बीच,
ऐसी ट्रेजिडी है नीच
बावड़ी में वह स्वयं
पागल प्रतीकों में निरन्तर कह रहा
वह कोठरी में किस तरह
अपना गणित करता रहा
औ’ मर गया।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘कबीर की कविता ‘अस्वीकार’ के साथ-साथ स्वीकार की भी कविता है।’’- इस कथन के संदर्भ में कबीर काव्य का विश्लेषण कीजिये।
b). ‘‘काव्य, जीवन को अर्थवत्ता प्रदान करता है और काव्य की अर्थवत्ता बिम्ब से निर्मित होती है।’’ - इस कथन के आलोक में सूरदास के काव्य का मूल्यांकन कीजिये।
c). ‘‘जायसी कृत ‘पद्मावत’ में वर्णित ‘प्रेम’, सौंदर्य, भाव-गांभीर्य और माधुर्य की त्रिवेणी से उद्भासित है।’’ - इस कथन के संदर्भ में जायसी की प्रेम-व्यञ्जना का विवेचन कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘भारत-भारती’ की राष्ट्रीय-चेतना हिन्दू जातीयता पर अवलंबित है।’’ इस कथन के संदर्भ में अपना मत सोदाहरण प्रस्तुत कीजिये।
b). ‘‘निराला की रचना ‘कुकुरमुत्ता’ अनुभूतिगत एवं अभिव्यक्तिगत दोनों स्तरों पर काव्य-आभिजात्य से मुक्ति का महत् प्रयास है।’’ इस कथन की व्याख्या करते हुए निराला के काव्य-सौन्दर्य को उद्घाटित कीजिये।
c). ‘‘अज्ञेय ने ‘असाध्यवीणा’ कविता में अनेक मिथकों के माध्यम से अभीष्ट एवं सार्थक बिम्बों का सृजन किया है।’’ अज्ञेय की काव्य-कला के संदर्भ में विचार कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘दिनकर की रचना ‘कुरुक्षेत्र’ के सृजन का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रयोजन ‘शिवेतरक्षतये’ भी है।’’ -अपने मत को सोदाहरण एवं तर्क सहित प्रस्तुत कीजिये।
b). ‘‘मुक्तिबोध ने ‘ब्रह्मराक्षस’ कविता में फैंटेसी शैली के माध्यम से कविता जैसी विधा में नाटकीय प्रभाव की सृष्टि की है।’’ - इस कथन की तर्क एवं उदाहरण सहित विवेचना कीजिये।
c). ‘‘नागार्जुन अकाल को प्राकृतिक अभिशाप के रूप में कम, मानवीय अभिशाप के रूप में ज़्यादा देखते हैं।’’ - इस कथन के आलोक में नागार्जुन के काव्य की समीक्षा कीजिये।
खंड - B
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). हा भारतवर्ष को ऐसी मोहनिद्रा ने घेरा है कि अब उसके उठने की आशा नहीं। सच है, जो जान बूझकर सोता है उसे कौन जगा सकेगा? हा दैव तेरे विचित्र चरित्र हैं, जो कल राज करता था वह आज जूते में टांका उधार लगवाता है। कल जो हाथी पर सवार फिरते थे, आज नंगे पाँव बन-बन की धूल उड़ाते फिरते हैं।
b). ज्यों-ज्यों सभ्यता बढ़ती जाएगी त्यों-त्यों कवियों के लिये यह काम बढ़ता जाएगा। इससे यह स्पष्ट है कि ज्यों-ज्यों हमारी वृत्तियों पर सभ्यता के नये-नये आवरण चढ़ते जाएंगे त्यों-त्यों एक ओर तो कविता की आवश्यकता बढ़ती जाएगी, दूसरी ओर कवि-कर्म कठिन होता जाएगा।
c). मैं फिर काम शुरू करूँगा- यहीं इसी गाँव में, मैं प्यार की खेती करना चाहता हूँ। आँसू से भीगी धरती पर प्यार के पौधे लहलहाएंगे। मैं साधना करूँगा, ग्रामवासिनी भारतमाता के मैले आँचल तले। कम से कम एक ही गाँव के कुछ प्राणियों के मुरझाए ओठों पर मुस्कराहट लौटा सकूँ। उनके हृदय में आशा और विश्वास को प्रतिष्ठित कर सकूँ।
d). याद वह करती है, किंतु जैसे किसी पुरानी तस्वीर के धूल भरे शीशे को साफ कर रही हो। अब वैसा दर्द नहीं होता। सिर्फ उस दर्द को याद करती है, जो पहले कभी होता था। तब उसे अपने पर ग्लानि होती है। वह फिर जान-बूझकर उस घाव को कुरेदती है, जो भरता जा रहा है।
e). आवेग एक वस्तु है, जीवन दूसरी। जीवन जल का पात्र है, आवेग उसमें बुदबुदा मात्र है। जीवन की सफलता के लिये किसी समय आवेग का दमन आवश्यक हो जाता है, जैसे रोग में पथ्य अरुचिकर होने पर भी उपयोगिता के विचार से ग्रहण किया जाता है।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘चूँकि कृषक जीवन की समस्या उस समय के भारत की मुख्य समस्या थी, इसलिये ‘गोदान’ में कृषक जीवन की ट्रेजडी का आख्यान मानो युगीन समस्याओं का प्रतिनिधि आख्यान है।’’ इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिये।
b). ‘‘मैला आँचल में अभिव्यक्त स्त्री-पुरुष संबंध एक नवीन मुक्ति के पक्ष में है।’’ इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? तार्किक व्याख्या कीजिये।
c). ‘‘महाभोज’ स्वातंत्र्योत्तर भारतीय राजनीति की विकृति के पर्दाफाश का ज्वलंत दस्तावेज़ है।’’- तर्क एवं उदाहरण सहित सिद्ध कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘भारत-दुर्दशा’ प्राय: कथाविहीन, घटनाविहीन नाट्य-रचना है। फिर भी इसके मंचन की संभावनाएँ कम नहीं हैं।’ अभिनेयता की दृष्टि से विवेचन कीजिये।
b). ‘स्कंदगुप्त’ नाटक की प्रमुख समस्या राष्ट्रीय-सुरक्षा की समस्या है। प्रसाद की नाट्य-दृष्टि के संदर्भ में इस कथन की समीक्षा कीजिये।
c). ‘‘दूध और दवा’’ कहानी की मूल संवेदना आदर्श और यथार्थ के द्वंद्व एवं संघर्ष से निर्मित है।- इस कथन के संदर्भ में कहानी की समीक्षा कीजिये।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये :
a). ‘‘कविता क्या है’’ निबंध के आधार पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल की ‘‘कविता की भाषा’’ विषयक मान्यताओं पर प्रकाश डालिये।
b). क्या प्रेमचंद की कहानियाँ घटना प्रधान अधिक और चरित्र प्रधान कम हैं? आलोचनात्मक टिप्पणी लिखते हुए अपने मत का प्रतिपादन कीजिये।
c). ‘‘नन्हों’’ कहानी की भाषा ग्रामीण मुहावरों और शब्दों से युक्त जीवंत भाषा है।’ कथन के आलोक में कहानी के भाषा-सौंदर्य को उद्घाटित कीजिये।